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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८९

तो हलवाइ भी अपनी टीमको लेकर आचुका था.. ओर मीठाइआ बनानेकी तैयारीया कर रहा था.. तभी देवायत ओर भानुभी अपने खेतोसे सामत भाइके पास आकर बैठ गये.. तो कुछ देखके बाद पंचायतके दुसरे सदस्योके साथ रमेश भी आगया.. तो जया रमेशको देखते ही खुस होगइ.. ओर सब लोग सादीकी तैयारीयोका जायजा लेने लगे.. ओर लखनकी टीमको सुचनाये देते रहे.. कुल मीलाके सामतभाइका घर सादीका घर होगया.. तब सामत भाइ बहुत खुस होने लगे...अब आगे

इधर हवेलीपे मंजु विजयको दुध पीलाते चंदा नीर्मला भुमीका सरला सब बाते कर रही थी.. भावना पुनम वाले रुममे अपनी बच्चीको दुध पीला रही थी.. तब लता उनके पास बैठकर रमा ओर नीलुके बारेमे बात कर रही थी.. लताने नीलुके बारेमे भावनाको सब बता दीया.. जीसे सुनकर भावनाका गुस्साभी सातवे आसमानपे चला गया.. वैसे तो मंजुने भावनाको उन दोनोके बारेमे बहुत कुछ बता दीया था.. भावनाको वोभी सब पताथा जो लताको भी नही पता था..

तब पुनम ओर सृती.. दोनो ही मंजुको कहेकर रश्मीके घरकी ओर टहेलते चली गइ.. क्युकी इनको सबकी हाजरीकी वजहसे अकेलेमे बाते करनेका मौका नही मील रहा था..तब दोनोही बाते करते रश्मीके घरकी ओर जानेके बजाये हवेलीके पीछे अ‍ेक गार्डन था.. उन्हीकी ओर चलने लगी.. जहा पुनम पहेली बार धीरेनको अकेले मीली थी.. ओर दोनो धीरे धीरे चलते बाते करने लगी..

पुनम : (हसते चलते) हां भाभी.. अब बताइअ‍े.. लखन भैयाने क्या सरारतकी आपके साथ..? हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) अरे दीदी.. पुछो ही मत.. हमारे देवरतो बहुत ही कमीने हे.. आजतो उन्होने हद ही करदी.. मुजेतो बहुत सरम आइ.. पता हे क्या हुआ..? जब हम सब सोपींग कर रहे थे.. तब मे उनको बहार खडा रखकर मेरे अंडर गार्मेन्ट ले रही थी.. तो बहारसे ही मुजे इसीरोसे हां नां करते मेरे अंडर गार्मेन्ट सीलेक्ट करवाने लगे.. हें..हें..हें.. मुजेतो बहुत सरम आइ.. ओर उपरसे वो कमीनी सेल्सगर्ल इनको मेरा पती मानने लगी..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. जबसे उनको पता चला हेकी मे भी उनकी भाभी हु.. तबसे वो मेरी भी कुछ ज्यादा ही मस्तीया करने लगे हे.. ओर मेरे साथ तो अब फ्लर्ट भी करने लगे हे.. मुजेतो बहुत सरम आ रही थी.. क्या आपके साथभी कुछ अ‍ैसा हुआ हे..?

सृती : (सरमाते हसते) हां दीदी.. दो दिन पहेले जब मे ओर मंजु साथमे थे तब मेरी ओर मंजुकी.. दोनोकी मस्तीया कर रहेथे.. तब वो मस्तीया करते मेरे साथभी फल्र्ट करने लगे थे.. तो कमीनी मंजुभी हस रही थी.. ओर कलभी हम दोनो अकेले सहेर जा रहे थे.. तबभी मेरे साथ फ्लर्ट कर रहेथे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. पहेले भी मस्तीखोर थे.. लेकीन आज कल वो बहुतही कमीने होगये हे.. आपको पता हे..? जब हम दोनो होस्टेलमे थे तब वो मुजे प्यार करने लगे थे.. लेकीन अपने दिलकी बात मुजे कभी नही केह पाये.. ओर मे तब बडे भैयासे प्यार करती थी.. हांलाकी मंजुभाभीने मुजे शक्तीया दी तब मेने सब जान लीया था.. लेकीन ये बात मुजे कल उन्होने भी कही.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते साथ चलते) दीदी.. क्या बात कर रही हो..? क्या सचमे आपको लखनभैया चाहते थे..? तो फीर अपने प्यारका इजहार क्यु नही कर पाये..? ये तो बहुत बडबोले हे.. देखा नही हम सबकी कैसे मस्तीया करते हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) नही भाभी.. तब वो भलेकी मस्तीखोर थे.. लेकीन बहुतही सर्मीले भी थे.. ओर ये बात भी उनहोने मुजे कल ही बताइ.. की मे आपसे प्यार करता था.. कल मेरे साथ बहुत फ्लर्ट कर रहे थे.. कहेते थे अगले जन्मके लीये मेरी बुकींग करलो.. हें..हें..हें.. लेकीन भाभी.. मेने भी उनको सब बता दीया.. उनको क्या पता मेरी हर जन्मके लीये बुकींग हो चुकी हे.. हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) बेचारे.. आपने तो उनका दिल तोडदीया.. हें..हें..हें.. लेकीन दीदी.. उनकी कपडेकी चोइस बडी मस्त हे.. मेरे चारो सेट उन्होने ही सीलेक्ट करवाया.. कहेते थे अब आपके अंडरगार्मेन्ट मे लेकर आउगा आप अपनी साइज बतादो.. कैसे बेसर्मोकी तराह मेरी साइज मांगने लगे.. मुजे तो बहुत सरम आइ.. हें..हें..हें.. उनके साथ मस्ती करनेमे बहुत मजा आता हे.. क्या आपके कपडे भी वोही लेने जाते थेनां..?

पुनम : (सरमाते हसते) हां भाभी.. मेने घरपे जुठ बोला था.. मेरे सभी कपडे वोही लेकर आते थे.. भाभी.. अ‍ेक राजकी बात बताउ..? वो मेरे अंडर गार्मेन्ट भी लेकर आते थे.. हें..हें..हें.. मेरी साइज भी उनको पता हे.. हें..हें..हें.. ओर पता हे आपको..? मेरे होस्टलकी मालकीन जो वहाकी मेडम हे.. लखन भैयाको बहुत प्यार करती हे.. वो अ‍ेक त्यक्ता हे.. हम वहा पढते थे तबसे दोनोके बीच जीस्मानी ताकुलात हे.. ओर आज भी कायम हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सोक्ट होते जोरोसे हसते) क्या..? लेकीन मेनेतो उनको देखा हे.. क्या मस्त पटाका दीखती हे.. लेकीन लखन भैयासे कीतनी बडी उमरकी हे.. हें..हें..हें.. ओह.. गोड.. कमीनी ये आग भी अजीब चीज हे.. कोइ उमर नही देखती.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. जब भी वो दोनो उनके कमरेमे मीलते.. तो उनको मेरी हाजरीसे कोइ फर्क नही पडता था.. दोनो कमीने मुजे बहार चोकीदारकी तराह उनका ध्यान रखने खडी रखते.. ओर अंदर रुममे जाकर मजे करते.. हें..हें..हें.. भाभी.. अ‍ेक बात कहु..? प्लीज.. कीसीको कहेना नही.. लखन भैयाने कल ही उनके साथ गांधर्व सादी करली हे.. सीर्फ मुजे बताया.. अभी इस बारेमे कीसीको भी नही पता..

सृती : (हसते) क्या.. सादीभी करली..? लेकीन दीदी.. उनकी आपसे साथ पटती भी बहुत हे.. आपके साथ अपनी हर बाते सेर करते हे.. आफ्टरओल आपको प्यार जो करते थे.. हें..हें..हें.. तभी तो आप उनकी हर बाते जानती हे.. हें..हें..हें.. दीदी उनके बारेमे ओर बताइअ‍ेनां.. सुनकर बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..
 

dilavar

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पुनम : (हसते) भाभी.. वो बहुत ही अच्छे हे.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? जब हम दोनो स्कुलमे थे तब बडै भैया धिरेनका प्रस्ताव लेकर आये.. तब मुजे मालुम होता की लखन भैया मुजे चाहते हे.. तो मे धिरेनसे कभी सादी नही करती.. तब मेरी पहेली चोइस लखन भैया होते.. ओर मे उनसे सादी कर लेती.. कमसे कम लखन भैयासे सादी करके घरपे तो रहेती.. जहा मेरा पहेला प्यार बडे भैया हे..

सृती : (सरमाते हसते) दीदी.. कहेते हेना जो भी होता हे अच्छेके लीये होता हे.. अगर आप लखन भैयासे सादी कर लेती.. तो आप देवुसे कभी सादी नही करपाती..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. सही कहा आपने.. आज मे बडे भैयाकी अर्धागींनी हु.. भाभी.. जो भी हुआ अच्छा ही हुआ हे.. मेरी भी सुरुसे ही तम्मना थी.. की मेरा भी कोइ प्यारा देवर हो.. जो मे उनके साथ ढेर सारी मस्तीया करु.. ओर लखन भैयाने वो कमी पुरी करदी.. लेकीन फीर भी अ‍ेक अफसोस रहेगा.. की मे उनका प्यार कबुल नही करपाइ..

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सृती : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. यही गार्डनके अंदर बैठकर बात करते हे.. मुजे हमारे देवरके बारेमे आज सब कुछ जानना हे.. मंजुकी तराह आपको भी तो सब पता चल जाता हे.. तो बताइअ‍ेना लखन भैयाको अ‍ैसे अचानक जडी बुटी देनेकी क्या जरुरत पड गइ..? मुजे कुछ अंदाजा तो हे.. फीर भी मे आपके मुहसे सब सुनना चाहती हु.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. इसीलीये तो मे इस बारेमे आपके साथ बात करना चाहती थी.. भाभी.. कुछ बाते हे जो मे आज आपके साथ सेर करना चाहती हु.. क्युकी आने वाले वक्तमे सीर्फ हम चारोको ही इस हवेलीको सम्हालना हे.. हमारी रमा भाभी उनकी बेटी नीलुको जरीया बनाकर हमारे खीलाफ बहुत ही खतरनाक खेल खेल रही हे.. वो नीलुको लखनके प्यारमे फसाकर हमारी जायदादके लीये हमारे खीलाफ बहुत बडी साजीस कर रही हे..

सृती : (सोक्ट होते आस्चर्यसे देखते) क्या..? अरे हां दीदी.. इस बारेमे आपसे ओर मंजुसे बात हुइ थी.. क्या उन मां बेटीके लीये लखन भैयाको वो जडी बुटी दी हेनां..?

पुनम : (मुस्कुराते) नही भाभी.. बात सीर्फ उन मां बेटीकी नही हे.. लखन भैयाको जडी बुटी देना सीर्फ उन मा बेटीका ही रीजन नही हे.. साथमे कुछ ओर भी रीजन हे.. इसीलीये मे आपसे बात करना चाहती थी.. (अ‍ेक बेन्चपे बैठते) भाभी.. यहा बैठते हे..

सृती : (आस्चर्यसे देखते) दीदी.. मे कुछ समजी नही..? ओर रीजन हे मतलब..? कहीयेनां..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी मतलब.. पहेले लखन भैयाके बारेमे बतादु.. की लखन भैयाकी हमारी रजीयाके अलावा राधु मेडम भी बीवी होगइ हे.. ओर आने वाले वक्तमे दो तीन ओर होजायेगी.. ओर इसके अलावा उनका कइ ओरतोके साथ जीस्मानी रीस्ता होगा.. हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) दोनो भाइ कीतने कमीने ओर ठरकी हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. क्या वो इतनी बीवीओको सम्हाल पायेगे..? दिखनेमे लगते भी क्युट हे.. कीतना हेन्सम दिखते हे.. हें..हें..हें.. कोइ भी लडकी उनकी दिवानी होजायेगी.. हमारे पतीकी भी कीतनी बीवीया हे.. हें..हें..हें.. दोनो भाइकी तो बले बले हे.. हें..हें..हें..

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पुनम : (हसते) भाभी.. तभी तो उनको कल जडी बुटी देनी पडी.. हें..हें..हें.. बाकी इनके बारेमे मे अभी कुछ ज्यादा नही बता सकती.. भाभी.. मुजे तो बतानेमे भी सर्म आ रही हे.. सुबह सुबह लताभाभी आइ थी.. हमने जो लखनभैयाको जडी बुटी पीलाइ थी.. लगता हे हमारा काम होगया हे.. लखन भैयाके पेनीसमे बहुत बडा बदलाव आगया हे.. लता केह रहीथी उनका हथीयार जो था.. उनसे बडा ओर मोटा होगया हे.. तो वो डर रही थी.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) हां दीदी.. वो बात सुबह हुइ.. जबसे मुजे पता चला उनको जडी बुटी दे दीहे.. तबसे मेरी भी जाननेकी उत्सुक्ता बढ गइ हे.. की क्या होगा.. मेने भी आज सुबहसे कइ बार उनकी पेन्टमे देखा हे.. बहुत बडा उभार दीख रहा था.. (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. अ‍ेक बात कहु..?

आज मुजसे रहा नही गया.. तो मेने उनकी खबर पुछली.. कहेते थे अब कोइ दर्द नही हे.. ओर काम भी सहीसे हो गया हे.. वैसे भी जब बडा नही था तब भी लता कइ बार चीलाती थी.. तो अबतो बडा होगया हे.. तो लता डरेगी नही तो क्या करेगी बेचारी.. हें..हें..हें...

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. उनका दोस्त हेना वो मुना भैया.. उन्होने अपने सभी दोस्तोको वो स्टेमीना बढानेका आयुर्वेदीक दवाइका कोर्स करवाया हे.. इसीलीये तो लताभाभी चीलाती हे.. हें..हें..हें.. भाभी.. क्या आपने लखन भैयाको उनके पेनीसके बारेमे सीधा ही पुछलीया..? अब देखना.. आगे आगे क्या होता हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) हां पुनोदी.. ओर नही तो क्या.. आपको ओर मंजुकोतो सब पता चल जाता हे.. तो क्या आप मुजे बता सकती हे की आगे क्या होगा..? क्युकी हमारा देवर आदमी बडा दीलचस्प हे.. हें..हें..हें..

पुनम : भाभी.. कुछ बाते हे जो मे आपको अभी नही बता सकती.. हां.. बाकी सब बता सकती हु.. भाभी.. पहेली बात.. आने वाले दिन हमारे लीये बहुत ही सुहाने दिन होगे.. आपको तो सब पता हेकी हम सब कौन हे.. तो मंजुभाभी केह रही थी की अब हम सबकी उमर थम जायेगी.. जब हमारा पोता जन्म लेगा तब भी हम अ‍ैसेही जवान रहेगी.. बस.. तब उमरमे कुछ ज्यादा फर्क नही पडेगा.. हें..हें..हें..

सृती : (मनमे खुस होते हसते) दीदी.. क्या वाकइ अ‍ैसा होगा..? आजके जमानेमें सुननेमे कीतना अजीब लगता हे.. तो फीर हम सबके बारेमे भी कुछ बताइअ‍ेना.. मुजे सब जानना हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) हां भाभी.. बता तो दुगी.. लेकीन देखना कुछ बाते सुनकर वीचलीत मत होजाना.. क्युकी कुछ बाते अ‍ैसी हे जो आप अभीसे विचलीत हो सकती हे..

सृती : (सरमाते हसते) अरे दीदी.. मे वीचलीत नही हुगी.. अबतो अ‍ैसी बाते सुननेकी आदी हो गइ हु.. अब अ‍ैसी बाते सुनकर बहुत मजा आता हे.. बताइअ‍े तो सही..
 

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पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. मंजु भाभीने कहा हे.. आगे जाकर हमारे पती हमसे सेक्स करनेमे इतना सक्षम नही होगे.. जो हमे संतुस्ट कर सके.. इसीलीये मंजुभाभीने भाइसे सभी तराहकी छुट लेली हे.. हें..हें..हें..

सृती : (मुस्कुराते) सभी तराहकी छुट मतलब..? मे कुछ समजी नही.. जरा खुलकर बताइअ‍ेनां..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. छुटका मतलब.. अभी सीर्फ इतना समजलो.. भाभीने कहा हे हमारे घरकी सभी ओरते.. हमारे ही घरके कीसीभी मर्दके साथ सेक्स कर सकती हे.. बस.. ये सब दोनोकी सहमतीसे होना चाहीये.. तो लखन भैयाको जडीबुटी देनेका अ‍ेक येभी कारण हे.. क्युकी भाइकी भी बहुत सारी बीवीया होगइ हे.. तो वो सबको ठीकसे टाइम नही दे पायेगे..

सृती : (सरमाते आस्चर्यसे देखते) दीदी.. क्या केह रही हे आप..? इसका मतलब भी जानती हे आप..? मुजेतो सुनकर डर लग रहा हे.. मे आपके कहेनेका मतलब कुछ कुछ समज रही हु..

पुनम : (मुस्कुराते) देखा.. इसीलीये मे सब आपको बताना नही चाहती थी.. हां भाभी.. ये सच हे.. जो आप समज रही हे.. क्युकी मे ओर मंजु भाभी.. आनेवाले समयके बारेमे बहुत कुछ जानती हे.. तब इस घरमे रीस्तोकी कोइ अहेमीयत ही नही रहेगी..

इनमे मे ओर आपभी बाकात नही रहेगी.. सबकुछ होगा जो मेरे ओर आपके मनमे अभी चल रहा हे.. भाभी.. हमारी जींदगी सीर्फ हमारे पती तक ही सीमीत नही रहेगी.. हमारी जींदगीमे हमारे पतीके अलावा ओर मर्द भी हे.. जो सीर्फ हमारे घरके ही होगे..

सृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) पुनोदी.. क्या केह रही हे आप..? तो क्या हमे लखन भैयाके साथ भी.. म..त..ल..ब.., बताने भी सरम आ रही हे.. हें..हें..हें..

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पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) हां भाभी.. आप सही सोच रही हे.. लेकीन जबरदस्तीसे कुछभी नही होगा.. जोभी होगा अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे होगा.. भाभी.. अगर अ‍ैसी सीचुअ‍ेशन आइ.. तो आप अपने मनमे कोइ क्षोभ मत रखना.. ओर नाही कोइ गील्टी फील करना..

सीर्फ लखन भैया ही नही.. आगे जाकर हमारा वीजय.. फीर हमारा पोता.. जो स्वयंम आयेगा.. जीसके लीये ये सब बदलाव हो रहा हे.. तब हम ना चाहते हुअ‍े भी उनकी ओर आकर्सीत होजायेगी.. हम सब उनके साथ सेक्स करनेके लीये तरसेगी.. ओर यही सच हे..

सृती : (अपना सर पकडते) ओह गोड.. दीदी.. क्या तब ये सब वाकइ होगा..? क्या ये सब हमारे पतीको धोखा देना नही हे..? मुजेतो बहुत सरम आ रही हे.. ओर आपसे सब सुनकर मजाभी आ रहा हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. कोइ धोखा नही होगा.. क्युकी इन सब चीजोकी उन्होने मंजुभाभीको खुद परमीशन दी हे.. क्युकी वो खुद भी अ‍ैसे रीस्तोसे बंधने वाले हे.. वो भी तो वही सब कर रहे हे.. देखा नही.. इनकी कीतनी सीक्रेट बीवीया होगइ हे.. अब आपही सोचो.. क्या अ‍ेकही टाइममे सबको प्यार दे सकते हे..?

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. बाततो आपकी सही हे.. लेकीन फीरभी दिलमे अ‍ेक क्षोभ होता हे.. ओर अभी आपने कहाकी वो अ‍ेसे रीस्तोमे आने वाले हे.. मतलब..? दीदी.. आज सब खुलकर बता ही दीजीये..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. अभी सबकुछ तो आपको नही बता पाउगी.. लेकीन इतना जानलो हमारे घरकी ओरते जवान होगी.. मर्द नही.. अ‍ेक दिन अ‍ैसा आयेगा तब हमारा पीती भी सेक्स करनेके सक्षम नही रहेगे ओर हमारा देवर लखन ओर विजय भी.. तब हम सब क्या करेगी..? सीर्फ हमारे स्वामी ही जवान होगे ओर वो ही जवान रहेगे.. बाकी सब मे समय समयपे आपको बताती रहुगी.. अ‍ेक सीक्रेट ओर आपको बताती हु.. हमारी लताके बारेमे..

सृती : (मुस्कुराते) हां दीदी.. इनका थोडा बहुत पता हे.. मेरी सादीसे पहेले इस बारेमे मंजुके साथ अ‍ेक बार बात हुइ थी.. की आने वाले वक्तमे वोभी हमारी सौतन होजायेगी.. क्या यहीनां..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. लेकीन ये आधा सच हे.. सीर्फ इतना ही नही.. सुनो.. लता सुरुसेही हमारे पतीसे प्यार करती थी.. वो सादीसे पहेले हमारे पतीसे फीजीकल रीलेशन रखना चाहती थी.. लेकीन भाइने उनपे कुछ ज्यादा ध्यान नही दीया.. ओर वो भी लखन भैयाकी तराह अपने दिलकी बात भाइसे नही केह पाइ.. वो यहा सीर्फ भाइके लीये ही आइ हे.. ओर आपको तो सब पता हे की वोभी हमारी बहेन हे..

सृती : (हसते) हां दीदी मेरी सादीसे पहेले अ‍ेक बार मंजुसे इस बारेमे बात हुइ थी.. तब उसने कहाथा की हमारे बापु ओर रसला चाचीके बीच रीलेशन थे.. भानुभाइ भी इनकी ही संतान हेनां..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. ये सच हे.. लताभाभी आजभी भाइको उतनाही प्यार करती हे जीतना पहेले करती थी.. ओर भाभी.. कुछ दिन पहेले वो अपने प्यारका इजहार भी भाइसे कर चुकी हे.. अब वो वक्त दुर नही जब भाइके साथ उनका फीजीकल रीलेशन हो जायेगा.. वो हमारे लखन भैयाकी पत्नी होनेके बावजुद भी भैयाके साथ रीलेशन बनायेगी.. ओर आने वाले वक्तमे उनका बच्चा भी पैदा करेगी..

सृती : (आस्चर्यसे) ओह.. गोड.. दीदी.. क्या केह रही हे आप..? क्या ये गलत नही हे..? छोटेभाइ भाइकी बीवीके साथ..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) हां भाभी.. वैसे तो समाजकी द्नष्टीसे ये सब गलत हे.. लेकीन हमारे लीये ये गलत नही हे.. क्युकी मत भुलो हम सब वास्तवमे कौन हे.. वरना उस राजाकी चहीती रानी कहासे जन्म लेगी..? उसी राजाके लीये तो ये सब हो रहा हे.. वरना सोचो कोइ राजवी परीवारके घरमे अ‍ैसे रीस्ते होते हे..?

इसीलीये पीछली तीन पीढीसे सब आपसी रीस्तोमे ही सादीया करते आये हे.. भाभी.. वैसे भी लखन भैया कभी लताको प्रेगनेन्ट नही कर सकते.. क्युकी हमारे खानदानमे सीर्फ तीन ओरत अ‍ैसी हे जीनको सीर्फ हमारे पती ही प्रेगनेन्ट कर सकते हे..

सृती : (थोडी सीरीयस होते) दीदी.. लखन भैया प्रेगनेन्ट नही कर सकते मतलब..? मे कुछ समजी नही.. ओर सीर्फ तीन ओरत..? कौन हे वो तीन ओरत..?
 

dilavar

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पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. लखन भैया बच्चा पैदा करनेमे सक्षम नही थे.. इसीलीये उसे जडी बुटी देनेका अ‍ेक कारण ये भी हे.. ओर ये तीन ओरत.. मे.. मंजुभाभी.. ओर हमारी लताभाभी.. यही हम तीन ओरत हे.. जो हमे सीर्फ बडे भाइही प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. बाकी कोइ ओर मर्द नही.. इसीलीये लताभाभीका भाइके साथ रीलेशनमे आना जरुरी हे.. वरना इनकी कोखसे वो रानी कैसे पैदा होगी..?

सृती : (हसते) दीदी.. अ‍ेक बात बताओ.. आप तीनोको सीर्फ देवु ही क्यु..? कोइ ओर मर्द क्यु प्रेगनेन्ट नही कर सकता..? येतो बडी इन्ट्रेस वाली बात हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. कल मेने भाइ भाभीकी पुरी बात सुनी थी.. भाभीका कहेना हे.. हम तीनोकी योनी.. संखीनी हे.. मतलब.. संखकी तराह.. जहा तक मे समजती हु.. हमारी योनी संखीनी हे तो कीसी ओर मर्दका सुक्राणु हमारे बच्चेदानी तक नही पहोच पाते होगे..

गोल गोल घुमकर आयेगे.. तो बीच रास्तेमे ही दम तोड देते होगे.. इसीलीये हम प्रेगनेन्ट नही हो सकती.. ओर भाइका पेनीसतो आपने देखाही हे.. कीतना लंबा ओर मोटा.. सीधाही हमारे बच्चेदानीसे टकराते हे.. देखा नही.. अ‍ेकही बारमे हमारी पुरी योनी भर देते हे..

सृती : (सरमाते धीरेसे) अरे हां.. कीतना पानी नीकालते हे.. दीदी.. अ‍ेक बात पुछु.. लखन भैयाको जडी बुटी दी हेतो.. उनका कीतना बडा होगा..? पेन्टमेतो बहुत बडा दीख रहा हे.. तो क्या हमारे पती जीतना..? तो क्या अब लखन भैया लताको प्रेगनेन्ट नही कर सकते..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. लखन भैया जडीबुटी देनेसे पहेले बच्चा देनेमे सक्षम नही थे.. लेकीन अब वोभी बच्चा देनेमे सक्षम होजायेगे.. फीरभी वो लताको कभी प्रेगनेन्ट नही करपायेगे.. भाभी कहेती थी हमारी कोखमे सीर्फ हमारे पतीका अंस ही चाहीये.. हां.. अब वो बाकीकी जीतनी भी ओरत हे.. उन सबको प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. आप ध्यान रखना.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते मुका मारते) क्या दीदी.. आप भी मजाक कर रही हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. सच कहु..? आज बार बार मुजेतो यही दीख रहा हे.. पता नही क्यु.. मेरा मन उनको देखकर आज भटक गया था.. जब वो मेरी मस्तीया कर रहे थे.. तो मेने उसे पुछ भी लीया.. मुजे तो देवुसे भी बडा लग रहा हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. आपको तो सब पता चल जाता हे.. तो कहीयेना उनका कीतना बडा होगया हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते हसते) अरे.. मुजे थोडीना पता हे.. उनका कीतना बडा हो गया हे..? मेने थोडीना देखा हे..? हें..हें..हें.. लेकीन भाभी.. भाइसे बडा नही होगा.. क्युकी भाइ कोइ सामान्य मानवी नही हे.. मानाकी लखन भैयाभी हमारे खानदानसे हे.. फीर भी सचतो लताभाभी ही बता सकती हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. लता कैसे बता सकती हे..? उन्होने तो सीर्फ लखन भैयाका देखा होगा.. हमारे पतीका नही.. हें..हें..हें.. दीदी.. आपको तो बहुत कुछ ज्ञान हे.. हें..हें..हें.. पता नही हमारे दिमागमे सुबहसे यही चल रहा हे.. हें..हें..हें.. मुजे पता हे आपको सब मालुम हे.. आप बताना नही चाहती.. हें..हें..हें..

पुना : (सरमाते हसते) नही भाभी.. हमारी लताने हमारे पतीका हथीयार बहुत बार देखा हे.. जब भाइ सरलाभाभीको मीलने जाते थे.. तभी तो वो भाइकी ओर आकर्सीत हुइ हे.. दुसरा मेने लखनभैयाके दोस्तके बारेमे बताया.. की मुनाभाइ जो अभी उनकी बहेनके साथ सादी करके आया हे.. बरखा.. क्या जानती हो उसे..?

सृती : (हसते) अरे हां जानती हु उसे.. अ‍ेक दो बार हमारी वंदनाके साथ आइ थी.. दोनो भाइ बहेन सुधीरभाइ की क्लीनीकपे नोकरी करते हेनां..?

पुनम : (हसते) हां वोही.. मुना कुछ आयुर्वेदीक के बारेमे जानता हे.. क्युकी उन्होने उन्हीकी पढाइ की हे.. तो उन्होने अपने सभी दोस्तोको अ‍ेक आयुर्वेदीक गोलीका तीन दिनका कोर्स करवाया था.. तो लखन भैयाके सभी दोस्तोको थोडा बडा ओर मोटा होगया हे.. ओर सभी कमीनोकी स्टेमीना भी बढ गइ हे.. ओर उपरसे हमने लखन भैयाको ये जडी बुटी पीलाइ.. तो फीर अब आपही सोचो उनका कीतना बडा होगा.. हें..हें..हें.. इसीलीये हमे बडा लगता होगा..

सृती : (जोरोसे हसते) ओ.. बापरे.. लता गइ कामसे.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. सीर्फ लता ही नही.. यहा तो अब रीस्तेके मायने ही बदल जायेगे.. आने वाले वक्तमे हम दोनोको बहुत कुछ दिखनेको मीलेगा.. बस.. हमे तो हमारी लाइफ अ‍ेन्जोय करनी हे.. कौन कीसके साथ क्या कर रहा हे.. इनसे हमे कोइ मतलब नही रखना.. क्या हमारे घरमे सीर्फ मर्दको ही सभी तराह की छुट हे..? हम ओरतोको नही..? इसीलीये मंजुभाभीने भाइसे बहुत बाते करते हमारे लीये छुट लेली हे..

सृती : (हसते) दीदी.. ये सब सुनकर ही दिलमे गभराहट होने लगी हे.. हें..हें..हें.. अच्छा हे आपको ओर मंजुको भुतकाल का सब पता चल जाता हे.. आजतो पुरा दिन हमारे मनमे हमारा देवरही छाया रहा.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. सीर्फ आपकी नही.. मेरी भी वही हालत हे.. भाभी.. क्या मे आपसे अ‍ेक बात पुछु..? मुजे दिलसे सच बताना..

सृती : (हसते) अरे.. क्यु मुजे सर्मीन्दा कर रही हे.. बीन्दास्त पुछीये मे सही बोलुगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे मुस्कुराते) भाभी.. क्या आपको नही लगता हम दोनो लखन भैयाकी ओर जुकती जा रही हे..? क्युकी जबसे मेने उनको जडी बुटी दी हे तबसे उनके पेनीसको देखनेकी मेरी उत्सुक्ता बढ गइ हे.. क्या आपके साथ भी कुछ अ‍ैसा हो रहा हेनां..? भाभी.. सच बताना.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते नजर जुकाते धीरेसे) दीदी.. अब हमारा रीस्ता सीर्फ ननंद भाभीका.. या अ‍ेक दुसरेकी सौतन.. या फीर अ‍ेक सहेलीका नही रहा.. बल्की इनसे बढकर हमारा रीस्ता हो गया हे.. हम दोनोके दिल मील चुके हे.. तो मे आपसे कभी जुठ नही बोल पाउगी.. सायद दुसरा कोइ होतातो मे जुठ बोल देती..

पुनम : (हसते) तो फीर सच बताइअ‍ेनां..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे मुस्कुराते) दीदी.. आपकी तराह मे भी लखनभैयाकी ओर ढलती जा रही हु.. जब मेने उनकी खबर पुछी तब अ‍ेक बार तो लगा की मे उनको चेक करनेके बहाने क्लीनीकपे लेजाकर उनका पेनीस देखलु.. लेकीन मे इतनी हिंमत नही करपाइ.. आपने सच कहा.. मेरा भी उनका पेनीसको देखनेका मन कर रहा हे.. दीदी.. क्या आपको सब ज्ञात होजाता हेनां..? भुतकालके बारेमे भी पता चल जाता हेनां..?
 

dilavar

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पुनम : (सरमाते हसते) हंम.. सीर्फ भुतकाल नही.. सब पता चल जाता हे.. ये सब मंजुभाभीकी महेरबानी हे.. हें..हें..हें.. भाभी.. अ‍ेक बात कहु..? आपको ओर मुजे लखन भैयाके पेनीसको देखनेकी बहुत इच्छा हेनां..? बस.. थोडा सब्र किजीये.. हम दोनोकी ये इच्छा भी बहुत जल्द पुरी होजायेगी.. मेतो यही सब जानकर बहुत ही रोमांचीत फील कर रही हु..

सृती : (सरमाकर हसते धीरेसे) दीदी.. हाल तो मेरा भी वही हे.. जबतक वो हमारे साथ स्लर्ट करते थे.. तबतक तो सब ठीक था.. लेकीन जब आज उसने मुजे मेरे अंडरगार्मेन्टकी खरीदी करवाइ.. ओर मेरा साइज पुछा तबतो मे सरमके मारे पानी पानी हो गइ थी.. ओर सच कहु.. तो तबसे मेरे दिलमे हलचल मच गइ हे.. पता नही आज बार बार उनका ही खयाल आता हे..

पुनम : (खडी होते) भाभी.. चलीये हम वंदु ओर रश्मी भाभीको मीलकर आते हे.. तब डीनरका वक्तभी होजायेगा.. आजतो आपकी तराह मेरे मनमे भी पुरा दिन लखन भैयाही छाये हे.. हें..हें..हें.. हमारा क्युट ओर प्यारा देवर.. हें..हें..हें.. भाभी.. मेरी भी तम्मना थी.. की मेराभी कोइ प्यारा देवर हो.. जो मे उनके साथ ढेर सारी मस्तीया करु.. वो मेरे साथ फल्र्ट करे.. ओर लखन भैयाने वो कमी पुरी करदी..

सृती : (खडी होकर साथ चलते) पुनोदी.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? बुरातो नही लगेगा..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. अभी आपही ने कहानां की अब हम दोनो दिलसे जुड गइ हे.. तो फीर आपसे क्या बुरा लगेगा.. हम दोनोको तो आगे जाकर बहुत कुछ सम्हालना ओर देखना हे.. तब हमारे साथ लता ओर भावना भाभी भी होगी.. तो फीर हमारे बीच अब क्या पर्दा.. पुछीये क्या पुछना हे..

सृती : (मुस्कुराते साथ चलते) दीदी.. मे कबसे नोटीस कर रही हु.. जबभी आप लखन भैयाकी बात करती हे.. आप बहुत सरमा जाती हे तब आपके गालपे लाली छाजाती हे.. क्या लखन भैया अब भी आपको प्यार करते हे..? ओर आप..?

पुनम : (आंख गीली करते) भाभी.. मे आपसे जुठ नही बोलुगी.. हां.. वो आजभी मुजे इतना चाहते हे.. लेकीन मुजे ना पानेकी वजहसे अंदरसे बहुत दुखी हे.. (रोते आंसु बहाते) भाभी.. वो सबको हसाते उपरसे खुस होनेका नाटक कर रहे हे.. ओर रही बात मेरी.. तो मेरी चाहत हमेसा बडे भैया थे.. लेकीन जबसे लखन भैयाने मुजे कहा की मे आपको प्यार करता था.. तबसे मेरे दिलमे कही चेइन नही मील रहा.. अ‍ैसा लगता हे मेने उनका दिल तोड दीया हे.. अब आपही बताओ मे क्या करु..?

सृती : (मुस्कुराते हग करते) दीदी.. सायद इसे ही प्यार कहेते हे.. लगता हे आपको भी लखन भैयासे प्यार हो गया हे..

पुनम : (हाथोमे चहेरा छुपाकर रोते) भाभी.. सायद आप सच केह रही हे.. लेकीन मे बडे भैयाको बहुत प्यार करती हु.. उनको धोखा देना मुजे अच्छा नही लगता..

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सृती : (बाहोमे थामते) दीदी.. अ‍ेक बात कहु.. इम्पोर्टन्स ये नही हम कीसको प्यार करते हे.. क्या पता सामने वाला हमे चाहता हे की नही.. इम्पोर्टन्स ये हे की हमे कौन चाहता हे.. कमसे कम हमे ये तो पता चलता हेकी वो हमे बहुत प्यार देगा.. ओर जब बात अगर दिलकी होती हेना.. तो कमीना ये दिल बहुत दर्द देता हे.. आज यही हाल आपका हे.. मेरे खयालसे आपको लखन भैयाका प्यार कबुल करलेना चाहीये..

जब सृतीकी बात सुनकर पुनम रोने लगी.. तो सृतीने उसे अपनी बाहोमे कस लीया.. तो पुनम उनके कंधेपे सर रखते जोरोसे रोने लगी.. तब सृती उनकी पीठ सहेलाती रही.. ओर अ‍ेक पलके लीये तो उनकी आंख भी गीली होगइ.. तब सृतीने पुनमको खुदसे अलग कीया.. ओर अपने रुमालसे पुनमके आंसुओको पोछने लगी.. तब पुनम बडी मुस्कीलसे सरमाकर मुस्कुराइ.. ओर दोनो रश्मीके घरकी ओर जाने लगी..

पुनम : (अपने आंसु पोछते) भाभी.. मेरी तो कुछ समजमे नही आ रहा.. की मे क्या करु..

सृती : दीदी.. कभी कभी जींदगी हमे अ‍ैसे मोडपे लाकर खडा कर देती हे.. हमे नीर्णय लेना मुस्कील होजाता हे.. क्या यही जींदगी हे..? ओर बात अगर दिलकी हे.. तो बहुत दर्द होता हे.. मेभी इस दर्दसे गुजरी हु.. मेरी मंजु कीतनी खुली सोच वाली ओर विसाल हृदयकी हे.. जब वो हमारे देवुसे प्यार करती थी..

तब ही वो मेरे साथ देवुको सेर करना चाहती थी.. लेकन मे उनकी बात कभी समज नही पाइ.. ओर पीछेसे मे देवुके लीये बहुत तडपी हु.. मे देवुसे प्यार करने लगी थी.. यही हाल आज लखन भैयाका होगा.. मे आपकी ओर लखन भैयाकी फीलीग्सको महेसुस कर सकती हु..

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) भाभी.. कास.. तब लखन भैयाने थोडी हिमत करली होती.. ओर अपने दिलकी बात बतादी होती.. तो आज सायद मे धिरेनके बजाये लखन भैयाकी बीवी होती.. तो सायद इसी घरमे रहेकर मे दोनो भाइके प्यारको पा सकती थी.. (धीरेसे) भाभी.. मे उनको दुखी होते नही देख सकती.. ओर उपरसे भाइको भी मे बहुत चाहती हु.. लखन भैयाने अपने प्यारकी बाते करके मुजे बडी दुवीधामे डालदी हे.. अब आपही कहो मे क्या करु..?
 
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सृती : (मुस्कुराते सामने देखते धीरेसे) दीदी.. अ‍ेक बात कहु..? हमारे देवुका हम सबके अलावा कीतनी ओरतोके साथ रीलेशन हे.. क्या वो उनके साथ रीलेशन बनानेसे पहेले हमारे बारेमे कभी सोचते हे..? तो फीर हम पीछे क्यु हटे.. वैसेभी लखन भैया भी घरके ही आदमी हे.. ओर आप केह रही हे मंजुने भी सब परमीशन लेली हे.. तो फीर क्या प्रोबलेम..? आप लखन भैयाके प्यारको कबुल कर लीजीये.. वो खुस होजायेगे..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. बात तो आपकी सही हे.. लेकीन मुजे नही पता मे उनका प्यार अ‍ेक्सेप्ट कर पाउगी या नही.. हां.. लेकीन मुजे इतना पता हे.. अ‍ेक दिन भाइ कमजोर होजायेगे तब हम सबको अपनी सभी मर्यादा लांधनी होगी.. क्या पता सायद लखन भैयाके साथ भी हमे फीजीकल होना पडे..

सृती : (हसते) दीदी.. आपको इतना कुछ पता हे.. तो फीर मेरे खयालसे आपको लखन भैयाके प्यारको अ‍ेक्सेप्ट करलेना चाहीये.. अगर हमे उनके साथ फीजीकल होेना ही हे.. तो फीर प्यार जतानेमे क्या प्रोबलेम..?

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हंम.. सच कहा आपने.. दीदी.. वो धीरे धीरे सबके साथ फीजीकल होगे.. तो आपके साथ भी होगे.. आपके बारेमे मुजे ओर भी बहुत कुछ पता हे.. लेकीन अभी इसके लीये बहुत वक्त हे.. इसकी बात अभी करना बे मतलब हे..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. क्या केह रही हे आप..? मतलब.. मेरे साथ भी..? ओर मेरे बारेमे क्या पता हे आपको..? बताइअ‍ेना.. मे अब अ‍ैसी बातोसे विचलीत नही होती.. प्लीज..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) ठीक हे भाभी.. लेकीन याद रखना.. ये सब सुनकर गभराना नही.. भाभी.. आपके जीवनमे दो संतान हे.. आपको दो बच्चो होगे.. अ‍ेक हमारे पतीसे.. ओर अ‍ेक हमारे देवर लखन भैयासे.. बस.. इनके आगे मे अभी आपको नही बताउगी..

सृती : (आस्चर्यसे देखते धीरेसे) दी..दी.. क्या केह रही हो आप..? क्या ये सब सच हे..?

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) हां भाभी.. यही सच हे.. बस.. अभी मे सीर्फ इतना ही केह सकती हु.. आगे जाकर आपके सामने कुछ अ‍ैसी सीचुअ‍ेशन आयेगी.. तब आपको अपने आपको सम्हालना होगा.. क्युकी वक्त बहुत तेजीसे बदल रहा हे.. ओर लखन भैयाकी जींगीमे हम सीर्फ दो ओरते ही नही हे.. ओर भी हे.. लेकीन इनकी बाते अभी करना बे मतलब हे..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. आपकी बातोसे वाकइ डर लग रहा हे.. लेकीन इतना भरोसा हे.. की अगर आप मेरे साथ होतो मे सब मुस्कीलसे नीकल जाउगी.. दीदी.. मुजे समय समयपे गाइड करती जाना.. आज आपके मुहसे सब बाते सुनकर बडा ही रोमांचीत फील कर रही हु.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. सायद मेभी यही फील कर रही हु.. लगता हे हम दोनो लखन भैयासे प्यार करने लगी हे.. अब देखते हे आगे क्या क्या होता हे..

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) दीदी.. सायद आपकी बात सच हे.. मेने अपनी जींदगीमे देवुके अलावा कीसी ओर मर्दकी कल्पना भी नही कीथी.. अगर आप जो केह रही हे अ‍ैसा ही हे.. तो हमे इस मामलेमे आगे बढना चाहीये.. क्युकी पीछले तीन दिनसे हमारे जहनमे लखन भैयाही छाये हुअ‍े हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. अगर आपकी जगाह मे होती.. तो मे कबसे लखन भैयाका प्यार कबुल कर लेती.. आप मेरी मानीये.. आप उनका प्यार कबुल करलीजीये.. मे आपके साथ हु.. बाकी आगे देखा जायेगा..

पुनम : (हसते) भाभी.. फीकर मत कीजीये.. आपकी ये तम्मना भी बहुत जल्द पुरी होजायेगी.. क्युकी वक्त बहुत तेजीसे बदल रहा हे.. बस.. इनके आगे मे अभी कुछ नही बता सकती.. चलीये..

दोनोही बाते करते रश्मीके घरपे पहोंच गइ.. तब वंदना ओर रश्मी मीलकर खाना बना रही थी.. तो वंदना पुनम सृतीको देखकर बहुत खुस होगइ.. ओर दोडकर पुनमके गले लग गइ.. तब रश्मी हसने लगी.. फीर पुनम ओर सृती चेयर लेकर कीचनके पास ही बैठ गइ.. ओर चारो बाते करने लगी.. तब रश्मी ओर वंदनाने सुधीर के बारेमे दोनोको बता दीया.. ओर ये भी कहाकी तीनो बोम्बे चले गये हे सुनकर पुनम ओर वंदना दोनो खुब हसी....

कन्टीन्यु
 
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