Shetan
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Wah kya bat he. Bhojan se Anand babu khade bhi nahi ho payenge. Sahi wakt pe dhare gae he. Amezing gariyana. Maza aa gaya. Sare geet mazedar the. Superb.आनंद की बहिनी बिके कोई ले लो.
“अरे इनकी बहनों का हाल जरा सुना दो कसकर…” भाभी बोली।
“क्या नाम है इनके माल का?” चन्दा भाभी ने पूछा। बिना नाम के गारी का मजा ही क्या?
गुड्डी मेरे पास ही बैठी थी। उसने वहीं से हुंकार लगाई- “मेरा ही नाम है। गुड्डी…”
“आनंद की बहना बिकी कोई लेलो…” गाना शुरू हो गया था और इधर गुड्डी मुझे अपने हाथ से खिला रही थी।
अरे आनंद की बहिनी बिके कोई ले लो। अरे रूपये में ले लो अठन्नी में ले लो,
अरे गुड्डी रानी बिके कोई ले लो अरे अठन्नी में ले लो चवन्नी में ले लो
जियरा जर जाय मुफ्त में ले लो अरे आनंद की बहिनी बिकाई कोई ले लो।
और अगला गाना चन्दा भाभी ने शुरू किया।
मंदिर में घी के दिए जलें मंदिर में।
मैं तुमसे पूछूं हे देवर राजा, हे नंदोई भड़ुए। हे आनंद भड़ुए। तुम्हरी बहिनी का रोजगार कैसे चले
अरे तुम्हारी बहिनी का गुड्डी साल्ली का कारोबार कैसे चले।
अरे उसके जोबना का ब्योपार कैसे चले, मैं तुमसे पूछूं हे आनंद भड़ुए।
“क्यों मजा आ रहा है अपनी बहिन का हाल चाल सुनने में…” गुड्डी ने आँखें नचाकर मुझे छेड़ा।
“एकदम लेकिन घर चलो सूद समेत वसूलूँगा तुमसे…”
“वो तो मुझे मालूम है लेकिन डरती थोड़ी ना हूँ…” हँसकर मेरी बाहों से अपने को छुड़ाकर वो किचेन में चली गई।
गरमागरम पूड़ियां वो ले आई और बोली- “कैसा लगा मम्मी पूछ रही थी…”
मैं समझ गया वो किसके बारे में पूछ रही हैं। हँसकर मैंने कहा- “नमक थोड़ा कम था। मुझे थोड़ा और तीखा अच्छा लगता है…”
“अच्छा ज्यादा नमक पसंद है ना ऐसी मिर्चे लगेंगी की परपराते फिरोगे…”
गुड्डी आँख नचाते बोली
चन्दा भाभी ने सुन लिया था और वहीं से उन्होंने जवाब दिया। और अगली गाली वास्तव में जबर्दस्त थी।
“मैं तुमसे पूछूँ आनंद साले। अरे तुम्हरी बहिनी के कित्ते द्वार।
आरी तुम्हरी बहिनी गुड्डी साल्ली है पक्की छिनार।
एक जाय आगे दूसर पिछवाड़े बचा नहीं कोई नौवा कहांर,
"क्यों, एक साथ दोनों ओर से?" गुड्डी ने मुश्कुराकर मुझसे पूछा।
उधर भाभी ने वहीं से आवाज लगाईं- “अरे मैं तो समझती थी की बिन्नो के सिर्फ देवरों को ही पिछवाड़े का शौक है तो क्या उसकी ननदों को भी…”
“एकदम साल्ली नम्बरी छिनार हैं…”
चन्दा भाभी ने जवाब दिया ओर अगला गाना, भाभी ने शुरू किया। मैंने खाना धीमे कर दिया था। गालियां वो भी भाभियों के मुँह से खूब मस्त लग रही थी।
कामदानी दुपट्टा हमारा है कामदानी।
आनंद की बहिना ने एक किया दू किया,
तुरक पठान किया पूरा हिन्दुस्तान किया
900 भड़ुए कालिनगंज (मेरे घर का रेड लाईट एरिया) के
अरे 900 गदहे,एलवल के (जिस मोहले में गुड्डी का घर था और उसकी गली में कुछ धोबी थे गली के बाहर गदहे बंधे रहते थे )
अरे गुड्डी रानी ने गुड्डी साल्ली ने एक किया दो किया,
हमारो भतार किया भतरो के सार किया।
भाभी, ( गुड्डी की मम्मी ) का गारियों का खजाना अथाह था और वो सब एक से एक और आज फगुनाहट कुछ ज्यादा ही चढ़ी थी उन पे।
उन्होंने गाना खतम भी नहीं किया था की चन्दा भाभी शुरू हो गईं।
मैं तुमसे पूछी हे गुड्डी बहना रात की कमाई का मिललई,
अरे भैया चार आना गाल चुमाई का, आठ आना जुबना मिस्वाई का,
और एक रुपिया टांग उठवाई का।
लेकिन भाभी ( गुड्डी की मम्मी ) ने थोड़ा सा लेवल बढ़ाया और वो सिर्फ गुड्डी या बहनों पर लिमिट नहीं करती थीं अब चंदा भाभी सहायक भूमिका में थी, गुड्डी मेरे बगल में बैठे मेरे साथ सुन रही थी, और मुझे देख के मुस्करा रही थी,
आनंद भैया क बहिनी चढ़ गयी शहतूत
अरे गुड्डी छिनरो चढ़ गयी शहतूत , अरे अरे गुड्डी क उड़ गया स्कर्ट
अरे गुड्डी क उड़ गया स्कर्ट और दिख गयी चूत, अरे दिख गयी चूत
अरे आनंद भैया क अम्मा चढ़ गयी खजूर , अरे आनंद भैया क अम्मा चढ़ गयी खजूर ,
अरे आनंद भैया क महतारी चढ़ गयी खजूर , अरे उड़ गयी उनकी साड़ी अरे उलट गयी उनकी साड़ी
अरे उड़ गयी उनकी साड़ी अरे उलट गयी उनकी साड़ी और दिख गयी बुर, अरे दिख गयी बुर
तब तक गुड्डी माल पुआ लेकर आई- “एकदम तुम्हारे बहन के गाल जैसा है…”