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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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komaalrani

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
जिस तरह बकरे को हलाल करने से पहले सजाया जाता है उसी तरह आनंद बाबू को भी दुल्हन की तरह सजाया गया है तीन औरते और दो कन्या ने । दुल्हन को देखकर लगता है पक्का सुहागरात होने वाली है वो भी पिछवाड़े की
होली में अकेले लड़के को पा के भौजाई सब बौरा जाती हैं और फिर रिश्ता भी तो ऐसा है
 

motaalund

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Superb update Komal ji. Pure update padhne me ek baar bhi Jang Bahadur Sustaye nahin. Ekdam alert shade rahe.
यही तो कमाल है कि एरोटिक अपडेट्स.. में अलर्ट स्टेट में रहे.. और जहाँ सस्पेंस हो वहाँ दिमाग अलर्ट...
 

motaalund

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होली में भाभी कब तक चाभी से बचेगी, ताला है तो ताली लगेगी ही और जल्द ही लगेगी, और कस के लगेगी। बस इन्तजार कीजिये अगली पोस्टों का।
चाभी भी मोटी... भुन्नासी ताले वाली...
 

motaalund

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इन्तजार का फल मीठा होता है, जैसे मैं व्यूज और कमेंट्स का इन्तजार करती हूँ उसी तरह आनंद बाबू को भी बस सही मौके का इन्तजार है, वो टू मिनट नूडल तो हैं नहीं उन्हें कम से १५-२० मिनट फुर्सत से चाहिए, चंदा भाभी के साथ तो पूरी रात थी तो संध्या भाभी के साथ घंटा भर तो मिले, हम सब की दुआ रहेगी तो क्या पता होली की असली मिठाई खाने को मिल ही जाए।

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सपोर्ट तीनो कहानियों पर रहता है, कोई भी आभार कम होगा , आपके कमेंट घोड़े की लगाई गयी ऐड की तरह काम करते हैं, बस इसी तरह साथ बनाये रखिये। इस कहानी में ढेर सारे नए प्रंसग जुड़ रहे हैं।
अबकी बार .. चार सौ पार के तर्ज पर..
अबकी बार .. सारे छेद फाड़...
 

motaalund

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तन तो कइयों से लग जाता है लेकिन मन, तो कोई बहुत पहले चुरा ले गया आंनद बाबू का

इसके पहले वाली पोस्ट में एक पोस्ट थी, गुड्डी के बारे में, जिसका मन उसका तन और वही अगर उकसा रही तो हो बेचारे आनंद बाबू कैसे रुक पाएंगे
भाई की शादी में हीं बीड़ा सीधे दिल को लगा था...
 
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