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जोरू का गुलाम भाग २४२, 'कीड़े' और 'कीड़े पकड़ने की मशीन, पृष्ठ १४९१
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सहमत हूँ आपकी बातों से..ठीक है, एकदम जैसा आपने सजेस्ट किया । मैं यहाँ का अपडेट लिखना शुरू कर रही हूँ। और ये अपडेट थोड़े अलग से हैं, बहुत कुछ पढ़ के सोच के लिखना पढ़ता है, शेयर की दुनिया मेरी भी नहीं है, चूल्हे चौके और गाँव से अलग तो, लेकिन कहानी में तो सब आता है। इसलिए जैसा आपने कहा थोड़ा टाइम के बाद ही यहाँ अपडेट पोस्ट करुँगी, फरवरी के ख़तम होने के पहले। इस थ्रेड में मैं महीने में दो अपडेट कम से कम पोस्ट करती हूँ तो वो कायम रखूंगी।
आप के कमेंट के बिना कहानी लिखने का मजा ही नहीं है।
तभी तो मिस्टर मोइत्रा की दूर दराज पोस्टिंग हुई...अरे मिसेज दीर्घलिंगम का जिक्र पहले भी आ चुका है कहानी में लेकिन क्या करियेगा, इतनी लम्बी कहानी, इतनी पोस्टें
चलिए याद दिला देती हूँ, पृष्ठ ३६ भाग ३१ और इस भगा ३१ पोस्ट में था लेडीज क्लब का सेलेक्शन और उस के आखिरी हिस्सों में एक हिस्सा था विनर जिसमे मिसेज दीर्घलिंगम का जिक्र था, वो जज थी हस्बेंड डे के कांटेस्ट की और लेडीज क्लब के सेक्रेटरी के एलक्शन की।
उसी एलेक्सन में मिसेज मोइत्रा चारो खाने चित हुईं, उनके पति को न सिर्फ देशनिकाला बल्कि काला पानी मिला और वो अपने औकात में आयीं।
और उसी इलेक्शन के बाद मोइत्रा के सारे चार्ज इन्हे मिले बल्कि ये टॉप मैनेजमेंट की नजर में आये।
मिसेज दीर्घलिंगम ने ही रिजल्ट अनाउंस किया था, उनके पति, कंट्री हेड थे कम्पनी के,
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Erotica - जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
भाग २४१ - मस्ती पार्क में अपडेटपोस्ट हो गया है, पृष्ठ १४८४कृपया पढ़ें, आनंद लें और लाइक और कमेंट जरूर करें...exforum.live
और जो आपने कहा...बहुत बहुत धन्यवाद आभार
आप ऐसा लब्धप्रतिष्ठित लेखक, इस थ्रेड पर नजर आये और कहानी के बारे में अपनी बात रखें, इससे कहानी का भी मान बढ़ता है और कुछ और पढ़ने वाले भी मिलते हैं
एक बात मिसेज दीर्घलिंगम के बारे में, इनका और इनके पति दोनों का जिक्र कहानी के भाग ३१ में आ चुका है लेकिन मैं इस लिए भी उल्लेख कर रही हूँ की वह कहानी का एक टर्निंग प्वाइंट भी था और कहानी से जुडी दृष्टि भी, सोच भी उस में एक स्पीच में आती है जो मैं फिर से जस का तस कोट कर रही हूँ
" अवर आर्गानिज़शन इज पासिंग थ्रू अ क्रिटिकल फेज , अ डेंजर आफ स्टैगनेशन। एंड फार दैट वी वेयर लुकिंग फॉर आ न्यू ब्रीड आफ फ्यूचर मैनेजेमेंट। समबडी हु हैव 360 डिग्री व्यू। हम लोग वर्टिकल साइलोज में फंसे हुए हैं। वी आर वेरी गुड इन इंडिविजुअल स्किल्स , ऑपरेशन ,लॉजिस्टिक्स ,सेल्स ,मार्केटिंग ,फाइनेन्स ,... लेकिन हर बार इंडिविजुअल एक्ससेलिन्स , आर्गनाइजेशनल एक्सीलेंस में नहीं तब्दील होती है। इसके लिए जरूरी है ऐसा कोई जो दूसरे के रोल को समझ सके , हु कैन स्टेप इनटू अदर पर्सन्स शूज , जो उसके रोल को इम्पैथी के साथ समझ सके , बिना उसे प्री जज किये हुए , और निभा सके। इसमें सीनियरिटी का सवाल नहीं है ,एटीट्यूड का सवाल है अप्रोच का सवाल है। एंड आई एम वेरी थैंकफुल टू समबडी , हु सजेस्टेड अ सॉल्यूशन। "
" एंड द बिग्गेस्ट डिवाइड इज़ जेण्डर डिवाइड। ये सिर्फ इन्हीबिशन की बात नहीं है बल्कि प्रेजुडिसेज की बात भी है। दूसरी बात ये है की ये ,यह भी दिखाता है की वो कितना आब्सेर्वेन्ट है , कितनी इम्पैथी है और सबसे बड़ी बात है की इंस्ट्क्शन कितना वो आर्गनाइजेशन के लिए वो क्या कर सकता है। समबॉडी हू कैन क्रास दिस डिवाइड विल सर्टेनली बी ऐबल टू क्रास फंक्शनल डिवाइड एंड गेट आउट आफ वर्टीकल साइलोज। टूडे सम वेरी सीनियर आफिसर्स शोड इंहिबीशन लेकिन कुछ यंग आफिसर्स ने बहुत अच्छा किया। इट वाज अ फन गेम लेकिन साथ में हम ने दो एच आर एक्सपर्ट और बिहैवियर साइकोलॉजिस्टों को इनवाइट किया था जो कि सिर्फ स्टेज की परफार्मेंस नहीं बल्कि सबकी परफार्मेंस वाच कर रहे थे।
मैं मानती हूँ, कहानी को कुछ कहना भी चाहिए, और इसका मतलब नहीं हो की वो जजमेंटल हो, हरदम मोरल वैल्यूज की बातें करें , वह कुछ भी हो सकती है एक तिलिस्म की भी जासूसी, शुद्ध मनोरंजन की भी शुद्ध देह संबंधो की भी, लेकिन थोड़ी सी अलग होने की कोशिश करे
और एक अच्छी कहानी कोशिश करे की कई लेयर्स पर एक साथ चले
कई बार देह संबंधो की ऊष्मा में यह सब बाते मिस हो जाती है इसलिए मैं उन्हें रेखांकित करने की कभी कभी कोशिश भी करती हूँ
एक बार फिर से आभार
आप एक अच्छे समीक्षक हैं..आपके विचारों से पूर्णतः सहमत होते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि कहानी का सार वास्तव में उसकी बहुआयामीता में निहित होता है.. कहानी केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्पण है जो समाज, मनुष्य और उसके अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करता है.. यह दर्पण कभी मनोरंजन के रंगों से सजा होता है, तो कभी गहन दार्शनिक विमर्श की गहराइयों में डूबा हुआ.. और हाँ, यह जरूरी नहीं कि यह दर्पण हमेशा नैतिकता के सिद्धांतों को ही दिखाए...
आपने जिस तरह से कहानी के "लेयर्स" पर जोर दिया है, वह वाकई सराहनीय है.. एक अच्छी कहानी वही होती है जो पाठक को सतह पर तो मनोरंजन से भर दे, लेकिन गहराई में उसे विचारों के समुद्र में गोता लगाने पर मजबूर कर दे.. यही वह बिंदु है जहाँ कहानी साधारण से असाधारण हो जाती है.. और हाँ, देह संबंधों की ऊष्मा में भी यदि कहानी के ये स्तर मिस हो जाएँ, तो यह एक तरह से "रसभंग" ही हो जाता है.. आपका यह प्रयास कि आप इन बातों को रेखांकित करती हैं, वह आपकी कहानी को एक नया आयाम देता है..
कहानी लिखना कुछ वैसा ही है जैसे खाना बनाना.. अगर आप केवल मसालों पर ध्यान देंगे, तो खाना चटपटा तो हो जाएगा, लेकिन पौष्टिक नहीं.. और अगर केवल पौष्टिकता पर ध्यान देंगे, तो खाना स्वादहीन हो जाएगा.. इसलिए, एक अच्छी कहानी, जैसे एक अच्छा खाना, मसाले और पौष्टिकता का सही संतुलन चाहती है..
मैं यह मानता हूँ कि कहानी का असली मकसद केवल पाठक को बांधे रखना नहीं, बल्कि उसे सोचने पर मजबूर करना भी है.. और अगर इसमें थोड़ा सा हास्य, थोड़ा सा तिलिस्म, और थोड़ी सी ऊष्मा मिल जाए, तो कहानी और भी यादगार बन जाती है..
अब रण की तैयारी है...Thanks ekdm sahi kaha aapne is ke taar hindustan ke baahr faile hain koynki company bhi ek multi national hai jaise Amazon ho ya aur koyi aisi aur use koyi hindustan se ukhadne ke liye plan kare
स्वाद का मजा लें...Story ko Biryani bana diya yeh to!
बहु-आयामी प्रदर्शन...बहुत बहुत आभार, मैंने पहले ही कहा था की तीनो कहानियों में कहानी की धारा थोड़ी बदलेग।
फागुन के दिन चार में अभी थ्रिलर और एक्शन चल रहा है, गुंजा को बचाने की कोशिश
छुटकी में ननद को आश्रम के चंगुल से बचाने की कोशिश और उनकी वेदना
और यहाँ पर कहानी अब एक फायनेंसियल थ्रिलर में तब्दील हो चुकी है। इस कहानी में पहले भी कारपोरेट मामलों की सुनगुन सुनाई पड़ती रहती है और एक मेरी कहानी है आपने पढ़ी होगी,
IT IS A HARD रेन
वो भी कारपोरेट अक्वीजिशन पर है और उसके मानवीय पहलुओं पे
मैं कोशिश करती हूँ की कहानी और पाठको दोनों के प्रति ईमानदारी बरतूं,
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Non-Erotic - It’s a hard rain
It’s a hard rainWhen the evening is spread out against the sky Like a patient etherized upon a table…Dusk was dawning on glass panes of his window, smoke rubbing its muzzle, peeping from outside , streets following like tedious argument, …every evening, it reminded him of Prufrock’s love...exforum.live
और हमारी आकंक्षा भी...आप के कमेंट पढ़ने में वही मजा आता है जो आपकी कहानियों को पढ़ने में बल्कि कमेंट में कुछ ज्यादा ही क्योंकि चाशनी के साथ अपनी खुद की तारीफ़ भी होती है,
आपकी सारी बातों से मैं सहमत हूँ, लेकिन पाठको की और फोरम के मालिकान की दृष्टि भी इस ओर है की नहीं ये भी एक मुद्दा कभी कभी लगता है, और ढेर सारी कहानियां जिस तरह की होंगी कई बार पाठकों की दृष्टि और अपेक्षा भी उसी तरह की होने लगती है और हम कहानियों को व्यूज और कमेंट से जज कर लेते हैं और क्यों कसौटी तो है नहीं, तो लिखने वालो को भी दिक्कत होती है, उनकी रूचि कम होने लगती है।
पर जब तक आप ऐसे मित्रों का साथ रहेगा तब तक इस तरह की कहानियों की भी धारा अजस्त्र चलेगी, ये विशवास है
फुलवा ने तो अरविंदवा से वादा किया था कि..कोमल मैम
अपडेट ????
किसी भी कहानी पर दे दो क्योंकि अपडेट के इंतजार में स्क्रीन स्क्रॉल करते - करते उंगलियों की वही हालत हो गई है जैसे फुलवा की -
" दिनवा गिनत मोरी घिसलि उंगरिया की रहिया तकत नैना थकत मोरे रे बिदेसिया,..."
सादर