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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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गुड्डी जैसी टीनएज लड़की जब अपने रंग में आती है तो अच्छे बच्चों को पानी पिला देती है । सच में बहुत ही क्विक लर्नर है अपनी गुड्डी कितनी जल्दी सब कुछ सीख गई अपने भैया के साथ साथ अपनी भाभी को भी खुश रखनाननद भौजाई
आठ दस मिनट की ऐसी तूफानी चोदाई के बाद वो झड़ने लगी , और साथ में वो भी।
मैं बगल में ही बैठी थी , पहली बूँद गिरने के साथ ही मैंने अपने साजन का लंड उसकी बुर से निकाल लिया और एक बार फिर से वो मेरे मुंह में
सारी मलाई मेरे मुंह में , एकदम मेरा गाल फूल गया ,कटोरी भर से कम मलाई उन्होंने नहीं निकाली होगी।
और कुछ देर रुक कर मैंने जैसे खूंटे का बेस दबाया तो एक बार फिर से , और सब की सब मेरे मुंह में।कटोरी भर गाढ़ी गाढ़ी थक्केदार मलाई मेरे मुंह में , और कुछ देर में ही उस मलाई में मेरा अपना थूक, लार ,.... मिल जुल कर ,...
मेरी ननद आँखे बंद किये पलंग पर अपने भइया के बगल में लेटी पड़ी थी ,लथर पथर , थकी शिथिल।
और मैं उसके पास जाकर , ... मेरे एक हाथ ने उसका सर पकड़ा और दूसरे ने कस के उस सोनचिरैया के गाल दबा दिए पूरी ताकत से ,
सोनचिरैया ने अपनी चोंच चियार दी और उस खुले होंठों के ठीक ऊपर मेरे होंठ ,
उसके भैया की गाढ़ी मलाई और मेरी लार ,...
बूँद बूँद ,
मेरे मुंह से उसके मुंह में और जब उसके मुंह से वीर्य और मेरे थूक का मिश्रण छलकने लगा तो मेरे होंठों ने उसके होंठ बंद कर दिए , जबतक
बूँद बूँद
मेरी ननद उसे गटक नहीं कर गयी।
लेकिन अभी भी मेरे मुंह में बहुत बचा था , वो सीधे मेरे मुंह से पहले थोड़ा सा उस चंद्रमुखी के मुख पर , ... और मैंने ऊँगली से उसके चेहरे पर अच्छी तरह फैला दिया ,
फिर बचा खुचा , मेरी ननद की कच्ची अमिया पर।
पर न अभी सिंगार पूरा हुआ था न मेरे साजन की मोटी पिचकारी का सारा माल मत्ता निकला था।
मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा , उनकी मोटी पिचकारी को ननद की बालों की ओर ,... और बेस पर दबा दिया ,
एक छोटी सी फुहार उनकी ममेरी बहन के मांग पर सीधे , ... सिन्दूर न सही उनका वीर्य ही सही ,...
और उनके सुपाड़े में लगा माल हम ननद भौजाई ने मिलजुल कर चाट चूट कर साफ़ कर दिया।
लेकिन अब प्यास उन्हें लग गयी थी और मुझे भी , फिर ऐसे मौके पर पानी कौन पीता है। गुड्डी को अब मालूम पड़ गया था इस घर में कौन चीज कहाँ रहती है , वो जा के व्हिस्की की बोतल और चिप्स ले आयी। थोड़ी देर में आधी बोतल हम तीनों ने खाली कर दी और आफ कोर्स उसका आधा मेरी ननद के पेट में ही गया , कुछ मेरे होंठों से कुछ उसके भइया के होंठों से पर रगड़ाई मेरी ही हुयी ,
दोनों भाई बहन ने मिल के कर दी मेरी ऐसी की तैसी।पहले चुसाई वो अकेले काफी थे , उनके ऐसा चूत चटोरा कोई हो ही नहीं सकता था
पर अब अब उनकी ममेरी बहन भी उनके साथ थी। पहले कुछ देर उन्होंने चूसा , फिर मेरी ननद के हवाले कर दिया दिया
और फिर दोनों ने मिल कर ,एक की जीभ मेरी बुर की ऐसी की तैसी करती तो दूसरे की जीभ मेरी क्लिट फ्लिक करती। और जब मैं झड़ने के कगार पर पहुँच आयी तो भी वो दोनों नहीं रुके , झड़ झड़ कर जब मेरी बुर लथपथ हो गयी तो पहले मेरी टीनेजर ननद से सब रस चाटा और उसके बाद उसके भइया ने जीभ अंदर तक डाल के , उनकी जीभ उनके लंड से कम नहीं थी , मैं एक बार फिर से गरमाने लगी तो मैंने बोला ,
" अरे यार तुम दो हो तो मेरे छेद भी तो दो हैं ,बाँट लो न , ....क्यों दोनों एक ही के पीछे ,... "
बस उन्हें आइडिया मिल गया , बाकी मैंने अपनी टाँगे उठा के अपने पिछवाड़े वाले छेद को भी एक्सपोज कर दिया , गुड्डी ने थोड़ा नाटक किया , थोड़ा छिनारपना , ना नुकुर ,
पर अब उसके भैय्या को भी उसके साथ जोर जबरदस्ती में मजा आने लगा था।
बस ,पिछवाड़े का छेद ननद के हवाले और आगे वाला , ननद के भइया के।
मैं झड़ चुकी थी तो मुझे भी अब टाइम लगना था। दोनों ने पहले तो आगे पीछे का छेद दोनों ने जीभ से चूमा कस कस के , फिर सपड़ सपड़ चाटा।
यही तो मैं चाहती थी ,इसलिए तो इस किशोरी को ले आयी थी पटा फंसा के ,... अब बिना न नुकुर किये , जोर जोर से कभी आगे पीछे कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल
आगे वाले छेद में साजन की जीभ गयी , तो पीछे वाले छेद में इनकी बहिनिया की जीभ , क्या मस्ती आ रही थी।
मैं चूतड़ पटक रही थी ,सिसक रही थी ,और जब झड़ने के कगार पर थी ,इन्होने दुहरा कर के पेल दिया , एक झटके में पूरा अंदर।
हचक हचक के मैं चुद रही थी ,ये चोद रहे थे , बगल में उनकी बहन,
और अब वो भी सीख गयी थी ,पहले तो उसकी ऊँगली फिर उसके होंठ कभी मेरी चूँची पर तो कभी मेरे क्लिट पर
इस समय मैं सिर्फ मजा ले रही थी और दोनों भाई बहन मुझे मजा देने में लगे थे।
जब वो झड़े तो सारी मलाई मेरी बिल में ,
लेकिन मैंने खींच के अपनी ननद के होंठों को , आखिर बिचारि ने इतनी मेहनत की थी ,कुछ तो रबड़ी मिठाई उसे मिलनी थी। और उसने भी जीभ अंदर डाल डाल कर करोच कर , सब मलाई अपने भइया की ,...
हम लोग चार बजे के करीब सोये ,लेकिन इसके पहले एक राउंड और ,इस बार शुद्ध चुदाई गुड्डी की उन्होंने की।
मैं सिर्फ बगल में लेटी।
ये बीच में, हम दोनों अगल बगल ,... हम दोनों का हाथ उनके खूंटे पर/
मुर्गे ने कुकुड़ कूँ किया और दरवाजे की घंटी बज गयी।
और कौन , गीता।
आज न मेरे कहने की जरूरत पड़ी न समझाने की। गुड्डी खुद झट से उठ कर , फर्श पर उसका वो हाईस्कूल, वाला फ्राक पड़ा था , बस झट से उसमें घुसी और दरवाज़ा खोलने बाहर।
कमाल हो आप आरुषि जी.... आपका 10% भी लिखना सीख जाता मैं काश....जब बहन पड़ी हो बिस्तर पे हर चीज सुहानी लगती है
हर अंग उसका मदहोश करे कातिल सी जवानी लगती है
दिल पागल सा हो जाता है जब छूत दिखाई देती है
जन्नत सा मजा तब मिलता है जब मुंह में पूरा लेती है
आँखों में आंखें डाले वो प्रणय का निवेदन करती है
जब ताना हुआ देखा लौड़ा पूरा लेने से डरती है
भइया भी चुची को मीजे उसको विश्वास दिलाता है
तू मस्ती में झूमेगी बहना जब पूरा अंदर जाता है
मैं आराम से तुझको छोड़ूंगा तू थोडा दर्द को सेह लेना
तू कुद कुद के अंदर लेगी जब मजा आएगा तुझको बहना
मैं अपने मक्खन से तेरी प्यारी सी चुत को सिंचुगा
हर रोज़ बिठा के लौड़े पे अपनी बाहों में भींचुगा
अपने दोनों सुंदर छेदो का उद्घाटन मुझसे करवा लेना
तेरी चुत चोद लू पहले मैं फिर गांड भी तू मारवा लेना
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आने की उम्मीद भी है...तेरे आने की उम्मीद कहाँ मगर,
कैसे कहूँ कि इन्तिजार नहीं।
लेकिन इन्तजार की घड़ियां खतम होंगी बहुत जल्दी, अरे गुड्डी ने अपने भैया को इन्तजार करवाया लेकिन अंत में,... तो बस अगली पोस्ट और जबरदस्त थ्रीसम
पति -पत्नी और वो ( मतलब ननदिया )
और उस मलखम्ब का सामना करने की बारी गुड्डी की है...एकदम गीता ने गुड्डी के भैया को भी अच्छी तरह से न सिर्फ ट्रेनिंग दी थी बल्कि अपनी पहलौठी का दूध लगा लगा के उसे मलखम्ब बना दिया, जिससे जब वो अपनी माँ बहन की फाड़ें तो उनकी चीख सात गाँव सुनाई पड़े।
सही कहा भूले भटके सभी राही एक एक करके इकट्ठे हो रहे हैं...पति पत्नी और नई बछड़ी
कोमल जी कब से इंतज़ार था कब आप भोग लगाओ उस बच्ची का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा
होली की राम राम स्वीकार करें
उस फोरम से जुड़ी हूँ आप से यहाँ आने मे थोड़ा वक्त लगा पर कोई नि सुबह का भटका...
इस बार कहानी जरूर मुक़ाम तक ले के जाना
ये आरजू है दिल से
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अवश्य ... लेकिन उसी थ्रेड पर...रंग -प्रसंग,
कोमल के संग
मेरा नया थ्रेड होली के मौके पर
होली हो और होली के किस्से न हों,... लेकिन इस बार मैं अपनी कुछ कहानियों के जो इस फोरम में हैं उन्ही के होली से जुड़े हुए अंश एक बार फिर से पन्ने पलट के साझा करुँगी, जैसे हर होली की बयार हर फगुनाहट मस्ती के साथ टीस भी लाती है, कुछ गुजरी हुयी होलियों के, ऐसी होली जो हो ली,... लेकिन मन में बार बार होती है, पड़ोस वाली से, क्लास वाली से या फिर देवर भाभी, जीजा साली की हो, उम्र गुजरती है, रिश्तों पर वक्त की चादरें चढ़ने लगती हैं,... लेकिन मन तो वही रहता है तो मैं शुरू करुँगी
मोहे रंग दे,
के होली प्रसंग से
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Erotica - रंग -प्रसंग,कोमल के संग
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Please read, enjoy, share your comments and do like every post of this thread, thanks and best wishes for HOLI