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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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Lo name liya nahi ki aa gai gunja. Vese ye gunja chhutki ki yaad dilati hai. Aur ye bhut banakar kaha se aai. Sadak ke mavali se rajau. Dekh lo. Sali gali mahollo ke mavaliya se holi khel rahi hai kahi. Vese kagaj ko seene pe dabae rakha usne likha bhi kya. Vo man rahi hai ki joban khil raha hai. Bas sajan ki jagah jija nahi likha. Koi bat nahi aage jija ke sath janam bhi likhegi. Dekha kar a diya na tumhari chhoti sali ne muh mittha. Gunja ke jija ki to moj hai. Jo muh bhi mittha karvaegi aur apne malpuaa bhi apne khilaegi.गुंजा
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खुला दरवाजा निकली- गुंजा।
भूत.,,,नहीं सारी, चुड़ैल लग रही थी।
सुबह कैसी चिकनी विकनी होकर गई थी। गोरे गालों पे अबीर गुलाल रंग पेंट, बालों में भी। एक इंच जगह नहीं बची थी, चेहरे पे, यहां तक की मोती ऐसे सफ़ेद दांत भी लाल, बैंगनी। कई कोट रंग लगे थे ,
लेकिन स्कूल यूनिफार्म करीब करीब बची, सिवाय,… सही समझा
सबसे जबर्दस्त लग रहा था उसके सफेद स्कूल युनिफोर्म वाले ब्लाउज़ पे ठीक उसके उरोज पे, उभरती हुई चूची पे किसी ने लगता है निशाना लगाकर रंग भरा गुब्बारा फेंका था। फच्चाक।
और एकदम सही लगा था,… साइड से। लाल गुलाबी रंग। और चारों ओर फैले छींटे। सफ़ेद ब्लाउज यूनिफार्म का एकदम गीला, जुबना से चपका, उभार न सिर्फ साफ़ साफ़ झलक रहे थे बल्कि उस नौवीं वाली के उभार का कटाव, कड़ापन, साइज सब खुल के, मैं उसे दुआ दे रहा था जिसने इतना तक के गुब्बारा मारा था
गुड्डी की निगाह भी वहीं थी।
“ये किसने किया?” हँसकर उसने पूछा। आखीरकार, वो भी तो उसी स्कूल की थी।
“और कौन करेगा?” गुंजा बोली।
“रजउ…” गुड्डी बोली और वो दोनों साथ-साथ हँसने लगी।
पता ये चला की इनके स्कूल के सामने एक रोड साइड लोफर है। हर लड़की को देखकर बस ये पूछता है- “का हो रज्जउ। देबू की ना। देबू देबू की चलबू थाना में…” और लड़कियों ने उसका नाम रजउ रख दिया है। छोटा मोटा गुंडा भी है। इसलिए कोई उसके मुँह नहीं लगता।
“हे टाइटिल क्या मिली?” गुड्डी ने पूछा।
“धत्त बाद में…” उसकी निगाहे मेरी ओर थी।
“अरे जीजू से क्या शर्माना। दे ना तेरे लिए एक गुड न्यूज भी है चल…” गुड्डी बोली।
गुंजा ने टाइटिल वाला कागज अपने सीने के पास छिपाने की कोशिश की। और वही उसकी गलती हो गई। मैंने कागज तो छीना ही। साथ में जोबन मर्दन भी कर दिया।
“हमने माना हम पे साजन जोबनवा भरपूर है…”
मैंने सस्वर पाठ किया। सही तो है उसकी उठती चूचियों को देखते हुए मैंने कहा।
“बस साजन की जगह जीजा होना चाहिए…” गुड्डी ने टुकड़ा लगाया।
“जाइए मैं नहीं बोलती। लेकिन वैसे जीजू आप अच्छे हैं मेरे लिए रुके रहे, लेकिन वो गुड न्यूज क्या है…” गुंजा मुश्कुराकर बोली।
“वही तो तेरे जीजा इत्ते फिदा हो गए तेरे ऊपर की रंग पंचमी में हम लोगों के साथ ही रहेंगे और वो भी दो दिन पहले आ जायेंगे। है ना गुड न्यूज…” गुड्डी हँसकर बोली।
“अरे ये तो बहुत बहुत अच्छी मस्त न्यूज है। एकदम…” और गुंजा आकर मुझसे चिपट गई।
उसकी ठुड्डी उठाकर मैं बोला- “तो फिर कुछ मीठा हो जाए…”
“एकदम…” वो बोली और उसके होंठ सीधे मेरे होंठों पर।
और मैं सुबह की याद कर रहा था इस स्वॉट सेक्सी टीनेजर ने कैसे मुझसे प्रॉमिस करवाया था और मेरी उँगलियों को बदले में अपनी हवा मिठाई का स्वाद,
मैं गुंजा को प्रॉमिस कर रहा था, पक्का तेरा वेट करूँगा, तेरे स्कूल से तेरे आने के बाद ही, तुझसे होली खेल के ही जाऊँगा , श्योर कसम से
लेकिन गूंजा हड़काते हुए बोली,
" दीदी ठीक ही बोलती थीं, आप बुद्धू ही नहीं महा बुद्धू हो, मैंने कहा था सीने पे, दिल पे और आप मेरे टॉप पे हाथ रख के कसम खा रहे हो, ये भी नहीं मालूम की दिल कहाँ होता है। "
और जिस टीनेजर ब्रा के अंदर घुसने में मेरी ऊँगली को सात करम हो रहे थे, माथे पर पसीना आ रहा था, उस लड़की ने, सीधे मेरे दोनों हाथों को पकड़ के ब्रा को दरकाते ऊपर कर के सीधे अपने सीने पर,
मेरे दोनों हाथों में गोल गोल हवा मिठाई,
मेरे हाथ अब हलके हलके उन बस आते हुए उरोजों को सहला रहे थे, कभी कस के भी दबा देते तो उसकी हल्की सी सिसकी निकल जाती, तर्जनी से मैं बस उभर रहे निप्स को फ्लिक कर देता और मस्ती से जोबन पथरा रहे थे , उसकी लम्बी लम्बी चल रही थीं, साफ़ था पहली बार किसी लड़के का हाथ वहां पड़ा था।
" बोलो न प्रॉमिस करो न " हलके हलके गूंजा की आवाज निकल रही थी।
मैं बोला ,
" एकदम तुम्हारा वेट करूँगा, बिना तुझसे होली खेले नहीं जाऊँगा, पक्का। जब भी स्कूल से लौटोगी तब तक, प्रॉमिस, पिंकी प्रॉमिस, , फिर थोड़ा सा टोन बदल के कस के पूरी ताकत से उसकी चूँची रगड़ के मैंने पूछा उससे हामी भरवाई,
" मेरा जहाँ मन करेगा, मैं वहां रंग लगाऊंगा, फिर गाली मत देना, गुस्सा मत होना, "
और गुंजा भी, गुड्डी से भी चार हाथ आगे, मुड़ी और मेरे होंठों पर पहले होंठ रखे फिर बोली,
" आप को जहाँ मन करेगा लगाईयेगा लेकिन मेरा भी जहाँ मन करेगा लगाउंगी, और मन भर लगाउंगी, चुप चाप लगवा लीजियेगा, "
जितने जोर से मैं उसे नहीं चूम रहा था उससे ज्यादा जोर से वो मेरे होंठ चूस रही, अपने भीगे गीले झलकते उभार मेरे खुले सीने पे वो टीनेजर रगड़ रही थी,
गुड्डी दूर खड़ी देख रही थी, मुश्कुरा रही थी। मानो कह रही हो, देख लो तुम कह रहे थे ना। बच्ची है। कोई बच्ची वच्ची नहीं है। तुम्हीं बुद्धू हो।
और गुड्डी की बात की ताईद गुंजा के नव अंकुरित उभारकर रहे थे जो मेरे सीने में दब रहे थे। मैंने गुंजा को और कसकर भींच लीया और मैंने भी पहले तो उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसा और फिर उसके गाल पे भी एक छोटा सा किस किया और उसके फूले फूले गालों को मुँह में भरकर हल्के से काट लिया।
उईई वो चीखी। कुछ दर्द से कुछ अदा से। फिर गुड्डी को देखकर बोली-
“देख दीदी जीजू ने काट लिया। कटखने…”
गुड्डी उसे देखती मुश्कुराती रही और बोली- “तुम सबसे छोटी साली हो, तुम जानो ये जाने। बिचारे तुम्हारे आने का इंतेजार कर रहे थे तो कुछ तो…”
तभी गुड्डी को कुछ याद आया, बोली,
" हे माना यूनिफार्म पे रंग नहीं है लेकिन अंदर, ...?"
शरारत से आँखे नचा के वो मेरी वाली बोली, आखिर वो भी तो उसी स्कूल में पढ़ती थी, बस गुंजा से दो ही क्लास आगे
' कमीनी सब छोड़तीं और वो शाजिया,... " खिलखिलाते हुए गुंजा बोली,
"दिखाओ दिखाओ दिखाओ,... "
मैं गुंजा को गुदगुदी लगाने लगा, लेकिन गुड्डी ने मुझे इशारा किया, सुबह से बनारस की होली खेल के मैं पक्का हो गया था, होली में कुछ भी चलता है और अगर दो एक ओर हों तो, बस पीछे से मैंने उस चंचल रंगी पुती किशोरी की नरम नरम कलाइयां कस के दबोच ली,
और गुड्डी ने आराम से धीरे धीरे, उस का स्कूल का सफ़ेद टॉप उतार के छत के एक कोने में फेंक दिया।
मैं तो पीछे से गुंजा की कलाई पकडे थे लेकिन पीठ पे ही जितना रंग लगा था उसी से मैं चौंक गया, जबरदस्त होली हुयी थी गुंजा की क्लास में।
" हे ये किसके निशान हैं ?" गुड्डी ने सामने से पूछा और गुंजा खिलखिलाती रही, पर गुड्डी बिना मुझे हड़काये कैसे रह सकती थी, तो बोली,
" छोटी स्साली से खाली होली खेलने का शौक है, पूछा नहीं कुछ खाया की नहीं, भूखी तो नहीं है " और गुंजा से बोली,
" बहुत जीजा जीजा करती हो न, देख लो अपने जीजा को, ....चलो मैं लाती हूँ"
चलने के पहले गुंजा को गुड्डी ने हल्का सा धक्का दिया और गुंजा मेरे ऊपर, और मैं नीच।
हम दोनों चौखट के पास बैठे, गुंजा, मेरी साली मेरी गोद में,
और तब मैंने देखा उसकी सहेलियों की बदमाशी, इतना तो मुझे भी अंदाज था मौका पाके लड़कियां टॉप के ऊपर से कभी दबा देती हैं या टॉप की एक दो बटन खोल के ऊपर से अबीर, गुलाल,
लेकिन गुंजा के उभार एक तो वैसे ही जबरदस्त, ऊपर से लाल, काही, नीला, कई कोट रंग अच्छी तरह से उसकी सहेलियों ने रगड़ा पर सबसे मजेदार बात थी
उसकी किसी सहेली के दोनों हाथ के निशान, लगता है गोल्डन पेण्ट दोनों हाथ में लगा के, हथेली फैला के, दोनों उभारों पे पांच पांच उँगलियाँ, जैसे कोई कस कस के उसकी उभरती चूँचीयो पे ,
सुबह स्कूल जाने के पहले इसी टॉप के अंदर छुप छुप के मेरी उँगलियों ने खूब छुआ छुववल खेली थी, हल्के से भी भी दबाया था और कस के रगड़ा भी था,
लेकिन अब एकदम सामने, मैंने गुंजा की कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था
लेकिन गुंजा, गुंजा थी, गुड्डी की असली छोटी बहन, खुद खींच के उसने मेरे दोनों हाथ अपने रसीले मस्त मस्त किशोर उभारों पर रख के दबा दिए, फिर मैं क्यों छोड़ता, अगर कोई साली खुद अपने हाथ से मीठा मीठा मालपूआ अपने जीजा को खिलाये तो कौन जीजा छोड़ सकता है,
लेकिन, गुंजा के कान पे हलकी सी चुम्मी लेते हुए मैं बोला, " सुन यार, मैं तो पहले से ही टॉपलेस था, सिर्फ छोटी सी तौलिया, और तू भी टॉपलेस हो गयी तो क्या "
गुंजा को जो मैंने और गुड्डी ने मिल के उसके दूनो जुबना को आजाद कर दिया था, उसपे कोई एतराज नहीं था, हाँ मेरे टॉवेल पे शायद था।
उसने अपने छोटे छोटे चूतड़ जरा सा रगड़ा और मेरे जंगबहादुर एक बार फिर से फनफना के तौलिये से बाहर निकल आये, हल्की सी तो गाँठ थी, वो भी ढीली पड़ गयी। मेरी छोटी स्साली उन्ह कर के जरा सा उठी और फिर बैठ गयी, इसी में उसका स्कर्ट पीछे से कमर तक उठ गया और
मेरे मूसल राज की किस्मत खुल गयी। नीचे भी कोई ढक्कन नहीं था। मेरे पहलवान की गुंजा की सहेली से मुलाकात हो गयी।
मुझसे पहले वो खुद हलके हलके अपनी कमर आगे पीछे करने लगी, मोटा खुला सुपाड़ा, आप ही सोचिये किसी गोरी बारी उमरिया वाली दर्जा नौ वाली की कसी कसी गुलाबी फांको पे रगड़ा जाएगा तो क्या हालत होगी, और साथ में मेरे हाथ भी, साली के जोबन मुट्ठी में होंगे तो रस लेने को कौन जीजा छोड़ देगा, ऊपर से मेरी गुड्डी ने बोल ही दिया की पहली बात गुंजा छोटी नहीं है और दूसरी बात, साली कभी छोटी नहीं होती, साली होती है। और उभार मेरी साली के सच में गुड्डी से थोड़े ही छोटे होंगे, ३० ++,... कम से कम,
तभी तो उसे टाइटल मिली, हम ने माना हम पर साजन जोबनवा भरपूर है,
वो मिडल ऑफ टीन वाली टीनेजर, सिसक रही थी, मेरे गाल पे अपना गाल रगड़ रही थी,
उसके दोनों हाथ मेरे हाथों को हलके हलके दबा रहे थे जिनमे गुंजा के रसकलश थे, जाँघे गुंजा की हल्के फ़ैल रही थी और कमर भी हिल रही थी। और मेरे लिंगराज भी इतनी लिफ्ट पाके हलके हलके ठीक दोनों दोनों फांको के बीच धक्के लगा रहे थे,
मुझे पता था की इस किशोरी की अब क्या चाहिए था, स्कूल की लड़कियों के साथ होली ने इसे एकदम गर्मा दिया था।
और तभी गुड्डी आ गयी, बियर की बोतले और एक प्लेट में वही भांग वाली गुझिया, बियर मैंने उस शोख टीनेजर अपनी साली की ओर बढ़ाई, तो उसने हलके से बोली , मैंने कभी पहले नहीं पी, बुदबुदा के बोली, और मैंने मुंह में लगा के एक तिहाई बियर खुद, तबतक गुड्डी उसे हड़काते बोली
" अरे कैसी साली हो, जो जीजा को मना करती हो, अरे जो चीज पहले कभी नहीं घोंटी वही तो जीजा घोटात्ते हैं "
" तो घोटाये न मैं कब मना कर रही हूँ, देखिये दीदी, आप भी अब अपने वाले की ओर से बोल रही हैं, पहली बात तो मैं उन सालियों में नहीं जो मना करती हैं , मेरी तो एडवांस में हाँ हर चीज के लिए। लेकिन उससे बड़ी दूसरी बात, वो जीजा कौन जो साली के मना करने पे मान पे जाए, जबरदस्ती न, "
खिलखिलाती मेरी छोटी साली बोली,
" स्साली पूरा बोल न,... जबरदस्ती न पेल दे "
हंसती हुयी गुड्डी बोली और कस के एक धौल गुंजा की पीठ पे
और मैंने गुंजा का सर कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ के मुंह में अपना मुंह चिपका के, मेरे मुंह की सारी बियर अब उस कच्ची काली के मुंह में और वो गट गट कर के पी गयी और मेरे हाथ से बियर की बोतल ले एक बार और,
कस के सुड़क गयी,
Wah man gae. Gunja ko. Bahot pyar aa raha hai use apne jija par. Guddi ne hadkaya ki kuchh lagte nahi kya tere to turant bol padi. Jiju lagte hai. Aur beth gai apne jiju ke khute par.स्कूल में होली
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" हे तेरे स्कूल में होली जबरदस्त हुयी " मैंने कस के दोनों उभारों को मसलते हुए पूछा, जहाँ उसकी सहेलियों ने जम के रंग लगाया था।
गुंजा जोर से खिलखिलाई और गुड्डी की ओर इशारा करते बोली,
" अपनी दिलजनिया से पूछिए न, वो भी तो उसी स्कूल में हैं और दो दिन पहले जब ११ वी की छुट्टी हुयी तो क्या मस्ती काटी इनलोगो ने "
गुड्डी ने गुझिया मुझे खिलाते हुए गुंजा को बनावटी गुस्से से हड़काया, " हे ' अपनी ' का क्या मतलब, तू इनकी नहीं है कुछ क्या ?"
अपना हक़ जताते हुए मेरे खड़े खूंटे पे कस कस के अपने छोटे छोटे खुले चूतड़ गुंजा ने कस के रगड़ा, और बोली,
" एकदम हूँ, और साली का हक़ तो पहले होता है वो भी छोटी साली का, इसलिए तो मैं गोद में बैठी हूँ, क्यों जीजू "
और गुंजा ने कस के चुम्मी ली और अबकी गुंजा के मुंह से , उसके मुख रस के स्वाद के साथ बियर मेरे मुंह में।
और गुड्डी ने सुनाना शुरू किया लेकिन हंसी के मारे, वो बोली, एक तो हम दोनों के स्कुल का नाम ऐसे और फिर ही ही ही
बात गुंजा ने पूरी की और आगे होली के बदलते नियमो की बात भी
एक कोई मारवाड़ी सेठ ने अपनी पूज्य स्वर्गीया की स्मृति में स्कूल बनवाया था, मैनेंजमेंट और कंट्रोल पूरा उन्ही का, नाम था, चूड़ा देवी बालिका विद्यालय,
लेकिन सब लोग चू दे विद्यालय कहते थे, नयी सड़क के पास ही था। गुंजा ने अपने हाथ से बियर मुझे पिलाते हुए हंस के बोला,
" जीजू सोचिये न जिस स्कूल का नाम ही चुदे है वहां की लड़कियां नहीं चुदेंगी तो कहाँ की लड़कियां चुदेंगी"
" तो चुदवा ले न , देख बेचारे इतनी दुर्गत सह के भी छोटी साली के लिए रुके थे "
गुड्डी ने मेरी ओर देखते हुए गुंजा को चढ़ाया,
गुंजा ने बड़े प्यार से मेरे गाल पे एक खूब मीठी वाली चुम्मी ली और बोली, मेरे जीजू चाहे जो करें और गुड्डी ने स्कूल की होली का किस्सा शुरू किया।
पहले रूल्स बहुत स्ट्रिक्ट थे, जब गुड्डी क्लास ८ में थी, होली एकदम मना थी, लेकिन लड़कियां कहाँ मानती थीं तो जबतक गुड्डी नौ में पहुंची तो अबीर गुलाल की होली परमिट हो गयी लेकिन क्लास में नहीं, और वो भी सिर्फ टीका लगा के,
" दी उसमें क्या मजा आता होगा, जबतक अंदर हाथ डाल के गुब्बारे न रगड़े जाएँ " गुंजा ने बियर की एक घूँट लेते हुए कहा।
गुड्डी उसे देख के मुस्करा रही थी, बोली,
" तू क्या सोचती है, मैं थी न। मैं घर से तो गुलाल ही ले गयी घर पे भी नोटिस आयी थी अगर कोई लड़की रंग लाते हुए पकड़ी गयी या उसके बैग में रंग मिला तो फाइन। लेकिन मैं भी, रस्ते में एक दूकान से पूरे ढाई सौ ग्राम पक्का लाल रंग , ये बोल के की दुपटा रंगना है, और उसी गुलाल में मिला दिया और गुलाल का पैकेट फिर से बंद। स्कूल में भी सब के बैग चेक हुए दो चार के बैग में रंग पकड़ा गया तो वहीँ सब के सामने कान पकड़ के,... और सब पैकेट जब्त। "
फिर मैंने हुंकारी भरते हुए गुड्डी की ओर तारीफ़ की नजर से देखा और गुंजा ने अपने हाथ की बियर की बॉटल से मुझे बियर पिलाया।
असल में बियर पिलाने का कभी अपने मुंह से कभी बियर की बॉटल से गुंजा कर रही थी और भांग वाली गुझिया खिलाने का काम गुड्डी
मेरी तो मज़बूरी थी, दोनों हाथ फंसे थे, बिजी थे, उस सेक्सी किशोरी के उभरते हुए उभारों को मसलने रगड़ने में
और गुड्डी ने जब वो गुंजा की क्लास में थी उस समय की होली का किस्सा आगे बढ़ाया,
गुड्डी बोली,
" तो मेरा और मेरी और छह साथ सहेलियों के पास ' असली गुलाल ' वाला पैकेट था, फिर तो वही पक्का रंग मिला गुलाल, जबतक कोई टीचर देखती तो बस माथे पे और बहुत हुआ तो गाल पे, और टीचर भी तो कभी हम लोगो की तरह थीं तो जहां वो निकलीं,...
बस दो लड़कियां पीछे से हाथ पकड़ती और मैं यूनिफार्म वाले ब्लाउज के खोल के सीधे कबूतरों पे वो वाला गुलाल, और आराम से सहलाना मसलना और साथ में गरियाना भी,
"स्साली जाके अपने भाइयों से चूँची मिजवाओगी, रगड़वाओगी और हम लोगो से मसलवाने में शर्म आ रही है "
" दी एकदम सही कह रही हैं मेरी क्लास में भी करीब आधे से ज्यादा तो अपने भाइयों के साथ ही, ....दो चार तो सगे,रोज घपाघप करवाती हैं, बिना नागा और,... अगले दिन हम लोगो को जलाती हैं। ""
गुंजा मुझे बियर पिलाते बोली।
" लेकिन तब भी तो सूखा रंग ही रहा न, झाड़ झुड़ के " मेरे समझ में अभी गुड्डी की पूरी प्लानिंग नहीं आयी तो मैंने पूछ लिया।
" अरे तो फिर रंगरेज के यहाँ से दुपट्टे रंगने वाले रंग लेने का फायदा क्या, "
गुड्डी मुझे घूरते बोली, फिर उसने राज खोला,
उसकी और सहेलियों ने , कुछ ने रुमाल तो कुछ ने दुप्पट्टे ही स्कूल से निकलने के पहले गीले कर लिए थे और फिर निकलते समय फिर वही, एक ने पीछे से दोनों कलाई पकड़ी और गीली रुमाल या गीले दुपट्टे से तो टॉप के अंदर डाल के निचोड़ दिया, सूखा रंग गीला हो गया, और उसके बाद रगड़ रगड़ के फिर से दोनों गुब्बारे,
ज्यादातर लड़कियां जब हफ्ते भर की होली की छुट्टी के बाद लौटी तब भी उनके रंग पूरी तरह नहीं छूटे थे।
मान गया गुड्डी को मैं,
हम तीनो खूब हँसे, और गुंजा ने जोड़ा,
"तभी दीदी,… पिछले साल से जब आप दसवीं में थी, मुझे याद है , रंग परमिट हो गया था आखिरी दिन लेकिन बस अब दो कंडीशन है, यूनिफार्म पे रंग नहीं पड़ना चाहिए और क्लास में होली नहीं होगी, बाकी कुछ भी कर लो। अब तो आखिरी पीरियड में टीचर सब हर क्लास की, बस अटेंडेंस लेके चली जाती हैं टीचर रूम में और घंटे भर हम लोगों की मस्ती, और आज तो मस्ती हुयी, ....इंटरवल के बाद ही हम लोगो की टीचर चली गयी, बस दो घण्टे,"
"और ये किसने किया,"... गुड्डी ने एक भांग वाली गुझिया को सीधे गुंजा के मुंह में डालते हुए पूछा, "
गुड्डी का इशारा गुंजा के दोनों उभारों पर उँगलियों के निशानों पर था,
" और कौन करेगा, " गुझिया खाते हुए गुंजा बोली और फिर जोड़ा,
' वही शाजिया,
और अकेले पार तो पा नहीं सकती मुझसे तो वो कमीनी छिनार महक, उसने मेरे दोनों हाथ पीछे से पकड़ के अपने दुपट्टे से बाँध दिया और शाजिया ने गोल्डन पेण्ट अपने हाथ में लगा के, पूरे पांच मिनट तक दबाती रही, और बोली, यार तेरे जोबन इत्ते जबरदस्त हैं, जो भी तेरा यार होगा कम से कम मेरा इसी बहाने नाम पूछेगा "
" सच में दोनों बहने होली में एकदम पागल हो जाती हैं " मेरी कुछ समझ में नहीं आया तो गुड्डी ने मैं कुछ बोलूं, उसके पहले एक बियर की बोतल खोल के मेरे मुंह में, और बोलना शुरू कर दी,
" नादिया, ...नादिया है शाजिया की बड़ी बहन, मेरी अच्छी दोस्त है। वो और श्वेता, होली में ऐसे दोनों बौरातीं हैं, लड़कियां तो छोड़, लड़के भी उन दोनों से पनाह मानते हैं, श्वेता से तो कल वीडियो काल पे मिले थे, छुटकी के साथ,... "
और मैंने एक फैसला कर लिया।
गुड्डी की मम्मी, मेरा मतलब मम्मी और गुड्डी की दोनों बहनों का तो कानपुर से होली के बाद लौटने का रिजर्वेशन तो कराना ही है , श्वेता का एकदम पक्का, उसने गुड्डी की दोनों बहनों के साथ होली आफ्टर होली में मेरा बटवारा कर लिया था, सर से कमर तक छुटकी के हिस्से, घुटने के नीचे दोनों पैर मंझली के हवाले और कमर से लेकर घुटने तक श्वेता के कब्जे में।
और गुझिया ख़तम कर के गुंजा ने अपने क्लास की होली की हाल बतानी शुरू की, लेकिन उसके पहले गुड्डी ने पूछ लिया और गाने में कौन जीता, और ये बात भी मेरे समझ में नहीं आयी।
Thanks, banars is kahani men racha basa hai , ek character ki tarh, jagah jagh mil jaayegaa. bas saath baanye rakhiye. apne comment se bhi utsahit karte rahiyeQuality Writing, + es time main khud Banaras main Didi k yaha aaya hu toh alag hi feel hai ese padne main
Amazing Mam
आपके बिना मेरी यह क्या कोई भी कहानी अधूरी लगती हैWah ek to hone vali matlab ghar wali. Jo abhi se apna hak jamae bethi hai. Jisne abhi se teri bahene tujse aur apne bhaiyo se chudvane ka bida uttha liya hai. Jo bat tuje batne ko bhi tiyar hai.
Jo tuje apna bana chuki hai man chuki hai.
Vahi dusri jo uski pakki vali saheli aur bahen bhi. Jo riste me teri lagegi sali. Jo hoti hai aadhi ghar vali. Jisne tuje ragadne ka bida uttha liya hai. Jiska dimag tez hai. Jaha sab ki soch khatam hoti hai to uski soch shuru hoti hai. Vo teri sali reeta.
Jiske rasgulle ka tu deewana ho gaya.
In dono se tu kese bachega. Man li teri shart. Chal tuje hath nahi lagaegi. Par tu janta nahi ki in dono hasinao ke tarakash me kitne teer hai.
रीत और गुड्डी दोनों की जुगलबंदी का जो आपने जबरदस्त खाका दो चार लाइनों में खींच दिया, वो शायद पूरे पोस्ट में भी नहीं मिलता, चढ़ते जोबन वाली दो किशोरियां, दोस्ती ऐसी की सगी बहने झूठ और दोनों एक दूसरे की राजदार और दोनों के बीच दबकर पिसकर आनंद बाबू की सब झिझक शर्म बहकर निकल गयीDekha hamari reet ke joban ka jadu. Tumhe to boobs massage mili hai babu. Vo bhi apni sali reet se.
Lekin tere vali konsi kam hai. Uske ubharo ka to tu najane kab se deewana hai. Are babu teri apni guddi rani. Jawani se labalab. Aur kori bhi.
Magar kya tumhari ragdai shuru hui hai. Pahele to dono ne tumhe ghera. Fir topples kiya. Aur uske bad boobs massage. Aur dal di ungliya tumhare pichh... Chalo jane do. Ye dono mauka nahi chhodne vali.
Super duper interesting updates dear Komal didiUpdates posted please read, enjoy and comments
सब जानते की आप एक अच्छी, स्वीकृत, पुरस्कृत, लब्ध प्रतिष्ठित लेखिका हैं लेकिन कम लोग जानते हैं की आप एक ऐसी पाठिका भी हैं जिनके लिए हर कलम तरसती है, एक समीक्षा का गुण रखती हैं जो सीधे कहानी के मर्म तक पहुंच जाए।Wah anand babu mubarak ho. Ye to aap ka hone vala sasural hai sahab. Yaha to aurate hi mard ka chir haran karti hai. Par ab to badi baduri vale ho. Kya hi kahena.
Gher liya sab se. Maza aa gaya. Aur ye kya napai chalu ho gai. Sandhya bhai ghabra kyo rahi ho.
Aap to bacha kahe rahi thi. Aur ab kahe rahi ho ki gadhe ka hai ya ghode ka. Ab to ghabra rahi ho. Na baba na.
Par vese ek bat sahi kahi unhone. Jiske bhi nashib me hoga mast ho jaegi. Are vo to upar se hi apne nashib me likhvakar lai hai. Aur kon apni guddi rani.
Bada hi kamukh aur shararar se bhara update hai. Maza aa gaya.
Lo man gae tumhe to babuaa.. basuri vale bari bari har kisi ke joban ko nanga kar rahe hai. Pahele chanda bhabhi ke joban aur niche ke dvar par var kiya. Fir chanda bhabhi ke same vahi. Fir aa gai boobs queen reet. Reeta ke sath to kya jabardast seen banaya hai. Jalidar bra vala varnan to amezing. Upar se uske jabardast joban par var amezing.
Thanks so much for your super comments. aapke aane se hi story meri khush ho jaati hai aur har post aapka inteaar karti hainSuper duper interesting updates dear Komal didi