Sanju@
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है गुड्डी का रीत पुराण चालू हो गया साथ ही आनंद की बहनिया का भी बीच बीच में जिक्र हो रहा है गुड्डी भी मजे ले रही हैरीत महिमा और गलियों में गलियां
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और फिर रीत महिमा गान शुरू हो गया।
" जानते हो रीत दी को एकदम डर नहीं लगता, रात के अँधेरे में भी, एक तो उनके हाथ में जोर इतना है, दो चार को तो अकेले ही,...
फिर गली गली, उनको सिर्फ रास्ता भी नहीं मालूम आधे से ज्यादा बनारस में, उस गली के मोड़ पे कौन रहता है, उनसे पूछ लो तो बता देंगी तो हर गली में आस आपस कौन है, कैसा है... इसलिए मैं कहती हूँ जब तेरी बहनिया आएगी न यहाँ तो देखना रीत दी कितने लौंडे चढ़ायेंगी,... एक तो तुम पोस्टर लगाए घूम रहे हो, फिर रीत दी और माल भी तो मस्त है वो, और स्साले मुंह मत बना। गलती तेरी अब तक छोड़ क्यों रखा था स्साली को। चल यार झिल्ली तो तुझी से फड़वाउंगी, वो भी अपने सामने, दूबे भाभी का हुकुम, और तूने भी हाँ बोला था, मेरे और रीत दी दोनों के मोबाइल में रिकार्ड है। अरे आठ दस बार डुबकी लगा लेना, उसके बाद तो नदी बह रही है चाहे जो डुबकी लगाए, ...और फिर पैसा भी मिलेगा,
तेरी तो यार चांदी हो जाएगी, चार आने हम लोग तुझे भी देंगे न "
तबतक वो बंद दरवाजा आ गया, एकदम फर्जी दरवाजा था, गुड्डी ने हाथ लगाया और खुल गया और वो बोली,
" खुला ही रहता है, किसी ने मारे बदमाशी के बंद कर दिया होगा, पुराने ज़माने का है अभी तक चला आ रहा है "
और अब एक चौड़ी गली आ गयी थी, जिसके दोनों ओर दोमंजिले घर थे और उस से कई जगहों पर और गलियां निकल रही थीं। पास में ही एक मस्जिद की मीनार भी दिख रही थी।
कुछ नए, कुछ पुराने और कुछ बहुत पुराने जिनका रंग रोगन उजड़ सा गया था, इसी बीच एक बड़ा सा टूटता हुआ घर दिखा, करीब करीब टूट ही चुका था, जगह जगह पुरानी ईंटे, गिरती हुयी बिल्डिंग के सामान पड़े हुए थे, और एक बोर्ड लगा था, ' बिल्डिंग टूट रही है, किसी को मोरंग, पुरानी ईंटे या और कोई सामान चाहिए, तो सम्पर्क करें। ईंटे गली में इधर उधर भी बिखरे पड़े थे और गुड्डी अचानक थोड़ी उदास हो गयी, उस घर को देख के और मेरे बिन पूछे बोलने लगी,
" सैय्यद चच्चू का घर है, था। बहुते बड़ा, बचपन में कितनी बार आयी थी दूबे भाभी के साथ, अरे बहुत छोटी थी, वो उनका चच्चू बोलती थीं तो हम बच्चे भी। बड़ा सा आंगन था, बरामदा, एकट दूकट खेलते थे अगल बगल की लड़कियां, उनके यहाँ तो कोई बचा नहीं था। "
फिर रुक के बोली
" अरे उनके दो भाई थे वो पाकिस्तान चले गए एक लड़का भी, दो बेटियां थी, एक अमेरिका गयी पढ़ने, एक कनाडा वहीँ रह गयी, शादी नौकरी। ये अकेले। दो चार साल में कभी आतीं तो बस यही जिद्द की मकान बेच के हम लोगों के साथ चलिए, लेकिन चच्चू किसी की नहीं सुनते, बोलते यहाँ जो पुरखों की कब्र है, वहां दिया बाती करते हैं वो कौन करेगा। रोज नियम से जाड़ा गरमी बरसात सुबह सुबह गंगा नहाते थे, पहले तो तैर कर रामनगर तक, लेकिन अब वो बंद हो गया था। कनाडा वाली बेटी ने बहुत जिद की तो बोले, गंगा जी को भी साथ ले चलो तो चलेंग। तीन चार महीने पहले, बेटे बेटी कोई नयी आये। बेटे को वीसा नहीं मिला, बेटियों का अपना अलग, सब मोहल्ले वालों ने, मैं भी आयी थी दूबे भाभी के साथ, और वो कनाडा वाली महीने भर बाद आयीं तो घर बेच दिया अब का कहते हैं कोई बिल्डर लिया है, मल्टी स्टोरी बनाएगा। "