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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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komaalrani

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खाने पीने के समय ससुराल में गारियों से स्वागत....
अब तो जागो आनंद बाबु...
कितने दिन शरमाते रहोगे....
गुड्डी के मम्मी है न जगाने के लिए

लेकिन सोया शेर जब जग गया तो कोई नहीं बचेगा, गुड्डी तो खैर बचेगी ही नहीं

लेकिन शेर जागने के बाद तो सिर्फ गुफा ढूंढेगा, तो चाहे गुड्डी की मम्मी की हो या,


और शायद मन ही मन गुड्डी की मम्मी चाहती भी हों
 

komaalrani

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कुछ नया पेश किया..
मेरा मतलब है पिछली बार से...
शरारत और मस्ती से भरपूर....
फ्लैश बैक के ये तीन पार्ट गुड्डी और आंनद बाबू के हिसाब से किया गया और बाकी पार्ट्स में भी रफ़ूगीरी,

जिससे गुड्डी और आनंद बाबू के रोमांस का बैकगॉउन्ड पता चल जाए, फिर आगे भी बार बार गुड्डी की माँ, गुड्डी के गाँव का और आम की बाग़ का जिक्र आएगा तो उसकी पूर्व पीठिका भी।

लेकिन मैंने पूरी कोशिश की,, कि इससे कहानी बोझिल न हो और कहानी का जो मुख्य रस इस भाग का एक टीनेज रोमांस वही रहे,

आपको अच्छा लगा, बहुत बहुत धन्यवाद, आभार।
 

komaalrani

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" बोलो पसंद है, करा दूँ शादी। "
ये सवाल तो उनके मन को तसल्ली देने वाला है...
और एक के साथ एक (सास) बल्कि सालियाँ भी फ्री....
और आई-पिल का चक्कर और ना हीं कंडोम...
चमड़ी से चमड़ी रगड़ते-दरेड़ते..
दोनों को मजे...
मन तो उनका था ही थोड़ा थोड़ा नहीं बल्कि काफी


असली चीज थी जब गुड्डी ने उन्हें चुन के अक्षत मारा था और अपनी बात उन्होंने बड़ी हिम्मत कर के विदाई के समय गुड्डी से कह ही दी थी,

भाभी का बीड़ा तो लगा सही, लेकिन उसका एकदम सीधे मेरे सीने पर और मैंने पकड़ लिया, सम्हाल कर रख लिया। बीड़ा मारने के बाद नाउन और सहेलियां, तुरंत दुल्हन को हटा लेती हैं, लेकिन वो थोड़ी देर तक वहीं और उसके साथ मेरी निगाहें भी,


द्वारपूजे के बाद जब वो दिखी, तो मैंने बस इतना कहा की तुम्हारा निशाना एकदम सही लगा,

वो मुस्करायी और बस बोली की लेकिन कुछ लोग ऐसे बुद्धू होते हैं जिनका निशाना लग भी जाता है उन्हें पता नहीं चलता।

बाद में समझा मैं उसकी बात का मतलब,...

लेकिन मैंने तय कर लिया था जाने के पहले उससे कह दूंगा अपनी बात। और वो विदाई के समय मिली,...

और मैंने वो बीड़ा अक्षत दिखाया, उसने मुस्करा के पूछा, .. अब तक सम्हाल के रखे हो, कब तक रखोगे। हिम्मत कर के जो मैंने दस बार रिहर्सल किया था बोल दिया,

"जब तुम दुबारा इसी छत से बीड़ा मारोगी तब तक,...."

वो ज्यादा समझदार थी मुझसे, बोली,... ज्यादा सपने नहीं देखने चाहिए, बाद में तकलीफ होती है।

पर आनंद बाबू से जब पूछा गया तो बजाय कुछ जवाब देने के हालत खराब हो गयी,

और मैं लजा गया, जैसे मेरे चेहरे पर किसी ने ईंगुर पोत दिया हो एकदम पलके झुकी।

बोली गुड्डी भी कुछ नहीं लेकिन नेल पालिश लगाते लगाते हाथ दबा के उसने अपनी बात कह दी। और उसने आँखे भी नीचे नहीं, वो पीछे हटने वाली नहीं थी , बल्कि आनंद बाबू को भी खींच के साथ ले चलने वाली थी।


गुड्डी और आनंद के इन्ही चित्रों को संजोने के लिए ये पार्ट आये।
 

komaalrani

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ये चांदनी पिक्चर का गाना तो उस समय की हर शादी में ...
और लड़के भी...
ये परिवर्धित पेशकश भी शानदार लगा....
थैंक्स बहुत सही कहा आपने

और गुड्डी जिस वयसंधि की सीढ़ी पर खड़ी थी ' चोली छोटी होना ' सिर्फ मुहावरा नहीं था।
 

komaalrani

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चंदा भाभी भी प्यासी हैं..
आखिर पति साल-दो साल में दुबई से...
इशारेबाजी तो खूब चल रही है...
नाप-जोख भी चल रही है...
अब तो चंदा भाभी को हीं मामला अपने हाथ में लेना होगा.. (बल्कि चूत में)..
एकदम सही कहा आपने

बल्कि हांका कर के शेर को पास में लाना होगा, जो हालत आनंद बाबू की है
 

komaalrani

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असली पावर तो आनंद बाबु को अभी दिखानी है...
और ट्रेनिंग भी दोनों की.. (ऑफिस और घर पर गुड्डी और चंदा भाभी)... आनंद बाबु सफलतापूर्वक कंप्लीट करेंगे...
सही कहा आपने

और रोमांस का पहला ककहरा ( और सफल दाम्पत्य जीवन का भी ) वो सीख चुके हैं,

कुछ पाना होगा तो कुछ हारना होगा, हार में ही जीत है।

शीस उतारो, भुई धरो, तब पैंठों घर माहीं।
 

komaalrani

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Thanks bhai...agar start kiya to language would be Hinglish..even though I like Hindi fonts as well..but takes a lot of time. Typing in Hinglish is much easier :)
Also, unlike other writers (with exception), once I start (as of now, kab.
Pata nahi) the story, I will try to give regular updates...but will let you know once I start it..thanks.
motaalund
Main bhi intezaar karungi

aur Hinglish ya roman script men koyi buraayi nahi balki readership jyada milati hai.

I am sure aapki story bahoot popular hogi, bas shuru kar dijiye. 4-5 part likh kar post karnaa shuru kariye, end ke chaakar men naa padiye ek baar story shuru hone ke baad disha badlati rahati hai.
 

komaalrani

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बहुत - बहुत आभार कोमल जी

लेकिन इसे रफू मत कहिए बल्कि ये तो गोटा, आरी - तारी या भारी काम वाली जैसा कुछ किया है आपने।

सादर
🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

पृष्ठ १९ पर



UPDATE POSTED


एक दस हजार से अधिक शब्दों वाला मेगा अपडेट

बहुत से नए प्रसंग


कृपया पढ़ें, आनंद ले , लाइक करे और कमेंट करे
 

komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में -

भाग ७९ -हिना और दूबे भाभी

अपडेट पोस्टेड

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