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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Shetan

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थ्रिलर - १

स्कूल में बम



डी॰बी॰ ने बोला- “जीरो आवर इज 20 मिनटस फ्राम नाउ…”

मुझे 15 मिनट बाद घुसना था, 17 मिनट बाद प्लान ‘दो’ शुरू हो जायेगा 20वें मिनट तक मुझे होस्टेज तक पहुँच जाना है और अगर 30 मिनट तक मैंने कोई रिस्पान्स नहीं मिला तो सीढ़ी के रास्ते से मेजर समीर के लोग और छत से खिड़की तोड़कर पुलिस के कमान्डो।


डी॰बी॰ ने पूछा- “तुम्हें कोई हेल्प सामान तो नहीं चाहिये?”

मैंने बोला- “नहीं बस थोड़ा मेक-अप, पेंट…”

गुड्डी बोली- “वो मैं कर दूंगी…”

डी॰बी॰ बोले- “कैमोफ्लाज पेंट है हमारे पास। भिजवाऊँ?”

गुड्डी बोली- “अरे मैं 5 मिनट में लड़के को लड़की बना दूं। ये क्या चीज है? आप जाइये। टाइम बहुत कम है…”

डी॰बी॰ बगल के हाल में चले गये और वहां पुलिसवाले, सिटी मजिस्ट्रेट, मेजर समीर के तेजी से बोलने की आवाजें आ रही थीं।

गुड्डी ने अपने पर्स, उर्फ जादू के पिटारे से कालिख की डिबिया जो बची खुची थी, दूबे भाभी ने उसे पकड़ा दी थी, और जो हम लोगों ने सेठजी के यहां से लिया था, निकाली और हम दोनों ने मिलकर।

4 मिनट गुजर गये थे। 11 मिनट बाकी थे।

मैंने पूछा- “तुम्हारे पास कोई चूड़ी है क्या?”

“पहनने का मन है क्या?” गुड्डी ने मुश्कुराकर पूछा और अपने बैग से हरी लाल चूड़ियां। जो उसने और रीत ने मिलकर मुझे पहनायी थी।

सब मैंने ऊपर के पाकेट में रख ली। मैंने फिर मांगा-

“चिमटी और बाल में लगाने वाला कांटा…”

“तुमको ना लड़कियों का मेक-अप लगता है बहुत पसन्द आने लगा। वैसे एकदम ए-वन माल लग रहे थे जब मैंने और रीत ने सुबह तुम्हारा मेक अप किया था। चलो घर कल से तुम्हारी भाभी के साथ मिलकर वहां इसी ड्रेस में रखेंगें…” ये कहते हुये गुड्डी ने चिमटी और कांटा निकालकर दे दिया।

7 मिनट गुजर चुके थे, सिर्फ 8 मिनट बाकी थे। निकलूं किधर से? बाहर से निकलने का सवाल ही नहीं था, इस मेक-अप में। सारा ऐड़वान्टेज खतम हो जाता। मैंने इधर-उधर देखा तो कमरे की खिड़की में छड़ थी, मुश्किल था। अटैच्ड बाथरूम। मैं आगे-आगे गुड्डी पीछे-पीछे। खिड़की में तिरछे शीशे लगे थे। मैंने एक-एक करके निकालने शुरू किये और गुड्डी ने एक-एक को सम्हाल कर रखना। जरा सी आवाज गड़बड़ कर सकती थी। 6-7 शीशे निकल गये और बाहर निकलने की जगह बन गई।

9 मिनट। सिर्फ 6 मिनट बाकी। बाहर आवाजें कुछ कम हो गई थीं, लगता है उन लोगों ने भी कुछ डिसिजन ले लिया था। गुड्डी ने खिड़की से देखकर इशारा किया। रास्ता साफ था। मैं तिरछे होकर बाथरूम की खिड़की से बाहर निकल आया।

वो दरवाजा 350 मीटर दूर था। यानी ढाई मिनट। वो तो प्लान मैंने अच्छी तरह देख लिया था, वरना दरवाजा कहीं नजर नहीं आ रहा था। सिर्फ पिक्चर के पोस्टर। तभी वो हमारी मोबाईल का ड्राईवर दिखा, उसको मैंने बोला- “तुम यहीं खड़े रहना और बस ये देखना कि दरवाजा खुला रहे…”

पास में कुछ पुलिस की एक टुकडी थी। ड्राइवर ने उन्हें हाथ से इशारा किया और वो वापस चले गये। 13 मिनट, सिर्फ दो मिनट बचे थे।



मैं एकदम दीवाल से सटकर खड़ा था, कैसे खुलेगा ये दरवाजा? कुछ पकड़ने को नहीं मिल रहा था। एक पोस्टर चिपका था। सेन्सर की तेज कैन्ची से बच निकली, कामास्त्री। हीरोईन का खुला क्लिवेज दिखाती और वहीं कुछ उभरा था। हैंडल के ऊपर ही पोस्टर चिपका दिया था। दो बार आगे, तीन बार पीछे जैसा गुड्डी ने समझाया था। सिमसिम। दरवाजा खुल गया। वो भी पूरा नहीं थोड़ा सा।



15 मिनट हो गये थे। सीढ़ी सीधी थी लेकिन अन्धेरी, जाले, जगह-जगह कचडा। थोड़ी देर में आँखें अन्धेरे की अभ्यस्त हो गई थी। मेरे पास सिर्फ 10 मिनट थे काम को अन्जाम देने के लिये।
Jabardast. Romance se action. Amezing seen create kiya he Komalji
 

Shetan

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आपरेशन शुरू



15 मिनट हो गये थे। सीढ़ी सीधी थी लेकिन अन्धेरी, जाले, जगह-जगह कचडा। थोड़ी देर में आँखें अन्धेरे की अभ्यस्त हो गई थी। मेरे पास सिर्फ 10 मिनट थे काम को अन्जाम देने के लिये।

सीढ़ी दो मिनट में पार कर ली। साथ में कितनी सीढ़ीयां है रास्ते में, कौन सी सीढ़ी टूटी है, ऊपर के हिस्से पे सीढ़ी बस बन्द थी। लेकिन अन्दर की ओर इतना कबाड़, टूटी कुर्सियां, एक्जाम की कापियों के बन्डल, रस्सी। उसे मैंने एक किनारे कर दिया। लौटते हुये बहुत कम टाइम मिलने वाला था।

क्लास के पीछे के बरामदे में भी अन्धेरा था।


मैं उस कमरे के बाहर पहुँचा और दरवाजे से कान लगाकर खड़ा हो गया। हल्की-हल्की पदचाप सुनायी दे रही थी, बहुत हल्की। मैंने दरवाजे को धक्का देने की कोशिश कि। वो बस हल्के से हिला। मैंने नीचे झुक के देखा। दरवाजे में ताला लगा था।

गुड्डी ने तो कहा था कि ये दरवाजा खुला रहता है। अब।

तब तक मैंने देखा मोबाइल का नेटवर्क चला गया। लाइट भी चली गई। अन्दर कमरें में घुप्प अन्धेरा छा गया।

लाउडस्पीकर पर जोर से चुम्मन की माँ की आवाज आने लगी- “खुदा के लिये इन लड़कियों को छोड़ दो। इन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? अल्लाह तुम्हारा गुनाह माफ कर देंगें। पुलिस के साहब लोग भी। बाहर आ जाओ…”

प्लान दो शुरू हो चुका था। 17 मिनट हो गये थे। मेरे पास सिर्फ 8 मिनट थे।

मैंने गुड्डी की चिमटी निकाली और ताला खोलकर हल्के से दरवाजा खोल दिया, थोड़ा सा।

घुप्प अन्धेरा। थोड़ी देर में मेरी आँखें अन्धेरे की आदी हो गई। एक बेन्च पे तीन लड़कियां, सिकुड़ी सहमी, गुन्जा की फ्राक मैंने पहचान ली। गुन्जा बीच में थी। बेन्च के ठीक नीचे था बाम्ब। बिजली की हल्की सी रोशनी जल बुझ रही थी। कोई तार किसी लड़की से नहीं बन्धा था। दीवाल के पास एक आदमी खड़ा था जो कभी लड़कियों की ओर, कभी दरवाजे की ओर देखता।

बाहर लाउडस्पीकर पर आवाज और तेज हो गई थी। कभी चुम्मन की माँ की आवाज। कभी पुलिस की मेगाफोन पे वार्निग। उस आदमी का ध्यान अब पूरी तरह बाहर से आती आवाजों पे था।

जमीन पर क्राल करते समय मुझे ये भी सावधानी रखनी पड़ रही थी की जो एक छोटा सा पिन्जड़ा मेरे पास था, वो जमीन से ना टकराये। उसमें दो मोटे-मोटे चूहे थे।

सबसे पहले गुन्जा ने मुझे देखा। वो चीखती उसके पहले मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और उंगली से समझाया की बाकी दोनों लड़कियों को भी समझा दे की पहले की तरह बैठी रहें रियेक्ट ना करें।

मुझे पहले बाम्ब को समझना था।

मैं उससे बस दो फीट दूर था। एक चीज मैं तुरन्त समझ गया की इसमें कोई टाईमर डिवाइस नहीं है। ना तो घड़ी की टिक-टिक थी ना वो सर्किटरी। तो सिर्फ ये हो सकता है की किसी तार से इसे बेन्च से बान्धा हो और जैसे ही बेन्च पर से वजन झटके से कम हो। बाम्ब ऐक्टिवेट हो जाय।

बहुत मुश्किल था। मैं खिड़की से चिपक के खड़ा था। कोई डाइवर्ज़न क्रियेट करना होगा।

मैंने गुन्जा को इशारे से समझा दिया। मेरे जेब में पायल पड़ी थी, जो सुबह गुड्डी और रीत ने मुझे पहनायी थी और घर से निकलते समय भी नहीं उतारने दिया था। बाजार में पहुँचकर मैंने वो अपनी जेब में रख ली थी।

चूहे के पिंजरे से मैंने पनीर का एक टुकड़ा निकाला और पायल में लपेट के, पूरी ताकत से बाहर की ओर अधखुले दरवाजे की ओर फेंका। झन्न की आवाज हुई। दरवाजे से लड़कर पायल अधखुले दरवाजे के बाहर जा गिरी-

“झन-झन-झन…”

“कौन है?” वो आदमी चिल्लाया और बाहर दरवाजे की ओर लपका जिधर से पायल की आवाज आई थी।

इतना डायवर्ज़न काफी था। मैंने गुन्जा को पहले ही इशारा कर रखा था।

उसके दायीं ओर वाली लड़की को पहले उठकर मेरे पास आना था। वो झटके से उठकर मेरे पास आई। एक पल के लिये मेरे दिल कि धड़कन रुक सी गई थी। कहीं बाम्ब।

लेकिन कुछ नहीं हुआ।

और जब वो मेरे पास आई तो मेरे दिल की धड़कन दो पल के लिये रुक गई।

महक,... लम्बी, गोरी, सुरू के पेड़ जैसी छरहरी और सबसे बढ़कर उसकी फिगर। लेकिन अभी उसका टाईम नहीं था। मैंने उसके कान में फुसफुसाया-


“दिवाल से सटकर जाना पीछे वाले दरवाजे पे। इसके बाद गुन्जा के बगल की दूसरी लड़की को मैं उठाऊँगा। तुम दरवाजे पे उस लड़की का इंतेजार करना और पीछे वाली सीढ़ी से…”

महक को सीढ़ी का रास्ता मालूम था। उसने मुझे आँखों में अश्योर किया और दीवाल से सटे-सटे बाहर की ओर। मैं डर रहा था की जब वो दरवाजे से बाहर निकले तब कहीं कोई आवाज ना हो?

और मैंने एक चूहा छोड़ दिया।

वो आदमी दरवाजे के बाहर खड़ा था, पनीर का टुकड़ा उसके पैरों के पास, और पल भर में चूहा वहीं।

वो जोर से उछला- “चूहा…”

और महक दरवाजे के पार हो गई।

बाहर से लाउडस्पीकर की आवाजें बन्द हो गई थी और अब फायर ब्रिगेड वाले वाटर कैनन छोड़ रहे थे।

बन्द होने पर भी कुछ पानी बाहर के बरामदे में आ रहा था।

वो आदमी फिर बेचैन होकर बाहर की ओर गया और फिर पायल, पनीर का टुकड़ा और चूहा। और अबकी चूहे ने उसे काट लिया।

वो चीखा और अब दूसरी लड़की दिवार से सटकर बाहर की ओर।
Wow trap par amezing trick use ki he. Jabardast.
 

Shetan

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सीढी पर फायरिंग


मैं वापस दौड़ता हुआ सीढ़ी की ओर। तीनों लड़कियां सीढ़ी के पार खड़ी थी।

महक ने बोला- “चलें नीचे?”

मैंने कहा- “अभी नहीं…” और सीढ़ी का दरवाजा बन्द कर दिया।

पीछे से जोर-जोर से दरवाजा खड़खड़ाने की आवाज आ रही थी।

मैंने बोला- “ये जो कापियों का बन्डल रखा है ना उसे उठा-उठाकर यहां रखो…”

वो बोली- “मेरा नाम महक है। महक दीप…”

मैंने कहा- “मुझे मालूम है। लेकिन प्लीज जरा जल्दी…” और जल्दी-जल्दी कापियों से जो बैरीकेडिंग हो सकती थी किया।

तीसरी लड़की से मैंने रस्सी के लिये इशारा किया और उसने हाथ बढ़ाकर रस्सी पास कर दी। ऊपर की सिटकिनी से बोल्ट तक फिर एक क्रास बनाते हुये। बीच में जो भी टूटी कुर्सियां, फर्नीचर सब कुछ, कम से कम 5-6 मिनट तक इसे होल्ड करना चाहिये।

तब तक दो बार पैरों से मारने की और फिर धड़ाम की आवाज आई। जिस कमरे में इन्हें होस्टेज बनाकर रखा था, और जिसे मैंने बाहर से बन्द कर दिया था, टूटा ताला लटका कर। उसका दरवाजा टूट गया था।

मैंने तीनों से बोला- “भागो नीचे। सम्हलकर। चौथी सीढ़ी टूटी है। 11वीं के ऊपर छत नीची है…”

महक ने उतरते हुये जवाब दिया- “मालूम है मालूम है। स्कूल बंक करने का फायदा…”

दौड़ते हुये कदमों की आवाज, सीधे सीढ़ी के दरवाजे की ओर से आ रही थी। मेरा चूड़ी वाली ट्रिक फेल हो गई थी। मेरे दिमाग की बत्ती जली, जो मेरा खून गिर रहा होगा। अन्धेरे में उससे अच्छा ट्रेल क्या मिलेगा। और वही हुआ।

हमारे नीचे पहुँचने से पहले ही सीढ़ी के दरवाजे पे हमला शुरू हो गया था।

इसका मतलब कि अब दोनों साथ थे, जिसके पैर में मैंने कांटा चुभोया था उसके पैर में इतनी ताकत तो होगी नहीं।

और तब तक गोली की आवाज। गोली से वो दरवाजे का बोल्ट तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन मुझे ये डर था की कहीं वो इन लड़कियों को ना लग जाये।

मैंने बोला- “पीठ दीवाल से सटाकर चुपचाप…”

सब लाइन में खड़े हो गये। दिवाल से चिपक के और अगले ही पल अगली गोली वहीं से गुजरी जहां हम दो पल पहले थे। वो जाकर सामने वाले दरवाजे में पैबस्त हो गई। सबसे आगे गुंजा थी, पीछे वो दूसरी लड़की और सबसे अन्त में महक और मैं, एक दूसरे का हाथ पकड़े। गोली की आवाज सुनकर महक कांप गई और उसने कसकर मेरा हाथ भींच लिया और मैंने भी उसी तरह जवाब में उसका हाथ दबा दिया।

महक मुझे देखकर मुश्कुरा दी, और मैं भी मुश्कुरा दिया। अब हम लोग सीढ़ी के नीचे वाले हिस्से में थे, जहां निचले दरवाजे से छनकर रोशनी आ रही थी। मुझे देखकर महक मीठी-मीठी मुश्कुराती रही और मैं भी। इत्ती प्यारी सुन्दर कुड़ी मुश्कुराये और कोई रिस्पान्स ना दे? गुनाह है।

तब तक महक की निगाह मेरे हाथ पे पड़ी वो चीखी- “उईईई… कितना खून?”

अब मेरी नजर भी हाथ पर पड़ी। मैं इतना तो जानता था की चोट हड्डी में नहीं है वरना हाथ काम के लायक नहीं रहता। लेकिन खून लगातार बह रहा था। मेरी बांह और बायीं साईड की शर्ट खून से लाल हो गई थी। महक ने अपना सफेद दुपट्टा निकाला और एक झटके में फाड़ दिया। और आधा दुपट्टा मेरी चोट पे बांध दिया। खून अभी भी रिस रहा था लेकिन बहना बहुत कम हो गया था।

तब तक दुबारा गोली की आवाज और मैंने महक को खींचकर अपनी ओर। अचानक मैंने रियलाइज किया की मेरे हाथ उसके रूई के फाहे ऐसे उभार पे थे। मैंने झट से हाथ हटा लिया और बोला- “सारी…”

महक ने एक बार फिर मेरा हाथ खींचकर वहीं रख लिया और बोली- “किस बात की सारी? नो थैन्क नो सारी। वी आर फ्रेन्डस…”

मैंने मोबाइल की ओर देखा। सिर्फ दो मिनट बचे थे। अगर मैंने आल क्लियर ना दिया तो इसी रास्ते से मिलेट्री कमान्डो और हम लोग क्रास फायर में। नेटवर्क अभी भी गायब था। मैंने बीपर निकालकर मेसेज दिया। ये सीधे डी॰बी॰ को मिलता। सिर्फ चार सिढ़ियां बची थी। दीवाल से पीठ सटाये-सटाये। हम नीचे उतरे।

ऊपर से जो गोलियां चली थी, उससे नीचे सीढ़ी के दरवाजे में अनेक छेद हो गये थे। काफी रोशनी अंदर आ रही थी। पहली बार हम लोगों ने चैन की सांस ली, और पहली बार हम चारों ने एक दूसरे को देखा।

महक ने अपनी नीली-नीली आँखें नचाकर कहा- “आप हो कौन जी? इत्ते हैन्डसम पुलिस में तो होते नहीं। मिलेट्री में। लेकिन ना पिस्तौल ना बन्दूक…”

गुंजा आगे बढ़कर आई- “मेरे जीजू है यार। जीजू ये है। …”

“महक…” उसने खुद हाथ बढ़ाया और मैंने हाथ मिला लिया।

“मैं जैसमिन…” तीसरी लड़की बोली और अबकी मैंने हाथ बढ़ाया।

महक ने हँसकर कहा- “हे तेरे जीजू तो मेरे भी जीजू…”

जैसमिन बोली- “और मेरे भी…”

“एकदम…” गुंजा बोली- “लेकिन आपको ये कैसे पता चला की मैं यहां फँसी हूँ?”

“अरे यार सालियों को जीजा के अलावा और कहीं फँसने की इजाजत नहीं है…” मैंने कसकर महक और गुंजा को दबाते हुये कहा।
Kya bat he Komalji. Ese mahol me bhi shararat masti. Maza aa gaya. Jabardast
 

Shetan

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बूम --- बॉम्ब





मैं बात उन सबसे कर रहा था, लेकिन मेरी निगाह बार-बार ऊपर और नीचे के दरवाजों पे दौड़ रही थी। मुझे ये डर लग रहा था की अभी तो हम सब दिवाल से सटे खड़े हैं। लेकिन जब हम नीचे वाले दरवाजे पे खड़े होंगे अगर उस समय उन सबों ने गोली चलाई, तो हमारी पीठ उनकी ओर होगी। बहुत मुश्किल हो जायेगी। मैं इसलिये टाइम पास कर रहा था की। ऊपर से वो दोनों क्या करते हैं। मुझे एक तरकीब सूझी। कुछ रिस्क तो लेना ही था।

मैं- “तुम तीनों इसी तरह दीवार से चिपक के खड़ी रहो…” और मैं झुक के नीचे वाले दरवाजे के पास गया और ऊपर की ओर देख रहा था।

महक ने आह्ह… भरी- “काश इस निगोड़ी दीवाल की जगह ऐसे हैन्डसम जीजू के साथ सटकर खड़ा होना पड़ता…”

गुंजा बोली- “अरी सालियों वो मौका भी आयेगा। ज्यादा उतावली ना हो…”

एक मिनट तक जब कुछ नहीं हुआ तो मुझे लग गया कि कम से कम अब वो ऊपर दरवाजे के पीछे नहीं हैं। मैंने मुड़कर दरवाजे को खोलने की कोशिश की। वो नहीं खुला।-मैंने तो दरवाजा बन्द नहीं किया था। नीचे झुक के एक छेद से मैंने देखने की कोशिश की। तो देखा की बाहर एक ताला लटक रहा था।

मेरी ऊपर की सांस ऊपर, नीचे की नीचे। ये क्या हुआ? दरवाजा किसने बन्द किया? ड्राईवर को तो मैं बोलकर गया था की देखते रहने को। अब।

लड़कियां जो चुहल कर रही थी। वो मैं जानता था की चुहुल कम डर भगाने का तरीका ज्यादा है। लेकिन अब मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था, बाहर से दरवाजा बन्द और ऊपर से ताला। जब कि तय यही हुआ था की हम लोगों को इधर से ही निकलना है।

“कौन हो सकता है वो?” मेरा दिमाग नहीं सोच पा रहा था। मुझे याद आया, अगर दिमाग काम करना बन्द कर दे तो दिल से काम लो, और दिमाग की बत्ती तुरन्त जल गई।

पहला काम- सेफ्टी फर्स्ट। स्पेशली जब साथ में तीन लड़कियां हैं।

तो खतरा किधर से आ सकता है? दरवाजे से, ऊपर से या नीचे से? इसलिये दीवाल के सहारे रहना ही ठीक होगा और डेन्जर का एक्स्पोजर कम करने के लिये। चार के बजाय दो की फाइल में, और फाइल में, एक आगे एक पीछे।

मैं महक के पास गया। और बोला- “चलो तुम कह रही थी ना की दीवाल के बजाय जीजू के तो मैं तुम्हारे आगे खड़ा हो जाता हूँ और गुंजा तुम जैसमिन के आगे…”

महक बोली- “नहीं नहीं। “मैं आपके आगे खड़ी होऊंगी…” और मेरे आगे आकर खड़ी हो गई।

मैं उसकी कमर को पकड़े था की गुन्जा बोली- “जीजू आप गलत जगह पकड़े हैं। थोड़ा और ऊपर…”

महक ने खुद मेरा हाथ पकड़कर अपने एक उभार पे रख दिया और गुंजा की ओर देखकर बोला- “अब ठीक है ना। अब तू सिर्फ जल, सुलग। इत्ते खूबसूरत सेक्सी जीजू को छिपाकर रखने की यही सजा है…”

मैं कान से उनकी बातें सुन रही था, लेकिन आँख मेरी बाहर निकलने वाले दरवाजे पे गड़ी थी। मैंने आल क्लियर सिगनल दे दिया था। इसलिये किसी हेल्प पार्टी की उम्मीद करना बेकार था। नेटवर्क जाम था और अगले आधे घंटे और जाम रहने की बात थी, इसलिये मोबाइल से भी डी॰बी॰ से बात नहीं हो सकती थी। बन्द कोई गलती से कर सकता है लेकिन ताला नहीं, तो कोई बड़ा खतरा आने के पहले। मैं खुद, खुद ही कोई रास्ता निकालना पड़ेगा।

अचानक मुझे एक ब्रेन-वेव आई- “किसी के पास ऐसा नेल कटर है। जिसमें स्क्रू ड्राइवर है?”

जैसमिन ने कहा- “मेरे पास है…”

मैंने उसे लेकर जेब में रख लिया। मैं सोच रहा था की ताले के बोल्ट के जो स्क्रू हैं उन्हें ढीले करके। जोर से धक्का देने पर ताला कैसा भी हो बोल्ट निकल आयेगा। तब तक ऊपर से सिमेंट चूना गिरने लगा। पहले हल्का-हल्का फिर तेज।

मैं जोर से चिल्लाया- “बचो। सिर सीने में, कान बंद। हाथ से भी सिर ढक लो, पार्टनर को कसकर पकड़ लो…”

तब तक जोर से। बूम हुआ। पहले ऊपर का दरवाजा और साथ में कापियां टूटे फर्नीचर। छत पर से प्लास्टर के टुकड़े। अच्छा हुआ की मैंने महक को कसकर पकड़ रखा था। शाक वेव ऊपर से ही आई। लेकिन अगले पल नीचे का दरवाजा भी टूट करके बाहर। और साथ में हम चारों भी, लुढ़कते पुढ़कते।

“भागो…” मैं जोर से चिल्लाया और हम चारों हाथ में हाथ पकड़कर, स्कूल की बिल्डिंग से दूर 200-250 मीटर बाद ही हम रुके।

सबने एक साथ खुली हवा में सांस ली। अब हम लोगों ने स्कूल की ओर देखा। ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। जिस कमरे में ये लोग पकड़े गये थे, उसकी छत, एक दीवाल काफी कुछ गिर गई थी। सीढ़ी के ऊपर का वरान्डा भी डैमेज हुआ था। अभी भी थोडे बहुत पत्त्थर गिर रहे थे।

बाम्ब एक्स्प्लोड किसने किया? उन दोनों का क्या हुआ? मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।


तब तक फायरिंग की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा- टैक-टैक। सेल्फ लोडेड राईफल और आटोमेटिक गन्स की, 25-30 राउन्ड। सारा फायर प्रिन्सीपल आफिस की ओर केन्द्रित था। वो तो हम लोगों को मालूम था की वहां कोई नहीं हैं। स्कूल की ओर से कोई फायर नहीं हो रहा था।

तब तक मेगा फोन पर डी॰बी॰ की आवाज गुंजी- “स्टाप फायर…”

थोड़ी देर में एक पोलिस वालों की टुकडी, कुछ फोरेन्सिक वाले और एक एम्बुलेन्स अन्दर आ गई। कुछ देर बाद एक आदमी लंगड़ाते हुये और दूसरा उसके साथ जिसके कंधे पे चोट लगी थी, चारों ओर पुलिस से घिरे बाहर निकले।

स्कूल के गेट से वो निकले ही थे की धड़धड़ाती हुई 5 एस॰यू॰वी॰ और उनके आगे एक सफेद अम्बेसेडर और सबसे आगे एक सफेद मारुती जिप्सी जिसमें पीछे स्टेनगन लिये हुये। लोग बैठे थे, आकर रुकी।
Maza aa gaya Komalji. Jabardast entertaining seen. Sath me shararat bhari erotica. Superb...
 

komaalrani

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Madam, update 2 is as good as update 1...with new characters showing up...as I had said earlier, no wonder, it is (was) a very popular blockbuster story...abhi bhi aapko doubt hain kya?
Btw, I had given a msg to you...yesterday night...and once again, congrats for the other story...jkg...
Also, as the popularity of this story gets going...my request..create index on pg 1 so that it becomes easy for everyone else to know on which page the update is posted..hope you'll think about it. Thanks.
komaalrani
Thanks so much. Your appreciation matters a lot.

There is an index on page 1, which i made at the beginning of this thread on day 1. you might have missed that. It gives page numbers for teasers and now for part 1 and Part 2. I saw your comments and replied that I did post the story on 18th although it was a very long update. And as for your story writing is concerned, please do start. You have read so many stories, analysed them, and appreciated them, so just begin.

Thanks once again, for the encouragement.
 

komaalrani

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कहानीकार सिर्फ एक ही विधा लिखे या जरूरी तो नहीं है न।
एकदम नहीं

मेरी कोई भी दो कहानियां एक जैसी नहीं है विशेष रूप से बड़ी कहानियां, जैसे जोरु का गुलाम, फागुन के दिन चार, ननद की ट्रेनिंग, मोहे रंग दे या सोलहवां सावन। विधा से ज्यादा महत्वपूर्ण है पृष्ठभूमि, कैरेक्टराइजेशन , घटनाएं कहाँ और किस समय घट रही हैं और कैरेक्टर्स का मोटिवेशन क्या है।

और लम्बी कहानियों में एक साथ कई विधायें आती हैं जैसे फागुन के दिन चार में इरोटिका है, रोमांस है, थ्रिलर है. करुण और रौद्र रस भी है।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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एकदम नहीं

मेरी कोई भी दो कहानियां एक जैसी नहीं है विशेष रूप से बड़ी कहानियां, जैसे जोरु का गुलाम, फागुन के दिन चार, ननद की ट्रेनिंग, मोहे रंग दे या सोलहवां सावन। विधा से ज्यादा महत्वपूर्ण है पृष्ठभूमि, कैरेक्टराइजेशन , घटनाएं कहाँ और किस समय घट रही हैं और कैरेक्टर्स का मोटिवेशन क्या है।

और लम्बी कहानियों में एक साथ कई विधायें आती हैं जैसे फागुन के दिन चार में इरोटिका है, रोमांस है, थ्रिलर है. करुण और रौद्र रस भी है।
लघुकथा भी एक विधा ही है।

बाकी वो लिखना बहुत कठिन है मानता हूं।
 

komaalrani

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अरे .. सिर्फ रफूगिरी नहीं है...
बल्कि आपने तो और परिष्कृत किया है...
साथ में कंटीन्यूटी की कमियों को ध्यान में रखते हुए उसे परिपूर्ण किया है...
मुझे लगता है की कैरेक्टर्स के मोटिवेशन का भी ध्यान रखना चाहिए, इसलिए गुड्डी और आनंद के रिश्तों के शुरूआती दिन फ्लैश बैक के रूप में आये। कहानी की साइज भले बढ़ गयी, लेकिन मुझे लगा की इसे कहानी और परिपूर्ण लगेगी। मूल घटनाक्रम और चरित्र में बिना परिवर्तन किये थोड़ा बहुत रफ़ूगीरी,... इसलिए मैंने सभी मित्रों से आग्रह किया है की इसे एक नए संस्करण की तरह पढ़ें देखे।

देवदास हिंदी में अनेक बार बनी और सबका अलग आंनद था।
 

komaalrani

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Nahi nahi T&C apply nahi hua

Kahani niyat taarikh ko post ho gayi maine 18 ka promise kiya tha aur ek hafte men do parts
 

komaalrani

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लघुकथा भी एक विधा ही है।

बाकी वो लिखना बहुत कठिन है मानता हूं।
मैं अपनी दो लघु कथाओ के लिंक दे रही हूँ

कैसी हैं आप कभी खुद पढ़ कर बताइयेगा

१. It’s a hard rain

When the evening is spread out against the sky
Like a patient etherized upon a table…

Dusk was dawning on the glass panes of his window, smoke rubbing its muzzle, peeping from outside, streets following like tedious argument, …every evening, it reminded him of Prufrock’s love poem, more than 12 years had gone, him occupying this cabin, but today was to be last day , last evening,

The clock on the wall reminded him, 10 minutes more, 10 minutes to move out, move out forever.

When the day started, it was like any other.


और दूसरी

लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥

______________________________

ये कहानी ' नेह गाथा ' है , गाँव गंवई की एक किशोरी के मन की ,


रोमांटिक ज्यादा इरोटिक थोड़ी कम ,

फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी ।
भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी ॥
 
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