आनंद बाबू बुद्धू के बुद्धू रहे दुबे भाभी ने सही कहा है जब रस से भरे गुब्बारे सामने हो तो उनका रस निकालो कहा रंग के चक्कर में पड़ रहे हो
दुबे भाभी ने मस्त डायलॉग मारा है आनंद को
“अरे लाला तुम ना। रह गए। बिन्नो ठीक ही कहती है तुम न तुम्हें कुछ नहीं आता सिवाय गाण्ड मराने के और अपनी बहनों के लिए भंड़ुआगीरी करने के। अरे बुद्धुराम ससुराल में साली सलहज से होली खेलने के लिए रंग की जरूरत थोड़े ही पड़ती है। अरे गाल रंगों काटकर, चूची लाल करो दाब के और। …”
आगे की बात चंदा भाभी ने पूरी की- “चूत लाल कर दो चोद-चोद के…” ये बात मस्त कही है उपर के गुब्बारे और नीचे के कुएं का रस निकालो
रीत और गुड्डी ने आनंद को पूरा मौका दे दिया है कि ये सुसराल है सुसराल में साली,भाभी जो मिले उसके जोबन को दबा दो उन्होंने संध्या भाभी के साथ मस्ती करने का पूरा मौका दिया है चंदा भाभी ने तो रात में मजा ले लिया है वह भी आनंद की मदद कर रही है