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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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Sahil aur kadir ki family pr bhi focus kro writer ji,salma ki pregnancy ka kya hua
Kadir apni bahan syra ko bhagakar ghar se dur lekar chala gya,jabki gaav me to ye sbb acceptable hai
Kadir aur syra ko gaav bulakar, deva unke parents ko samajhakar kadir aur syra ki dhoomadham se official shadi karwa de
Shahil ka bhi uske mom salma ke sath relation chal rha hai,shahil ka bhi shabana ke sath ishaq karwao taki dono bhai aur dono bahan ka shadi ek dusre se ho jaye aur unki mom Jarina kadir se salma shahil se set ho hi gyi hai
Waiting for next update
BHAI.. THODASA INTJAR KARLO.. VO SAB KUCHH HOGA JM AAP CHAHTE HO.. LAKIN THODASA VAKT LAGEGA..
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७५

फीर देवायत भानु धिरेन ओर लखनने अर्थीको उठाया.. ओर सबलोग स्मसान चले गये.. वहा देवायत ओर धिरेनने मीलकर राजीवको मुखमग्नी दी.. फीर वहाकी सब वीधीया करके सबलोग वापस घरपे आगये.. फीर साम होते होते सबलोग अपने घरकी ओर वापस जाने लगे.. सामत रमेशभी सब लेडीसको लेकर वापस नीकल गये.. तो देवायतने लखनको भी लताको साथ लेकर घर जानेको कहा.. तो भानुभी सरलाको लेकर वापस अपने घर नीकल गया....अब आगे

तो इधर सुबह भानुके फोनपे जैसेही राजीवकी तबीयत खराब होनेका फोन आया तो भानु सीधाही लखनको कहेकर अपने गांव चला गया.. ओर वहा रमाको सामको देरसे आनेको कहेकर सरलाको साथ लेकर राजीवके गांवकी ओर नीकल गया.. तो घरपे सीर्फ रमा ओर नीलमही रेह गये.. तो रमाको नीलमसे लखनके बारेमे बात करनेका मौका मील गया.. उनके पास सामतक का वक्त था..

तो वो काम करते नीलमके सामने धीरे धीरे बातकी सुरुआत लखनकी तारीफ करते करने लगी.. लेकीन नीलमने कुछ खास ध्यान नही दीया.. वो गुमसुम बैठी रमाकी बात सुनने लगी.. लेकीन उनके दिमागमे अब भी धमासान मचा हुआ था.. उसे बार बार लखनकी सभी हरकते याद आरही थी.. रमा अपना काम करते लखनकी बाते कर रहीथी तो नीलम उनके बारेमे सोचते बैठी थी..

नीलम : (मनमे सोचते) लखनजीजु भीनां.. आजतो उनसे बाल बाल बच गइ.. वरना आज वोभी पका मुजे धिरेनकी तराह चोद लेते.. कैसे लखनजीजुने मुजे जबरदस्तीसे अपना तगडा लंड पकडवाया.. ओ बापरे कीतना बडा था.. क्या लंडभी इतना बडा हो सकता हे..? ओर मेरे होठोको चुमते बुब्सको मसल रहेथे.. हद तो तब होगइ जब लखनजीजुने मेरी चुतको मुठीमे पकडकर भीच लीया.. तब मेरी चुतमे कीतना दर्द होने लगाथा..

लखनजीजु भी बडे ही कमीने कीसमके इन्सान नीकले.. दिखनेमे तो कीतने भोले भाले लगते हे.. ओर उसने तो मेरी ओर धिरेनकी चुदाइकी क्लीप भी बनाली.. वो कब वहा आये होगे..? हमतो उपर धिरेनके रुममे चुदाइ कर रहेथे.. तो क्या वो पीछेसे कहीसे उपर चडकर आये होगे..? हमारे बारेमे मम्मी पापाको ना बतादे.. वरना हमारा सारा प्लान चोपट होजायेगा.. उसने मुजे कीसीको क्लीप दीखाने मनातो कीया हे..

लेकीन ना बताने की सर्तभी क्या रखी..? वोभी मेरे साथ फीजीकल रीलेशन रखना चाहते हे.. फीजीकल रीलेशन रखनेका क्या मतलब हुआ..? मतलब तो वही हुआना की वोभी मुजे चोदना चाहते हे.. तो क्या मेभी लखनजीजुको पसंद आगइ हु..? मे भी मम्मीकी तराह इतनी सुंदर ओर खुबसुरत तो हुही.. की कीसी भी मर्दको अपनी ओर आकर्सीत कर सकती हु.. तभीतो लखनजीजु मुजे चोदना चाहते हे.. लेकीन अबतो मे धिरेनकी हो चुकी हु.. तो फीर.. उनको कैसे..?

लगता हे लखन जीजु भी बहुत रंगीन मीजाजके हे.. बीस्तरमे लतादीदीको चोदते उनकी चीखे नीकलवाने की बात कैसे खुलकर बता रहेथे.. क्या सचमे दीदी चीलाती होगी..? अगर धिरेनके साथ रीलेशनमे आनेसे पहेले मुजसे अपना प्यार जताते तो मे जरुर उनका प्यार अ‍ेक्सेप्ट कर लेती.. लेकीन अब बहुत देर होचुकी हे.. मेने ओर धिरेनने अपनी सुहागरात भी मनाली हे.. अब मे धिरेनको कैसे छोड सकती हु..? वो मुजसे बहुत प्यार भीतो करते हे..

लेकीन जीजुने सचभी तो कहा.. धिरेनके लंडसे तो लखनजीजुका लंड कीतना बडा हे..? बापरे.. क्या ओरते ओर लडकीया.. इसीलीये बडे लंडकी दिवानी होती हे..? सायद उनको बडे लंडमे बहुत मजा आता होगा.. कही मेने धिरेनके साथ रीलेशन रखकर कोइ जल्दबाजी तो नहीकी..? नही नही.. मे गलत सोच रही हु.. अ‍ैसा नही हो सकता.. अबतो लतादीदीने मेरा फोनभी लेलीया हे.. तो उनसे बातभी नही कर सकती..


रमा : (जोरोसे) अरी ओ नीलु.. मे कबसे तुमसे बात कर रही हु.. तेरा ध्यान कीधर हे..? कबसे क्या सोच रही हे.. मे यहा कबसे बडबड कर रही हु.. ओर तु कीस सोचमे डुबी हुइ हे..? हंम..? क्या कोइ परेसानी हे..?

नीलम : (हडबडाते तंद्नासे जागते जटसे) अरे नही नही.. मोम.. बहुत भुख लगी हे.. आप खाना बनाओनां.. फीर हम आराम करते बाते करेगे.. अभी पेटमे चुहे दोड रहे हे.. हें..हें..हें..

रमा : (मुस्कुराते) ये लडकी भीनां..? बीलकुल पागल हे.. होस्टेलमे रहेकर बीगड गइ हे.. हें..हें..हें.. चल मेरी कुछ खानेमे मदद कर.. कल अगर ससुराल जायेगी तो सब खाना बनाना आना चाहीये.. चल..

नीलम : (जोरोसे हसते) मोम.. अगर खाना बनाना नही आया तो मे आपको साथ लेजाउगी.. हें..हें..हें..

रमा : (मुस्कुराते अ‍ेक मुका मारते) चल हट.. बदमास.. तु वहा जाकर सचमे बीगड गइ हे.. चल आजा..

नीलमने बडीही सीफततासे रमाकी बातको टाल दीया.. ओर वो रमाकी मदद करनेके लीये खडी होगइ.. फीर दोनोने मीलकर खाना बनाने लगी.. तबभी रमा बीच बीचमे लता ओर लखनकी बाते करते उनकी तारीफ कर लेती थी.. तब अ‍ेक बारतो नीलमको भी सक होने लगाकी उनकी मां लखन जीजुकी इतजी तारीफ क्यु कर रही हे..? कही लखन जीजुका उनकी मां के साथभी तो कोइ चकर नही..?

नही नही.. मे गलत सोच रही हु.. यही सब नीलमके दिमागमे चल रहाथा.. फीरभी सोचते दोनोने खाना बनालीया ओर खालीया.. फीर सब काम नीपटाकर दोनोही रमाके रुममे आराम करने चली गइ.. तब कुछ देर नीलम भावेशके साथ खेलती रही.. जब रमाने भावेशकोभी हल्कासा खाना खीलाकर सुला दीया.. तो दोनोही मां बेटी अगल बगलमे लेटकर आराम करते बाते करने लगी.. रमा नीलमको सबकुछ खुलकर बताना चाहती थी..
 

dilavar

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रमा : (मुस्कुराते) नीलु बेटा.. बस.. तुम अ‍ेक बार अच्छेसे तेरी सब पढाइ करले.. तुजे पढनेका बहुतही अच्छा मौका मीला हे.. तेरी लतादीदी ओर लखनजीजुने तेरी पढाइ ओर तेरी सादीकी सारी जीम्वेवारी उठाली हे..

नीलम : (अपने मनकी बात रखते) लेकीन मोम.. मे लतादीदीके घरपे नही रहुगी.. मे होस्टेलमे रहेकर अपनी पढाइ पुरी करुगी.. क्या हेना मुजे कीसीके घरपे इतने दिन रहेना अच्छा नही लगता..

रमा : (सामने देखते आस्चर्यसे) तु पागल होगइ हे क्या..? लतादीदी पराइ थोडीनां हे..? तेरी बहेनके घरमे रहेनेमे क्या दीकत हे..? अबतो वो तेरी बुआ हे.. अगर उनके घरपे रहेगी तो कमसे कम तेरे होस्टेलमे रहेनेका ओर खाने पीनाका खर्चा तो बच जायेगा.. तेरी पढाइका खर्चा वो दे या हम दे.. लेकीन जायेगा तो हमारे घरसे ही.. ओर लतादीदीने मुजे सामनेसे कहा हे.. तो फीर तुजे क्या प्रोबलेम हे..?

नीलम : (मनमे) मोम.. अब आपको कैसे समजाउ..? अगर तेरी बेटी वहा रही तो तेरा ननंदोइ हर दिन तेरी बेटीकी चुदाइ करता रहेगा.. जालीमका हेभी कीतना बडा.. मुजेतो दीखाकर पागल कर दीया.. दीखाया क्या..? मेरा हाथ पकडकर कैसे अपने लंडको सहेलवा रहेथे.. बापरे.. कीतना मोटा लग रहा था..

रमा : (सामने देखते) नीलु.. फीर क्या सोच रही हे..? मे देख रही हु तु जबसे आइ हे कुछना कुछ सोचती रहेती हे.. कही तुजे कोइ परेसानी तो नही..? या कोइ प्यार ब्यारका चकरतो नही हेनां..? तो बता देना..

नीलम : (सामने देखते थोडी नाराज होते) क्या मोम.. आपभीनां..? मेरा अ‍ैसा कोइ चकर नही हे समजी.. अब मे सोचना भी छोडदु..? मुजे कोइ परेसानी नही.. आप सोजाओ.. हम फीर बात करेगे..

रमा : (मुस्कुराते) नही नीलु.. आज घरपे कोइ नही हे.. ओर हमे अ‍ेकेलेमे बात करनेका इनसे अच्छा मौका नही मीलेगा.. मे तुमसे कुछ बाते कहेना चाहती हु.. मे चाहती हु की ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहे..

नीलम : (सामने देखते) मोम.. अ‍ैसी क्या बात हे जो आप मुजसे अकेलेमे बताना चाहती हे..? ओर बात हम दोनोके बीच रहेनी चाहीये.. मतलब..? अ‍ैसी क्या बात हे जो आप घरके लोगोसे छुपकर कहेना चाहती हे..?

रमा : (धीरेसे सरमाकर मुस्कुराते) देख नीलु.. मे मां हु तेरी.. अगर मुजे तेरी चीन्ता नही होगी तो कीससे होगी..? मेभी चाहती हुकी मेरी बेटीको भी लतादीदीकी तराह अच्छा ससुराल मीले.. वोभी अ‍ैसो आरामकी जींदगी जी सके.. इसके लीये तेरी लतादीदीने खुद तेरी सादीकी जीम्वेवारी लेलीहे.. वो कहेतीथी बडे देवरसे कहेकर कोइ अच्छे घरमे तेरा रीस्ता तैय कर देगे..

नीलम : (थोडी परेसान होते) मोम.. आपको नही लगता आप मेरी सादीको लेकर जल्दबाजी कर रही हे..?

रमा : (मुस्कुराते) नही.. तु फीकर मत कर.. हम तेरी पढाइ पुरी होनेका इन्तजार करेगे.. लेकीन नीलु.. मे चाहती हुकी मेरी नीलु सादी करके अ‍ेक अ‍ैसे रइझ घरमे जाये.. वहा उसे कीसीभी बातकी कमी नाहो.. मे तेरा रीस्ता कही अन्जान जगहपे नही करुगी.. इनसे तो अच्छा हे कोइ घरके पहेचान वालोमे तेरी सादी हो.. इसके लीये मेने बहुत कुछ सोचके रखा हे.. अब मे तुजे जो बात बताने जा रही हु उसे ध्यानसे सुनना.. ओर वादा कर ये बात सीर्फ हम दोनोके बीच रहेगी..

नीलम : (आस्चर्यसे देखते) मोम.. बताइअ‍े.. आइ प्रोमीस मे कीसीको कुछ नही कहुगी.. बताओ..

रमा : (सरमाते मुस्कुराते) नीलु.. मे चाहती हु.. तुम दोनो बहेने पुरी जींदगी साथमे रहो.. मतलब अ‍ेकही घरमे अ‍ेकही पतीकी बीवी बनकर.. मे चाहती हु तुम्हारी सादी भी लखनजीसे होजाये.. वो बहुतही पैसे वाले हे.. वो अ‍ेक राजाकी फेमीली हे.. उनके पास अच्छी खासी प्रोपर्टीभी हे.. अच्छा बीजनेस हे.. सभी गांवमे उनकी इजत भी हे.. ओर सबसे खास बाते वो कीतनीभी सादीया करले.. उनको कोइ पुछने वाला नही..

नीलम : (आस्चर्यसे देखते) मोम.. कही अप पागल तो नही होगइ..? मेरी ही दीदीको मेरी सौतन बनानेके लीये तुली हो..? अगर पापाको पता चल गया तो आपकी खैर नही.. वो आपको घरसे नीकाल देगे.. बात करती हे.. आप अ‍ैसा सोचभी कैसे सकती हे..?

रमा : (थोडी सख्तीसे) कमीनी.. तुम मुजे मत सीखा.. इसीलीयेतो तुजे अभी ये बात सीर्फ हम दोनोके बीच रखनेको केह रहीथी.. देख आज लतादीदी उस घरकी रानी बन गइ हे.. तो अ‍ेक दिन तुमभी वहा राज करोगी.. राज.. समजी..? हमतो बडे नसीब वाले हेकी हम उस घरके साथ जुडे हुअ‍े हे.. ओर अबतो वो हमारे समधी भी हे.. तो यहा गांवमे हमारी भी इजत बढ गइ हे.. यहाभी हमे लोग इजतकी नजरोसे देखते हे.. कही अ‍ैसी वैसी जगाहपे सादी करनेसे तो अच्छा हे.. तु अपनी दीदीकी सोतन होजाये..

नीलम : (हींमत करते) मोम.. मे आपसे कुछ कहेना चाहती हु.. अगर मुजे कीसीकी दुसरी ही बीवी बनना हे तो मुजे लखन जीजुसे ज्यादा धिरेन जीजु पसंद हे.. वोभी सरकारी नोकरी करते हे.. वोभी सुखी सम्पन हे.. तो आपने उसीका नाम क्यु नही लीया..? सीर्फ लखन जीजुको ही क्यु चुना..?

रमा : (चोंकते अ‍ेक नजरसे देखते) नीलु.. तेरा दिमागतो ठीक हेनां..? कमीनी.. अगर वो सुखी सम्पन होते तो धिरेन इतना बडा होनेके बावजुद भी उनकी मांने क्यु हमारे बडे देवरसे सादी करली..? क्युकी वो खुद अ‍ैसो आरामकी जींदगी जीना चाहती थी.. वोभी इस हवेलीकी रानी बनना चाहती थी.. (कुछ सोचते ही) अ‍ेक मीनीट.. अ‍ेक मीनीट.. नीलु.. सच बताना.. कही तेरा धिरेनके साथ कुछ चकर बकर तो नही..? सच बताना.. कमीनी ये धिरेनकी बात तेरे दिमागमे आइ कैसे..? खा मेरी कसम..

नीलम : (थोडी गभराते जुठ बोलते) नही नही.. मोम.. आप मुजपे सक कर रही हो.. अ‍ैसा कुछभी नही हे.. आपकी कसम.. बस..? मेरे मुहसे अनायास अ‍ैसेही उनका नाम नीकल गया.. मेतो बस अ‍ैसेही आपको केह रही थी.. ठीक हे.. जैसा आपको ठीक लगे.. बस..? अबतो आप खुस..?

कहातो रमाने राहतकी सांसली.. आज बातोही बातोमे नीलम अपने दिलकी बाते अपनी मांको कहेते रमासे जुठ बोलकर बाल बाल बच गइ.. रमासे बचनेके लीये उसे रमाकी जुठी कसमभी खानी पडी.. तो नीलमको मनमे बहुत बुरा लगा.. अब उनके पास रमाकी बात माननेके अलावा दुसरा कोइ रास्ता नही दीखा.. अब आगे जोभी होगा देखा जायेगा.. सोचकर नीलमने रमाको सरेन्डर करते राहतकी सांस ली..

उसने बातोही बातोमे धिरेनके साथ रीलेशनकी बात कहेना चाही.. फीर लताके साथ उनके घरपे ना रहेनेकी रमाके सामने जीतनी भी दलीले की.. वो सभी दलीले बेकार होगइ.. अब उनको पुरा यकीन होगया की उसे अब लतादीदीके साथही रहेना पडेगा.. ओर लतादीदीके साथ रहेनेका मतलब खुदको लखन जीजुको सरेन्डर करना.. ये बातभी वो भली भांती जान चुकी थी.. तभी उनको रमाकी आवाज सुनाइ दी..
 

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रमा : (मुस्कुराते) देख नीलु.. मे जोभी कर रही हु सब तेरी भलाइ के लीयेही कर रही हु.. अब मेरी बात ध्यानसे सुनना.. तेरे पास बहुतही अच्छा मौका हे.. तु लतादीदीके घरपे पढाइ तक रुकेगी.. मतलब दो तीन सालतो पकाही समजले.. (नजरे चुराते सरमाकर) तो मे चाहती हु की.. की.. तुम इस मामलेमे खुद आगे बढे.. समज गइनां..? ताकी आगे जाकर खुद लखनजी तेरी सादीकी बात हमसे करे.. क्युकी हम उनको ये सब बात सामनेसे नही केह सकते..

नीलम : (बडेही आस्चर्यसे देखते) मो..म.. आपको पता हेनां..? की आप क्या केह रही हे..? इसका मतलब भी जानती हे आप..? आप अपनी ही बेटीके साथ कीतना बडा खतरनाक खेल खेल रही हे..

रमा : (थोडी नाराज होते) कमीनी तु मुजे मत सीखा.. मुजे सब पता हे मे क्या बोल रही हु.. ओर सुन.. इस बारेमे तेरी लतादीदीको कुछ पता नही चलना चाहीये.. समजी..? वरना सारा खेल बीगड सकता हे..

नीलम : (रमाकी ओर आस्चर्यसे देखते) मो..म.. लगता हे आप पागल होगइ हे.. आपको पता हेनां इसमे मे ओर लखनजीजु आगे बढेगे तो क्या हो सकता हे..? इसमे कुछभी हो सकता हे.. आप समज गइनां..?

रमा : (नजरे चुराते धीरेसे) हां हां.. मुजे सब पता हे.. क्या हो सकता हे.. लेकीन तेरी सादीभी तो उसीके साथ होगी.. अगर तेरा होने वाला पती सादीसे पहेले तेरे साथ कुछ करभी ले तो क्या बुराइ हे..? मे इसे गलत नही मानती.. नीलु.. सोच.. अ‍ेक बार तेरी सादी उनसे हो जायेगी.. तो फीर तुम उस हवेलीकी रानी बन जाओगी.. सोरी नीलुु.. मे अ‍ेक मां होकर तुजसे ये सब केह रही हु.. मुजे गलत मत समजना.. ये सब मे तेरे उज्वल भविस्यके लीये कर रही हु..

नीलम : (कुछ सोचते) मोम.. मुजे पता हे आपको मेरी बहुत फीकर हे.. लेकीन इसके बारेमे मुजे सोचनेके लीये थोडा वक्त दीजीये.. क्युकी आप बहुत बडा रीस्क ले रही हे..

रमा : (सामने देखकर मुस्कुराते प्यारसे गाल सहेलाते) ठीक हे.. मेरी प्यारी बच्ची.. नीलु.. तुम बहुतही समजदार हे.. अ‍ेक बार सांतीसे बैठकर ठंडे दिमागसे सोचले.. फीर आरामसे मुजे तेरा जवाब बता देना.. बेटी.. मे कोइ रीस्क नही ले रही.. मेने जो भी कहा हे बहुत सोच समजकर ही कहा हे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. अब जमाना बदल गया हे.. अब पहेलेकी तराह प्यार नही होता.. आजका मर्द ओर औरते प्यारका मतलब कुछ ओरही समजते हे.. अ‍ेक बार मान भी लो.. की मेरे साथ लखन जीजुको प्यार होगया.. तो वो मुजसे कुछ ओरही डिमांन्ड करेगे.. तब आप क्या करोगी..? अगर यही प्यार मेने लखन जीजुके अलावा कीसी ओरसे कीया होता.. ओर आपको सब पता चलता तो अबतक तो आप मेरी खाल उखाड दी होती..

रमा : (प्यारसे गाल सहेलाते) मेरी बच्ची.. कीतनी सयानी होगइ हे.. तुम सबकुछ समजती हे.. नीलु.. तु लखनजीसे प्यार करेगी.. तो यकीन मान मे तुछे अ‍ेक सब्दभी नही कहुगी.. क्युकी मे खुद चाहती हुकी तुम उनके साथ आगे बढो.. अ‍ेक बार तुम दोनोके बीच प्यार बढेगा.. तब मुजे पता हे वो तेरे बीना नही रेह सकेगे..

ओर तुम जो केह रही हो वो डीमांन्डभी करेगा.. (सरमाते नजरे चुराते) नीलु.. तो तुम इसमे आगे बढना.. जब दोनो अ‍ेक बार मील जाओगे.. तब तुम उनको सादी करनेके लीये कहेना.. वो खुद आकर तेरे पापासे तेरा हाथ मांग लेगे.. बस.. मेतो तुजे अच्छे खानदानमे राज करते देखना चाहती हु.. ओर कुछ नही..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) ठीक हे मोम.. मुजे सोचनेका समय देनेके लीये थेन्क्स.. अब आप सो जाइअ‍े..

रमा : (मुस्कुराते) मेरी प्यारी बच्ची.. कीतनी समजदार होगइ हे.. चल तुमभी थोडा आराम करले.. लेकीन याद रखना.. चाहे जो भी कुछ हो.. तुजे पढनातो हेतो उसी घरमे रहेकर पढना पडेगा..

कहेते रमा मनमे खुस होते खडी होकर बाथरुममे चली गइ.. क्युकी लखनकी बाते करते वो खुद गरम होगइ थी.. क्युकी अब वोभी लखनसे प्यार करने लगी थी.. उनकोभी पताथा की अ‍ेकना अ‍ेक दिन उनकोभी लखनके नीचे लेटना पडेगा.. ओर उनकी चुतसे लगातार पानी बेह रहाथा.. फीर वो चुतको साफ करके वापस बेडपे आगइ.. ओर करवट लेकर आराम करने लगी.. तो नीलमभी दुसरी ओर करवट लेकर सोने लगी.. लेकीन रमाकी बातोसे उनकी आंखोसे नींद कोसो दुर गायब हो चुकी थी.. वो करवट लेते सोचने लगी..

नीलम : (मनमे) हे भगवान.. मम्मीको क्या हो गया हे..? जीस सर्तके लीये लीये लखनजीजु खुद केह रहेथे वोही बात खुद मम्मी चाहती हे.. की मे उनके साथ फीजीकल रीलेशन रखु.. मेरी अ‍ैसो आरामकी जींदगीके लीये वो खुद मुजसे लखन जीजुसे चुदवानेके लीये राजी हे.. लेकीन उनकी बातभी तो सही हे.. मे खुद अ‍ैसी ही अ‍ैसो आरमकी जींदगी चाहती थी.. इसीलीये तो मेने धिरेनको प्यार कीया.. लेकीन मम्मीकी बातभी सही हे..

खुद धिरेनकी मम्मीने ही बडे जीजुसे सादी करली हे.. ओर बातभी सही हे.. लखनके पास कीतना सारा पैसा ओर प्रोपर्टी हे.. इनके आगे धिरेनतो कुछभी नही हे.. ओर आज लखन जीजुने उनका लंडभी मुजे दिखाया.. दिखाया क्या सीधा मेरे हाथोमे ही थमा दीया.. बापरे कीतना बडा लंडथा उनका.. इनके आगे धिरेनका लंडतो कुछभी नही हे.. ओर क्या कहे रहेथे मुजे..? की तेरी लतादीदीको चोदता हु तो उनकी चीखे नीकल जाती हे..

कीतना गंदा बोल रहेथे.. सायद वो सच केह रहे होगे.. अगर इतना बडा लंड कोइभी अपनी चुतमे लेगीतो चीखेगी नहीतो क्या करेगी..? लगता हे इसीलीये सब औरते बडे लंडकी दिवानी हे.. तो क्या मुजे लखन जीजुकी सर्त मान लेनी चाहीये..? मान लेनी चाहीये क्या माननी ही पडेगी.. क्युकी मेरी ओर धिरेनकी चुदाइकी क्लीप उनके पास हे..

मम्मी भी तो यही चाहती हे.. जोभी हो.. मम्मीकी सब बाते सही हे.. अगर मेरी मम्मी खुदही अ‍ैसा चाहती हे तो फीर मे क्यु पीछे हटु..? मेभी तो यही सब मोज मस्ती करना चाहती हु.. अगर धिरेनके साथ लखन जीजुभी मुजे चोदले.. तो क्या फर्क पडता हे..? अ‍ेक बार लखन जीजुसेभी चुदवाकर देख लुगी की मजा कीसमे आता हे..

लेकीन धिरेनभी मुजसे बहुत प्यार करता हे.. मुजसे सादी तक करनेको तैयार हे.. अगर उनके साथ सादी नही कीतो उनको बुरा लगेगा.. क्या ये प्यारमे धोखा नही हे..? लखन जीजुभी तो यही कहेते थे.. की धिरेनसे सादी करले फीरभी मेरे साथ रीलेशन रखना पडेगा.. जोभी हो.. आगे देखा जायेगा..

क्या फर्क पडता हे.. अगर दोनोसे चुदवालु तो..? मे तब सीचुअ‍ेशन देखकर नीर्णय लुगी.. की मुजे कीसके साथ सादी करनी हे.. अगर धिरेनके साथ सादी करलु.. फीरभी लखनजीजु कीसीभी तराह मुजे चोद लेगे.. अब चुदवाना तो मुजे दो दो लंडसे ही हे.. अभीतो मम्मीकी बात मानही लेती हु.. साला दोनो तरफसे मजातो मीलेगा.. मुजे लखनजीजुकी सर्त मालेनी चाहीये..


यही सब सोचते नीलमके चहेरेपे मुस्कान आगइ.. ओर वो मुस्कुराते अपना सर पीछे घुमाकर उनकी मां रमाकी ओर देखने लगी.. तो रमा खर्राटे मारते सो रहीथी.. तो नीलम मुस्कुराते फीरसे करवट लेकर आंख बंध करके सोनेकी कोसीस करने लगी.. तब उनकी आंखोके सामने अ‍ेक बार फीर लखनका बडा लंड छा गया.. ओर नीलम रोमांचीत होने लगी.. ओर आखीर नीलमने अपनी चुतको सहेलाते लखनकी सर्तको माननेका फैसला करलीया..
 

dilavar

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तो दुसरी ओर राजीवके घर सब लोग चले गये.. तो अब घरमे सीर्फ घरके ही लोग बचे थे.. तब धिरेन गांवके बाजारमे चला गया.. ओर वहा कोइ अच्छीसी रेस्टोरन्टसे सबके लीये खाना पेक करवाके लाया.. आज सुबहसे कीसीने चाइ नास्ता भी नही कीयाथा.. ओर ग्याराह बजे राजीवने अंतीम सांस ली.. तो दो पहोरकोभी कीसीने नही खाया था.. तो अभी नीर्मला ओर भावना खानेको मना करने लगी.. तब भुमीका ओर चंदाने दोनोको जबरदस्तीसे खीलाया.. ओर साथमे सबने भी खाना खालीया..

देवायत : (सबलोग होलमे बेठेथे तब) धिरेन.. अब तुभी कल यहासे सीधे जोबपे चले जाना.. अब यहा रुकनेका कोइ मतलब नही हे.. क्युकी कल मे इस सबको लेकर हमारे घरपे चला जाउगा.. अब पापाकी जोभी वीधीया करनी हे हम वही करेगे.. तुम वहा आते जाते रहेना.. ओर वहीसे जोबपे चले जाना..

नीर्मला : हां बेटा.. तेरे जीजु ठीक केह रहे हे.. ओर अब जबतक सब वीधीया खतम नही होजाती तबतक पुनम बीटीया भी हमारे साथ रहेगी.. वो उनकी अ‍ेकलोती बहु थी.. कल उनकी पे्रगनन्सीकी बात सुनकर कीतने खुस थे.. धिरेन.. अब तर्पणकी सब वीधीया तेरे ओर तेरे जीजुके हाथोसे ही होगी.. यही उनकी आखरी इच्छा थी..

भुमीका : (मुस्कुराते) मेरा भाइ.. हां नीमु.. कल पुनो बेटीके पेटसे होनेकी खुसखबर सुनकर वो कीतना खुस हो रहाथा.. की चलो.. कमसे कम मे दादा तो होजाउगा.. लेकीन भगवानके आगे कीसकी चलती हे.. चलो अब सब लोग सोजाओ.. सुबहसे सब अ‍ैसे ही हे..

मंजुला : (धीरेसे) देवु.. आज आप इधरही रुक रहे हेनां..? अगर कल सबको उधर जाना हे तो हम अभी हमारे सब कपडे पेक कर लेते हे.. चलो पुनो..

नीर्मला : मंजु.. क्या तेरे पापाकी सब वीधीया पुरी होने तक हम यहा नही रुक सकते..? हंम..? मे सीर्फ केह रही हु..

देवायत : (मुस्कुराते) जी.. बीलकुल रुक सकते हे.. अगर आपकी यही इच्छा हे तो हम सब यही रुक जाते हे.. हमे कोइ प्रोबलेम नही..

भुमीका : नही नीमु.. अबतो जो होनाथा वो हो चुका हे.. अगर यही रुकना हेतो देवु ओर धिरेन सबको यहा आना जाना पडेगा.. अगर वहा हेतो वो घरके अलावा अपने बीजनेस ओर धिरेनको जोबमे आने जानेमे आसानी रहेगी.. बाकी तेरी मरजी.. अगर यही रुकना हे तो भी कोइ प्रोबलेम नही..

भावना : मोम.. जीजु ओर मौसी ठीक केह रहे हे.. वैसेभी हमारे कौनसा कोइ रीस्तेदार हे जो यहा आपको आस्वासन देनेके लीये यहा मीलने आयेगे..? ओर यहा रहेगे तो आप पापाको याद करते रोती ही रहोगी.. तो चलो.. हम वही चलेजाते हे.. (मंजुको) दीदी आप चलो.. सब पेकींग करलो मे भी आती हु..

नीर्मला : (मुस्कुराते) हां.. ये भी सही हे.. चलो हम सब वही आजाते हे.. भावु.. तुम मेरे भी कपडे पेक करले..

कहातो सबके चहेरेपे मुस्कान आगइ.. ओर मंजु पुनम ओर भावना.. सबके कपडे पेक करने चली गइ.. तब मौका देखकर धिरेन धिरेसे नीर्मला ओर देवायतके पास आकर बैठ गया.. सबके व्यवहार देखकर उसने राहतकी सांसली.. की चलो.. उनके ओर नीलमके बारेमे अभी कीसीने उसे कुछ नही कहा.. हालाकी वो जानता थाकी इस बारेमे मंजुदीदीको सब पता चल गया होगा.. धिरेनने मौका देखकर बात छेडदी..

धिरेन : (धीरेसे सरमाते) जीजु.. मेने कल अ‍ेक मकान देखलीया हे.. हमारे मेनेजरकाही हे.. दो बेडरुम.. होल.. कीचन.. भावमे मील रहा हे.. ओर अच्छे अ‍ेरीया मे हे.. तो आप मम्मी ओर पुनम टाइम मीलेतो देखलो.. वो भुमीमौसीकी सोसायटी मे हे.. अ‍ेक गली पीछे..

भुमीका : (खुस होते) अरे वाह.. तो हमारे पडोसी बनकर आ रहे हो.. हें..हें..हें..

चंदा : (मुस्कुराते) बेटा.. वो सब बादमे देख लेगे.. पहेले हम तेरे मौसाजीका कार्य करले.. फीर चलेगे..

नीर्मला : (मुस्कुराते) नही चंदा.. अगर आज राजीव होते ओर ये सुनते तो कीतना खुस होते.. यही समजले वो हमारे बीच हे.. जो अभी धिरेनकी बात सुनकर खुस हो रहे होगे.. तो हमे उनकी खुसीके मना नही करनी चाहीये.. ओर वैसेभी मे इन सब चीजोमे ज्यादा नही मानती.. जीस तराह हमारे सामने दु:खका अवसर आयातो हमने उसेभी स्वीकार करलीया हे.. तो खुसीयाभी भी हमे स्वीकार करलेनी चाहीये..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे धिरेन.. हम अ‍ेक दो दिनमे जाकर सब देख लेगे.. ओर चंदा ओर पुनकोभी पसंद आगया तो हम उसे वही पुरा पेमेन्ट दे देगे..

धिरेन : (मुस्कुराते) नही जीजु.. हमे वहीसे होमलोन मील जायेगी.. वो हमारे मेनेजर ही सब अ‍ेरेन्ज करदेगे.. क्युकी वो घर मे बेन्क लोनसे लेना चाहता हु.. मेरी कमाइकी पहेली प्रोपर्टी.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (गले लगाकर सर चुमते) हंम.. मतलब मेरी बेटा खुदार हे.. हें..हें..हें.. ठीक हे कोइ बात नही..

कहतो धिरेन ओर चंदा दोनोही हसने लगे.. चंदा नीर्मलाको हसते हुअ‍े देखकर बहुतही खुस होने लगी.. क्युकी आजही उनके पती ओर बडेभाइका स्वर्गवास हुआ था.. तो नीर्मला उनको इतजी जल्दीसे सदमेसे बहार नीकलते भुल रही थी.. जीसे देखकर देवायत ओर भुमीकाभी खुस हो रहेथे.. उस रात कुछ नही हुआ.. सब पेकींग होगइ तब देवायत धिरेन होलमे ही सोगये.. ओर सबलोग अपने रुममे अ‍ेडजेस्ट करके सो गये.. तो आज भुमीका नीर्मलाके साथही सोगइ..
 

dilavar

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सुबह सबलोग जल्दी उठ गये.. ओर तैयार होने लगे.. तब चंदा ओर पुनम.. कीचनमे सबके लीये चाइ नास्ता बना रहीथी.. तो देवु धिरेनभी कंपलीट होकर होलमे बैठेथे.. तब देवायतने फोन करके लखन ओर भानुको अपनी कार लेकर बुला लीया.. ताकी सबलोग अपने सामानके साथ आरामसे बैठ सके.. मंजु ओर भावना कंपलीट होकर अपने बच्चोको दुध पीला रहीथी.. उसी वक्त नीर्मला ओर भुमीका दोनोही अपने रुममे अ‍ेक साथ बाथरुममे घुसी हुइ थी.. ओर अ‍ेक दुसरेको बाहोमे अ‍ेक दुसरेके होंठोको चुम रही थी.. तभी..
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भुमीका : (होठोको चुमते) नीमु.. अब भुलजा सब पुरानी बाते.. अब आजसे हम दोनोकी जींदगी की नइ सुरुआत होगइ हे.. अब हम दोनो सीर्फ हमारे देवुकी पत्नीया हे.. हमे यही रहेना हे.. तु घरकी अ‍ेक चाबी हमारी भावुको देदे.. ओर अ‍ेक तेरे पाास रखना.. क्युकी अब मे अपनी प्रेगनन्सी ज्यादा दिन सबसे नही छीपा सकती.. तो हो सकता हे मुजेभी कुछ महीने भावुके पास रहेना पडे.. तब मुजे तेरी जरुरत पडेगी..

नीर्मला : (जोरोसे बाहोमे भीचते) भुमी.. तु कभी फीकर मत करना.. मे हमेसा तेरे साथही रहुगी.. आज सही मायनोमे मे अपने ससुराल जा रही हु.. वो भी हमेसाके लीये.. भुमी.. राजीवने आखरी वक्तपे मेरा हाथ सबके सामने हमारे देवुको सोप दीया.. ओर उन्होने अपना प्राण त्याग दीया.. मुजे लगता हे मेरा राजीव हम सबके बारेमे बहुत कुछ जानता था.. ओर उसने मुजे कभी मेरे ओर देवुके रीलेशनके बारेमे नही पुछा.. लव यु भाइ..

भुमीका : (मुस्कुराते) हंम.. तु उनको अकेलेमे हमेसा भाइ कहेती थीनां..?

नीर्मला : (सरमाकर मुस्कुराते) हां भुमी.. भलेही हमने सादी करलीथी.. लेकीन हमने हमारा रीलेशन कभी चेन्ज नही कीया.. ओर वो खुद भी यही चाहता था.. जबभी हम दोनो फीजीकल होते अ‍ेक दुसरेको भाइ बहेन मानकर ही फीजीकल होतेथे.. ओर मे उनको तबभी भाइ कहेती ओर वो मुजे बहेन बहेन कहेते चोदता..

भुमीका : (सरमाते धीरेसे) नीमु.. कीतना अजीब हेनां.. सबको अपनी बहेनही प्यारी लगती हे.. उस थाइलेन्ड देशमे आजभी सब लोग अपनी बहेनसे ही सादी करते हे.. जो अब इनकी सुरुआत हमारे देवुके घरसे होगइ हे.. इनसे पहेले हिमाचलमे सीर्फ वो राजाके घरपे ही हो रहाथा.. जो बादमे वहाकी परंपरा होगइ..

नीर्मला : (मुस्कुराते होंठ चुमते) भुमी.. तबभी वहा हम सब उनकी रानीया थी.. ओर यहाभी हम सभी उनकेही अंसकी रानीया हे.. हमारा कामही उनको खुस रखना.. ओर बदलेमे उनसे हमारी प्यास बुजाना हे.. तु सोच.. जब वो खुद स्वयंम आयेगे तब क्या होगा..? मंजु केह रहीथी तब वो हम सबको हमारा पीछला जन्म याद दीलवा देगा.. जब वो हमसे फीजीकल होजायेगा.. तब हमभी नया जन्म लेकर उनकी रानीया होगी..

भुमीका : (सरमाकर मुस्कुराते) नीमु.. कीतना अजीब होगा.. हम नया जन्म लेकरभी उनकी रानीया होगी.. ओर आजभी उनकी रानीया हे.. क्या हम बुढी होजायेगी तबभी देवु हमसे फीजीकल होगा..?

नीर्मला : (सरमाते धीरेसे होठ चुमते) भुमी.. अ‍ेक बात कहु..? मंजु केह रहीथी.. हमे आगे जाकर नया जन्म लेकर वापस आना हे.. मुजे अगले जन्ममे मंजुकी कोखसे जन्म लेना हे.. तबभी वो मेरा भाइ होगा.. भुमी.. अब हमारी उम्र थम जायेगी.. देवु हमे सब सुख देता रहेगा.. बाकी तो मंजुही जाने.. आगे क्या होगा..

मंजुला (बहासे दरवाजा खटखटाते जोरोसे) मोम.. क्या कर रही हे दोनो.. जाग गइ की नही..? चलो चाइ नास्ता रेडी होगया हे.. सबलोग कंपलीट तैयार होकर बैठे हे..

नीर्मला : (अंदरसे जोरोसे) अरे आ रही हे हम.. कपडेतो बदलने दे.. (भुमीको धीरेसे) भुमी.. चल.. बाकीकी बाते हम वहा आरामसे बैठकर करेगे.. मुजे मंजुसे इस बारेमे वहा जाकर पुछना होगा.. हें..हें..हें..

कहेते दोनोही फटाफट कंपलीट होकर बहार आगइ.. ओर बहार आतेही मंजुकी पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया तो सबलोग हसने लगे.. फीर सबलोग चाइ नास्ता करने बैठ गये.. तब भावना बडीही कातील नजरोसे देवायतके सामने देखते मुस्कुराती रही.. तो मंजुने उनकी जांगपे अ‍ेक चपत लगादी.. तो भावना सर्मसार होगइ.. ओर नजरे जुकाते चाइ नास्ता करने लगी.. तबतक लखन ओर भानुभी कार लेकर आगये..

लेकीन मंजु उनकी मां नीर्मला ओर भुमीकाकी बाते जान चुकी थी.. ओर वो चाइ नास्ता करते दोनोकी ओर देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहीथी.. क्युकी उनको पताथा की आगे चलकर क्या होने वाला हे.. जो सुखकी कामना दोनो कर रहीथी.. तब उनको पता नही थाकी देवु उन दोनोको कीतना सुख दे पायेगा.. बल्की सीर्फ उन दोनोको ही नही.. देवुकी जीतनी बीवीया थी.. सबकी जींदगीमे आगे चइकर भुचाल आने वाला था..

फीर सबने चाइ नास्ता करलीया तब भावना चंदा पुनम सबका सामान रुमसे लेकर आगइ.. तब भानु बडेही प्यारसे भावनाकी ओर देख रहाथा.. तभी दोनोकी नजरे मीली.. ओर भानु मुस्कुराने लगा.. तब भावना भी सरमाकर मुस्कुराने लगी.. ओर भानुने उनके हाथसे कपडेकी बेगको लेलीया.. ओर धीरेसे उनकी कारमे साथ आनेको कहा.. तो भावनाभी सरमाकर मुस्कुराते हां मे गरदन हीलाने लगी..

क्युकी इतने दिनो मंजु ओर भावना साथमे रही.. तो मंजुने भावनाको उनके बारेमे आने वाले दिनोमे उनके साथ क्या क्या होगा.. ओर क्या नही होगा.. ओर घरके दुसरे लोगोके बारेमे भी बहुत कुछ बता दीया था.. मंजुने उसे बता दीयाथाकी आने वाले दिनोमे तुजे तेरे जीजुसे दो बच्चे ओर अ‍ेक बच्चा ओर होगा.. लेकीन वो कीससे होगा ये बात मंजुने अभी नही बताइ.. जीनकी वजहसे भावनाको भानुके साथ रीलेशन रखना जरुरी था.. सुनकर भावना बहुतही रोमांचीत हो गइ थी..

ओर मंजुने नीलम ओर रमाको लेकर भी भावनाको आगाह कर दीया था.. की दोनोके दिमागमे क्या क्या चल रहा हे.. ओर दोनो कीतनी सातीर दिमाग वाली हे.. तब सुनकर भावना चोंक गइ.. की पैसोके लीये रमा इतना नीचे तक गीर सकती हे.. की उसके लीये वो अपनी बेटीकी जींदगीसे भी खीलवाड करनेमे राजी हो गइथी.. मंजुने भावनाको इसके अलावा ओर कुछ नही बताया जो रमा ओर नीलमके साथ होने वाला हे..

भानुने ज्यादातर सामान अपनी कारमे तो कुछ सामान लखनकी कारमे रख दीया.. भानु भावनाके साथ अकेलेमे बात करना चाहता था.. आज वो बहुत खुस था.. क्युकी आज भावना उनके सामने मुस्कुरा रहीथी.. तब नीर्मलाने घरको ताला लगानेसे पहेले अ‍ेक बार पुरे घरको नजर घुमाकर देख लीया.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. यही वो घरथा जहा नीर्मलाने सबकुछ पालीया था..

अपना प्यार.. पती.. परीवार.. सबकुछ.. ओर इसी घरमे उनको पहेली बार देवायतभी मीला.. यही घरमे उनके साथ गांधर्व सादी करके कइ राते ओर दिन रंगीन भी कीथी.. नीर्मलाने घरको ताला लगाकर चाबी अपने पास रखली.. ओर देवायतके कारकी ओर चली गइ.. तब देवायतके साथ मंजु ओर पीछे नीर्मला भुमीका बैठ गये.. तो लखनकी कारमे पुनम सृती ओर चंदा बैठ गये.. तो धिरेनने अपनी बाइक लेली..

तो भानुके साथ वाली सीटमे भावना अपनी बच्चीको लेकर बैठ गइ.. पीछे की सीटमे सबका सामान रखा हुआथा.. ओर सबकी कारे देवायतके गांवकी ओर चल पडी.. तो पीछे धिरेनभी अपनी बाइक लेकर आ रहाथा.. जबसे लखन ओर लता उनके घरसे नीलमको लेगये.. तबसे आज तक धिरेनने नीलमको फोन करनेकी बहुत कोसीसकी.. लेकीन हर बार नीलमका फोन स्वीच ओफ आ रहाथा....

कन्टीन्यु
 

Motaland2468

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सुबह सबलोग जल्दी उठ गये.. ओर तैयार होने लगे.. तब चंदा ओर पुनम.. कीचनमे सबके लीये चाइ नास्ता बना रहीथी.. तो देवु धिरेनभी कंपलीट होकर होलमे बैठेथे.. तब देवायतने फोन करके लखन ओर भानुको अपनी कार लेकर बुला लीया.. ताकी सबलोग अपने सामानके साथ आरामसे बैठ सके.. मंजु ओर भावना कंपलीट होकर अपने बच्चोको दुध पीला रहीथी.. उसी वक्त नीर्मला ओर भुमीका दोनोही अपने रुममे अ‍ेक साथ बाथरुममे घुसी हुइ थी.. ओर अ‍ेक दुसरेको बाहोमे अ‍ेक दुसरेके होंठोको चुम रही थी.. तभी..
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भुमीका : (होठोको चुमते) नीमु.. अब भुलजा सब पुरानी बाते.. अब आजसे हम दोनोकी जींदगी की नइ सुरुआत होगइ हे.. अब हम दोनो सीर्फ हमारे देवुकी पत्नीया हे.. हमे यही रहेना हे.. तु घरकी अ‍ेक चाबी हमारी भावुको देदे.. ओर अ‍ेक तेरे पाास रखना.. क्युकी अब मे अपनी प्रेगनन्सी ज्यादा दिन सबसे नही छीपा सकती.. तो हो सकता हे मुजेभी कुछ महीने भावुके पास रहेना पडे.. तब मुजे तेरी जरुरत पडेगी..

नीर्मला : (जोरोसे बाहोमे भीचते) भुमी.. तु कभी फीकर मत करना.. मे हमेसा तेरे साथही रहुगी.. आज सही मायनोमे मे अपने ससुराल जा रही हु.. वो भी हमेसाके लीये.. भुमी.. राजीवने आखरी वक्तपे मेरा हाथ सबके सामने हमारे देवुको सोप दीया.. ओर उन्होने अपना प्राण त्याग दीया.. मुजे लगता हे मेरा राजीव हम सबके बारेमे बहुत कुछ जानता था.. ओर उसने मुजे कभी मेरे ओर देवुके रीलेशनके बारेमे नही पुछा.. लव यु भाइ..

भुमीका : (मुस्कुराते) हंम.. तु उनको अकेलेमे हमेसा भाइ कहेती थीनां..?

नीर्मला : (सरमाकर मुस्कुराते) हां भुमी.. भलेही हमने सादी करलीथी.. लेकीन हमने हमारा रीलेशन कभी चेन्ज नही कीया.. ओर वो खुद भी यही चाहता था.. जबभी हम दोनो फीजीकल होते अ‍ेक दुसरेको भाइ बहेन मानकर ही फीजीकल होतेथे.. ओर मे उनको तबभी भाइ कहेती ओर वो मुजे बहेन बहेन कहेते चोदता..

भुमीका : (सरमाते धीरेसे) नीमु.. कीतना अजीब हेनां.. सबको अपनी बहेनही प्यारी लगती हे.. उस थाइलेन्ड देशमे आजभी सब लोग अपनी बहेनसे ही सादी करते हे.. जो अब इनकी सुरुआत हमारे देवुके घरसे होगइ हे.. इनसे पहेले हिमाचलमे सीर्फ वो राजाके घरपे ही हो रहाथा.. जो बादमे वहाकी परंपरा होगइ..

नीर्मला : (मुस्कुराते होंठ चुमते) भुमी.. तबभी वहा हम सब उनकी रानीया थी.. ओर यहाभी हम सभी उनकेही अंसकी रानीया हे.. हमारा कामही उनको खुस रखना.. ओर बदलेमे उनसे हमारी प्यास बुजाना हे.. तु सोच.. जब वो खुद स्वयंम आयेगे तब क्या होगा..? मंजु केह रहीथी तब वो हम सबको हमारा पीछला जन्म याद दीलवा देगा.. जब वो हमसे फीजीकल होजायेगा.. तब हमभी नया जन्म लेकर उनकी रानीया होगी..

भुमीका : (सरमाकर मुस्कुराते) नीमु.. कीतना अजीब होगा.. हम नया जन्म लेकरभी उनकी रानीया होगी.. ओर आजभी उनकी रानीया हे.. क्या हम बुढी होजायेगी तबभी देवु हमसे फीजीकल होगा..?

नीर्मला : (सरमाते धीरेसे होठ चुमते) भुमी.. अ‍ेक बात कहु..? मंजु केह रहीथी.. हमे आगे जाकर नया जन्म लेकर वापस आना हे.. मुजे अगले जन्ममे मंजुकी कोखसे जन्म लेना हे.. तबभी वो मेरा भाइ होगा.. भुमी.. अब हमारी उम्र थम जायेगी.. देवु हमे सब सुख देता रहेगा.. बाकी तो मंजुही जाने.. आगे क्या होगा..

मंजुला (बहासे दरवाजा खटखटाते जोरोसे) मोम.. क्या कर रही हे दोनो.. जाग गइ की नही..? चलो चाइ नास्ता रेडी होगया हे.. सबलोग कंपलीट तैयार होकर बैठे हे..

नीर्मला : (अंदरसे जोरोसे) अरे आ रही हे हम.. कपडेतो बदलने दे.. (भुमीको धीरेसे) भुमी.. चल.. बाकीकी बाते हम वहा आरामसे बैठकर करेगे.. मुजे मंजुसे इस बारेमे वहा जाकर पुछना होगा.. हें..हें..हें..

कहेते दोनोही फटाफट कंपलीट होकर बहार आगइ.. ओर बहार आतेही मंजुकी पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया तो सबलोग हसने लगे.. फीर सबलोग चाइ नास्ता करने बैठ गये.. तब भावना बडीही कातील नजरोसे देवायतके सामने देखते मुस्कुराती रही.. तो मंजुने उनकी जांगपे अ‍ेक चपत लगादी.. तो भावना सर्मसार होगइ.. ओर नजरे जुकाते चाइ नास्ता करने लगी.. तबतक लखन ओर भानुभी कार लेकर आगये..

लेकीन मंजु उनकी मां नीर्मला ओर भुमीकाकी बाते जान चुकी थी.. ओर वो चाइ नास्ता करते दोनोकी ओर देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहीथी.. क्युकी उनको पताथा की आगे चलकर क्या होने वाला हे.. जो सुखकी कामना दोनो कर रहीथी.. तब उनको पता नही थाकी देवु उन दोनोको कीतना सुख दे पायेगा.. बल्की सीर्फ उन दोनोको ही नही.. देवुकी जीतनी बीवीया थी.. सबकी जींदगीमे आगे चइकर भुचाल आने वाला था..

फीर सबने चाइ नास्ता करलीया तब भावना चंदा पुनम सबका सामान रुमसे लेकर आगइ.. तब भानु बडेही प्यारसे भावनाकी ओर देख रहाथा.. तभी दोनोकी नजरे मीली.. ओर भानु मुस्कुराने लगा.. तब भावना भी सरमाकर मुस्कुराने लगी.. ओर भानुने उनके हाथसे कपडेकी बेगको लेलीया.. ओर धीरेसे उनकी कारमे साथ आनेको कहा.. तो भावनाभी सरमाकर मुस्कुराते हां मे गरदन हीलाने लगी..

क्युकी इतने दिनो मंजु ओर भावना साथमे रही.. तो मंजुने भावनाको उनके बारेमे आने वाले दिनोमे उनके साथ क्या क्या होगा.. ओर क्या नही होगा.. ओर घरके दुसरे लोगोके बारेमे भी बहुत कुछ बता दीया था.. मंजुने उसे बता दीयाथाकी आने वाले दिनोमे तुजे तेरे जीजुसे दो बच्चे ओर अ‍ेक बच्चा ओर होगा.. लेकीन वो कीससे होगा ये बात मंजुने अभी नही बताइ.. जीनकी वजहसे भावनाको भानुके साथ रीलेशन रखना जरुरी था.. सुनकर भावना बहुतही रोमांचीत हो गइ थी..

ओर मंजुने नीलम ओर रमाको लेकर भी भावनाको आगाह कर दीया था.. की दोनोके दिमागमे क्या क्या चल रहा हे.. ओर दोनो कीतनी सातीर दिमाग वाली हे.. तब सुनकर भावना चोंक गइ.. की पैसोके लीये रमा इतना नीचे तक गीर सकती हे.. की उसके लीये वो अपनी बेटीकी जींदगीसे भी खीलवाड करनेमे राजी हो गइथी.. मंजुने भावनाको इसके अलावा ओर कुछ नही बताया जो रमा ओर नीलमके साथ होने वाला हे..

भानुने ज्यादातर सामान अपनी कारमे तो कुछ सामान लखनकी कारमे रख दीया.. भानु भावनाके साथ अकेलेमे बात करना चाहता था.. आज वो बहुत खुस था.. क्युकी आज भावना उनके सामने मुस्कुरा रहीथी.. तब नीर्मलाने घरको ताला लगानेसे पहेले अ‍ेक बार पुरे घरको नजर घुमाकर देख लीया.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. यही वो घरथा जहा नीर्मलाने सबकुछ पालीया था..

अपना प्यार.. पती.. परीवार.. सबकुछ.. ओर इसी घरमे उनको पहेली बार देवायतभी मीला.. यही घरमे उनके साथ गांधर्व सादी करके कइ राते ओर दिन रंगीन भी कीथी.. नीर्मलाने घरको ताला लगाकर चाबी अपने पास रखली.. ओर देवायतके कारकी ओर चली गइ.. तब देवायतके साथ मंजु ओर पीछे नीर्मला भुमीका बैठ गये.. तो लखनकी कारमे पुनम सृती ओर चंदा बैठ गये.. तो धिरेनने अपनी बाइक लेली..

तो भानुके साथ वाली सीटमे भावना अपनी बच्चीको लेकर बैठ गइ.. पीछे की सीटमे सबका सामान रखा हुआथा.. ओर सबकी कारे देवायतके गांवकी ओर चल पडी.. तो पीछे धिरेनभी अपनी बाइक लेकर आ रहाथा.. जबसे लखन ओर लता उनके घरसे नीलमको लेगये.. तबसे आज तक धिरेनने नीलमको फोन करनेकी बहुत कोसीसकी.. लेकीन हर बार नीलमका फोन स्वीच ओफ आ रहाथा....

कन्टीन्यु
Behtreen update bro
 
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rajeev13

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आपकी कहानी तो अदभुत है मित्र मगर आप लेखन के क्रम में शायद फॉन्ट की समस्या से जूझ रहे है शायद इसलिए आपके वाक्यों के बीच रिक्त स्थान की कमी है, जिससे हम जैसे पाठकों को पढ़ने में समस्या होती है, क्योंकि हर शब्द एक दूसरे से जुड़ा हुआ लगता है, अगर आपको हिंग्लिश में लिखने में कोई समस्या नहीं आती हो तो उसमे ही लिखने का प्रयास कीजिए !
 
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dilavar

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Behtreen update bro
Thanks
 

dilavar

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आपकी कहानी तो अदभुत है मित्र मगर आप लेखन के क्रम में शायद फॉन्ट की समस्या से जूझ रहे है शायद इसलिए आपके वाक्यों के बीच रिक्त स्थान की कमी है, जिससे हम जैसे पाठकों को पढ़ने में समस्या होती है, क्योंकि हर शब्द एक दूसरे से जुड़ा हुआ लगता है, अगर आपको हिंग्लिश में लिखने में कोई समस्या नहीं आती हो तो उसमे ही लिखने का प्रयास कीजिए !
sujav ke liye sukriya
 
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