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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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komaalrani

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मैं गुड्डी के साथ बाहर निकल आया लेकिन मुझे लग रहा था की मेरा कुछ वहीं छूट गया है। रीत की बात भी याद आ रही थी। आँख फड़कने वाली। लेकिन चाहने से क्या होता है। और खास तौर से जब आपके साथ कोई हसीन नमकीन लड़की हो जो पिछले करीब 24 घंटे से आपकी ऐसी की तैसी करने पे जुटी हो।
ये पहला लाइन हीं बहुत मौजूं है...
हमें भी लग रहा है कि कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ छूट पीछे छूटा रह गया..
लेकिन उम्मीद है कि गुड्डी अपने बनारसी और चुटीले अंदाज में सबको लुभाती रहेगी...
लगता है जब सब कुछ पीछे छूट गया है, तब भी बहुत कुछ साथ चला आता है, जुड़ा रहता है और बनारस तो बना रस है
 

komaalrani

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प्राचीन बनारस और गलियों का समन्वय...
अति उत्तम...
लेकिन अब बहुत कुछ बदलता जा रहा है...
बनारस जितना बदलता है उतना वही रहता है और गलियों का सिर्फ भूगोल ही नहीं केमस्ट्री भी एकदम अलग होती है। और ऊपर से बनारस की गलियां, इसलिए मैंने लिखा की गुड्डी की बातों की तरह, न ओर न छोर और मन करता है कभी ख़त्म ही न हों

वैसे जोरू का गुलाम में अगला अपडेट छप गया है, जहाँ से कहानी मुड़ती है।
 

komaalrani

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पुरानी चीजों पर हसरत भरी निगाहें ..
और नई चीजों पर आश्चर्य भरी दृष्टि....
ये ट्रांजिशन हीं लगता है सतत है...
हर गली में, हर घर में किसी इंसान की कहानी है, कुछ दुःख की कुछ हर्ष की और इस भाग में वो बातें भी कहने की कोशिश की गयी जो आजकल कोई कहता नहीं और कहता भी है तो इंटर फेथ कहानियों में बदल जाती है जिसमे स्टीरियोटाइप्स होते हैं
 

komaalrani

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जैसे लड़के अपने माल पर हक जमाते हैं..
गुड्डी भी अपने यार पर हक और अधिकार दिखा रही है...
लेकिन सहेलियों को मौका मिलते हीं गुड्डी से इशारे से पूछ ताछ...
ननद भाभी के रिश्ते में जाति, धर्म, उम्र कुछ भी आड़े नहीं आती

ननद तो ननद, छेड़ी ही जाएगी
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २३ गुड्डी, बनारस की गलियां और शॉपिंग पृष्ठ २९९

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komaalrani

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यही छुट-पुट बातें कहानियों को रस भरा बनाती हैं...
और ऐसे ऐसे डायलोग गुदगुदा कर बरबस हीं होंठों पर मुस्कान बिखेर जाता है...
और समरसता का रस भी बरसाती हैं
 

komaalrani

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रीत और गुंजा की कारस्तानी रंग ला रही है...
बुकिंग की बोहनी हो गयी लेकिन ननद की बोहनी तो वही करेगा, जिसकी किस्मत में कोरी टटकी ननद लिखी है

ननद का भैया
 

komaalrani

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गुड्डी दूरंदेशी है..
आनंद बाबू का इंतजाम तैयार करवा रही है...
और दूकानदार भी कम रंगीला नहीं है....
जो दिखता है वो बिकता है और अगर ननद को सरे बाजार बेचना है तो उसे ड्रेस भी ऐसी पहनानी होगी

और मार्केटिंग और सेल्स के साथ डिस्काउंट अलग
 

komaalrani

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You are 100% correct in presenting her true potential and caliber..
Particularly her dialogue delivery and presentation of those lines with witty replies is marvelous.
🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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नवंबर के अपडेट
१ जोरू का गुलाम
भाग २३२ खेल खिलौने पृष्ठ १३८४ --४ नवंबर


भाग २३३ बारिश और मस्ती पृष्ठ १३९७ - २७ नवंबर २

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग ९३ - नन्दोई सलहज और सास पृष्ठ ९६३ -- १० नवंबर
भाग ९४ मस्ती सास और सलहज के साथ पृष्ठ ९७१ ---२१ नवंबर

फागुन के दिन चार

भाग २२ -मस्ती संध्या भाभी संग - पृष्ठ २९१ - ३ नवंबर

भाग २३ गुड्डी बनारस की गलियां और शॉपिंग - पृष्ठ २९९ - १७ नवंबर


अगला भाग जल्द
 
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