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Thanksokay we will wait
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Okk...aage ka intezar rahegaकहानी से जुड़े दो पात्रों की बातें आगे बढ़ेंगी,मेरी ननद गुड्डी रानी और देवर अनुज की और कैसे बढ़ेंगी कहानी में क्या ट्विस्ट होगा, ये सब अभी से बता के कहानी का रस भंग मैं नहीं करना चाहती, लेकिन ट्विस्ट होगा और जबरदस्त होगा, इसलिए मैं यानी फर्स्ट परसन में कहानी का जो रूप था उससे विदा लेती हूँ, पर
मेरी इत्ती प्लानिंग के बाद भी मेरी ननद का पिछवाड़ा कोरा रह जाए,
तीन तीन पठान तैयार हैं उनकी बातें न हों , और कम्मो फिर उसके सहयोग में तो वो सारी बातें होंगी अब कम्मो कहेगी या थर्ड परसन में होंगीं ये तो तभी पता चलेगा, लेकिन ट्विस्ट जबरदस्त होगा,
और आप में से कुछ हो सकता है मेरी इस ननद के भाई को बिसर गए होंगे जो गुड्डो के पास, गुड्डो और उसकी मम्मी,... तो माँ बेटी साथ साथ
सब कुछ होगा,... बस थोड़ा सा इन्तजार होगा, शायद होली तक , फिर दोनों इसी थ्रेड में या जैसे आप सब का आदेश हो अलग नए थ्रेड में ,... तो बस जुड़े रहिये साथ बनाये रखिये इस थ्रेड पर और मेरे बाकी थ्रेड्स पर भी,...
और रिस्पांड जरूर करियेगा, प्लीज प्लीज प्लीज ,
२५० से ऊपर पन्ने
दस लाख से ज्यादा व्यूज ,... पिछला फोरम बंद होने के बाद ये मेरी पहली कहानी थी ,
तो इन्तजार करुँगी , आपके कमेंट्स का सुझावों का।
कोमल रानी की कहानियों का कैनवस बहुत बड़ा होता है.. मानवीय भावनाओं जैसे मिलना, बिछोह, छेड़-छाड़ इत्यादि और साथ में कुछ दिमागी उठा पटक भी (जैसे इस कहानी में रीत के प्रसंग)... स्टोरी लाइन के साथJo kahaniya 2 3 sal tak aise hi ragad ragad k chalti hai unka aisa hi end hota hai... aur komal ki kahaniya har baar wahi se shuru hoti hai... joru ka ka ghulaam xossip pe aati thi wo band ho gaya fir Xforum pe dobara shuru ki jabki net pe purani story ab bhi mil jaayegi ...agar shuru hi karni hai to wahi se karo jaha se xossip pe band huyi hi aur jaldi likho
हरेक लेखक/लेखिका जो कहानी का ताना-बाना बुनता है.. वो शुरुआत, अंत और बीच का काफी कुछ खाका बना चुका होता है..और अब यह कहानी यहीं ख़तम होती है , पढ़ने वालों , सुनने वालों, और कहने सुनने वालों से बस अब यहीं अलविदा
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हो सकता है इस कहानी के अब तक बचे, कुछ गिने चुने पाठकों में से दो चार को अच्छा न लगे, एक दो शायद सोचें भी यहाँ क्यों रुक गयी ये कहानी , तो बस उनके लिए,
पहली बात, इस कहानी का नाम ही है , था, मोहे रंग दे , एक दुसरे के रंग में रंगने की कहानी, साजन के सजनी के और सजनी की साजन के रंग में डूबने सराबोर हो जाने की कहानी, जब बिना कहे बोले , एक की बात दूसरा समझ ले , इशारे की भी जरूरत न पड़े, .. जो अंग्रेजी में कहते हैं , व्हेयर इच इज बोथ,... तो बस ये कहानी वही कहना चाहती थी , और मेरे नेते वो कहानी, कहानी नहीं जो कुछ कहे नहीं। पति पत्नी का रिश्ता, बनने और आगे बढ़ने की कहानी, और शादी के पहले की भी थोड़ी ताकाझांकी जो कहते हैं न लव कम अरेंज्ड तो उसमें भी तो लव पहले आता है,... गाँव जो आलमोस्ट क़स्बा बन चुका है , और शहर जो अपने दिल में अभी भी गाँव है , ... उन के बीच के रिश्तों की कहानी , रिश्तों की गर्माहट और मीठी मीठी छेड़छाड़ की कहानी,... तो बस जब दोनों रंग चुके हैं , तो बस मुझे लगा एक यही मुकाम है , ठहरने का,...
दूसरी बात, ... मैंने पहले ही तय कर लिया था की १,००० पेज ( एम् एस वर्ड्स में ) से ज्यादा नहीं,... जोरू का गुलाम को लम्बा करने की सज़ा मैं अभी तक भुगत रही हूँ, फोरम पहले बंद हो गया , कहानी पूरी हो नहीं पायी, खैर उस बात को अभी यहीं छोड़ती हूँ , तो १,००० पेज जब पूरे हुए तो मेरे एक मित्र ने जिन्होंने मेरी ढेर सारी कहानियों को पी डी ऍफ़ किया,... बताया की उनके हिसाब से तो १००० कभी के पूरे हो गए, और होली आगयी तो मैंने पिछले साल कुछ होली के सीन डाल दिए बस उसके बाद , अब होली में कोई लिमिट तो होती नहीं, अपने यहाँ तो होली का लिमिट और शराफत दोनों से कोई नाता नहीं, ... इसलिए और फिर ननद भाभी वाला मामला , तो थोड़ी फंतासी नुमा,... लेकिन अब इस कहानी के मेरी लैपी पर १,१५४ पन्ने और ३,१८, ७२४ शब्द हो चुके हैं। तो फिर ,...
तीसरी बात, शायद आप में से अभी नहीं लेकिन बाद में कोई कभी, मरा पुराना पाठक भटकता हुआ और रवायतन पूछ बैठे, इसके आखिर में डाटा की और भी ढेर सारी कन्सर्न्स हैं तो क्या इस कहानी का दूसरा भाग भी आएगा , नहीं और हाँ,
और सही बात है की मैं नहीं जानती,
जब पिछला फोरम बंद हुआ था तो मैंने सोचा था, बस और नहीं, फिर कुछ पुरानी कहानियां लेकिन उनमे भी इतनी चीजें जुड़ गयी की वो एकदम नया वर्ज़न ( नमूने के तौर पर सोलहवां सावन, कितने नए हिस्से उसमें जुड़ गए ) और फिर ये कहानी शुरू हुयी तो , बढ़ती गयी, और जब उसमें एक बार रीत घुस गयी, और जिसने पुराने फोरम में रीत से भेंट मुलाकात की होगी, या मेरी कहानी फागुन के दिन चार पढ़ी होगी, वो जानते हैं की अगर रीत कहीं घुस गयी तो उसके बाद जो होता है वो रीत करती है,... लेकिन अगर अगला भाग आया तो , एक तो वो इरोटिक नहीं होगा , शायद बहुत हुआ तो एरोटिक थ्रिलर हो, हो सकता है एक डिस्टोपियन दुनिया का किस्स्सा हो , ... लेकिन कहानी सुनाने के साथ अक्सर हम सुनाने वाले सुनने वाले की पसंद नापसन्द भूल जाते हैं और फिर सर धुनते है, कोई सुनता नहीं , सुनता है तो हुँकारी नहीं भरता,.. और डिस्टोपियन किस्सों के अपने,... और फोरम के भी कानून कायदे, तो आप जिसके मेहमान है , जब आप ने जहाँ बरसों से अड्डा जमा रखा था, और वो नशेमन उजड़ गया, किसी ने अपने यहाँ सर छुपाने की जगह दी , पर उसके यहाँ अगर कायदा है की चप्पल घर के बाहर उतार दें, रात में दस के बाद गाना न बजाएं तो उसे मानना ही होगा,...
तो मैं नहीं जानती और अगर कुछ हुआ भी तो अगले छह महीने साल भर, जिस तरह की बातें मैं सोच रही हूँ , उसके लिए बहुत इंटेंसिटी चाहिए,
चौथी बात , शायद कोई ये भी पूछे अब क्या होगा मेरी छुटकी ननदिया का जो इत्ती सारी प्लानिंग थी मेरी और कम्मो की, और वो अनुज जो बनारस में है,
छुटकी ननदिया के साथ वही होगा है जो होना होना है , लेकिन शुरू से अबतक यह कहानी फर्स्ट परसन में हैं और फिर जिस जगह कहानी सुनाने वाली ही नहीं होगी तो वहां की बातें कैसे होंगी , फिर मैंने पहले भी कहा था न यह कहानी थी मोहे रंग दे , साजन सजनी के एक दूसरे के रंग में रंगने रंगाने की,...
तो यह कहानी तो यही ख़तम हो रही है लेकिन थ्रेड मैं नहीं बंद कर रही,
हाँ पर देवर ननद की बातें कुछ उनके ऊपर कुछ आपकी कल्पनाओं पर छोड़ती हूँ , ... लेकिन कोई यह कहे की ऐसा थोड़े ही होता है,... तो घबड़ाइये मत, , दोनों के मेरी ननद के और देवर के, देवर की बातें देवर की अनुज की जुबान से , और ननद की बातें , कम्मो की ओर से , ... लेकिन अभी नहीं , पर जल्द ही , कुछ बातें ,... कम्मो और अनुज की ओर से,...
तो इतने दिनों तक धैर्य तक साथ देने के लिए धन्यवाद, और अगर किसी के कमेंट आएंगे तो मैं सर झुका के धन्यवाद देने जरूर आउंगी।
ये तो आपने हमारे मन की बात कह दी..कहानी से जुड़े दो पात्रों की बातें आगे बढ़ेंगी,मेरी ननद गुड्डी रानी और देवर अनुज की और कैसे बढ़ेंगी कहानी में क्या ट्विस्ट होगा, ये सब अभी से बता के कहानी का रस भंग मैं नहीं करना चाहती, लेकिन ट्विस्ट होगा और जबरदस्त होगा, इसलिए मैं यानी फर्स्ट परसन में कहानी का जो रूप था उससे विदा लेती हूँ, पर
मेरी इत्ती प्लानिंग के बाद भी मेरी ननद का पिछवाड़ा कोरा रह जाए,
तीन तीन पठान तैयार हैं उनकी बातें न हों , और कम्मो फिर उसके सहयोग में तो वो सारी बातें होंगी अब कम्मो कहेगी या थर्ड परसन में होंगीं ये तो तभी पता चलेगा, लेकिन ट्विस्ट जबरदस्त होगा,
और आप में से कुछ हो सकता है मेरी इस ननद के भाई को बिसर गए होंगे जो गुड्डो के पास, गुड्डो और उसकी मम्मी,... तो माँ बेटी साथ साथ
सब कुछ होगा,... बस थोड़ा सा इन्तजार होगा, शायद होली तक , फिर दोनों इसी थ्रेड में या जैसे आप सब का आदेश हो अलग नए थ्रेड में ,... तो बस जुड़े रहिये साथ बनाये रखिये इस थ्रेड पर और मेरे बाकी थ्रेड्स पर भी,...
और रिस्पांड जरूर करियेगा, प्लीज प्लीज प्लीज ,
२५० से ऊपर पन्ने
दस लाख से ज्यादा व्यूज ,... पिछला फोरम बंद होने के बाद ये मेरी पहली कहानी थी ,
तो इन्तजार करुँगी , आपके कमेंट्स का सुझावों का।
आपने एकदम सही कहा, और रीत की बात तो अलग ही है, इसलिए इस कहानी के आखिरी भाग में रीत की मौजदगी भी है, और रीत की चुनौती भी, लगता है कुछ लोगों से वह बात या तो मिस हो गयी या मैंने उसे ठीक से प्रजेंट नहीं किया, आज की स्थिति की बातों से जुडी है ये बात,हरेक लेखक/लेखिका जो कहानी का ताना-बाना बुनता है.. वो शुरुआत, अंत और बीच का काफी कुछ खाका बना चुका होता है..
और उसी के अनुसार कहानी को मूर्त रूप देता है...
लेकिन पाठकों का भी अपना लालच होता है.. और ... और ज्यादा की इच्छा करता है....
यहाँ कहानी का शीर्षक "मोहे रंग दे" शायद कहानी के फर्स्ट पर्सन में होने के कारण सिर्फ वक्ता तक सीमित हो गया
लेकिन कई अन्य पात्र जैसे देवर, ननद और साथ में आपके साजन भी अपने को "मोहे रंग दे" के कारण रंगों से सराबोर होने की बेसब्री से प्रतीक्षा में होंगे
आपकी दूसरी बात पर मैं इतना हीं कहना चाहूंगा कि आपकी इच्छा सर्वोपरि है... और हाँ बड़ी कहानियों का कुछ नफा है तो नुकसान भी है (जैसे की जोरू का गुलाम )
तीसरी बात पर :- रीत तो mastermind और हर कहानी की जान है.. और जहाँ रीत हो वहाँ stake भी काफी बढ़ जाते है.. साथ हीं कहानी पढ़ने का मजा भी कई गुना बढ़ जाता है...
सिर्फ mindless fuck हीं नहीं दिमागी कसरत भी हों जाती है और बहुत कुछ नया जानने को मिलता है... ये बातें हीं पत्थरों के ढेर में इस कहानी को एक अलग चमक देती है ...
आपकी हर genre पर बहुत मजबूत पकड़ है और dystopian दुनिया के नजराने भी किसी भी हालत में कम नहीं होंगे...
और मेरा तो कहना है कि अभी इसमें बहुत कुछ बाकी है और सीक्वल का जब आपके दिमाग में कुछ plot बन जाए तो पन्ने पर उतारने से गुरेज न करें यह मेरा आपसे आग्रह रहेगा..
चौथी बात पर- कई scene पाठक अपनी कल्पनाओं में सोच कर गुदगुदाते रहते है... और सबके गुदगुदाने का नजरिया भी अलग-अलग होगा..
लेकिन इतनी planning व्यर्थ ना जाए और उन सबको देवर भाभी के वार्तालाप या ननद भाभी के संवाद के जरिये इन पन्नों पर उतारा जा सकता है - ऐसा मेरा मत(राय) है...
(आपकी फर्स्ट पर्सन के उत्तर में)