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लगता है जब सब कुछ पीछे छूट गया है, तब भी बहुत कुछ साथ चला आता है, जुड़ा रहता है और बनारस तो बना रस हैमैं गुड्डी के साथ बाहर निकल आया लेकिन मुझे लग रहा था की मेरा कुछ वहीं छूट गया है। रीत की बात भी याद आ रही थी। आँख फड़कने वाली। लेकिन चाहने से क्या होता है। और खास तौर से जब आपके साथ कोई हसीन नमकीन लड़की हो जो पिछले करीब 24 घंटे से आपकी ऐसी की तैसी करने पे जुटी हो।
ये पहला लाइन हीं बहुत मौजूं है...
हमें भी लग रहा है कि कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ छूट पीछे छूटा रह गया..
लेकिन उम्मीद है कि गुड्डी अपने बनारसी और चुटीले अंदाज में सबको लुभाती रहेगी...