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Erotica फागुन के दिन चार

Sutradhar

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फागुन के दिन चार भाग २४

मस्ती गुड्डी की -मजे शॉपिंग के, पृष्ठ ३०६ अपडेट पोस्टेड

पढ़िए, मजे लीजिये और लाइक और कमेंट जरूर करिये

कोमल मैम

शानदार अपडेट, और मेरे जैसे पूर्व पाठक तो निश्चित ही सांस रोक कर पढ़ रहे होंगे।

सादर
 

komaalrani

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शाॅपिंग के बहाने गुड्डी का वही दिलकश अंदाज ! वही हंसी - परिहास ! वही दिल्लगीपन !
एक बार फिर से गुड्डी के इस अल्हड़पन चरित्र का बेहतरीन वर्णन किया आपने ।
इस शाॅपिंग के दौरान आनंद साहब की वही झिझक , शर्मिलापन दिखाई पड़ी जिसका ताना अक्सर गुड्डी देती रहती है ।
इसके बाद दोनो का एक साथ बुक स्टाल पर अश्लील किताबें खरीदना , फिर फुर्सत के क्षणों मे गुड्डी द्वारा आनंद साहब का इरोटिक मसाज करना , शावर के नीचे स्नान करना और अंत मे गुड्डी का आनंद साहब को लिप सर्विस देना ; हर जगह हर मौके पर बस गुड्डी ही गुड्डी का जलवा था ।
" भांग की पकौड़ी " यह बुक्स काफी साल पहले मैने पढ़ा था । दो फ्रैंड एक दिन पिकनिक स्पाट पर जाते हैं जहां उनकी मुलाकात दो खुबसूरत लड़कियों से होती हैं । इन सभी चारों के दरम्यान सेक्सुअल सम्बन्ध स्थापित होता है लेकिन ट्विस्ट यह है कि इन्ही मे एक लड़की उन एक लड़के की भाभी बन जाती है । यह कहानी काफी इरोटिक थी ।

अंतिम पैराग्राफ मे आपने उत्तर प्रदेश और बिहार के उन नुक्कड़ , उन चाय दुकान , उन महफिल का जिक्र किया जहां पर मर्द अक्सर राजनीतिक बातें करते रहते हैं । यह हंड्रेड पर्सेंट सच है । राजनीति पर ऐसी चर्चा शायद पुरे हिन्दुस्तान मे न होती हो जितना हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार मे होता है ।

इरोटिका प्रसंग के साथ साथ रियलिस्टिक घटनाक्रम का वर्णन आप के लेखनी का उत्कृष्ट तत्व है ।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
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komaalrani

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कोमल मैम

शानदार अपडेट, और मेरे जैसे पूर्व पाठक तो निश्चित ही सांस रोक कर पढ़ रहे होंगे।

सादर
बहुत बहुत आभार

आप ऐसे सुहृदय पाठकों की संख्या बढे जो पढ़ने के साथ अपनी बात भी रखें, बस यही चाहती हूँ मैं , और फिर कहानी की गति बढ़ाना जयादा आसान होगा।

मैंने सोचा था की दिसंबर से हर सप्ताह पोस्ट करुँगी, लेकिन अगर एक बार में मैं ६-७ पार्ट्स पोस्ट करती हूँ तो ६-७ कमेंट्स की उम्मीद तो रहती ही है

अब आगे आगे देखिये,
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३४ क्राइसिस पृष्ठ 1410

अपडेट पोस्टेड

कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 

komaalrani

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शाॅपिंग के बहाने गुड्डी का वही दिलकश अंदाज ! वही हंसी - परिहास ! वही दिल्लगीपन !
एक बार फिर से गुड्डी के इस अल्हड़पन चरित्र का बेहतरीन वर्णन किया आपने ।
इस शाॅपिंग के दौरान आनंद साहब की वही झिझक , शर्मिलापन दिखाई पड़ी जिसका ताना अक्सर गुड्डी देती रहती है ।
इसके बाद दोनो का एक साथ बुक स्टाल पर अश्लील किताबें खरीदना , फिर फुर्सत के क्षणों मे गुड्डी द्वारा आनंद साहब का इरोटिक मसाज करना , शावर के नीचे स्नान करना और अंत मे गुड्डी का आनंद साहब को लिप सर्विस देना ; हर जगह हर मौके पर बस गुड्डी ही गुड्डी का जलवा था ।
" भांग की पकौड़ी " यह बुक्स काफी साल पहले मैने पढ़ा था । दो फ्रैंड एक दिन पिकनिक स्पाट पर जाते हैं जहां उनकी मुलाकात दो खुबसूरत लड़कियों से होती हैं । इन सभी चारों के दरम्यान सेक्सुअल सम्बन्ध स्थापित होता है लेकिन ट्विस्ट यह है कि इन्ही मे एक लड़की उन एक लड़के की भाभी बन जाती है । यह कहानी काफी इरोटिक थी ।

अंतिम पैराग्राफ मे आपने उत्तर प्रदेश और बिहार के उन नुक्कड़ , उन चाय दुकान , उन महफिल का जिक्र किया जहां पर मर्द अक्सर राजनीतिक बातें करते रहते हैं । यह हंड्रेड पर्सेंट सच है । राजनीति पर ऐसी चर्चा शायद पुरे हिन्दुस्तान मे न होती हो जितना हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार मे होता है ।

इरोटिका प्रसंग के साथ साथ रियलिस्टिक घटनाक्रम का वर्णन आप के लेखनी का उत्कृष्ट तत्व है ।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
आप ने चार लाइनों में ही पूरी पोस्ट का चित्र खींच दिया, गुड्डी के अल्लड़पन और मस्ती का और आनंद बाबू की झिझक और हिचक का ।

और ये बात भी आपकी सही है की हर जगह गुड्डी का ही जलवा था, और आगे भी रहेगा

मेरी तीनो कहानियां बदलाव के मोड़ पर कड़ी हैं, इस कहानी में भी थोड़ा रस परिवर्तन होगा और उस की कुछ भूमिका इस पोस्ट के आखिरी हिस्से में भी है

बस इन्तजार हैं शायद एक दो आप ऐसे मित्र पाठक और इस भाग को पढ़ लें, कुछ कमेंट दे। इसी हफ्ते अगली पोस्ट और एक बहुत बड़ी पोस्ट और अबतक की पोस्टों से एकदम अलग

आपके कमेंट का इन्तजार रहेगा

:thanks: :thanks::thanks::thanks:
 

komaalrani

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A Major turn in this story too, like Joru ka Gullam in the next part, waiting for a few comments more,
 

komaalrani

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Will try to post next update in a day or two
 

komaalrani

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komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २५

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