वाई
बड़ौदा में जो स्लीपर सेल हेड कर रहा था उसे रीत ने कोड नेम ' वाई ' दिया था,... और वहां प्लान था इंडियन आयल की रिफायनरी और आस पास के पावर हाउसेज को ध्वस्त करने का रेलवे के वैगनों की सहायता से,... वैगनों में वो कुछ डिवाइस लगाते और जब वो रेल टैंकर पेट्रोलियम की लोडिंग के लिए रिफायनरी में जाते तो आधे से ज्यादा लोडिंग पूरा होने के बाद वो डिवाइसेज एक्टिवेट हो जातीं,... एक साथ तीन चार टैंकर रेक की लोडिंग वहां होती थी और उन के साथ साथ विस्फोट से न सिर्फ रिफायनरी बल्कि आस पास के इलाके में, उसी तरह से कोयले से लदे वैगन आस पास के पावर हाउसेज में तो वहां भी उसी तरह,... जब वह कोयला ब्व्यालर में जाता तो,...
रीत को मैंने मीनल का रिफरेंस दिया था, बड़ौदा में एम् एस युनिवरसिटी में फाइन आर्ट्स में पढ़ती थी और वहां के गली कूचे का उसे उसी तरह पता था जैसे रीत को बनारस की गलियों का,
और रीत ने तय कर लिया था की अबकी वाई को जिन्दा ही पकड़ना है, कुछ भी हो उसे किसी तरह कालिया के हाथ नहीं लगने देना है , जेड से तो न तो कुछ पूछताछ हो पायी न उस के तार कहाँ से जुड़े हैं ये पता चल पाया तो ये वाई के साथ न हो ,
उसे पहचाना भी रीत ने जिन्दा पकड़वाया भी,...
रीत ने जंग का मैदान तलाश लिया था। किसी भी लड़ाई में पहला कदम यही है की मैदान आपके अनुकूल हो और उसके चारों ओर की जानकारी आपको अच्छी तरह हो। इस जगह पे रिपयेर वाले स्टाफ कहीं से दिख नहीं रहे थे। दूसरे रिफायनरी की ओर से आने वाली सड़क का गेट बहुत पास था और सड़क वहाँ तक आ आ रही थी।
उसने फ्रेंडशिप ऐसे अपने कलाई पे बंधे बैंड का पीला बटन दबा दिया। उससे अब करन का डायरेक्ट कांटेक्ट स्टैब्लिश हो गया। उस बैंड का स्पेशल ऐप मोबाइल में था, उसके जी॰पी॰एस॰ पे अब साफ था जहाँ करन था, वहाँ से यहाँ क्या है और पहुँचने का समय चार मिनट दिखा रहा था।
रीत अब तैयार थी- अटैक।
मीनल अब तक उसे बातों में उलझाए थी, जब की वाई चाहता था की जल्द से जल्द उसे फुटाए। मीनल ने उससे बोला की बस वो उसे उससे दो-चार बातें लेना चाहती है, सिर्फ इस बात को हाइलाइट करने के लिए की जब लोग होली की छुट्टी मना रहे हैं तब भी आप लोग लगन से काम कर रहे हैं। बस वो जो मेरी असिस्टेंट खड़ी है न दो मिनट लगेगा वहीं।
वो घबड़ाया- “नहीं कोई फोटो वोटो नहीं, हमारे यहाँ परमिटेड नहीं है…”
मीनल ने उसे समझाया- “नहीं हम कोई इलेक्ट्रानिक मिडिया वाले नहीं है बस वो अभी सीख रही है न, तो मैं सवाल करूंगी, वो जवाब नोट करेगी…” और मीनल चलती हुई रीत के पास आ गई और पीछे-पीछे वो। मीनल और रीत इस तरह खड़ी थी की यार्ड में से कोई भी देखता, वही दोनों दिखती और वो उन दोनों के बीच, छिपा, ढंका।
सवाल मीनल ने शुरू किया और रीत वाई के पीछे खड़ी थी। मीनल ने कहा- “आप छुट्टी के दिन भी इतनी मेहनत से काम कर रहे हैं…”
वाई ने बोला- “जी…” लेकिन उसकी निगाहें इधर-उधर घूम रही थी, और हाथ में वो रेग्जीन वाला बैग बहुत कसकर पकड़े था। वही जिसमें से वो डिवाइसेज निकालकर लोगों को दे रहा था लगाने के लिए।
मीनल ने अगला सवाल किया- “लेकिन आप किस देश के लिए काम कर रहे हैं?”
अब वो चौंका, गुस्से में बोला- “मतलब?”
“मतलब, ये आप वैगन में बम क्यों लगा रहे हैं?” मीनल ने बोला।
जवाब उसके चाकू ने दिया, जिस फुर्ती से उसने चाकू से मीनल पे हमला किया।
रीत मान गई उसे।
लेकिन उतनी ही फुर्ती से मीनल का पेपर स्प्रे चला, वो सबसे ज्यादा पावरफुल स्प्रे था जिसमें आसाम की मशहूर भूत जोलकिया चिली का इश्तेमाल किया गया था।
साथ ही रीत के दोनों चले उसके घुटनों के जोड़ पे। नतीजा वही हुआ जो होना था, वो जमीन पे और चाकू ने सिर्फ मीनल के टाप को हाथ के पास से चीर दिया था और उसे हल्की खरोंच लगी थी। रीत ने साथ में ही अपने कलाई में बंधे बैंड पे रेड बैंड दबा दिया और उसी के साथ अपनी टेजर गन से गिरे हुए वाई के बाडी से सटाकर दो शाट मार दिए।
अब वो आधे एक घंटे के लिए बेकार था।
मीनल ने जमीन पे गिरा वाई का मोबाईल उठाकर अपने पर्स के हवाले किया और रीत ने अपने झोलेनुमा लेडीज पर्स में उसका वो रेग्जीन का बैग, जिसमें वो डिवाइसेज थी। इस सब में उन दोनों को एक मिनट से ज्यादा नहीं लगा। उसको उकसाना इसलिए जरूरी था जिससे कन्फर्म हो जाए की वो दुश्मन का एजेंट है, और दूसरे गुस्से में वो अपना कंट्रोल खो देगा और उसे न्यूट्रलाइज करना ज्यादा आसान होगा।
और वही हुआ।
तभी रीत ने अपनी पेरीफेरल विजन से देखा उसे कोई देख रहा है। और सतर्क हो गई। उसने मीनल को भी इशारा किया।
रीत ने झुक कर ‘वाई’ के गले के पास की एक नस दबा दी, सिर्फ दस सेकंड के लिए, और उसका असर ये हुआ की अब वो किसी तरह एक घंटे के पहले होश में नहीं आने वाला था। उससे भी ज्यादा ये हुआ की अब उसके सारे सिम्पटम हार्ट अटैक के थे, नब्ज़ स्लो हो गई थी, खून दबाव कम हो गया था। कोई डाक्टर भी बिना ई॰सी॰जी॰ किये ये नहीं कह सकता था कि, इसे हार्ट अटैक नहीं हुआ।
तब तक वही हुआ जिसका रीत को डर था। ढेर सारे काम करने वाले इकट्ठे हो गए, मारो मारो करते, और पीछे वही आदमी था जिसे रीत ने पेरीफेरल विजन से देखा था, वो सामने नहीं आ रहा था, लेकिन लोगों को उकसा रहा था- “यही दोनों हैं, क्या किया तुम दोनों ने मारा है इन्हें?”
मोर्चा मीनल ने फिर सम्हाला- “तुम लोग समझते क्यूँ नहीं, इन्हें हार्ट अटैक हुआ है, तुरंत हास्पिटल ले जाना जरूरी है…” वो बोली।
“हास्पिटल ले चलना है तो रेलवे हास्पिटल ले चलना है, प्रतापनगर…” एक बोला।
रीत अभी भी झुकी उसकी नब्ज़ देख रही थी। उसने कनखियों से देखा, वही आदमी अभी भी भीड़ को उकसा रहा था।
वो उठकर खड़ी हुई और बोली- “मैंने रिफायनरी की एम्बुलेंस को फोन कर दिया है वो अभी आ रही होगी…” उसने उस बैंड के सहारे जब रेड अलर्ट किया था तभी करन को बोल दिया था की वो रिफायनरी के एम्बुलेंस से आये।
“अरे रिफायनरी वाले कभी एम्बुलेंस नहीं भेजंगे, पहले इनको उठाओ आफिस में ले चलो…” एक कोई और चिल्लाया।
यही रीत नहीं चाहती थी। एक बार अगर वाई को वो उठा ले आते तो क्या होता पता नहीं। उसे वाई जिन्दा चाहिए था। वो जेड का हश्र बनारस में देख चुकी थी। आई॰बी॰ और पुलिस वाले देखते रह गए और भारी भीड़ में उसे गोदौलिया में खतम कर दिया। रीत ने फिर करन को फोन लगाया। करन ने बोला वो एम्बुलेंस में निकल गया है बस दो-तीन मिनट में पहुँच रहा है।
लेकिन दो-तीन मिनट भी मुश्किल पड़ रहे थे।