• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259


भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






Teej-Anveshi-Jain-1619783350-anveshi-jain-2.jpg





तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
शीला भाभी,...भभूत--अगले दिन

एक चीज मुझे सुबह से समझ में नहीं आ रही थी तो मैंने पूछ ली- “शीला भाभी कहाँ है सुबह से दिख नहीं रही हैं…”

“अरे तुमको नहीं पता। सुबह से जिस साधू के पास वो जाती हैं, वहीं आज पूजा का आखिरी दिन है, तो भभूत मिलेगी उन्हें। तुम्हें तो मालूम है उनकी शादी के तीन साल हो गए हैं लेकिन बच्चा नहीं हुआ। इसलिए साधू के पास आई है। गाँव में कई लोगों ने उन्हें इस साधू के बारे मैंमैं बोला था की भभूत से बच्चा हो जाता है…” गुड्डी मुश्कुराकर बोली।



मैंने जोर से गुड्डी की टनटनायी, निपल पिंच की और बोला अरी बुद्धू बच्चे भभूत से नहीं ‘इससे’ होते हैं…”


वो खिलखिलाई और बोली- “अरे मेरे बुद्धू मुझे मालूम है और मुझसे ज्यादा शीला भाभी को मालूम है…”

और कसकर मेरे लिंग को दबा दिया। वो तुरंत 90 डिग्री पे हो गया। फिर कड़े मोटे खुले सुपाड़े पे अंगूठे को रगड़ते बोली-

“मैंने तो उन्हें आफर भी कर दिया की ये छ: फूट का आदमी है, आपका देवर भी है किस दिन काम आयेगा, ले लीजिये इसका सफेद भभूत अपने अन्दर…”

और फिर गुड्डी ने मुझे देखकर कहा-

“अरे दे दो ना बिचारी को वीर्य दान, बहुत उपकार मानेगी…” फिर ठसके से बोली-

“किसी को चाहिए तो बहुत नखड़ा दिखा रहे हो। वरना अपनों बहनों का नाम ले लेकर। 61-62 करते होगे, इधर-उधर गिराते रहते होगे…”



गुड्डी ना। उसको समझना बहुत मुश्किल है।

मैंने फिर भी पूछ लिया- “बुद्धू… तू बुरा नहीं मानेगी। अगर मैं किसी और के साथ…”

वह फिर खिलखिलाई, उसने मेरे गाल को चूम लिया और हल्के-हल्के किशोर हाथ मेरे लिंग पे चलाने लगी और बोली- “अरे पगले, अभी तो मेरा नाम परमानेंटली इसपर लिखा नहीं है…”

मैंने तुरन्त उस किशोरी का मुँह भींच दिया और कहा- “सुबह-सुबह ऐसा बोलना भी मत, तुम जानती हो मैं क्या चाहता हूँ…”

दिवाली की फुलझड़ी की तरह हँसती हुई उसने मेरा हाथ हटा दिया और भोर की धुप की तरह खिलती खिलखिलाती बोली-

“मुझे क्या मालूम तुम क्या चाहते हो। और वैसे भी देवरानी चुनने का हक तो तुमने अपनी भौजाई को दे दिया है। लेकिन मान लो मेरा नाम इसपे लिख भी जाय तो। फिर तो और तुम्हारी चांदी…”

मेरे कुछ समझ में नहीं आया। वो भी समझ गई और मुझे समझाते बोली- “अरे यार। मेरे मायके वालियों को तो तुम छोड़ोगे नहीं, मेरी बहनेँ, सहेलियां, भाभियां…”

“तुम्हारी बहनें तो अभी बहुत छोटी है…” मैंने मुँह बनाकर कहा।

“तुम्हारे ऐसा जीजा मिलेगा तो कब तक वो छोटी रहेगीं। तुम्हारा हाथ पड़ेगा तो दिन दुनी बढेंगी।




वो हँसी फिर बोली लेकिन तब तक मेरी सहेलिया, गुंजा, महक ने तो आलरेडी नंबर लगा दिया है। इस बार ही इसका रस वो लेकर रहेंगी।

फिर मेरी ममेरी बहन नेहा। और मौसेरी बहनें सब उम्र में मुझसे एक-दो साल ऊपर-नीचे ही होंगी। और तुम्हें “लोलिता…” टाइप सालियां कैसी लगती हैं…” आँख नचाकर अपने बाले जोबन को उभार के उसने पूछा।

कच्ची कलियां किसे नहीं पसंद होंगी। खास तौर से जब उस दौर में भी उनमें खिलते फूलों का रंग और खुशबू आनी शुरू हो जाए। और मैंने भी बोल दिया- “हाँ एकदम पसंद हैं लेकिन तुम किसके बारे में बोल रही है और क्या गारंटी वो लिफ्ट दे या ना दे…”

“अरे किस साली की हिम्मत है जो अपने इस जीजू को मना कर दे और अगर इस बार जिसके होंठों पे तुम ये बांसुरी लगा दोगे। वो पीछे-पीछे फिरेगी और फिर कोई नाज नखड़ा करे तो। थोड़ी जोर जबरदस्ती भी चलती है जीजा साली में। आखीरकार, तुम्हारा हक है। याद है मेरे वो मुट्ठीगंज, अलाहाबाद वाले मामा जी की…”

गुड्डी ने मुश्कुरा कर कहा।



“कैसे भूल सकता हूँ मैं उनको खास तौर से तुम्हारी तीनों बहनों को। और उनकी मम्मी को…” मैंने भी मुश्कुराकर कहा।
सबक बहनों की लिस्ट तैयार है...
एक के बाद एक...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
किस साली की हिम्मत है

“अरे किस साली की हिम्मत है जो अपने इस जीजू को मना कर दे और अगर इस बार जिसके होंठों पे तुम ये बांसुरी लगा दोगे। वो पीछे-पीछे फिरेगी और फिर कोई नाज नखड़ा करे तो। थोड़ी जोर जबरदस्ती भी चलती है जीजा साली में। आखीरकार, तुम्हारा हक है। याद है मेरे वो मुट्ठीगंज, अलाहाबाद वाले मामा जी की…”

गुड्डी ने मुश्कुरा कर कहा।

“कैसे भूल सकता हूँ मैं उनको खास तौर से तुम्हारी तीनों बहनों को। और उनकी मम्मी को…” मैंने भी मुश्कुराकर कहा।


वास्तव में, मेरे सेलेक्शन के कुछ दिन बाद की ही तो बात है। मुझे दो-तीन दिन के लिए अलाहाबाद जाना था। बनारस होते हुए गया तो गुड्डी के पापा ने कुछ कागज दे दिया, जो गुड्डी के मामा को वहां देना था। और गुड्डी ने मुझसे खास तौर से अपनी तीनों कजिन्स से जरूर मिलने के लिए बोला था और फोन पर उनसे कुछ खुसुर पुसुर की। किसी तरह गली-गली ढूँढ़ते उनके घर पहुँचा। दो बहनें गुड्डी से छोटी। एक तो दो साल छोटी अभी आठवें में गई थी। दूसरी एक साल छोटी अभी नवें में और एक बड़ी दो साल बारहवें में पढ़ती थी उस समय। अब बी॰ए॰ में गई होगी।

और उनकी माँ बड़ी वाली की बड़ी बहन लगती थी। रूप में भी व्यवहार में भी। मुझे लगा छोटी वाली तो अभी बच्चिया होंगी इसलिए मैं चाकलेट ले गया था। सबसे पहली मुलाकात छोटी वाली से हुई। नाम तो गुड्डी ने बता दिया था उसका रूपा। लेकिन देखते है मैं चौंक गया। मुझे लगा था की बस उसके उभार नवांकुर से होगे। टिकोरे ऐसे।

लेकिन वहां तो एकदम उभार गदरा रहे थे अच्छी तरह। और उससे भी बढ़कर, बात-चीत व्यवहार। एकदम अलग। जब मैंने उसे चाकलेट दी। तो वो एकदम चिपक गई बच्चों की तरह लेकिन जिस तरह उसने अपने उभार मेरे सीने पे रगड़े और कान में बोला-

“मुझे तो दूसरी वाली चाकलेट चाहिए, जो जितना चूसो कभी खतम नहीं होती…”

और एक दिन मैं रजाई में था तो मझली और छोटी दोनों घुस आई और मुझे आज तक नहीं पता चला की उनमें से किसके पैर मेरे लिंग मर्दन में लगे थे। ऊपर से गुड्डी से शिकायत अलग की। कीत्ते शर्मीले है। हम लोग तो सोच रहे थे की जिप खोल कर चेक कर लें। उस समय तो मैं थोड़ा लजीला शर्मिला था लेकिन अब एकदम नहीं और अगर वो “आफिसियल सालियां…” बन गईं तो मैं उन्हें छोड़ने से रहा।

गुड्डी मुझे यादों से बाहर ले आई और हँसकर बोली- “वो तो एक नमूना था। मेरी मौसी की लड़कियां तो उनसे भी दो हाथ आगे हैं, तो सोच लो कैसी मस्त सालियों से पाला पड़ेगा तुम्हारा और फिर भाभियां। कोई नहीं छोड़ने वाली तुम्हें। कई ने तो मुझसे वादा भी ले लिया है। हे तेरा दुल्हा आयेगा ना तो पहले मैं ट्राई करूँगी। साली, सलहज, रिश्ता ही ऐसा है और अगर तुमने किसी को छोड़ दिया न तो मैं बुरा मान जाऊँगी…” मुँह बनाती हुई वो सुमुखी बोली।

“किसी को भी सोच लो…” मैं मुश्कुराया। मेरे मन में रात में मैं उसकी माँ को लेकर जो छेड़खानी की थी वो याद थी। दनादन चार-पांच मुक्के मेरी छाती पर पड़े।

“बदमाश, दुष्ट। मुश्कुराते वो बोली। मैं समझ रही हूँ तुम्हारा इशारा किधर है, लालची। नदीदे। मेरी मम्मी पर ही…”

फिर हँसकर कहा। अच्छे घर दावत दे रहे हो। तुम्हें नहीं मालूम। हमारे यहाँ सास-दामाद में कित्ता खुलकर मजाक होता है। उनकी गाली तो सुन ही चुके हो ना। बस तुम्हारे घर में किसी को नहीं छोड़ेंगी। ऐसी गालियां पड़ेंगी तुम्हें और वो मजाक सिर्फ जुबानी नहीं होता छुआ छुवन, पकड़ना सब कुछ। फिर मैं कौन होती हूँ सास दामाद के बीच बोलने वाली। वैसे उनके तो मजे आ जायेंगे…”


फिर एक पल के लिए गुड्डी चुप रही फिर मुझे डांटते बोली-

“तुम भी ना। मैं सब भूल जाती हूँ तेरे चक्कर में, मैं यह कह रही थी की मेरे मायके वालियों को तो तुम छोड़ोगे नहीं। अभी से लार टपका रहे हो और वो हैं भी ऐसी। आखीरकार, मेरी मायकेवालियां है

और जहाँ तक तेरी मायके वालियां है। उनके लिए मेरी ओर से छूट है। बिचारी ना जाने यहाँ वहां इधर-उधर जाकर मुँह मारेंगी। कहीं कुछ रोग सोग लग जाय, कहीं कोई एम॰एम॰एस॰ बनाके कालिनगंज में बिठा दे। तो इससे अच्छा तुम्हारे साथ ही। रंजी को तो मैं तुम्हें दिलवा के रहूंगी। भले उसका हाथ-पैर बाँधकर दिलवाना पड़े और उसके अलावा जो भी तेरी चचेरी, मौसेरी, ममेरी फुफेरी सबका…”

इता लंबा डायलाग बोलकर वो थक गई और तब उसे याद आया की मेरे लिए नाश्ता लायी थी। तो उसने अपने हाथ से खिलाना शुरू किया और फिर मुझे याद दिलाती बोली-

“हे, दे दो ना बिचारी शीला भाभी को। तुम्हें क्या मालूम। गाँव में कितने ताने झेलने पड़ते है उनको और मुझको मालूम है तुम एक बार भी करोगे ना तो वो शर्तिया। प्लीज मेरी खातिर। परसों ही जाना है उन्हें और मेरी चिंता छोड़ो। दो दिन तो तुमने मुझे वैसे ही रगड़कर रख दिया है। एक बार करोगे ना तो वो गाभिन हो जायेंगी। मुझको पक्का मालूम है…”

ये लड़की न… किस-किस की चिंता इसे नहीं है।

दूसरी कोई होती तो जरा सा आँख उठाकर देख लो तो मुँह फुलाकर बैठ जायेगी और ये खुद। मैंने सोचा। और उसके गाल पे एक खूब जोर से चुम्मी ली और बोला-

“अरे यार मेरी हिम्मत की तेरी बात टालूँ। लेकिन कल तुमने इसका वायदा किया था…” और मैंने थोड़ा सा उसे उचका के एक हाथ नितम्ब पे रखा और उंगली सीधे नितम्ब के बीच की दरार पे।



“दे दूंगी यार जब दिल दे दिया तो बिल क्या चीज है। चाहे आगे की हो चाहे पीछे की। लेकिन तुम्हें एक बात नहीं मालूम…” वो आँख नचाते, ठसके से बोली।
उसके अपने गोल की है...
चिंता तो रहेगी...
“दे दूंगी यार जब दिल दे दिया तो बिल क्या चीज है। चाहे आगे की हो चाहे पीछे की। लेकिन तुम्हें एक बात नहीं मालूम…” वो आँख नचाते, ठसके से बोली।

क्या कमाल का लिखती हैं.....
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
शीला भाभी

वास्तव में मुझे नहीं मालूम था की वो क्या बोलने वाली है।

उसने बात नहीं बतायी सिर्फ मेरे होंठों पे एक जबर्दस्त किस लिया। बल्की होंठों को चूस लिया कसकर और बोली-

“यही की। तुम, बहुत अच्छे हो। थोड़े नहीं बहुत। मुझे मालूम था की तुम मेरी बात टालोगे नहीं। इसलिए मैंने उनसे प्रामिस कर दिया था की तुम शीला भाभी के लौटने से पहले, सिर्फ करोगे ही नहीं बल्की वो जिस काम के लिए आई हैं उसे पूरा कर दोगे। तभी तो कल रात पन्दरह मिनट में उनके पास से छूट के तुम्हारे पास आ गई थी। और अब उनसे घबड़ाने की भी कोई बात नहीं…”


तभी उसे कुछ याद आया और वो मेरा छुड़ाते हुए बोली-


“तुम बहुत बहुत बुरे हो। तुम्हारे पास आने के बाद मैं सब कुछ भूल जाती हूँ। कुछ भी ध्यान नहीं रहता। अब देखो, अभी शीला भाभी भी नहीं है और पूरा किचेन का काम तुम्हारी भाभी मेरे हवाले करके ऊपर बीजी है। अव सीधे एक घंटे में आँएगी और पूरा खाना तैयार होना चाहिए…”

वो उठी और अभी कमरे से बाहर निकल भी नहीं पायी थी की जैसे की लोग कहते है ना। शैतान का नाम लो और, तो शीला भाभी हाजिर। और गुड्डी को देखकर उन्होंने बहुत ही अर्थ पूर्ण ढंग से मुश्कुराया। लेकिन गुड्डी भी ना। उसने हल्के से उनको आँख मार दी और मुझको दिखाते हुए अपने मस्त बड़े-बड़े चूतड़ मटकाते बाहर निकल दी।

वो उठी और शीला भाभी मेरे सिंहासन पर।

मैंने खींचकर जबरन उनको अपने गोद में बैठा लिया था। और एक हाथ से उनके गोरे-गोरे गाल को सहलाते हुए पूछा- “भौजी आज सबेरे सबेरे किसको दरसन देने चली गई थी…”

मेरी बात टालते हुए, उन्होंने अपने भारी नितम्बों से पूरी तरह खड़े जंगबहादुर को दबाते हुए मुझे छेड़ा और बोली-

“लाला, झंडा तो बहुत जबर्दस्त खड़ा किये हो। अभी फहराए की नहीं। अरे मौका था तोहार भौजाई ऊपर लगवाय रही हैं। त तुमहूँ ठोंक दिहे होते छोकरिया का, बहुत छर्छरात फिरत है। एक बार इ घोंट लेगी ना ता बस गर्मी ठंडी हो जायेगी। खुदे मौका ढूँढ़ेगी तोहरे नीचे आने की। लेकिन तू तो मौका पाय के भी खाली ऊपर झांपर से मजा लैके। अरे इ अगर गाँव में होती ना त कितने लौंडे अरहर अउर गन्ना के खेत में चोद चोद के, लेकिन तू शहर वाले ना…”

बात त भाभी की कुछ ठीक थी और उसकी ताकीद मैंने उनकी दोनों खूब गदराई चूची को दाब कर की।

“लेकिन भाभी आप सबेरे सबेरे। इहाँ कौनो यार वार है का…” मैंने जानते हुए भी पूछा।

“अरे एक ठो साधू है ना। बस उही के चक्कर में…” उन्होंने कुछ इशारा किया और मैंने बात आगे बढ़ाई।

“अरे कहाँ बूढ़ पुरनिया साधू के चक्कर में भौजी। हम तो इहाँ जवान हट्टा कट्टा देवर घर में। और। अरे आप एक मौका दीजिये हम बोले तो थे की ठीक नौ महीने बाद सोहर होगा। गारंटी…”

और मैंने शीला भाभी के ब्लाउज़ के दो बटन भी खोल दिए। इत्ते मस्त रसीले जोबन का कैद में रखना नाइंसाफी है। और शीला भाभी ने कोई ऐतराज नहीं किया ना कोई रोक टोक।

बस बोला- “लाला, हम कब मना किये हैं। लेकिन तुमसे तो उ छटांक भर की लड़की पटती नहीं और। चलो आज हो जाय रात में कबड्डी…” वो बोली।

अब मेरे लिए मुश्किल थी। आज तो गुड्डी के पिछवाड़े का उद्घाटन था। मैंने फिर कम्प्यूटर देवी की सहायता से बात संभाली और एक साईट खोली और शीला भाभी को दिखाया। गर्भाधान के लिए उत्तम मुहूर्त। उनकी निगाह कंप्यूटर से एकदम चिपक गई थी।

मैंने उन्हें समझाया…”

अरे भौजी मजा लेना हो तो कभी भी ले लें। लेकिन हमें तो 9 महीने बाद आपके आँगन में किलकारी सुननी है ना। इसलिये ये देखिये…” साईट पर लिखा था की पूनम की रात में सम्भोग करने से गर्भाधान अवश्य होता है।

मैंने शीला भाभी को समझाया की आज रात आप पूरी तरह से आराम करिए। कल होली है ना, पूनम की रात। तो बस कल रतजगा होगा देवर भाभी का और 9 महीने बाद पूनम ऐसी बेटी। चन्दा चकोरी ऐसी…”

भाभी कंप्यूटर देख रही थी, उसमें तमाम तंत्र मन्त्र कुंडली इत्यादि बने थे। मन्त्र मुग्ध होकर मेरी ओर देखकर बोली- “लाला बात तो तू सोलह आना सच कह रहे हो। इ मशिनिया त उ बबवा से केतना आगे है…”

एक बटन और खुली और मेरा हाथ अब शीला भाभी के ब्लाउज़ में अन्दर था और खुलकर जोबन मर्दन का सुख ले रहा था।

“ता भाभी उ साधू त कतौं भभूत के नाम पे इ हमारी छमक छल्लो भौजी। के साथ…”

“अरे लाला ‘उ’ खड़ा ना होए ओकर ढंग से। आज इहे तो तमाशा हो गया…”

वो अपनी कहानी शुरू करती की गुड्डी पास में आकर खड़ी हो गई।



भाभी थोड़ा कुनमुनाई, थोड़ा कसमसाई लेकिन मैंने उनके ब्लाउज़ से हाथ बाहर नहीं निकाला और उनके कान में बोला-

“अरे भौजी, इससे क्या शर्माना छिपाना, ये भी तो अपने गैंग की है…”

और दूसरा हाथ सीधे गुड्डी के मस्त टाईट कुर्ते के बाहर छलकते, गदराये, गुदाज जोबन के ऊपर और उसे मैंने बिना झिझके दबा दिया। गुड्डी ने ना मेरा हाथ हटाया न पास से सरकी बल्की और सट गई और तारीफ भरी निगाह से मेरी ओर देखने लगी। आखीरकार, मैंने उसकी बात जो मानी थी और शीला भाभी पे लाइन मार रहा था। मैंने एक साथ दोनों का जोबन मर्दन किया, एक उभरता नवल किशोर गदराता उरोज और दूसरी मस्त भरपूर छलकता जोबन के जोर से भरपूर।

“हाँ तो भाभी आप उ साधू की बात बता रही थी…” फिर मैंने बात का रुख शीला भाभी की ओर किया और गुड्डी भी मेरे हमले में शामिल हो गई।

“उ आप मुँह अँधेरे सबेरे गई थी। बोली थी की एक-दो घंटा लगेगा। लेकिन चार घंटा से ऊपर। अरे अगर उ बाबा “इतना टाइम…” लगाये हैं तब तो पक्का। जरूर से…”
गुड्डी की शरारती मीठी निगाह बोल रही थी की “इतना टाइम…” से उसका किस चीज से मतलब था।

लेकिन उसी तरह मुश्कुराते हुए शीला भाभी ने पूरी कहानी बतायी।

“अरे इ सब कुछ नाहीं। जो तुम सोच रही हो। सुबेरे एक सेठानी अपनी नई बहुरिया…” फिर गुड्डी की और देखकर बोली-


“एकदम तोहार समौरिया, उहे रंग रूप उहे जोबन, तोहार ऐसन, त उ ओके। साधू बाबा के पास भेजी की बाबा इसको आशीर्वाद दे देंगे। बहुरिया गई अन्दर। अब साधू बाबा आपन सांप निकारें लेकिन उ फन काढ़े के लिए तैयारे ना होय। बाबा उ बहुरिया से कहें की बेटा जरा इसको हाथ लगाओ, सहलाओ अभी एकदम तन्तानायेगे। लेकिन कुछ ना, आधा घंटा बेचारी बहुरिया। रगड़ती मसलती रही। फिर उ बोले की तनी आपन होंठ लगाओ। उ उहो किहिस और तनिक जान आई। फिर उसके बाद बाबा उसकी बिल में घुसाने की कोशिश की। त उ फिर से केंचुआ। उहो मरघिल्ला। नई बहुरिया की बिल, ओकरे सास का कौनो भोंसड़ा तो था नहीं। कैसे जाता। थोड़े देर बाद उ पगलाय गई और वही बाबा को वो पिटाई। फिर पुलिस आई। तो पता चला की उ कैमरा लगाकर फिल्म बनाकर ब्लैकमेल भी करता था ता पुलिस वाला हम सबका ब्यान लिया इसलिए इतना टाइम लग गया…”

मैं और गुड्डी दोनों मुश्कुराए बिना नहीं रह पाए। गुड्डी अपना होंठ दबाकर बोली- “भाभी जरा किचेन में हेल्प करा दीजिये ना बेलने में…”

शीला भाभी खड़ी होकर उसे छेड़ते हुए बोली- “अभी तुझे बेलन पकड़ना नहीं आया क्या। चल सिखा देती हूँ। तुझे अभी बहुत ट्रेनिंग देनी है…”

वो जब बाहर निकल रही थी तो गुड्डी ने एक बार मुझे देखा और उनसे हँसते हुए बोली- “कड़ियल नाग होते हुए भी आप केंचुए के चक्कर में पड़ गई थी…”




वो दोनों किचेन में चली गई
इस सिंहासन के जादुई प्रभाव से शीला भाभी की गोद भराई पक्की और नौ महीने बाद...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
Wah kya bat he. Guddi ko kesa lena pasand he. Uske muh se hi bulva liya maza aa gaya. Nanand bhabhi ki masti aap ki kalam se padhne ka maza hi kuchh aur he. Amezing.
अरे ये सिर्फ गुड्डी के अरमान नहीं...
बल्कि हर उठती जवानी .. झर झर झड़ती जवानियों की चाहत है...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
Bhabhi ke muh se ye paheli line jese samne ho rahe kisse ka ehsas dilati he. Dill aaj khush khush kar diya.

और फिर गुड्डी ने मुझे देखकर कहा-
“अरे दे दो ना बिचारी को वीर्य दान, बहुत उपकार मानेगी…” फिर ठसके से बोली-

“किसी को चाहिए तो बहुत नखड़ा दिखा रहे हो। वरना अपनों बहनों का नाम ले लेकर। 61-62 करते होगे, इधर-उधर गिराते रहते होगे…”

गुड्डी ना। उसको समझना बहुत मुश्किल है।


मैंने फिर भी पूछ लिया- “बुद्धू… तू बुरा नहीं मानेगी। अगर मैं किसी और के साथ…”
हाँ.. पूरी रील चलने लगती है.....
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
Amezing komalji. Pichhle ke bhi 2 updates baki the. Jiska muje pata hi nahi tha. Or usi me vahi gariyane vale geet the. Jiski me deewani hu. Maza aa gaya.
Thanks so much mujhe andaaj tha aapko aacha laegga bas bani rahiye, Shila bhabhi ka kissa abhi aur chalega thoda HOT bhi aur thoda Guddi ke saath romance bhi
 
  • Like
Reactions: motaalund

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
Good one update
Thanks so much aapko accha lag raha hai Shila Bhabhi ka update abhi aur chalgea bas saath baanye rakhiye 🙏🙏🙏
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
There is always a workaround.
Like ages of characters can be represented in your story and you have left it to imagination of each readers without violating forum rules.
More than mods i was equally concerned about the response of readers in a dystopian multi layered story with a lot of science fiction, but it will remain in my mind may be some day. Mohe Rang de was supposed to spawn three sequels one featuring Reet second of Banaars and third with Kammo left sis in law. Kammo was to be turned out a priestess of white magic, her real name being Kamya, Kammmo derived from there.
 
  • Like
Reactions: motaalund

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
उसके अपने गोल की है...
चिंता तो रहेगी...
“दे दूंगी यार जब दिल दे दिया तो बिल क्या चीज है। चाहे आगे की हो चाहे पीछे की। लेकिन तुम्हें एक बात नहीं मालूम…” वो आँख नचाते, ठसके से बोली।

क्या कमाल का लिखती हैं.....
:thank_you::thank_you:
 
  • Like
Reactions: motaalund
Top