• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
मेरा एक हाथ अपने आप गुड्डी के खुले उरोजों की ओर चला गया। इन्हीं ने तो मुझे जवान होने का अहसास दिलाया था शर्म गायब की थी। वो मेरी मुट्ठी में थे।

अब धीरे-धीरे आनंद बाबू खुल रहे हैं...
गुड्डी तो खुल के दावत दे रही है...
अब पहल तो आनंद बाबू को हीं करनी पड़ेगी...
इस खुली छत पे एकदम खुली होली का असली मकसद तो यही था

आनंद बाबू झिझक छोड़ के आनंद लेने लगें
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
संध्या भाभी ससुराल से वापस आईं हैं..
तो छोटी सी फ़िल्म तो और आग भड़का देगी..
फुल लेंग्थ मूवी की जरूरत है...
वो भी चलेगी लेकिन छत पर और सबके सामने तो हो नहीं सकता था तो जब आनंद बाबू और संध्या भाभी अकेले हों और आधे घंटे, घंटे का टाइम हो, बस अगली एक दो पोस्टो में
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।

भरे भवन मैं करत हैं, नैननु ही सब बात॥

ऐसे कमेंट्स आपकी विभिन्न विषयों में रूचि को प्रदर्शित करते हैं..
साथ हीं उचित अवसर पर उन्हें पेश करना भी आपकी बुद्धिमता इंगित करती है...
:thanks: :thanks::thanks::thanks::thanks:
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
न संध्या भाभी दूबे भाभी को छोड़ रही हैं...
और ना हीं दूबे भाभी संध्या भाभी को...

हिम्मत करके मैंने उस प्रेम की घाटी में लव टनेल में एक उंगली घुसाने की कोशिश की। एकदम कसी।
बस उसने मेरे कान को किस करके बोला- “हे दूँगी मैं लेकिन बस थोड़ा सा इंतेजार करो ना। मैं भी उतनी ही पागल हूँ इसके लिए…”


आग दोनों तरफ बराबर की लगी है...
केवल मौके की दरकार है..
मौका और जगह यही दो चीज तो नहीं मिलती,
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
“तुम्हें देखने के लिए आँखें खोलनी पड़ती हैं क्या? मुश्कुराकर वो बोली लेकिन फिर कहने लगी- “कुछ करो ना आँख में किरकिरी सी हो रही है…”

“वो तो कब का निकल गया…” ये शीशे में मेरे प्रतिविम्ब की ओर इशारा करती गुड्डी बोली- “ये, अबीर डालने वाला नहीं निकला…”


कहानी ऐसी होनी चाहिए कि कुछ डायलोग दिल को छू ले..
उपरोक्त दोनों पंक्तियाँ .. दिल से निकली प्रतीत होती है...

फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी।

भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी॥

छीन पितंबर कमर तें, सु बिदा दई मोड़ि कपोलन रोरी।


नैन नचाई, कह्यौ मुसकाइ, लला। फिर खेलन आइयो होरी॥



***** *****

एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ,दृगन गये ते भरी आनँद मड़गै नहीं।

धोय धोय हारी पदमाकर तिहारी सौंह, अब तो उपाय एकौ चित्त में चढ़ै नहीं।

कैसी करूँ कहाँ जाऊँ कासे कहौं कौन सुनै,कोऊ तो निकारो जासों दरद बढ़ै नही।


एरी। मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सों,कढ़िगो अबीर पै अहीर को कढ़ै नहीं।
ऐसी चौपाइयां /दोहे कहीं और पढ़ने को कहाँ मिलती है...
जो खुद इन सबका अध्ययन करता रहता हो...
यानि लेखक होने के पहले एक अच्छा पाठक होना जरुरी है...
और ये गुण आपमें मौजूद है...
वही उपयुक्त स्थान पर इन्हें अपनी कहानियों में प्रस्तुत कर सकता है...
और इसी कारण आपकी कहानी सबसे हटकर है...
ख़ूबसूरती देखने वालों की आँखों में होती है , तारीफ़ तो मुझे आपकी नजर की करनी चाहिए।
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
होली का त्योहार हो और होली के इन गानों आगाज न हो तो..
कुछ फीका सा लगने लगता है...
सचमुच छेड़ छाड़ के इन गानों ने समां रंगीन कर दिया...
होली के ये कालजयी गाने हैं, और इस गाने पर डांस भी गजब का है इसलिए रीत के लिए मुझे यही गाना सही लगा, छेड़छाड़ भी, डांस भी,
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
भाभियां अपनी ननदों को अच्छी पढाई पढ़ा रही हैं...
और लगता है सबक भी देंगी कि प्रैक्टिकल करके अलग से देख लेना...

" अरे दिलवा दो न अपने यार का " संध्या भाभी मुस्कराते हुए बोली लेकिन गुड्डी कम नहीं थी, मेरे गाल पे खुल के चुम्मा लेते हुए बोली

" यार तो है मेरा, थोड़ा बुद्धू है तो क्या अब मेरी किस्मत में यही है, लेकिन क्या चाहिए ये खुल के बोलिये न "

" लंड चाहिए, इत्ता मोटा लम्बा कड़क है, एक बार चोद देगा तो घिस थोड़े ही जाएगा, हफ्ते भर से उपवास चल रहा है चूत रानी का, गुड्डी तुझे बहुत आशिरवाद मिलेगा, मुझे एक बार दिलवा देगी तो तो तुझे ये हर रोज मिलेगा, जिंदगी भर, सात जनम। "


अब संध्या भाभी खुल के बोल रही हैं...
पहले तो इशारों में या फुसफुसा कर हीं...
शायद अब आनंद बाबू पसीज जाएं...
बस अब एक दो पोस्ट में संध्या भाभी का भी नंबर लगेगा
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
अब जोगीड़ा की शुरुआत हो गई...
तो होली का रंग सब पे चढ़ गया...

और ऊपर से रीत का फिल्मी तड़का और भी मस्त और जबरदस्त था....
होली में गानों की होली के माहौल वाली पैरोडी भी खूब चलती है
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
रेट लिस्ट भी तैयार...
और साथ में विज्ञापन भी...

लेकिन ये क्या...
ये तो फ़िल्म "अंदाज अपना अपना" का क्राइम मास्टर गोगो का सीन हो गया...
"हाथ को आया.. मुँह न लगा"..
दोनों बेचारे (संध्या भाभी और आनंद बाबू) तरसते रह गए....
अच्छी चीज के लिए इन्तजार करना ही पड़ता है

संध्या भाभी का प्रंसग इस नए संस्करण में ज्यादा है
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,832
259
Top