• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

Well-Known Member
22,142
57,429
259
फागुन के दिन चार भाग २८ - आतंकी हमले की आशंका पृष्ठ ३३५

अपडेट पोस्टेड

पढ़िए आनंद लीजिये लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
5,686
5,977
173
शहर में टेंशन, गुंजा के स्कूल पर हमला



Girl-school-31919aa14f91f7f28ad47dc0661860af.jpg





जगह-जगह पोलिस के बैरिकेड लगे थे। उस डायरेक्शन में जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा था। टेंशन महसूस किया जा सकता था।

आफिस जल्दी बंद हो रहे थे। यहाँ तक की रिक्शे वाले भी बजाय सवारी लेने के अपने घरों को वापस जा रहे थे। जगह-जगह टीवी की दुकानों पे, जहाँ कहीं भी टीवी लगा था, भीड़ लगी थी।



जैसे-जैसे हम लोग कोतवाली की ओर जा रहे थे। सड़क खाली लग रही थी। रास्ते में जो भी मंदिर मस्जिद पड़ती गुड्डी आँखें बंद करके हाथ जोड़ लेती थी। बस हम यही मना रहे थे की वहां फँसी लड़कियों में गुंजा ना हो। ना हो। जब हम लोग कबीर चौरा हास्पिटल के सामने से निकले तो वहां से ऐम्बुलेंसेज कोतवाली की ओर जा रही थी।



ambulence-2-download.jpg


हम लोगों का डर और बढ़ गया। टाउन हाल के आगे तो एकदम सन्नाटा था। खाली पोलिस की गाड़ी दिख रही थी। फायर ब्रिगेड वाले भी आ गए थे।



चैनेल वालों की भी गाड़ियां थी। एक-दो जगह से न्यूज कास्टर खड़े होकर बता रहे थे की वो स्कूल बस यहाँ से 400 मीटर की दूरी पे है।


OB-Van-news-channel-covering-art-fair-india-19803360.jpg




चारों ओर टेंशन साफ झलक रहा था। सबके चेहरे पे हवाइयां उड़ रही थी।

स्कूल के बगल से हम गुजरे, वहां आसपास की बिल्डिंग्स खाली करायी जा रही थी। बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के दो दस्ते खड़े थे। एक ट्रक से काली डूंगरी पहने कमांडो दस्ते उतर रहे थे।

गुड्डी का दिल धकधक कर रहा था, मेरा भी। सुबह हम लोग आज दिन भर इतनी मस्ती से,... लेकिन अचानक। कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तब तक हम लोगों की गाड़ी सीधे कोतवाली में कंट्रोल रूम के सामने जाकर रुकी। ड्राइवर हम लोगों को सीधे अन्दर ले गया। अन्दर भी बहुत गहमागहमी थी।

पुलिस के अलावा अन्य डिपार्टमेंट के भी लोग थे, सिटी मजिसट्रेट, सिवल डिफेंस के लोग, डाक्टर्स। ड्राइवर ने सीधे हम लोगों को वहां पहुँचा दिया जहाँ डी॰बी॰ थे, एक बड़ी से मेज जिस पे ढेर सारे फोन रखे हुए थे। सामने एक बोर्ड पे उस एरिया का डिटेल्ड मैप बना हुआ था। चारों ओर पुलिस के अधिकारी, मजिस्ट्रेट।

जब हम लोग पहुँचे तो वो एस॰पी॰ ट्रैफिक को बोल रहे थे-

“ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया न,... एक किलोमीटर तक पूरा, यहाँ तक प्रेस को भी जिनके पास अक्रेडीशन हो,...उन को भी नहीं । दो किलोमीटर तक सिर्फ उस एरिया के लोगों को, ...नो वेहिकुलर ट्रेफिक…”



तब तक एक किसी आफिसर ने उन्हें फोन पकड़ाया।


बजाय फोन लेने के उन्होंने स्पीकर फोन आन कर दिया जिससे सब सुन सके। प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम का फोन था। उन्होंने पूछा- “हाउ इस सिचुएशन?”

डी॰बी॰ ने जवाब दिया- “टोटली अंडर कंट्रोल सर। लेकिन अभी कुछ साफ पता नहीं चल पाया है की वो हैं कौन? उनका मोटिव क्या है? साइकोलोजिकल प्रोफाइलिंग भी करवाई है। बिहैवियर पाटर्न अनसर्टेन है, अन्दर का कोई प्लान भी नहीं है। लेकिन रेस्ट अश्योर्ड। डैमेज कन्टेन हम करेंगे…”


होम सेक्रेटरी की काल जारी थी-

“ओके। एस॰टी॰एफ॰ की टीम निकल गई है दो-तीन घंटे में वो पहुँच जायेंगे। मैंने सेंटर से भी बात कर ली है। मानेसर में एन॰एस॰जी॰ रेडीनेस में है…”



डी॰बी॰ ने बोला- “नहीं सर, होपफुली उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी…”



होम सेक्रेटरी ने पूछा- “लेट अस होप। लेकिन लास्ट टाइम की तरह मैं फँसना नहीं चाहता ना। बी॰एस॰एफ॰ का प्लेन रेडी है। और चापर मानेसर में तैयार है। कोई मल्टीपल अटैक के चांस तो नहीं हैं?”



डी॰बी॰ ने बोला- “नहीं सर एकदम नहीं। एक घंटे से ऊपर हो गए हैं और अभी कहीं से…”

“ओके वी आर विथ यू…” और उधर से फोन कट गया।

एस॰टी॰एफ॰ यानी स्पेशल टास्क फोर्स, जो पिछली सरकार ने बनाया था, ओर्गनाईज्ड क्राइम और स्पेशल इवेंट से निपटने के लिए। उनके तरीके अलग थे और वो सीधे गृह राज्य मंत्री को रिपोर्ट करते थे।

तब तक ड्राइवर ने उनका ध्यान हम लोगों की ओर दिलाया।
Action packed drama.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
5,686
5,977
173
डी॰बी॰
Girl-school-IMG-20231123-070153.jpg

मेरा मन अभी भी गुंजा में लगा था, मन मना रहा था वो घर पहुँच गयी हो, लेकिन चंदा भाभी से फोन करके पूछने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी। गुड्डी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा, लेकिन वो हिम्मती थी ,

तीन साल बाद मैं डी॰बी॰ से मिल रहा था, क़द 5’11…” इंच, गेंहुआ रंग, हल्की मूंछे, छोटे-छोटे क्रू कट बाल, हाफ शर्ट, कुछ भी नहीं बदला था, वही कांफिडेंस, वही मुश्कान। तपाक से उसने हाथ मिलाया और पूछा- “हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं?

मैंने कहा- “बस अभी आये…”



तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी, और वो झटके से उठकर खड़े हो गए । तुरंत उन्होंने नमस्ते किया।

उनकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए। हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गुंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं। मैंने कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने हाथ के इशारे से मना कर दिया और किसी से बोला- “जरा ए॰एम॰ को बुलाओ…”


एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आकर खड़ा हो गया। यूनिफार्म में, तीन स्टार लगे थे। डी॰बी॰ ने परिचय कराया-

“ये हैं। ए॰एम॰, अरिमर्दन सिंह। यहाँ के सी॰ओ॰, सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं। यही सब सम्हाल रहे हैं। और ये हैं। …”

मुझे परिचय कराने के पहले ए॰एम॰ ने मुझसे हाथ मिला लिया और बोले- “अरे सर, हमें मालूम है सब आपके बारे में। आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा…”
डी॰बी॰ ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला। लेकिन मैंने मना कर दिया- “कोई रूम हो तो। इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो…”

डी॰बी॰ ने बोला- “एकदम…”



हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए, शायद सी॰ओ॰ का ही कमरा था।


कमरे में चार-पाँच कुर्सियां, मेज और एक छोटा सोफा था। घुसने से पहले डी॰बी॰ ने कहा- “मेरा जो भी काल हो ना। यहीं डाइवर्ट करना और अगर सी॰एस॰ (चीफ सेक्रेटरी) या सी॰एम॰ का फोन हो तो मोबाइल पे पैच करवा देना…”

अन्दर घुसते ही मैंने पहला काम ये किया की सारी खिड़कियां बंद कर दी और पर्दे भी खींच दिए और बाहर का दरवाजा बस ऐसे खोलकर रखा की अगर कोई दरवाजे के आस पास खड़ा हो तो दिखाई पड़े।



हम लोग ठीक से बैठे भी नहीं थे की डी॰बी॰ चालू हो गए-

“यू नो तीन बातें हैं। जो क्लियर नहीं हो रही हैं,अगर हम टेरर अटैक मानते हैं तो

पहली- आई॰बी॰ ने कोई वार्निंग नहीं दी। ये बात नहीं है की वो कभी सही वार्निंग देते हैं स्पेस्फिक। लेकिन कुछ जनरल उनको आइडिया रहता है। अगर वो गौहाटी में कहेंगे तो गुजरात वाले नार्मली जग जाते हैं। वैसे वो कभी लोकेशन सेपेस्फिक वार्निंग नहीं देते। लेकिन उन्हें जनरल हवा रहती है और ना हुआ तो कम से कम घटना के बाद वो मैदान में आ जाते हैं, कम से कम ये दिखाने के लिए की स्टेट पोलिस वाले कितने बेवकूफ हैं, खास तौर से अगर सरकार दूसरी पार्टी की हो और यहाँ सरकार दूसरी पार्टी की है। लेकिन अभी तक वो सिर खुजला रहे हैं। तुमको याद होगा समीर सिन्हा की?”


मैं- “हाँ जो हम लोगों से चार साल सीनियर थे, बिहार कैडर के। हास्टल में नाटक वाटक करवाते थे। जिन्होंने आई॰ए॰एस॰ लड़की से शादी की थी…” मुझे भी याद आया।



डी॰बी॰- “हाँ वही। वो लखनऊ में जवाइंट डायरेक्टर हैं आई॰बी॰ में, उनसे भी मैंने बात की थी, ना कोई ह्यूमन आई॰टी॰ (ह्युमन इंटेलिजेंस) ना कोई टेक्नीकल…” डी॰बी॰ ने बात आगे बढ़ाई।

“और?” मैंने हुंकारी भरने का योगदान दिया।

गुड्डी बेचैन हो रही थी।

ये सब ठीक है लेकिन गुंजा। उसकी आँखों में डर झलक रहा था।


सने मेरा हाथ कस के दबाया, और मैंने भी कस के दबा के अश्योर किया, बिन बोले, ; नहीं गुंजा नहीं हो सकती है। गुंजा कैसे सकती है, इतनी लड़कियां बच के निकल गयीं तो वो भी निकल गयी होगी। वो तो इत्ती प्यारी सी स्मार्ट, नहीं उसे कुछ नहीं हो सकता, मैं बस सोच रहा था और आँखे के आगे उस दर्जा नौ वाली शरीर लड़की की तस्वीर आ रही थी।

सुबह ब्रेड रोल में ढेर सारी मिर्चे भर के खिलाते,

जब कोई कपडे नहीं दे रहा था, गुंजा ने अपना बारमूडा और टॉप दिया,

जिस तरह से आँख नचा के वो गुड्डी को चिढ़ाते बोली थी, " दी को मैंने बोल दिया, पटाइये आप लेकिन मजे मैं लूंगी, और फुल टाइम, साली का हक पहले होता है "
Girl-Gunja-IMG-20240330-195108.jpg


और अब मन मानने को नहीं कर रहा था की ऐसी मुसीबत में गुंजा फंस सकती है, लेकिन पुलिसिया दिमाग कह रहा था, कुछ भी हो सकता है , कुछ भी और हर हालत के लिए तैयार रहना चाहिए।

डी॰बी॰ कहीं बात कर रहे थे, उस फोन को रख के फिर हम अपनी बात बढ़ाई-

“दूसरी- पैंटर्न। ये एकदम गड़बड़ है। टेररिस्ट पागल नहीं होता। वो भी रिसोर्स इश्तेमाल करता है, जो बहुत मुश्किल से उसे मिलते हैं। इसलिए वो मैक्सिमम इम्पैक्ट के लिए ट्राई करेगा, जहाँ बहुत भीड़ भाड़ हो और नार्मली वो बाम्ब का इश्तेमाल करेगा, होस्टेज का नहीं। और होस्टेज का होगा तो डिमांड क्या होगी? अब तक सिर्फ कश्मीर में हिजबुल के लोग इस तरह की हरकत करते हैं। लेकिन वहां हालात एकदम अलग हैं। यूपी में जितने भी हमले हुए, वो सिर्फ बाम्ब से हुए। और ज्यादातर में कोई पकड़ा भी नहीं गया तो ये बात कुछ हजम नहीं होती…”
और मेरे दिमाग में भी अब वही बात गूँज रही थी, अगर टेरर अटैक नहीं है तो क्या है ? और मिडिया वाले तो सिर्फ टेरर चिल्ला रहे हैं।

सामने टीवी ऑन था और उस पर दिखा रहा था, इस के पहले भी बनारस में बॉम्ब के धमाके हो चुके हैं , मंदिर में, घाट पर, ट्रेन में और एक बार फिर, क्या वहां बम्ब है, क्या बम्ब फूटेगा, अगर फूटेगा तो क्या होगा उन लड़कियों का, पुलिस ने चुप्पी साध रखी है।

किसी ने चैनल चेंज कर दिया,

और वहां कोई और जोर से चीख रखा था,


कौन है जो आपकी होली को खून की होली में बदलना चाहता है
कौन है जिसे यह संस्कृति नहीं पसंद है

कोई है जो आपके पड़ोस में भी हो सकता है, आपके गली मोहल्ले में भी हो सकता है , बने रहिये सबसे तेज ख़बरों के लिए

तब तक डी॰बी॰ का फोन बजा, दशाश्वमेध थाने से रिपोर्ट थी- “बोट पुलिस ने सब घाट नदी की ओर से भी चेक कर लिए हैं। आल ओके…”

डी॰बी॰ ने घंटी बजायी।
action packed story.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
5,686
5,977
173
समोसा


samosa-14238862ae2db5d1e4662e76668b9902.jpg


चपरासी को उन्होंने 3 चाय के लिए बोला और मुझसे पूछा- “समोसा चलेगा। जलजोग का…”



मैंने बोला- “एकदम दौड़ेगा…”

गुड्डी ने मुझे आँख दिखाई- “कितना खाओगे?” लेकिन जलजोग का समोसा मैं नहीं मना कर सकता था।

डी॰बी॰- “हाँ तो। मैं क्या कह रहा था? हाँ तीसरी बात- उसका मोबाइल फोन। कोई टेररिस्ट मोबाइल पे बात नहीं करता। अगर करेगा तो अपने आका से करेगा, पोलिस से नहीं। एक बार उसने थाने पे यहीं रिंग किया और दूसरी बार अरिमर्दन से बात हुई, तब तक मैं भी यहाँ आ गया था। मोबाइल मतलब अपना सब अता पता बता देता है, तो इसलिए मुश्किल है ये सोचना की …”

मैंने बात बीच में रोक कर पूछा- “वो सिम कहाँ का है?”

डी॰बी॰- “यार क्या बच्चों जैसे। आज कल सिम का क्या? और वो तो पहली चीज इंस्पेक्टर भी देख लेता है। बक्सर के पास किसी जगह से ली गई थी, आधे घंटे में उसकी कुंडली भी आ जायेगी। लेकिन वो सब फर्जी मिलेगी। इतनी बात तो वो सोनी पे कौन सा सीरियल आता है?” डी॰बी॰ बोले।

अबकी बात काटने का काम गुड्डी ने किया। बड़े उत्साह से उसने अपने ज्ञान का परिचय दिया- “सी॰आई॰डी॰ मैं भी देखती हूँ…” वो चहक कर बोली।

डी॰बी॰ बोले- “वही तो मैं कह रहा था, बच्चों को भी ये सब चीजें मालूम होती हैं। सिम विम से क्या होगा?”

मैंने थोड़ी रिलीफ की सांस ली- “तो इसका मतलब की टेरर वेरर की बात…”

डी॰बी॰- “नहीं ऐसा कुछ नहीं है। कुछ कह नहीं सकते, मान लो निकल जाय कोई तो? प्रिकाशन तो लेनी पड़ेगी…” वो बोले- “और ये भी नहीं कह सकते की कोई गुंडा बदमाश है…”

मैं- “क्यों?” मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

डी॰बी॰- “तीन बातें हैं…”

ये तीन बातों का चक्कर उनका पुराना हास्टल के दिनों का था।

डी॰बी॰ ने फिर समझाना शुरू किया-


“देखो पहली बात आज कल नई-नई सरकार आई है अभी सेट होने में टाइम लगेगा सब कुछ, तो उस समय नार्मली ये सब एक्टिविटी स्लो रहती हैं। फिर आज कल बनारस में वैसे ही हम लोगों ने झाड़ू लगा रखी है। एक मोटा असामी था उसका पत्ता तुमने साफ करा दिया। फिर क्रिमिनल भी रिटर्न देखता है- ठेका हो, माइनिंग हो, प्रोटेक्शन हो। अब किडनैपिंग तक तो होती नहीं फिर ये होस्टेज वोस्टेज का चक्कर क्रिमिनल्स के बस का नहीं, ना उनका कोई फायदा है इसमें। आधी चीज तो मोटिव है, वो क्या होगी? फिर तुम जानते हो। ज्यादातर बड़े क्रिमिनल अब नहीं चाहते की फालतू का लफड़ा हो। उनकी असली कमाई तो अब सेमी-लीगल धंधों से होती है। कई ने तो थानों पे फोन करके बोला जैसे ही चैनेल पे खबर आई की उनका कोई लेना देना नहीं है इस इंसिडेंट से…”

तब तक चपरासी समोसा और चाय लेकर आ गया। गरम-गरम ताजा समोसे। डी॰बी॰ ने इन्सिस्ट किया की गुड्डी पहले समोसा ले।

गुड्डी ने समोसा तो ले लिया लेकिन जो सवाल उसे और मुझे तब से परेशान किये हुए था, पूछ लिया-

“वो तीन। तीन लड़कियां जो। नाम क्या है पता चला?”


Girl-3737092ed6f40037940b907e9b6f749e.jpg

समोसा खाते हुए डी॰बी॰ ने बोला- “हूँ हूँ कुछ। बताता हूँ। हाँ लेकिन मैं क्या कह रहा था?”

मैंने याद दिलाया- “तीन। तीन बातें क्यों वो गुंडे बदमाश नहीं हो सकते? एक आप बता चुके हैं की बड़े गुंडों के लिए इस तरह की हरकत प्रोफिटेबल नहीं है…”



चाय पीते हुए डी॰बी॰ ने बात जारी रखी-


“हाँ। दूसरी बात- बाम्ब। ये कन्फर्म है की उनके पास बाम्ब है और उसमें ट्रिगर डिवाइस भी है। नार्मली छोटे मोटे गुंडों के पास इम्पैक्ट बाम्ब, यानी जो फोड़ने या फेंकने पे फूटते हैं वही होते हैं। ये साफीस्टीकेटेड बाम्ब हैं।

जो लड़कियां बचकर आई हैं उन्होंने जो बताया है। उसके हमने स्केच बनवाये हैं और उसके अलावा जहाँ-जहाँ यहाँ बाम्ब बनाते हैं, सोनारपुरा में, लंका में आस पास के गाँवों में गंगा पार रामनगर। हर जगह से हम लोगों ने चेक कर लिया की ये उनकी हरकत नहीं। और जो लोकल माफिया हैं या तो गायब हो चुके हैं या उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं…”

जब तक वो तीसरी बात पे आते मैंने बचा हुआ समोसा भी उठा लिया।

गुड्डी ने मुझे बड़ी तेजी से घूरा लेकिन मैंने पूरा ध्यान समोसे की ओर और डी॰बी॰ की ओर दिया।

डी॰बी॰ ने तीसरा कारण शुरू कर दिया- “तीसरी बात- बहुत सिंपल। हमारे किसी खबरी को लोकल बन्दों की हवा नहीं है। तो। …”

अबकी मैंने सवाल दाग दिया- “तो ये हैं कौन?”

डी॰बी॰- “यही तो? अगर साफ हो जाय कोई टेररिस्ट ग्रुप है तो हमें मोटा-मोटा उनकी मोडस आप्रेंडी, काम करने का तरीका मालूम है। क्रिमिनल को तो हम लोग आसानी से टैकल कर लेते हैं। पर अभी तक पिक्चर। …” तब तक उनका फोन बजा।

“सी॰एस॰ का फोन है…” किसी दरोगा ने बताया।

अब तक मैं भी इन शब्दों से परिचित हो चुका था की सी॰एस॰ का मतलब चीफ सेक्रेटरी। और वो स्टेट गवर्नमेंट में सबसे ऊपर होते हैं।

डी॰बी॰ ने पूछा- “साहब खुद लाइन पे हैं या?”

“नहीं पी॰एस॰ हैं…” उधर से आवाज आई।

डी॰बी॰- “उनको बोल दो की मैं मोबाइल पे सीधे रिंग कर लूँगा…” वो बोले और उठकर कमरे के दूसरे कोने की ओर चले गए।

यहाँ मुझ पर डांट पड़ना शुरू हो गई- “तुम यहाँ समोसा खाने आये हो की,... कितना खाते हो, वहां अभी होटल में,... फिर समोसा। हम यहाँ समोसा खाने आये हैं की गुंजा का पता लगाने आये हैं?”

गुड्डी ने घुड़का।

Girl-Guddi-IMG-20241210-193444.jpg


मैंने बात बदलने की कोशिश की- “नहीं वो बात नहीं है। “देखो ये लोग बीजी हैं। अभी चीफ सेक्रेटरी से बात हो रही है…”



गुड्डी बोली- “तुम लोग ना। तुम भी इन्हीं की तरह हो। सिर्फ बातें करते हो काम वाम नहीं…”

मैं- “अरे करेंगे। काम वाम भी करेंगे। प्रामिस घर पहुँचने दो तुम्हारी सारी शिकायत दूर…” कहकर मैंने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की।

गुड्डी शर्मा गई- “धत्त। तुम भी न कहीं भी कुछ भी…”

तब तक बात करते-करते डी॰बी॰ नजदीक आ गए थे और हम लोग चुप हो गए।

डी॰बी॰-

“थैंक्स सर। दो बटालियन आर॰ए॰एफ॰ और एक प्लाटून सी॰आर॰पी॰एफ॰। नहीं सर। दैट विल बी ग्रेट हेल्प। जी मैं भी यही सोच रहा हूँ। आज जो भी होगा उसके रियक्शन का रिस्पोंस प्लान तो करना पड़ेगा, कुछ अमंगल हो जाए तो और कम्युनल टेंशन तो यहाँ। नहीं इतना काफी होगा।

एस॰टी॰एफ॰ की कोई जरूरत तो नहीं है। आप जानते हैं सर, पिछली सरकार में तो वो एक तरह से सरकार ही बन गये थे।

काम सब लोकल पुलिस का होता है। इंटेलिजेंस सब कुछ। उनके आने में तो चार-पांच घंटे लगेंगे तब तब तो मैं इसे। मैं समझ रहा हूँ। सर। वो अपने राज्य मंत्री जी। एस॰टी॰एफ॰ के हेड उनके जिले में एस॰एस॰पी॰ रह चुके हैं और पुराना परिचय है। स्पेशल प्लेन से आ रहे हैं। कोई बात नहीं। मैं आपको इन्फार्म करूँगा। कोई प्राब्लम होगा तो बताऊंगा…”




एस॰टी॰एफ॰ मतलब स्पेशल टास्क फोर्स। इतना तो मैं समझ गया था। लेकिन अब डी॰बी॰ के चेहरे पे थोड़ी एस॰टी॰एफ॰ मतलब स्पेशल टास्क फोर्स। इतना तो मैं समझ गया था। लेकिन अब डी॰बी॰ के चेहरे पे थोड़ी परेशानी साफ दिख रही थी।
Gunja ki koi khabar nahin mil rahi.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
5,686
5,977
173
गुड्डी का प्लान

Girl-744702ca5b8eb00974c96e772b3d1071.jpg


जब वो फिर आकर बैठे तो उन्होंने पूछा- “हाँ तो मैं क्या बोल रहा था?”



“तीन…” मैं असल में तीन लड़कियों के नाम के बारे में जानना चाहता था।



लेकिन डी॰बी॰ तो। वो चालू हो गए-

“हाँ तीन बड़ी परेशानिया हैं। कमांडो हमारे तैयार हैं, शाम जहाँ हुई,... लेकिन अब जल्दी करनी पड़ेगी। वैसे शाम तो होने ही वाली है। उस स्पेशल टास्क फोर्स के पहुँचने के पहले।

तो पहली बात। हमें स्कूल के अन्दर का नक्शा एकदम पता नहीं है। हमने स्कूल के मैनेजर, प्रिंसिपल और नगर निगम से प्लान की कापी मंगवाई है। लेकिन बहुत से अनअथराइज्ड काम हो गए हैं और वो नक्शा एकदम बेकार है।

फिर पता नहीं किस कमरे में लड़कियां होंगी? कई फ्लोर हैं कुल 28 कमरे हैं, और अगर जरा भी पता चला उन्हें तो। एलिमेंट आफ सरप्राइज गायब हो जाएगा…”

गुड्डी के लिए इन टेक्नीकल बातों का कोई मतलब नहीं था, वो फिर से बोली- “जी वो तीन लड़कियां…”


Girl-anushka-sen-167960086120.jpg


डी॰बी॰ ने विनम्रता पूर्वक बात आगे बढ़ाई-

“जी हाँ। मैं भी वही कह रहा था। उन तीन लड़कियों से बात और उलझ गई है।

एक तो वो लोग कहीं बाम्ब न छोड़ दें, फिर अगर कमांडो कायर्वाही में, कई बार स्मोक बाम्ब से ही घबड़ाकर, कुछ अनहोनी हो जाय, कैसा भी कमांडो आपरेशन हो, कुछ तो गड़बड़ होने का चांस रहता है। फिर मिडिया हम लोगों की,ऐसी की तैसी कर देगी, और अब तो नेशनल चैनल वाले भी मैदान में आ गए हैं। और टीवी देख देख के पब्लिक परसेप्शन, और होली सर पे है ।

सी॰एम॰ ने खुद बोला है की टाइम चाहे जितना लगे, लड़कियों को सेफ निकालना है…”



जब तक वो तीसरी बात बताते गुड्डी मैदान में कूद गई-

“मैं प्लान बना सकती हूँ। और रास्ता भी। एक कागज मंगाइए…”
Yes guddi ko to school ke har raste pata hongo. Sahi plan banayegi.
 

Shetan

Well-Known Member
14,924
39,819
259
शहर में टेंशन, गुंजा के स्कूल पर हमला



Girl-school-31919aa14f91f7f28ad47dc0661860af.jpg





जगह-जगह पोलिस के बैरिकेड लगे थे। उस डायरेक्शन में जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा था। टेंशन महसूस किया जा सकता था।

आफिस जल्दी बंद हो रहे थे। यहाँ तक की रिक्शे वाले भी बजाय सवारी लेने के अपने घरों को वापस जा रहे थे। जगह-जगह टीवी की दुकानों पे, जहाँ कहीं भी टीवी लगा था, भीड़ लगी थी।



जैसे-जैसे हम लोग कोतवाली की ओर जा रहे थे। सड़क खाली लग रही थी। रास्ते में जो भी मंदिर मस्जिद पड़ती गुड्डी आँखें बंद करके हाथ जोड़ लेती थी। बस हम यही मना रहे थे की वहां फँसी लड़कियों में गुंजा ना हो। ना हो। जब हम लोग कबीर चौरा हास्पिटल के सामने से निकले तो वहां से ऐम्बुलेंसेज कोतवाली की ओर जा रही थी।



ambulence-2-download.jpg


हम लोगों का डर और बढ़ गया। टाउन हाल के आगे तो एकदम सन्नाटा था। खाली पोलिस की गाड़ी दिख रही थी। फायर ब्रिगेड वाले भी आ गए थे।



चैनेल वालों की भी गाड़ियां थी। एक-दो जगह से न्यूज कास्टर खड़े होकर बता रहे थे की वो स्कूल बस यहाँ से 400 मीटर की दूरी पे है।


OB-Van-news-channel-covering-art-fair-india-19803360.jpg




चारों ओर टेंशन साफ झलक रहा था। सबके चेहरे पे हवाइयां उड़ रही थी।

स्कूल के बगल से हम गुजरे, वहां आसपास की बिल्डिंग्स खाली करायी जा रही थी। बाम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के दो दस्ते खड़े थे। एक ट्रक से काली डूंगरी पहने कमांडो दस्ते उतर रहे थे।

गुड्डी का दिल धकधक कर रहा था, मेरा भी। सुबह हम लोग आज दिन भर इतनी मस्ती से,... लेकिन अचानक। कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तब तक हम लोगों की गाड़ी सीधे कोतवाली में कंट्रोल रूम के सामने जाकर रुकी। ड्राइवर हम लोगों को सीधे अन्दर ले गया। अन्दर भी बहुत गहमागहमी थी।

पुलिस के अलावा अन्य डिपार्टमेंट के भी लोग थे, सिटी मजिसट्रेट, सिवल डिफेंस के लोग, डाक्टर्स। ड्राइवर ने सीधे हम लोगों को वहां पहुँचा दिया जहाँ डी॰बी॰ थे, एक बड़ी से मेज जिस पे ढेर सारे फोन रखे हुए थे। सामने एक बोर्ड पे उस एरिया का डिटेल्ड मैप बना हुआ था। चारों ओर पुलिस के अधिकारी, मजिस्ट्रेट।

जब हम लोग पहुँचे तो वो एस॰पी॰ ट्रैफिक को बोल रहे थे-

“ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया न,... एक किलोमीटर तक पूरा, यहाँ तक प्रेस को भी जिनके पास अक्रेडीशन हो,...उन को भी नहीं । दो किलोमीटर तक सिर्फ उस एरिया के लोगों को, ...नो वेहिकुलर ट्रेफिक…”



तब तक एक किसी आफिसर ने उन्हें फोन पकड़ाया।


बजाय फोन लेने के उन्होंने स्पीकर फोन आन कर दिया जिससे सब सुन सके। प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम का फोन था। उन्होंने पूछा- “हाउ इस सिचुएशन?”

डी॰बी॰ ने जवाब दिया- “टोटली अंडर कंट्रोल सर। लेकिन अभी कुछ साफ पता नहीं चल पाया है की वो हैं कौन? उनका मोटिव क्या है? साइकोलोजिकल प्रोफाइलिंग भी करवाई है। बिहैवियर पाटर्न अनसर्टेन है, अन्दर का कोई प्लान भी नहीं है। लेकिन रेस्ट अश्योर्ड। डैमेज कन्टेन हम करेंगे…”


होम सेक्रेटरी की काल जारी थी-

“ओके। एस॰टी॰एफ॰ की टीम निकल गई है दो-तीन घंटे में वो पहुँच जायेंगे। मैंने सेंटर से भी बात कर ली है। मानेसर में एन॰एस॰जी॰ रेडीनेस में है…”



डी॰बी॰ ने बोला- “नहीं सर, होपफुली उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी…”



होम सेक्रेटरी ने पूछा- “लेट अस होप। लेकिन लास्ट टाइम की तरह मैं फँसना नहीं चाहता ना। बी॰एस॰एफ॰ का प्लेन रेडी है। और चापर मानेसर में तैयार है। कोई मल्टीपल अटैक के चांस तो नहीं हैं?”



डी॰बी॰ ने बोला- “नहीं सर एकदम नहीं। एक घंटे से ऊपर हो गए हैं और अभी कहीं से…”

“ओके वी आर विथ यू…” और उधर से फोन कट गया।

एस॰टी॰एफ॰ यानी स्पेशल टास्क फोर्स, जो पिछली सरकार ने बनाया था, ओर्गनाईज्ड क्राइम और स्पेशल इवेंट से निपटने के लिए। उनके तरीके अलग थे और वो सीधे गृह राज्य मंत्री को रिपोर्ट करते थे।

तब तक ड्राइवर ने उनका ध्यान हम लोगों की ओर दिलाया।
Mahol kuchh jyada hi darwna ho gaya. Jagah jagah cheking barget. Guddi bhi har jagah matha tek rahi hai. Bas yahi umid me ki gunja na ho. Jese curfew lag gaya ho. Sab jaha tv mila news par najre gadhar hue hai. Ambulance aur private ki gadiya bhi usi taraf tainat hai. News channel wale nwes cover karne ghera dale bhi vahi hai. Aas pas ki jagah khali karana aur un comando ko dekh kar guddi dar gai.

Principal secretary home tak ka phone aa gaya situation janne ke liye. Lekin dushman kon hai. Unka makshad kya abhi tak pata nahi chala.

Home secretary ne maneksar NSG tak bat kar di. Magar DB ye case police se hi handle karvana chahte hai. Yah department ke beizzati hogi. Agar vo na kar pae to.

Vaha maneksar me bsf deputation NSG commando chopar lekar operation Ko taiyar hai. Aur gruh mantralay Tak report jari hai.

Bahot hi jabardast update. Amezing skill. Kaha pyar Mohabbat aur judai ke mitthe dard se typhar ki khushiya tak. Aur jump mar kar is criminal zone me. Amezing komalji. Gunja bechari kaha hai.


images-4-11 images-4-26
 
  • Like
Reactions: Sutradhar

Sutradhar

Member
245
721
93
गुड्डी का प्लान

Girl-744702ca5b8eb00974c96e772b3d1071.jpg


जब वो फिर आकर बैठे तो उन्होंने पूछा- “हाँ तो मैं क्या बोल रहा था?”



“तीन…” मैं असल में तीन लड़कियों के नाम के बारे में जानना चाहता था।



लेकिन डी॰बी॰ तो। वो चालू हो गए-

“हाँ तीन बड़ी परेशानिया हैं। कमांडो हमारे तैयार हैं, शाम जहाँ हुई,... लेकिन अब जल्दी करनी पड़ेगी। वैसे शाम तो होने ही वाली है। उस स्पेशल टास्क फोर्स के पहुँचने के पहले।

तो पहली बात। हमें स्कूल के अन्दर का नक्शा एकदम पता नहीं है। हमने स्कूल के मैनेजर, प्रिंसिपल और नगर निगम से प्लान की कापी मंगवाई है। लेकिन बहुत से अनअथराइज्ड काम हो गए हैं और वो नक्शा एकदम बेकार है।

फिर पता नहीं किस कमरे में लड़कियां होंगी? कई फ्लोर हैं कुल 28 कमरे हैं, और अगर जरा भी पता चला उन्हें तो। एलिमेंट आफ सरप्राइज गायब हो जाएगा…”

गुड्डी के लिए इन टेक्नीकल बातों का कोई मतलब नहीं था, वो फिर से बोली- “जी वो तीन लड़कियां…”


Girl-anushka-sen-167960086120.jpg


डी॰बी॰ ने विनम्रता पूर्वक बात आगे बढ़ाई-

“जी हाँ। मैं भी वही कह रहा था। उन तीन लड़कियों से बात और उलझ गई है।

एक तो वो लोग कहीं बाम्ब न छोड़ दें, फिर अगर कमांडो कायर्वाही में, कई बार स्मोक बाम्ब से ही घबड़ाकर, कुछ अनहोनी हो जाय, कैसा भी कमांडो आपरेशन हो, कुछ तो गड़बड़ होने का चांस रहता है। फिर मिडिया हम लोगों की,ऐसी की तैसी कर देगी, और अब तो नेशनल चैनल वाले भी मैदान में आ गए हैं। और टीवी देख देख के पब्लिक परसेप्शन, और होली सर पे है ।

सी॰एम॰ ने खुद बोला है की टाइम चाहे जितना लगे, लड़कियों को सेफ निकालना है…”



जब तक वो तीसरी बात बताते गुड्डी मैदान में कूद गई-

“मैं प्लान बना सकती हूँ। और रास्ता भी। एक कागज मंगाइए…”
कोमल मैम

सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर रोचक अपडेट।

कहानी अब नए कलेवर में दाखिल होती दिख रहीं हैं।

उत्सुकता और अपडेट का इंतजार चरम सीमा पर है।


सादर
 

Sanju@

Well-Known Member
4,782
19,345
158
फागुन के दिन चार भाग २२

मस्ती संध्या भाभी संग

Teej-0001.jpg

तो ये चक्कर था, छुटकी और श्वेता एक और इसकिये मम्मी भी बजाय कुछ बोलने के नयन सुख ही ले रही थीं।

लेकिन छुटकी और श्वेता के इस लेस्बियन दंगल और जिस तरह से डिटेल में संध्या भाभी उस कच्ची कली की चिपकी चिपकी एकदम कसी गुलाबी मुलायम टाइट फुद्दी की फूली फूली भरी भरी फांको की बात कर रही थीं, जंगबहादुर फनफना गए। और उनके बौराने का एक कारण संध्या भाभी के नरम गरम चूतड़ भी थे, जिस तरह से वो अपने चूतड़ मेरे खड़े खूंटे पे रगड़ रही थीं उसी से अंदाजा लग रहा था की कितनी गरमा गयीं, बुर उनकी एकदम पनिया गयी थी। मैंने अपने दोनों हाथों से भौजी के जुबना मीस रहा था और वो सिसकते हुए बोल रहीं थी,

" उस स्साली छुटकी के कच्चे टिकोरे भी ऐसी ही कस कस के मसलना और कुतरना जरूर।



और मेरे सामने सुबह की वीडियो काल में दिख रही छुटकी याद आ रही थी, छुटकी के दोनों मूंगफली के दाने ऐसे, घिसे हुए टॉप से साफ़ साफ रहे थे दोनों, बस मन कर रहा था मुंह में लेके कुतर लूँ, ऊँगली में ले के मसल दूँ, दोनों छोटे छोटे आ रहे दानों को ।आँखे मेरी बस वही अटकी थीं, छुटकी और मम्मी के, कबूतरों पे,

एक कबूतर का बच्चा, अभी बस पंख फड़फड़ा रहा था



Girl-14c62664504660c6c7e1bd6e9bc155ad.jpg


और दूसरा, खूब बड़ा तगड़ा, जबरदस्त कबूतर, सफ़ेद पंखे फैलाये,
Teej-MIL-cd63daef51a009b0dfdde659de359d6d.jpg

२८ सी और ३८ डी डी दोनों रसीले जुबना,

साइज अलग, शेप अलग पर स्वाद में दोनों जबरदस्त,
बस मन कर रहा था कब मिलें, कब पकड़ूँ, दबोचूँ, रगडूं, मसलु, चुसू, काटूं,

और संध्या भाभी की बात एकदम सही थी, स्साली गरमा भी रही थी, तैयार भी थी, सुबह जिस तरह मम्मी के वीडियो काल से जाने के बाद छुटकी ने फोन थोड़ा टिल्ट करके दोनों चोंचों का क्लोज अप एकदम पास से दिखाया, झुक के क्लीवेज का दर्शन कराया, लेकिन अभी तो सामने संध्या भाभी थीं, तो बस

------
संध्या भौजी बाथरूम के फर्श पर थीं।


मैंने इधर उधर देखा, ढेर सारे भीगे कपडे, रंगों से लथपथ, उनके भी दूबे भाभी के भी, बस उन्ही को मोड़ तोड़ के, दोनों हाथो से भौजी के चूतड़ को उठा के सीधे उस के नीचे, भौजी के बड़े बड़े रसीले चूतड़ अब कम से कम कम एक बित्ता फर्श से उठा था और उनकी चाशनी से भीगी, रस की रानी साफ़ साफ़ दिख रही थ।




pussy-wet.jpg

जाँघे भी उन्होंने खुद फैला दी और अपनी लम्बी गोरी टाँगे भी मेरे कंधे पे,

उन्हें भले जल्दी हो मुझे तो एकदम नहीं थी , अबकी खूब रस ले ले के लेना था उन्हें।

और जो उन्होंने सिखाया था, कैसे गुड्डी को खूब गरम करके लेना है, कल चंदा ने भाभी की पाठशाला में जो पढ़ाई हुयी थी, वो सब उनके ऊपर, कस कस के मैंने एक हाथ से अपने मोटे मस्त मूसल को उनकी भीगी गुलाबो के फांको के ऊपर रगड़ना शुरू किया, और दूसरा हाथ कस के उनकी कमर को दबोचे था।


भौजी ने मुझे जोर से घूरा और मैं अपनी गलती समझ गया। झट से बगल में रखी सरसो के तेल की शीशी खोल के एक ढक्क्न तेल पहले हथेली पे फिर उसी हथेली को बार बार अपने खूंटे पे, जैसे कल रात में चंदा भाभी कर रही थीं, और आज थोड़ी देर पहले ही संध्या भौजी ने किया था, और अब संध्या भौजी देख के मुस्करा रहीं थी की ये बुद्धू सीख तो रहा है, भले ही धीरे धीरे। और फिर मैंने खुली शीशी से ही थोड़ा सा तेल अपने मोठे बौराये सुपाड़े पे,

और संध्या भौजी मुझे चिढ़ाते बोलीं,


" अपने बूआ, चाची, मौसी और महतारी के भोंसडे में भी पेलना तो ऐसे ही कडुवा तेल लगा के, सटासट जाएगा, छिनरों के भोंसडे में, "

Teej-5fcfc82f3a3c97dcf8eecd979587ed95.jpg


कभी कभी गाली भी अच्छी लगती है और जब मीठे मीठे रिश्ते वाली हो भौजी या सलहज हो और वो संध्या भौजी ऐसी मीठी भी हो नमकीन भी,

उन्हें देख के मुस्कराते हुए उनकी भरी बहरी पकड़ी ऐसी फूली चुनमुनिया की दोनों फांको को मैंने बहुत प्यार से धीरे धीरे अलग किया, हलकी सी प्यार भरी चपत लगाई, और उस लाल गुलाबी सुरंग में,

टप,टप,टप, टप,
कडुवा तेल की छोटी मोटी बूंदे, लुढ़कती हुयी, सरकती हुयी, भौजी की रसीली बुरिया में जा रही थीं,

कडुवा तेल की झार पूरे बाथरूम में फ़ैल रही थी।

कडुवा तेल भौजी आपन बुर चियारे घोंट रही थीं।

पूरे ढक्क्न भर कडुवा तेल मैंने भौजी की चुनमुनिया को पिलाया,

आखिर सब धक्के तो उसी बेचारी को झेलने थे और तेल घुसने के बाद भी उनकी बुलबुल की चोंच मैं फैलाये रहा। बहुत प्यारी प्यारी लग रही थी। फिर अंगूठे और तर्जनी से दोनों फांको को पकड़ के मैंने कस के जकड़ लिया जिससे तेल की एक एक बूँद भौजी की बुरिया की दीवालों में आराम से रिस जाए और फिर हथेली से कुछ देर तक उसे रगड़ता रहा।

भौजी बहुत प्यार से मुझे देख रही थीं।

और हलके से फिर गुरु ज्ञान दिया, ऐसे करोगे तो चाहे गुड्डी की छुटकी बहिनिया हो या गुंजा सब रट चिल्लाते घोंट लेंगी ये गदहा क लौंड़ा ।

" उह्ह्ह, उह्ह्ह, ओह्ह " भौजी सिसक रही थी, देह उनकी कसक मसक रही थी, और कुछ देर बाद में जब उनसे नहीं रह गया तो खुद बोलीं,

" कर ना, करो न प्लीज, ओह्ह्ह उह्ह्ह "
Teej-5a6250bd2f854b64bc541d44ad0f3ae2.jpg

कस कस के सुपाड़ा उनकी गीली बुर के होंठों पे रगड़ते मैंने चिढाया, " का करूँ भौजी "

अब उनसे नहीं रहा गया और अपने बनारसी रूप में आ गयीं,

" स्साले जो अपनी बहन महतारी के साथ करते हो, चाची, मौसी और बूआ के साथ करते हो, पेल साले, पेल पूरा "

और बहन महतारी की गारी सुनने के बाद कौन रुक सकता था तो मैंने पेल दिया, पूरी ताकत से, कमर का जोर लगा के और

गप्पांक

सुपाड़ा अंदर, बुर खूब अच्छी तरह से फैली और अब भौजी की चीख निकल गयी,

यही तो मैं चाहता था लेकिन अब मैं रुक गया।

अब मेरे होंठ भी मैदान में आ गए, कभी भौजी की एक गद्दर चूँची काट लेता तो कभी निपल चूस लेता,


Nip-suck-m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-HEvf-Xow-FTp-QTSn5f-39197251b.gif


हाथ भी उनकी क्लिट को हलके से छू के दूर हो जाता और फिर मैंने भौजी से पूछा,

" भौजी मजा आरहा है "

" बहुत रज्जा "

कहकर भौजी ने कस के नीचे से अपने चूतड़ उछाले, उनसे रहा नहीं जा रहा था और वो सीधे चौथे गेयर में जाना चाहती थीं लेकिन मैं उनको थोड़ा और तड़पना चाहता था, सब कुछ कबुलवाना चाहता था उन्ही के मुंह से, और मैंने धक्के का जवाब बजाय धक्के के देने के कस के उनके गाल को फिर से, जहाँ पहले काटा था, वहीँ काट लिया और भौजी चीख पड़ीं,
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है चंदा भौजी की पाठशाला का सिखाया ज्ञान संध्या भौजी पर काम आ रहा हैं
 

Shetan

Well-Known Member
14,924
39,819
259
डी॰बी॰
Girl-school-IMG-20231123-070153.jpg

मेरा मन अभी भी गुंजा में लगा था, मन मना रहा था वो घर पहुँच गयी हो, लेकिन चंदा भाभी से फोन करके पूछने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी। गुड्डी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा, लेकिन वो हिम्मती थी ,

तीन साल बाद मैं डी॰बी॰ से मिल रहा था, क़द 5’11…” इंच, गेंहुआ रंग, हल्की मूंछे, छोटे-छोटे क्रू कट बाल, हाफ शर्ट, कुछ भी नहीं बदला था, वही कांफिडेंस, वही मुश्कान। तपाक से उसने हाथ मिलाया और पूछा- “हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं?

मैंने कहा- “बस अभी आये…”



तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी, और वो झटके से उठकर खड़े हो गए । तुरंत उन्होंने नमस्ते किया।

उनकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए। हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गुंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं। मैंने कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने हाथ के इशारे से मना कर दिया और किसी से बोला- “जरा ए॰एम॰ को बुलाओ…”


एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आकर खड़ा हो गया। यूनिफार्म में, तीन स्टार लगे थे। डी॰बी॰ ने परिचय कराया-

“ये हैं। ए॰एम॰, अरिमर्दन सिंह। यहाँ के सी॰ओ॰, सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं। यही सब सम्हाल रहे हैं। और ये हैं। …”

मुझे परिचय कराने के पहले ए॰एम॰ ने मुझसे हाथ मिला लिया और बोले- “अरे सर, हमें मालूम है सब आपके बारे में। आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा…”
डी॰बी॰ ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला। लेकिन मैंने मना कर दिया- “कोई रूम हो तो। इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो…”

डी॰बी॰ ने बोला- “एकदम…”



हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए, शायद सी॰ओ॰ का ही कमरा था।


कमरे में चार-पाँच कुर्सियां, मेज और एक छोटा सोफा था। घुसने से पहले डी॰बी॰ ने कहा- “मेरा जो भी काल हो ना। यहीं डाइवर्ट करना और अगर सी॰एस॰ (चीफ सेक्रेटरी) या सी॰एम॰ का फोन हो तो मोबाइल पे पैच करवा देना…”

अन्दर घुसते ही मैंने पहला काम ये किया की सारी खिड़कियां बंद कर दी और पर्दे भी खींच दिए और बाहर का दरवाजा बस ऐसे खोलकर रखा की अगर कोई दरवाजे के आस पास खड़ा हो तो दिखाई पड़े।



हम लोग ठीक से बैठे भी नहीं थे की डी॰बी॰ चालू हो गए-

“यू नो तीन बातें हैं। जो क्लियर नहीं हो रही हैं,अगर हम टेरर अटैक मानते हैं तो

पहली- आई॰बी॰ ने कोई वार्निंग नहीं दी। ये बात नहीं है की वो कभी सही वार्निंग देते हैं स्पेस्फिक। लेकिन कुछ जनरल उनको आइडिया रहता है। अगर वो गौहाटी में कहेंगे तो गुजरात वाले नार्मली जग जाते हैं। वैसे वो कभी लोकेशन सेपेस्फिक वार्निंग नहीं देते। लेकिन उन्हें जनरल हवा रहती है और ना हुआ तो कम से कम घटना के बाद वो मैदान में आ जाते हैं, कम से कम ये दिखाने के लिए की स्टेट पोलिस वाले कितने बेवकूफ हैं, खास तौर से अगर सरकार दूसरी पार्टी की हो और यहाँ सरकार दूसरी पार्टी की है। लेकिन अभी तक वो सिर खुजला रहे हैं। तुमको याद होगा समीर सिन्हा की?”


मैं- “हाँ जो हम लोगों से चार साल सीनियर थे, बिहार कैडर के। हास्टल में नाटक वाटक करवाते थे। जिन्होंने आई॰ए॰एस॰ लड़की से शादी की थी…” मुझे भी याद आया।



डी॰बी॰- “हाँ वही। वो लखनऊ में जवाइंट डायरेक्टर हैं आई॰बी॰ में, उनसे भी मैंने बात की थी, ना कोई ह्यूमन आई॰टी॰ (ह्युमन इंटेलिजेंस) ना कोई टेक्नीकल…” डी॰बी॰ ने बात आगे बढ़ाई।

“और?” मैंने हुंकारी भरने का योगदान दिया।

गुड्डी बेचैन हो रही थी।

ये सब ठीक है लेकिन गुंजा। उसकी आँखों में डर झलक रहा था।


सने मेरा हाथ कस के दबाया, और मैंने भी कस के दबा के अश्योर किया, बिन बोले, ; नहीं गुंजा नहीं हो सकती है। गुंजा कैसे सकती है, इतनी लड़कियां बच के निकल गयीं तो वो भी निकल गयी होगी। वो तो इत्ती प्यारी सी स्मार्ट, नहीं उसे कुछ नहीं हो सकता, मैं बस सोच रहा था और आँखे के आगे उस दर्जा नौ वाली शरीर लड़की की तस्वीर आ रही थी।

सुबह ब्रेड रोल में ढेर सारी मिर्चे भर के खिलाते,

जब कोई कपडे नहीं दे रहा था, गुंजा ने अपना बारमूडा और टॉप दिया,

जिस तरह से आँख नचा के वो गुड्डी को चिढ़ाते बोली थी, " दी को मैंने बोल दिया, पटाइये आप लेकिन मजे मैं लूंगी, और फुल टाइम, साली का हक पहले होता है "
Girl-Gunja-IMG-20240330-195108.jpg


और अब मन मानने को नहीं कर रहा था की ऐसी मुसीबत में गुंजा फंस सकती है, लेकिन पुलिसिया दिमाग कह रहा था, कुछ भी हो सकता है , कुछ भी और हर हालत के लिए तैयार रहना चाहिए।

डी॰बी॰ कहीं बात कर रहे थे, उस फोन को रख के फिर हम अपनी बात बढ़ाई-

“दूसरी- पैंटर्न। ये एकदम गड़बड़ है। टेररिस्ट पागल नहीं होता। वो भी रिसोर्स इश्तेमाल करता है, जो बहुत मुश्किल से उसे मिलते हैं। इसलिए वो मैक्सिमम इम्पैक्ट के लिए ट्राई करेगा, जहाँ बहुत भीड़ भाड़ हो और नार्मली वो बाम्ब का इश्तेमाल करेगा, होस्टेज का नहीं। और होस्टेज का होगा तो डिमांड क्या होगी? अब तक सिर्फ कश्मीर में हिजबुल के लोग इस तरह की हरकत करते हैं। लेकिन वहां हालात एकदम अलग हैं। यूपी में जितने भी हमले हुए, वो सिर्फ बाम्ब से हुए। और ज्यादातर में कोई पकड़ा भी नहीं गया तो ये बात कुछ हजम नहीं होती…”
और मेरे दिमाग में भी अब वही बात गूँज रही थी, अगर टेरर अटैक नहीं है तो क्या है ? और मिडिया वाले तो सिर्फ टेरर चिल्ला रहे हैं।

सामने टीवी ऑन था और उस पर दिखा रहा था, इस के पहले भी बनारस में बॉम्ब के धमाके हो चुके हैं , मंदिर में, घाट पर, ट्रेन में और एक बार फिर, क्या वहां बम्ब है, क्या बम्ब फूटेगा, अगर फूटेगा तो क्या होगा उन लड़कियों का, पुलिस ने चुप्पी साध रखी है।

किसी ने चैनल चेंज कर दिया,

और वहां कोई और जोर से चीख रखा था,


कौन है जो आपकी होली को खून की होली में बदलना चाहता है
कौन है जिसे यह संस्कृति नहीं पसंद है

कोई है जो आपके पड़ोस में भी हो सकता है, आपके गली मोहल्ले में भी हो सकता है , बने रहिये सबसे तेज ख़बरों के लिए

तब तक डी॰बी॰ का फोन बजा, दशाश्वमेध थाने से रिपोर्ट थी- “बोट पुलिस ने सब घाट नदी की ओर से भी चेक कर लिए हैं। आल ओके…”

डी॰बी॰ ने घंटी बजायी।
Anand babu gunja ke lie pareshan ho rahi hai. Par us se bhi jyada guddi. Lekin guddi hai bahot himmat vali.

3 sal bad apne senior DB se mulakat amezing. Jab guddi ko db ne namste kiya to guddi ko samaz aa gaya hoga.

Db vaha puchhne ko mana kar raha hai. Sayad koi gadbad hai. Kyo ki guddi vaha hai. DB ne arminadar singh se pahechan karvaya. Jo co hai. Ohh matlab anand babu ke bare me vo pahele se janta hai.

Anand babu guddi ko vaha nahi rukne dena chahte. Is lie room mang rahe hai. Special Room ka bandobast ho gaya. Har chij se chhupakar planing plotting start.

Abhi tak dushman kon hai kya hai. Unka urada kya hai. Kis se jude hue hai. Kuchh pata nahi.

Ek naya name Shameer sinha. Bihar cedar se 4 sal senior IAS ladki se shadi ki bhabhi to kam ki hai. IB me dayrector hai.

Kitna bhi apna ho defence ki baten civil lines ke samne nahin. Anand babu ki hukat amezing. Par bechari guddi bechen ho gai. Gunja ke lie. Anand babu bhi gunja ke sath bitae pal yaad kar rahe hai.

Db ka kahena sahi hai. Dushman ko kamjor nahi samazna chahiye. Terrorist pagal nahi hota. Vo bheed ko target karte hai. Hosteg ka nahi. Matlab ko koi bat manvai jaegi. Makadhad abhi bhi clear nahi. Banaras me pahele bhi bomb blast vagera ho chuke hai.

News channels ko to garma garam badi khabar mil gai hai. Vo lage pade hai. Par DB ko phone aaya. Sayad ghat pe kuchh mila hai.

Amezing interesting update Komalji. Supab.

images-4-12 images-4-24
 
  • Like
Reactions: Sutradhar

Sanju@

Well-Known Member
4,782
19,345
158
देह की होली - भौजी संग

Teej-15c46695ac4758b0d31a2a4efa7c14c7.jpg

गप्पांक

सुपाड़ा अंदर, बुर खूब अच्छी तरह से फैली और अब भौजी की चीख निकल गयी, यही तो मैं चाहता था लेकिन अब मैंने रुक गया। अब मेरे होंठ भी मैदान में आ गए, कभी भौजी की एक गद्दर चूँची काट लेता तो कभी निपल चूस लेता, हाथ भी उनकी क्लिट को हलके से छू के दूर हो जाता और फिर मैंने भौजी से पूछा,

" भौजी मजा आरहा है "

" बहुत रज्जा " कहकर भौजी ने कस के नीचे से अपने चूतड़ उछाले, उनसे रहा नहीं जा रहा था और वो सीधे चौथे गेयर में जाना चाहती थीं



CU-Fucking-11.jpg



लेकिन मैं उनको थोड़ा और तड़पना चाहता था, सब कुछ कबुलवाना चाहता था उन्ही के मुंह से, और मैंने धक्के का जवाब बजाय धक्के के देने के कस के उनके गाल को फिर से, जहाँ पहले काटा था, वहीँ काट लिया और भौजी चीख पड़ीं,

" उईईई, लगता है, तोहरी छिनार बहिनिया क गाल नहीं है जो मोहल्ला भर से चुसवाती कटवाती रहती है, जरा हलके से "


Teej-IMG-20240119-213026.jpg


जवाब में मैंने दूसरे गाल को और कस के काट लिया। अब दूबे भाभी, चंदा भाभी गुड्डी और मोहल्ले वालियां देखे, न भौजी को बताना पड़ेगा न किसी को पूछना, पता चल जाएगा हचक के पेलवा के आ रही हैं। और मेरे दोनों हाथ भौजी के जोबना पे, पूरी ताकत से,



भौजी कभी कहर रही थीं, कभी सिसक रही थीं कभी हलके हलके असीस रही थें,

" ले आओगे न अपनी बहिनिया को होली के बाद तो देखना, तोहरी महतारी के ऊपर तो पिछले सावन में गुड्डी क मम्मी ने ५१ पण्डे चढ़वाये थे मैं तो तेरी सारे बनारस के गुंडे, एक झड़ेगा दूसरा डालेगा, अंदर, पूरा बनारस रस लेगा, गुड्डी क ननदिया क,

और उनकी ये आखिरी बात सुन के तो मैंने पागल होगया मारे ख़ुशी के,

मेरी बहन गुड्डी की ननद मतलब गुड्डी मेरी,

ये तो मेरा जिंदगी का सपना था और सब कंट्रोल ख़तम हो गया, बस दोनों हाथ अब संध्या भाभी की कमर पे और मेरा लंड पूरी ताकत से भौजी की बुर में , कम से कम दर्जन भर धक्के मैंने गिन के मारे होंगे, बस एकाध इंच बाहर बचा था, रगड़ रगड़ के घिसट घिसट के दरेरते, फैलाते, छीलते,

fucking-MOT-IMG-20230531-134631.gif



और हलकी सी चुम्मी ले के मैं भौजी से प्यार से भौजी से बोला,



" भौजी तोहरे मुंह में गुड़ घी, जउन तोहार ये बात हो जाए, मेरी बहन गुड्डी क ननद हो जाए, मजाक में नहीं सच में उसकी ननद बन जाए "

अपने होंठ उठा के उन्होंने खुद मुझे चूम लिया और कस के बाँहों में बाँध के चिढ़ाते हुए बोलीं,


" सोच ले स्साले, अभी तो तेरी कुछ भी रगड़ाई नहीं हुयी है, बनारस में ससुराल होगी और यहाँ औरंगाबाद में तो तेरी, तेरी बहन, महतारी, बूआ मौसी, चाची सब की ऐसी रगड़ाई होगी न, अगर हम अपनी बहन बेटी देंगी, ...."


Teej-103968889-371831537109497-9123049517894967258-o.jpg


मेरी आँख के सामने वो सीन घूम गया जब गुड्डी ने भाभी की शादी में, भाभी का बीड़ा पता नहीं कहाँ लगा, लेकिन गुड्डी का सीधे मेरे दिल पे, एकदम तीरे नीमकश की तरह, आधा घुस के अटक गया और जब बिदाई के समय मैंने उसे वो बीड़ा दिखया और बोल दिया,

" एक दिन तुम भी जहां भाभी खड़ी थीं वहीँ से मेरे ऊपर ये बीड़ा मारोगी, "

कुछ तो वो शरमाई, कुछ मुस्करायी, लेकिन लड़कियां अपनी उम्र से पहले बड़ी हो जाती हैं तो धीरे से बोली,

" ज्यादा सपने नहीं देखने चाहिए "

Girl-K-OIP.jpg



लेकिन मैंने तो उसी दिन सपना देख लिया और कुछ भी करने को तैयार था उसे पूरा करने के लिए, तो मैंने संध्या भौजी से सीरियसली बोला



" भौजी, कुछ भी, सब मंजूर लेकिन अब तो ससुराल यहीं होगी "

और अपनी बात पे मुहर लगाते मैंने मूसल को करीब बाहर तक खिंचा और पूरी ताकत से कामदेव के तीर की तरह छोड़ा, और वो वज्र सीधे संध्या भौजी बच्चेदानी पे, लोहार के घन की तरह लगा।


fucking-MOT-19743053.gif


उईईई , उईईई संध्या भौजी पहले दर्द से चीखीं, फिर मजे से, आँखे उनकी उलटी हो गयी देह कांपने लगी, लेकिन मैं अपना बित्ते भर का लंड जड़ तक ठेले रहा और कभी मेरे होंठ ने उनके इधर उधर चुम्मा लिया तो कभी उँगलियाँ सहलाती रहीं



भाभी झड़ती रहीं।


मैं अबतक सीख गया था लड़की को एक बार किसी तरह झाड़ दो तो उसके बाद जो वो गर्माएगी, तो सब लाज छोड़ के मस्ती में चुदाई में साथ देगी,

और मैं कस के उन्हें दबोचे रहा, चूमता रहा, सहलाता रहा और एक बार धीरे धीरे संध्या भाभी जब नार्मल हो रही थीं तो बहुत धीरे धीरे मैंने भाला बाहर निकालना शुरू किया, भौजी को लगा की चुदाई का पार्ट २ शुरू होगा, लेकिन मेरे मन तो कुछ और था, मैंने पूरा ही मूसल बाहर निकाल लिया ।
बहुत ही कामुक गरमागरम और जबरदस्त अपडेट है
आनंद अब तो खिलाड़ी बन गया है संध्या भौजी की जबरदस्त चुदाई कर ली है
 

Shetan

Well-Known Member
14,924
39,819
259
अब जब मुश्किल से चार पांच मित्रों का साथ इस कहानी को मिल रहा है और कहानी एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है

बिना किसी व्यतिक्रम के हर पोस्ट पर आपका कमेंट कितना बड़ा संबल है कह नहीं सकती है।

होटल का यह दृश्य बहुत कुछ तूफ़ान से पहले वाली शान्ति की हालत है


अपडेट बस दो चार दिनों में

:thanks: :thanks: :thank_you: :thank_you:
Sach me Komalji tufan to aa gaya. Muje laga tha ki guddi aur Anand babu ka romantic erotic seen chalega. Par najane kaha se ye gundo ne anand babu ki sali gunja ko dhar liya. Bechare anand babu gunja ke chakkar me fas gae

images-4-25
 
  • Like
Reactions: Sutradhar
Top