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फागुन के दिन चार भाग २८ - आतंकी हमले की आशंका पृष्ठ ३३५
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बनारस जितना बदलता है उतना वही रहता है और गलियों का सिर्फ भूगोल ही नहीं केमस्ट्री भी एकदम अलग होती है। और ऊपर से बनारस की गलियां, इसलिए मैंने लिखा की गुड्डी की बातों की तरह, न ओर न छोर और मन करता है कभी ख़त्म ही न हों
वैसे जोरू का गुलाम में अगला अपडेट छप गया है, जहाँ से कहानी मुड़ती है।
बनारस जितना बदलता है उतना वही रहता है और गलियों का सिर्फ भूगोल ही नहीं केमस्ट्री भी एकदम अलग होती है। और ऊपर से बनारस की गलियां, इसलिए मैंने लिखा की गुड्डी की बातों की तरह, न ओर न छोर और मन करता है कभी ख़त्म ही न हों
वैसे जोरू का गुलाम में अगला अपडेट छप गया है, जहाँ से कहानी मुड़ती है।
गोदौलिया चौराहा, बनारस
Thanksगोदौलिया चौराहा, बनारस
प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:'। पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी। जहां श्रीहरिके आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदुसरोवर बन गया और प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। ऐसी एक कथा है कि जब भगवान शंकर ने क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया, तो वह उनके करतल से चिपक गया। बारह वर्षों तक अनेक तीर्थों में भ्रमण करने पर भी वह सिर उन से अलग नहीं हुआ। किंतु जैसे ही उन्होंने काशी की सीमा में प्रवेश किया, ब्रह्महत्या ने उनका पीछा छोड़ दिया और वह कपाल भी अलग हो गया। जहां यह घटना घटी, वह स्थान कपालमोचन-तीर्थ कहलाया। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गया।
बहुत बहुत धन्यवाद आभारआनंद की गुड्डी को देखकर मुझे अपनी गुड्डी की याद आ जाती है । उसकी चंचलता , उसकी नाॅन स्टाप बक - बक , उसका मसखरापन , उसका दिल्लगीपन जैसे एक बार फिर से मेरे यादों के झरोखे से बाहर आ गई हो ।
सच कहूं तो यह गुड्डी , बिल्कुल मेरी गुड्डी - जो सरगम फिल्म के जया प्रदा जी की तरह दिखती थी - लग रही है ।
फर्क इतना है कि मेरी प्रेम कहानी के प्रारब्ध मे वियोग लिखा था और इनके प्रेम कहानी का अंजाम संयोग है ।
गुड्डी का बार बार आनंद पर हक जमाना उसके विश्वास को परिभाषित करता है कि वो सिर्फ आनंद के लिए बनी है ।
आनंद का गुड्डी के साथ बनारस के तंग गलियों मे विचरण करना , इन गलियों मे स्थित शैयद चच्चू का छोटा मकान , अस्मा और उसकी भाभी नूर , इन गलियों से लगे बंगाली टोला , लक्सा माॅल , प्राची सिनेमाघर एवं इस इलाके की रौनक और अपनापन मुझे भयभीत करने पर मजबूर कर रहा है कि फ्यूचर मे होने वाले बम ब्लास्ट का टार्गेट यही क्षेत्र न हो !
शायद यह रौनक आने वाले कल की तबाही न हो !
इस कहानी मे एक किरदार वगैर अपनी उपस्थिति के , वगैर एक सीन्स के रीडर्स के लिए सबसे बड़ी हिरोइन बन गई । वह हिरोइन है रंजीता उर्फ गुड्डी ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।