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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७८

उनकी चुत लंड नीकल जानेके बावजुद अब भी फडफडा रहीथी.. ओर उनमेसे दोनोका काम रस चुतसे होते उनके पेरोसे गीर रहाथा.. तब देवायत उनको गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया.. ओर उसे नहेलाया तब चंदाको होस आया.. ओर वो जुठा गुस्सा करते देवायतको सीनेमे मुके मारने लगी.. ओर देवायत उसे वापस बेडपे लेकर आगया तो चंदा ओर सृती दोनोही नींदकी आगोसमे चली गइ.. तब देवायत मंजुके पास उनके बीछानेपे आगया ओर उनके साथ लेट गया तब मंजुने देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया....अब आगे

मंजुला : (मुस्कुराते बाहोमे भरते) जानु.. करदी दोनोको ठंडी..? हंम..? अब आज मे पुरी रात आपसे प्यार करुगी.. आपको आज सोने नही दुगी.. बहुत मजे करलीये अपनी छोटी बहेनोके साथ.. अब इस बडी बहेनके बारेमे भी कुछ सोचो.. आज उनको भी तृप्त करदो.. हें..हें..हें..

देवायत : (होंठ चुमते) मंजु.. तुम सीर्फ मेरी बहेन या पत्नी नही हो.. मेरी सबकुछ हो.. मे तेरे बीना अधुरा हु.. तुम नही थी तो मजा नही आता था.. यहा तेरे जानेके बाद बहुत कुछ हो गया.. मेने चारु ओर नीशा.. दोनोसे सादी करली हे.. ओर वंदनाको भी अपना लीया हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. मुजे सब पता हे.. आपने तीनोका काम तमाम कर दीया हे.. चलो अच्छा हुआ.. कीतनो दिनोसे तीनो आपके पीछे पडी हुइ थी.. कमीनीओको अब पता चलेगा.. की मेरी सौतन होना इतना आसान नही हे.. इनमे हमारी हालत बीगड जाती हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) मंजु.. वो सबतो ठीक हे.. लेकीन तुमने ये जाना..? हमारी पुनमके घर क्या हुआ.. मतलब पीछले दो दिनमे वहा बहुत कुछ हो गया हे..

मंजुला : (होठोको चुमते) जानु.. फीकर मत करो.. मे सब जानती हु.. ये सबतो अ‍ेक दिन होने ही वाला था.. इसमे नया कुछ नही हे.. क्या आप धिरेन ओर नीलमकी बात कर रहे हेनां..? वो मुजे ओर पुनो दोनोको सब कुछ पता हे.. ओर हम दोनोको येभी पता हे जो आपको नही पता.. फीकर मत करो मेरी पुनम ओर हमारा लखन ही सब सम्हाल लेगे.. इनमे आपको बीचमे आनेकी जरुरत नही हे.. मेरी पुनो बहुत ही स्ट्रोंग हे..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? मुजे क्या नही पता.. जो तुम दोनो जानती हो..? क्या मुजे बता सकती हो..? ओर पुनोको भी सब पता हे..? लेकीन कैसे..?

मंजुला : (मुस्कुराते गाल चुमते) जानु अ‍ैसे बाते करनेमे मजा नही आता.. पहेले इसे अंदर डाल दीजीयेना.. इनको अंदर लीये कीतने दिन होगये..? चलीये पहेले मुजे अ‍ेक राउन्ड अच्छेसे चोद लीजीये.. फीर हम आरामसे बात करते हे.. अब अ‍ेक बार अंदर लेलु.. फीर इसे मे सुबह ही अपनी चुतसे आजाद करुगी.. चलीये..

देवायत : (होठोको चुमते नीचेकी ओर जाते) मंजु.. तुम बहुत ही ठरकी हो गइ हो.. हें..हें..हें.. चल..

मंजुला : (मुस्कुराते होंठ चुमते) हंम.. वो सब आपही की महेरबानी हे.. सीर्फ मे नही.. आपकी सभी बीवीओका यही हाल हे.. कमीनी अ‍ेक भी आपका लंड अंदर लेनेके लीये थकती ही नही.. हें..हें..हें..

कहातो देवायत हसने लगा.. ओर मंजुके पैरोके बीच चला गया.. नीचे जाते ही मंजुकी पेन्टी खीचकर नीकालदी.. ओर अपना मुह मंजुकी चुतपे लगा दीया.. तब मंजु मदहोस होते अपनी कमर उछालने लगी.. तभी देवायतने उनकी चुतमे अपनी टंग (जीभ) घुसादी.. तब मंजुला पागल जैसी होगइ.. ओर मदहोसीमे चदर पकडते छटपटाने लगी.. आज कीतने दिनोके बाद वो अ‍ैसे देवायतके साथ फोरप्लेय के मजे ले रही थी..

देवायत धीरे धीरे चुमते उपरकी ओर आने लगा.. ओर मंजुके बुब्सके मर्दन करने लगा.. उनके उपर जुकते उनको हर जगाह चुमता उपरकी ओर आने लगा.. तो मंजु मदहोस होने लगी.. ओर देवायतके सरको सहेलाने लगी.. देवायत उनके गलेको चुमते उनके कानकी बुटको अपने दातोसे दबाता हे.. तब मंजु बहुतही उतेजीत होगइ.. ओर देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. तभी देवायतके लंडने अपनी जानी पहेचानी चुतको पहेचान लीया.. ओर अंदर जानेके लीये अपने बीलका रास्ता ढुंढ लीया..

तभी देवायतने अ‍ेकही जटकेमे पुरा लंड मंजुकी चुतमे उतार दीया.. तब मंजु हल्कीसी चीखके साथ देवायतको बाहोमे भीच लेती हे.. ओर अपनी कमर हीलाते देवायतको जोरोसे चोदनेके लीये उक्साती हे.. तो देवायत हाथके बल उचा हो गया.. ओर धीरे धीरे मंजुके होठोको चुमकर उसे चोदने लगा.. तो मंजुभी सीसकारीया करते नसीली आंखोसे देवायतकी ओर देखते मजेसे देवायतसे कमर उछाल उछालके चुदवाने लगी.. ओर कुछही देरमे दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. पुरे रुममे थप..थप..थप..की आवाज गुंजती रही..

मंजु अपनी कमर उछाल उछालके देवायतका साथ देने लगी.. तो कुछही देरमे मंजुने देवायतको अपने उपर खीचके जुका दीया.. ओर उसे जोरोसे बाहोमे भीचते अपनी कमरको आडी टेडी करते जटके देने लगी.. ओर जडते देवायतके लंडको भीगोने लगी.. देवायतको अपने लंडपे गरमाहट महेसुस होने लगी.. तब देवायत उनके गलेमे मुह डालकर गलेको चुमते लंबे लंबे सोट मारते मंजुकी जोरोसे चुदाइ करने लगा.. तब मंजु पुरी तराह मदहोस होकर नसेकी हालतमे चली गइ थी.. ओर आधी आंख चडाते देवायतके हर धके को जेलती रही..

तो कुछ ही देर की घमासान चुदाइके बाद दोनो ही अकडने लगे.. दोनो ही जडनेकी कगारपे पहोंच गये.. तब अ‍ेक दुसरेको बाहोमे भीचते लीपलोक करते अ‍ेक दुसरेके अंदर समा जानेकी कोसीस करने लगे.. ओर अपनी अपनी कमरको जटके देते जडने लगे.. आज देवायतने मंजुकी पुरी चुतको लबालब अपने गाढे पानीसे भर दीया.. तब देवायत जडते ही मंजुके सीनेपे ढेर हो गया.. ओर मंजु अपनी सांसे दुरस्त करते देवायतकी पीठको सहेलाती रही.. जब दोनो सांत होगये.. तब..
 

dilavar

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मंजुला : (सांसोको दुरस्त करते) जा..नु.. म..जा.. आ.. गया.. क्या मस्त.. चुदाइ.. की.. आपने.. कीतने दिनो.. के बाद.. अ‍ैसे चोदा हे आपने.. मुजे.. बस.. पुरी रात.. अ‍ैसेही चोदते.. रहीये..

देवायत : (होठोको चुमते) हंम.. मंजु.. तुजे ओर पुनोको चोदने मे बहुत मजा आता हे.. दोनोको चोदते वक्त मेरा जोस कइ गुना बढ जाता हे.. तुम दोनोको चोदता हु.. तो अ‍ैसा लगता हे.. की मे तुम दोनोको दिन रात चोदता ही रहु..

मंजुला : (मुस्कुराते होंठ चुमते) भाइ.. मत भुलो.. हम दोनोही आपकी बहेने हे.. आने वाले वक्त मे.. पुनो ही मेरी कमी पुरी करती रहेगी.. वो ही इस हवेलीकी रानी होगी.. भाइ.. आज मे आपसे कुछ बाते करना चाहती हु.. हो सकता हे वो सब सुनकर आपको अच्छा ना लगे.. लेकीन ये बताना जरुरी भी हे.. क्युकी अब वक्त तेजीसे बदल रहा हे.. पता नही आगे क्या क्या होगा..

देवायत : मंजु.. अब मुजे कीसी भी बातका बुरा नही लगता.. क्युकी तुजे भी पता हे.. मेरा कीतनी ओरतोके साथ रीलेशन हो गया हे.. तो अब मे तुमसे बात करनेमे भी सर्मीन्दगी महेसुस कर रहा हु.. अबतो अ‍ैसी बातोसे मुजे कोइ फर्क नही पडता..

मंजुला : (मुस्कुराते गाल सहेलाते) भाइ.. आप गील्टी फील मत करो.. ये सबतो होने ही वाला था.. हमारा जीवन हमारे हाथमे हे ही नही.. तो क्यु सर्मीन्दा होते हो.. सेक्स करना हमारे जीवनका हीस्सा हे.. हमारे जन्मका उदेस्य ही सेक्ससे सबंधी हे.. ओर आने वाले वक्तमे तो यहा बहुत कुछ होगा.. तब आप क्या करोगे..? आपने देखा नही..? इनकी सुरुरात हमारे धिरेन ओर नीलुके रीस्तेसे होगइ हे..

देवायत : (होंठ चुमते धीरेसे) हां मंजु.. अब बता.. तुम धिरेन ओर नीलमके बारेमे क्या बताने वाली थी..?

मंजुला : (धीरेसे कानमे) भाइ.. धीरेसे बोलना.. कही चंदा दीदी सुन ना ले.. क्युकी पुनो ओर आपके रीलेशनके बारेमे सीर्फ चंदा दीदी ओर मेरी मम्मी को ही नही पता.. बाकी सब लोगोको पता हे..

देवायत : (धीरेसे कानमे) मंजु.. वो सो गइ हे.. तु ये बात कब तक उनसे छुपी रहेगी..? अ‍ेक दिन तो उन दोनोको पता चल ही जायेगा..

मंजुला : (धीरेसे) भाइ.. मम्मी ओर भुमीका आंटीकी चीन्ता नही हे.. उनको तो मे समजा दुगी.. लेकीन इस बारेमे चंदा दीदीको समजाना मुस्कील हे.. क्युकी बात उनके बेटेके साथ जुडी हे.. इसीलीये मे आपको चंदा दीदीको ज्लदीसे प्रेगनेन्ट करनेको केह रही हु.. ताकी वो हमारे विजय ओर अपनी बच्चीमे बीजी रहे.. फीरतो वो धिरेनके साथ रहेने जाने ही वाली हे..

देवायत : (धीरेसे) मंजु.. क्या वो हम सबको सचमे छोडकर चली जायेगी..? अ‍ैसा क्या होगा जो वो हम सबको छोडकर चली जायेगी..?

मंजुला : (धीरेसे) भाइ.. कुछ बाते आप ना जानो तो ही बहेतर हे.. आगे आपको खुद पब खुद पता चल जायेगा.. क्युकी पता नही था सब इतनी जल्दी होने लगेगा.. अब वक्त आगया हे.. हमारी पुनमका आपके साथ हमेसाके लीये रहेनेका रास्ता खुल लगा हे.. अब आपको मम्मी भावुके साथ पुनोको भी सम्हालना हे.. क्युकी आने वाले दिनोमे सीर्फ हमारी पुनो ही यहाकी महारानी होगी.. ओर यहा सीर्फ उनकाही राज चलता होगा..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते धीरेसे) हमारी पुनो..? मंजु.. इतना पता था की अ‍ेक दिन पुनम हमेसाके लीये यहा आजायेगी.. लेकीन सब इतनी जल्दी होने लगेगा ये पता नही था.. वो भी सब तुमने ही मुजे बताया था.. मंजु.. सब इतना जल्दी क्यु होने लगा हे..? अभीतो पुनोने ठीकसे अपना संसारभी सुरु नही कीया..

मंजुला : (मुस्कुराते कानमे) भाइ.. वैसे भी पुनोको कहा उनके साथ संसार बसाना हे.. बस.. जो हमारा मक्सद पुरा करना था.. वो तो हो गया.. अब पुनो उनके साथ रहे या हमारे साथ क्या फर्क पडेगा..

देवायत : (आस्चर्यसे चंदाकी ओर देखते धीरेसे ) मतलब..? मंजु मे कुछ समजा नही..

मंजुला : (धीरेसे कानमे) भाइ.. हमे सीर्फ पुनोकी प्रेगनन्सी धिरेनके उपर थोपनी थी.. वो काम तो मेरे पापाके घरपे हो गया.. धिरेन ओर चंदा दीदीने भी खुसी खुसी पुनोकी प्रेगनन्सीको स्वीकार कर लीया हे.. बस.. हो गया हमारा काम.. भाइ.. देखना इस बारेमे कभी चंदा दीदीको पता ना चले.. वरना गडबड हो जायेगी..

देवायत : (चंदाकी ओर नजर डालते धीरेसे कानमे) मंजु.. चंदा आज भी जवान दीखती हे.. वो बीस्तरमे अ‍ेक कुआरी लडकी की तराह मेरा बहुत साथ देती हे.. वो भी तेरी तराह बहुत ही कामी हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे चंदाकी ओर देखते) भाइ.. सीर्फ चंदा दीदी ही नही.. आपकी सभी बीवीया कामी हे.. तभी तो आपसे हर वक्त चुदवानेको तैयार रहेती हे.. इनमे मेरी मम्मी ओर भुमीका आंटी भी बाकात नही हे.. ओर हमारी भावु भी लाइन मे खडी हे.. भाइ.. अब वक्त जाहीर मत करो.. आपको चंदा दीदीको प्रेगनेन्ट करना हे.. हो सके तो ये अ‍ेक दो दिनमे ही अपना काम नीपटालो.. पता नही आगे कब क्या होजाये..

देवायत : (मुस्कुराते होंठ चुमते धीरेसे) हंम.. मे समज गया.. मंजु.. अब ये नीलु ओर धिरेनका क्या करना हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते होंठ चंमते) भाइ.. नीलु हमारे धिरेनको प्यार करती हे.. ओर दो तीन दिन पहेले जब पुनो यहा थी तब धिरेन नीलुको लेकर उनके घर चला गया था.. ओर वहा दोनो पुरा दिन ओर पुरी रात साथमे रहे.. ओर उसी रात धिरेनने नीलुका कौमार्य भंग कर दीया.. दोनो पुरी रात ओर दिनमे भी कइ बार सेक्स कर चुके हे.. भाइ.. धिरेन अब नीलमके साथ सादी करने वाला हे.. ओर उनकी मां कुछ ओर ही सोच रही हे..

देवायत : (सामने देखते) उनकी मां मतलब..? कौन रमाभाभी..? मंजु.. सब खुलकर बता.. वो क्या सोच रही हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. नीलुकी मां रमा भाभी नीलुको जरीया बनाकर हमारे खीलाफ बहुत बडा खेल खेल रही हे.. वो नीलुका उपयोग करके लखनको नीलुके प्रेम जालमे फसाकर उनसे प्रेगनेन्ट करवाना चाहती हे.. ताकी उनकी सादी आप लखनसे करदे.. ओर वो नीलुको इस हजेलीकी रानी बना सके.. फीर इस हवेलीका बटवारा करके आधी जायदाद नीलुके जरीये हडप करना चाहती हे.. इस बारेमे उसने हमारे भानु भाइको भी भनक नही लगने दी..

देवायत : (चोंकते धीरेसे) मंजु.. क्या केह रही हो तुम..? भाभी इतना नीचे तक गीर सकती हे.. जायदादके लीये इतना बडा खेल खेल रही हे..? की अपनी बेटीकी जींदगी भी दावपे लगा रही हे.. मंजु.. वो अ‍ैसा क्यु कर रही हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते गाल चुमते) भाइ.. आपको नही पता.. जब वो भानु भाइके मामाके साथ ब्याह करके आइ थी.. तब उनकी उमर सादी करने लायक भी नही थी.. यही समजलो.. भानु भाइकी नानी रमा भाभीको पैसेके बदले खरीदकर लाइ हे.. वो बहुतही गरीब खानदानसे आइ हे.. वो अ‍ैसो आरामकी जींदगी जीना चाहती थी.. इसीलीये उनको पैसोसे बहुत लगाव हे.. इसीलीये तो वो भानु भाइको प्यार करने लगी थी.. क्युकी उनके पतीसे ज्यादा भानु भाइ उनको सभी तराह बहुत ही सक्षम लगे..

देवायत : (आस्चर्यसे) क्या..? तो वो भानुको प्यार नही करती थी..?

मंजु : (मुस्कुराते) भाइ.. प्यार..? तनकी आग बुजानेको प्यार नही कहेते.. ओर भानु भाइके मामा उनकी प्यास बुजानेमे सक्षम नही थे.. उपरसे उनके पतीसे ज्यादा भानु भाइकी आर्थीक हालत बहेतर थी.. दोनो मां बेटी अ‍ैसो आरामकी जींदगी जीना चाहती हे.. ओर उपरसे हमारी भावुको लेकर परेसान हे..

वो भावुको उनके साथ रखना नही चाहती.. ओर उपरसे दोनो मां बेटी बहुतही कामी.. ओर रंगीन मीजाजकी हे.. अब उनको सम्हालना हमारे भानु भाइके बस का काम नही हे.. बस.. उन मां बेटीको तो अब हमारा लखन ही सम्हाल लेगा.. हें..हें..हें..

देवायत : (आस्चर्यसे मुस्कुराते) हमारा लखन..? लेकीन क्यु..? मंजु.. क्या ये गलत नही हे..?

मंजुला : भाइ.. कुछ भी गलत नही हे.. आप लखन भैयाको कुछ मत कहेना.. वो जोभी करे उनको करने देना.. क्युकी उनको वो सब करनेके लीये पुनोने कहा हे.. आप फीकर मत करना वो मां बेटी हमारा कुछ नही बीगाड पायेगी.. उसेतो लखन ओर पुनमही सम्हाल लेगे.. भाइ.. जब भी अ‍ैसी सीचुअ‍ेशन आये.. आप लखन भैयाको कुछ नही कहेगे.. बस आप सीर्फ तमासा देखते जाओ.. इस मामलेमे हमारे लखन भइया काफी होशीयार होगये हे.. हें..हें..हें..
 

dilavar

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देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. क्या तुजे लगता हे.. हमारा लखन सबको सम्हाल पायेगा..? क्या वो इतना सक्षम हे..? मतलब उनकी स्टेमीना..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. सम्हाल पायेगा.. भाइ.. आप हमारे लखन भैयाको कमजोर मत समजना.. वो बहुत ही स्ट्रोंग हे.. ओर उनमे बहुत सहन सीलता ओर साहस हे.. सेक्सके मामलेमे वो आपसे भी बढकर हे.. बस.. उसमे स्टेमीना नही हे.. इसीलीये उनको आपकी तराह थोडीसी ताकत देनी हे.. ताकी वो सभी ओरतोको सम्हाल सके.. इसके लीये पुनोने उसे थोडीसी जडीबुटी देनेके लीये मुजसे कहा हे.. जो मेने आपको दी हे.. तो कल उसे भी थोडीसी जडी बुटी देनी हे.. फीर देखना हमारे लखन भैयाका कमाल.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. वैसे तो तुम उनको जडी बुटी देदो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज तो नही लेकीन फीर भी.. क्या लखनको जडी बुटी देनेकी आवस्यक्ता हे..? क्युकी अबतो वो अ‍ैसेही थोडा अयास होगया हे.. तो ओर ज्यादा होजायेगा.. तुम खयाल रखना उनका.. आजकल बहुतही सरारती होगया हे.. हमारे खेतोकी लगभग सभी मजदुरन के साथ सेक्स कर चुका हे.. ओर कइ लडकीया उनके पीछे पागल हे.. इसीलीये केह रहा हु..

मंजुला : (होंठ चुमते धीरेसे) भाइ.. बुरा मत मानना.. लखन भैयासे ज्यादा आपका रीलेशन ज्यादा हे.. तो क्या कभी कीसीने आपको अ‍ैयास कहा हे..? क्युकी हम सबको पता हे.. आप बहुतही इमोस्नल हो.. आप कीसीभी ओरतका दुख सुनकर आप बरदास्त नही करपाते.. ओर लगावमे आकर उनके साथ सादी कर लेते हे..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. सोरी.. मे कीसीका दुख नही देख सकता.. मेरी सभी बीवीया मुजे प्यार करती थी.. तो मुजे उनसे सादी करनी पडी.. सोरी.. यार..

मंजुला : (होंठ चुमते) भाइ.. सोरी मत बोलो.. मे आपको ताने नही मार रही.. सीर्फ बता रही हु.. हम तीनो बीवीओके अलावा आपकी कीतनी सीक्रेट वाइफ होगइ हे.. मे.. चंदादीदी.. ओर सृतीके अलावा मेरी मम्मी.. भुमी बुआ.. पुनोभी तो आपकी बीवी हे.. इसके अलावा रश्मीभाभी वंदना चारुभाभी ओर नीशा.. ओर कीतनी ओरतोके साथ रीलेशन हे जो आपकी बीवीया नही हे.. ओर ना जाने अभी आप कीतनी सादीया करोगे.. क्या आप सबको सम्हाल पाओगे..? भाइ.. आपको सभी बीवीओको टाइम देना पडेगा.. कभी इस बारेमे सोचा हे..?

देवायत : (मुस्कुराते) नही.. कभी नही सोचा.. मंजु.. बाततो तेरी सही हे.. लेकीन अब मुजे ओर कोइ सादी नही करनी.. बस.. बहुत होगया..

मंजुला : (मुस्कुराते) नही भाइ.. फीर भी कुछ ओरतोको आपको अपनाना पडेगा.. जैसेकी हमारी दया.. भाइ.. वोभी तो हमारी ही बहेन हे.. उन बेचारीको तो कुछ पता ही नही हे.. की उनके असली पीता हमारे बापु हे.. हमारे घर नोकरानी बनके रेह रही हे.. मुजे उनको हमारे घर काम करते देखकर बहुत बुरा लगता हे.. भाइ.. आपने जीस तराह हम तीनो बहेनोको अपनाया हे.. तो उनकोभी अपनाना पडेगा.. ओर आने वाले वक्तमे हमारी लताभी तो हे.. उनके साथभी आपको सादी करनी पडेगी.. आप सबको कैसे सम्हाल पाओगे..?

देवायत : (थोडा गंभीर होकर सोचते) हंम.. मंजु.. तो फीर तुही बता मे क्या करु..? तुम ओर पुनोतो सबकुछ जान लेती हो.. तो क्या तेरे पास ओर कोइ रास्ता हे.. जो मे सबको सम्हाल सकु.. ओर सबको टाइम दे सकु..

मंजुला : (मुस्कुराते होठ चुमकर) नही भाइ.. मत भुलो.. आप सीर्फ उस राजाके अंस हो.. स्वयंम नही हो.. जो अ‍ेकही वक्तमे अ‍ेकही बीवीके साथ संभोग करते सब बीवीओ को संभोगकी अनुभुती करवा सको.. वो काम सीर्फ हमारा पोता जन्म लेकर आयेगा वोही कर पायेगा.. क्युकी वो स्वयंम राजा होगा.. खुद कामका अंस.. जो हिमाचलमे अपनी सभी बीवीओको अ‍ेक साथ संभोगकी अनुभुती करवाता था.. तो ये सब आपके लीये पोसीबल नही हे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. तो फीर तुमही बताओ मे क्या करु..? मुजेतो कोइ रास्ता नही दीख रहा..

मंजुला : (गाल सहेलाते) भाइ.. बुरा मत मानना.. कुछ परीस्थीतीया हमारे हाथमे हे ही नही.. इसीलीये कुछ लोगोका जन्म भी उसी उदेस्यसे हुआ हे.. जो आपकी मदद कर सके.. जैसेकी हमारा लखन..

देवायत : (मुस्कुराते) लखन..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां भाइ.. मुजे सीर्फ अ‍ेकही रास्ता दीखता हे.. हमारे लखन भैया भी आपके भाइ हे.. वोभी हमारे खानदानका ही खुन हे.. आपकी तराह उनका भी कइ ओरतोके साथ रीलेशन हे.. तो मे चाहती हु.. आप दोनो भाइकी जीतनी बीवीया हे.. आप दोनो भाइ मीलकर सबको सम्हालो.. इसीलीये हमे लखनको जडी बुटी देनेकी आवस्यक्ता हे.. ताकी वोभी आपहीकी तराह होजाये.. ओर सबको सम्हालनेमे आपकी मदद करे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. ठीक हे मंजु.. क्या इसीलीये मुजसे केह रही थीनां..? की सुनकर आपको बुरा लगेगा.. मंजु.. मुजे ये सब सुनकर बुरा नही लगा.. मे तेरी सब बाते समज गया.. मंजु.. हमारे लखनको मेरे ओर पुनोके बारेमे भी पता चल गया हे.. तबसे वो पुनोको अपनी भाभी मानने लगा हे.. ओर अकेलेमे भाभी भाभी कहेते पुनमको चीडाता हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. तो अच्छा हेना.. यही तो हमारे खानदानकी परंपरा हे.. पुनोके साथ मे लता दया ओर सृतीभी तो आपकी बहेन हे.. वो मुजे सृतीको भी भाभी कहेता हे.. ओर दयाको भी कइ बार भाभी भाभी कहेकर छेडता हे.. हें..हें..हें.. वैसेभी अब हमारी पुनो भी उनकी भाभी होगइ हे.. ओर देवर भाभीमे तो अ‍ैसी मस्तीया होती रहेती हे.. भाइ.. आपको लखनके बारेमे बात सुनकर बुरा लगा..? हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) नही मंजु.. भाइसे क्या बुरा लगना.. मेतो लखनको बहुत चाहता हु.. देखा नही सब बीजनेस कैसे सम्हाल लीया हे.. येतो बहुत ही अच्छा हे सबका दिल बहेलाता हे.. तो सब उनसे खुस भी हे.. लेकन मंजु.. मुजे भी तुमको कुछ कहेना हे.. हमारी लताके बारेमे..

मंजुला : (मुस्कुराते होंठ चुमते) भाइ.. मुजे सब पता हे.. वो सीर्फ आपको ही बहुत प्यार करती हे.. वो भी उनकी सादीसे पहेले.. वो तब भी आपके साथ फीजीकल रीलेशन रखना चाहती थी.. लेकीन आपनेही उनकी तरफ कोइ ध्यान नही दीया..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. मे उनकी नजरको पहेचान गया था.. लेकीन मे क्या करु..? तब वो कच्ची उमरकी थी.. उनको मेरे ओर सरला चाचीके बारेमे सबकुछ पता था.. वो कइ बार खीडकीसे हम दोनोको सेक्स करते देख चुकी हे.. सायद इसीलीये मुजसे रीलेशन रखना चाहती होगी..

मंजुला : (मुस्कुराते) नही भाइ.. वो सचमे आपको प्यार कती हे.. आपकी खातीर उसने लखनके रीस्तेको भी अ‍ेक्सेप्ट करलीया.. ताकी आप उनकी नजरके सामने रहे सके.. भाइ.. भले ही उसने लखनके साथ सादी करली.. लेकीन वो बच्चा आपसे चाहती हे.. भाइ.. वोभी अपने दिलकी बात आपको कभी केह नही पाइ.. हमारे लखनकी तराह..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) हमारे लखनकी तराह..? मे कुछ समजा नही.. क्या वोभी कीसीसे प्यार करता था..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां भाइ.. चलो ये राजकी बात भी आज आपको बता ही देती हु.. हें..हें..हें.. भाइ.. हमारे लखन भैया हमारी पुनोको प्यार करते थे.. जब दोनो स्कुलमे पढते थे.. लेकीन वो कभी अपने दिलकी बात पुनोसे नही केह पाये.. ओर पुनो आपको प्यार करती थी.. हें..हें..हें..

देवायत : (चोंकते) क्या..? लखन पुनोको प्यार करता था..? ये सब लखनने कहा तुजे..?

मंजुला : नही भाइ.. मुजे ना लखनने कहा हे नाही पुनोने.. लेकीन मेने सब मेरी शक्तियोके माध्यमसे जाना हे.. भाइ.. अब तो हमारी पुनोके पास भी ये सब शक्तिया हे.. तो अब उनको भी सब पता होगा.. भाइ.. ये सच हे..

देवायत : (आस्चर्यसे मुस्कुराते) मंजु.. तुजे तो सब पता चल जाता था.. तो फीर ये बात तुमने मुजे पहेले क्यु नही बताइ..? हमे क्या जरुरत थी पुनोकी सादी धिरेनके साथ करवानेकी..? हम पुनोकी सादी लखनसे ही कर देते.. वैसेभी हमारे खानदानकी परंपरा कायम रहेती..

मंजुला : (मुस्कुराते) नही भाइ.. मेने कहाना कुछ परीस्थीतीया हमारे हाथमे हे ही नही.. ओर वैसेभी पुनोकी सादी धिरेनके साथ जरुरी थी.. ओर आप लखनकी चीन्ता मत करो.. क्युकी जबसे उनको पता चला हे.. की आपने पुनोसे सादी करली हे.. तो हमारे लखनने पुनोको भाभीके रुपमे खुसी खुसी अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे.. उन्होने अपनी मर्यादा कभी नही लांधी.. लेकीन भाइ.. आपको मयार्दा लाघनी होगी.. हमारे पोतेके खातीर.. आपको लताके साथ आगे बढना होगा.. वैसे भी अ‍ेक दिनतो आपकी बीवी होने ही वाली हे.. हें..हें..हें..
 
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dilavar

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देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. क्या ये सब सही हे..? लता लखनकी बीवी हे.. वो तीन चार दिन पहेले मुजसे अपने प्यारका इजहार भी कर चुकी हे.. फीर भी अ‍ेक डर लग रहा हे..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) भाइ.. तो फीर क्या प्रोबलेम हे.. आप आगे बढो.. लखनकी चीन्ता मत करो..

देवायत : (मुस्कुराते होंठ चुमते) मंजु.. लखनके साथ बहुत बुरा हुआ.. अगर मुजे पहेले पता होता की लखन पुनोको चाहता हे.. तो मे पुनोकी सादी धिरेनसे कभी नही करवाता.. मे पुनोकी सादी लखनसे ही कर देता.. वैसेभी हमारे खानदानमे भाइ बहेनके बीच सादीकी परंपरातो हो ही गइ हे.. मंजु.. तो क्या मुजे सचमे लताके साथ सादी करनी पडेगी..?

मंजुला : (होंठ चुमते) हां भाइ.. लता हमारे लखनको जरीया बनाकर यहा सीर्फ आपके लीये आइ हे.. वो आपको प्यार करती हे.. तो उसे अ‍ेक दिनतो आपको अपनाना ही पडेगा.. लेकीन उसे अपनानेमे अभी बहुत वक्त हे.. लेकीन उनके साथ फीजीकल रीलेशन रखनेमे कोइ बुराइ नही हे.. ओर वो भी तो यही चाहती हे..

देवायत : (होठोको चुमते) मंजु.. लेकीन उनके साथ आगे बढनेमे डरभी लग रहा हे.. क्या ये हमारे लखनको धोखा देना नही हे..? वो रीस्तेमे मेरे लखनकी बीवी ओर मेरी बहु हे.. ओर मे उसे भी बहेन मानता हु..

मंजुला : (प्यारसे गालपे चपत लगाते) हंम.. बडेही कमीने हो आप.. मे इतनी देरसे आपको समजा रही हु.. आप समजते ही नही.. अगर वो आपकी बहेन हे तो फीर मे पुनो ओर सृती तीनो कौन थी..? अरे सगी बहेनको तो चोद चोदकर आपने प्रेगनेन्ट कर दीया.. तो फीर लता भीतो हमारी ही बहेन हे.. हमारे बापुकी नीशानी.. भलेही आप इनको बहेन मानते हो.. ओर लखनकी फीकर मत करो.. उनको सम्हालने वाली बहुत हे.. वैसेतो मेरी फीकरतो आपने कभी नही की..? मुजे तो सादीसे पहेले ही ठोकते आये हो.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) मंजु.. क्या केह रही हो..? अ‍ैसा कुछ नही हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) भाइ.. क्या अ‍ैसा कुछ नही हे..? आपने सादीसे पहेले मुजे कीतनी बार चोदा हे.. आपको पताथा की मेरी मम्मी आपकी सास हे.. फीरभी आप उनको चोदते आये हो.. ओर अबतो पापाने खुद उनका हाथ आपको सोप दीया हे.. ओर बुआको भी नही छोडा.. उनको भी चोद चोदके पेटसे कर दीया..

बेचारी चंपाभाभी ओर हमारी लताकी मां सरला चाचीको भी आपने नही छोडा.. उनकोभी ठोकते आये हो.. तो फीर लताकी इतनी चीन्ता क्यु करते हो..? कोइ खास वजह..? क्या सीर्फ इस घरके मर्दको ही सबके साथ सेक्स करने की अनुमती हे..? हम ओरतोको नही..?

देवायत : (हसते होठोको चुमते) हंम.. नही मंजु.. अ‍ैसा कुछ नही हे.. ठीक हे.. चल.. मे हारा.. हें..हें..हें.. अब जैसा तुम कहोगी.. वैसाही होगा.. बस..? अब तो खुस..? हें..हें..हें.. बता.. क्या करना हे मुजे..?

मंजुला : (होंठ चुमते) नही भाइ.. मे ये सब अ‍ेक दुसरेके मजेके लीये नही केह रही.. मेरा ये सब करवानेका अ‍ेक खास मक्सद भी हे.. सोचो जब हमारा वीजय बडा होजायेगा.. वो हमारे लखनसे ओर आपसे भी ज्यादा अयास होगा.. ओर उनका बेटा यानी हमारा पोता भी आयेगा.. तब ना जाने इस हवेलीमे क्या क्या नही होगा..? सब रीस्ते धरे के धरे रेह जायेगे..

बस.. सभी रीस्तो अ‍ेक औपचारीक सीर्फ नामके रेह जायेगा.. तब आप क्या करोगे..? इस घरके कोइ भी मर्दको अ‍ेक दो बीवीओसे संतोष ही नही होगा.. अभी कुछ दिनोके बाद तो आपको भी लखनकी बीवीको चोदनेका कोइ अफसोस नही होगा.. अ‍ैयासीयो की सुरुआत आपसे नही.. आपकी पीछली तीन पीढीसे सुरु होगइ हे..

देवायत : (उतेजनामे धीरेसे कमर हीलाते चोदते) हमारी पीछली पीढीसे..? मतलब..? मंजु.. तुमने मुजे आज इतना कुछ बताया.. तो फीर मुजे आज सब कुछ खुलकर बतादो..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) हां बस.. भाइ.. अ‍ैसेही प्यारसे चोदते रहीये बहुत मजा आ रहा हे.. भाइ.. मत जानो सब.. आप सहेन नही करपाओगे.. जानकर आपको बहुत बुरा लगेगा..

देवायत : (मुस्कुराते होठोको चुमते) मंजु.. आइ प्रोमीस.. बतादे मुजे.. नही दुख होगा.. क्युकी हमारे खानदानमे पीछली तीन पीढीमे सबने अपनी बहेनके साथ ही सादी कीहे.. यही तो अयासीका सबसे बडा सबुत हे..

मंजुला : (कमर हीलाते) भाइ.. क्या सीर्फ बहेन के साथ ही.. यहा तो बहुत कुछ हुआ हे.. भाइ.. आज मे आपको कुछ बाते करने वाली हु.. सुनकर बुरातो नही लगेगा..? बस.. अ‍ैसेही धीरे धीरे मुजे चोदते रहीये.. बुहत मजा आ रहा हे..

देवायत : (धीरे धीरे कमर हीलाते चोदते होंठ चुमते) मेरी प्यारी बहेन.. बता मुजे.. आज तेरी कोइ बातका बुरा नही मानुगा.. बता.. ओर क्या क्या हुआ हे यहा..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. सीर्फ बहेनके साथही नही.. इसके अलावा भी इस हवेलीमे बहुत कुछ हुआ हे.. बहेनके साथतो कायदेसे सादी कीथी.. वोभी हमारे गुरुजीके कहेने पे.. लेकीन कुछ रीस्ते अ‍ैसे थे जो कीसीको आज तक पता नही चला.. मे ये बात आपको कभी नही बताती.. लेकीन आज आपने पुछ ही लीया हे.. तो सोचा आज आपको कुछ सचाइ बता ही दु..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) मंजु.. तो क्या बहेनके अलावाभी.. मेरा मतलब.. बहार.. की.. घरमे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. बहारभी ओर घरमे भी.. वोभी हमारे बापुके बारेमे.. भाइ बुरा मत मानना.. हमारे बापुका गांवकी कइ ओरतोके साथ रीस्ता था.. मे ओर हमारी दया उसीका नतीजा हे.. बापुका मेरी मम्मीके अलावा रामुकाका की बीवीके साथभी रीस्ता था.. ओर सबसे बडा रीस्ता.. तो हमारे धरमेही पल रहा था.. वोभी मजबुरन.. लेकीन भाइ.. मजबुरी सीर्फ हमारे बापुके लीये थी.. जीसके साथ उनका फीजीकल रीलेशन था.. उनके लीये नही जीसे वो फीजीकल होते थे.. वो हमारे बापुसे जुठ बोलकर अपने तनकी प्यास बुजाती थी..

देवायत : मंजु.. प्लीज.. सब खुलकर बतादे.. मुजे बुरा नही लगेगा.. कौन थी वो..?

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. हमारी दादी.. जब बापुकी नइ नइ जवानी चडी हुइ थी.. वो बहुत ही हेन्डसम ओर आकर्सक थे.. तब बापु मेरी मम्मीके साथ भी रीलेशनमे नही थे.. तब वो हमारे आश्रमपे भी नही जाते थे.. उनका रीजनभी कुछ ओर था.. तब हमारी दादी अ‍ेक तांत्रीकके चकरमे फसी थी.. भाइ वो तांत्रीक विकृत कीसमका आदमी था..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) विकृत कीसमका मतलब..?

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. उसे अ‍ैसे रीस्तोमे संभोग देखनेका बहुत सौक था.. वो दादीको ओर हमारे बापुको पुजामे बीठाता था.. ओर पुजा करवाते वीधीके नामपे बापुको उनकी मां के साथ यानी हमारी दादीके साथ संभोग करवाता था.. तो उसीके कहेनेपे हमारी दादीने अपने ही बेटेके साथ यानीकी हमारे बापुके साथ फीजीकल रीलेशन बना लीया.. उस दिन बापुकी पहेली चुदाइ थी.. ओर वो भी अपनी मां के साथ..

देवायत : (थोडी जोरोसे कमर हिलाते) मंजु.. तो फीर दोनो बार बार कैसे मीलने लगे..

मंजुला : (कामुक आजाजमे) आइइइ..सीसस.. भाइ.. थोडा धीरेसे चोदोनां.. सुनो.. उस दिन अपने बेटेके साथ पहेली बार चुदाइ करवाते दादीको बापुका हथीयार पसंद आगया.. फीरतो बीना तांत्रीक अकेली पुजाके बहाने दादी बापुकी रुममे बुला लेती.. ओर जुठ मुठकी पुजा करते अंतमे बापुके साथ फीजीकल होजाती.. फीरतो उनको बापुके साथ फीजीकल होनेकी आदत होगइ.. ओर आये दीन पुजाका बहाना बनाकर अपनी प्यास बापुसे चुदवाकर बुजाने लगी.. भाइ.. अ‍ैसे ही बहारसे ज्यादा सब आपसी रीसतोमे यकीन करने लगे..

देवायत : (मुस्कुराते चोदते) मंजु.. तो फीर बापुका गांवमे ओर कीसके साथ रीलेशन था..?

मंजुला : (कमर हीलाते होंठ चुमते) भाइ.. अ‍ेक होतो बताउ.. यहा तो कीतनी ओरते थी.. जबसे बापु दादीके साथ सेक्स करने लगे.. तब उनको सेक्स करनेकी आदत होगइ.. ओर सेक्सके प्रती उनकी चाहत बढ गइ थी.. भाइ.. हमारी रजीयाकी मां दयाकी मां.. ओर सबसे बडा रीस्ता तो हमारे दुस्मनके घरपे था.. जो इसीलीये तो उनके पतीने गांव वालोको हमारे खीलाफ भडकाया था..

देवायत : (आस्चर्यसे) कौन.. जवेरीलालके घरपे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां भाइ.. वो ही.. जो अभी उनका लडका लडकी भाग गये थे.. भाइ.. जवेरीलालके बापु ओर हमारे दादाके बीच बहुत अच्छे रीस्ते थे.. जीसकी वजहसे उनकी फेमीलीका हवेलीमे आना जाना लगा रहेता था.. बस.. बापुकी आंखोमे जवेरीललालकी मां बस गइ.. ओर आये दिन बापु उनकी चुदाइ करने लगे..

ओर नतीजेके फल स्वरुप बापुने उनको प्रेगनेन्ट करदीया.. जवेरीलालका छोटा भाइ जीतुलाल.. उसीका नतीजा हे.. भाइ.. उनके पतीको सब पता चल गया था.. की जीतुलाल उनका खुन नही हे.. इसीलीये.. जवेरीलालके बापुने भाइ बहेनकी सादीको लेकर गांव वालोको हमारे खीलाफ कर दीया था..

देवायत : मंजु.. वैसेभी आपसी रोस्तोमे सादी करनेका कुछतो रीजन होगा..? क्युकी तुमने खुद मुजे सबके साथ रीलेशन रखनेकी छुट देदी हे.. तो फीर ये सब अ‍ेक तरफातो नही होगा..? तुमने हमारे बापुके बारेमे ओर लखनके बारेमे भी सब बता दीया.. तो लखन भी मेरा ही भाइ हे.. तो वो इन सब चीजोमे बाकात कैसे रेह सकता हे..? कुछ तो रीजन होगा..?
 

dilavar

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मंजुला : (सरमाकर मुस्कुराते बाहोमे भीचते) हां भाइ.. मेरे कहेनेके का मतलब यही था.. जो आप समज रहे हो.. भाइ.. हमारा लखन भी बाकात नही रहेगा.. वो भी आप ओर बापुकी तराह सबके रंगमे रंग जायेगा.. अ‍ेकतो आप जानते हे हम सब कौन हे.. हम जहासे आये हे वहा बहार वालोसे कभी रीलेशन नही रखते.. तो जाहीरसी बात हे यहा भी उस हिमाचलके राजाकी तराह होगा.. वो ही सबलोग तो यहा वापस जन्म लेकर आने वाले हे.. भाइ.. इसीलीये तो सब अ‍ैसे रीस्तोसे बंधे हुअ‍े हे.. यहा भी सबकुछ होगा.. जो हीमाचलमे होता था..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. उसनेतो अपनी बहेनोके अलावा भाभी चाची ओर उनकी दादीसे भी सादी करली थी.. तो यहाभी तो यही सब हो रहा हे..

मंजुला : (होंठ चुमते) हां भाइ.. सीर्फ यही नही.. आगे कुछ रीलेशन देखकर आप वीचलीत भी हो सकते हो.. तब अपने आपको कंट्रोल करना होगा.. क्युकी यहा जोभी होगा.. वो सब अ‍ेक तरफा नही होगा.. सब अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे हो रहा होगा.. भाइ.. मे चाहती हु की हमारे खानदानमे जीस तराह मर्दको घरकी सभी ओरतोके साथ सेक्स करनेकी छुट मीली हे.. उसी तराह इस खानदानकी ओरतोको भी घरके कीसीभी मर्दके साथ सेक्स करनेकी आजादी मीले.. आप समज गयेनां..? आह.. आइ...सीससस... भाइ.. थोडा धीरेसे चोदोनां.. बहुत मजा आ रहा हे..

देवायत : (कमर हीलाते बुब्स चुमते) मंजु.. तेरी सभी बाते मेरी समजमे आगइ.. क्या इसीलीये लखनको जडीबुटी दी हेनां..? ठीक हे.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. अब मुजे लताके साथ रीलेशनमे आनेका कोइ अफसोस नही होगा.. बस.. मे सीर्फ तुजसे ही डर रहा था.. क्युकी तुजे सब कुछ पता चल जाता हे..

मंजुला : भाइ.. इसमे डरनेकी क्या जरुरत हे..? लखन भैयाको सीर्फ उनकी अ‍ैयासीके लीये जडी बुटी थोडीना देनी हे..? भाइ.. हमारा मक्सद कुछ ओर ही हे.. क्युकी हमारा लखन भैया बच्चा पैदा करमे सक्षम नही हे.. इसीलीये हमे उनको जडीबुटी देनेकी आवस्यक्ता हे.. वो ओर पुनो बदलाभी ले सके ओर लखन अपने बच्चे भी पैदा कर सके..

देवायत : (आस्चर्यसे) अच्छा..? क्या सचमे लखन बच्चा देनेमे सक्षम नही हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां भाइ.. ये सच हे.. ओर बात सीर्फ लखनके बच्चा पैदा करनेकी नही हे.. हमारा विजय.. हमारा पोता.. दोनोको सेक्स करनेके लीये आगेकी राह आसान करनी होगी.. क्युकी जीस तराह हमने आपको कुछ जीम्वेवारी ओर दुसरी ओरतोके साथ सेक्स करनेकी आजादी दीहे..

उसी तराह हमे लखनको भी कुछ जीम्वेवारी ओर सेक्स करनेकी आजादी देनी होगी.. ताकी हमारे विजय ओर हमारे पोतेकी राह आसान होसके.. आपकी तराह लखनकी भी बहुत सारी सीक्रेट बीवीया होगी.. जो उनकी संतान आने वाले दिनोमे हमारे विजयकी बीवीया होगी.. उनमेसे अ‍ेक मे भी हु.. जो दुसरे जन्ममे मेरे विजयकी बीवी हु..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. तुजे तो बहुत कुछ पता हे.. तो फीर लताके साथ मुजे रीलेशन रखनेकी क्या जरुरत हे..? उनको तो हमारा लखन भी बच्चा दे सकता हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते होठ चुमते) नही भाइ.. हमारे खानदानमे अ‍ैसी तीन ओरत हे.. जो लखनके साथ रीलेशन रखेगी तो भी लखन उसे कभी प्रेगनेन्ट नही करपायेगा.. लताकी कोखसे सीर्फ आपकाही अंस चाहीये.. ओर सीर्फ आप ही उनको प्रेगनेन्ट कर सकते हो.. क्युकी हमारे पोतेकी सबसे चहीती रानी लताकी कोखसे ही जन्म लेगी.. जो आपहीका अंस होगी.. ओर आप फीकर मत करना.. क्युकी जीस तराह मे पुनो आपके लीये स्पसेसीयल हे..

उसी तराह लताभी हमारी तराह आपके लीये स्पेसीयल हे.. मे पुनो ओर लता.. हम तीनोकी योनी संखीनी हे.. हमे कोइ ओर मर्द प्रेगनेन्ट नही कर सकता.. हमारा लखन भी नही.. फीर हम तीनो चाहे उनके साथ कीतना भी सेक्स करले.. ये तीन ओरतको सीर्फ आपही प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. ओर दुसरा हमारा पोता होगा.. जो खुद स्वयंम हिमाचलका राजा होगा..

देवायत : (कमर हीलाते) मंजु.. मे सब समज गया.. तु फीकर मत कर.. बस..? आजसे तुम सभी ओरतोको सभी तराह की आजादी हे.. तुम सब जीलो अपनी जींदगी..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. आपको इस घरकी सभी ओरोतोको आजादी देनी होगी.. वरना आने वाले वक्तमे आप ही की मुस्कीले बढ जायेगी.. लेकीन भाइ.. फीकर मत करना.. इस घरकी ओरत बहारके मर्दके सामने आंख उठाकर भी नही देखेगी.. सीर्फ इस घरके मर्दही उनको छु सकेगे..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. मुजे तेरी सभी बातपे भरोसा हे.. ओर मुजे तेरी सभी बाते मंजुर हे.. अब सभी बीवीओको सम्हालनेकी कोइ जंजटही नही रहेगी.. तुम सब लोग जैसा मेनेज करना चाहती हो कर सकती हो..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. मे ये सीर्फ लखनके लीये नही केह रही.. ये बात आपके लीये.. विजयके लीये ओर हमारे पोतेके लीये भी हे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. मतलब.. जो जीसके साथ सेक्स करना चाहे कर सकते हे.. हें..हें..हें.. चल ठीक हे.. अब तो खुस..?

मंजुला : (सरमाकर मुस्कुराते) नही भाइ.. आजतो पुरी रात मुजे चोदोगे नही तबतक मे खुस नही हुगी.. चलीये.. अब दुसरे राउन्डके लीये तैयार होजाये.. आजतो आपको मे पुरा नीचोड लुगी.. लताका नाम सुनतेही कैसे चुतके अंदर जटके मार रहा था.. ठरकी कहीके.. हें..हें..हें.. लेकीन ध्यान रखना.. जबतक लखनभैया हे.. तबतक आप उनकी बीवीको चोदो तो उनको पता नही लगना चाहीये.. वरना वोभी आपकी बीवीपे हाथ मार सकता हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते होठ चुमते) पता हे मुजे.. मारने दे.. अब तुमने मुजे इतना कुछ बता दीया तो उनका कुछतो रीजन होगा..? वैसे सेक्सके बारेमे तुजे बहुत कुछ ज्ञान हे.. हें..हें..हें..

कहातो मंजु हसने लगी.. तब देवायत वापस जोसमे आकर जोरोसे कमर हीलाते मंजुकी चुदाइ करने लगा.. देवायत पुरी रात सुबह चार बजे तक मंजुकी चुदाइ बीना लंड बहार नीकाले करता रहा.. ओर मंजुकी चुतको भरता रहा.. मंजुने आज चुदवाते चुदवाते देवायतके सामने बडीही सीफततासे बहुत कुछ राज खोल दीये थे.. क्युकी सीर्फ उनको ओर पुनमको ही पताथा की आने वाले दिनोमे क्या होने वाला हे..

दोनोही चुदाइ करते बाते कर रहेथे तब पुनमके रुममे भावना सो चुकी थी.. तो पुनम ध्यान लगाके मंजु ओर देवायतकी अ‍ेक अ‍ेक बाते सुन रही थी.. पुनम ओर मंजु दोनोको आने वाले वक्तके बारेमे पता था.. दोनो ही भविस्यमे होनेवाले बदलावके बारेमे जाकर बहुत ही अ‍ेक्साइटेड थी.. सबकुछ जानकर पुनम सरमके मारे पानी पानी होने लगी थी.. सब बाते जानकर उनकी चुत अभीसे फडफडाने लगी..

क्युकी अब लखन ओर पुनम दोनोका रीस्ता बदल चुका था.. जब पुनम उनकी बहेन थी.. ओर दोनो साथमे पढते थे.. तब ही दोनो सभी तराहकी चर्चा खुलकर करते थे.. लेकीन अबतो पुनम उनकी भाभी होगइ थी.. ओर देवर भाभीसे भी आगे रीस्ता बढने वाला था.. तो लखन आगे जाकर उनके साथ क्या क्या बाते करते फ्लर्ट करेगा.. यही सब जानकर पुनम बहुत ही सरमाने लगी..

ओर पुनमभी तो वही चाहती थी.. की उनका भी कोइ प्यारा देवर हो.. जो उनके साथ ढेर सारी मस्तीया करे.. ओर उनके साथ फ्लर्ट भी करे.. पुनमने लखनको सच्चे दिलसे अपना देवर मानलीया था.. ये बात पुनमको भी पता थी.. की देवायतकी सभी बीवीयो मेसे पहेली कौनसी बीवी लखनके साथ बहेकने वाली थी.. जो इनकी सुरुआत हो चुकी थी.. सीर्फ लखन ही नही इसके बाद विजय.. फीर उनका लडका.. जो स्वयंम राजा होगा.. जीसेके बारेमे जानकर पुनम बहुत ही सर्मसार हो रही थी..

तो उपर लखन भी लताकी दो बार घमासान चुदाइ करके सो गया था.. तो यही हाल बंसीके घरपेभी था.. बंसीभी तीन बार सांतीकी चुदाइ करके उनसे चीपकर सोगया.. आज बंसी ओर सांती दोनोही अपनी सादीको लेकर बहुत खुस थे.. तो बंसीने आज इसी खुसीपे कामोतेजक गोलीया खाकर सांतीको जबरदस्त तरीकेसे चोदलीया था.. जीनकी वजहसे आज सांतीकी हालत वाकइ पतली हो चुकी थी..

तो जागृती बंसीको इमेजींग करके अपनी चुतमे उंगली डालकर अपने आपको सांत करती हे.. तो रमेशके घरभी चारु ओर रमेशका रीस्ता पुरी तराह बीगड चुका था.. अब दोनोने लगभग अ‍ेक दुसरेके साथ बैठकर खाना खाना ओर बात करना भी बंध करदीया था.. जब खाना खालीया तो रमेश उनके रुममे तो चारु वंदनाके रुममे जाकर सोगइ.. वैसेभी अभी उनकी चुतकी हालत देवायतसे सुहागरात मनाकर पुरी तराह ठीक नही हुइ थी..

तो सुधीरके घरभी सामको सुधीर आया तो नीशा थोडासा लंगडाते चल रही थी.. ओर बहुतही खुस नजर आ रही थी.. सुधीर उसे अ‍ैसे चलते ओर खुस देखकर ही सब कुछ समज गया.. तभी नीशाको आतेही हग करलीया.. नीशाभी सरमाकर उनसे लीपट गइ.. ओर दोनो अंदर आगये.. तो नीशाने उसे पानी पीलाया.. ओर उनके सामने बैठकर मंद मंद सरमाकर मुस्कुरा रही थी.. तब सुधीरने हसते हुअ‍े उनको पुछ ही लीया....

कन्टीन्यु
 
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