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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Kaha gaye dilaver bhai
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १९४

इधर नीलम ओर रमा दोनो समज गइकी लखनके रुममे क्या हो रहा हे.. तो मा बेटी दोनो ही अ‍ेक दुसरेकी ओर देखकर सरमाके मुस्कुराने लगी.. तब नीलम बहुत ही सर्मसार हो रही थी.. क्युकी वो भी धिरेनका लंड पहेली बार अंदर लेकर अ‍ैसेही चीलाइ थी.. तो रमा नीलमको सरमाते देखकर हसने लगी.. तब नीलमको लखनने कही अ‍ेक अ‍ेक बाते याद आने लगी.. लखनकी सभी बाते उसे सच लगने लगी.. की लखनने उसे पहेली बार गोडाउनमे दबोचा तब ही उसे कहा था.. की वो आज भी उनकी लता दीदीकी चीखे नीकलवाता हे.. तभी....अब आगे

रमा : (हसते धीरेसे) नीलु.. क्या हस रही हे..? हें..हें..हें.. लगता हे तेरे जीजु ओर तेरी दीदी दोनो अपने रुममे प्यार कर रहे हे.. ओर प्यारमे अ‍ैसा ही होता हे..

नीलम : (सर्मसार होते जानकर भी अनजान होते धीरेसे) मोम.. दीदी कीतना जोरसे चीलाइ.. क्या इसमे इतना दर्द होता हे..? मुजे तो बहुत डर लग रहा हे..

रमा : (नीलमके पास सरकते आते धीरेसे) अरे नही रे.. तुम खामखा डरा रही हे.. इनमे इतना दर्द नही होता.. तेरी लता दीदी दर्दसे नही.. वो तो प्यारसे मदहोस होकर चीलाती हे.. इनमे बहुत मजा आता हे.. अ‍ैसा लगता हे हम स्वर्गमे हे.. बस.. अ‍ेक बार तु तेरे जीजुको अच्छेसे सेट करले.. फीर देखना कमाल.. तुरी भी तेरी लता दीदीकी तराह अ‍ैसी ही चीलायेगी.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते हसते रमाको मुका मारते) मोम.. आपको सरम नही आती..? आप बहुत ही सरारती हो.. कोइ अपनी बेटीके साथ अ‍ैसी बाते करती हे.. हें..हें..हें..

रमा : (हसते मस्तीमे) हां.. अब तु सीर्फ मेरी बेटी थोडीना हे..? अब तो हम दोनो सहेली हे.. हें..हें..हें.. ओर सहेलीयोके बीच अ‍ैसी ही बाते होती रहेती हे.. समजी..? हें..हें..हें..

नीलम : (हसते अनायास ही मुहसे नीकल जाता हे) मोम.. जैसा जीजुने कहा था अ‍ैसा ही हुआ.. हें..हें..हें..

रमा : (चोंकते अ‍ेक नजरसे धीरेसे) मतलब..? नीलु.. तुजे जीजुने कब अ‍ैसा कहा था..? क्या तुम लखनजीसे अकेलेमे मीली हो..?

नीलम : (थोडी गभराते सरमाते धीरेसे) हां मोम.. अभी अभी आपने कहानां अब तो हम दोनो सहेलीया हे.. अगर आप नाराज ना होतो मे आपसे अ‍ेक बात कहेना चाहती हु..

रमा : (सरकते नीलमकी कमरमे हाथ डालकर चीपकते) नीलु.. क्या मे अब तुमसे कभी नाराज हो सकती हु..? हंम..? अब तो तुम ही अ‍ेक मेरा सहारा हो.. नीलु.. अब तुम बडी हो गइ हो.. अब हमारा रीस्ता मां बेटीका नही हे.. हम दोनो अब पकी सहेलीया हे.. तो मे चाहती हु की अब हम दोनो अ‍ेक दुसरेसे अपनी बाते सेर करे.. अब तुम मेरी लाइफ मे.. ओर मे तेरी लाइफमे मे दखल नही देगे.. अब दोनो खुलकर बाते करेगे तो मजेसे जीयेगे.. तो हम दोनो मीलकर बहुत कुछ हासील कर सकते हे.. बता.. क्या बात करनी हे..

नीलम : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. आपको पता हे..? जब जीजु मुजे घरपे छोडने आये थे..? तब क्या हुआ था..? मुजे तो कहेते हुअ‍े भी सरम आ रही हे..

रमा : (उत्सुक्तासे मुस्कुराते) अरे बताना.. इनमे सरमानेकी क्या बात हे..? क्या उसने तेरे साथ कोइ सरारत की थी..? हंम..? हां वो अ‍ैसा कर भी सकते हे.. वो बहुत ही सरारती ओर रंगीन मीजाजके हे.. बीलकुल अपने बडे भाइपे गया हे.. हें..हें..हें.. बता क्या हुआ था..?

नीलम : (मुस्कुराते) मोम.. बडे भाइपे गया हे मतलब..? क्या बडे जीजु भी अ‍ैसे हे..? क्या उसने कभी आपके साथ अ‍ैसी कोइ सरारत की हे..? वो तो बहुत सीधे सादे दीखते हे.. हें..हें..हें..


रमा : (मनमे बडबडाते धीरेसे) कमीना.. जरुरतसे ज्यादा ही सीधा हे.. उनको कीतना इसारा कीया.. कीतनी हिंन्ट दी.. फीर भी कुछ नही समजा.. मेरी ओर देखा तक नही.. उनके दोस्तकी बीवी जो हु.. वरना दुसरी कोइ होती तो कमीना उसे पटक पटकर चोद लेता.. इसीलीये तो तुजे लखनको फसानेके लीये केह रही हु.. वरना मे ही उनको फसाकर माला माल नही होजाती..?

नीलम : (मुस्कुराते सामने देखकर) मोम.. मनमे क्या बड बडा रही हे.. आपके साथ कुछ हुआ हे क्या..?

रमा : (मुस्कुराते) अरे.. नही रे.. वो सीधे सादे ही हे.. लेकीन जरुरतसे ज्यादा सीधे हे.. नीलु.. कीसीको कहेना नही.. मैने भी उनको पटानेकी बहुत कोसीस की.. तो मेरी ओर देखते भी नही थे.. क्युकी वो तेरे पापाके दोस्त हे.. तो वो उनको धोखा देना नही चाहते होगे..

नीलम : (हसते) मोम.. मतलब आप बडे जीजुपे ट्राइ कर चुकी हो.. हें..हें..हें..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) ओर नही तो क्या..? अगर पट गये होते तो आज हमारे पास थोडा बहुत पैसे नही होते..? तो फीर मे तुजे लखनजीको फसानेके लीये थोडीना कहेती..? देखा नही दोनो भाइ कीतने हेन्डसम हे.. उनकी कीतनी बीवीया हे.. मुजे लगता हे उनका अपनी बीवीओके अलावा बहार भी रीलेशन होगा.. छोड उनकी बात ये बता लखन भैयाने क्या कीया था तेरे साथ..? तेरे दुधु बुधु तो नही दबाये.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते अ‍ेक मुका मारते) मोम.. आप भीनां.. मुजे तो बतानेमे भी सरम आ रही हे.. हां.. कुछ अ‍ैसा ही हुआ था.. जब वो मुजे घरपे छोडने आ रहे थे.. तब वो मुजे अपना खेत दीखानेके बहाने पहेले उनके खोतेपे ले गये थे.. वहा अ‍ेक चाचासे मीलावकर वो मुजे अपने गोडाउनमे ले गये.. देखा तो वहा ओफीसके साथ अ‍ेक कमरा भी था.. जहा वो आराम करते हे.. उनमे बेड टी.वी. फ्रिज सबकुछ सुवीधा थी.. ओर वो मुजे उसी कमरेमे ले गये..

रमा : (नीलमकी कमरपे पैर डालते उत्सुक्तासे मुस्कुराते) क्या..? तब तुम दोनो वहा अकेले थे..? वहा ओर कोइ नही था..? फीर..?

नीलम : (सरमाकर हसते) नही मोम.. वहा सीर्फ हम दोनो अकेले ही थे.. (धिरेनकी बात छुपाकर थोडा जुठ बोलते) फीर.. मे बैडपे बैठ गइ.. तो वो भी मेरे पास आकर मुजसे सटकर बैठ गये.. फीर कुछ अजीब अजीब बाते करने लगे.. कहेने लगेकी साली भी आधी घरवाली होती हे.. वगैरे.. वगैरे.. ओर बाते करते करते मुजे यहा वहा छुने लगे.. मुजे तो बहुत सरम आ रही थी.. फीर छुते छुते वो मेरे साथ छेडखानी करने लगे..

रमा : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) सही तो कहा उसने.. सब लोग साली को आधी घरवाली ही मानते हे.. ताकी उनके साथ अ‍ैसी सरारत कर सके.. तुम भी उनकी आधी घरवाली हो.. क्या वो सीर्फ छेडते रहे..? ओर कुछ नही कीया..? हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) मोम.. आप भीनां.. अ‍ैसी बातोका कैसे मजा लेती हे.. कोइ दुसरी मां होती तो अ‍ैसी बातोसे अब तक तो आसमान हीला दीया होता..

रमा : (सरमाके हसते धीरेसे) अरे मे मां होकर थोडीना पुछ रही हु..? अब तो हम सहेलीया हे.. तो बताना उन्होने तेरे साथ कुछ कीयाथा क्या..?

नीलम : (सरमाते कातील नजरोसे मुस्कुराकर धीरेसे) हां मोम.. उन्होने क्या कुछ नही कीया..? मुजे छेडते छेडते उसने अचानक मेरे होठोपे कीस करली.. ओर अभी जो आपने कहा वोही करने लगे.. मे उनको रोक पाती उनसे पहेले ही वो मेरे दुधु मसलते दबाने लगे.. बारी बारी दोनो दुधुसे छेडखानी करने लगे.. तो मुजे तो कुछ अजीब होने लगा था.. वहा थोडा दर्द होने लगा.. तो मे बहुत गभरा गइ.. ओर उनको ये सब करनेके लीये मे मना करने लगी..
 
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dilavar

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रमा : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? लेकीन क्यु..? तुमने उनको ये सब करनेको मना क्यु कीया..? अच्छा ये बता.. फीर क्या हुआ..? फीर वो कुछ आगे बढे की नही.. हें..हें..हें..

नीलम : (सामने देखते) हां मोम.. तो फीर मे क्या करती..? मे उनको ये सब करनेको मना करने लगी.. तो उसने अपना पेन्ट खोलकर अपना वो नीकाल दीया.. पेनीस कहेते हे उसे.. जहासे मर्द सुसु करते हे.. बापरे कीतना बडा था.. (थदडा जुठ बोलते) मोम.. मे तो देखते ही गभरा गइ.. क्युकी मेरी जींदगीमे ये सब पहेली बार देख रही थी.. फीर उसने जबरखस्तीसे मेरा हाथ पकडकर उनपे रख दीया.. ओर मुजसे मुठीमे पकडाकर हीलवाकर सहेलवाने लगे..

रमा : (मनमे खुस होते उत्सुक्तासे) फीर..? अरी बताना.. क्या सीर्फ यही करवाया.. कुछ आगे बागे बढे की नही..?

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) हां मोम.. सहेलवाने लगे तो वो बहुत बडा ओर खडा हो गया.. ओर उपरकी ओर जटके मारने लगा.. बापरे कीतना सख्त होगया था.. ओर उन्होने मेरे साथ सेक्स करनेकी डीमांन्ड की.. तो मे रोने लगी.. ओर उनको ये सब करनेको मेने मना करदीया.. तो कहेने लगे.. देखले.. इनसे तेरी लता दीदीकी चीखे नीकलवता हु.. मुजे तो देखकर बहुत सरम आइ.. ओर मे रोने लगी.. तो उसने मुजे छोड दीया.. ताकी वहा कोइ हंगामा ना हो.. वो चाचा बहार ही बैठे थे.. ओर हम दोनो घर आगये..

रमा : (आस्चर्यसे धीरेसे) क्या.. वो तेरे साथ सेक्स करना चाहते थे..? तो कमीनी तुमने उसे मना क्यु कीया..? करने देती सब.. नीलु.. तुमने कीतना अच्छा मौका हाथसे जाने दिया.. हमारा काम कीतना आसान हो जाता.. कुछ देरकी तो बात थी.. चुदवा लेती उनसे..

नीलम : (आस्चर्यसे) मोम.. कही आप पागल तो नही होगइ..? तो क्या मे उसे सब करने देती..? अ‍ैसे कैसे चुदवा.. आइ मीन करने देती..? हंम..? तब कहा हमारी कोइ अ‍ैसी बात हुइ थी..? वो तो बादमे बात हुइ की हमे जीजुको फसाना हे.. वरना मे उनको सब करनेके लीये मना थोडीना करती..?

रमा : (थोडा अफसोस जताते) हंम.. हां नीलु.. ये भी सही हे.. नीलु हमे उनको कहा फसाना हे..? तुजे तो बाकायदा उनसे सादी करनी हे.. तेरे हाथमे कीतना अच्छा मौका था.. चुदवालेती उनसे.. हमे कहा पता चलता..? कास इस बारेमे पहेले हमारी बात हुइ होती.. तो आज तेरे जीजुके पीछे तुजे इतनी महेनत नही करनी पडती.. अब मे समजी.. सायद आज इसीलीये तेरे सामने देखते नही होगे.. लगता हे वो इसी वजहसे तुमसे नाराज होगे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. आप फीकर मत करो.. लखन जीजुको वसमे करना कोइ मुस्कील काम नही हे.. लगता हे वो इन सब चीजोके सौकीन हे.. बस.. अ‍ेक बार ओर हमे अकेलेमे मीलनेका मौका मीलने दीजीये.. वो जरुर मेरे साथ कोइना कोइ सरारत करेगे.. तब मे उनको नही रोकुंगी.. लेकीन मोम.. आपसे अ‍ेक बात पुछु..? अगर मे ये सब करुगी तो कही आपको बुरा तो नही लगेगा..?

रमा : (मुस्कुराते गाल चुमते) अरे मेरी बच्ची.. तेरे लखन जीजुके साथ तु कुछ भी कर.. मुजे कोइ बुरा नही लगेगा.. अब तो हम सहेलीया हे.. तुम मुजे कुछ भी पुछ सकती हो.. वो भी बीन्दास्त.. पुछो क्या पुछना चाहती हो..

नीलम : (सरमाते धीरेसे मुस्कुराते) मोम.. आज मे देख रही थी.. लखन जीजु.. मेरे बजाये आपके पीछे पडे हुअ‍े थे.. वो कुछ ज्यादा ही आपसे चीपक रहे थे.. ओर आप भी उनपे कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही थी.. तो.. क्या आप भी..? आइ मीन्स..? तो मे क्या समजु..?

रमा : (नीलमकी ओर अ‍ेक नजरसे देखते) नीलु.. क्या तुम अपनी मोम पे सक कर रही हो..?

नीलम : (धीरेसे जटसे) अरे नही नही.. मोम.. आप मुजे गलत समज रही हे.. मे आपपे सक नही कर रही.. मे तो मेरी सहेलीसे पुछ रही हु.. वहा जो मेने देखा वोही तो सीर्फ पुछ रही हु.. अगर अ‍ैसा हे तो भी मुजे कोइ प्रोबलेम नही हे.. मोम.. हमारा मक्सद तो उनकी जायदासे हे..

फीर चाहे वो मे हु.. या फीर आप.. हमे क्या फर्क पडता हे.. वैसे भी अब तो हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी राजदार ओर पकी सहेलीया होगइ हे.. इसीलीये मेने आपको पुछने की हिंमतकी.. वरना मे अ‍ैसी बात आपको कभी नही पुछती.. मोम.. अगर आपको बुरा लगा तो सोरी..

रमा : (जटसे) अरे नही नही.. मेरी बच्ची.. मुजे कोइ बुरा नही लगा.. नीलु.. तुम कीतनी समजदार हो गइ हो..? अब हम दोनो अ‍ेक दुसरेसे कुछ भी बात नही छीपायेगे.. मे तुमसे वादा करती हु.. क्युकी अब तेरे सीवा मेरा इस दुनीयामे हे भी कौन..? ओर तुम भी मुजसे वादा कर..

की तुम मुजसे कभी जुठ नही बोलोगी.. हमे जो भी बात करनी हे दोनो बीन्दास्त बात करेगे.. फीर वो चाहे कीसी भी टोपीक पे क्यु ना हो..? लेकीन हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी जींदगीमे कोइ दखल नही देगी.. आजसे हम दोनो अपनी जींदगी अपने तरीकेसे जीनेके लीये पुरी तराह आजाद हे..

नीलम : (मनमे खुस होते हग करते धीरेसे) ये..स.. मोम.. आइ लव यु.. आइ प्रोमीस.. आजसे मे आपसे कुछ भी बात नही छीपाउगी.. ओर कभी आपके सामने जुठ नही बोलुगी.. आपकी कसम.. मैने तो सीर्फ सब देखा इस लीये पुछ रही थी.. मोम.. मे सभी बाते आपके साथ सेर करुगी.. बस.. अब आप भी अपनी सभी बाते मेरे साथ सेर करना.. हम दोनो अपनी जींदगी अपने तरीकेसे जीयेगी.. मे वादा करती हु.. मे आपकी जींदगीमे कभी दखल नही दुगी.. ओर आप भी मेरी जींदगीमे कोइ दखल नही दीगी..

रमा : (सरमाते धीरेसे नीलमसे चीपकते) ठीक हे नीलु.. आइ प्रोमीस.. अब अ‍ैसा ही होगा.. तेरी सभी बाते सही हे.. आजसे मे भी तुमसे कुछ भी नही छीपाउगी.. लेकीन अभी नही.. अभी बहुत रात हो चुकी हे.. हम दोनो इस बारेमे कल फुरसतमे बात करेगे.. चल अब सोजा.. कल सादी मे भी जाना हे..

नीलम : (मुस्कुराते) येस मोम.. मोम.. आइ लव यु.. गुडनाइट..

रमा : (नीलमसे चीपकते मुस्कुराते) हंम.. लव यु टु बेटा.. गुड नाइट..

कहेते रमा ओर नीलम अ‍ेक दुसरोसे चीपककर सोने लगी.. तब रमा सोचमे डुब गइ.. क्युकी आज उनको नीलममे लखनके साथ आंख मीचोली खेलते पकडलीया था.. तब अ‍ेक पलके लीये तो रमाने नीलमको सब कुछ खुलकर बतानेका फैसला करलीया था.. क्युकी रमा भी लखनसे प्यार करने लगी थी.. ओर आने वाले वक्तमे वो भी लखनके साथ आगे बढना चाहती थी.. लेकीन इस बारेमे नीलमको अभी बताना उसे उचीत नही लगा..

कीसी दिन नीलम उसे लखनके साथ देख लेती तो उनको नीलमको कोइ सफाइ देनेकी जरुरत ना पडे.. लेकीन अभी वो इस बातको कुछ दिनके लीये नीलमसे छुपाना चाहती थी.. ओर वो अ‍ेक बार नीलमसे छुपकर लखनको मीलना चाहती थी.. रमा अ‍ैसा खतरनाक मंसुबा लेकर सोने लगी.. तब रमाको ये नही पता था की नीलम भी उनकी बेटी हे.. वो भी अपनी तरफसे दिमाग लगाकर अपनी मर्जीसे जीना चाहती थी..

वो भी धिरेनको लेकर अभी अंसमजमे थी.. वो भी अभी तक कोइ नीर्णय नही लेपा रही थी.. की धिरेनके साथ सादी करके जींदगी गुजारे या लखनके साथ..? लेकीन धिरेनकी बात छुपाकर अपनी जींदगी लखनके साथ खुलकर जीनेके लीये जो बात कही इसी बातसे नीलमके मनमे रमाका जो थोडा बहुत डर था.. वो भी खतम हो गया.. ओर इसी बातका नीलम फायदा उठाकर अपनी मन मरजी करना चाहती थी..
 

dilavar

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तब दुसरी ओर मंजु देवायतके नीचे लेटे उनसे चुदवाते आंख बंध करते नीलम रमाकी सब बाते सुन रही थी.. तो बाजुके रुममे भावनाके सो जानेके बाद पुनम भी नीलम ओर रमाके उपर ध्यान जमाये बैठी थी.. तो दोनोको रमा ओर नीलमकी बाते सुनकर गुस्सा आ रहा था.. तो इधर लखनके रुममे आज लखन ओर लता दोनोके रीस्तेमे दुरीया होने की सुरुआत हो चुकी थी..

यही तो हे रीस्तोमे बदलाव होने की सुरुआत.. अ‍ेक तरफ आज लखन लतासे थोडा दुर हो रहा था तब लता भी तो देवायतके नजदीक जा चुकी थी.. तो दुसरी ओर देवायतकी कुछ बीवीओके दिलमे भी लखनके प्रती सोफ्ट कोर्नर हो चुका था..जो अनायस ही लखनकी ओर ढलती जा रही थी.. अभी वो बाते सीर्फ मंजु ओर पुनम ही जानती थी.. की आने वाले वक्तमे रीस्तोमे कीतना उथल पाथल होने वाला था.. तभी लताके रुममे..

लखन : (लताके मुहपे हाथ रखते थोडा गभराते) लता.. क्या कर रही हे..? चुप होजा.. अ‍ैसे जोरसे कोइ चीलाता हे क्या..? तु पहेली बार थोडीना चुदवा रही हे..? इतना तो तुजे पहेली बार चोदा तब भी नही चीलाइ थी..

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लता : (छटपटाते आंसु बहाते) लखन.. प्लीज.. नीकालदो.. आपका बहुत बडा हे.. मे इसे नही जेल पाउगी.. प्लीज.. नही चुदवाना मुजे.. मेरी फट जायेगी.. नीचे बहुत जलन होती हे.. प्लीज.. मे आपसे हाथ जोडती हु..

लखन : (थोडा परेसान होते धीरेसे) लता..कहानां कुछ नही होगा.. आज तक कीसीकी फटी हे क्या..? ठीक हे.. मे अ‍ैसे ही रखता हु.. जब दर्द खतम होजाये तब कहेना.. बस..? वरना तु मुजसे कभी चुदवा नही पायेगी.. कभीनां कभी तो इसे अंदर लेना ही हे.. मे बहुत प्यारसे डालुगा..

लता : (दर्दसे मुह बीगाडते छटपटाते) नही लखन.. प्ली..ज.. नही चुदवाना मुजे.. आज छोड दीजीये मुजे.. मे आपको हाथ जोडती हु.. आपका बहुत बडा होगया हे.. मे इसे जेल नही पाउगी.. माफ करदो मुजे..

लखन : (थोडा गुस्सेसे) लता.. पागल हो गइ हे क्या..? अगर तुम मुजे प्यार नही करने दोगी तो मे कहा जाउगा..? अ‍ेक तो तीन दिनसे मेने चुदाइ नही की.. ओर उपरसे तेरे नखरे.. अ‍ैसा थोडीना चलेगा..?

लता : (आंसु बहाते रोते) लखन प्लीज.. नीकाल दीजीये.. मे कहा नखरे कर रही हु.. क्या मैने कभी आपको मना कीया हे..? कल मे सृतीभाभी या पुनोदीदीसे बात करलुगी.. फीर आप करना.. अ‍ैसा लगता हे आपने नीचे कोइ बडा डंडा घुसा दीया हे.. प्लीज.. मे आपसे हाथ जोडती हु.. देखो.. बहुत जलन होती हे..

लताकी हाथ जोडते मनत देखकर लखन बहुत नीरास होगया.. ओर उसने जटसे अपना लंड लताकी चुतसे नीकाल दीया.. तो लता दर्दके मारे दोनो पैर सीकुडकर करवट लेते आंसु बहाने लगी.. ओर लखन उनको देखता ही रहा.. तब लताकी हालत देखकर लखनकी आंख भी गीली होगइ.. आज उसे लताके उपर बहुत गुस्सा आ रहा था.. लेकीन लताकी हालत ओर उनकी मनत देखकर उनपे तरस भी खा रहा था..

लखन खडा होकर बाथरुममे चला गया.. उनका लंड भी फटा जा रहा था.. उसे अ‍ेक पल तो लगाकी वो अभी के अभी रजीयाको फोन करके अपने रुममे बुलाले.. ओर लताके सामने ही उनकी चुदाइ करले.. लेकीन अभी तक रजीयाके साथ रीलेशनके बारेमे लताको नही पता था.. तो लखन मन मारके अ‍ैसेही लंडको मुठीमे लेकर हीलाने लगा.. तब कुछ ही देरमे लखनके लंडसे पीचकारीया छुटने लगी.. जीसे देखकर लखन भी हेरान रेह गया..

क्युकी लखनके लंडसे इतना पानी कभी नही नीकला था.. तो लखन मन ही मन खुस होने लगा.. फीर फ्रेस होकर अपने आपको सही करके बाथरुमसे बहार नीकलकर लताकी ओर नजर डालते गुस्सेसे देखने लगा.. ओर बेडपे आकर लताकी बगलमे करवट लेकर सोने लगा.. तो लता अब भी आंसु बहा रही थी.. जैसे ही लखन आया.. लता लखनकी ओर मुडकर उनपे जुक गइ.. ओर लखनको मनानेकी कोसीस करने लगी..

लता : (आंसु बहाते) लखन प्लीज.. आप नाराज मत होना.. सीर्फ आजके दिनके लीये.. कल आपको मुजे जीतना चोदना हो चोद लीजीयेगा.. फीर चाहे कुछ भी होजाये.. मेरी जान ही क्यु ना नीकल जाये.. मे आपको कभी मना नही करुगी..

लखन : (सामने देखे बगैर) लता.. तुम सो जाओ यार.. मुजे तुमसे बात नही करनी.. अभी मेरा मुड खराब हे.. क्या बीवीया अ‍ैसी होती हे..?

लता : (रोते मनते करते) लखन.. प्लीज.. यार माफ करदो मुजे.. मुजसे गलती होगइ.. आप नाराज तो मत होइअ‍े.. आप मेरी तकलीफ तो देखते ही नही.. दैखो नीचे.. अभी भी खुन नीकल रहा हे.. में आपको अ‍ैसे ही मना नही कर रही थी.. अ‍ेक बार देख तो लो..

कहातो लखन चोंक गया.. ओर जटसे बेटपे बैठ गया.. तो लताकी ओर अ‍ेक नजरसे देखता रहा.. तो लता अब भी रो रही थी.. तो लखनने जटसे लताको बेडपे लीटा दीया.. ओर उनकी चुतको चेक करने लगा.. तो वाकइ लताकी चुतसे हल्कासा खुन नीकल रहा था.. ओर ये कोइ सामान्य बात नही थी.. तब लखन खुन देखकर बहुत गभरा गया.. ओर उसे लगने लगाकी उन्होने बहुत बडी गलती करदी हे..

लखन : (थोडा गभराते) लता आइ अ‍ेम सोरी.. मुजे तेरी बात मान लेनी चाहीये थी.. सोरी.. क्या बहुत जलन हो रही हे..? मे सृती भाभीको बुलालु..? हंम..? कहोतो पुनो दीदीसे तुम्हारी बात करवाता हु.. देखो बहुत खुन नीकल रहा हे..

लता : (मुह बीगाडते धीरेसे रोते) नही लखन.. सृती भाभी इस वक्त भाइके साथ होगी.. तो वहा वो दोनो भाभीया भी होगी.. तो वो सब क्या सोचेगी..? उल्टा आपको टाटेगी.. मुजे तो बहुत सरम आयेगी.. मत बुलाइअ‍े.. अभी खुन बंध होजायेगा..

लखन : (थोडा परेसान होते) अरे पागल हो क्या..? देखो ज्यादा खुन नीकल रहा हे.. तुजे कुछ नही होगा.. इसमे सरमानेकी क्या बात हे..? मे उनकी डांट खा लुंगा.. मे अभी तुमको कपडे पहेनाता हु.. फीर पुनो दीदीसे तेरी बात करवाता हु.. तुही उनसे बात करले..

लता : (अपने आंसु पोछते धीरेसे) क्या.. पुनो दीदीसे..? वो आपकी दीदी हे.. आपको सरम नही आयेगी..?

लखन : (कपडे पहेनाते मुस्कुराते) अरे इसमे सरम काहेकी.. ये सब उसीकी वजहसे तो हुआ हे.. ना वो मुजे जडी बुटी देती ओर ना ये सब होता.. ओर मत भुलो वो अब मेरी दीदी नही.. मेरी भाभी हे.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर मुस्कुराते) आप वाकइ बहुत कमीने हो.. अब आप भी अपने सब कपडे पहेन लीजीये.. ओर बहार चले जाइअ‍े.. वरना वो ओर आप दोनो सरमाओगे..
 

dilavar

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कहा तो दोनोही मुस्कुराने लगे.. लखन लताके सब कपडे पहेनाने लगा तो लता उनको प्यारसे मुस्कुराते देखती रही.. फीर लखनने भी अपने सब कपडे पहेनलीये.. फीर लखनने पुनमको फोन लगा दीया.. ओर लतासे उनकी बात करवादी.. तो लताने सरमाते सब बाते बतादी.. ओर लखनको बहार छतपे भेज दीया.. तो पुनमने फोन रखते ही सृतीको फोन लगा दीया.. तो वो भी देवायतसे दो बार चुदवाकर लेटी हुइ थी.. ओर इस वक्त देवायत मंजुके उपर लेटा हुआ था.. ओर दोनो बाते करते चुदाइमे मसगुल थे..

सृती : (धीरेसे) हां पुनो दीदी.. क्या हुआ..?

पुनम : (धीरेसे मुस्कुराते) भाभी.. प्लीज.. अपनी मेडीकलकी बेग लेकर आइअ‍ेना.. हमे लता भाभीके पास जाना पडेगा.. हमे जीस बातका अंदाजा था.. वोही हुआ हे.. उनको नीचे बहुत खुन नीकलने लगा हे..

सृती : (मुस्कुराते) हंम.. चलो मे अभी आती हु.. आप बहार आइअ‍े..

फीर कुछही देरके बाद सृती कपडे पहेनकर अपनी मेडीकलकी बेग लेकर बहार आगइ.. तो बहार पुनम उनके रुमके पास खडी होकर सृतीका इन्तजार कर रही थी.. तो सृतीको देखते ही मुस्कुराने लगी.. ओर दोनो उपरकी मंजीलपे चली गइ.. तब पुनमने दरवाजेपे नोक कीया तो लताने उसे आवाज देकर अंदर आनेको कहा.. तो दोनो अंदर चली गइ तब वहा लखन नही था.. क्युकी उनको लताने छतपे चले जानेको कहा ताकी उनको सर्मीन्दा ना होना पडे..

सृती : (मुस्कुराते) हां लता क्या हुआ.. कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

लता : (सर्मसार होते मुस्कुराते सारी उची करते) सोरी भाभी.. आपको डीस्टब्र कीया.. देखीयेना मुजे क्या हुआ.. बहुत खुन नीकलता हे..

सृती : (सारी उची करते देखते) लता.. तेरा पीरीयड होनेमे कीतने दिन बाकी हे..? हंम..?

लता : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. अभी तो दो दिन बाकी हे.. उनके बाद सुरु होगा.. भाभी.. मे तो उनका देखते ही डर गइ थी.. मे उनको कीतना मना कर रही थी.. तो नाराज होगये.. ओर देखीये.. क्या करदीया..

सृती : (टोर्चकी लाइट जलाकर गौरसे देखते) लता.. कीतना अंदर गया था..? हंम..?

लता : (सर्मसार होते धीरेसे) भाभी.. बस.. अभी थोडासा फसाया ही था.. ओर धीरेसे पुस कीया तो अ‍ैसा लगा.. ये फट गइ हे.. पुनो दीदी आपने उनको कौनसी जडीबुटी दी हे..? जो उनका इतना बडा होगया हे..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. मेने तो थोडी सी ही दी हे.. क्या बहुत बडा होगया हे..?

लता : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. बडा नही.. कीसी गध्धे जैसा होगया हे.. मुजे तो बहुत डर लग रहा हे.. पता नही आपको उनको ये सब देनेकी क्या आवस्यक्ता पड गइ..

पुनम : (लताकी ओर देखकर धीरेसे) भाभी.. इनको जडी बुटी देना जरुरी हो गया था.. तभी तो दी हे.. फीकर मत करो.. मे कल मंजुभाभीको पुछकर आपको सबकुछ बता दुगी..

सृती : (मुस्कुराते धीरेसे) लता.. गभराने वाली कोइ बात नही हे.. ये तेरा पीरीयड सुरु हो गया हे.. इसीलीये इतना खुन नीकल रहा हे.. बाकी कुछ भी नही हे.. कभी कभी पीरीयड नजदीक होता हे.. तब अ‍ैसा हो जाता हे.. ओर ये कहीसे फटी नही हे.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाके मुस्कुराते) भाभी.. आपको हसी आ रही हे.. बाबा मेरी तो जान ही नीकल गइ थी.. मेने उनको कीतनी मनते की तब जाके मुजे छोडा.. भाभी.. क्या इतना बडा अंदर जानेसे कुछ होगा तो नही..?

पुनम : (पास बैठते धीरेसे हसते) भाभी.. तुम खामखा डर रही हे.. इनमे कुछ नही होता.. बस पहेली बार थोडी तकलीफ होती हे.. (कानमे) भाभी.. बडे भाइका भी इतना ही बडा हे.. तब आप क्या करोगी..? देखो सृती भाभीको.. अभी अभी बडे भाइका अंदर लेकर ही आइ हे.. हें..हें..हें.. इनको कुछ हुआ क्या..? हें..हें..हें..

सृती : (सरमाकर हसते पुनमको मुका मारते) दीदी.. आप भी अपने भाइकी तराह बहुत कमीनी हो.. क्या आप नही लेती..? हंम..? अब तो लता को भी सब मालुम हे.. हें..हें..हें.. (लताकी ओर देखते) लता.. तुम गभराना नही इनमे कुछ भी नही होता.. बस.. तुम थोडासा डर गइ हो.. क्युकी तुमने इतना बडा देखा ओर अंदर लीया नही हेनां इसीलीये.. जब हम पहेली बार करते हेना उसी तराह अ‍ेक बार तकलीफ होगी.. फीर तो तुजे भी बडा लेनेकी आदत हो जायेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. सच कहु.. भाइका लेनेमे बहुत मजा आता हे.. सुन लता भाभी.. मुजे तुमसे कल बहुत सारी बात करनी हे.. जब सब लोग सादीमे बीजी होजाये तब तुम मेरे साथ चलना.. कल तुजे सबकुछ बता दुगी.. चल अभी तो हम दोनो नीकलते हे.. ओर वैसे भी अब तेरी पांच दिनकी तो छुटी होगइ.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाते हसते) हां.. बाबा मेतो बहुत डर गइ थी.. अच्छा कीया उसने आपको फोन करदीया..

पुनम : (हसते) भाभी.. वैसे कहा हे वो..? कही भगा दीया क्या..? हें..हें..हें..

लता : (सरमाते हसते) हां.. आपको सामने उनको बहुत सरम आ रही थी.. ओर मुजे भी नही आयेगी क्या..? हें..हें..हें..

सृती : (बेग लेते) हंम.. चल अब हम नीकलती हे.. तु बुलाले उसे.. यही बहार ही होगा.. हें..हें..हें..

कहेते दोनो ही हसते हुअ‍े बहार नीकल गइ.. तब लखन सीडीयोके पास ही खडा था.. तो पुनम सृतीको देखते ही सरमा गया.. तभी पुनमने उसे देखलीया.. जैसेही दोनोकी आंख मीली तो पुनम लखनकी ओर देखते हसने लगी.. तो लखन भी पुनमकी ओर आंख मारते बहुत ही सरमाते हसने लगा.. तो पुनम बहुतही सर्मसार होते सृतीके साथ धीरेसे बाते करते नीचेकी ओर जाने लगी..
 

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तभी पुनमने हाथ पीछे लेजाते अपने अनुठेसे लखनको थम्सअप वाली साइन दिखाइ.. ओर अ‍ेक बार पीछे मुडकर लखनकी ओर देखते आंख मारके हसने लगी.. तो सृतीने भी मुडकर लखनकी ओर देख लीया ओर वो भी हसने लगी.. तो लखन भी हसने लगा.. आज उसने हिंमत करते पुनमको आंख मारी तो पुनमने भी उसे आंख मारते जवाब दीया.. लखन पुनमका ये अन्दाज देखकर बहुत ही खुस ओर रोमांचीत होने लगा..
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ओर उनका लंड अ‍ेक बार फीर जटके मारते खडा होने लगा.. वो आज भी पुनमको इतना चाहता था जीतना स्कुलमे था तब चाहता था.. पुनम उनके सपनोकी रानी थी.. जो उनको आज भी पानेकी चाहत रखता था.. तो यही हाल पुनमका भी होने लगा.. वो भी लखनकी ओर ढलती ही जा रही थी.. सृती ओर पुनमका होने लगा.. दोनोको अ‍ेक बार फीर लखनके लंडको देखनेकी इच्छा होने लगी..

जबसे पुनमको पता चला की लखन भी उनको चाहता हे.. तबसे वो भी लखनकी ओर कुछ ज्यादा ही जुकती जा रही थी.. ओर आज लखनने दुसरी बार अपना प्यार जताते काफी बाते करली.. तो पुनमने भी लखनको आंख मारके जवाब दीया.. तब पुनमकी चुत अ‍ेक बार फीर फडफडाते पानीका रीसाव करने लगी.. पुनम लखनके बारेमे बाते करते नीचेकी ओर जा रही थी तब सृतीको भी पुनमकी बातोमे इन्ट्रेस होने लगा..

पुनम : (धीरेसे हसते) भाभी.. मुजे तो सक हे.. क्या वाकइ लखन भैयाका बडे भैयासे भी बहुत बडा होगया होगा..? हंम..? लताकी तो फाडके रखदी.. ओर उनका पीरीयड सुरु करवा दीया.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते धीरेसे) पुनोदी.. मुजे भी अ‍ैसा ही लग रहा हे.. अब तो कभी मौका मीला तो हमे लखन भैयाका देखना पडेगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाकर हसते) भाभी.. आपतो डोक्टर हो.. ओर लखन भैया आपको छोडने लेने भी आते हे.. तो कभी चेक करनेके बहाने देख लीजीयेनां.. फीर मुजे बताना.. की हमारे पती जीतना हे की नही.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) हां ये सही हे.. लेकीन देखुगी.. जब आप भी मेरे साथ होगी.. हें..हें..हें.. पुनोदी.. मे कुछ जुगाड करलुगी.. तब आप मेरी क्लीनीकमे कही छुप जाना.. ओर आप भी छुपकर देख लेना.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते हसते) भाभी आप ही देख लेना.. मुजे तो बहुत सरम आयेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (आंख मारके हसते धीरेसे) अरे..? इसमे सरमानेकी क्या बात हे.. हमारा देवरका ही तो हे.. वैसे भी वो आपको प्यार भी तो करते थे..

पुनम : भाभी.. करते थे नही.. वो आज भी मुजे इतना चाहते हे.. भाभी.. मे ना चाहते हुअ‍े भी उनकी ओर ढलती जा रही हु.. आज उसने फीरसे अपने प्यारका इजहार कीया.. पता नही मे उनको क्या जवाब दु..

सृती : (थोडी सीरीयस होते अ‍ेक नजरसे देखते) दीदी.. तो फीर आपको प्रोबलेम क्या हे..? करलीजीये उनका प्यार कबुल.. ओर वैसे भी अब इस घरमे तो बहुत कुछ बदलने वाला हे..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) भाभी.. मे कुछ नीर्णय नही लेपा रही हु.. हम इस बारेमे कल बाते करेगे.. कल मुजे लताभाभीको भी सबकुछ बताना पडेगा.. क्युकी तब वो भी तो भावना भाभीकी तराह हमारे साथ होगी.. तो उनको भी विस्वासमे लेना जरुरी हे..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी. तो फीर उसे सबकुछ बता दोनां.. क्यु उनसे छुपाते हो..? उनको भी तो पता चले.. की ये दोनो कमीनीओका क्या प्लान हे..

पुनम : भाभी.. बताउगी.. लेकीन अभी नही.. क्युकी इनमे मंजु भाभीकी रजामंदी चाहीये.. अगर वो हां कहेती हे.. तो कल उसे सब कुछ बता दुगी..

दोनो लखन की बाते करते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करते अपने अपने रुममे चली गइ.. तब लखन वापस अपने रुमकी ओर आने लगा.. तभी उनका ध्यान रमा ओर नीलमके रुमकी ओर गया.. तो लखन अ‍ेकदम रुक गया.. ओर धीरेसे उल्टे पांव चलके खीडकीसे अंदर जाकने लगा.. तो नीलम ओर रमा दोनो ही मां बेटी अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे चीपकर सो रही थी.. तब लखनको भी थोडा अजीब लगा..

क्युकी रमाका ब्लाउस खुला था.. ओर उनके दोनो भरावदार बुब्स बहार थे.. ओर नीलमका अ‍ेक हाथ अभी भी रमाके बुब्सपे था.. तो लखन समज गयाकी दोनो मां बेटीके बीच लेस्बीयन रीस्ता हे.. जीसे देखकर लखन बहुत खुस हो गया.. क्युकी अब वो मां बेटी दोनोके साथ अ‍ेक ही बीस्तरमे अ‍ेक साथ सेक्स कर सकता हे.. यही सब सोचते वो मनमे खुस होते मुस्कुराने लगा.. ओर वो अपने रुममे आगया..
 

dilavar

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तब रुममे लता नही थी.. उनका पीरीयड सुरु हो गया था.. तो वो सेनेटरी पेड लेकर बाथरुममे अपने आपको सही करनेके लीये गइ थी.. तब कुछ ही देरके बाद वो बहार नीकली तो लखन बेडपे बैठकर लताका इन्तजार कर रहा था.. तो लता उनके पास आकर बैठ गइ.. ओर बैठे ही लखनको अपनी बाहोमे भरते मुस्कुराने लगी.. तो लखनने भी लताको मुस्कुराते देखकर राहतकी सांस ली.. ओर खुद भी मुस्कुराने लगा..

लता : (सरमाते धीरेसे) जानु.. अभी अभी भाभी ओर दीदी चेक करके गइ.. मुजे कुछ भी नही हुआ हे.. आपका इतना बडा हथीयार अंदर जानेकी वजहसे मेरा पीरीयड सुरु हो गया हे.. बाकी कुछ नही.. लखन.. आइ अ‍ेम सोरी.. क्या आपको बुरा लगा.. हंम..?

लखन : (मुस्कुराते बाहोमे भीचते) अरे नही लता.. तुम रो रही थी तो मे भी गभरा गया था.. ओर उपरसे खुन देखकर ओर गभरा गया.. थेन्क गोड तुजे कुछ नही हुआ.. सीर्फ पीरीयड ही आया हे..

लता : (सरमाते हसते) जानु.. आप बुरा मत मानना.. मेरा पीरीयड सुरु हो गया हे.. अब हम पांच दिनके बाद फीरसे करेगे.. अब मे आपको कभी मना नही करुगी.. जाहे मेरी जान भी क्यु नीकल जाये..

लखन : (मुस्कुराते लताके होठोपे उंगली रखते) नही लता.. तुम जानकी बाते मत कर.. मे तुजे बहुत प्यार कता हु.. बस.. ये चार पांच दिनसे कुछ नही कीया तो कंट्रोल नही हो रहा था..

लता : (सरमाते धीरेसे) लखन.. मे आपकी तकलीफ समजती हु.. अगर आपको बुरा ना लगे.. तो मे आपसे अ‍ेक बात करना चाहती हु.. कही आपको बुरा तो नही लगेगानां..?

लखन : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. बता.. क्या बात करनी हे.. तेरा कभी बुरा नही लगता..

लता : (सरमाते धीरेसे) लखन.. अ‍ेक तो आपको मुना भाइने देसी दवाइका कोर्ष करवाया हे.. तो आप मुजे अ‍ैसे ही थका देते हो.. ओर उपरसे पुनो दीदीने आपको ये जडी बुटी दी.. तो आपका ये गध्धे जैसा होगया हे.. तो मुजे लगता हे अब मे आपको अकेली नही जेल पाउगी.. अगर आप चाहो तो दुसरी सादी कर सकते हो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

लखन : (अ‍ेक नजरसे देखते) लता.. कही तुम पागल तो नही होगइ..? हंम..? तुमने अ‍ैसा सोचा भी कैसे..?

लता : (जटसे) अरे नही नही.. आप मुजे गलत समज रहे हे.. बस.. मुजे अ‍ैसा लगा इसीलीये आपको बता दीया.. वैसे भी हमारे खानदानमे दो दो तीन तीन सादीया करनेका रीवाज होगया हे.. ओर बडे भाइने भी तो तीन तीन सादीया की हे.. पुनो दीदी केह रही थी उनको भी जडी बुटी दी हे.. उनका भी हथीयार आपके जैसा हे.. तो फीर आपको दुसरी सादी करनेके क्या दीकत हे..? करलीजीये दुसरी सादी..

लखन : (मुस्कुराते) क्या..? पुनो दीदीने खुद अ‍ैसा कहा..?

लता : (सरमाकर हसते) हां.. आपको पता तो हे उन्होने खुद भाइसे सादी करली हे.. ओर अभी भाइसे ही वो प्रेगनेन्ट हे.. वो केह रही थी अ‍ेक बीवी भाइको जेल नही सकती.. इसीलीये तो मंजुभाभीने उनकी दो दो सादीया करवादी हे.. ओर पुनो दीदी उनकी सीक्रेट बीवी हे वो अलग.. पता नही भाइकी अ‍ैसी कीतनी सीक्रेट बीवीया होगी.. तो फीर दुसरी सादी करनेमे आपको क्या दिकत हे..

लखन : (मुस्कुराते) लता.. बात तो तेरी सही हे.. लेकीन मेने दुसरी सादीया करली तो तुजे बुरा तो नही लगेगा..? फीर देखना.. मे सचमे सादी करलुगा..

लता : (मुस्कुराते) अरे बाबा मे सामनेसे तो केह रही हुनां..? तो फीर क्या प्रोबलेम हे..? वैसे भी आपके खानदानमे सब दुधके दुले हुअ‍े नही हे.. हें..हें..हें.. मुजेभी पता हे हमारी सादीसे पहेले आप भी कीसीना कीसीको ठोकते आये हो.. लखन.. अब मे अकेली सचमे आपको नही जेल पाउगी.. इसलीये केह रही हु.. की आप भी दुसरी सादी करलो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. अगर कीसी ओरपे आपका दिल आजाये तो आप उनसे सादी भी कर सकते हो.. बस.. मेरे हीसेका प्यार तो आप अ‍ैसेही देते हो..

लखन : (बेडपे सुलाते) तुम कीतनी कमीनी हो.. मेरी सारी कुंडली जानली.. क्या ये सब पुनोदीदीने बताया..? चल ठीक हे.. हम इस बारेमे आगे सोचेगे.. अभी सोजा बहुत रात हो चुकी हे..

लता : (सरमाते हसते) लखन.. क्या मे हाथसे हीलादु..? हंम..?

लखन : (मुस्कुराते) नही अब इनकी कोइ जरुरत नही.. चल सोजा..

कहातो लता लखनके सीनेपे सर रखके लेट गइ.. तो लखन इनके सरको सहेलाता रहा.. ओर गहेरी सोचमे डुब गया.. क्युकी लखनकी दुसरी सादीके बारेमे लताको आज तक पता नही था.. ओर उपरसे वो रजीया ओर राधीकासे भी गांधर्व सादी कर चुका था..ओर आज कल वो अपनी बहेन पुनमसे भी बहुत खुल चुका था.. ओर उनसे दो बार अपने प्यारका इजहार भी कर चुका था.. फीर भी पुनमकी ओरसे उनको कोइ खास रीस्पोन्स नही मीला..

तब वो थोडा नीरास होगया था.. लेकीन आज उनके साथ बाते करते ओर आंख मारनेकी घटनासे उसे अ‍ेक आशाकी किरण नजर आइ.. जीस तराह पुनमने भी उनको आंख मारके जवाब दीया तब लखनमे थोडी ओर हिंमत आगइ.. अब उसे घरकी सभी ओरतोमे कामदेवकी मुरत नजर आने लगी.. वो सृतीके साथ भी काफी खुल चुका था.. तब लखनने अ‍ेक बार फीर पुनम ओर सृतीके साथ आगे बढनेकी ठानली..

तब मंजु अब भी अ‍ैसे ही आंख बंध करते देवायतको अपनी बाहोमे भीचकर लेटी थी.. आज उनका पुरा ध्यान लखन सृती ओर पुनम लताकी बातोकी ओर था.. मंजु इस घरमे होने वाले बदलावको साफ देख रही थी.. इस बारेमे उसने पुनमको कुछ जीम्वेवारी भी सौंपी थी.. लेकीन उनको पता था की पुनम इस बारेमे लखनसे कभी बात नही कर पायेगी.. तब उसने लखनसे बात करनेका फैसला करलीया..

उसने देवायतके साथ मीलकर लीये फैसलेके बारेमे ओर इसके अलावा भी लखनको सबकुछ बतानेका फैसला करलीया.. तब देवायत भी अपना तगडा लंड मंजुकी चुतकी गहेराइओ मे उतारके उनके सीनेपे ढेर होकर पडा था.. आज मंजुने देवायतको तीन तीन बार नीचोड लीया था.. लेकीन उनकी चुत अब भी प्यासी थी.. तभी तो उसने अपनी चुतसे देवायतके लंडको नही नीकालने दिया.. ओर अ‍ैसे ही पुरी रात बीत गइ....

कन्टीन्यु
 
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