• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica फागुन के दिन चार

Sutradhar

Member
225
653
93
अपडेट पोस्ट हो गएँ हैं और अब कमेंट और लाइक्स का इन्तजार
कोमल मैम

हमेशा की तरह ही शानदार और सस्पेंस से भरपूर कि अब आगे क्या होगा ??

गुड्डी की सहेली वाला प्रकरण तो मानो सोने पे सुहागा।

अपडेट का इंतजार रहेगा, अपना ध्यान रखिएगा।

सादर
 

komaalrani

Well-Known Member
21,644
54,845
259
The Last update, Part 23 is on page 299, the previous page. Please read, enjoy and comment.
 

phantomnova

New Member
2
5
3
मेरा एक सवाल है मेरी सबसे प्रिय लेखिका से,
क्या जितना आपकी कहानियों में लिखा होता है , उसका 10% भी सत्य में possible है।
मतलब समाज क्या सच में इतना sexually oriented है (पूर्वांचल में)
 

vakharia

Supreme
4,870
11,001
144
शॉपिंग और गुड्डी की मस्ती

tits-teen.jpg


खैर, हम जब दुकान में घुसे तो गुड्डी जी ने बहुत अहसान करके मेरा मोबाइल मुझे वापस कर दिया।

लेकिन पर्स क्रेडिट कार्ड उसी कि मुट्ठी में, और जब उसने शापिन्ग कि लिस्ट निकाली। उसके हाथ से पर्स तक निकली। मेरी तो रूह कांप गई।

लेकिन मुझे वो कार्ड निकालकर दिखाते हुये बोली- “चिन्ता मत करो बच्चे। मैंने और रीत ने चेक कर लिया था की ये प्लेटीनम कार्ड है, दो लाख तक तो ओवरड्राफ्ट मिलेगा और इसमें भी बैलेन्स काफी है…” वो दुकान ड्रेसेज की थी।

“क्या साइज है?” दूकानदार ने पूछा।

जोबन उभार के गुड्डी बोली- “बस मेरी साइज समझ लीजिये। क्यों?” मुश्कुराकर वो बोली।



dress-samo-sa30gf7casem.jpg


लेकिन पुष्टि के लिये उसने मेरी ओर देखा।

दुकानदार कभी गुड्डी की ओर देखता तो कभी मेरी शर्ट पे पेंट, इश्तहार पे।

तब तक गुड्डी ने आर्डर पेश कर दिया, स्लीवलेश टाप, वो भी हो सके तो शियर। एकदम आइटम गर्ल टाईप और एक लो-कट जीन्स। आप समझ गये ना?”

दुकानदार समझ गया शायद और अन्दर चला गया।

लेकिन मेरे समझ में नहीं आया-

“ये किसके लिये ले रही हो, कौन पहनेगा इतना बोल्ड वो भी…”



“तुम्हारे खिचड़ी वाले शहर में है ना…” खिलखिलाती हुई वो बोली-

“और कौन तुम्हारा माल, तुम्हारी ममेरी बहन गुड्डी (रंजीता), अरे यार उसे पटाना चाहते हो, उससे सटाना चाहते हो, तो बाहर से जा रहे हो। होली का मौका है कुछ हाट-हाट गिफ़्ट तो ले जानी चाहिये ना। तभी तो चिड़िया दाना चुगेगी…”


shalwar-IMG-20230916-185518.jpg


दुकानदार बाहर आया और साथ में कई टाप, सबके सब स्लीवलेश, लो-कट। लाल, गुलाबी, पीला और आलमोस्ट शियर। मेरे तो पैरों के तले जमीन सरक गई। ये कोई भी कैसे?

लेकिन गुड्डी ने तब तक मेरे हाथ में से मोबाइल छीन लिया और एक पिक्चर निकालती हुई दुकानदार को दिखाया। वो बड़ी प्राइवेट सी फोटो थी।

उसने दोनों हाथ एक दूसरे में बाँधकर, सिर के पीछे उभारों को उभार के, मस्ती की अदा में हाट माडल्स की नकल में। मैंने बस मोबाइल से खींच ली। मेरी ममेरी बहन ने मुझसे कहा था की मैं डिलीट कर दूँ लेकिन मैंने बोला की यार मेरे मोबाइल में है कर दूंगा।

बस वो गुड्डी के हाथ और वही पिक्चर।
Rinu-actress-amyra-dastur-hot-portfolio-photoshoot-images-497c68b.jpg


फिर बोली- “ठीक है लेकिन एक नम्बर छोटा…”

“हे हे। अरे थोड़ा कम हाट, पहनने लायक तो हो…” मैंने दुकानदार से रिक्वेस्ट की।

वो बिचारा फिर अन्दर गया।

गुड्डी ने ठसके से बिना मुड़े मुझे सुनाते हुए बोला-


“पहनेगी वो और उसकी सात पुस्त। और पहनाओगे तुम अपने हाथ से। देखना…”

तब तक मेरे फोन पे एक मेसेज आया। नम्बर फोन बुक में नहीं था। मैंने खोला तो लिखा था-


“अरे पांच के बदले पच्चास लग जाय। बिन चोदे ना छोड़ब चाहे जेहल होय जा। अरे बनारस में आकर जरूर मिलना। हो गुड्डी…”

जब तक मैं ये मेसेज देख ही रहा था वो फिर निकला। अबकी उसने जो टाप दिखाए वो थोड़े कम हाट लेकिन तब भी स्लीवलेश तो थे ही।


sheer-top-16-saavan.jpg


“दोनों टाइप के एक-एक दे दीजिये…” गुड्डी बोली। मैं इरादा बदलता उसके पहले गुड्डी ने आर्डर दे दिया।



“हे तू भी तो कोई ले ले…” मैंने गुड्डी को बोला।


वो ना-ना कराती रही पर मैंने उसके लिए भी टाप, कैपरी और एक बहुत ही टाईट लो-कट जीन्स ले ली।
ass-in-jeans-27.jpg



दुकानदार के सामने ही मुझसे बोली- “ये सब तो ठीक है, तेरी वो इसके अन्दर कुछ नहीं पहनेगी क्या? बनारस वालों का तो फायदा हो जाएगा। लेकिन…”

दुकानदार मुश्कुराने लगा और बोला-


“मैं अभी दिखाता हूँ। मेरे पास एक से एक हाट ब्रा पैंटी हैं…” और सचमुच जब उसने निकाली तो हम देखते रह गये। एक से एक। कलर, कट, डिजाइन। विक्टोरिया’स सिक्रेट भी मात खा जाय। जो गुड्डी ने छांटी, कयामत थी।

वो एक तो स्किन कलर को ध्यान से ना देखो तो लगेगा ही नहीं कि अन्दर कुछ पहने हैं की नहीं, और पतली इतनी की निपल का आकार प्रकार सब सामने आ जाय।


bra-sheer-fantazia-102.jpg


लेकिन दुकानदार नहीं माना, और कहा- “मेरी सलाह मानिये तो ये वाली ले जाइये…” और उसने अन्दर से चुनकर एक निकाली।

थी तो वो भी स्किन कलर की लेकिन सिर्फ हाफ कप, अन्डर वायर्ड। और साथ में हल्की सी पैडेड- उभार उभरकर सामने आयेंगे, 30 साल की होगी तो 32 साल की दिखेगी, कप साइज भी एक बडा दिखेगा। क्लीवेज भी पूरा खुलकर…”



अब गुड्डी के लिये सोचने की बात ही नहीं थी। उसने एक पसंद कर लिया और साथ में एक सफेद भी।



मैंने दुकानदार से कहा- “इनके दो सेट दे देना…”

फिर वो पैन्टी ले आया। गुड्डी जब तक चुन रही थी। वो धीरे से आकर बोला-


“साहब। वो जो आखिरी एम॰एम॰एस॰ मिला होगा ना, वो मैंने ही भेजा है…”

मेरा माथा ठनका। तो इसका मतलब- “पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोड़ब। चाहे जेहल होइ जाय…” वाला मेसेज इन्हीं जनाब का था।

तब तक गुड्डी ने दो थान्गनुमा पैन्टी पसन्द कर ली थी। मैंने फिर उसे दो सेट का इशारा किया।

पैक करते हुये वो बोला- “सही चुना आपने इम्पोर्टेड है…”

“तब तो दाम बहुत होगा?” गुड्डी ने चौंक के पूछा।

“अरे रहने दीजिये आपसे पैसे कौन मांगता है? वो मेरा मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा…”

“मतलब। ऐसा कुछ नहीं है…” मैं उसे रोकते हुये बोला।

लेकिन बीच में गुड्डी बोली-

“अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये। होली के बाद जब वो आयेगी ना तो आपके पास लेकर आयेंगे और फिर हम दोनों मिलकर आपकी दुकान लूट लेंगें…”

गुड्डी की कातिल अदा और मुश्कान कत्ल करने के लिये काफी थी।

जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनों हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकालकर पैसे गिन-गिन के रख रही थी। गुड्डी ने जोड़कर बताया। 40% ड्रेसेज पे और 48% बिकनी टाप पे छूट, कुल मिलाकर 42% छूट।

फिर नाराज होकर मेरी ओर देखकर बोली-

“तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो। अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते। बाद की बात किसने देखी है? कौन वो तुम्हारे ऊपर मुकदमा करता? और फिर मान लो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका? फिर इसी बहाने जान पहचान बढ़ती है। अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना। तड़पा दूंगी। बस अपने से 61-62 करते रहना। बल्की वो भी नहीं कर सकते हो। मैंने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इश्तेमाल मत करना…”

और उसके बाद जिस अदा से उसने मुश्कुराकर तिरछी नजर से मुझे देखा, मैं बस बेहोश नहीं हुआ।

-------------------------

उसके बाद एक बाद दूसरी दुकान।
komaalrani
I just wanted to take a moment to express my deep admiration for your extraordinary talent. Your ability to weave stories with such vividness and depth is truly inspiring. Not only do you have an incredible way with words, but you also have a rare gift for capturing the essence of a town life—its beauty, its simplicity, and its quiet complexity.

This remarkable skill of drawing readers into the world you create, almost as if we’re right there, walking along the dusty roads, listening to the hum of everyday life, and feeling the weight of unspoken stories in the air. The character potrayal is top-notch and to-the point too. There’s a rustic charm in your writing that feels both nostalgic and timeless. It's as though you’re not just telling a story, but inviting us into a living, breathing community, one full of nuance and rich detail...

Your narration has a way of making even the most subtle moments feel profound, turning ordinary occurrences into profound reflections on life, love, and the human experience. Whether it’s a passing glance or a fleeting conversation between characters, you breathe life into every interaction, making it resonate deeply.

I am constantly in awe of your ability to balance the simplicity of small-town settings with complex, emotionally rich stories. It’s not an easy thing to do, yet you make it look effortless.

Keep writing, keep narrating, and keep sharing your unique vision with the world. It’s a privilege to read your work, and I look forward to experiencing even more of your incredible storytelling.

With admiration,

vakharia
❤️🧡💛💚💙💜❤️🧡💛💚💙💜❤️🧡💛💚💙💜❤️🧡💛💚💙💜❤️🧡💛💚💙
 

motaalund

Well-Known Member
8,900
20,307
173
ऐसी कहानियों को ही शिक्षाप्रद कहानी कहते हैं।
ऐसा हीं कुछ न कुछ ज्ञानवर्धन आपकी कहानियों से मिलता रहता है...
 
  • Like
Reactions: Sutradhar

motaalund

Well-Known Member
8,900
20,307
173
चंदा भाभी और संध्या भाभी का तो भोग लगा ही लिया और गुंजा का स्वाद तो ले ही लिया था हाँ बस भोग लगते लगते रह गया। और गुड्डी की दावत तो रात में तय ही है।
रीत की प्रीत भी बस छेड़ छाड़ से हीं...
 
Top