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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २४२, 'कीड़े' और 'कीड़े पकड़ने की मशीन, पृष्ठ १४९१

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motaalund

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कोमल जी,
अद्भुत, अकल्पनीय,कहानी में इस प्रकार का मोड़
दे कर कहानी में रोमांच बना कर रखना, ये एक बहुत ही प्रतिभशाली लेखक की लेखन का कमाल हो सकता हैं
आप बहुआयामी प्रतिभा के धनी है,
उद्योग जगत की उठापटक , छोटी छोटी बात
शेयर बाजार की, टॉप मैनेजमेंट में होने वाली हलचल
हर बात की इतनी बारीक जानकारी एक बहुत ही उम्दा तरीके से लेखन कला के जरिये पाठकों के सामने रखना ये सब के बस बात की नहीं है,
ये आप के ज्ञान को दिखाता है
आगे के अपडेट का इंतजार


आप को कोटि कोटि नमन आप के लेखन कला को सादर नमन
बहुत बहुत धन्यवाद
आपने कोमल जी की प्रतिभा की सही पहचान की है... :thumbup: :thumbup:
 

motaalund

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Komal ka dimaag kuchh na kuchh solution nikalega.
कोमल और उनकी माता श्री ने मिलकर जिस तरह मिस्टर एंड मिसेज मोइत्रा को पटखनी दी थी...
उसी तरह सम्मिलित प्रयास इस बार भी रंग लाएगा...
 

motaalund

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कोमल जी,

सच कहूँ तो मैं केवल अपने विचार रख रहा था.. आपके लेखन की समीक्षा करना मतलब सूरज को दीपक दिखाने के बराबर होगा.. !! आपका लेखन कौशल अतुल्य है.. शब्द संरचना में जिस तरह की आपकी महारथ है.. उसे मैं हमेशा ही विस्मय से पढ़ता हूँ.. !!

उदाहरण रूप.. आपका यह वाक्य "कहानी तभी कहनी चाहिए, जब कुछ कहने को हो" चंद शब्दों में कितना कुछ कह गई आप.. !! निरुद्देश्य लेखन से परहेज लेखक/लेखिका के दृष्टिकोण को परिभाषित करता है.. कहानी का निर्माण और उसकी प्रस्तुति तभी करनी चाहिए, जब उसके पीछे एक ठोस वजह, विचार, या संदेश हो.. केवल मनोरंजन तो मदारी के बंदर को सायकिल चलाते देखकर भी मिल सकता है.. और वैसे भी मनोरंजन या समय बिताने के लिए कहानी लिखी जाए, तो उसका प्रभाव सीमित ही होगा..

आपने महिला यौन वर्चस्व और SMTR का उल्लेख किया..सच कहूँ तो मैंने इन विषयों का इतनी संजीदगी से विवरण नहीं देखा.. अमूमन इन विषयों के वर्णन मे जिस तरह की आक्रामकता का प्रयोग होता है, वो मुझे राज नहीं आता.. पर आपका अंदाज बेहद निराला था..!!!

कॉर्पोरेट जटिलताओ के ताने बाने, कहानी के इर्दगिर्द बुनते हुए जिस तरह की असाधारण पृष्ठभूमि को आपने कथा में पिरोया है.. शब्द कम पड़ेंगे सराहना करते हुए.. लेखन मे ऐसा साहस ज्यादातर देखने को नहीं मिलता.. लेखक उसी पृष्ठभू से खेलना पसंद करते है, जिनका उन्हें परिचय हो.. !!

अंत मे बस इतना ही कहूँगा.. अपनी लेखनी से ऐसे ही प्रेरित करते रहिए.. !!

सादर..


वखारिया
ऐसे विचार और ऐसी समीक्षा के लिए भी..
व्यक्ति के पास शब्दों का भंडार और उसे पेश करने की कला आनी चाहिए..
और इस मामले में आपका भी कोई सानी नहीं है...

और हाँ.. आपकी अंतिम पंक्ति के लिए मेरा भी समर्थन है...
 
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motaalund

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Bhabhi meri badi bhabhi ko bhi pich lo kitni paise kama liye abhi tak
बड़ी भाभी तो हारी हुई बाजी को फिर से जीतने की चालबाजी में लगी होंगी. अपने शुभचिंतकों के साथ...
 

motaalund

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कहानी का रुख उत्तर से पूरब मे मोड़ना सिर्फ कोमल के अधिकार शेत्र मे है
ऐसे ट्विस्ट हीं कहानी में रोचकता बनाए रखते हैं...
वरना लगातार चुदाई गाथा.. बोरिंग सी लगने लगती है...
इसलिए ब्रेक जरुरी है...
 

komaalrani

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ऐसे ट्विस्ट हीं कहानी में रोचकता बनाए रखते हैं...
वरना लगातार चुदाई गाथा.. बोरिंग सी लगने लगती है...
इसलिए ब्रेक जरुरी है...
Thanks so much
 
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