जब अपने बंगलोपे आगया तब तक रजीया ओर लताने बहुत कुछ सफाइ करली थी.. सृतीने वही क्लीनीकपे खाना मंगवाकर खालीया था.. तो यहा लखन लता ओर रजीया तीनोही अेक साथ खाने बैठ गये.. तब रजीया बहुतही सरमा रही थी.. तो लखन भी दोनो बीवीओको साथ बैठकर खाते खुस हो रहा था.. जब तीनोने खालीया तब लखनने नीलमके सामानके बारेमे बातकी..
लखन : लता.. मे नीलुका सब सामान होस्टेलसे लेकर आया हु.. तो क्या इसे यही रखदे..?
लता : (मुस्कुराते) चलो अच्छा हुआ.. आप सामान लेआये.. इसे यही लास्ट वाले रुममे रख दीजीये.. नीलु अब जबतक यही पढती हे वही रहेगी..
फीर तीनोने कुछ देर आराम कीया.. आराम करके तीनोही सफाइ करने लगे.. तो लता ओर रजीया भी लखनको काम करते देखकर हस रही थी.. ओर तीनोने पुरे बंगलेकी सफाइ करली.. फीर फ्रेस होकर चाइ नास्ता करलीया.. तभी सृतीकाभी फोन आगया.. ओर तीनो बंगलेको ताला लगाकर क्लीनीकपे चले गये.. फीर वहासे सृतीको लेकर अपने गांवकी ओर नीकल गये.. पुरे रास्ते लखन सृतीकी टांग खीचाइ करता रहा..
अैसेही मस्ती मजाक करते चारो हवेलीपे आगये.. तबतक भानुभी सरलाको हवेलीपे छोडकर चला गया था.. तो कारसे उतरतेही सृती लखनको हसते हुअे मारनेके लीये दोडी.. तो लखनभी जोरोसे हसते अपने रुममे भाग गया.. तो सृतीभी फ्रेस होने देवायतके रुममे घुस गइ.. तब सबलोग ये तमासा देखकर हसते रहे.. ओर लता रजीयाभी हसते हुअे अंदर आगइ.. ओर लताने सबको सृतीकी टांग खीचाइके बारेमे बता दीया.. तो सब लोग वापस हसने लगे..
आज देवायतने सुबहसे सीर्फ बीजनेस ही कीया.. उसने कइ सोदे बाजी करली.. फीर दोपहरको वो ओर भानु खानेके लीये आगये.. फीर कुछ देर आराम करनेके बाद दोनो वापस अपने खेतोपे चले गये.. तब भानु खेतीका काम देखने लगा.. तो देवायत कुछ बीजनेसके फोन करके बैठा था.. तभी ओफीसमे उनके सामने सामत ओर रमेश आकर बैठ गये.. तो देवायत मुस्कुराने लगा.. ओर उसने चाइके लीये बोल दीया..
देवायत : (हसते) कहो.. आजतो दोनो इधरका रास्ता कैसे भुल गये..? हें..हें..हें..
रमेश : (जोरोसे हसते) क्या भाइ.. आपको मीलने आये हे.. मुजेभी काम था.. ओर सामतभाइ को भी आपसे पर्सनली काम था.. तो दोनो साथ चले आये.. हें..हें..हें..
देवायत : (मुस्कुराते) हां सामतभाइ.. कहो.. आपतो हम सबमे सीनीयर हे.. मुजसेभी ज्यादा तजुर्बेकार हे.. तो मे भला आपकी क्या सेवा कर सकता हु.. कहीये..
सामत : (हसते) वो सबतो ठीक हे.. लेकीन आप हमारे ठाकुर साहेब हे.. तो कुछ बातोमे तो आपसेही सलाह मसवरा करना पडता हे.. बस.. कुछ नही.. मेरे बंसीकी सादीको लेकर आपसे चर्चा करने आया हु..
देवायत : (मुस्कुराते) अरे वाह.. तो आप बंसीकी सादी कर रहे हो.. येतो बहुतही अच्छी बात कही आपने.. कहो.. बंसीका कहा रीस्ता तैय कीया..?
सामत : (मुस्कुराते) भाइ.. अब आपतो जानते हे.. हमे उस दिन बाबाने क्या कहा था..? बस.. बाबाकी सभी बाते सच नीकली.. बंसी ओर सांती दोनोही अेक दुसरेको प्यार करते हे.. ओर आपसमे सादी करना चाहते हे.. तो सोचा अेक बार आपसे बात करलु.. की दोनोकी सादी कहा करनी हे.. आश्रमपे जाकर की हमारे घरके आंगनमे..?
देवायत : (खुस होते) अरे वाह सामतभाइ.. आपने बहुत अच्छा डीसीजन लीया हे.. मेतो पहेलेसे ही केह रहा था.. की आप इन दोनोकी सादी करदो.. आपही नही मानते थे.. चलो अच्छा हुआ.. कमसे कम सांतीको अेक सहारातो मील जायेगा.. मेरी मानोतो अपने घरके आंगनमेही उन दोनोकी सादी करदो..
ताकी गांवके लोगो के बीच आप अेक मीसाल कायम कर सको.. लोगोके बीच बहुतही अच्छा मेसेज जायेगाकी की देखो.. खुद सामतभाइ अपनी विधवा बहेनकी सादी उनके बेटेसे कर रहे हे.. तो फीर हमे क्या प्रोबलेम.. यही सोचकर लोग अपनी विधवा ओर त्यक्ताओकी सादी करने लगेगे..
सामत : (हसते) भाइ रमेश भी वोही केह रहा था.. अब तो हमारे गांवमे इतना सारा बदलाव होने वाला हे.. ओर खुद बाबाने मुजसे ये बात कही हे.. तो सोचा मे ही इनकी सुरुआत करदु..
देवायत : (हसते) सामतभाइ आपने बहुत अच्छा सोचा हे.. कहो सादी कब करवा रहे हो..?
सामत : भाइ.. आपके ससुरका कार्य खत्म होतेही मे उन दोनोकी सादी कर देना चाहता हु.. ताकी आप सब लोग भी सादीमे सामील हो सको..
देवायत : सामतभाइ आपको मेरे ससुराका देखनेकी जरुरत नही हे.. कर दीजीये दोनो की सादी.. मेरे ससुरकातो सीर्फ पांच दिनकी सौक रखना हे.. आप सादीकी तैयारीया सुरु कर दीजीये.. इसमे कोइ प्रोबलेम नही हे.. अगर मेरा भी कुछ काम होतो केह देना मेभी आजाउगा..
सामत : (हसते) ठीक हे भाइ मे जरुर केह दुगा.. अेक बात ओर.. मेने ओर रमेशने दोनोने सहेरमे अेक अेक मकान भी लेलीया हे.. रमेशने थोडा छोटा मकान लीया हे.. मेने थोडा बडा लीया हे.. अब सीर्फ रजीस्ट्रेशन बाकी हे.. तो सोच रहा हु.. ये मकान मे बंसीके बजाये सांती ओर मेरी जागुके नाम करदु.. क्या कहेते हो..?
देवायत : (हसते) अरे वाह.. येतो आपने बहुत अच्छा सोचा हे.. चलो दोनोको अभीनंदन आपको.. अच्छा हुआ आपने बता दीया.. वरना ये कमीनातो कभी मुजसे कहेता ही नही.. हें..हें..हें..
रमेश : (मुस्कुराते) भाइ.. मुजे कहा वहा रहेने जाना हे..? सीर्फ थोडासा इन्वेस्टमेन्ट करदीया हे ओर कुछ नही.. वैसे कल हम दोनो सहेर जा रहे हे.. कल हमे सायद हमारी होस्पीटलके लीये जमीनके कागजात मील जायेगे.. फीर वहासे सामतभाइ ओर मे.. मेरे मकानके रजीस्ट्रेशनके लीये चले जायेगे..
देवायत : (हसते) अरे वाह.. आज तो खुसी पे खुसी मील रही हे..? क्या बात हे रमेश.. आखीर तुम दोनोकी महेनत रंग लाइ.. ओर वो स्कुलके कामका क्या हुआ..? कोइ टेन्डर बेन्डर नीकलाकी नही..?
रमेश : (हसते) बस.. भाइ.. टेन्डरतो नीकल गया.. अब आपही अपने दोस्तके साथ बात करलो.. तो हम जीसे काम देना चाहते हे.. उनका टेन्डर पास होजाये ओर जल्द ही काम सुरु होजाये..
देवायत : (हसते फोन लेकर) ठीक हे.. इसमे क्या..? लो अभी बात कर लेता हु.. वैसे सामतभाइ.. इतनी खुसीके मोकेपर भी आपका चहेरा क्यु मुरजाया हुआ हे..? कुछ हुआ हे क्या..?
रमेश : (हसते) भाइ आपने इनको सही पकडा.. मेभी कइ दिनोसे इनको पुछ रहा हु.. कुछ बताते ही नही.. आपही पुछलो सायद आपको कुछ बतादे.. हें..हें..हें..
सामत : (मुस्कुराते) अरे कुछ नही हुआ.. दोनो खामखा परेसान हो रहे हो.. बस.. उमरकी वजहसे कुछ छोटी मोटी प्रोबलेम हे.. भाइ.. इस बारेमे हम कभी फुरसतमे बात करेगे.. आप फीकर मत करो..
देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे.. सामतभाइ.. अगर कोइ प्रोबलेम होतो बताना..
कहेते देवायत जीलाकी पंचायत ओफीसमे फोन करदेता हे.. ओर टेन्डरसे लेकर होस्पीटलके जमीनके बारेमे भी बात करता हे.. तो उनका दोस्त कलही वहाके सरपंचको भेजनेके लीये कहेता हे.. ताकी जमीनके कागजात उसे मील सके.. फीर देवायत कुछ ओर औपचारीक बात करके फोन रख देता हे.. फीर देवायत सामत ओर रमेशको कलही सहेरमे जाकर कागजात लानेकी बात करता हे.. तो दोनोही खुस हो जाते हे..