Sanju@
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है संध्या ने आनंद को एक झटका दे दिया आनंद गुड्डी से सच्चा प्यार करता है इसलिए उसके लिए सेक्स ज्यादा मायने नहीं रखता है उसके लिए गुड्डी ज्यादा मायने रखती हैं क्योंकि आनंद शर्मिला है वह अपनी कोई भी परेशानी कहने से हिचकिचाता है लेकिन गुड्डी ऐसी नही है वह इसके मन की हर बात जान लेती है और अपनी बातो से उसके मन के डर को निकाल देती है ऐसी लाइफ पार्टनर तो सब को मिलनी चाहिए संध्या भाभी आनंद के परिवार के बारे में सब कुछ जानती है इसलिए वह आनंद को गुड्डी से शादी करने के लिए किस की रजामंदी चाहिए ये बता रही हैं संध्या भाभी की बाते आनंद के लिए फायदेमंद होने वाली हैगुड्डी -सिर्फ गुड्डी
लेकिन अब जो संध्या भाभी ने बात की,
"तो वही गुड्डी के साथ, मतलब ३०-४० बार तो, मेरा मतलब की तुम दोनों का मजा लेने का या, मतलब अब कैसे कहूं, अब हर बार चुदाई के बाद बियाह, और का पता तोहरे घर वाले कहीं और लड़की वड़की देख के, या कोई और लड़की वाले तोहरे घरे, मतलब, देखो गुड्डी को मैं जानती हूँ , वो न बोलेगी न बुरा मानेगी "
मैं धक्क से रह गया, कुछ बोल ही नहीं निकल रहे थे बस किसी तरह से आवाज फूटी,
" मैं, मतलब, मेरा क्या, गुड्डी नहीं बोलेगी लेकिन मैं फिर, फिर मेरे रहने का क्या मतलब, होने का क्या मतलब, अगर वो, "
जैसे कोई भीत भहरा गयी।
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जो कुछ मैंने कभी गुड्डी से भी नहीं, किसी से भी नहीं कहा था वो सब मेरे मुंह से निकल रहा था, मुझे पता भी नहीं चल रहा था मैं क्या बोल रहा हूँ , संध्या भाभी को कैसे लगेगा, बस जो बादल इतने दिन से उमड़ घुमड़ रहे थे सब बरस गए।
संध्या भाभी बस मुझे देख रही थीं।
" भौजी, मुझे गुड्डी चाहिए। कम से कम इस जन्म के लिए, उस के बिना तो मेरे रहने का ही मतलब नहीं। कैसे बताऊँ। वो मुझे एक दिन सेक्स न करने दे, चलेगा। चुम्मी भी न दे तो भी, छूने भी न दे। वो जब पास में रहती हैं न तो भले मुझे बात भी न करे, अपने काम में बिजी रहे , तब भी, अपनी सहेलियों के साथ भी रहे न तो जिस तरह से एक बार मुड़ के देख लेती है, हल्के से मुस्करा देती हैं, बस। उससे ज्यादा क्या चाहिए किसी को जिंदगी में। इसलिए ये तो मैं सोच भी नहीं सकता। "
संध्या भाभी कभी मेरे बाल सहलातीं कभी कभी गाल और बस हलके हलके मुस्करा रही थीं। और मैं बिना रुके बोले चला जा रहा था
" आप सोच नहीं सकती, मुझे उससे कुछ कहना नहीं पड़ता, मेरे बिना कहे उसे पता चल जाता है की मेरा क्या मन कर रहा है। और मेरी कोई परेशानी हो, छोटी बड़ी, जो मुझे एकदम परेशान किये हो, कुछ न समझ में आ रहा हो, उससे बोलूं तो बस एक मिनट में, और फिर मेरा काम आसान। वो रहेगी तो बस मुझे सोचना ही नहीं, सोचने का काम उसका और मेरा काम बस जो वह कहे उसकी बात मान लूँ "
" और उसकी बात टालने की तेरी हिम्मत नहीं "
मेरे कान मरोड़ते हुए संध्या भाभी मुस्करा के बोलीं,
" बुद्धू हूँ लेकिन इतना भी नहीं, जो उसकी बात टालूँ, ...पिटना है क्या " मैं भी मुस्कराते हुए बोला,
,मैं उन्हें क्या बताऊँ, जो मेरी नौकरी मिली, वो भी सब, धौलपुर हाउस में इंटरव्यू के आधे घंटे पहले मेरी हालत ख़राब थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सब कह रहे थे बड़ा टफ बोर्ड है, एक शिफ्ट में चार लोगो का इंटरव्यू, जो जो इंटरव्यू दे के आ रहे थे पसीने पसीने, और ये सोच सोच के मेरी हालत खराब, क्या पूछेंगे, कहीं सब भूल गया।
आखिर में मैंने गुड्डी को फोन लगाया, वो हसंते हुए बोलीं, 'हो गया' , और मैंने कहा " यार मेरी फटी पड़ रही है और तू हंस रही है, बार बार,"
मेरी बात काटते वो सुनयना बोली,
" अरे यार फटेगी तो तेरी है ही और अच्छे से फटेगी, ...तेरे शहर के मोची भी नहीं सिल पाएंगे, लेकिन तेरी फाड़ेंगे मेरे मायके वाले और मैं , और उनके अलावा और किसी का हक़ नहीं है तेरी फाड़ने का,.... और मन में, ...तो एक इत्ती अच्छी प्यारी सी सेक्सी लड़की से बात कर रहे हो, उसी के बारे में सोचो, सब चिंता भाग जायेगी। "
और मैंने वही किया, बस उसी के बारे में,... और एकदम नॉमर्ल हो के इंटरव्यू, २५० में २२५ मिला और रैंक भी अच्छी। जिस दिन रिजल्ट आया वो घर में ही थी और सब के साथ पीछे पड़ी मिठाई खिलाओ, और मैंने उसकी कच्ची अमिया को देख के बड़ी हिम्मत से कह दिया
" मिठाई तो मुझे खानी है " बस उस ने मेरी ओर से अनाउंस कर दिया की मैं सबको पिक्चर दिखाने वाला हूँ और पिक्चर में मेरा हाथ खींच के अपनी हवा मिठाई पे
हम दोनों चुप थे, संध्या भाभी मुस्करा रही थीं, बोली,
"तुम पागल हो। और फिर पुछा गुड्डी से कुछ कहा, आजकल तो लड़के नाम बाद में पूछते हैं आई लव यू पहले बोलते हैं, तो ये सब,....कभी उससे कहा है,... आई लव यू बोला है, गुड्डी को।"
मैं उचक गया।
" अरे भौजी पिटना है क्या, " हंस के बोला।
और भौजी ने प्यार से एक चांटा मेरे गाल पर लगा दिया. लेकिन हल्के से नहीं और बोली क्या ऐसे मारती है , वो।
" नहीं नहीं इससे भी जोर से, लेकिन मुक्का और पीठ पे, फिर पूछती है लगा तो नहीं और फिर सहलाती है " हंस के मैंने अपनी,... गुड्डी की बात बताई।
" तो आज तुम बदला लेना, मार के उसकी, तुम पहले सहलाना फिर मारना " खिलखिलाते हुए भौजी बोलीं।
मैं भी हंसने लगा लेकिन भौजी फिर सीरियस हो गयीं।
" तेरे यहाँ फैसला लेगा कौन, तेरी महतारी तो लेंगी नहीं " और मैं कुछ बोलता उसके पहले उन्होंने राज खोला।
बात ये थी की जब मेरी माँ सावन में महीने भर गुड्डी के यहाँ थीं, उनकी मनौती थी सावन में बनारस में रहने की और हर सोमवार....तो मेरी अपनी भाभी ने भी बोला और गुड्डी की मम्मी ने भी तो, वो गुड्डी के यहाँ ही रुकी थीं महीने भर तो सावन फिर पंद्रह बीस दिन और .
तो संध्या भाभी उसी समय,... उनका भी शादी के बाद पहला सावन था तो मायके में आयी थी और फिर दोनों लोगों में पक्की दोस्ती हो गयी।
पहले तो मेरी भाभी से संध्या भाभी का बहन का रिश्ता तो मेरी माँ से सास बहू का रिश्ता और छेड़छाड़, फिर घाट पे दोनों लोग साथ साथ,... तो एकदम सहेली वाला मामला भी और शुद्ध बनारसी गारी का भी, संध्या भाभी बोलीं की अगर किसी दिन बिना गरियाये बात की, तो वो पूछती 'तेरी तबियत ठीक है न'। तो उन्हें भी मालूम था की साल में पांच छह महीना तो घर से बाहर ही,.... और किसी काम के लिए कोई पूछता तो वो कह देती, 'बहू क्यों लायी हूँ अब जो फैसला करना होगा वो करेगी। '
इसलिए मेरे बारे में भी उनका यही फैसला था जो कुछ होगा,... उनकी बहू मतलब मेरी भाभी।
" तो तेरे भैया और भाभी बचे " संध्या भाभी अब लॉजिकल सोच रही थीं।
और मैं जोर से हंसा,
" भैया तो घर में घुसते ही सीधे ऊपर अपने कमरे में और भाभी का पांच मिनट में बुलावा आ जाता है। एक बार किसी ने मेरी शादी के बारे में बोला भी तो भैया ने तुरंत मेरे और भाभी के ऊपर टाल दिया, की आनंद और उनकी भाभी जाने, तो भाभी बोलीं की देवरानी मेरी आएगी की इसकी,... तो आनंद से क्या मतलब?"
संध्या भाभी ने बात मुझे आगे नहीं खींचने दिया और बोलीं की इसका मतलब की बिन्नो दी ही फैसला करेंगी, और देखो, कौन औरत अपनी छोटी बहन को देवरानी नहीं बनाना चाहती, और गुड्डी तो उनकी सगी छोटी बहन से बढ़ के, लेकिन बोलना तुझे ही पडेगा उनसे, बिना तेरे कहे वो कुछ करेंगी भी नहीं और अबकी जब जा रहे हो तो कुछ भी करके होली के पहले उन्हें बोल देना।
लेकिन तुझे ये बात भी सोचनी चाहिए की गुड्डी के यहाँ कौन फैसला करेगा और किस तरह से करेगा।
बात तो संध्या भाभी की एकदम सही थी, ये तो मैंने सोचा ही नहीं था। लेकिन संध्या भाभी ने ही हल भी बताया।