पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. लखन भैया बच्चा पैदा करनेमे सक्षम नही थे.. इसीलीये उसे जडी बुटी देनेका अेक कारण ये भी हे.. ओर ये तीन ओरत.. मे.. मंजुभाभी.. ओर हमारी लताभाभी.. यही हम तीन ओरत हे.. जो हमे सीर्फ बडे भाइही प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. बाकी कोइ ओर मर्द नही.. इसीलीये लताभाभीका भाइके साथ रीलेशनमे आना जरुरी हे.. वरना इनकी कोखसे वो रानी कैसे पैदा होगी..?
सृती : (हसते) दीदी.. अेक बात बताओ.. आप तीनोको सीर्फ देवु ही क्यु..? कोइ ओर मर्द क्यु प्रेगनेन्ट नही कर सकता..? येतो बडी इन्ट्रेस वाली बात हे.. हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. कल मेने भाइ भाभीकी पुरी बात सुनी थी.. भाभीका कहेना हे.. हम तीनोकी योनी.. संखीनी हे.. मतलब.. संखकी तराह.. जहा तक मे समजती हु.. हमारी योनी संखीनी हे तो कीसी ओर मर्दका सुक्राणु हमारे बच्चेदानी तक नही पहोच पाते होगे..
गोल गोल घुमकर आयेगे.. तो बीच रास्तेमे ही दम तोड देते होगे.. इसीलीये हम प्रेगनेन्ट नही हो सकती.. ओर भाइका पेनीसतो आपने देखाही हे.. कीतना लंबा ओर मोटा.. सीधाही हमारे बच्चेदानीसे टकराते हे.. देखा नही.. अेकही बारमे हमारी पुरी योनी भर देते हे..
सृती : (सरमाते धीरेसे) अरे हां.. कीतना पानी नीकालते हे.. दीदी.. अेक बात पुछु.. लखन भैयाको जडी बुटी दी हेतो.. उनका कीतना बडा होगा..? पेन्टमेतो बहुत बडा दीख रहा हे.. तो क्या हमारे पती जीतना..? तो क्या अब लखन भैया लताको प्रेगनेन्ट नही कर सकते..?
पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. लखन भैया जडीबुटी देनेसे पहेले बच्चा देनेमे सक्षम नही थे.. लेकीन अब वोभी बच्चा देनेमे सक्षम होजायेगे.. फीरभी वो लताको कभी प्रेगनेन्ट नही करपायेगे.. भाभी कहेती थी हमारी कोखमे सीर्फ हमारे पतीका अंस ही चाहीये.. हां.. अब वो बाकीकी जीतनी भी ओरत हे.. उन सबको प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. आप ध्यान रखना.. हें..हें..हें..
सृती : (सरमाते हसते मुका मारते) क्या दीदी.. आप भी मजाक कर रही हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. सच कहु..? आज बार बार मुजेतो यही दीख रहा हे.. पता नही क्यु.. मेरा मन उनको देखकर आज भटक गया था.. जब वो मेरी मस्तीया कर रहे थे.. तो मेने उसे पुछ भी लीया.. मुजे तो देवुसे भी बडा लग रहा हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. आपको तो सब पता चल जाता हे.. तो कहीयेना उनका कीतना बडा होगया हे.. हें..हें..हें..
पुनम : (सर्मसार होते हसते) अरे.. मुजे थोडीना पता हे.. उनका कीतना बडा हो गया हे..? मेने थोडीना देखा हे..? हें..हें..हें.. लेकीन भाभी.. भाइसे बडा नही होगा.. क्युकी भाइ कोइ सामान्य मानवी नही हे.. मानाकी लखन भैयाभी हमारे खानदानसे हे.. फीर भी सचतो लताभाभी ही बता सकती हे.. हें..हें..हें..
सृती : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. लता कैसे बता सकती हे..? उन्होने तो सीर्फ लखन भैयाका देखा होगा.. हमारे पतीका नही.. हें..हें..हें.. दीदी.. आपको तो बहुत कुछ ज्ञान हे.. हें..हें..हें.. पता नही हमारे दिमागमे सुबहसे यही चल रहा हे.. हें..हें..हें.. मुजे पता हे आपको सब मालुम हे.. आप बताना नही चाहती.. हें..हें..हें..
पुना : (सरमाते हसते) नही भाभी.. हमारी लताने हमारे पतीका हथीयार बहुत बार देखा हे.. जब भाइ सरलाभाभीको मीलने जाते थे.. तभी तो वो भाइकी ओर आकर्सीत हुइ हे.. दुसरा मेने लखनभैयाके दोस्तके बारेमे बताया.. की मुनाभाइ जो अभी उनकी बहेनके साथ सादी करके आया हे.. बरखा.. क्या जानती हो उसे..?
सृती : (हसते) अरे हां जानती हु उसे.. अेक दो बार हमारी वंदनाके साथ आइ थी.. दोनो भाइ बहेन सुधीरभाइ की क्लीनीकपे नोकरी करते हेनां..?
पुनम : (हसते) हां वोही.. मुना कुछ आयुर्वेदीक के बारेमे जानता हे.. क्युकी उन्होने उन्हीकी पढाइ की हे.. तो उन्होने अपने सभी दोस्तोको अेक आयुर्वेदीक गोलीका तीन दिनका कोर्स करवाया था.. तो लखन भैयाके सभी दोस्तोको थोडा बडा ओर मोटा होगया हे.. ओर सभी कमीनोकी स्टेमीना भी बढ गइ हे.. ओर उपरसे हमने लखन भैयाको ये जडी बुटी पीलाइ.. तो फीर अब आपही सोचो उनका कीतना बडा होगा.. हें..हें..हें.. इसीलीये हमे बडा लगता होगा..
सृती : (जोरोसे हसते) ओ.. बापरे.. लता गइ कामसे.. हें..हें..हें..
पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. सीर्फ लता ही नही.. यहा तो अब रीस्तेके मायने ही बदल जायेगे.. आने वाले वक्तमे हम दोनोको बहुत कुछ दिखनेको मीलेगा.. बस.. हमे तो हमारी लाइफ अेन्जोय करनी हे.. कौन कीसके साथ क्या कर रहा हे.. इनसे हमे कोइ मतलब नही रखना.. क्या हमारे घरमे सीर्फ मर्दको ही सभी तराह की छुट हे..? हम ओरतोको नही..? इसीलीये मंजुभाभीने भाइसे बहुत बाते करते हमारे लीये छुट लेली हे..
सृती : (हसते) दीदी.. ये सब सुनकर ही दिलमे गभराहट होने लगी हे.. हें..हें..हें.. अच्छा हे आपको ओर मंजुको भुतकाल का सब पता चल जाता हे.. आजतो पुरा दिन हमारे मनमे हमारा देवरही छाया रहा.. हें..हें..हें..
पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. सीर्फ आपकी नही.. मेरी भी वही हालत हे.. भाभी.. क्या मे आपसे अेक बात पुछु..? मुजे दिलसे सच बताना..
सृती : (हसते) अरे.. क्यु मुजे सर्मीन्दा कर रही हे.. बीन्दास्त पुछीये मे सही बोलुगी.. हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते धीरेसे मुस्कुराते) भाभी.. क्या आपको नही लगता हम दोनो लखन भैयाकी ओर जुकती जा रही हे..? क्युकी जबसे मेने उनको जडी बुटी दी हे तबसे उनके पेनीसको देखनेकी मेरी उत्सुक्ता बढ गइ हे.. क्या आपके साथ भी कुछ अैसा हो रहा हेनां..? भाभी.. सच बताना.. हें..हें..हें..
सृती : (सर्मसार होते नजर जुकाते धीरेसे) दीदी.. अब हमारा रीस्ता सीर्फ ननंद भाभीका.. या अेक दुसरेकी सौतन.. या फीर अेक सहेलीका नही रहा.. बल्की इनसे बढकर हमारा रीस्ता हो गया हे.. हम दोनोके दिल मील चुके हे.. तो मे आपसे कभी जुठ नही बोल पाउगी.. सायद दुसरा कोइ होतातो मे जुठ बोल देती..
पुनम : (हसते) तो फीर सच बताइअेनां..
सृती : (सर्मसार होते धीरेसे मुस्कुराते) दीदी.. आपकी तराह मे भी लखनभैयाकी ओर ढलती जा रही हु.. जब मेने उनकी खबर पुछी तब अेक बार तो लगा की मे उनको चेक करनेके बहाने क्लीनीकपे लेजाकर उनका पेनीस देखलु.. लेकीन मे इतनी हिंमत नही करपाइ.. आपने सच कहा.. मेरा भी उनका पेनीसको देखनेका मन कर रहा हे.. दीदी.. क्या आपको सब ज्ञात होजाता हेनां..? भुतकालके बारेमे भी पता चल जाता हेनां..?