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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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आइस-पाइस इस मामले में काफी मदद करता था....
और सच में टाइम ट्रेवल करके हम पुराने समय में विचर आए...
क्या बात याद दिला दी आपने

साथ साथ छुपना,... वो दो चार मिनट का स्पर्श ही, सोच सोच के देह को गिनगीना देता था।

और जो ज्यादा ' साहसी ' होते थे वो बात थोड़ा आगे भी बढ़ा लेते थे, बचपन से यौवन का वह सफर, वह पायदान,... जब चारों आँखों के खेल का ककहरा पढ़ना शुरू होता था।

इसलिए मैंने फ्लैशबैक वाले पार्ट्स डाले
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

पृष्ठ १९ पर


UPDATE POSTED


एक दस हजार से अधिक शब्दों वाला मेगा अपडेट

बहुत से नए प्रसंग



कृपया पढ़ें, आनंद ले , लाइक करे और कमेंट करे
 
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Mass

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Thanks so much. Your appreciation matters a lot.

There is an index on page 1, which i made at the beginning of this thread on day 1. you might have missed that. It gives page numbers for teasers and now for part 1 and Part 2. I saw your comments and replied that I did post the story on 18th although it was a very long update. And as for your story writing is concerned, please do start. You have read so many stories, analysed them, and appreciated them, so just begin.

Thanks once again, for the encouragement.
Thank you Madam for your reply and my apologies that I missed out (as you rightly pointed out) about the index. Such info really helps. The reason I say is that..not everyone may like to go thru' the comments and replies..(for many reasons). May like to directly jump to the updates...hence suggested...
I am sure, your story will definitely capture the imagination and more readers will comment on it. Btw, shaayad Dr Sahiba busy hain..warna ab tak unka comment aa jaana chahiye tha.. :)
As regards my story writing..am still processing it and trying to come up with the story & plot. Unless and until I am very sure about the story (how to start and how to end), i will not write it....else I will also become part of "unfinished writers/stories" list :)..which I dont like. Hope you understand. If and when I write, I will definitely let you know. Thanks once again.
komaalrani
 

Mass

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Thanks so much. Your appreciation matters a lot.

There is an index on page 1, which i made at the beginning of this thread on day 1. you might have missed that. It gives page numbers for teasers and now for part 1 and Part 2. I saw your comments and replied that I did post the story on 18th although it was a very long update. And as for your story writing is concerned, please do start. You have read so many stories, analysed them, and appreciated them, so just begin.

Thanks once again, for the encouragement.
yes, I saw your reply..and post that only I gave another appreciation to you..."Punctuality....." :) Realized you were on time (how can it be different and any other way...) for this update also...
komaalrani
 
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आनंद भाई साहब तो फिर भी कम उम्र के , थोड़े शर्मीले और थोड़े नातजुर्बेकार थे , औरतों के महफिल मे बड़े बड़े सुरमाओं और होशियार लोगों की हालत पतली हो जाती है । सम्भव ही नही था गुड्डी की मां , चंदा भाभी और रमा मैडम से पार पा जाए ।
चूंकि मजाक का रिश्ता भी था इसलिए कुछ कह भी नही सकते थे और अगर कुछ कह भी देते तो शर्तिया उनकी और भी बखिया उधेड़ी जाती ।
शादी-ब्याह के अवसर पर दुल्हे का ही नही वरन देवर , पिता , चाचा , अन्य रिलेटिव सभी को लक्ष्य कर गारी दी जाती है और उन गारी की विशेषता यह है कि वो अत्यंत ही अश्लील या दिल को खुब चुभने वाली होती है । लेकिन इस की एक खुबी यह भी है कि कोई भी इसे बुरा नही मानता बल्कि लोग खुब मजे ले लेकर सुनते है ।

इस अपडेट मे आनंद के बड़े भाई के शादी का जिक्र हुआ और वहां वो सबकुछ देखने को मिला जो अमूमन हर शादी मे होता है ।

आनंद के लिए एक और भी विचित्र स्थिति उत्पन्न होने वाली है और वो है गुड्डी । मतलब माशूका का नाम भी गुड्डी और कजन बहन का नाम भी गुड्डी ।
इस नाम की वजह से साहब की क्या फजीहत होगी , यह मै अभी से अनुमान लगा सकता हूं । शायद यह फजीहत आनंद के लिए सजा न होकर मजा बन जाए !
वैसे भी दोनो गुड्डी बातचीत के मामले मे नहले पे दहला है ।
होली के अवसर पर हमारे यहां पुआ , मालपुए , गुझिया , ठंडाई ( भांग मिश्रित ) , ड्राई फ्रूट और अगर कोई मांसाहार हो तो नाॅन वेज बनाना एक परम्परा सा बन गया है । इस के वगैर होली पुरी नही लगती ।
भांग का नशा अन्य सभी नशे से काफी अलग होता है । चूँकि होली पर हमारे यहां भी ठंडाई बनता है तो मुझे इसके असर का अच्छी तरह से पता है ।

गांव की महिलाएं डबल मिनिंग्स बातें करने मे शहर वाली महिलाओं से कुछ हद तक आगे रहती है , ऐसा मै समझता हूं । शायद इसका कारण गांव का परिवेश , शादी-ब्याह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत , औरतों का सानिध्य और उनका चंचल और बेवाक अंदाज हो सकता है ।
इस का प्रत्यक्ष एग्जाम्पल आपके इस कथानक मे भी दिखाई दे रहा है ।

गांव मे कोई लड़का अगर थोड़ा सा भी तेज हो , जुगाड़ु हो , थोड़ा-बहुत नॉलेज हो तो उसकी इज्ज़त न सिर्फ पुरुष वर्ग मे बल्कि महिलाओं के जमात मे भी बढ़ जाती है ।
ऐसा ही जुगाडु व्यक्ति हमारे आनंद साहब भी थे । थोड़ी सी कोशिश की और ट्रेन जर्नी का सफर आरामदायक हो गया । ऐसे मे भला कौन औरत प्रभावित नही होती !

सभी अपडेट एक से बढ़कर एक थे । अपडेट के बीच मे शेरो- शायरी , पुराने फिल्मी गीत , लोकगीत , मशहूर कवियों के नग्मे आप की स्टोरी की विशेष पहचान होती है।

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट लिखा आपने ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट कोमल जी ।
 
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Rajizexy

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

१४,४३५

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तब तक वहां एक महिला आई क्या चीज थी। गुड्डी ने बताया की वो चन्दा भाभी हैं। वह भी भाभी यानी गुड्डी की मम्मी की ही उम्र की होंगी, लेकिन दीर्घ नितंबा, सीना भी 38डी से तो किसी हालत में कम नहीं होगा लेकिन एकदम कसा कड़ा। मैं तो देखता ही रह गया। मस्त माल और ऊपर से भी ब्लाउज़ भी उन्होंने एकदम लो-कट पहन रखा था।


मेरी ओर उन्होंने सवाल भरी निगाहों से देखा।

भाभी ने हँसकर कहा अरे बिन्नो के देवर, अभी आयें हैं और अभी कह रहे हैं की जायेंगे। मजाक में भाभी की भाभी सच में उनकी भाभी थी और जब भी मैं भैया की ससुराल जाता था, जिस तरह से गालियों से मेरा स्वागत होता था और मैं थोड़ा शर्माता था इसलिए और ज्यादा। लेकिन चन्दा भाभी ने और जोड़ा-

“अरे तब तो हम लोगों के डबल देवर हुए तो फिर होली में देवर ऐसे सूखे सूखे चले जाएं ससुराल से ये तो सख्त नाइंसाफी है। लेकिन देवर ही हैं बिन्नो के या कुछ और तो नहीं हैं…”

“अब ये आप इन्हीं से पूछ लो ना। वैसे तो बिन्नो कहती है की ये तो उसके देवर तो हैं हीं, उसके ननद के यार भी हैं इसलिए नन्दोई का भी तो…” भाभी को एक साथी मिल गया था।

“तो क्या बुरा है घर का माल घर में। वैसे कित्ती बड़ी है तेरी वो बहना। बिन्नो की शादी में भी तो आई थी। सारे गावं के लड़के… चौदह से उपर तो बिन्नो की शादी में ही लग रही थी, चौदह की तो हो गयी न भैया, "” चंदा भाभी ने छेड़ा।

ये सवाल मेरे से था लेकिन जवाब गुड्डी ने दिया . गुड्डी ने भी मौका देखकर पाला बदल लिया और उन लोगों के साथ हो गई। बोली

“मेरे साथ की ही है। मेरे साथ ही पिछले साल दसवां पास किया था, और चौदह की तो कब की हो गयी। " …”


“अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गई होगी। चौदह की हो गयी मतलब चुदवाने लायक तो हो गयी, अब तो पक्की चुदवासी होगी , भैया, जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा दबवाने वबवाने तो लगी होगी। है न। हम लोगों से क्या शर्माना…”

चंदा भाभी ने मेरी रगड़ाई का लेवल बढ़ा दिया।
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लेकिन मैं शर्मा गया। मेरा चेहरा जैसे किसी ने इंगुर पोत दिया हो। और चंदा भाभी और चढ़ गईं।

“अरे तुम तो लौंडियो की तरह शर्मा रहे हो। इसका तो पैंट खोलकर देखना पड़ेगा की ये बिन्नो की ननद है या देवर…”

भाभी हँसने लगी और गुड्डी भी मुश्कुरा रही थी।


मैंने फिर वही रट लगाई-

“मैं जा रहा हूँ। सुबह आकर गुड्डी को ले जाऊँगा…”


“अरे कहाँ जा रहे हो, रुको ना और हम लोगों की पैकिंग वेकिंग हो गई है ट्रेन में अभी 3 घंटे का टाइम है और वहां रेस्टहाउस में जाकर करोगे क्या अकेले या कोई है वहां…” भाभी बोली।


“अरे कोई बहन वहन होंगी इनकी यहाँ भी। क्यों? साफ-साफ बताओ ना। अच्छा मैं समझी। दालमंडी (बनारस का उस समय का रेड लाईट एरिया जो उन लोगों के मोहल्ले के पास ही था) जा रहे हो अपनी उस बहन कम माल के लिए इंतजाम करने। तुम खुद ही कह रहे हो चौदह की कब की हो गयी . बस लाकर बैठा देना। मजा भी मिलेगा और पैसा भी।

लेकिन तुम खुद इत्ते चिकने हो होली का मौसम, ये बनारस है। किसी लौंडेबाज ने पकड़ लिया ना तो निहुरा के ठोंक देगा और फिर एक जाएगा दूसरा आएगा रात भर लाइन लगी रहेगी। सुबह आओगे तो गौने की दुल्हन की तरह टांगें फैली रहेंगी…”

चंदा भाभी अब खुलकर चालू हो गई थी।
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“और क्या हम लोग बिन्नो को क्या मुँह दिखायेंगे…” भाभी भी उन्हीं की भाषा बोल रही थी। वो उठकर किसी काम से दूसरे कमरे में गईं तो अब गुड्डी ने मोर्चा खोल लिया।

“अरे क्या एक बात की रट लगाकर बैठे हो। जाना है जाना है। तो जाओ ना। मैं भी मम्मी के साथ कानपुर जा रही हूँ। थोड़ी देर नहीं रुक सकते बहुत भाव दिखा रहे हो। सब लोग इत्ता कह रहे हैं…”

“नहीं। वैसा कुछ खास काम नहीं। मैंने सोचा की थोड़ा शौपिंग वापिंग। और कुछ खास नहीं। तुम कहती हो तो…” मैंने पैंतरा बदला।


“नहीं नहीं मेरे कहने वहने की बात नहीं है। जाना है तो जाओ। और शौपिंग तुम्हें क्या मालूम कहाँ क्या मिलता है। यहाँ से कल चलेंगे ना। दोपहर में निकलेंगे यहाँ से फिर तुम्हारे साथ सब शौपिंग करवा देंगे। अभी तो तुम्हें सैलरी भी मिल गईं होगी ना सारी जेब खाली करवा लूँगी…”

ये कहकर वो थोड़ा मुश्कुराई तो मेरी जान में जान आई।

चन्दा भाभी कभी मुझे तो कभी उसे देखती।


“ठीक है बाद में सब लोगों के जाने के बाद…” मैंने इरादा बदल दिया और धीरे से बोला।


“तुम्हें मालूम है कैसे कसकर मुट्ठी में पकड़ना चाहिए…” चन्दा भाभी ने मुश्कुराते हुए गुड्डी से कहा।

“और क्या ढीली छोड़ दूं तो पता नहीं क्या?”
गुड्डी मुस्करा के बोली।


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और मैं भी उन दोनों के साथ मुश्कुरा रहा था। तब तक भाभी आ गईं और गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया। मैं खुद ही बोला- “भाभी ठीक ही है। आप लोग चली जाएंगी तभी जाऊँगा। वैसे भी वहां पहुँचने में भी टाइम लगेगा और फिर आप लोगों से कब मुलाकात होगी…”



चन्दा भाभी तो समझ ही रही थी की। और मंद-मंद मुश्कुरा रही थी। लेकिन भाभी मजाक के मूड में ही थी वो बोली-

“अरे साफ-साफ ये क्यों नहीं कहते की पिछवाड़े के खतरे का खयाल आ गया। ठीक है बचाकर रखना चाहिए। सावधानी हटी दुर्घटना घटी… पिछवाड़े तेल वेल लगा के आये थे की नहीं, अरे बनारस है तुम्हारी ससुराल भी है, फिर फटने वाली चीज कब तक बचा के रखोगे "
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भाभी , गुड्डी की मम्मी अब पूरे जोश में आ गयी थीं और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की उनकी बेटियां, गुड्डी और छुटकी वहीँ बैठीं हैं। दोनों मुस्करा रही थीं।


“अरे इसमें ऐसे डरने की क्या बात है देवरजी, ऐसा तो नहीं है की अब तक आपकी कुँवारी बची होगी। ऐसे चिकने नमकीन लौंडे को तो, वैसे भी ये कहा है ना की मजा मिले पैसा मिले और… कड़वा तेल की आप चिंता न करिये। अरे ये कानपुर जा रही हैं मैं तो हूँ न। पक्का दो ऊँगली की गहराई तक,... नहीं होगा तो कुप्पी लगा के, पूरे ढाई सौ ग्राम पीली सरसों का तेल,... गुड्डी साथ देगी न मेरा बस इन्हे पकड़ के निहुराना रहेगा। अब इतनी कंजूसी भी नहीं की एक पाव तेल के लिए बेचारे देवर की पिछवाड़े की चमड़ी छिले। "

चंदा भाभी तो गुड्डी की मम्मी से भी दो हाथ आगे।”

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गड्डी मैदान में आ गई मेरी ओर से- “इसलिए तो बिचारे रुक नहीं रहे थे। आप लोग भी ना…”


“बड़ा बिचारे की ओर से बोल रही हो। अरे होली में ससुराल आये हैं और बिना डलवाए गए तो नाक ना कट जायेगी। अरे हम लोग तो आज जा ही रहे हैं वरना। लेकिन आप लोग ना…” गुड्डी की मम्मी बोली।


“एकदम…” चन्दा भाभी बोली।

“आपकी ओर से भी और अपनी ओर से भी इनके तो इत्ते रिश्ते हो गए हैं। देवर भी हैं बिन्नो के नंदोई भी। और इनकी बहन आके दालमंडी में बैठेगी तो पूरे बनारस के साले भी, इसलिए डलवाने से तो बच नहीं सकते। अरे आये ही इसलिये हैं की, क्यों भैया वेसेलिन लगाकर आये हो या वरना मैं तो सूखे ही डाल दूँगी। और तू किसका साथ देगी अपनी सहेली के यार का। या…”

चन्दा भाभी अब गुड्डी से पूछ रही थी।

गुड्डी खिलखिला के हँस रही थी। और मैं उसी में खो गया था। भाभी किचेन में चली गई थी लेकिन बातचीत में शामिल थी।

“अरे ये भी कोई पूछने की बात है आप लोगों का साथ दूँगी। मैं भी तो ससुराल वाली ही हूँ कोई इनके मायके की थोड़ी। और वैसे भी शर्ट देखिये कित्ती सफेद पहनकर आये हैं इसपे गुलाबी रंग कित्ता खिलेगा। एकदम कोरी है…”
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गुड्डी ने मेरी आँख में देखते हुए जो बोला तो लगा की सौ पिचकारियां चल पड़ी

“इनकी बहन की तरह…” चंदा भाभी जोर से हँसी और मुझसे बोली,

“लेकिन डरिये मत हम लोग देवर से होली खेलते हैं उसके कपड़ों से थोड़े ही…”

तब तक भाभी की आवाज आई-

“अरे मैं थोड़ी गरम गरम पूड़ियां निकाल दे रही हूँ भैया को खिला दो ना। जब से आये हैं तुम लोग पीछे ही पड़ गई हो…”

चंदा भाभी अंदर किचेन में चली गईं लेकिन जाने के पहले गुड्डी से बोला-

“हे सुन मैंने अभी गरम गरम गुझिया बनायी है। वो वाली (और फिर उन्होंने कुछ गुड्डी के कान में कहा और वो खिलखिला के हँस पड़ी), गुंजा से पूछ लेना अलग डब्बे में रखी है। जा…


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Very erotic update, sabhi ladies milkar pleasantly chhed rahi hain, ek mard ko.✔️✔️✔️
 

Rajizexy

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मिर्ची

“चल मेरे घोड़े चने के खेत में
चने के खेत में बोई थी घूंची, आनंद की बहना को गुड्डी को ले गया मोची,
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तब तक गुड्डी माल पुआ लेकर आई- “एकदम तुम्हारे बहन के गाल जैसा है…”
चन्दा भाभी वहीं से बोली- “कचकचोवा…”

मैंने गुड्डी से कहा ऐसे नहीं तो वो नासमझ पूछ बैठी कैसे। तो मैंने खींचकर उसे गोद में बैठा लिया ओर उसके होंठ पे हाथ लगाकर बोला ऐसे। वो ठसके से मेरी गोद में बैठकर मालपुआ अपने होंठों के बीच लेकर मुझे दे रही थी ओर जब मैंने उसके होंठों से होंठ सटाए तो वो नदीदी खुद गड़प कर गई।

चल तुझे अभी घोंटाता हूँ कहकर मैंने उसके होंठ काट लिए।

उय्यीई, उसने हल्की सी सिसकी ली ओर मुझे छेड़ा-

“हे है ना मेरी नामवाली के गाल जैसा। कभी काटा तो होगा…”
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“ना…” मैंने खाते हुए बोला।

“झूठे। चूमा चाटा तो होगा…”

“ना…”

“ये तो बहुत नाइंसाफी है। चल अबकी मैं होली में तो रहूँगी ना। उसका हाथ पैर बाँधकर सब कुछ कटवाऊँगी…”

और अबकी उसने मालपुआ अपने होंठों से पास करते, मेरे होंठ काट लिए।



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मुझे कुछ-कुछ हो रहा था इत्ती मस्ती खुमारी सी लग रही थी।

तभी चन्दा भाभी की आवाज आई- “अरे गुड्डी और मालपुआ ले जाओ ओर हाँ अपनी नामवाली के यार से पूछना की अब नमक तो ठीक है ना…”

“भाभी नमक तो ठीक है लेकिन मिर्ची थोड़ी कम है…” मैंने खुद जवाब दिया।

“तुमने अच्छे घर दावत दी…”

गुड्डी मुझसे बोलते, मुश्कुराते, मुझे दिखाकर अपने चूतड़ मटकाते किचेन की ओर गई ओर सच। अबकी चन्दा भाभी की आवाज खूब ठसके से जोरदार।


“चल मेरे घोड़े चने के खेत में चने के खेत में,

चने के खेत में बोई थी घूंची, आनंद की बहना को गुड्डी छिनार को ले गया मोची,

दबावे दोनों चूची चने के खेत में। चने के खेत में,

चने के खेत में पड़ी थी राई। चने के खेत में।

आनंद साले की बहना को गुड्डी छिनार को ले गया मेरा भाई,

कसकर करे चुदाई चने के खेत में, चने के खेत में।


और अब भाभी गुड्डी की मम्मी जोश में आ गयी और अब वो खूब टनकदार आवाज में गा रही थीं और चंदा भाभी उनका साथ दे रही थीं,

चने के खेत में, हो चने के खेत में पड़ा था पगहा, चने के खेत में पड़ा था पगहा

गुड्डी रंडी को, गुड्डी भाई चोद को ले गया, अरे ले गया, गदहा चने के खेत में

अरे चोद रहा , अरे आनंद भैया की बहिनी को चोद रहा गदहा चने के खेत में

अरे चने के खेत में चने के खेत में पड़ा था रोड़ा,

आनंद भैया की अम्मा को ले गया घोड़ा, चने के खेत में, चने के खेत में।

आनंद भैया की महतारी को ले गया घोड़ा, चने के खेत में, चने के खेत में।

घोंट रही लौड़ा, चने के खेत में।

अरे आनंद भैया की महतारी घोंट रही लौड़ा, चने के खेत में।


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“तो क्या गदहे घोड़े से भी?”

चन्दा भाभी ने वहीं से मुझसे पूछा- “बड़ी ताकत है तोहरी बहन महतारी में भैया …”

और यहाँ गुड्डी पूरी तरह पाला पार कर गई थी। बैठी मेरे पास थी लेकिन साथ। वहीं से उसने और आग लगाईं।

“अरे उसकी गली के बाहर दस बारह गदहे हरदम बंधे रहते हैं ना विश्वास हो तो उनके भैया बैठे हैं पूछ लीजिये…”

“क्यों?” चन्दा भाभी ने हँसकर पूछा और छेड़ा “तब तो तुम्हारा प्लान सही था उसको दालमंडी लाने का। दिन रात चलती उसको मजा मिलता और तुमको पैसा। क्यों है ना?”
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तब तक उस दुष्ट ने दही बड़े में ढेर सारी मिर्चे डालकर मेरी मुँह में डाल दी। मैं चन्दा भाभी की बात सुनने में लागा था। इत्ती जोर की मिर्च लगी की मैं बड़ी जोर से चिल्लाया पानी।

“अरे एक गाने में ही मिर्च लग गई क्या?” हँसकर चंदा भाभी ने पूछा।

“ऊपर लगी की नीचे?” भाभी क्यों पीछे रहती।

“अरे साफ-साफ क्यों नहीं पूछती की गाण्ड में मिर्च तो नहीं लग गई…” चन्दा भाभी भी ना।

पानी तो था लेकिन उस रस नयनी के हाथ में ओर वह कभी उसे अपने गोरे गालों पे लगाकर मुझे ललचाती कभी अपने किशोर उभारों पे। मुझसे दूर खड़ी-

“चाहिए क्या?” आँखें नचाकर हल्के से वो बोली।

“ऐसे मत देना सब कुछ कबूल करवा लेना पहले…” चन्दा भाभी वहीं से बोली।

“जरा गंगाजी वाला तो सुना दो इनको…” भाभी ने चंदा भाभी से कहा।

गुड्डी अब पास आकर बैठ गई थी लेकिन ग्लास वाला हाथ अभी भी दूर था- “बड़े प्यासे हो…” वो ललचा रही थी, तड़पा रही थी।

“हाँ…” मैंने उसी तरह हल्के से कहा।

“किस चीज की प्यास लगी है?” गुड्डी ने आँख नचाकर ग्लास अपने सीने से लगाकर, आती हुई अमिया को दबाकर ललचाते पूछा।
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“तुम्हारी…”

उसने ग्लास से एक बड़ा सा घूँट लिया। और ग्लास अपने हाथ से मेरे होंठों से लगा दिया। हँसकर वो बोली, जूठा पीने से प्यार बढ़ता है, और मेरे हाथ से ग्लास लेकर बाकी बचा पानी पी गई।

“कब बुझेगी प्यास?” मैंने बेसब्र होकर उसके कानों में हल्के से पूछा।

“बहुत जल्द। कल। अभी मेरी पांच दिन की छुट्टी चल रही है। कल आखिरी दिन है…” और वो ग्लास लेकर बाहर चली गई।
Erotic songs 👌👌👌
 

Rajizexy

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Awesome super duper gazab updates, the best writing✍️
👌👌👌👌👌👌
💯💯💯💯💯
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Awesome super duper gazab updates, the best writing✍️
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Raji Madam, mera post/reply padha kya? Kal Komal Madam se aapke baare mein hi keh raha tha...and here you are.
Super...hope you are doing good. Look forward to you starting the stories. Thanks.
Rajizexy komaalrani
 

Rajizexy

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Raji Madam, mera post/reply padha kya? Kal Komal Madam se aapke baare mein hi keh raha tha...and here you are.
Super...hope you are doing good. Look forward to you starting the stories. Thanks.
Rajizexy komaalrani
Thanks for remembering dear favorite but I am sorry dear, still I have not decided about writing✍️.
Not sure yet about the timing.
Missing my writing ability & readers badly.
 
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