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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७७

आज सामतके घर खुसीका माहोल था.. सबको अपनी उमीद पुरी होती नजर आइ.. पर जैसेही जयाने कुछ दिन सहेर रहेनेकी बात की.. तब जागृतीके मनमे आसंकाये आने लगी.. जबसे रमेशके घरपे रमेश ओर जयाकी बात सुनकर आइ.. तबसे उसे सांतीने कही अ‍ेक अ‍ेक बात सच होते नजर आने लगी.. की आने वाले दिनोमे सायद उनको ओर सांतीको ही इस घरको सम्हालना पडेगा.. ओर आज उनका सक ओर पका होगया....अब आगे

उधर सहेर पहोचते ही लखन सबसे पहेले सृतीको उनकी क्लीनीकपे ड्रोप करदेता हे.. ओर उसे वापस आनाहो तब फोन करनेको कहेकर लता ओर रजीयाको लेकर अपने बंगलोपे आजाता हे.. ओर दोनोको यहा ड्रोप करके होटेलसे कुछ खानेका इन्तजाम करनेको कहेकर चला जाता हे.. तो अंदर आतेही रजीया ओर लता मीलकर घरकी सफाइ करने लगी.. वहा कोइ नही रहेता था तो काफी मीटी जमा होगइ थी..

तभी रजीया ओर लता अ‍ेब बेडरुममे सफाइ करने चली गइ.. तो बेडकी चदरपे कुछ धब्बे दीखाइ दीये.. ओर पुरी चदर अस्त व्यस्त थी.. तो लता ओर रजीयाको जरासा भी समजनेमे देर नही लगी.. की ये धब्बे कीसके हे.. लता गुस्सा होते बडबडाने लगी.. ओर चदरको खीचकर वोसींग मशीनमे डालने जाने लगी.. उनको पता चल गया की ये चदर अभी कोन खराब करके गया हे.. तो रजीयाभी सरमाके हस रहीथी.. तभी..

रजीया : (सरमाकर हसते) दीदी.. यहा कोन आया होगा.. हें..हें..हें..

लता : (गुस्सेसे) अरे वो कमीने होगे.. जो अभी घरसे भागकर यहा आये थे.. लखनके दोस्त ओर उनकी बहेन.. क्या नाम हे उनका..? हां श्रीधर भैया ओर उनकी बहेन जयश्री.. सालेने उनकी बहेनको ठोक ठोककर मेरी चदर खराब करदी.. येभी नही की चलो सब साफ करके जाये..

रजीया : (जोरोसे हसते) दीदी लाइअ‍े इसे मे धो देती हु.. आप दुसरा काम देख लीजीये.. हें..हें..हें..

जब दोनो काम कर रही थी तब हमारे लखन भैया सीधेही अपनी पुरानी मासुकाको मीलने होस्टेलपे चले गये थे.. वो बोय्स होस्टेमे थे ओर पास बगलमे ही गल्र्स होस्टेल थी.. तो लखन बार बार पुनमको मीलने गल्र्स होस्टेलपे जाता था.. तब ही गल्र्स होस्टेलकी मालकीन
राधीका मेडम जो पुनमकी तराह वोभी बहुत खुबसुरत.. लंबे चुतड तक बाल.. तीखे नैन नक्स.. दिखनेके बहुत सेक्सी ओर कामुक दीखती थी..

राधीका अ‍ेक त्यक्ता थी.. अपने पीताका बीजनेस वारीसमे मीला था.. क्युकी वो उनकी अ‍ेकलौती संतान थी.. ओर सादीके तीन साल बाद ही हसबन्डका दुसरी ओरतके साथ रीलेशनकी वजहसे पतीसे अलग होगइ थी.. उनके परीवारमे सीर्फ उनकी बुढी मां ही थी.. जो अभी पेरेलीसीसकी वजहसे बेडमे थी.. उनकी आंखोमे हमारे हेन्डसम ओर स्मार्ट लखन भैया बस गये थे.. तबसे दोनोके बीच टाका भीडा हुआ था..

जब लखन ओर पुनम होस्टेलमे रहेकर पढाइ कर रहे थे तब पुनम बहुत ही खुबसुरत ओर बहुत गौरी थी.. ओर अपने भाइ लखनसे उनकी बहुत पटती थी.. दोनो भाइ बहेन हर दिन मीलकर दो दो घंटे बाते कीया करते थे.. लखन हर दिन पुनमको मीलने आता था.. जीनकी वजह कुछ ओर ही थी.. दरसल हमारे लखन भैया मन ही मन अपनी बहेन पुनमको चाहने लगे थे.. इसीलीये बार बार उनको मीलने आते थे..

लेकीन पुनम उनकी बहेन थी.. तो अपने दिलकी बात पुनमको कहेने मे डर रहे थे.. लेकीन हर दिन पुनमसे बाते करते उनको रीजाकनेकी ओर अपनी ओर आकर्सीत करनेकी कोसीस करते थे.. वो पुनमका हर तराह खयाल रखते थे.. उनके कपडे लाना.. उनके मेकअपका सामान गीफ्ट करना.. यहा तक वो पुनमके अंडरगार्मेन्ट भी लेने लगे.. तब सुरुमेतो पुनम बहुत ही सरमाइ.. लेकीन फीरतो ये सब रुटीन हो गया था..

दोनो भाइ बहेन होस्टेलमे नीचे होलमे बैठकर हर तहरकी बाते खुलकर कीया करते.. लखन पुनमको इमेजींग करते उनके नामकी कइ बार मुठ मार चुका था.. वो पुनमको अक्सर सोपींगपे ओर कभी कभी फील्म दीखाने भी लेजाता.. कभी कभी पुनमको बुरा ना लगे इसीलीये वो मंजुके कपडे भी लेजाता.. लेकीन तब लखनको नही पता थाकी पुनमके दिलमे देवायत राज करता हे.. जो उसे सुरुसे ही पसंद करती थी..

जब लखन पुनमका जरुरतसे ज्यादा खयाल रखने लगा.. तब पुनमको भी आसंकाये होने लगी थी.. की कही लखन भैया उनको प्यारतो नही करने लगे..? लेकीन तब उनके दिलमे सीर्फ उनका बडा भाइ देवायत ही छाया हुआ था.. वो मन ही मन अपने भाइ देवायतको प्यार करती थी.. ओर ज्यादातर लखन ओर पुनम अपने परीवार ओर देवायतकी बाते ही कीया करते थे.. ओर लखन भैया अपने दिलकी बात पुनमको कभी नही केह पाये..

तो दुसरी ओर वहाकी मेडम यानीकी होस्टेलकी मालकीन राधीका ओर पुनमके बीच बहुत पटती थी.. मानो दोनो पक्की सहेलीया हो.. जबभी लखन पुनमको मीलने आता राधीका ओर लखनकी आंखे मीलती तब राधीका लखनको देखते मुस्कुराया करती.. तो लखन कइ बार राधीकाके लीये भी कपडे लेआता.. ओर उनको गीफ्टके तौरपे दे देता.. इसी तराह राधीका ओर लखनके बीच भी नजदीकीया बढने लगी थी..

लेकीन राधीकाको लखनकी आंखोमे कीसी ओरके लीये बेसुमार प्यार नजर आने लगा था.. उनको लखनके लीये हम दर्दी होने लगी थी.. ओर अ‍ेक दिन जब लखन पुनमको मीलने होस्टेलपे आया तब राधीकाने लखनको कहा की अ‍ेक्जामकी वजहसे आज पुनमका अ‍ेक्सट्रा क्लास हे.. तो पुनमको आनेमे देर लगेगी.. उसी दिन राधीकाको लखनसे बात करनेका मौका मील गया.. तब राधीकाने बातो बातोमे लखनसे पुछ ही लीया.. की वो इतना प्यार कीसको करते हे..?

तब लखनकी आंख गीली होगइ.. ओर उसने अपने प्यारके बारमे राधीकाको नही बताया.. बस आंखोसे आंसु बहेने लगे.. तब राधीकाने उसे सम्हाला.. फीर तो जबभी लखन आता राधीका उनको प्यार भरी नजरोसे देखती.. ओर अ‍ैसेही दोनोके बीच आंखो ही आंखोमे प्यार होने लगा.. वैसेतो राधीका कीसीको भाव नही देती थी.. लेकीन उनके मनमे अब लखन पुरी तराह छा चुका था.. इस बातको पुनमने भी नोटीस कीया..

ओर अ‍ेक दिन मौका मीलते ही इस बारेमे पुनमने राधीकासे खुलकर बात करली.. तो राधीकाने लखनसे प्यार होनेकी बात कबुल करली.. तो सुनकर पुनम भी बहुत खुस होगइ.. ओर इसी तराह पुनमने लखनकी सेटींग राधीकासे करवा दी.. ओर अ‍ेक दिन लखन पुनमको मीलने आया तब पुनमने ही लखनको ओर राधीकाको अ‍ेकांत देनेके लीये उनके रुममे भेज दिया.. बस.. उस दिन पहेली बार लखन ओर राधीका प्यार करते करते बहेक गये..

ओर दोनोके बीच पहेली बार फीजीकल रीलेशन होगये.. राधीका कइ सालोसे इस प्यारसे वंचीत थी.. तो लखनके साथ मीलन करके राधीकाभी संतुस्ट होकर बहुत खुस होगइ.. फीर तो दोनो अक्सर मीलने लगे.. ओर दोनो खुब चुदाइ करते.. लखन ओर पुनम अक्सर राधीकाके साथ उनके घरपे भी जाने लगे.. वहा सीर्फ उनकी बुढी मां थी.. दोनो भाइ बहेन पुरा दिन वहा रहेते.. जीसे राधीकाकी मम्मी ओर लखन पुनमके बीच भी घनीस्ट रीस्ता हो गया..

अब अकेलेमे पुनम राधीकाको भाभी भाभी कहेकर छेडती.. तब राधीका जुठ मुठ गुस्सा होकर बहुत सरमाती.. लेकीन मनसे बहुत खुस होती.. वहा भी पुनम राधीकाकी मम्मीके साथ बाते करते उनको बातोमे बीजी रखती.. ओर लखन राधीकाको राधीकाके रुममे मीलनेका मौका देती.. तब लखन ओर राधीका उनके कमरेमे चले जाते.. ओर खुब प्यार करते.. लखनने राधीकाको उनके घरपे भी कइ बार चोद लीया था..

इसी बीच राधीकाने लखनसे चुदवाते चुदवाते उनके प्यारके बारेमे सभी बाते जानली.. की लखन अपनी बहेन पुनमको ही प्यार करता हे.. जीसे सुनकर अ‍ेक बारतो राधीकाभी चोंक गइ थी.. की कही भाइ बहेनके बीच प्यार होता हे..? फीर लखनने राधीकाको अपने परीवारकी बात बतादी.. की कैसे पीछली तीन पीढीसे उनके खानदानमे सबलोग अपनी बहेनसे ही सादी करते आये हे..

लखनने उनके खानदानके श्रापके बारेमे बता दीया.. जीसे सुनकर राधीकाको भी अचरज हुआ.. लेकीन लखनने उनको कसम खीलाकर इस बारेमे कीसीको ना कहेनेकी बात कहेदी.. ओर राधीकाने भी इस बातका जीक्र कीसीसे नही करनेकी कसम खाली.. इसी तराह लखन ओर पुनमकी बात हमेसा हमेसाके लीये लखन ओर राधीकाके दिलमे दफन होगइ..

जब देवायतने लखनको पुनमके रीस्तेकी बात की.. तब लखन पुरी तराह टुट चुका था.. उस रात लखनने अपने रुममे जाकर खुब आंसु बहाया.. तब राधीकाने उसे सम्हाल लीया.. वो लखनपे अपनी जान भी छीडकती थी.. जब भी लखन उनको मीलने जाता राधीका सीर्फ पुनमपे ही भरोसा करती.. ओर उनको रुमके बहार खडी रखकर रुमका ओर ओफीसका ध्यान रखनेको कहेती.. ताकी कोइ रुममे धुसकर ना आजाये.. ओर वो आरामसे लखनसे चुदवाती..
 

dilavar

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तो आजभी लखन उनको मीलने चला गया.. ओर वो येभी जानता थाकी राधीकाको मीलने जायेगा तब राधीका उनको अ‍ैसेही वापस नही आने देगी.. क्युकी अब वो खुद सहेरमे रहेने आने वाला था.. तो वो जानता था की अब कभी भी उसे राधीकाकी जरुरत पडेगी.. तो उसे खुस रखाना अनीवार्य होगया था.. ओर लखन कार पार्क करके सीधाही राधीकाके पास उनकी ओफीसमे चला गया..

राधीका : (नजर पडतेही खुस होते) अरे.. लखन..? व्होट्स अ‍े सरप्राझ..? अ‍ैसे अचानक..?

लखन : (हाथ मीलाते मुस्कुराते) हाइ राधीका.. कैसी हो..? बस.. तुजे मीलने का मन हुआ तो आगया..

राधीका : (खुसीसे हसते) मुजेतो लगाकी तुम चले गयेतो मुजे तो भुल ही गये.. अभी दो तीन दिन पहेले ही पुनमसे बात हुइ थी.. तब ही तुमको याद कीया था.. चलो.. यहा नही मेरे रुममे बैठकर आरामसे बात करते हे.. कीतने दिनोके बाद तुजे देखा हे.. आज जीभरकर तुजे देख लेने दे.. फीर पता नही तुजे देखनेका मौका कब मीलेगा.. हें..हें..हें..

लखन : (पीछे रुममे जाते) नही राधीका.. ताने मत मारो.. अब कुछही दिनोमे मे हमेसाके लीये इधर रहेने आ रहा हु.. पासही की सोसायटीमे हमारा बंगलो हे.. तो अब तुजे मीलने जरुर आउगा..

राधीका अंदर आतेही दरवाजा बंध करदेती हे.. ओर लखनकी ओर आते उसे जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. ओर लखनके कंधेपे सर रखते आंसु बहाने लगी हे.. तब लखनको अपने कंधेपे गीला लगा.. तो उसने फोरन राधीकाको अपने आपसे अलग कीया.. ओर उनका चहेरा अपनी हथेलीओमे थामते उनकी आंखोमे देखने लगा.. तो राधीका अबभी आंसु बहाते लखनकी ओर देखते हस रही थी.. तब लखनने उसे वापस जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया..

राधीका : लखन.. मुजे क्यु भुल गये..? हंम..? क्या इस राधीकासे मन भर गया..? मत भुलो तुमने मुजसे कुछ वादा कीया था.. हम दोनोने कीतने सपने सजाये थे.. मे वो सब बाते आज भी नही भुली..

लखन : (होठोको चुमते) ओर भुलना भी मत.. राधु.. मुजे मेरा सभी वादा आजभी याद हे.. मे तुजे कभी नही छोडुगा.. तुही तो मेरा पहेला प्यार हो.. ओर हमेसा रहेगी.. बस.. यही अफसोस हेकी तुम सादीके लीये मना कर रही हो.. वरना मे आज भी तुमसे सादी करनेको तैयार हु..

राधीका : (लखनकी बाहोमे सीनेपे सर रखते) नही लखन.. सादीतो मुजे नही करनी.. बस.. मुजे जींदगी भर तेरा यही प्यार चाहीये.. जो तुमने दीया हे.. ये बताओ तुम क्या पीओगे..? अभी खाना आजायेगा.. आज मेरे साथ बैठकर कुछ खालो.. हां पुनम बता रही थी.. की तुम दोनोकी सादी होगइ हे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. जब हम दोनो यहासे गये तब ही भाइने मेरा ओर दीदीका रीस्ता पका कर लीया था.. तो यहासे जातेही हम दोनोकी सादी होगइ.. आज मे मेरी बीवी ओर भाभीको लेकरही बंगलेकी सफाइ करने आया हु.. अब कुछही दिनमे मे इधर मेरी बीवीके साथ रहेने आजाउगा.. वो यहा नीलम रहेती हेनां वो मेरी बीवीकी ही भतीजी हे.. उनके भाइकी लडकी..

राधीका : (सामने देखकर) अरे हां.. वो सेटरडेको उनके जीजाके साथ गइ हे.. तो फीर वापस क्यु नही आइ..?

लखन : राधु.. बस.. उसीके बारेमे बात करने आया हु.. वो अब यहा वापस नही आयेगी.. अब वो मेरे साथ ही हमारे घर रहेगी.. ओर वो जीसे जीजा केह रही थीनां.. वो उनके जीजा नही.. मेरे जीजा हे.. पुनम दीदीका पती.. कमीनी.. उन्हीके साथ चली गइ थी.. दोनोका सादीसे पहेलेही चकर होगया था.. राधु.. मे उनका सामान लेने आया हु..

राधीका : (सोक्ट होते) व्होट..? तो क्या वो उनके जीजा नही हे..? अब समजी.. पुनमने मुजे उनपे नजर रखनेको क्यु कहाथा.. लेजाओ बाबा.. अ‍ैसी लडकी हमारी होस्टेलकी नाक कटवा देगी.. कैसे पटाका बनकर उनके साथ घुमने जाती थी.. अ‍ेक ये हे.. ओर अ‍ेक उनकी रुम पार्टनर.. वो कमीनी भी मुजे ठीक नही लगती.. वो भी अ‍ैसी ही हे.. उनको भी कोइ लेने आता हे..

लखन : (मुस्कुराते सर चुमते) राधु.. छोड ये सब बाते.. ये बता तेरी मम्मी क्या कर रही हे..? उनकी तबीयत तो अब अच्छी हेनां..?

राधीका : (सीनेपे सर छुपाते) नही लखन.. उनको पेरेलीसीस आगया था.. अब पहेलेसे काफी बेहतर हे.. तुजे बहुत याद करती हे.. बस.. अ‍ेक बार आकर मीलले उसे.. उनको सांती मील जायेगी.. तुजे अपना बेटा मानती हे.. बस.. तुजेतो पता हे.. अब वोही अ‍ेक मेरा सहारा हे..

लखन : (सामने देखते) राधु.. आजतो मेरे साथ मेरी बीवी आइ हे.. मेरे बडे भैयाके ससुर गुजर गये हे.. तो मेरी दुसरी भाभी यहा डोक्टर हे.. तो उनको मुजे चार पांच दीन यही छोडने लेने आना पडेगा.. तो सायद कल या परसो ही हम आंटीको मीलने चले जायेगे.. तब खाना तेरे साथही खाउगा.. मुजे आंटीसे मीलना हे..

राधीका : (मुस्कुराते) लखन.. पुनम केह रही थी.. तेरे बडे भैयाने तीन तीन सादी करली हे..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. तुमतो जानती हो हमारे आनदान कोइ कीतनी भी सादीया करले.. कोइ पाबंधी नही.. तो भाइकी भी तीन सादीया होगइ हे.. अ‍ेक मेरी मंजु भाभी.. जो अभी उनके पीता चल बसे.. दुसरी.. चंदाभाभी.. जो पुनमकी सास हे.. ओर तीसरी सृतीभाभी.. जो यहा अ‍ेक गायनेक डोक्टर हे ओर अपनी क्लीनीक चलाती हे..

राधीका : (आस्चर्यसे देखते) चंदाभाभी.. पुनमकी सास.. मतलब..?

लखन : (हसते) हां.. वो अ‍ेक गांवमे सरपंच थी.. साथमे विधवा थी.. रीस्तेमे मंजुभाभीकी मौसी भी हे.. पुनम दीदीकी सादीसे पहेलेही भाइने उनके साथ सादी करली थी.. पुनमका पती धिरेन.. जो उनके अगले पतीका बेटा हे.. समज गइ..? क्या मेने तुजे वो राजाकी बात नही बताइ थी..? हें..हें..हें.. तो समजलो ये सब उनकी वजहसे हो रहा हे.. हमारे खानदानमे रीस्ते नातेको इतनी अहेमीयत नही देते.. आज जीसके साथ सादी करना चाहो कर सकते हो.. बहेनके साथ भी..

राधीका : (हसते) हां.. अब समजी.. उस कहानीमे भी वो राजाने उनकी सभी बहेनोके साथ सादी करली थी.. वैसे भी तुमतो रोयल फेमीली हो.. तीन क्या.. कीतनीभी सादी करलो.. तुमको पुछने वाला कोन हे..? तुमने दुसरी सादी क्यु नही की..? आइ मीन.. अपनी बहेनके साथ..? आपभी करलेते पुनमसे सादी.. क्यु नही की..? आपतो उनको बहुत प्यार करते थे.. ये धिरेनके साथ उनकी सादी क्यु करवाइ..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) नही राधु.. अब भुलजा वो सब बाते.. लेकीन आगेका पता नही.. हें..हें..हें.. वैसे तु करले मुजसे सादी.. मे रेडी हु.. हें..हें..हें.. चल अब मुजे जाना होगा.. होटेलसे खाना पेक करवाकर लेजाना हे.. तो मे चलु..? फीर दो तीन दिनमे फीरसे मीलता हु..

राधीका : (सर्मसार होते धीरेसे) लखन.. क्या अ‍ैसेही जाओगे..? हां चले जाओ.. मे तुम्हारी बीवी थोडीनां हु.. जो तुम्हे रुकनेके लीये कहुगी.. ओर होटेलसे क्यु..? इधरसे नही लेजा सकते..? जाओ चले जाओ..

लखन : (जोरोसे बाहोमे भीचते) राधु.. अ‍ैसे ताने मत मारो.. सच्चा प्यार क्या हे.. प्यारकी अहेमीय क्या हे.. सब तुम्हीने तो मुजे सीखाया हे.. क्या तुम मेरी बीवीसे कम हो..? कहोतो तुमसे भी सादी कर लुगा.. राधु.. आइ लव यु.. लव यु सो मच.. चल.. मे मेरी राधुको खुस कर देता हु.. हें..हें..हें..

कहेतेही लखनने राधीकाके होठोको जोरोसे चुमलीया.. ओर उनको वही बेडपे लीटाकर.. फीर अपनी पेन्टभी नीचेकी ओर थोडी सरकादी.. तबतक राधीकाभी अपनी सारी कमर तक चडाते नीकरको नीकाल देती हे.. ओर लखन उनके उपर चड गया.. ओर अपने लंडको उनकी चुतमे सेट करते अ‍ेकही जटकेमे राधीकाकी चुतकी गहेराइओमे उतार दीया.. तो राधीका की हल्केसे चीख नीकल गइ.. ओर लखन राधीकाको चोदने लगा..

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दोनोही मदहोस होकर चुदाइ करते रहे.. ओर कुछही देरकी धकापैनी चुदाइके बार लखनने राधीकाकी चुतको अपने पानीसे सीचदी.. ओर राधीकाको जडाकर संतुस्ट कर दीया.. फीर दोनो खडे होकर अपने कपडे पहेनकर अपने आपको सही करने लगे.. ओर वापस बहारकी ओर आगये.. वहा राधीकाने नीलमका सभी सामान नीचे मंगवा लीया.. ओर लखनको तीन टीफीन पेक कर दीया.. तो लखन राधीकाको जल्द दुबारा मीलनेको कहेकर वहासे नीलमका सामान ओर खाना लेकर नीकल गया..
 

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जब अपने बंगलोपे आगया तब तक रजीया ओर लताने बहुत कुछ सफाइ करली थी.. सृतीने वही क्लीनीकपे खाना मंगवाकर खालीया था.. तो यहा लखन लता ओर रजीया तीनोही अ‍ेक साथ खाने बैठ गये.. तब रजीया बहुतही सरमा रही थी.. तो लखन भी दोनो बीवीओको साथ बैठकर खाते खुस हो रहा था.. जब तीनोने खालीया तब लखनने नीलमके सामानके बारेमे बातकी..

लखन : लता.. मे नीलुका सब सामान होस्टेलसे लेकर आया हु.. तो क्या इसे यही रखदे..?

लता : (मुस्कुराते) चलो अच्छा हुआ.. आप सामान लेआये.. इसे यही लास्ट वाले रुममे रख दीजीये.. नीलु अब जबतक यही पढती हे वही रहेगी..

फीर तीनोने कुछ देर आराम कीया.. आराम करके तीनोही सफाइ करने लगे.. तो लता ओर रजीया भी लखनको काम करते देखकर हस रही थी.. ओर तीनोने पुरे बंगलेकी सफाइ करली.. फीर फ्रेस होकर चाइ नास्ता करलीया.. तभी सृतीकाभी फोन आगया.. ओर तीनो बंगलेको ताला लगाकर क्लीनीकपे चले गये.. फीर वहासे सृतीको लेकर अपने गांवकी ओर नीकल गये.. पुरे रास्ते लखन सृतीकी टांग खीचाइ करता रहा..

अ‍ैसेही मस्ती मजाक करते चारो हवेलीपे आगये.. तबतक भानुभी सरलाको हवेलीपे छोडकर चला गया था.. तो कारसे उतरतेही सृती लखनको हसते हुअ‍े मारनेके लीये दोडी.. तो लखनभी जोरोसे हसते अपने रुममे भाग गया.. तो सृतीभी फ्रेस होने देवायतके रुममे घुस गइ.. तब सबलोग ये तमासा देखकर हसते रहे.. ओर लता रजीयाभी हसते हुअ‍े अंदर आगइ.. ओर लताने सबको सृतीकी टांग खीचाइके बारेमे बता दीया.. तो सब लोग वापस हसने लगे..

आज देवायतने सुबहसे सीर्फ बीजनेस ही कीया.. उसने कइ सोदे बाजी करली.. फीर दोपहरको वो ओर भानु खानेके लीये आगये.. फीर कुछ देर आराम करनेके बाद दोनो वापस अपने खेतोपे चले गये.. तब भानु खेतीका काम देखने लगा.. तो देवायत कुछ बीजनेसके फोन करके बैठा था.. तभी ओफीसमे उनके सामने सामत ओर रमेश आकर बैठ गये.. तो देवायत मुस्कुराने लगा.. ओर उसने चाइके लीये बोल दीया..

देवायत : (हसते) कहो.. आजतो दोनो इधरका रास्ता कैसे भुल गये..? हें..हें..हें..

रमेश : (जोरोसे हसते) क्या भाइ.. आपको मीलने आये हे.. मुजेभी काम था.. ओर सामतभाइ को भी आपसे पर्सनली काम था.. तो दोनो साथ चले आये.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) हां सामतभाइ.. कहो.. आपतो हम सबमे सीनीयर हे.. मुजसेभी ज्यादा तजुर्बेकार हे.. तो मे भला आपकी क्या सेवा कर सकता हु.. कहीये..

सामत : (हसते) वो सबतो ठीक हे.. लेकीन आप हमारे ठाकुर साहेब हे.. तो कुछ बातोमे तो आपसेही सलाह मसवरा करना पडता हे.. बस.. कुछ नही.. मेरे बंसीकी सादीको लेकर आपसे चर्चा करने आया हु..

देवायत : (मुस्कुराते) अरे वाह.. तो आप बंसीकी सादी कर रहे हो.. येतो बहुतही अच्छी बात कही आपने.. कहो.. बंसीका कहा रीस्ता तैय कीया..?

सामत : (मुस्कुराते) भाइ.. अब आपतो जानते हे.. हमे उस दिन बाबाने क्या कहा था..? बस.. बाबाकी सभी बाते सच नीकली.. बंसी ओर सांती दोनोही अ‍ेक दुसरेको प्यार करते हे.. ओर आपसमे सादी करना चाहते हे.. तो सोचा अ‍ेक बार आपसे बात करलु.. की दोनोकी सादी कहा करनी हे.. आश्रमपे जाकर की हमारे घरके आंगनमे..?

देवायत : (खुस होते) अरे वाह सामतभाइ.. आपने बहुत अच्छा डीसीजन लीया हे.. मेतो पहेलेसे ही केह रहा था.. की आप इन दोनोकी सादी करदो.. आपही नही मानते थे.. चलो अच्छा हुआ.. कमसे कम सांतीको अ‍ेक सहारातो मील जायेगा.. मेरी मानोतो अपने घरके आंगनमेही उन दोनोकी सादी करदो..

ताकी गांवके लोगो के बीच आप अ‍ेक मीसाल कायम कर सको.. लोगोके बीच बहुतही अच्छा मेसेज जायेगाकी की देखो.. खुद सामतभाइ अपनी विधवा बहेनकी सादी उनके बेटेसे कर रहे हे.. तो फीर हमे क्या प्रोबलेम.. यही सोचकर लोग अपनी विधवा ओर त्यक्ताओकी सादी करने लगेगे..

सामत : (हसते) भाइ रमेश भी वोही केह रहा था.. अब तो हमारे गांवमे इतना सारा बदलाव होने वाला हे.. ओर खुद बाबाने मुजसे ये बात कही हे.. तो सोचा मे ही इनकी सुरुआत करदु..

देवायत : (हसते) सामतभाइ आपने बहुत अच्छा सोचा हे.. कहो सादी कब करवा रहे हो..?

सामत : भाइ.. आपके ससुरका कार्य खत्म होतेही मे उन दोनोकी सादी कर देना चाहता हु.. ताकी आप सब लोग भी सादीमे सामील हो सको..

देवायत : सामतभाइ आपको मेरे ससुराका देखनेकी जरुरत नही हे.. कर दीजीये दोनो की सादी.. मेरे ससुरकातो सीर्फ पांच दिनकी सौक रखना हे.. आप सादीकी तैयारीया सुरु कर दीजीये.. इसमे कोइ प्रोबलेम नही हे.. अगर मेरा भी कुछ काम होतो केह देना मेभी आजाउगा..

सामत : (हसते) ठीक हे भाइ मे जरुर केह दुगा.. अ‍ेक बात ओर.. मेने ओर रमेशने दोनोने सहेरमे अ‍ेक अ‍ेक मकान भी लेलीया हे.. रमेशने थोडा छोटा मकान लीया हे.. मेने थोडा बडा लीया हे.. अब सीर्फ रजीस्ट्रेशन बाकी हे.. तो सोच रहा हु.. ये मकान मे बंसीके बजाये सांती ओर मेरी जागुके नाम करदु.. क्या कहेते हो..?

देवायत : (हसते) अरे वाह.. येतो आपने बहुत अच्छा सोचा हे.. चलो दोनोको अभीनंदन आपको.. अच्छा हुआ आपने बता दीया.. वरना ये कमीनातो कभी मुजसे कहेता ही नही.. हें..हें..हें..

रमेश : (मुस्कुराते) भाइ.. मुजे कहा वहा रहेने जाना हे..? सीर्फ थोडासा इन्वेस्टमेन्ट करदीया हे ओर कुछ नही.. वैसे कल हम दोनो सहेर जा रहे हे.. कल हमे सायद हमारी होस्पीटलके लीये जमीनके कागजात मील जायेगे.. फीर वहासे सामतभाइ ओर मे.. मेरे मकानके रजीस्ट्रेशनके लीये चले जायेगे..

देवायत : (हसते) अरे वाह.. आज तो खुसी पे खुसी मील रही हे..? क्या बात हे रमेश.. आखीर तुम दोनोकी महेनत रंग लाइ.. ओर वो स्कुलके कामका क्या हुआ..? कोइ टेन्डर बेन्डर नीकलाकी नही..?

रमेश : (हसते) बस.. भाइ.. टेन्डरतो नीकल गया.. अब आपही अपने दोस्तके साथ बात करलो.. तो हम जीसे काम देना चाहते हे.. उनका टेन्डर पास होजाये ओर जल्द ही काम सुरु होजाये..

देवायत : (हसते फोन लेकर) ठीक हे.. इसमे क्या..? लो अभी बात कर लेता हु.. वैसे सामतभाइ.. इतनी खुसीके मोकेपर भी आपका चहेरा क्यु मुरजाया हुआ हे..? कुछ हुआ हे क्या..?

रमेश : (हसते) भाइ आपने इनको सही पकडा.. मेभी कइ दिनोसे इनको पुछ रहा हु.. कुछ बताते ही नही.. आपही पुछलो सायद आपको कुछ बतादे.. हें..हें..हें..

सामत : (मुस्कुराते) अरे कुछ नही हुआ.. दोनो खामखा परेसान हो रहे हो.. बस.. उमरकी वजहसे कुछ छोटी मोटी प्रोबलेम हे.. भाइ.. इस बारेमे हम कभी फुरसतमे बात करेगे.. आप फीकर मत करो..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे.. सामतभाइ.. अगर कोइ प्रोबलेम होतो बताना..

कहेते देवायत जीलाकी पंचायत ओफीसमे फोन करदेता हे.. ओर टेन्डरसे लेकर होस्पीटलके जमीनके बारेमे भी बात करता हे.. तो उनका दोस्त कलही वहाके सरपंचको भेजनेके लीये कहेता हे.. ताकी जमीनके कागजात उसे मील सके.. फीर देवायत कुछ ओर औपचारीक बात करके फोन रख देता हे.. फीर देवायत सामत ओर रमेशको कलही सहेरमे जाकर कागजात लानेकी बात करता हे.. तो दोनोही खुस हो जाते हे..
 

dilavar

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फीर दोनोही बात करके चले जाते हे.. तो उधर भानुके घर भी रमा ओर नीलम अकेली थी.. तो रमा अब भी नीलमको लखनके साथ रीलेशन रखने को समजा रही थी.. तो इस बारेमे नीलम भी अब सीरीयस होते रमाकी सभी बातको गौरसे सुनकर समजने की कोसीस करने लगी थी.. उनको अपनी मां रमाकी सभी बातोमे सचाइ नजर आने लगी थी.. ओर उसने भी मनही मन लखनके साथ आगे बढनेकी ठानली..

तो इधर हवेलीपे गांवकी सभी लेडीस नीर्मलाके पास आकर सोक जताके चली जाती.. जैसे ही साम होगइ.. सब लोग चाइ नास्ता करके होलमे बैठे बाते कर रहेथे.. तब सृती पुनम चंदा मंजुला लता सभी पुनमके रुममे इकठी होकर लखनकी टांग खीचाइ करने लगी.. क्युकी आज सहेरसे आते वक्त पुरे रास्ते लखन सृतीकी मस्तीया करते उनकी टांग खीचाइ कर रहाथा.. तो यहा सबने मीलकर लखनको पुनमके रुममे बुलाकर लाते घुसे मारकर उनकी वाट लगादी..

तो लखन जुठा गुस्सा करते अपने रुममे चला गया.. तो सब जोरोसे हसने लगी.. सबको लखनकी मस्तीया करनेमे बहुत मजा आरहा था.. तो नीर्मला भुमीका ओर सरलाभी ये तमासा देखकर हसती रही.. ओर अ‍ैसेही रात होगइ.. तब भानु घर चला गया.. ओर देवायत हवेलीपे आगया.. फीर सबने बैठकर डीनर करलीया.. तो देवायत बहार टहेलने जानेको कहेकर सीधाही रश्मीके घर चला गया.. तो वहा रश्मी ओर वंदना डीनर कर रही थी..

रश्मी : (हसते) आइअ‍े आइअ‍े पतीदेव.. अब इस दोनो बीवीओकी याद आगइ.. हें..हें..हें..

वंदना : (सरमाते) भाइ.. आइअ‍ेनां.. आपभी खानेके लीये बैठ जाइअ‍े.. हमने खाना ज्यादा बनाया हे..

देवायत : (पीछे जाकर हग करते गाल चुमते) अरे मेरी प्यारी बीवीओ.. मे खाना खाकर ही इधर आया हु.. कहो..? दोनो क्या कर रही हो..? ओफीस बोफीस जाना सुरु कीया की नही..?

रश्मी : (मुस्कुराते) हां देवु.. दोनो ही जाती हे.. वंदुकी स्कुलमे काफी अ‍ेडमीसन हो गया हे.. अब इनकी स्कुलका जल्दी कुछ करवाओ..

देवायत : (उनके पास बैठते) रश्मी.. आजही रमेश ओर सामतभाइ आये थे.. सामतभाइ अपनी बहेन सांती ओर अपने बेटे बंसीकी सादी करवा रहे हे.. ओर हमारी स्कुलके बारेमे भी बात हुइ.. लगता हे अगले हप्ते तक स्कुलका काम सुरु होजायेगा.. ये बता तेरा मकान कहा तक पहुचा..?

रश्मी : (सामने देखते) पहेली सीलींग भराइ होगइ हे.. जानु.. आपने सामतभाइका नाम लीया तो कुछ याद आया.. आज सुबह वो ओर वंदुके पापा ओफीसपे आये थे.. तब सामतभाइ अपने मुहपे रुमाल रखकर खांस रहे थे.. तब मेने उनके रुमालपे देखातो मुजे उनमे खुनके धबे दीखे.. ओर ये पहेली बार नही.. मेने दुसरी बार देखा हे.. मुजे लगता हे उनको कुछ हुआ हे..

देवायत : सायद अकेलेमे वो मुजसे यही बात करने वाले थे.. लेकीन भानु ओर रमेशकी वजहसे नही केह पाये.. लगता हे मुजे उनको अकेले मीलना पडेगा.. वो हमसे कोइ बडी बात छुपा रहे हे..
रश्मी : देवु.. वो.. सृतीदीदी यही हेनां..? मुजे उनको दीखाना हे.. अब देखो मेरा पेट काफी नीकल रहा हे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. आतेही देखा मेने.. सुन.. अब कोइ रीस्क नही लेना.. तेरा पहेला बच्चा हेनां..?

रश्मी : (सरमाते मुस्कुराते) हंम.. जानु.. क्या आपको वंदुसे मीलना हे..? तो जाइअ‍े दोनो.. मेरे रुममे चले जाइअ‍े.. ओर मील लीजीये..

देवायत : (वंदनाके होठोको चुमते) हंम.. वंदुको भी मीलना चाहता हु.. ओर तुमसे भी.. लेकीन अब हमारी वंदुकी सादीके बाद.. वंदु.. क्या अपनी मम्मीको मीलीकी नही..? मेने नीशाके साथ उनसेभी सादी करली हे..

वंदना : (खडी होकर जोरोसे बाहोमे भरते) हां भाइ.. इस बारेमे कल ही रश्मी भाभीसे बात हुइ.. आपने मम्मीका सपना पुरा कर दीया.. थेन्क्स.. भाइ.. मुजे मम्मी पापाके बारेमे आपसे कुछ कहेना हे..

देवायत : नही वंदु.. अभी कुछभी मत बोल.. मुजे उन दोनोके बारेमे सब कुछ पता हे..

वंदना : (अपनी आंख गीली करते) भाइ.. क्या आपको सब पता चल गया..? सायद इसीलीये मम्मीने मुजे यही रहेनेके लीये कहा हे.. भाइ मम्मी पापाके सबंध टुटनेकी कगारपे हे..

देवायत : (होठोको चुमकर) वंदु.. तुम कुछ भी मत बोल.. मुजे सब पता हे.. इसीलीये मेने तेरी मम्मीसे सादी करली हे.. क्या तुम हमारे रीस्तेसे खुस तो होनां..?

वंदना : भाइ.. खुस..? अरे मेतो इतना खुस हुकी बया नही कर सकती.. सायद इसीलीये मम्मी भी खुस हे.. वरना वो टुट जाती.. भाइ.. अब हम तीनो साथ रहेगी.. आपकी बीवीया बनकर..

देवायत : (मुस्कुराते गोदमे उठाकर) हंम.. चल इसी बातपे आज मे अपनी इस बीवीको खुस कर देता हु..

कहेते देवायत वंदनाको गोदमे उठालेता हे.. तो रश्मी वही खाना खाते हसने लगती हे.. ओर देवायत वंदनाको लेकर वही सोपेपे लीटा देता हे.. ओर उसे प्यार करने लगता हे.. दोनोही सबकुछ भुलकर अ‍ेक दुसरेको प्यार करनेमे खो गये.. तब कुछही देरके बाद दोनो पुरी तराह नंगे थे.. ओर देवायत वंदनाको वही लीटाकर उनपे चड गया.. ओर अपना तगडा लंड वंदनाकी चुतमे उतार दीया..

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तब वंदना पुरी तराह मदहोस हो चुकी थी.. ओर वो आंख बंध करके देवायतके कंधेको चुमते उनसे होले होले चुदवाने लगी.. अब वंदनाको रश्मीकी हाजरीसे कोइ फर्क नही पडता था.. क्युकी अब देवायत नही होता तब दोनोही लेस्बीयन खेल खेलते अ‍ेक दुसरेकी प्यास बुजाने लगी थी.. ओर देवायत वंदनाको जोरोसे चोदने लगा.. वंदनाको अ‍ेक बार जडाकर उनकी चुतको अपने गाढे पानीसे भर देता हे..
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फीर वही वंदनाको घोडी बनाकर पीछेसे लंड घुसाकर चोदने लगता हे.. तो रश्मी खाना खाकर बर्तन वोसमे रखकर अपने रुममे चली जाती हे.. ओर अपने सभी कपडे नीकालकर वापस दोनोके पास आजाती हे.. ओर अपनी चुतको सहेलाते वही पासमे बैठ जाती हे.. देवायत वंदनाकी पीछेसे धमसासन चुदाइ कर रहाथा तब वंदना अ‍ेक बार फीर जडते ढेर होगइ.. तब देवायत उसे गोदमे उठाकर अंदर बेडपे ले गया..
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ओर वंदनाको वही लीटाते उनके उपर फीरसे चडकर लंडको चुतमे घुसाकर जोरोसे चोदने लगा.. तो वंदनाने देवायतको जोरोसे बाहोमे भीच लीया.. ओर अपने तनसे चीपका लीया.. देवायत फीरसे वंदनाकी जबरदस्त चुदाइ करने लगा.. वंदनाके उपर वासना पुरी तराह हावी हो चुकी थी.. अब वो बीन्दास्त देवायतको अपना पती मानकर खुलकर प्यार देने लगी थी.. ओर दोनोके बीच काफी देर धकापैनी चुदाइ होती रही..

तभी अ‍ेक बार फीर देवायतने पुरा लंड घुसाकर वंदनाकी चुतको अपने गाढे पानीसे भरकर हरी भरी कर दीया.. तो साथमे वंदनाभी कांपते हुअ‍े देवायतके साथ जड गइ.. ओर उनकी पीठ सहेलाती रही.. फीर देवायत जटसे लंडको नीकालकर बेडसे खडा होगया.. ओर रश्मीको पकडर उनके पीछे चला गया.. ओर रश्मीके नीकरको खीचकर नीचे कर दीया.. रश्मी कुछ समजे उनसे पहेले ही रश्मीकी चुतमे खडे खडे पीछेसे लंडको घुसा दीया..

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तब रश्मीकी हालत अचानक हुअ‍े हमलेसे पतली होगइ.. ओर वो हल्कासा चीखते देवायतसे चुदवाने लगी.. रश्मीने सीर्फ अपनी ब्रा ओर नीकरही पहेना था.. वो वंदना ओर देवायतकी चुदाइ देखकर काफी गरम हो चुकी थी.. ओर उनकी चुत सहेलाते चुतको गीली कर रही थी.. ओर देवायतने अचानक उसे पीछेसे पकडलीया ओर उनकी धमासान चुदाइ करता रहा.. रश्मीको भी दो बार जडाकर आखीर देवायत उनकी चुतको भरते जड गया..
 

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फीर जटसे लंडको नीकालकर बाथरुममे घुस गया ओर अपने लंडको साफ करने लगा.. तब बहार रश्मी ओर वंदना दोनोही ढेर होकर बेडपे पडी थी.. ओर अपनी सांसको दुरस्त कर रहीथी.. देवायत कंपलीट होकर बहार आगया.. ओर अपने कपडे पहेनकर दोनोके होठोपे कीस करके वहासे नीकल गया.. ओर वापस हवेलीपे आगया.. तो वहा रजीया दया ओर चंपाभाभी सभी काम नीपटाकर अपने रुममे सोने चली गइ थी..

तभी सरला अपने रुममे आराम कर रहीथी तो लखन ओर लता दोनो सोनेके लीये उपरकी मंजीलपे अपने रुममे चले गये थे.. तब सृती पुनमके साथ उनके रुममे बैठकर बाते कर रही थी.. तब पुनम सृतीको धिरेन ओर नीलमके बारेमे पुरी सटोरी सुना रही थी.. जीसे सुनकर सृती बडेही आस्चर्यसे गौरसे सुन रही थी.. तभी चंदा अपने रुममे विजयको सुला रही थी.. तो बहारके होलमे अब भी नीर्मला भुमीका ओर मंजु भावना बैठकर बाते कर रही थी.. तो देवायत भी आकर उनके पास बैठ गया..

नीर्मला : देवु.. हम राजीवके बारेमे बात कर रही थी.. हमे उनकी सब वीधीया पांचवे दिन खत्म कर देनी हे.. क्या कहेते हो आप..? बस अ‍ेक छोटासा हवन करके पींडदान करना हे.. उनमे आप ओर धिरेन अपनी बीवीओके साथ बैठ जाइअ‍े.. ओर अपने हाथोसे कार्यको सम्पन कर दीजीये..

देवायत : (मुस्कुराते) नही.. मे सोच रहा हु सीर्फ मे ओर धिरेन नही.. हमारे साथ भानु ओर भावना भी बैठेगे.. वोभीतो उनका जमाइ हे.. अगर सीर्फ मे बैठुगा तो अच्छा नही लगेगा.. क्या कहेते हो आप सब..?

मंजुला : (मुस्कुराते खुस होते) हां.. मम्मी.. देवु ठीक केह रहा हे.. वरना भानुभाइको बुरा लगेगा..

नीर्मला : (मुस्कुराते) हंम.. चलो वोभी सही हे.. ठीक हे.. तो आप तीनो कपल बैठ जाना.. फीर उनके पीछे ओर कोइ सौक नही रखना.. सब लोग अपने कार्यमे लग जाना..

भावना : (मुस्कुराते) मोम.. मेरा अ‍ेक सजेशन हे.. क्युना आप ओर भुमी मौसी हरद्वार चली जाती..? वहा आप अपने हाथोसे पापाके अस्थीका वीसर्जन करके चली आना.. तो आपकोभी थोडा चेन्ज मीलेगा..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. सीर्फ ये दोनोही क्यु..? मेतो कहेता हु.. आप चंदा ओर भावुको भी साथ लेजाओ.. ओर वैसे सरलचाची भी कही नही गइ होगी.. तो उसे भी साथ लेलो.. वोभी वहा सब देख लेगी..

भावना : (खुस होते) नही.. मुजे इतनी छोटी बच्चीको लेकर नही जाना.. आप चंदा मौसीको साथ लेलो.. आखीर पापा उनका भी भाइ था.. उनकोभी अच्छा लगेगा..

भुमीका : (हसते) हां बेचारी सरला भाभीको भी साथ लेलो.. वो कहा कभी कही गइ होगी..

देवायत : (मुस्कुराते) चलो.. तैय होगया.. आप चारो जा रही हे.. मे सबकी टीकीट ओर वहा रहेने घुमनेका इन्तजाम करता हु.. आप अ‍ेक हप्ते तक आजु बाजुमे सब देख लेना..

नीर्मला : (सरमाते हसते) देवु.. आप ओर मंजु भी साथ चलीयेनां..

मंजुला : (हसते) मम्मी.. मेरीभी भावु जैसी हालत हे.. हें..हें..हें.. ओर वैसे देवुभी कही दिनोसे अ‍ैसेही दोडधाम करते रहे.. तो अब उनकोभी थोडा अपने बीजनेशको देखने दीजीये.. यहा भी बहुत कुछ करना हे..

अ‍ैसेही बाते करते कुछ देरके बाद सबलोग सोने चले गये.. आज नीर्मला ओर चंदाकी वजहसे पुनम देवायतके पास नही जा सकी.. तो भावना पुनमके पास उनके रुममे सोने चली गइ.. तो नीर्मला भुमीकाभी अ‍ेकही रुममे सोने चली गइ.. तब सृती मंजु ओर चंदा तीनोही देवायतके साथ उनके रुममे चली गइ.. तो कीतने दिनोके बाद आज चंदा ओर मंजु देवायतके साथ सो रही थी..

तो जाहीरसी बात हे.. दोनोही आज देवायतको छोडने वाली नही थी.. तो देवायतने मंजुको इसारेमे कुछ केह दीया तो मंजु खुस होकर हांमे गरदन हीलाती हे.. ओर अ‍ेक गदा बेडके पास नीचे बीछाकर वही लेट जाती हे.. तब उस रात देवायतने सृती ओर चंदाको दो दो बार चोदकर उनकी हालत खराब करदी.. दोनोको तीन तीन चार चार बार जडाकर दो दो बार उनकी चुतको अपने पानीसे सीच दीया..

तो सृती थकी हारी सो गइ.. तब उस रात देवायतने तीसरी बार चंदाको चोद लीया.. तब चंदा लगभग बहोसीकी हालतमे चली गइ थी.. आज देवायतने चंदाकी सारी कशर पुरी करदी.. चंदा अ‍ैसेही पडी रहेते बीना कुछ बोले देवायतसे चुदवाती रही.. वो पुरी तराह पसीनेसे भीग चुकी थी.. जब देवायतने तीसरी बार उनकी चुतको भरदीया ओर उनके उपरसे हट गया तबभी चंदा अ‍ैसेही लेटी रही..

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उनकी चुत लंड नीकल जानेके बावजुद अब भी फडफडा रहीथी.. ओर उनमेसे दोनोका काम रस चुतसे होते उनके पेरोसे गीर रहाथा.. तब देवायत उनको गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया.. ओर उसे नहेलाया तब चंदाको होस आया.. ओर वो जुठा गुस्सा करते देवायतको सीनेमे मुके मारने लगी.. ओर देवायत उसे वापस बेडपे लेकर आगया तो चंदा ओर सृती दोनोही नींदकी आगोसमे चली गइ.. तब देवायत मंजुके पास उनके बीछानेपे आगया ओर उनके साथ लेट गया तब मंजुने देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया....

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