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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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गुड्डी के मम्मी है न जगाने के लिएखाने पीने के समय ससुराल में गारियों से स्वागत....
अब तो जागो आनंद बाबु...
कितने दिन शरमाते रहोगे....
फ्लैश बैक के ये तीन पार्ट गुड्डी और आंनद बाबू के हिसाब से किया गया और बाकी पार्ट्स में भी रफ़ूगीरी,कुछ नया पेश किया..
मेरा मतलब है पिछली बार से...
शरारत और मस्ती से भरपूर....
मन तो उनका था ही थोड़ा थोड़ा नहीं बल्कि काफी" बोलो पसंद है, करा दूँ शादी। "
ये सवाल तो उनके मन को तसल्ली देने वाला है...
और एक के साथ एक (सास) बल्कि सालियाँ भी फ्री....
और आई-पिल का चक्कर और ना हीं कंडोम...
चमड़ी से चमड़ी रगड़ते-दरेड़ते..
दोनों को मजे...
थैंक्स बहुत सही कहा आपनेये चांदनी पिक्चर का गाना तो उस समय की हर शादी में ...
और लड़के भी...
ये परिवर्धित पेशकश भी शानदार लगा....
एकदम सही कहा आपनेचंदा भाभी भी प्यासी हैं..
आखिर पति साल-दो साल में दुबई से...
इशारेबाजी तो खूब चल रही है...
नाप-जोख भी चल रही है...
अब तो चंदा भाभी को हीं मामला अपने हाथ में लेना होगा.. (बल्कि चूत में)..
सही कहा आपनेअसली पावर तो आनंद बाबु को अभी दिखानी है...
और ट्रेनिंग भी दोनों की.. (ऑफिस और घर पर गुड्डी और चंदा भाभी)... आनंद बाबु सफलतापूर्वक कंप्लीट करेंगे...
Main bhi intezaar karungiThanks bhai...agar start kiya to language would be Hinglish..even though I like Hindi fonts as well..but takes a lot of time. Typing in Hinglish is much easier
Also, unlike other writers (with exception), once I start (as of now, kab.
Pata nahi) the story, I will try to give regular updates...but will let you know once I start it..thanks.
motaalund
बहुत - बहुत आभार कोमल जी
लेकिन इसे रफू मत कहिए बल्कि ये तो गोटा, आरी - तारी या भारी काम वाली जैसा कुछ किया है आपने।
सादर