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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Mass

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Main bhi intezaar karungi

aur Hinglish ya roman script men koyi buraayi nahi balki readership jyada milati hai.

I am sure aapki story bahoot popular hogi, bas shuru kar dijiye. 4-5 part likh kar post karnaa shuru kariye, end ke chaakar men naa padiye ek baar story shuru hone ke baad disha badlati rahati hai.
Thank you dear for the Inspiration...Zaroor...max is weekend tak start kar doonga...
aap aur Dr Sahiba Rajizexy hi mera inspiration ho....ofcourse, I will not match both of your standards..but maybe marks for attempt. Thanks once again.
komaalrani Rajizexy
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

पृष्ठ १९ पर



UPDATE POSTED


एक दस हजार से अधिक शब्दों वाला मेगा अपडेट

बहुत से नए प्रसंग


कृपया पढ़ें, आनंद ले , लाइक करे और कमेंट करे
 

komaalrani

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komaalrani

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Wow trap par amezing trick use ki he. Jabardast.
Is story men aise dher saare thrill ke elements hai. Ye ek jhalaki thi, thanks so much
 

komaalrani

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Maza aa gaya Komalji. Jabardast entertaining seen. Sath me shararat bhari erotica. Superb...
Thanks teaser aapko pasand aaya to story bhi pasand aayegi

do part post ho gaye hain

Part 1 Page 11

Part 2 Page 19
 

Shetan

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Is story men aise dher saare thrill ke elements hai. Ye ek jhalaki thi, thanks so much
Zalak me bhi kahani maze de rahi he. Me vo bhi padhungi. Kuchh update to 2 bar padhe.
 

komaalrani

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आनंद भाई साहब तो फिर भी कम उम्र के , थोड़े शर्मीले और थोड़े नातजुर्बेकार थे , औरतों के महफिल मे बड़े बड़े सुरमाओं और होशियार लोगों की हालत पतली हो जाती है । सम्भव ही नही था गुड्डी की मां , चंदा भाभी और रमा मैडम से पार पा जाए ।
चूंकि मजाक का रिश्ता भी था इसलिए कुछ कह भी नही सकते थे और अगर कुछ कह भी देते तो शर्तिया उनकी और भी बखिया उधेड़ी जाती ।
शादी-ब्याह के अवसर पर दुल्हे का ही नही वरन देवर , पिता , चाचा , अन्य रिलेटिव सभी को लक्ष्य कर गारी दी जाती है और उन गारी की विशेषता यह है कि वो अत्यंत ही अश्लील या दिल को खुब चुभने वाली होती है । लेकिन इस की एक खुबी यह भी है कि कोई भी इसे बुरा नही मानता बल्कि लोग खुब मजे ले लेकर सुनते है ।

इस अपडेट मे आनंद के बड़े भाई के शादी का जिक्र हुआ और वहां वो सबकुछ देखने को मिला जो अमूमन हर शादी मे होता है ।

आनंद के लिए एक और भी विचित्र स्थिति उत्पन्न होने वाली है और वो है गुड्डी । मतलब माशूका का नाम भी गुड्डी और कजन बहन का नाम भी गुड्डी ।
इस नाम की वजह से साहब की क्या फजीहत होगी , यह मै अभी से अनुमान लगा सकता हूं । शायद यह फजीहत आनंद के लिए सजा न होकर मजा बन जाए !
वैसे भी दोनो गुड्डी बातचीत के मामले मे नहले पे दहला है ।
होली के अवसर पर हमारे यहां पुआ , मालपुए , गुझिया , ठंडाई ( भांग मिश्रित ) , ड्राई फ्रूट और अगर कोई मांसाहार हो तो नाॅन वेज बनाना एक परम्परा सा बन गया है । इस के वगैर होली पुरी नही लगती ।
भांग का नशा अन्य सभी नशे से काफी अलग होता है । चूँकि होली पर हमारे यहां भी ठंडाई बनता है तो मुझे इसके असर का अच्छी तरह से पता है ।

गांव की महिलाएं डबल मिनिंग्स बातें करने मे शहर वाली महिलाओं से कुछ हद तक आगे रहती है , ऐसा मै समझता हूं । शायद इसका कारण गांव का परिवेश , शादी-ब्याह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत , औरतों का सानिध्य और उनका चंचल और बेवाक अंदाज हो सकता है ।
इस का प्रत्यक्ष एग्जाम्पल आपके इस कथानक मे भी दिखाई दे रहा है ।

गांव मे कोई लड़का अगर थोड़ा सा भी तेज हो , जुगाड़ु हो , थोड़ा-बहुत नॉलेज हो तो उसकी इज्ज़त न सिर्फ पुरुष वर्ग मे बल्कि महिलाओं के जमात मे भी बढ़ जाती है ।
ऐसा ही जुगाडु व्यक्ति हमारे आनंद साहब भी थे । थोड़ी सी कोशिश की और ट्रेन जर्नी का सफर आरामदायक हो गया । ऐसे मे भला कौन औरत प्रभावित नही होती !

सभी अपडेट एक से बढ़कर एक थे । अपडेट के बीच मे शेरो- शायरी , पुराने फिल्मी गीत , लोकगीत , मशहूर कवियों के नग्मे आप की स्टोरी की विशेष पहचान होती है।

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट लिखा आपने ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट कोमल जी ।
इतने अच्छे कमेंट के बाद कुछ कहने को बचता नहीं, फिर भी

दो बातें

गोस्वामी जी का सहारा लेती हूँ,...

निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका

जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं।


( अपनी रचना कैसी भी हो, हर किसी को अच्छी लगती है। लेकिन दूसरें की रचना पढ़कर हर्षित होने वाले बहुत विरले ही उत्तम पुरुष हैं )

आप उन विरले लोगो में हैं, जिन्हे दूसरे की रचना अच्छी लगती है।

दूसरी बात, कथा के कथ्य पर तो बहुत लोग चर्चा कर लेते हैं, कहानी क्या कह रही है, क्या लिखा गया लेकिन उसके शिल्प पर प्रकाश डालने वाले उसके क्राफ्ट को समझने वाले और उसे कह पाने वाले भी विरले ही होते हैं , और आप उन विरले लोगों में हैं। अच्छा गाना हम सबको अच्छा लगता है लेकिन विज्ञ ही उसके सुर ताल को समझने वाले होते हैं।

आप ने जैसे गारी की बात की, उसके सामजिक सरोकार की बात की, शादी के बिसरते जा रहे रीत रिवाजो की बात की ग्रामीण माहौल में महिलाओ के बीच खुलेपन की बात की और ये वो बिल्डिंग ब्लाक है, वो ईंट गारा चूना जिनसे कहानी का यह भवन खड़ा हुआ, जो बनने के बाद दिखता तो नहीं पर कहानी को शेप देता है,

गारी अब सबसे ज्यादा विलुप्त हो रहे लोकगीतों में हैं लेकिन उसकी परम्परा में कुछ अलिखित नियम से है जो मैंने इस भाग में ध्यान देकर फॉलो किया। जैसे शादी ब्याह में जब औरते इकट्ठा होती है ( अब लेडीज संगीत ने सब संगीत गायब कर दिया ) तो पहले पांच गाने देवता के होते थे और बाद में शादी और अंत आते आते खुल के गारिया, लेकिन रस्म रिवाज की गारी में भी पहले थोड़ी हलकी ज्यादा शराफत वाली गालियां , इसलिए इसमें भी पहली गारी हलकी फुलकी है " आनंद की बहिना बिके कोई ले लो " और फिर धीरे धीरे माहौल गर्माता है , कभी गाने वालियां जोश में आ जाती हैं तो कभी सुनने वाला उकसाता है, तो कभी दोनों, ... और मिर्ची वाले पार्ट में गारी होने एक्स्ट्रीम पर पहुँचती है।

दूसरी बात खाने खाते समय जो गारी गयी जाती है, अक्सर स्त्रियां ओट में होती हैं। शादी में भात के समय के गाने में स्त्रियाँ किसी कमरे में या आस पास बैठ के बिना सामने आये, और इस कहानी में भी गुड्डी की मम्मी और चंदा भाभी किचेन में ओट में है , दूत की तरह गुड्डी है।

फ्लैश बैक के प्रसंग मैंने गुड्डी और आनंद के रोमांस के पूर्वराग को उजागर करने के लिए डाला, और इसमें एक प्रसंग था बीड़ा -अक्षत फेंकने का,... हर बार पहल गुड्डी ने ही किया, रसगुल्ला खिलाने से शुरू कर के, जो छेड़ छड़ से शुरू हुआ लेकिन धीरे धीरे परवान चढ़ा पर एक बार आनंद ने भी सायास अपनी मन की बात कहंने की कोशिश की,...

" लेकिन मैंने तय कर लिया था जाने के पहले उससे कह दूंगा अपनी बात। और वो विदाई के समय मिली,...

और मैंने वो बीड़ा अक्षत दिखाया, उसने मुस्करा के पूछा, .. अब तक सम्हाल के रखे हो, कब तक रखोगे। हिम्मत कर के जो मैंने दस बार रिहर्सल किया था बोल दिया,

"जब तुम दुबारा इसी छत से बीड़ा मारोगी तब तक,...."

वो ज्यादा समझदार थी मुझसे, बोली,... ज्यादा सपने नहीं देखने चाहिए, बाद में तकलीफ होती है।

और बात उसकी सही थी, शादी ब्याह में इस तरह की मुलाकात, दोस्ती, अक्सर कुछ दिनों में धुंधला जाती है ,और बाद में जैसे किताबों में रखे फूल कुछ बातें याद दिला देते हैं उसी तरह से, ...

लेकिन गुड्डी, गुड्डी थी।



" इसी छत " वाली बात जुडी है कहानी के पहले भाग में ही इस बात का जिक्र आता है की आनंद बाबू के भाभी की शादी गुड्डी की मम्मी के घर से हुयी थी और आगे जब गुड्डी और आनंद बाबू की शादी तय हुयी तो एक शर्त थी शादी गाँव से होगी, तीन दिन की बरात।

यानी इसी छत से अक्षत फेंकने वाली बात पूरी होगी।

इस लिए मेरे लिए कहानी लिखने में टाइम लगे लेकिन उसका शिल्प महत्वपूर्ण है और खुशी तब होती है जब कोई कथ्य के साथ उसके क्राफ्ट को भी समझता है अप्रिशिएट करता है।

एक बार फिर से आभार, नमन धन्यवाद और अनुरोध की आप इसी तरह इस कथा यात्रा में साथ देते रहेंगे।
 

komaalrani

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Zalak me bhi kahani maze de rahi he. Me vo bhi padhungi. Kuchh update to 2 bar padhe.
Thanks so much, aap aise friends ke sahare main story start karti hun. aur aapki stories men bhi action bahoot accha rahata hai isliye aap action aur thrill ko badhiya aaprecaite kar rahi hain .

thanks once again
 

komaalrani

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Very erotic update, sabhi ladies milkar pleasantly chhed rahi hain, ek mard ko.✔️✔️✔️
Thanks so much for your inspiring comments, aapke support aur vishwas ke sahare hi maine ye story shuru ki. Thanks again
 

komaalrani

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Erotic songs 👌👌👌
These songs are sung on the occasion of a wedding and for teasing. The Punjabi equivalent will be Sihtniyan folk songs in true rustic flavor. Thanks so much. They are more of bawdy teasing popular in Hindi region.
 
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