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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Shetan

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रसगुल्ला
Rasgulla-1maxresdefault.jpg

गुड्डी ने एक बार आंख उठा के देखा मेरी ओर और मेरी हालत खराब,.... और उस सारंग नयनी ने पलक बंद कर ली, ये सिर्फ मैंने देखा और गुड्डी ने,...

गुड्डी से नैन मटक्का या जो कहिये बरात पहुँचते ही शुरू हो गया था. हाईस्कूल इंटर में एक शौक होता है अलग दिखने का, ... और तरीके भी सब लड़कों के अलग अलग,... और गाँव की बारात बाग़ में टिकी, लेकिन मैं एक मोटी सी अंग्रेजी की किताब, ... कुछ घराती साइड की लड़कियां आयी थीं,... अक्सर मोटी किताब का इस्तेमाल उसके अंदर मस्तराम छुपा के पढ़ने के लिए होता था, लेकिन आज मैं शायद इम्प्रेस करने के चक्कर में, बिना ये समझे की यहाँ इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला था, ...

तभी गुड्डी आयी, जहाँ मैं सबसे अलग थलग, अकेला उस किताब की आड़ में बैठा था। वो तिलक में भी आयी थी मेरे यहाँ तो पहचानता था ही, शादी में जैसे लड़कियां सजती हैं, मेकअप, चोली और लहंगे में,... और गुड्डी अपनी उमर वालियों से थोड़ी ज्यादा ही मेच्योर थी, टीनेज की पायदान पर कदम रख चुकी थी और उसके साथ दो तीन सहेलियां,

" रसगुल्ला " आँख नचा के गुड्डी ने उकसाया।

" नहीं नहीं मुझे नहीं खाना " मैंने फिर झूठ मूठ किताब पढ़ने का नाटक किया,... और उसके किताब खींच के दूर फेंक दिया और बोली

" तो मत खाइये, लेकिन चलिए मुझे खिला दीजिये, " जिस तरह से मुस्करा के आँख नचा के वो बोली,... मैंने एक रसगुल्ला उसके मुंह में लेकिन वो बदमाश हलके से उसने काट लिया। और रसगुल्ला पूरा गप्प। और मेरी कलाई पकड़ के ऊँगली में लगे शीरे को पकड़ के चाट गयी और मेरे मन में न जाने कौन कौन से सीन छा गए, फिर उसने बोला,... अब आप


" नहीं नहीं मैंने मना कर दिया " सर हिला के मैं बोली। अब उसकी सब सहेलियां मेरे और गुड्डी के बीच चल रही मजेदार खींच तान देख रही थी।

" तो मत खाइये न कौन खिला रहा है , चिढ़ा के वो बोली, फिर मुस्करा के कहा

" अच्छा मुंह खोल के एक बार बस दिखा दीजिये मेरी एक सहेली से शर्त लगी है आपके अभी भी दूध के दांत है , प्लीज। "



और मैंने मुंह खोल दिया खूब बड़ा सा, और गप्प से रसगुल्ला अंदर ,

मान गया मैं उसको और ऊपर से उसकी चिढ़ाती आँखे और शैतान मुस्कान फिर वो डायलॉग, एकदम डबल मीनिंग वाला, " देखा, गया न पूरा अंदर "

और हाथ में लगा सब शीरा मेरे गाल पे पोत दिया और बोली, " अपनी बहिनिया से चटवा लेना, साफ़ कर देंगी अच्छी तरह से "

और जब तक मैं कुछ बोलूं वो ये जा वो जा,...



उस जमाने में शाम को द्वारपूजा लग जाता था और बराती डांस वांस तो करते नहीं थे, तो जब हम लोग पहुंचे, ...द्वारपूजे के पहले, गुड्डी का डांस था,

मैं दूसरे तीसरी लाइन में खड़ा लेकिन चारो और देख के उसकी निगाह ने मुझे ढूंढ ही लिया, हलके से मुस्करायी और म्यूजिक शुरू हुआ,...

और जैसे ही गाने के साथ उसने डांस करना शुरू किया,... क्या कोई प्रोफेशनल डांसर करेगी,...




आ.. आ.. आ.. आ.. गोरी हैं कलाइयां

तू ला दे मुझे हरी-हरी चूड़ियाँ

गोरी हैं कलाइयां

तू ला दे मुझे हरी-हरी चूड़ियाँ

अपना बना ले मुझे बालमा




जिस तरह वो दोनों हाथों की चूड़ियां आपस में बजा के दिखा दिखा के कहती लग रहा था जैसे मुझ से ही कह रही हो,...

मेरा बनके तू जो पिया साथ चलेगा

जो भी देखेगा वो हाथ मलेगा

मेरा बनके तू जो पिया साथ चलेगा

जो भी देखेगा वो हाथ मलेगा, ....



स्टेज के किसी कोने में वो होती लेकिन आँख उसकी बस मेरे पास,... और उसके बाद म्यूजिक बदली,...

मेरे हाथों में नौ नौ चुडिया



और जब वो लाइन आयी

मेरे दर्जी से आज मेरी जंग हो गई ,
कल चोली सिलाई आज तंग हो गई


जिस तरह से उसने अपने छोटे छोटे आते उभरते जोबन उभारे, और एक बार मुझे दिखा के,

मेरी हालत खराब, डांस के बाद सब लोग इतनी तारीफ़ लेकिन मेरे तो बोल नहीं फूट रहे थे, वो दिखी, उसने मुझे देखा तो मैं तो उस हालत में जैसे किसी ने जादू की मूठ मार दी हो, न हिल सकता हो न डुल सकता हो, ... मेरे बिन बोले वो मेरी हालत समझ गयी, मुस्करायी और अपनी सहेलियों के झुण्ड के साथ अंदर, थोड़ी देर में द्वारपूजा शुरू होने वाला था,...
द्वारपूजा के ठीक पहले जब दुलहा आता है दुल्हन और उसकी सहेलियां छत पर से, बीड़ा मारती हैं। सबसे पहले दुल्हन, पान का एक बीड़ा जिसमे अक्षत रहता है और कहते हैं की अगर बीड़ा सही लगा तो फिर दूल्हे पर दुल्हन का राज रहता है,... और फिर सहेलियां भी,...

मैं सहबाला था तो दूल्हे के साथ ही एकदम चिपका और मेरी निगाहें छत पर, पहले तो भाभी की एक झलक पाने के लिए लेकिन उससे ज्यादा किसी और की,... भाभी तो थोड़ी सी दिखीं, सहेलियों के झुण्ड में छिपी, पीछे नाउन उन्हें पकडे, और जैसे ही उन्होंने बीड़ा मारा, ...

उसके पहले ही बादलों में बिजली सी वो भी दिखी, और भाभी का हाथ उठा, उसके साथ ही उसका भी,...

भाभी का बीड़ा तो लगा सही, लेकिन उसका एकदम सीधे मेरे सीने पर और मैंने पकड़ लिया, सम्हाल कर रख लिया। बीड़ा मारने के बाद नाउन और सहेलियां, तुरंत दुल्हन को हटा लेती हैं, लेकिन वो थोड़ी देर तक वहीं और उसके साथ मेरी निगाहें भी,

द्वारपूजे के बाद जब वो दिखी, तो मैंने बस इतना कहा की तुम्हारा निशाना एकदम सही लगा,

वो मुस्करायी और बस बोली की लेकिन कुछ लोग ऐसे बुद्धू होते हैं जिनका निशाना लग भी जाता है उन्हें पता नहीं चलता।

बाद में समझा मैं उसकी बात का मतलब,...

लेकिन मैंने तय कर लिया था जाने के पहले उससे कह दूंगा अपनी बात। और वो विदाई के समय मिली,...

और मैंने वो बीड़ा अक्षत दिखाया, उसने मुस्करा के पूछा, .. अब तक सम्हाल के रखे हो, कब तक रखोगे। हिम्मत कर के जो मैंने दस बार रिहर्सल किया था बोल दिया,

"जब तुम दुबारा इसी छत से बीड़ा मारोगी तब तक,...."

वो ज्यादा समझदार थी मुझसे, बोली,... ज्यादा सपने नहीं देखने चाहिए, बाद में तकलीफ होती है।

और बात उसकी सही थी, शादी ब्याह में इस तरह की मुलाकात, दोस्ती, अक्सर कुछ दिनों में धुंधला जाती है ,और बाद में जैसे किताबों में रखे फूल कुछ बातें याद दिला देते हैं उसी तरह से, ...



लेकिन गुड्डी, गुड्डी थी।


भाभी की चौथी में वो आयी। चौथी में अक्सर दुल्हन के मायके से लड़के आते हैं है लेकिन वो आयी, उसके बाद ६ महीने आठ महीने कोई छुट्टी हो,... बेल सूखी नहीं आगे बढ़ती रही, लेकिन हर बार पहल उसी ने की,...

और मैं भी कभी सेलेक्शन के लिए कभी इंटरव्यू तो कभी किसी काम से कहीं जाता, ट्रेन तो बनारस से ही पकड़नी पड़ती,... और बनारस जाऊं और सिगरा भाभी के याहं न जाऊं,... और उनके यहां जाने का मतलब खाना खाना और भाभी हो, गुड्डी की मम्मी तो बिना गारी सुने, और वो किसी को नहीं छोड़ती थीं, न जाओ तो डांट जबरदस्त पड़ती थी गुड्डी की भी भाभी की भी और जाओ तो बिना खाना खाये,... और जरा भी नखड़ा किये तो भाभी अपनी स्टाइल में, और अब मैं गुड्डी और भाभी के लिए गुलाब जामुन ले जाता तो उसकी दोनों छोटी बहनों के लिए चॉकलेट,


लेकिन भाभी, गुड्डी की मम्मी सिर्फ मज़ाक, छेड़खानी ही नहीं ख्याल भी बहुत करती थीं हालांकि उसमे भी मजाक का कोई मौका वो छोड़ती नहीं थी

जब मेरा सेलेक्शन हुआ तो मुझसे ज्यादा भाभी खुश थी और उनके बराबर ही उनकी भाभी यानि गुड्डी की मम्मी भी. बताया तो था की भाभी ने गंगा जी की आर पार की चुनरी मानी थी, तो मैं और भाभी मनौती पूरी होने पर गए गुड्डी के यहाँ रुके, और गंगा जी फिर चुनरी चढाने,... मैं भाभी, गुड्डी और भाभी यानि गुड्डी की मम्मी। उसके बाद पता चला की भाभी ( गुड्डी की मम्मी ) ने भी एक दर्जन मंदिर में मेरे लिए मनौती मानी थी और फिर हम चारो उन सब मंदिरो पे, भाभी ने अपनी भाभी से पूछा,

" भौजी ये मनौती पूरा होने पे का मानी थी "

वो बड़ी सीरियसली बोलीं, " अरे बिन्नो तोहरे सास और इनके महतारी के लिए बहुत फायदा है, हम माने थे की भैया की नौकरी लग जायेगी बनारस क सौ पंडा इनकी महतारी के ऊपर चढ़ाइब,.... तो बस अब पूजा आज हो गयी तो बस वही एक चीज बाकी है, तो उनको भेज देना दस बारह दिन के लिए,... अभी भी बहुत जांगर है उनमे एक दिन आठ दस पंडा तो निपटा ही लेंगी, ... "

" एकदम भौजी " मेरी भाभी भी मेरी ओर चिढ़ाती निगाहों से देखते मुस्कराते बोलीं और जोड़ा,... " अरे अब उनकी तीरथ बरत क उमर वैसे भी साल में छह महीना तो तीरथ,... तरह तरह की मलाई का स्वाद मिलेगा और पंडे चढ़ेंगे तो आर्शीवाद भी देंगे , और दिन में २४ घंटा होता है अगर २४ घंटा में चौदह घंटा भी,...

भाभी की भाभी ने बात पूरी की,... चौदह घंटा भी चोदवाये तो,...

गुड्डी बिना बोले रह नहीं सकती थी, अब तक पीछे मेरे साथ खड़ी खिस खिस हंस रही थी अब जोड़ दिया

" हर पण्डे को डेढ़ से पौने दो घंटे मिलेगा "

भाभी और चंदा भाभी की गाने की आवाज की टनकार तेज हो रही थी और मैं यादों की झुरमुट से वापस आया,

भाभी जोर जोर से मुझे सुना के गा रही थीं साथ में चंदा भाभी
Amezing. Pagal kar diya. Kahi na kahi mohe rang de vali vo shararat feel hui muje. Alag he par feel vahi lagi. Bahot maza aaya. Aur Anand babu ka to bachna mushkil he. Par guddi rani ko dekhne ke lie to sab zelna padega. Mahtari pe pande chadhvane padenge. Amezing
 

komaalrani

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Jabardast romantic seen. Gujiya ke jariye kya kissing seen create kiya he. Jabardast erotic Romance. Jese suji ,khoaa, aur dry fruits me ghul kar prem ki chasni bahe rahi ho. Maza aa gaya. Aur anand babu ko bhabhi chhodegi nahi.
मैंने आप से कहा था न इसमें मोहे रंग दे वाला रोमांस आपको मिलेगा , मीठा मीठा टीनेज के प्यार का पहला अहसास,

और जहाँ तक देवर भाभी की बात है तो कौन भौजाई होगी जो देवर को छोड़ेगी,.... वो भी फागुन में

आप को अच्छा लगा, आप ने न सिर्फ पढ़ा बल्कि उस रस को चखा भी और कमेंट भी किया बहुत धन्यवाद . :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 
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komaalrani

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Jab puchha byah karoge is se bolo.

Bas vahi seen dill ko gudguda gaya. Amezing create kiya he. Jabardast shararat bhi aur haya bhi. Jese fantasy aur chah ka matlab samaza diya ho. Jabardast ....
एकदम सही कहा फैंटसी और चाहत

शादी ब्याह में कोई लड़की दिखती है, अच्छी लगती है, वो कभी देख के मुस्करा देती है, बस. फिर कभी सहेलियों के झुरमुट में बादल में बिजली की तरह दिखती है, आँखे चार होती हैं,

बस यही मन करता है बस एक बार और दिख जाए,...

फिर नाम मालूम हो जाए ,... और मुंह भर बात हो जाए,... और प्यार की बेल चढ़नी शुरू होती है,...

और उसी में कोई उसी लड़की के बारे में पूछ ले, ब्याह करोगे,... झिझक लाज,... और बाद में अहसास होता है की चिढ़ाया जा रहा था, .... लेकिन उस मज़ाक में भी चाहत को एक उम्मीद दिखती है क्या पता,... हो जाये तो

और उसी उम्मीद की ऊँगली पकड़ के जिंदगी थोड़ा और आगे बढ़ती है, थोड़ा मुस्कराती है

गुड्डी और आनंद का यह किस्सा कितने टीनेजर्स का होता है,

आपने इसे सहारा दिया, आपको अच्छा लगा,... आभार।
 

komaalrani

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Wah kya bat he. Bhojan se Anand babu khade bhi nahi ho payenge. Sahi wakt pe dhare gae he. Amezing gariyana. Maza aa gaya. Sare geet mazedar the. Superb.
एकदम सही कहा आपने इन गारियों की मिठास वही समझ सकता है जिसने इन्हे गाया हो और जिसने इन्हे सुना हो। मैं सिर्फ वही गारिया या बाकी लोकगीत लिखतीं हूँ जो मैंने कभी गायीं हो या सुनी हों।

खाने वाले खाने की रफ़्तार धीमी कर देता है, रोज से दूना खा लेता है,... इसी बहाने भाभियों, सालियों की रस घोली आवाज में एक दो और सुनने को मिल जाए,... और साथ में आनंद जानता है की जब तक खाना चल रहा है, गुड्डी साथ में है उसे खाना खिला रही है , जहाँ खाना ख़तम हुआ , वो किसी और काम के लिए निकल जायेगी या गुड्डी की मम्मी या चंदा भाभी आ जाएँगी।

यह कहानी सच में धीमे धीमे पढ़ने की चीज है, पढ़ने से ज्यादा महसूस करने की, हम सब की जिंदगी में ऐसे मीठे पल आते हैं पर जिंदगी की आपाधापी, कभी इम्तहान, कभी नौकरी उसे धकिया कर आगे बढ़ जाते हैं

ये प्रसंग, ये पल पुराने पन्नो को पलट कर उन्हें याद दिलाने के लिए,
 

komaalrani

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komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २ -पृष्ठ १९ पर

कृपया पढ़ें, महसूस करे, लाइक करें और कमेंट जरूर करें.
 

Sutradhar

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एकदम सही कहा फैंटसी और चाहत

शादी ब्याह में कोई लड़की दिखती है, अच्छी लगती है, वो कभी देख के मुस्करा देती है, बस. फिर कभी सहेलियों के झुरमुट में बादल में बिजली की तरह दिखती है, आँखे चार होती हैं,

बस यही मन करता है बस एक बार और दिख जाए,...

फिर नाम मालूम हो जाए ,... और मुंह भर बात हो जाए,... और प्यार की बेल चढ़नी शुरू होती है,...

और उसी में कोई उसी लड़की के बारे में पूछ ले, ब्याह करोगे,... झिझक लाज,... और बाद में अहसास होता है की चिढ़ाया जा रहा था, .... लेकिन उस मज़ाक में भी चाहत को एक उम्मीद दिखती है क्या पता,... हो जाये तो

और उसी उम्मीद की ऊँगली पकड़ के जिंदगी थोड़ा और आगे बढ़ती है, थोड़ा मुस्कराती है

गुड्डी और आनंद का यह किस्सा कितने टीनेजर्स का होता है,

आपने इसे सहारा दिया, आपको अच्छा लगा,... आभार।
वाह कोमल मैम

कितने अच्छे से और गहराई से टीनेज की मनोदशा बताई है।

सादर
 

Shetan

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एकदम सही कहा फैंटसी और चाहत

शादी ब्याह में कोई लड़की दिखती है, अच्छी लगती है, वो कभी देख के मुस्करा देती है, बस. फिर कभी सहेलियों के झुरमुट में बादल में बिजली की तरह दिखती है, आँखे चार होती हैं,

बस यही मन करता है बस एक बार और दिख जाए,...

फिर नाम मालूम हो जाए ,... और मुंह भर बात हो जाए,... और प्यार की बेल चढ़नी शुरू होती है,...

और उसी में कोई उसी लड़की के बारे में पूछ ले, ब्याह करोगे,... झिझक लाज,... और बाद में अहसास होता है की चिढ़ाया जा रहा था, .... लेकिन उस मज़ाक में भी चाहत को एक उम्मीद दिखती है क्या पता,... हो जाये तो

और उसी उम्मीद की ऊँगली पकड़ के जिंदगी थोड़ा और आगे बढ़ती है, थोड़ा मुस्कराती है

गुड्डी और आनंद का यह किस्सा कितने टीनेजर्स का होता है,

आपने इसे सहारा दिया, आपको अच्छा लगा,... आभार।
Bilkul sahi kaha komalji. Yaha muje kuchh alag laga to vo ye ki mohe rang de thi komal ki jubani. Ek nari ki chahat ,vedna, anubhav kahani. Vahi yaha to sajan ji. Matlab ek purush ki jubani har ek feelings ko. Amezing he. Dono hi.
 

Shetan

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एकदम सही कहा आपने इन गारियों की मिठास वही समझ सकता है जिसने इन्हे गाया हो और जिसने इन्हे सुना हो। मैं सिर्फ वही गारिया या बाकी लोकगीत लिखतीं हूँ जो मैंने कभी गायीं हो या सुनी हों।

खाने वाले खाने की रफ़्तार धीमी कर देता है, रोज से दूना खा लेता है,... इसी बहाने भाभियों, सालियों की रस घोली आवाज में एक दो और सुनने को मिल जाए,... और साथ में आनंद जानता है की जब तक खाना चल रहा है, गुड्डी साथ में है उसे खाना खिला रही है , जहाँ खाना ख़तम हुआ , वो किसी और काम के लिए निकल जायेगी या गुड्डी की मम्मी या चंदा भाभी आ जाएँगी।

यह कहानी सच में धीमे धीमे पढ़ने की चीज है, पढ़ने से ज्यादा महसूस करने की, हम सब की जिंदगी में ऐसे मीठे पल आते हैं पर जिंदगी की आपाधापी, कभी इम्तहान, कभी नौकरी उसे धकिया कर आगे बढ़ जाते हैं

ये प्रसंग, ये पल पुराने पन्नो को पलट कर उन्हें याद दिलाने के लिए,
Bilkul sahi kaha komalji. Gariyana ye gane to ham bhi gate he. Khushiyo ke in kisso me ek spardha si hoti he. In hasi mazak ki boli me kon jitega. Kabhi dulhe ke bhai bahen to kabhi dulhe ki buaa tai mahtari sab ko gali padti he. Unke dosto ki to alag se prabandh hoti he.
Gariyana bhi to khane pine chalne firne tak sab pe. Kabhi to ladki vale ke ladko ke nam se bhi jod jod kar chidhaya jata he. Par in gariyane me pyar masti shararat khushiya chhupi hoti he. Gariyate hi risto se riste judte he. Dosti hoti he. Vyavhar bante he. Amezing komalji
 

komaalrani

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Amezing. Pagal kar diya. Kahi na kahi mohe rang de vali vo shararat feel hui muje. Alag he par feel vahi lagi. Bahot maza aaya. Aur Anand babu ka to bachna mushkil he. Par guddi rani ko dekhne ke lie to sab zelna padega. Mahtari pe pande chadhvane padenge. Amezing
Thanks so much story aap ko pasand aa rahi hai aur aapke comment ek ek karke aa rahe hain
 
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