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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Nice updates bro
Rajeev aakhir is duniya ko chodkar chala gaya
Sabhi duki bhi hai par utna nahi shayad kyunki lagbhag sabhi ko andaza ho gaya tha ki uska time ho gaya hai
Idhar lakhan ne bhi nilam ko ek tarah se apna shart batakar apni Mansa jahir kar di hai
Wahi Rama ne bhi nilam ko lakhan ke saath aage badhne ko bol diya
Jisse nilam bhi soch me hai aur use bhi pata hai ki aage kya hone wala hai
Isliye usne bhi haar maan li aur lakhan ke saath aage badhne ka soch liya hai
Ab dhiren ka kya hoga
Aur aage kya hoga jiski baat Manju sonch Rahi thi

Keep writing 👍
 
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Rajeev aakhir is duniya ko chodkar chala gaya
Sabhi duki bhi hai par utna nahi shayad kyunki lagbhag sabhi ko andaza ho gaya tha ki uska time ho gaya hai
Idhar lakhan ne bhi nilam ko ek tarah se apna shart batakar apni Mansa jahir kar di hai
Wahi Rama ne bhi nilam ko lakhan ke saath aage badhne ko bol diya
Jisse nilam bhi soch me hai aur use bhi pata hai ki aage kya hone wala hai
Isliye usne bhi haar maan li aur lakhan ke saath aage badhne ka soch liya hai
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Nice updates bro
Rajeev aakhir is duniya ko chodkar chala gaya
Sabhi duki bhi hai par utna nahi shayad kyunki lagbhag sabhi ko andaza ho gaya tha ki uska time ho gaya hai
Idhar lakhan ne bhi nilam ko ek tarah se apna shart batakar apni Mansa jahir kar di hai
Wahi Rama ne bhi nilam ko lakhan ke saath aage badhne ko bol diya
Jisse nilam bhi soch me hai aur use bhi pata hai ki aage kya hone wala hai
Isliye usne bhi haar maan li aur lakhan ke saath aage badhne ka soch liya hai
Ab dhiren ka kya hoga
Aur aage kya hoga jiski baat Manju sonch Rahi thi

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Bhai aage jobhi hoga baht majedar hoga.. bus kahani padhte rahiye.. thanks for koment
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७६

तो भानुके साथ वाली सीटमे भावना अपनी बच्चीको लेकर बैठ गइ.. पीछे की सीटमे सबका सामान रखा हुआथा.. ओर सबकी कारे देवायतके गांवकी ओर चल पडी.. तो पीछे धिरेनभी अपनी बाइक लेकर आ रहाथा.. जबसे लखन ओर लता उनके घरसे नीलमको लेगये.. तबसे आज तक धिरेनने नीलमको फोन करनेकी बहुत कोसीसकी.. लेकीन हर बार नीलमका फोन स्वीच ओफ आ रहा था....अब आगे

तबसे धिरेन बहुत परेसान हो रहा था.. उनको डर था.. की कही नीलमका फोन लताके हाथोमे तो नही आगया..? तब धिरेनको लताकी बातोका अ‍ेक बार ओर सामना होनेका डर सताने लगा.. इस वक्त धिरेन हवेलीपे जाना नही चाहता था.. क्युकी उनको पता थाकी वहा लता होगी.. लेकीन वो कीसीको हवेलीपे जानेके लीये मनाभी तो नही कर सकता..

तो दुसरी ओर भावनाको उनके बारेमें मंजुने सबकुछ बता दीया था.. की आने वाले वक्तमे उनकी जींदगीमे क्या क्या बदलाव होगा.. जीसे सुनकर भावना बहुत ही रोमांचीत फील कर रही थी.. इसी वजहसे अब भावनाको अपने पती भानुसे रीलेशन रखना जरुरी हो गया था.. तो दुसरी ओर वो रमा ओर नीलमके इरादोके बारेमे सबकुछ जान चुकी थी.. तब भानु ओर भावना दोनोही कारमे अकेलेथे तब भावना बहुत सरमा रही थी..

भानु : (मुस्कुराते सामने दैखकर) भावु.. तुम कैसी हो..? क्या मुजे अबभी माफ नही कीया..? मुजे पापाके जानेका बहुतही अफसोस हे.. जीस वक्त मुजे तेरे साथ होना चाहीयेथा.. इस वक्त मे तुमसे दुर था.. भावु.. आइ अ‍ेम सोरी.. मुजे माफ करदे..

भावना : (मुस्कुराते) भानु.. तुम माफी मत मांगो.. मेनेतो कबसे तुमको माफ करदीया हे.. हां.. यहा जीजु थे.. तो हमे कोइ दिकत नही आइ.. बस तुमको अपनी जीम्वेवारीका अहेसास हे वोही मेरे लीये काफी हे..

भानु : (मुस्कुराते) भावु.. क्या हम दोनो पहेलेकी तराह साथ नही रेह सकते..? हंम..? आजाना.. तेरी बहुत याद आती हे.. मे वाकइ तेरे बीना नही रेह सकता.. मां की कसम..

भावना : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) भानु.. प्लीज.. अभी मुजे थोडा वक्त चाहीये.. हम जरुर साथ रहेगे.. वोभी पहेलेकी तराह.. अब मुजे तुमसे कोइ गीला सीकवा नही.. बस.. मे अब पहेलेकी तराह हमेसा तेरे साथ नही रहुगी.. कुछ दिन मम्मीके साथभी रहेना पडेगा.. क्युकी अब वो अकेली होगइ हे.. वैसेभी तेरी दुसरी बीवीतो हे.. हें..हें..हें..

भानु : (मुस्कुराकर) भावु.. तुजे सच कहु..? जब दुसरी बीवी आइनां.. तभी मुजे तेरी अहेमीयका पता चला.. बस मे तुजे ओर कुछ कहेना नही चाहता.. सायद मुजसे गलती हुइ हे.. क्युकी उनसे सादी करनेका नीर्णयभी मेरा था.. बस.. मुजे ओर कुछ नही कहेना.. भावु.. तुम आजाओ.. प्लीज..

भावना : भानु.. बस पापाका सब कार्य पुरा हो जानेदो.. मे तुमको सामनेसे फोन करुगी.. तब आकर मुजे लेजाना.. वैसेभी पापाने अपना घर मेरे नाम करदीया हे.. तो कभी कभी मुजे वहा मम्मीको लेकर जाना पडेगा.. क्युकी इस घरमे मम्मी पापाकी बहुत यादे जुडी हुइ हे.. तो जब मम्मी कहेगी तब मुजे उनके साथभी रहेना पडेगा..

भानु : भावु.. कोइ बात नही.. तुजे जबभी जाना हो वापस आना हो तुम आजाद हो.. तुमने मुजे माफ कर दीया वोही मेरे लीये बहुत हे.. भावु.. मे तुजे आजभी उतना चाहता हु जीतना पहेले चाहता था..

भावना : (सरमाकर मुस्कुराते) भानु.. मुजे परमीसन देनेके लीये थेन्क्स.. मेभी तुजे इतना चाहती हु जीतना पहेले चाहती थी.. बस.. मुजे तुमसे अ‍ेटेच होनेमे थोडा वक्त लगेगा.. लेकीन फीकर मत करना.. मे कोसीस करुगी की जल्द ही हम तीनो साथमे रहेगे.. क्या यही चाहतेथे ना तुम..?

भानु : (मुस्कुराते) हंम.. मेरी बीवी काफी समजदार हे.. भावु.. आइ लव यु..

भावना : (सरमाते मुस्कुराते) भानु.. आइ लव यु टु..

भावनाने बडीही सीफततासे भानुको मीलनेकी भुमीका तैयार करली.. जबसे भावनाने मंजुसे सब कुछ जान लीया था.. तबसे भावना मन बना चुकी थी.. की उनके रास्तेके काटोको कैसे नीकाला जाये.. इसके लीये भावनाको भानुके घर रहेना जरुरी होगया था.. तब पुनमने भी भावनाको बहुत कुछ बताकर रास्ता भी बता दीया था की कैसे काटोसे काटा नीकालना हे..

क्युकी आजकल इस मामलेमे पुनम बहुतही सातीर दिमाग चला रही थी.. क्युकी खुद उसीका घर टुटनेकी कगारपे था.. ओर वोभी नीलमकी वजहसे.. वैसेतो पुनम खुदके बारेमे बहुत कुछ जान चुकी थी.. की आने वाले वक्तमे उनके साथ ओर घरमे उनकी सभी सौतनोके साथ क्या क्या बदलाव होगा.. इस बातके लीये वो अभीसे खुदको रोमांचीत फील करने लगी थी.. ओर हवेलीकी सभी कमान अपने हाथोमे लेनेके लीये खुदको तैयार कर रही थी..

सब लोग बाते करते हवेलीपे पहोंच गये.. तो पीछे धिरेनभी आगया.. तभी रजीया दया सबलोग कारकी आवाज सुकर बहार नीकले.. तो लताभी उपरसे नीचे आगइ.. ओर सबलोग सामान अंदर लेने लगे.. ओर होलमे आकर बैठ गये.. तो धिरेनभी लतासे नजरे चुराते सबके साथ बैठ गया.. लेकीन आज लताने उनको देखकर अ‍ैसा कोइ रीअ‍ेक्शन नही दिया.. जो धिरेन उमीद लेकर बैठाथा..

लता रजीया दया चंपाभाभी नीर्मलाको गले मीलकर मीली.. ओर अफसोस जताया.. फीर सबको पानी देने लगी.. तो आज लता धिरेनकी ओर देखते अपने नैन नचाते मुस्कुरा रही थी.. तो धिरेनको बडाही आस्चर्य हुआ.. ओर उनकी गांड फटने लगी.. की आज लता उनको हमेसा गाली देने वाली.. उनके सामने हस क्यु रही हे..? तभी पुनम सृती लता तीनोही पुनम वाले कमरेमे चली गइ.. तो मंजु चंदा भावना देवायतके कमरेमे चली गइ.. तभी बहार होलमे..

भानु : भाइ.. अब कुछ काम ना होतो मे खेतोपे चलु..? वहा कोइ नही हे..

दया : (बहार आकर मुस्कुराते) भानुभाइ.. सबके लीये चाइ बन रही हे.. आप चाइ पीकर जाना..

देवायत : हां भानु.. चाइ पीकर चले जाना.. ओर सुन.. अब दो पहोरको खाना इधरही खाने आजाना.. ओर सामको सरला चाचीको इधर छोड जाना.. क्युकी गांवकी ओरते बैठनेके लीये आयेगी.. तो चाची होगीतो ठीक रहेगा..

भुमीका : हां भानु.. सरला भाभीको यही छोडजाना.. ओर जबतक कार्य पुरा नही होगा तबतक उसे वही रुकना हे..

नीर्मला : हां भानुजी.. वो हम सबमे बुजुर्ग हे.. तो ठीक रहेगा.. ओर देवु.. अब आप लोगभी अपने धंधेपे चले जाओ.. यहा हम सब औरते सम्हाल लेगी..

भानु : ठीक हे मम्मीजी.. मे खाना खाकर उसे लेने चला जाउगा.. फीर उसे लेकर आजाउगा..

धिरेन : (धीरेसे) मम्मी.. तो मे भी चलु..? मुजे बेन्कपे जाना हे..

देवायत : धिरेन.. तुमभी अब यहीसे आना जाना.. रातमे वही रुकना.. क्युकी पुनोतो अब कार्य पुरा होने तक यही रहेगी.. तो फीर वहा तुम अकेले क्या करोगे..?

धिरेन : (मुस्कुराते) जीजु.. आप मेरी फीकर मत करो.. पुनो भलेही इधर रुकती.. मे जब यहा वीधीया होगी तब आजाउगा.. क्युकी मुजे सहेरमे बहुत सारे काम नीपटाने हे.. ओर हमारा घरभी तो अकेला नही छोड सकता.. बस.. आप फ्रि हो तब मम्मी ओर पुनोको लेकर आजाना.. उसे हम घर दीखा देगे..

देवायत : (मुस्कुराते) अरे मेतो अभी कार्य सम्पन नही होता तबतक यही हु.. चल ठीक हे मे कल या परसो उन दोनोको लेकर आजाउगा.. अगर दोनोको पसंद आगया तो हम फाइनल कर देगे.. फीर मुजेभी दो दिनके लीये कही जाना हे..

नीर्मला : (सर सहेलाते) अरे बीटु.. अगर अ‍ैसा हेतो मे ओर भुमी भी देखने चलेगी.. देखु तो सही मेरा बेटा कैसा घर ले रहा हे.. हें..हें..हें..

सृती : (बहार आते धीरेसे सरमाते) देवु.. क्या आप अभी चल रहे हो..? मेभी साथ चल रही हु.. वो क्लीनीकपे कोइ नही हे.. तो मुजे आज जाना होगा.. मम्मी भलेही इधर नीर्मला आंटीके साथ रहेती..

नीर्मला : (मुस्कुराते) बेटा.. बुरा मत मानना.. आजकल जमाना बहुत खराब हे.. अ‍ैसे रातमे ओरतका आना जाना ओर घरमे अकेले रहेना ठीक नही.. तुभी कुछ दिन अपडाउन करले.. फीर तेरी मम्मी फ्रि होजाये तब वहा चली जाना..

लखन : (हसते) भाभी.. भाइतो आज नही कल जायेगे.. लेकीन फीकर मत करो.. भाइ अगर फ्रि नही होगे तो मे आपको छोडने ओर लेने आजाउगा..

सृती : (जोरोसे हसते) अरे वाह.. मेरा देवरतो सुधर गया.. हें..हें..हें..

लखन : (भुमीको) देखा बुआ.. आपकी बेटी मुजे क्या समज रही हे..? क्या तो मे अब तक उनको बीगडा हुआ ओर आवारा दीखता था..

भुमीका : (जोरोसे हसते) अरे बेटा.. वो तुम ओर तेरी भाभी जानो.. मुजे तुम दोनोके जगडेमे बीचमे मत घसीटो.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) सृती.. तो आजसे तुजे लेजानेकी ओर वापस लानेकी जीम्वेवारी लखनकी.. हें..हें..हें..

लखन : (सृतीकी ओर मुह बीगाडते) अरे.. मे उसे क्यु लेजाउ..? आपकी बीवीहे आप जानो..

सृती : (जदरदसे हसते) अरे.. मेरे देवरको तो बुरा लग गया..? ठीक हे आपही मुजे छोड देना.. बस..? हें..हें..हें..

लखन : (हसते) नही भाभी बुरा नही लगा.. मेतो सीर्फ मजाक कर रहा था.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) पता हे मुजे.. की आप मजाक कर रहेथे.. लेकीन मे मजाक नही कर रही.. चलीये रेडी होजाइअ‍े मुजे सचमे जाना हे.. फीर सामको फोन कर दुगी.. तब आप मुजे लेने आजाना.. ओर आनेमे अकेला लगे तो लताकोभी साथ लेलो.. उसेभी थोडा सहेर बहेर घुमा देना.. ताकी वापसीमे आपको कंपनीभी मील जायेगी.. देवु.. मे लखन भैयाके साथ चली जाती हु.. आप अपना काम नीपटाते रहो.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे.. वैसेभी वाकइ मुजे तीन चार दिन ज्यादा काम हे.. ओर लखन.. तुम लता आ रही हेतो रजीयाको भी साथ लेजा.. वहा सृतीको छोडकर तीनो हमारे बंगलेपे चले जाना.. ओर कुछ सफाइ बफाइ कर लेना.. ओर लताको भी कहेना वहा सब चीज अच्छी तराह देखले.. अगर कुछ लेना हे तो नया ले लेगे..

लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे भैया.. वैसेतो भानुभाइने सब कंपलीट करदीया हे.. फीरभी देख लुगा..

तब पुनम ओर लता अपने रुममे बैठकर इन देवर भाभीकी मस्तीया देखकर हस रही थी.. तो लखन उपर अपने रुममे फ्रेस होने चला गया.. तो पीछे लताभी चली गइ.. ओर दोनो सृतीको उनकी क्लीनीक छोडनेके लीये तैयार होने लगे.. तो सृतीभी जानेकी तैयारीया करने लगी.. तो इधर दया ओर चंपाभाभी भी रजीयाका नाम आतेही खुस होगये.. ओर उसने रजीयाको भी तैयार होने उनके रुममे भेज दीया.. तब रजीया बहुतही सरमाइ..

फीर दयाने सबको चाइ पीलाइ तो भानु ओर धिरेन दोनोही चाइ पीकर हवेलीसे नीकल गये.. तो सृतीने उनकी कारको ही लेजानेको कहा तो लखनने ड्राइवींग सीट पकडली.. तब सृतीने लताको जबर दस्तीसे लखनके पास बीठा दीया.. फीर रजीया ओर खुद पीछेकी सीटपे बैठ गइ.. ओर लखनने कारको सहेरकी ओर दौडादी.. तब लता बहुतही सरमा रही थी.. पुरे रास्ते सृती ओर लखन हसी मजाकर करते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करते रहे..

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dilavar

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तब देवायतभी अपने खेतोकी ओर नीकल गया.. उनको कल रातभी नीशा ओर चारुके पास जानाथा.. लेकीन राजीवके हादसेकी वजहसे नही जापाया.. आजतो सुधीरभी वापस आने वाला था.. लेकीन उनका क्लीनीक बंध था.. क्युकी कल सुहागरात मनाते ही दो पहोरको खानेके बाद मुना ओर बरखा तो उनके साथ उनका दोस्त श्रीधर ओर जयश्री.. दोनोही कपल दो दिनके लीये अपने छोटे हनीनुमपे कही घुमने चले गये थे..

तबतक साहीलने भी सलमाके साथ बैठकर लखनने कही सभी बाते सलमासे करली.. जीसे सुनकर सलमा बहुतही खुस होगइ.. ओर खुसीके मारे उनके आंसु नीकल गये.. वो तब ही वो फोन लेकर जरीनाको फोन लगा देती हे.. ओर उनको सब बाते बताते सबानाकी कोइ चीन्ता ना करनेको कहेती हे.. जीसे सुनकर जरीनाभी खुसीसे रो पडी.. तब सलमा उनको साहीलके साथ वहा अ‍ेक दो दिनमे मीलने आनेको कहेती हे..

तो आज सामतके घर सुबह सुबह जया ओर सांती कीचनमे चाइ नास्ता बना रही थी.. तब सामत होलमे बैठकर अखबार पढ रहा था.. तो जागृती नहानेके लीये बाथरुममे धुसी हुइ थी.. तब बंसी रात भर सांतीकी चुदाइ करते थका हारा अबभी गहेरी नींद सो रहा था.. आज जया सामतके साथ बैठकर अपने बेटे बंसी ओर नंनद सांतीकी सादीको लेकर बात करने वाली थी.. तब जयाने बंसीसे बात करनेसे पहेले अ‍ेक बार फीर सांतीका मन टटोल लीया..

जया : (मुस्कुराते धीरेसे) सांती.. अब मे सोच रही हु.. तुम दोनोकी सादी करवादु.. क्या तु राजीतो हेनां..?

सांती : (सर्मसार होते धीरेसे) भाभी.. लेकीन भाइ..? उसे आप कैसे समजाओगी..? क्या वो मान जायेगे..?

जया : (मुस्कुराते सरपे हाथ फीराते) हां.. बस तु अ‍ेक बार हां कहेदे.. मे उसेभी मना लुगी.. देखना वो खुद तेरी सादी बंसीसे करवा देगे.. मे आजही उनसे बात करती हु.. जा पहेले तेरे पतीको जगादे.. उनसेभी बात करनी हे.. मेरे बंसीके लीये तुमसे अच्छी बहु कहा मीलेगी.. जा.. जगादे उसे..

सांती : (अ‍ेकदम सर्मसार होते जाते धीरेसे) जी भाभी.. अभी जगाती हु..

सांती अपनी सादीकी बात सुनकर आज बहुतही खुस होने लगी.. वो जैसेही कीचनसे बहार नीकली.. सामने सामतको अखबार पढते देखकर सरमा गइ.. ओर जटसे अपने सरपे चुनी डालकर सरको ढक लेती हे.. जैसे सामत उनका भाइ नही ससुर हो.. ओर वो अ‍ेक नइ नवेली दुल्हनकी तराह सरमाते बंसीके रुममे चली जाती हे.. तब बंसी घोडे बेचकर सो रहाथा.. तब सांती धीरेसे उनके पास जाकर उनके होठोको चुम लेती हे..

तभी बंसी अपने होठोपे गीलापनकी वजहसे आंख खोकर देखता हे.. तो सांती मुस्कुराते उनके चहेरेपे जुकी हुइ थी.. ओर सरमाते मुस्कुरा रही थी.. तब बंसीने उसे खीचकर अपने उपर गीरा दीया.. ओर सांतीको अपनी बाहोमे भीचते उनके होठोको चुमने लगा.. तब सांती सरमाकर हसते बंसीसे छुटनेकी नाकाम कोसीस करने लगी.. ओर आखीर सरमाते सांतीने बंसीके सीनेपे अपना सर रख दीया ओर मुस्कुराने लगी..

सांती : (सरमाते हसते) बंसी.. जल्दीसे उठ जाइअ‍े.. लगता हे आज हम दोनोके लीये खुसीका दिन हे.. जाइअ‍े फटाफट तैयार होजाइअ‍े मे आपके कपडे देती हु.. भाभी आपसे बात करना चाहती हे..

बंसी : (सांतीको छोडकर जटसे बेडपे बेठते) कीस बारेमे..? क्या उसने तुमसे कुछ कहा..?

सांती : (सरमाकर हां मे गरदन हीलाते) हां.. वो आज भाइसे हम दोनोकी सादीके बारेमे बात करने वाली हे.. तो इनसे पहेले वो भाइसे बात करे.. अ‍ेक बार भाभी आपसे बात करना चाहती हे.. जाइअ‍े फटाफट..

बंसी : (खुसीके मारे अ‍ेक बार फीर सांतीको बाहोमे भरते) सच..? बुआ.. क्या तुम सच कहे रही हो..?

सांती : (सरमाते गाल चुमकर) हां बंसी.. अबतो मुजे बुआ कहेना छोडदो.. आपकी बीवी होने वाली हु.. अभी अभी इस बारेमे मेरी भाभीसे बात हुइ.. आप जाइअ‍े फटाफट नहा लीजीये.. मे कपडे रखकर जाती हु.. काफी देरसे यहा हु.. भाइ भी बहारही बैठे हे..

बंसी : (होठ चुमते खडा होते) नही सांती.. तुम भलेही मेरी बीवी होजाये.. मे तुमको बुआ कहेना कभी नही छोडुगा.. क्युकी मेने सांतीको नही.. मेरी बुआको प्यार कीया हे.. हें..हें..हें..

सांती : (सरमाते मुस्कुराते) आप कीतने कमीने हो.. ठीक हे.. ठीक हे.. जाइअ‍े फटाफट नहा लीजीये..

कहातो बंसीकी खुसीका कोइ ठीकाना नही रहा.. जो सादीकी बातको लेकर वो खुद सांतीको लेकर भागनेकी प्लानींग कर रहा था.. वोही बात आज खुद सामनेसे उनकी मम्मीने कही थी.. बंसी खुस होकर बाथरुममे घुस गया.. तो सांती हसने लगी.. फीर बंसीके कपडे अलमारी से नीकालकर बेडपे रखती हे.. ओर फीरसे चुनी अपने सरपे डालकर अपने रुममे चली जाती हे.. तब जागृती भी तैयार होकर कामपे लग गइ..

वो कीचनमे देखती हे तो उनकी मां जया नास्ता बना रही थी.. जयाको देखतेही जागृतीको गुस्सा आने लगा.. वो पीछली रात रमेशके घरपे उनकी सारी करतुते जान गइ थी.. ओर वो अपना मुह बीगाडते उनके पापाके रुममे चली गइ.. ओर वहा साफ सफाइ करने लगी.. जब वहा सफाइ होगइ तब वो उनकी बुआ सांतीके रुममे सफाइ करने दरवाजा खोलकर घुस गइ.. तो सांती अंदर बहुतही खुस नजर आ रही थी..

जैसेही सांतीने जागृतीको देखा वो जटसे दोडकर आगइ ओर अपने रुमका दरवाजा बंध करलीया.. फीर जागृतीके पास हसते हुअ‍े दोडकर चली गइ.. ओर जागृतीको जोरोसे अपने गले लगा लीया.. तब जागृती भी खुस होकर मुस्कुराते आस्चर्यसे सांतीकी ओर देखती रही.. की सुबह सुबह उनकी बुआ इतनी खुस क्यु हे..? फीर सांतीने जागृतीका चहेरा अपने हाथोमे थामलीया.. ओर सरमाकर उनके सामने देखते मुस्कुराती रही.. तब जागृतीने पुछ ही लीया..

जागृती : (मुस्कुराते) भाभी.. बताइअ‍ेना क्या हुआ..? आजतो आप बडी खुस नजर आरही हे..? कुछ हुआ हे क्या..? (सरारतसे कानमे धीरेसे) कही मेरे नन्हे मुन्हे भतीजाकी कोइ खुस खबरी तो नही..? हें..हें..हें..

सांती : (अ‍ेकदम सर्मसार होते पीठमे मुका मारते) अरे नही नही.. सुन.. जागु.. आज भाभी मेरी ओर बंसीकी सादीकी बात भाइसे करने वाली हे.. आज मे बहोत खुस हु.. आज अचानकही सुबह भाभीने मुजे केह दीया..

जागृती : (खुसीसे मुस्कुराते गले लगाकर) भाभी.. कोन्ग्रेच्युलेशन.. आखीर आपकी तम्मना पुरी होगइ.. तीन चार सालोका सब्रका फल आखीर आपको मील ही गया.. बहुत.. बुहत.. अभीनंदन.. बस.. अब मुजे अ‍ेक प्यारासा.. नन्हासा.. मुन्हा या मुनी मील जाये.. हें..हें..हें..

सांती : (सर्मसार होते धीरेसे दोनो हाथ थामते) हां जागु.. तेरे मुहमे घी-सकर.. मेतो आइपील लेते लेते थक चुकी हु.. मेभी चाहती हु की मेभी अ‍ेक बच्चेकी मां बनु.. अब मेरा सभी सपना पुरा होजायेगा..

जागृती : (मुस्कुराते) भाभी.. आज खुसीका दिन हे.. आप खुसीया मनाओ.. फीर हम आरामसे बात करेगे.. मुजे आपसे बहुत कुछ कहेना हे.. वोभी सीर्फ हम दोनो अकेली हो तब.. लेकीन आज नही..

सांती : (आस्चर्यसे देखते प्यारसे) जागु.. बताना.. क्या कोइ सीरीयस मेटर हे..?

जागुती : (धीरेसे) हां भाभी.. लेकीन आज नही.. आजतो आप खुसीया मनाओ.. हम कल फुरसतमे बात करेगे..

कहेते जागृती सांतीकी ओर मुस्कुराते उनके रुमसे सफाइ कीये बगैर ही बहार जाने लगी.. तब बहार जाते उनकी आंखसे दो बुंद आंसु टपक गये.. उन्होने सोचा चहेरा दरवाजेकी ओर हे.. तो बुआ नही देख पायेगी.. लेकीन उनको क्या पता.. सांतीने जागृतीकी आंखसे आंसु बहेते देखलीये थे.. उनको जागृतीकी बातसे कोइ गंभीर अंदेशा होने लगा.. सांती थोडी गंभीर होगइ.. ओर जागृतीको जाते हुअ‍े देखती रही..

फीर सांती सरपे चुनरी डालकर कीचनमे चली गइ.. तब जागृती बंसीके रुममे जाकर जाडु पोछा करने लगी.. तब बंसी बाथरुममे नहा रहाथा.. आज जागृतीका मुड बंसीकी सादीकी बात सुनकर थोडा बीगड गया था.. उनको आज सांतीसे ज्वेलेसी फील होने लगी थी.. लेकीन अपने चहेरेपे जाहीर नही होनेदी.. तभी बंसी बाथरुमसे कमरमे टोलीया लपेटकर नीकला.. देखातो जागृती उनके रुमकी सफाइ कर रही थी..

जागृतीको देखतेही बंसीका लंड जटके मारते खडा होने लगा.. तब बंसी बीना कुछ बोले धीरेसे दरवाजेके पास चला गया.. ओर बहार नजर करते देख लेता हे.. की कोइ आस पासतो नही.. तब सामत टी.वी. देख रहा था.. ओर उनकी मां ओर सांती कीचनमे काम कर रही थी.. तब बंसी धीरेसे दरवाजा बंध कर देता हे.. तभी जागृतीकी नजर बंसीकी ओर चली जाती हे.. जो दरवाजा बंध कर रहाथा.. तब जागृतीकी दिलकी धडकन बढने लगी.. ओर वो सरमाते सफाइ छोडकर जटसे खडी होगइ..

ओर सरमाकर बंसीकी ओर देखते मुस्कुराते बहार जाने लगी.. जैसेही जागृती दरवाजेके पाइ आइ बंसीने उसे कमरमे हाथ डालकर अपनी ओर खीच लीया.. ओर अपने तनसे सटाकर जागृतीको दबोच लीया.. तो जागृती अचानक हुअ‍े हमलेसे बहुतही गभरा गइ.. तभी बंसी उसे अपनी बाहोमे पकडकर दिवालके सहारे दोनो हाथ पकडकर सटा लेता हे.. ओर खुद भी उनके तनसे सटकर खडा होजाता हे..

बंसी उनसे चीपकर खडा था.. तो जागृतीके दोनो बुब्स बंसीके सीनेमे दब गये.. ओर उसे अपनी चुतपे बंसीका खडा लंड ठोकर मारते महेसुस हुआ.. आखीर आज बंसीने हिंमत करके जागृतीको पकड ही लीया.. तब जागृती बहुतही सर्मसार होगइ.. बंसीको जागृतीकी गरम सांसे साफ सुनाइ दे रही थी.. तब जागृती अ‍ैसेही खडी रहेकर बंसीसे नजरे चुराते इधर उधर देखने लगी.. ओर बहुतही सर्मसार होती रही.. तभी..

जागृती : (धीरेसे सरमाते) भाइ.. क्या कर रहे हो..? छोडीयेनां.. कोइ देख लेगा..

बंसी : (मुस्कुराते उनकी आंखोमे देखते) देखने दो.. जागु.. आइ लव यु.. मुजे तुमसे प्यार होगया हे..

जागृती : (सर्मसार होते धीरेसे) भाइ.. इतना कहेनेमे बहुत देर करदी आपने.. मेभी तो आपको चाहती थी.. लेकीन हमारे बीच भाइ बहेनका रीस्ता दिवार बनकर खडा था.. भाइ.. आइ लव यु टु.. मेभी आपको बहुत चाहती हु.. लेकीन अभी नही.. मुजे जाने दीजीये.. मेरी नइ भाभी कभी भी लधर आ सकती हे.. हम बादमे मीलेगे..

बंसी : (खुस होते) जागु.. तुजे मेरे ओर बुआके बारेमे सब पता हेनां..? तु फीकर मत करना मे तुम दोनोको सम्हाल सकता हु.. ओर खुस रख सकता हु.. बस मेरे लीये यही काफी हे तुमने मेरा प्यार कबुल करलीया..

कहेते बंसी धीरे धीरे अपना चहेरा जागृतीके चहेरेकी ओर लेजाने लगा तब जागृती समज गइ.. ओर बहुतही सर्मसार होते नजरे जुकाये खडी रही.. उनके दिलकी धडकन बढने लगी.. ओर बंसीके होठ चुमनेका इन्तजार करने लगी.. उनके दोनो होंठ फडफडाने लगे.. तभी उसे अपने होठोपे बंसीके होठ महेसुस हुअ‍े.. जो उनके होठोको चुम रहेथे.. जागृती सरसे पांव तक हील गइ.. ओर कांपने लगी..

आज पहेलीबार उनका भाइ उनके होठोको चुम रहाथा.. जागृती अपना होस गवाने लगी.. ओर आंख बंध करते बंसीका साथ उनके होठोको चुमते देने लगी.. जागृतीके दोनो उरोज कठोर होने लगे.. आज लखनके अलावा पहेली बार वो अपने भाइसे प्यार कर रही थी.. वो चाहती थी की बंसी उसे पुरी तराह मसलदे.. लेकीन इसके लीये अभी सही वक्त नही था.. तभी..

जागृती : (धीरेसे होंठ छुडाते) बस.. बस.. भाइ.. अभी नही.. हम फुरसतमे मीलेगे.. जानेदो मुजे..

बंसी : (सामने देखते मुस्कुराते) जागु वादा कर.. अब हम जल्द ही दोनो मीलेगे..

जागृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) मुजे नही पता.. आप बहुत नोटी हो.. जानेदो मुजे.. मीलनेकी इतनी ही जल्दी थी.. तो फीर अपना प्यार जतानेमे इतनी देर क्यु करदी..?

बंसी : (बुब्सपे हाथ रखते धीरेसे मसलते) ठीक हे.. तो फीर अ‍ैसेही खडी रहे.. आज मे अपनी बहेनको छोडने वाला नही.. फीर चाहे कुछभी होजाये..

जागृती : (सर्मसार होते बंसीके हाथको हटाते) छोडीयेना भाइ.. हां.. हां.. मे वादा करती हु.. बस..? हम बहुत ही जल्द मीलेगे.. अबतो छोडीये..?

बंसी : (चुतपे हाथ रखकर धीरेसे कानमे) येस डार्लींग.. आज मे बहुत खुस हु.. हें..हें..हें..

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कहातो बंसीने अ‍ेक बार फीर जागृतीके बुब्सको मसलते उनके होठोको चुमलीया.. ओर उसे छोड दीया.. तब जागृती बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर सरमाकर मुस्कुराते जटसे जाडु पोछा लेकर बंसीकी ओर हसते अपनी जीभ नीकालकर दीखाने लगी.. ओर हसते हुअ‍े रुमसे नीकल गइ.. तब बंसी उनकी ओर देखकर हसता रहा.. आखीर बंसीने आज हीमत करके अपनी बहेनको पकड ही लीया.. ओर जागृतीने उनके प्यारको कबुल भी करलीया.. तब वो बहुतही खुस होने लगा.. ओर तैयार होने लगा..
 
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dilavar

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तो इधर जागृती रुमसे नीकलते ही जटसे जाडु पोछा रखकर अपने रुममे चली गइ.. ओर दरवाजा बंध करते उनके पीछे सटकर खडी होगइ.. ओर अपने सीनेपे दोनो हाथ रखकर मंद मंद मुस्कुराते आंख बंध करके थोडी देर खडी रही.. कुछही देर पहेले बंसी सांतीकी सादीकी बात सुनकर वो कीतनी मायुस हो गइ थी.. ओर अभी अभी बंसीने अपना प्यार जताते उनको होठोको चुमकर प्यार कीया.. उनके बुब्सको भी मसला.. ओर चुतकोभी सहेलाया.. तब जागृती बहुतही सर्मसार होगइ थी.. ओर खुसीके मारे मुस्कुराती रही..

जागृती सारा गम भुलकर खुस होने लगी.. बंसीने उसे जल्द मीलनेका वादा लेलीया था.. तब जागृतीको यकीन होगया.. की अब उनका भाइ बंसी उसे छोडने वाला नही हे.. मीलतेही वो उनकी चुदाइ जरुर कर लेगा.. यही सोचतेही जागृतीकी चुत गीली होने लगी.. तब वो फीरसे मुस्कुराते सरमाइ.. ओर खुस होते कीचनमे चली गइ.. तो वहा सीर्फ सांती चाइ नास्तेकी तयारी कर रही थी.. ओर जया बंसीके रुममे चली गइ थी..

तो इधर जागृतीके जातेही कुछही देरके बाद बंसीके रुममे उनकी मां जया आगइ.. ओर आते ही जयाने दरवाजा बंध करलीया.. तब अ‍ेक बारतो बंसीकी गांडभी फटने लगी.. उनको लगाकी कही मांने उनको ओर जागृतीको प्यार करते देख तो नही लीया..? तब सांती दरवाजा बंध करके बंसीकी ओर मुस्कुराते बेडपे आकर बैठ गइ.. तब बंसीने राहतकी सांस ली.. ओर वोभी बेडपे आकर जयाके पास बैठ गया.. तो जया प्यारसे उनके सरको सहेलाने लगी.. फीर..

जया : (मुस्कुराते) हंम.. मेरा बेटा.. अब बडा होगया हे.. तो सोच रही हु तेरी सादी करवादु.. हें..हें..हें..

बंसी : (मनमे लडु फुटते, सरमाते धीरेसे) क्या मम्मी.. आपभी.. अभी मेरी सादीकी कोइ उमर हे..?

जया : (सरारतसे कान खीभकर) अच्छाआआआ..? तो मेरे बेटेको अब भी अपनी बुआके साथ ओर अयासीया करनी हे..? हें..हें..हें..

बंसी : (चोंकते सर्मसा होते) मम्मी.. वो.. वो.. मे.. मे..

जया : (गालपे चुटकी भरते मुस्कुराते) बदमास.. मुजे सब पता हे.. की मेरा बेटा अपनी बुआसे प्यार करता हे.. मे तुम दोनोके बारेमे सबकुछ जानती हु..

बंसी : (सरमाते मुस्कुराते) सोरी मम्मी.. हम दोनो अ‍ेक दुसरेको बहुत प्यार करते हे..

जया : (गाल छोडकर मुस्कुराते) हंम.. पता हे मुजे.. मतलब मेरे बेटेको अपनी बुआ पसंद हे.. क्या तु सांतीसे सादी करेगा..? तो अभी बोलदे.. मे तुम दोनोकी सादी करवा दुगी.. वरना तुजे दुबारा ये चान्स नही मीलेगा.. हें..हें..हें..

बंसी : (सर्मसार होते गले मीलते) ओह मोम.. आइ लव यु.. हां मुजे बुआ बहुत पसंद हे.. मम्मी.. मे उसे सारी जींगी खुस रखुगा.. आइ प्रोमीस.. करवा दीजीये हम दोनोकी सादी.. लेकीन मम्मी..? वो.. वो.. पापा..

जया : (मुस्कुराते) तु उनकी चीन्ता मत कर.. उसे मे अभी बात करती हु.. बस.. बात करनेसे पहेले सोचा अ‍ेक बार मेरे बेटेका मन जानलु.. बेटा.. सांती बहुत अच्छी लडकी हे.. खुबसुरत हे.. तेरे लीये बीलकुल परफेक्ट हे..

बंसी : (सरमाकर हग करते) मोम.. मे उनको बहुत चाहता हु.. ओर वोभी मुजे बहुत चाहती हे.. हम दोनो ही अ‍ेक दुसरेके बगेर नही रेह सकते.. आप हम दोनोकी सादी करवा दीजीये.. वरना मे अ‍ेक दो दिनमे ही उनको लेकर चलेजाने वाला था.. मेने सब इन्तजाम करलीया था..

जया : (जटसे अलग होते प्यारसे अ‍ेक चपत लगाते) पागल होगये हो क्या..? अरे बेटा हम खुद भी तो यही चाहते हे.. की तुम दोनोकी सादी होजाये.. तो फीर तुम दोनोको भागनेकी क्या जरुरत हे..? तु फीकर मत करना मे आजही तेरे पापासे बात करती हु.. की जल्दसे जल्द तुम दोनोकी सादी करवादे.. बस..? अबतो खुस..? चल नास्ता करने आजा..

कहेते जया जटसे बंसीके रुमसे दरवाजा खोलकर बहार नीकल गइ.. ओर सामतके पास जाकर उनसे नजदीक बैठ गइ.. तब सामत मुस्कुराते जयाकी ओर देखने लगा.. तब कीचनमे जागृती ओर सांती अ‍ेक सहेलीकी तरह हसते हसते आपसमे धीरेसे बाते कर रहीथी.. ओर बीच बीचमे बाते करते दोनो सरमा भी रही थी.. जागृती बंसीको लेकर सांतीको छेड रही थी.. तब इधर जया मुस्कुराते धीरेसे बातको छेडती हे..

जया : (सरमाते धीरेसे) सुनीयेजी.. अब आप बंसीकी सादीके बारेमे सोचीये.. लडका जवान होगया हे.. कही अ‍ैसी वैसी जगह सादी करलेगा तो हमारी क्या इजत रेह जायेगी.. ओर आज कलतो हमारे गांवमे ना जाने क्या क्या हो रहा हे.. आप जानते हेनां..?

सामत : (हसते) अरे बाबा.. मे उनके लीये लडकी देखतो रहा हु.. लेकीन कोइ उनके लीये अच्छी लडकी भी तो मीलनी चाहीये.. लगता हे मुजे अब बाबाकी बात मान लेनी चाहीये.. हमारे पास उनकी बाते मानलेने के अलावा ओर कोइ चारा नही..

जया : (मुस्कुराते) हां.. मेने तो पहेलेसे ही कहा था.. लेकीन आप हो की नही मानते थे.. हमारी सांतीमे क्या बुराइ हे..? जवान हे.. खुबसुरत हे.. बेचारी भर जवानीमे विधवा होगइ.. तो उसमे उनका क्या कसुर हे..? ओर अ‍ेक बार इस बारेमे हमारी बात भी हुइ थी.. तब आपहीने तो कहाथा की अगर बंसी कहेगा तो मे सांतीकी सादी उनसे कर दुगा.. ओर वैसेभी आजकल हमारे गांवमे अ‍ैसी सादीया तो होने लगी हे..

सामत : (मुस्कुराते) अरे हां बाबा.. मुजे याद हे सब.. लेकीन बंसी कहेना भी तो चाहीये.. की मे सांतीसे सादी करना चाहता हु.. हें..हें..हें..

जया : (थोडा गुसा होते) क्या आपभी अ‍ैसी बाते करते हो..? क्या कोइ जवान लडका अपने बापसे सामनेसे आकर कहेगा की मेरी सादी आपकी बहेनसे करवादो..? बात करते हे.. वो आपसे बात करनेमे डरता हे.. कुछ तो सोचीये..

सामत : (मुस्कुराते) अरे.. इसमे डरनेकी क्या बात हे..? ठीक हे.. तो फीर अब तुही बता मे क्या करु..? मुजे उन दोनोकी सादीसे कोइ अ‍ेतराज नही.. जा पुछले उन दोनोको..

जया : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) अ‍ेजी.. मेने अभी दोनोको पुछलीया हे.. आजही सुबह दोनोसे बात करली हे.. दोनो सादीके लीये राजी हे.. (धीरेसे हसते) सुनीये.. दोनो तीन सालसे अ‍ेक दुसरेको प्यार करते हे.. ओर आपसमे सादीभी करना चाहते हे.. अच्छा हुआ आजही मेने दोनोसे बात करली.. वरना आपका लडकातो आपकी बहेनको लेकर भागजाने वाला था.. हें..हें..हें..

सामत : (खुस होते हसते) क्या..? वो पागल तो नही होगया..? जा जाकर कहेदे उसे मे तुम दोनोकी सादी जल्दही करवा दुगा.. कही भागनेकी जरुरत नही हे.. कही ये लडका हमारी नाक ना कटवाये.. पागल कहीका.. अब कुछ चाइ बाइ मीलेगी की नही..?

जया : (जोरोसे हसते) चलीये सब रेडी हे.. हें..हें..हें..

दोनोही बाते कर रहेथे तब सांती ओर जागृती कीचनसे कान लगाकर दोनोकी बाते सुन रही थी.. जैसेही सामतने खुसी खुसी दोनोके रीस्तेको स्वीकारते सादीकी बातकी तब सांती खुसीके मारे जागृतीसे लीपट गइ.. ओर खुसीके मारे आंसु बहाने लगी.. तब जागृतीभी खुस होकर मुस्कुराते सांतीकी पीठ सहेलाती रही.. तभी जयाने आवाज लगाकर सबको चाइ नास्तेके लीये बुलाया.. तब सांती सरमके मारे बहार नही नीकली.. ओर उसने जागृतीको भी बहार जानेसे रोक लीया..

जया : (हसते) सांती बेटा.. अब तुभी आजा.. हें..हें..हें..

सांती : (सरमाकर धीरेसे) नही भाभी.. आप लोग चाइ नास्ता कर लीजीये मे ओर जागु बादमे करलेगे..

सामत : (बेठते मुस्कुराते) अरे बेटा.. आजा इसमे सरमानेकी क्या बात हे.. मुजसे पहेले पता होता.. तो मेनेतो कबसे तुम दोनोकी सादी करवादी होती.. अबतक तो मेरा पोताभी आ चुका होता.. हें..हें..हें..

जया : (सरमाकर जोरोसे हसते) क्या आपभी.. बेचारीको ओर सरमा रहे हो.. ठीक हे सांती बेटा.. तुम दोनो बादमे करलेना.. बंसी.. आजा बेटा.. चाइ नास्ता रेडी हे..

बंसी : (आकर बेठते) जी मोम.. आगया.. हें..हें..हें..

सामत : (थोडा गुसा होते) क्या बेटा तुमभी.. पहेले मां फीर मांसे मम्मी तक आया ओर अब मम्मीसे सीधा मोम..? लगता हे तुजेभी सहेरकी हवा लग गइ हे.. अब थोडा खेतोमे भी ध्यान दे.. सब मजदुरके भरोसे छोडना ठीक नही.. अब तेरी सादी होने वाली हे.. तो कुछ जीम्वेवारी नीभाना समज..

जया : (थोडा गुस्सेसे) अब आपतो चुपही रहीये.. आपसे ज्यादा तो मेरा बेटाही घरकी सब जीम्वेवारी नीभाता हे.. खेती बाडीका सब मेरा बेटाही तो देखता हे.. आपतो सारा दीन घुमते रहेते हो.. पता नही बार बार सहेरमे जाकर क्या करते रहेते हो.. बस.. सारा दिन समाजकी सेवा ही करते रहेते हो..

सामत : (हसते) हां बाबा.. ठीक हे अब तेरे बेटेको नही डाटुगा.. हें..हें..हें.. तु कहे रही हेनां.. की मे सहेरमे जाकर क्या करता हु.. तो सुन.. जया.. वहा हमने अ‍ेक मकान लेलीया हे.. बहुतही बडा.. हमारे देवुके बंगले जैसा.. बस.. अब उनका सीर्फ रजीस्ट्रेशन करवाना बाकी हे.. तो अ‍ेक दो दिनमे वोभी हो जायेगा.. तो मे सोच रहा हु.. अब वो रजीस्ट्रेशन बंसीके बजाये सांती ओर मेरी जागु बेटीके नाम करवादु.. ताकी कभी उनको सहेरमे रहेने जाना पडे तो कोइ दीकत नही..

जया : (खुस होकर हसते) अरे वाह.. बंगला लेभी लीया.. ठीक हे कोइ बात नही.. लेकीन पहेले हम दोनो कुछ दिन वही रहेगे.. आपसे केह देती हु.. हें..हें..हें..

जागृती : (बहार आकर हसते) पापा.. मेतो अब भैया ओर हमारी नइ भाभीके साथ ही रहुगी.. हें..हें..हें..

सामत : (हसते) अरे हां बाबा हां.. तुजे जीनके साथ रहेना हो रहेना.. फीरतो तेरी भी सादी होजायेगी.. तो चली जायेगी.. हें..हें..हें..

जागृती : (बंसीकी ओर देखते सरमाते) नही.. मुजे कोइ सादी बादी करके कही नही जाना.. मे भाभीके पास ही ठीक हु.. सारी जींदगी भाभीके पास ही रहुगी.. हें..हें..हें..

कहेते जागृती इसारो ही इसारोमे इनडायरेक्टली बंसीको कहे दियाकी मे तुम्हारे साथ सादी करके जींदगी भर तुम्हारे साथ रहेना चाहती हु.. तो बंसी भी जागृतीकी बातको भली भांती समज गया.. ओर मनमे खुस होने लगा.. उसने जागृतीकी ओर देखा तो जागृती अब भी उनकी ओर देखकर हस रहीथी.. तभी अचानक जागृतीने बंसीकी ओर हसते हुअ‍े आंख मारदी.. ओर कीचनमे चली गइ..

आज सामतके घर खुसीका माहोल था.. सबको अपनी उमीद पुरी होती नजर आइ.. पर जैसेही जयाने कुछ दिन सहेर रहेनेकी बात की.. तब जागृतीके मनमे आसंकाये आने लगी.. जबसे रमेशके घरपे रमेश ओर जयाकी बात सुनकर आइ.. तबसे उसे सांतीने कही अ‍ेक अ‍ेक बात सच होते नजर आने लगी.. की आने वाले दिनोमे सायद उनको ओर सांतीको ही इस घरको सम्हालना पडेगा.. ओर आज उनका सक ओर पका होगया....

कन्टीन्यु
 
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