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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९४

इतना सुनतेही भुमीका अपने दोनो हाथोमे अपना चहेरा छुपाके जोरोसे रोने लगी.. जीसे देखकर अ‍ेक बारतो मंजु ओर सृती दोनोही डरने लगी.. ओर विचलीत होने लगी.. तब सृती जटसे खडी होगइ ओर पानी लेने कीचनमे चली गइ.. तबतक मंजु भुमीकाकी पीठको सहेलाते उनके सामने देखती रही..

तभी सृती पानी लेकर आगइ ओर अपनी मम्मीको पानी दीया.. तब भुमीकाने पानी पीकर ग्लास सृतीको वापस दीया ओर सृती ग्लास रखने चली गइ फीर वापस आकर अपनी जगाहपे बैठ गइ तब भुमीका उनके सामने देखती रही.. फीर मंजुका हाथ थामते उनके सामने देखकर मंजुके हाथको उठाकर अपने सरपे रखके जुक गइ.. फीर....अब आगे

भुमीका : (आंसु बहाते) बेटी.. आजतो तुमने मेरी जोली खुसीयोसे भरदी.. अ‍ैसा लगता हे आज साक्षात देवी मेरे घर खुसीया लेकर आइ हे.. जो बात आज तक मुमकीन नही हुइ.. वोही बात आज मुमकीन होती नजर आ रही हे..

मंजु ओर सृती भुमीकाका अ‍ैसा व्यवहार देखकर डर गइथी.. लेकीन जब उसने मंजुको ये बात कही तब सृती ओर मंजुने राहतकी सांसली.. ओर खुसीसे दोनोका चहेरा दमकने लगा.. तब मंजुने कहा..

मंजुला : (खुसीसे हसते) बुआ.. आप कीस बातके बारेमे बात कर रही हे..? हमे कहीयेनां..?

भुमीका : (प्यारसे गाल सहेलाते धीरेसे अ‍ेक चपत लगाते) बदमास.. सब बुआके मुहसे उगलवाना चाहती हे.. तुजेतो सब पताही हे.. तो फीर क्यु पुछती हे.. क्या मेरी सृतीकी बात तुम नही जान पाइ..?

मंजुला : (हसते हाथ थामते) नही बुआ.. बताइअ‍ेना.. हम आपके मुहसे सब सुनना चाहते हे.. ये बात सृतीको थोडीना पता हे.. उनकोभी पता चलेकी मेरी बात कहा चलीथी.. हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) हां.. देखा..? तु सब जानती हे.. फीरभी मेरे मुहसे सब उगलवाना चाहती हे.. तो सुन.. तुमने सही कहा.. मेने ओर सृतीके पापा जबवो जीन्दा थे तब सृतीभी काफी छोटी थी.. हम दोनोने सृतीका रीस्ता देवुके साथ करवानेका तैय किया था.. जब हम बात करने वालेथे तब अ‍ेक दिन किशन घरपे अ‍ेक मीठाइका बोक्ष लेकर आया.. क्युकी तब राजीव ओर किशनके बीच तुम्हारे रीस्तेकी बात हो गइथी.. ओर उसने तुम्हारी ओर देवु दोनोके रीस्तेकी बात कहे दी.. तब हम दोनो मीया बीवी खुब नीरास होगये..

मंजुला : (हसते) बुआ तो क्या हुआ.. फीरभी आपको मेरे ससुरसे इस बारेमे बात करनी चाहीअ‍ेथी..

भुमीका : नही बेटी.. तब हमारे दिमागमे अ‍ैसी बात आइही नही.. फीर हमने किशनसे सृतीकी कुछ बातही नही की.. ओर सृतीकी दुसरी जगाह सादी करदी.. ओर ये हमारी सबसे बडी भुल थी.. तबही हमे सोचना चाहीयेथा.. की देवुकीतो दुसरी सादीभी होसकती हे.. ओर देखो आज भगवानने हमारी सुनली..

मंजुला : (हसते) तो बुआ क्या इसे मे हां समजु..? ये रीस्ता पका करदे..? हें..हें..हें..

भुमीका : (जोरोसे हसते मंजुकी जांगपे अ‍ेक चपत लगाते) तो क्या अभी तक मे भजीया तल रहीथी..? हें..हें..हें.. अरे बेटी तु ये रीस्ता पकाही समज.. बस तु अ‍ेक बार सृतीको पुछले उसे कोइ अ‍ेतराजतो नही..? तो फीर मुजे क्या प्रोबलेम.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते सृतीकी ओर देखते) बुआ.. वोतो राजी हे.. इनफेक्ट दिलके अ‍ेक कोनेमे वोभी मेरे देवुसे प्यार करती हे.. बस कमीनी जताती नही.. हें..हें..हें..

इतना सुनतेही सृती सर्मसार होते अपने दांत पीसते मुस्कराते मंजुको पीठमे मुका जड देती हे.. तब भुमीका ओर मंजु दोजोही खुसीसे हसने लगती हे.. तब सृती अ‍ेकदम सरमाते हसते हुअ‍े खडी होकर कीचनमे चली गइ.. तब पीछेसे भुमीका ओर मंजु हसते हुअ‍े उनको जाते देखती रही.. तब भुमीका की आंखोसे खुसीके मारे दो बुंद आंसुके गीरते हे.. ओर वो मंजुका हाथ थामते उनकी ओर घुमजाती हे ओर धीरेसे मंजुसे बाते करने लगती हे..

भुमीका : बेटी.. आज मे बहुत खुस हु.. मेरी सृतीका घर बस जायेगा.. क्या इस बारेमे देवुको पता हे..?

मंजुला : नही बुआ.. आजही बाबासे बात हुइ.. ओर मुजे पहेले आपसे बात करना उचीत लगा.. तो आपको पुछ लीया.. अब आपने हां कहेदी हेतो मे बातको आगे बढाउगी..

भुमीका : बेटी अच्छा कीया.. तुम देवुसे भी अ‍ेक बार बात करलेना फीर मुजे फोन करके बता देनां..

मंजुला : बुआ.. वोतो मे करलुगी.. लेकीन मे चाहती हु देवु ओर सृती दोनोही इस बातपे खुद आगे बढे.. मुजे पुरा यकीन हे सृती भी देवुसे प्यार करती हे.. तो मेरे देवुको वोही प्यार करनेमे विवस करदेगी.. क्युकी मेरा देवुभीतो वोही राजाका अंस हे.. तब हम उन दोनोकी सादी करदेगे.. क्या कहेती हो आप..?

भुमीका : (हसते) चल ठीक हे जैसे तुजे अच्छा लगे.. ओर ये सहीभी हे.. मेने कइ बार देखा हे वो देवुकी बाते करते थकतीही नही हे.. भगवान करे सब ठीक होजाये.. अब मुजे सृतीकी चीन्ता नही.. सब ठीक होगया..

मंजुला : बुआ.. कुछ बाते अ‍ैसीहे.. मे आपको कैसे बताउ.. दरसल हम सब देवुके साथ कइ जन्मोसे जुडी हुइ हे.. तो हमे देवुको पानाही हे.. ओर इनमेसे हमारी सृतीभी अ‍ेक हे.. जो कइ जन्मोसे देवुके साथ जुडी हे..

भुमीका : (हसते) बेटी.. क्या तुजे सब ज्ञात होजाता हे..? मुजेतो यकीन ही नही हो रहा.. मंजु मुजे इस बारेमेभी कुछ बताओनां.. क्युकी कुछ बाते हेजो.. अब मे तुजे कैसे कहु..

मंजुला : बुआ.. आप इस बातकी बीलकुल फीकर मत करो.. मेने आपसे कहानां.. की कुछ राज मे सीर्फ अपने तकही सीमीत रखना चाहती हु.. वो कीसीको नही बताना.. ओर आज आपको अ‍ेक सच बताही देती हु.. वास्तमे हम सब परीया हे.. ओर मेरा पोताजो मेरे इस विजयकी बीवीकी कोखसे जन्म लेगा.. वोही हम सब परीयोका राजा हे.. ओर सभी परीया अपने आप इनके रीलेशनमे आही जाती हे..

भुमीका : (आस्चर्यसे धीरेसे) क्या..? सभी उनके रीलेशनमे आजानेका मतलब..?

मंजुला : (हसते) बुआ.. हम सभी उनके साथ कोइना कोइ रीस्तेसे जुडी हुइ हे.. तो हम सभी वहा उस लोकमें परीया होगी.. तभीतो हम सब मेरे देवुके साथ जुडी हुइ हे.. ओर मेरा देवुभी उनकाही अंस हे.. बस उन्ही अंसके माध्यमसे वो राजा पैदा होगे.. बस अभी मे आपको इतनाही बता सकती हु..

हम सब वो हिमाचलके राजाकी रानीया थी.. जो सब वापस इस धरतीपे दुबारा जन्म लेकर आइ हे.. ओर जबतक उनका मक्सद पुरा नही होता हम सब आती जाती रहेगी.. क्या पता आप ओर मेरी मम्मीभी उनमेसे अ‍ेक हो.. ओर अगले जन्ममे मेरे पोतेकी रानी हो.. हें..हें..हें..

भुमीका : (जोरसे हसते अ‍ेक चपत लगाते) बदमास.. कुछभी बोलती हे.. तुम क्या क्या कहानी बनाती हे.. हें..हें..हें.. क्या वाकइ ये सब चस हे..? तुम हम सबके बारेमे सचमे सबकुछ जानती हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. बुआ.. कुछ बाते हे जो मुजे आपके मुहसे सुननी हे.. वो जब हम दोनो अकेली होगी तबही हम इसके बारेमे बात करेगे.. ताकी आपके दिलका बोजभी कुछ हल्का होजाये.. क्या मे सच केह रही हुना्..?

भुमीका : (सरमाते धीरेसे मुस्कराते) बेटी.. मुजे लगता हे तुम वाकइ हमारे बारेमे सबकुछ जानती हे.. ठीक हे हम दोनो कभी इस बारेमे फुरसतमे बात करेगे.. तेरे साथ बाते करते आज जी हल्का होगया.. दुनीयामेभी क्या क्या कहानीया चल रही हे.. हर अ‍ेक ओरतकी अपनी कहानी हे.. हें..हें..हें..

मंजुला: (जोरोसे हसते खडी होते) बुआ.. ये कोइ कहानी नही हे.. में सच केह रही हु.. अब आप बैठीये मे सृतीकी कुछ मदद करती हु..

भुमीका : (हसते) अरे तुम इधर बैठनां.. वो सब करलेगी तु क्यु इस हालतमे तकलीफ लेती हे.. इधर बैठ..

मंजुला : (हसते जाते) नही बुआ.. उनको कंपनी मील जायेगी.. ओर कुछ बातेभी होजायेगी..

भुमीका : (हसते) अच्छा अच्छा.. चल जा.. लेकीन कोइ काम मत करना समजी..

तब मंजु हसते हुअ‍े कीचनमे चली गइ तब सृती खडे खडे सब्जीया काट रहीथी.. जैसेही मंजुको अंदर आते देखा वो सब छोडके खुसीके मारे मंजुसे लीपट गइ ओर सरमाते हसती रही.. तब मंजुने हसते हुअ‍े उसे जोरोसे बाहोमे भीच लीया तब सृतीके मुहसे आउच.. नीकल गया.. तभी मंजुने सृतीको अपने आपसे अलग कीया ओर उनके सामने देखकर मुस्कराती रही तब सृती सरमाकर नजरे चुराने लगी..

मंजुला : हां तो मेरी सौतानजी.. अब लगजाओ मीशन देवुपे.. हें..हें..हें.. देख मेने तेरा आधा कामतो करदीया.. अब हमारे देवुसे बात करनेकी जीम्वेवारी तेरी.. देखले कैसे मेरे देवुको पटाती हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते धीरेसे हसते) मंजु प्लीज.. यार मुजे बहुत सरम आ रही हे.. मुजेतो अभीभी ये सब अ‍ेक स्वप्नकी तराह लग रहा हे.. की तुम खुद उनकी बीवी होकर मुजे ये सब केह रही हो.. आइ कान्ट बीलीव.. क्या आजके जमानेमे भी ये सब पोसीबल हे..? कीतना अजीब हेनां..?

मंजुला : हां सृती ओर ये सब सच हे.. ओर अ‍ेक सच तुभी जानती हे.. मे सीर्फ दो तीन सालकी महेमान हु.. फीर मुजे वापसभी तो आना हे.. तेरी बहु बनकर..

सृती : (जोरोसे बाहोमे भीचते आंसु बहाते) नही मंजु.. मत कर अ‍ैसी बात.. हम सब तेरे बीना कैसे जीयेगे..? तुहीतो हे जो हम सबका खयाल रख सकती हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) नही सृती.. बस यही बात आज में तुमसे कहेने वाली हु.. जो मेने अभी तक कीसीको नही बताया.. आज बाबाने मुजे अपनी कसमसे मुक्त कीया हे.. तभी तो मे तुमसे कुछ बात कहेना चाहती हु जो आगे जाकर तुजे ओर पुनमको ही सब हेन्डल करना हे.. ताकी तुजे सब सम्हालने समजनेमे आसानी रहे.. ओर आज मे कुछ राज तुमसे सैर करना चाहती हु.. चल मे नीचे बेठकर सब्जी काटती हु तु कुछ दुसरा काम करले.. ओर यही नीचे बेठजा.. बात करनेके आसानी रहेगी..

सृती : (सबजी ओर कटर नीचे रखते) अरे तुम अ‍ैसेही बेठती.. मे सब करलेती.. तु क्यु तकलीफ लेती हे.. तु इधरही बैठ मे सब नीपटा लुगी..

मंजुला : (हसते) अरे लानां.. अकेली अकेली बेठकर क्या करुगी.. वहा भीतो कुछ करनेका नही.. दे..मुजे..

कहेते मंजु धीरेसे नीचे बैठ गइ तब सृती अ‍ेक बर्तनमे आटा नीकालते वोभी मंजुके पास नीचे बेठ गइ ओर आटेमे पानी डालकर उसे गुंदने लगी.. तब मंजुभी सब्जीया काटने लगी ओर दोनो बाते करने लगी..

सृती : (हसते) हां.. मंजु अ‍ेक बात बता.. मम्मीने वो विरजी अंकलकी बात आधी क्यु छोडदी..? कहाकी मंजुसे पुछ लेना.. क्या राज छुपा रही हे मम्मी.. ओर विरजी अंकलने मम्मीके साथ कोनसी जबरदस्ती की..?

मंजुला : (हसते) सृती कुछ बाते हम ना जाने तोही बहेतर हे.. हमे ये सब सुनकर दुख होता हे..

सृती : नही मंजु.. अबतो तुम्हारे साथ रेहकर मेभी बहुत कुछ सीख गइ हुं.. मुजे कोइ बुरा नही लगता.. बतानां.. कुछतो मम्मीके साथ बुरा हुआ होगा.. तभीतो आधी बात बताइ.. ओर तुजेतो सब पता चल जाता हे.. तो बताना मुजे अब बुरा नही लगेगा.. अबतो विरजी अंकलभी नही हे..

मंजुला : (सब्जी काटते) सृती.. विरजी अंकल भुमीका आंटीका अपहरण करके उसे जबरदस्तीसे अपने घर लेगये.. ओर वहा उनके साथ बलात्कार किया.. ओर वो इनमे कामयाबभी होगये.. लेकीन तेरे पापाको ये बात पता चल गइ ओर वो मेरे ससुरको लेकर आगये.. ओर भुमीका बुआको उनसे छुडालीया.. ओर दोनोने मीलकर विरजी अंकलको खुब मारा..

फीरतो विरजी अंकलको अपनी गलतीका अहेसास तबही होगया.. ओर बुआके पैरमे गीरके माफी मांगने लगा.. तो सबने दोस्तीकी वजहसे उसे तबतो माफ करदीया.. फीरतो विरजी अंकलने कोलेजही छोडदी.. ओर उनकी सरलाचाचीसे सादी भी होगइ.. लेकीन ये बात भुमीआंटी नही भुल पाइ..

सृती : (मुस्कुराते) हंम.. इतनातो मम्मीने भी कहा.. लेकीन बलात्कारकी बात नही बताइ.. फीर क्या हुआ..?

मंजुला : फीर क्या.. सबनेतो माफ करदीयाथा लेकीन बुआने विरजी अंकलको मनसे माफ नही कीयाथा.. उनके दिलके अ‍ेक कोनेमे विरजी अंकलसे बदला लेनेकी भावना थी.. ओर उसने मेरे ससुरसे अकेलेमे मीलके भाइ बहेनके रीस्तेका वास्ता देकर विरजीसे अ‍ैसा बदला लेनेकी बात कही.. ओर अ‍ैसा बदलाकी मुजेभी बतानेमे सरम आती हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) क्या मम्मीने..? अ‍ैसा कोनसा बदला लेना चाहती थी वो..? जो किशन अंकल उनकी बात मान गये.. हें..हें..हें.. फीर किशन अंकलने बदला लीया क्या..? ओर कैसा बदला लीया.. प्लीज.. बताओना.. सुननेमे बडा मजा आ रहा हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) कमीनी तुजेतो मजाही आयेगानां.. वहा विरजी अंकलको तो पताभी नही था.. की उनके साथ क्या होने वाला हे.. हें..हें..हें.. सुन.. लेकीन ये बात तुम कीसीको बताना नही.. अब जो बात तुजे कहे रहीहु इस बातका कीसीको पता नही हे.. तो बी केरफुल..

सृती : (हसते धीरेसे) अरे बताना.. मे कीसीको कुछ नही कहुगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) सुन.. जब विरजी अंकलकी सादी होगइ तब वो हमारे खेतोपे मेरे ससुरके साथ थे.. तब मेरे ससुरने विरजी अंकलको चाइमे अ‍ेक जडीबुटी पीलादी.. ओर उनका हथीयार बेकार करदीया.. हें..हें..हें.. मानलोना वो कीसी कामका नही रहा.. मतलब वो बच्चा पैदा करनेमे काबील नही रहे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) क्या.. अ‍ैसे कोइ बदला लेता हे..? बेचारे..हें.हें..हें.. तो फीर उनकी बीवी बेचारी कहा जायेगी.. बेचारी सरलाचाची.. मंजु.. तो फीर वो भानुभाइ ओर लता कैसे पैदा हुअ‍े..?

मंजुल : (हसते) वो भी बडी दिलचस्प कहानी हे.. तुजे पता हे विरजी अंकलकी सादी जल्दीसे आनन फानन मे क्यु करदी गइ..? तो सुन.. अ‍ेकतो भुमीआंटीके हादसेसे वो बहुतही अपसेट थे.. तो दुसरी ओर सरलाचाचीका भी उनके मायकेमे इस्यु चल रहाथा.. सरलाचाचीने जबसे जवानीकी दहेलीजपे कदम रखा..

तबसे उनका अपने भाइके साथ पांच छे सालसे फीजीकल रीलेशन था.. ओर वो अपने भाइसे प्रेगनेन्ट भी होगइ थी.. तब उनकी माको सब पता चल गया.. ओर उसे सहेरमे लेजाकर उनका बच्चा गीरवाके विरजी अंकलसे जल्दी सादी करदी.. सरलाचाची बहुतही कामी ओरत हे.. उनकी माने उसे उनकी विदाइके वक्तही मायकेमे कभी नही आनेको केहदीया था..

सृती : (हसते) अरे.. तबतो विरजी अंकलके साथ इतने सालो तक कैसे रेह पाइ..? हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) अरे सुनतो सही.. फीर क्या हुआ.. सरलाचाचीको विरजी अंकलसे वो सुख नही मीलपाया.. वो विरजी अंकलसे संतुस्ट ही नही होतीथी.. ओर उपरसे उनकी माने उसे कभी मायकेमे ना आनेकी बात कहेदी.. तो उनके भाइकोभी नही मील सकती थी.. तब उनके सबसे ज्यादा नजदीक उनके पतीके खास दोस्त मेरे ससुरही थे..

ओर दोनोका बार बार मीलना होताथा जीनकी वजहसे वो मेरे ससुरके साथ बडी आसानीसे रीलेशनमे आगइ.. फीरतो अपनी जवानीका मजा मेरे ससुरके साथ फीजीकल होकर लेती रही.. तो मेरे ससुरभी विरजी अंकलको कीसी कामके बहाने सहेर भेज देते ओर पीछेसे विरजीअंकलके घर चले जाते..

सृती : (जोरोसे हसते) अरे किशन अंकलतो बडे रसीये कीस्मके आदमी नीकले.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) अरे सुनतो सही.. फीरतो मेरे ससुर ओर सरलाचाची पुरा दीन फीजीकल होते प्यारका खेल खेलते.. ओर उन्हीसे भानुभाइका जन्म हुआ.. तब विरजी अंकलको कुछ पता नही चला.. वोतो यही समजतेथे की भानुभाइ उनका बेटा हे.. लेकीन कुछ सालोके बाद सरलाचाचीको मेरे ससुरने फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया.. तब विरजी अंकलको पता चल गयाथा की वो अब बच्चा पैदा करनेमे सक्षम नही हे.. फीरभी सरला कैसे प्रेगनेन्ट हुइ..? तबसे उनको सरलाचाचीपे सक हुआ ओर उनपे नजर रखने लगे..

ओर अ‍ेक दिन मेरे ससुर ओर सरलाचाचीको संभोग करते देखलीया.. अ‍ेकतो वो सनकी थे.. ओर वो ये बरदास्त नही कर पाये.. उनको तबही दिलका दौरा पड गया.. ओर वो चल बसे.. फीर कुछ महिनोके बाद सरलाचाचीने लताको जन्म दिया.. जबतब मेरे ससुर जींदा रहे तबतक सरलाचाचीके साथ रीलेशनमे रहे.. ओर उन्होने भानुभाइ ओर लता सरलाचाचीकी पुरी जीम्वेवारी उठाइ.. तो ये हे भुमी आंटीके बदलेकी बात.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) किशन अंकल ओर मम्मीने बहुत डेन्जर बदला लीया.. हें..हें..हें.. मम्मी ओर किशन अंकलको अ‍ैसा नही करना चाहीयेथा.. बेचारे विरजी अंकल..

मंजुला : छोडना सृती.. सायद उनकी यही सजाथी.. लेकीन तुमने अ‍ेक बातपे गौर नही कीया..?

सृती : (हसते सवालीया नजरोसे) अब कौनसी बात..? हें..हें..हें..

मंजुला : सृती.. इस नाते भानुभाइ ओर लताभी हमारे भाइ बहेन हुअ‍े.. ओर तुजेतो पता हे लताकीभी सादी लखनसे हो रही हे.. तो इस नाते वो दोनोभी भाइ बहेन हुअ‍े नां..? हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) अरे हां.. हें..हें..हें.. देखा तुम सभी भाइ बहेनकी आपसमे सादी हो रही हे.. हें..हें..हें..

इधर दोनोही कीचनमे हसी मजाक करते बाते कर रहीथी तब बहारकी ओर भुमीकाआंटी दिखनेमे तो कोइ धार्मीक कीताब बढ रहीथी.. लेकीन मंजुके जातेही उनके दिमागमे विचारोका घमासान युध्ध चल रहाथा.. ओर अपने अतीतकी सब पुरानी बाते याद कर रहीथी.. मंजुसे सब बाते करते उनको पता चल गयाकी मंजु सब बाते जानती हे.. तो वो बातसे थोडी डरी हुइभी थी.. लेकीन मंजुने उनको विस्वास भी दियाथा की वो कुछ बाते कीसीके साथ सैर नही करेगी.. उस बातसे वो थोडी नीस्चीत भी होगइ थी..

तभी सबसे दुर सहेरमे देवायत चंदा धिरेन पुन लता लखन ओर नीलम सब मार्केटमे जाकर खरीदी कर रहेथे.. तब चंदा ओर देवायत दोनोही नये सादीसुधा जोडेकी तराह अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडकर चल रहेथे.. ओर हस हसके आपसमे धीरेसे बाते कर रहेथे.. तो पुनमभी ना चाहते हुअ‍े भी धिरेनके साथ चल रहीथी ओर बार बार देवायत ओर चंदाकी ओर देख रही थी.. उनको आज अ‍ैसा लगने लगाथाकी उनकी सास चंदाने उनसे अपना पती छीनलीया हो..

तो दुसरी ओर लखन ओर लताभी अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडते साथ चल रहेथे.. ओर मस्तीकी बाते कर रहेथे.. तब लखनकी बाते सुनकर कइ बार लता सर्मसार होकर हसने लगती थी.. तब नीलमभी पुनमके साथ चल रहीथी.. ओर आज सबको जोडीमे देखकर.. ओर अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडते चलते देखकर नीलमको पहेली बार प्यारकी परीभासा समजमे आने लगी.. सीर्फ वोही अकेली लडकीथी जो उनका कोइ साथी नही था.. तब नीलम अपने आपको कभी लताकी जगह तो कभी पुनमकी जगह इमेजींग करने लगी..

आज उनको सुबह धिरेनकी कही हुइ सब बाते याद आने लगी.. उनको धिरेन पढालीखा ओर समजदार लडका लगा जो अपनी इजतदार बेंककी नोकरीसे अपने बल बुतेपे खडाथा.. तो धिरेनकी बेंककी नोकरी उसे इजतदार लगी.. ओर धिरेनका बात करनेका अंदाज.. बस उसीके बारेमे सोचते वो धिरेनकी ओर ढलने लगी.. ओर उसे धिरेन अच्छा लगने लगा.. तभी उसने धिरेनके साथ उनकी दोस्ती कबुल करनेका फैसला करलीया.. तब इधर सृतीके घरमे..

सृती : (हसते धीरेसे) मंजु तु कुछ तेरे बारेमे बताने वालीथी.. प्लीज बताओनां.. मे तेरे बारेमे सबकुछ जानना चाहती हु.. तुम तेरे पोतेकी कुछ बात कर रही थी.. ओर अभी कहाकी मे तेरी बहु बनके वापस आउगी..

मंजुला : (हसते) हां सृती.. सुन आज तुजे वो राज बता रही हु.. जो अभीतक कोइ नही जानता.. तुमने वो राजाकी कहानीतो सुनी हेनां..?

सृती : हां मंजु.. में उन कहानीको (ये केसी अनुभुती) कइ बार पढ चुकी हु.. लेकीन उनसे तेरा क्या तालुक..? बाबाभी कुछ उनकी बाते कर रहेथे..

मंजुला : हे..सृती.. सीर्फ मेरा नही हम सबका उस कहानीसे गहेरा तालुकात हे.. उनमे वो देवयानीदेवी हेनां.. वोही मे हु.. जो थोडे समयके लीये.. मे उन राजाके अंसके साथ सादी करके फीरसे उन राजाके साथ जुड जाउगी.. इसीलीये मुजे वापस जाना होगा..

सृती : (थोडा सीरीयस होते) मंजु अ‍ैसे नही.. मुजे जरा खुलकर बता.. ताकी मे उस टाइम तुजे पहेचान सकु..

मंजुला : सृती.. देवु उस राजाकाही अंस हे.. ओर मुजे उस अंसके माध्यमसे हमारे स्वामीको जन्म देना हे.. ओर उसी उदेस्यसे मेरा जन्म हुआ हे ताकी मे देवुसे सादी करके हमारे राजाके जन्म लेनेका रास्ता बना सकु.. ओर मुजे उनको मेरी कोखसे जन्म देना हे.. फीर उसीके साथ सादी करके मे मेरा अपना संसार बसालुंगी..

सृती : (चोंकते) क्या..? तुम तेरे बेटेके साथही सादी करलेगी..? कीतना अजीब हेनां..?

मंजुला : हां सुती.. मे तबभी उनकी माइ थी.. ओर बादमे उनकी बीवी होगइ.. ओर आजभी मे विजयकी मां हु ओर दुसरे जन्ममे उनकी बीवी होजाउगी.. फीर उन्हीके बेटेको जन्म दुगी.. जो हमारे राजा होगा.. जब वो बडा ओर जवान होजायेगा तबमे फीरसे उनकी भी बीवी होजाउगी.. अ‍ेकही जन्ममे मेरे जीवनमे दो दो पती आयेगे.. सृती आज अ‍ेक राजकी बात बता रही हु.. ये बातका जीक्र तुम कीसीके साथ नही करना.. बस.. सब देखती रहेना.. क्या होता हे..

सृती : (मंजुके सामने देखकर) मंजु तु फीकर मत कर ये राज सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगा.. बस मुजेतो तेरे बारेमे सब जानना हे.. सायद इसीलीये तुजे इस घरतीसे जल्दी बुलालीया होगा..

मंजुला : हां सृती.. तुजे पता हे मेरी जानका खतरा होनेके बावजुद मेने विजयको क्यु जन्म दिया..? ताकी मे वापस इस दुनीयामे आसकु.. सृती आज देवु ओर मौसीके साथ भानुभाइ ओर उनकी मामीकी भी सादी होगइ.. अब हमारी भावु भानुभाइसे काफी दुर हो चुकी हे.. ओर हमारी भावु आगे जाकर हमारे देवुके साथ रीलेशन रखेगी.. ओर उनसे प्रेगनेन्ट होगी.. तब मुजे उनकी कोखसे लडकीके रुपमे पैदा होना हे.. ओर वो लडकी मेरे विजयकी बीवी होजायेगी.. तब उस लडकीकी कोखसे वो राजा पैदा होगे..

ओर उन लडकीका यानी मेरा विजयसे सब रीस्ता खतम होजायेगा.. ओर वो विजयके बच्चेको पाल पोसके बडा करेगी.. ओर अ‍ेक दिन अपने बेटेके साथही रीलेशनमे आकर उनसे सादी करलेगी.. ओर हम दोनो मां बेटा अपना रीस्ता सबसे छुपाके अपना अ‍ेक अलगही संसार चलायेगे.. यानी मे मेरेही बेटेको जन्म देकर उनसे सादी करलेती हु.. फीर उनके बेटेको पैदा करके मे फीरसे मेरे बेटेके साथ सादी करके जुड जाती हु.. ओर ये चक्र चलताही रहेता हे.. मेरा कामही यही हे.. सायद इसीलीये मे सबकी जननी हु..

सृती : (काम छोडके आस्चर्यसे देखते) ओह..माइ.. गोड.. मंजु.. तुजे इतना सब पता हे..? क्या ये सब सच हे..? मुजेतो यकीन ही नही हो रहा.. की तुम दुसरे जन्म मे तेरे ही बेटेसे फीर अपने पोतेसे सादी करके घर बसायेगी.. कीतना अजीब हेनां..? अपनेही पतीको अपनी कोखसे पैदा करना.. फीर बडा होतेही उनके साथ सादी करके फीजीकल होना.. कीतना अजीब हे.. क्या ये सब सच हे..?

मंजुला : (हसते) हां सृती.. यही सच हे.. तब मेरे बेटीकी कइ बीवीया होगी.. ओर तब काम ओर रतीभी अपने चरमपे होगे.. तब कइ लोग होगे जो आपसी रीस्तोमेही सादी करके घर संसार चलायेगे.. खुद मेरा बेटाभी अपनी बहेन ओर बुआसे सादी करलेगा.. ओर अ‍ैसी कइ उनकी सीक्रेट बीवीयाभी होगी.. जो अभी मेरे देवुकीभी हे.. वोभी तो मेरा ही अंस हे.. उनका कामही यही हे.. जीनकोभी बच्चा नही हो रहा.. वो सबको बच्चे देनेकी जीम्वेवारी अच्छी तराह नीभाता हे..

सृती : (आस्चर्यसे) क्या देवुकी भी सीक्रेट वाइफ हे..? तुजे सब पता हे..? तो तुजे दुख नही होता..?

मंजुला : नही सृती.. येभी हमारी दुनीयाका अ‍ेक हिसा हे.. हम पीरलोकमे या अप्सरालोकमे बहारके आदमीसे सादी नही करते.. क्या पता देवुकी जीतनीभी बीवीया हे वोभी परी यातो अप्सराये हो.. तभीतो उनके साथ रीलेशनमे आइ होगी.. फीर पता नही कीसीकी कोखसे कौन परी या अप्सरा जन्म लेकर आजाये.. ओर तुजे पता हे तुमभी अ‍ेक मेरी ही तराह अप्सरा हो.. तब क्या पता.. तुम ओर मेरी पुनमभी मेरे पोतेके साथ रीलेशनमे आजाओ..

सृती : (सर्मसार होकर चोंकते) मंजु.. तुम ये क्या बोल रही हो.. मे ओर पुनमभी..? नही अ‍ैसा नही होसकता..

मंजुला : (हसते) नही सृती.. क्युकी तब उनका आकर्सण ही इतना होगाकी तुम खुद अपने आपको उनके साथ रीलेशनमे आनेसे रोक नही पाओगी.. तब जीतनीभी लडकीया हो या ओरते जीनकोभी वो जानते होगे सबके साथ उनके रीलेशन होगे.. ओर उसी समय ये सब आम बात होगी.. फीर भलेही तब रीस्तेमे हमारी भावु उनकी नानी हो.. वोभी इनके साथ रीलेशनमे होगी..

सृती : (सरमाते हसते मुका मारते) ओह.. गोड.. कमीनी कुछतो सरम कर.. तुम कुछभी बोलती हे.. तब हमारी उमर क्या होगी तुजे पता हे..? बुढी हुगी मे.. बात करती हे.. ओर भावु..? तब उनकी उमर क्या होगी तुजे पता हे..? क्या कोइ पोतेकी उमरके लडकेसेके साथ रीलेशनमे आती हे..? तब हमारी काम शकितया भी खतम हो चुकी होगी.. बात करती हे.. मंजु तुमभीनां.. कुछ.. भी..?

मंजुला : (हसते) सृती.. तुजे अभी मेरी ये सब बातोपे विस्वास नही होरहा हेनां..? तुजे सब मजाक लग रहा हेनां..? इसीलीये मे ये बात कीसीके साथ सेर करना नही चाहती.. लेकीन तुम मेरी सब बाते बरोबर याद रखना.. ये बात सीर्फ तुम ओर पुनमही जानती होगी.. ओर ये सब होकर ही रहेगा.. क्युकी तुम भुल गइहो की हम सब परीया ओर अप्सराये हे..

हमपे ये उमरका ओर काम शक्तिका नीयम लागु नही होता.. तब मेरा पोता कुछभी कर सकेगा.. क्यु उन कहानीमे
(ये केसी अनुभुती) उसने देवयानी ओर उनकी दादीको फीरसे जवान नही कीयाथा..? तब दादीकी उमर क्याथी..? उनकातो पीरीयड आना भी बंध हो चुकाथा.. फीरभी उनका पीरीयड फीरसे सुरु करके उनको प्रेगनेन्ट नही कीया..? फीर वोभी तो वापस जवान होगइ थी..

सृती : (थोडा सीरीयस होते) अरे हां.. मंजु.. मे तो सीर्फ मजाकमे केह रही हु.. वो देवयानीभीतो जवानथी.. उन्होनेतो दुनीयाको दीखानेके लीये दुसरा रुप लीया था.. तो तुमभी तो वही हो.. कही अभी अपनी पहेचान हमसेतो नही छीपाती..? हें..हें..हें.. अभी तुमनेही कहाकी मे देवयानी हु.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) सृती मे तेरे कहेनेका मतलब समज गइ.. तुम फीकर मत करो.. मेरे जानेसे पहेले तुजे पुनो चंदामौसी ओर मेरे देवुको मेरी असली पहेचान करवाके जाउगी.. हें..हें..हें..

सृती : (मुस्कराते) लेकीन क्या ये सब सचमे होगा..? आइ मीन.. (धीरेसे सरमाते) तेरा पोता मेरे साथभी..

मंजुला : हां सृती.. जब मेरा पोता तुम्हारी बेटीसे सादी करलेगा तब तुम खुद भी उनके साथ सामनेसे रीलेशनमे आजायेगी.. जब वो जन्म लेगा ओर जवानीके देहलीजपे कदम रखेगा तब हमारा देवु कीसी कामका नही रहेगा.. तब उनका रोल इस दुनीयामे पुरा होजायेगा.. उनकी सारी काम शक्ति उनके पोतेमे आजायेगी. ओर वो देवुकी जगाह ले लेगा.. तब सीर्फ तुम ही नही.. चंदामौसी पुनम.. सबके साथ उनका फीजीकल रीलेशन होगा..

ओर जब उनके पास वो सब शक्तिया आजायेगी तब संभोगके माध्यमसे तुम सबको अपनी खुदकी पहेचान करवायेगा.. ये बात तुम याद रखना.. तब तुजे पता चल जायेगाकी पीछले जन्ममे तुम कौन थी.. ओर तब वो तुम सबमे संभोगके माध्यमसे कामशक्ति वापस जगायेगा.. क्युकी उनका कामही यही हे.. वो स्वयंम कामका अंस होगा.. हमारे राजा.. मेरे स्वामी.. मेरा बेटा.. ओर मेरा पती.. मेरा सबकुछ..

सृती : (मुह फाडके आस्चर्यसे देखते) ओ माइ गोड.. मंजु.. मुजेतो यकीन ही नही हो रहा हे.. की तुम इतना कुछ जानती हो.. ओर मेरा मन केह रहा हे ये आजके जमानेमे ये सब पोसीबल नही हे.. ओर दिल तेरी बाते माननेको विवस हो रहा हे.. की ये सब होकरही रहेगा.. ओर मजेकी बात.. मे.. चंदामौसी ओर पुनम.. तबभी हम सबकी साक्षी होगी.. ओर ये सब अनुभव करेगी.. लेकीन अ‍ेक बात मेरी समजमे नही आइ..

मंजुला : (हसते) कमीनी.. इतना कुछतो जानलीया.. अब ओर क्या रेह गया.. बता कोनसी बात..?

सृती : मंजु उस हिमाचलके राजाका जन्म अ‍ेक खास उदेस्यसे हुआथा.. ओर वोहे.. वो भव्य शीवमंदिर.. तो फीर इस बार सबको जन्म लेनेकी क्या आवस्यक्ता पड गइ..? क्या कोइ खास मक्सदसे जन्म ले रहा हे..?

मंजुला : (हसते) देखा.. सब अपनी कामइच्छा पुर्ती करनेमे बीजी हे.. बस सीर्फ तेरे मनमेही ये खयाल आया.., इसीलीये मे तुजे सब बाते बता रही हु.. सुन.. हम सबका यहा जन्म लेकर आनेका अ‍ेक खास मक्सद हे.. तभीतो हम सब यहा जन्म लेकर आये हे.. बस हमे कुछ दिन इन्तजार करना पडेगा..

फीर वो मक्सदभी सामने आजायेगा.. मुजे बस इतना पता हे अ‍ेक बार हम सब मीलकर वो शीवमंदिरमे जाने वाले हे.. तब हम वहाके उस राजाके परीवारसे मीलेगे.. यानी हमारेही पर पौत्र पौत्रीओसे मुलाकात करेगे.. जो आजभी हमारी परंपरासे जीते आये हे.. वो सब अभीभी अपनीही बहेनसे सादी करके वहा संसार चला रहे हे..

सृती : ओह.. गोड.. मे कीतनी खुसनसीब हु.. की मेभी आप सब लोगोका हीसा हु.. क्या मे सचमे अ‍ेक अप्सरा हु..? मुजेतो अभीभी यकीन नही हो रहा.. दिलतो सोचकरही रोमांचीत हो रहा हे..

मंजुला : हां सृती.. तब मे देवयानी थी.. ओर तब मुजे वहा मेरी बेटीके कारण अ‍ेक श्राप मीलाथा.. तब मेरे राजने मुजे उस श्रापसे मुक्त कीया.. फीर हमने तीन दीन ओर दो रात लगातार बीना नीचे उतरे अ‍ेकही बंध कमरेमे संभोग करते अनुभुतीकी.. ओर मे उस राजाको अनुभुतीमे अप्सरालोकमे लेगइ ओर उनके माध्यमसे वहाकी सभी अप्सराओको संभोगके माध्यमसे प्रेगनेन्ट करवा दीया..

ताकी वहाकी अप्सरालोककी संख्या बढे.. जो वहा बहुतही सीमीत अप्सराये बचीथी.. ओर उनमेसे तुमभी अ‍ेक हो.. जो मेरे राजके साथ संभोग करते उसे हमेसाके लीये उनका साथ पानेकी प्रार्थना करती थी.. ओर आज इसीलीये तुमभी इस धरतीपे उसे मीलन करने आगइ.. वो सबकी सुनते हे.. सबकी मानते हे हम सभी परीया ओर अप्सराओका सन्मान करते हे..

सृती : (मुह फाडके सुनते) क्या मेभी..? मेनेभी अ‍ैसी प्रार्थना की होगी..? तबतो पका मुजे उनसे मीलना होगा.. हें..हें..हें.. मंजु लेकीन पुनमकीतो अभी धिरेनसे सादी होने वाली हे.. तो फीर वो कैसे देवुसे प्यार कर बैठी.. अगर बाबाके कहेने मुताबीक उसने देवुसे सादी करली हे तो फीर अभी धिरेनसे क्यु सादी कर रही हे..? कोइ खास रीजन..?

मंजुला : (हसते) हां सुन.. लेकीन ये बातका जीक्र तुम भुलसेभी दुसरोके सामने नही करना.. खास करके मौसीके सामने.. जबसे पुनमने अपनी जवानीके दहेलीजपे कदम रखा तबसे वो धिरेनको नही.. अपने भाइ देवुसे प्यार करती थी.. उनकी धिरेनसे सादी मेरे कहेनेपे हो रही हे.. सब हमारे स्वामीका नीर्माण हे.. तु सोच जब पुनम अपने भाइसे सादी करके हमारे साथ रहेगी ओर उनके बच्चे पैदा करेगी तब लोग क्या कहेगे..?

इसीलीये पुनमकी देवुसे सादी होनेके बावजुद धिरेनसे सादी करवा रहे हे.. क्युकी धिरेन अल्प आयु वाला हे.. तब पुनम विधवा होकर हमारे पास आजायेगी तब लोगभी उसके बारेमे कुछ नही बोलेगे.. सबको यही लगेगाकी पुनम विधवा होकर वापस आइ हे.. ओर तब पुनम सबसे छुपके अपने पहेले पतीको यानी मेरे देवुके साथ अपना संसार चलायेगी ओर मेरे देवुको प्यार देती रहेगी..

सृती : (धीरेसे) मंजु.. तुजे पता हे.. बाबाने पुनोको कुछ कहा हे.. मुजसे चेक करवानेकी बात कर रहेथे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां सृती.. सुन.. तु वहा सादीमे आये तब कोइ कीटबीट लेकर आना.. ओर सबसे छुपकर तु अ‍ेक बार पुनोको चेक करलेना.. क्युकी इस बारेमे अभी कीसीको नही पता.. सी इस प्रेगनेन्ट.. वो मेरे देवुसे प्रेगनेन्ट हो चुकी हे.. जो पुनोको बाबाने कहाथा.. वो सब राजकी बात हे बस तु पुनोका खयाल रखना.. मुजे आजही तेरी तराह उसे सब ज्ञात करवाना हे.. ओर वोभी अनुभुतीमे.. तब खुद वो आयेगे जीनके हम सभी अंस हे.. हमारे स्वामी.. काम ओर रती.. आज पुरे गांवमे काम अपने चरमोपे होगा..

सृती : (आस्चर्यसे धीरेसे) मंजु.. क्या वाकइ धिरेनकी आयु अल्प हे..? तुजे सब कैसे पता..? क्या मौसीको इस बारेमे पता हे..?

मंजुला : (जटसे धीरेसे) नही कमीनी.. उनको कुछ नही पता.. बस तु उनसे बात करनेमे खयाल रखना.. सृती ये बात मुजे बाबानेभी कही हे.. ओर उसीने ये रास्ता ढुंढ नीकाला हे.. ओर सुन अ‍ेक दुसरी मजेकी बात.. कुछ सालोके बाद.. हमारा लखनभी.. (आंसुके साथ रुआंसी आवाज होजाती हे)

सृती : (गंभीर होकर चोंकते) क्या.. लखनभैयाभी..? तो फीर लताका क्या होगा..?

मंजुला : (आंसु पोछते) सृती.. हमारी लताभी अ‍ेक परी हे.. तु समज गइनां..? तब मेरा देवु उसे सादी करके सम्हाल लेगा.. ओर उनहीकी बच्ची मेरे पोतेकी खास ओर उनकी सबसे चहीती बीवी होगी.. मेरी.. नेनु.. सुन सीर्फ तुजेही बता रही हु.. वो बच्ची जन्मके साथही अपाहीज होजायेगी.. बस अभी तुजे इतनाही कहेना हे..

सृती : (आस्चर्यसे) मंजु वोही राजाकी बडी बहेन थीनां.. नेनु.. जीसे वो राजा सबसे ज्यादा प्यार करता था.. उन राजाकी कहानीमे उनके दुसरे जन्ममे अपाहीज होनेका जीक्रभी हे.. तो फीर उनकी दुसरी बहेन वो सोनु थी.. वो कौन होगी.. वोही उनकी पहेली बीवी थीनां..? ओर वो कीसकी कोखसे पैदा होगी.. प्लीज मुजे उनके बारेमे बताओनां..

मंजुला : (हसते) कमीनी तु धीरे धीरे करते मुजसे सब बाते उगलवा रही हे.. अब छोड ये सब बाते..

सृती : (हसते) नही मंजु बस ये आखरी बात बतादो फीर मे तुमसे कुछभी नही पुछुगी.. प्लीज.. मे सब याद रखुगी.. ताकी मुजे तुम सबको पहेचाननेमे आसानी रहे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (गंभीर होते) सुन सृती.. भावु जब देवुसे प्रेगनेन्ट होगी तब मे भावुकी कोखसे पैदा हुगी.. तब मेरा विजय मेरी ही छोटी बहेनसे यानी भावु ओर देवुकी दुसरी लडकीसे प्यार करता होगा.. तब मेरी छोटी बहेनके कहेनेपे विजय उनकी बडी बहेनके साथ यानी मेरे साथ धोखेसे विजयसे संभोग करवायेगी.. ओर नतीजा विजय मुजे प्रेगनेन्ट कर देगा..

ओर फीर मेरी छोटी बहेनके बजाय विजयकी सादी मुजसे करदी जायेगी.. ओर मुजे जो पहेली बच्ची होगी वोही हमारी सोनु होगी.. यानी मेरे पोतेकी पहेली बीवी.. तब मेराही बेटा अपनी बडी बहेनसे सादी करलेगा.. तुजे पता हेना.. उस राजाने सोनुको पहेली बीवी होनेका वचन दिया था.. जो आजभी हमारे स्वामी उसे वचनसे बंधे हे.. उनके हर अंसके साथ सोनुही उनकी पहेली बीवी होती हे.. बस इस जन्ममेभी वो रीस्ता कायम रखेगे.. मेरी सोनुही उनकी पहीली बीवी होगी..

सृती : (धीरेसे सरमाकर) मंजु.. अ‍ेक बात कहु.. तुम कहेती हो इनके मुताबीक क्या हमारा देवुभी उनका अंस हेनां..? तो फीर तुमही उनकी पहेली बीवी हो.. ओर तुमतो देवयानी हो.. तो फीर सोनुके वचनका क्या हुआ..?

मंजुला : (थोडा गंभीर होते) नही सृती.. आइ अ‍ेम सोरी.. मे तुजे इस बातका जवाब नही दे पाउगी.. उन दोनो आजभी अपने वचनसे बंधे हे.. हमारी सोनु आजभी मेरे देवुकी पहेली बीवी हे.. बस मे तुजे इस जन्ममे उनकी पहेचान नही करवा सकती.. मे तुजे सीर्फ इतना बता सकती हुकी मे हमारे देवुकी पहेली बीवी नही.. उनकी दुसरी बीवी हु.. बस सीर्फ दुनीया वालोकी नजरमे मे उनकी पहेली बीवी हु..

सृती : (हसते) मंजु.. मे समज गइ.. जरुर तेरी कोइ मजबुरी होगी.. इसीलीये तु उनका नाम नही लेपा रही.. कुछ रीस्ते होते हे.. जो हमे उसे सबके सामने उजागर नही करना चाहीये.. तुजेतो पुरी कहानी पता हे.. तो तुजे उस राजाकी सब बीवीयोके बारेमे पता होगा.. तो उनके बारेमेभी जानती होगी..

मंजुला : (जुठा गुसा करते) हां लेकीन कमीनी मे अभी तुजे कुछभी नही बताउगी.. जीतनी जरुरी बातेथी वो सब तुजे बतादी.. समजी..

सृती : (हसते) चल ठीक हे.. मे सब याद रखुगी.. देखती हु मे तुजे तब पहेचान जाती हुकी नही..

भुमीका : (बहारसे जोरोसे आवाज लगाते) अरे दोनो कबसे क्या बाते कर रही हो.. कुछ खाना बानाभी बनाती होकी सीर्फ बाते ही करती हो..

सृती : (जोरोसे) मम्मी खानाभी बन रहा हे.. ओर बातेभी हो रही हे.. आप फीकर मत कीजीये.. अभी मंजु वहा आती हे..

मंजुला : (खडी होते) सृती मेने सब सब्जी काटली हे.. तु खाना बना.. मे थोडी देर विजयको लेकर आंटीके पास बेठती हु.. देखती हु वो भुखा होगा.. उसे दुध पीलादु..

सृती : (जोरोसे हसते फीर धीरेसे मजाकमे) हां जा देखले.. अच्छेसे दुध पीलाना.. ताकी दुसरे जन्ममे तुजे अच्छेसे ठोक सके.. हें..हें..हें.. चल जा.. मे खाना बना लुगी.. अब सब्जी कुकरपे चडाके सीर्फ रोटी ही तो बनानी हे.. जा देखले फीर मेभी बहार आती हु..

मंजुला : (सरमाते हसते धीरेसे) कमीनी.. सीर्फ मुजेही नही ये तुजेभी ठोकेगा.. समजी.. हें..हें..हें..

कहेते मंजु हाथ धोकर बहार चली गइ ओर सृतीके रुममे जाकर बच्चेको देखने लगी तब बच्चेने पीपी करलीतो मंजुने उनका डायपर चेन्ज करलीया ओर बच्चेको लेकर भुमीका आंटीके पास बेठ गइ ओर अपना ब्लाउस उचा करते विजयको दुध पीलाने लगी.. तब भुमीकाने कीताब बंध करके साइडमे रख दीया.. ओर मंजुके सरमे हाथ घुमाते उसे प्यार देने लगी.. तब मजुभी सरमाकर मुस्करा उठी.. ओर भुमीका आंटीके सामने देखकर हसती रही..

तभी दुसरी ओर मार्केटमे सभी अ‍ेक सारीके स्टोरमे सारीया सीलेक्ट कर रहेथे.. तब धिरेन ओर लखन दुसरे स्टोरपे अपने अपने कपडे ले रहेथे.. तब उनके साथ नीलमभी गइथी.. जो लखन ओर धिरेन उनके साथ मजाक करते बाते कर रहेथे.. तब नीलमभी उन दोनोके साथ हसी कजाक कर रहीथी.. अबतो धिरेन भी नीलमका कुछ खास खयाल रखने लगाथा.. ओर अपने सब कपडे नीलमको दिखा दिखाकर उनकी चोइसका लेने लगा.. इस बातपे नीलमभी खुस हो रहीथी..

नीलमको धिरेनका साथ बहुतही अच्छा लगने लगाथा.. इसी बीच धिरेनने नीलमको आइसक्रिम ओर मंहेगी चोकलेटभी दीलवाइ.. फीर उनकी ओरसे नीलमको अ‍ेक मंहेगी ओर सेक्सी ड्रेसभी दीलवाइ.. जीसे देखकर नीलम खुब सरमाइ.. वो उसे लेनेको मना कर रहीथी उनके बावजुद धिरेनने उसे जबरदस्तीसे दिलवाइ.. जब लखन अपनी खरीदी करनेमे बीजी था तब नीलमके लीये कुछ सींगारका सामानभी लीया..

नीलम : (सरमाकर धीरेसे) जीजु.. मुजे कुछ नही चाहीये.. लता दीदी सब देखलेगी ओर मुजसे कुछ कहेगी तो मे क्या कहुगी..? मे अ‍ैसी ड्रेस नही पहेनती..

धिरेन : (धीरेसे हसते) अरे.. वहा नही.. तु सहेर होस्टेलमे पढने आयेगी तब पहेनना.. वो कुछ नही कहेगी.. कुछ कहेतो मेरा नाम लेलेना.. केह देना मेरे बोयफ्रेन्डने दिलवाइ हे.. हें..हें..हें..

नीलम : (अ‍ेकदम सर्मसार होते) जीजु.. अ‍ेक मारुगी.. प्लीज.. यहा लखन जीजुभी हे.. कही सुनना ले.. मे कहासे आपकी गलफ्रेन्ड होगइ..? हें..हें..हें..

धिरेन : (हसते धीरेसे) क्यु..? क्या तुमने मेरी दोस्ती कबुल नही की..?

नीलम : (सरमाते हसते) हां.. वोतो की.. लेकीन..

धिरेन : (हसते) देखो नीलम तुम लडकी हो ओर मेरी दोस्त हो तो हो गइनां मेरी गर्लफ्रेन्ड..?

नीलम : (सरमाते हसते धीरेसे) जीजु.. आप बहुत नोटी हो.. बातोमे आपसे कोइ नही जीत सकता.. लेकीन गर्लफ्रेन्ड बोयफ्रेन्डका कीसीको पता चल गयातो..?

धिरेन : (धीरेसे कानमे) अरे कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. तुम मुजे फोन करना तब तुजे मे कुछ बताउगा.. नीलु.. कास तुम मुजे पहेले मीली होती.. मे तुमसेही सादी करलेता.. खैर.. अभी मेरी सालीतो हे.. ओर सालीभीतो आधी घरवाली होती हे..तो तुम मुजे आधाही प्यार देना.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होकर हहसते) जीजु.. प्लीज.. अ‍ैसी बाते मत करो.. मुजे सरम आ रही हे.. कोइ सुनेगातो क्या सोचेगे.. कुछतो सरम करो अपनी सालीसे अ‍ैसी बाते करते हो.. आप बहुत बदमास हो.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे कानमें) नीलु.. अब मुजे जीजु कहेना बंध करदे.. हम दोनो दोस्त हे.. मुजे मेरे नामसे बुलानां.. क्या मे तुजे अच्छा नही लगता..

नीलम : (सरमाकर हसते धीरेसे) जीजु.. प्लीज.. अच्छेकी बात नही हे.. कही कोइ सुननांले.. मुजे मार नही खानी.. मे कैसे आपको नामसे बुला सकती हु.. आप मेरे जीजु हे..

धिरेन : (हसते) अरे सबके सामने नाम लेनेको थोडी केह रहा हु.. बस.. जब हम दोनो अकेलेहो.. तब तुम मुजे नासे बुलाओगी बस.. ओर फोनपेभी मुजे नामसे बुलाना.. समजी.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा..

नीलम : (सरमाकर हसते) जीजु.. देखना अ‍ेक दिन आप मुजे मरवाओगे.. हें..हें..हें.. आपका नंबर मेरे पास थोडीनां हे..? वोतो पुनम दीदीके पास होगा.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) नीलु.. आइ लव यु.. मुजे तुमसे सचमे प्यार होगया हे.. मे तुजे अपना नंबर देदुगा.. मुजे अकेलेमे फोन करना..

नीलम : (अ‍ेकदम सर्मसार होते) जीजु.. प्लीज.. ये नही हो सकता.. हम दोनो सीर्फ दोस्तही अच्छे हे.. अगर कीसीको पता चल गयातो मेरी तो खैरही नही.. प्लीज. ये प्यारका भुत अपने दिमागसे उतारदो..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) नीलु.. तु मुजसे प्यार करती हेतो जरुर मुजे फोन करोगी.. तुजे मेरी कसम..

तभी लखन धिरेनको आवाज लगाकर अपने पास बुलाता हे तब धिरेन ना चाहते हुअ‍ेभी लखनके पास चला गया.. तब नीलमनेभी राहतकी सांसली ओर वो धिरेनके सामने सरारतभरी मुस्कान करते उनके सामने अपनी जीभ नीकालते हसते हुअ‍े धिरेनके साथ लखनके पास चली गइ.. लेकीन आज धिरेनके प्रपोजसे नीलम मनही मन बहुतही खुस होगइ.. आज पहेली बार वो रोमांचीत होने लगी.. ओर उनकी चुतमे हल्कीसी हलचल होने लगी.. तब नीलम खुब सरमाइ..

तो दुसरी ओर चंदा पुनम लता ओर देवायत सारीके सोरुम मे थे.. तब चंदा सब सारीया देवायतको हस हसके दीखा दीखाकर सीलेक्ट कर रहीथी.. तब पुनमको आज चंदासे काफी ज्वेलेसी फील होने लगी.. तो दुसरी ओर लताभी बार बार देवायतके पेन्टके उभारको देखते सरमाते हसती रही.. क्युकी देवायतके पेन्टमे उनका विकराल लंडका उभार साफ दिखाइ दे रहाथा.. तब अ‍ेक दो बार देवायतनेभी नोटीस करलीया.. लेकीन उसने लतापे ज्यादा ध्यान नही दीया.. फीर अ‍ेक घंटेकी मसकसके बाद सबने कपडे खरीद लीये.. ओर दुसरी दुकानपे चले गये....

कन्टीन्यु
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९५

तो दुसरी ओर चंदा पुनम लता ओर देवायत सारीके सोरुम मे थे.. तब चंदा सब सारीया देवायतको हस हसके दीखा दीखाकर सीलेक्ट कर रहीथी.. तब पुनमको आज चंदासे काफी ज्वेलेसी फील होने लगी.. तो दुसरी ओर लताभी बार बार देवायतके पेन्टके उभारको देखते सरमाते हसती रही.. क्युकी देवायतके पेन्टमे उनका विकराल लंडका उभार साफ दिखाइ दे रहाथा.. तब अ‍ेक दो बार देवायतनेभी नोटीस करलीया.. लेकीन उसने लतापे ज्यादा ध्यान नही दीया.. फीर अ‍ेक घंटेकी मसकसके बाद सबने कपडे खरीद लीये.. ओर दुसरी दुकानपे चले गये....अब आगे

वहाभी सबने कपडे ओर कुछ अंडर गारमेन्ट्स खरीद लीये.. फीर सभी लोग अ‍ेक ज्वेलेरी सोपमे चले गये वहा चंदाने पुनम ओर लताके लीये कुछ बाकी रेह गइ ज्वेलेरी लेली.. इसी बीच लता ओर लखनभी खुलकर साथ बाते करते रहे.. ओर सबके सामनेही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडके चलते रहे.. धिरेनको अभी तक पुनमने कुछ करने नही दीयाथा.. वो सादीसे पहेलेही पुनमको चोदना चाहता था.. लेकीन पुनम उनसे हर बार दुरीया बनाकर रखती थी..

इसीलीये वो थोडा बोखलाया हुआ था.. जीनकी वजहसे उनकी पुनमसे दुरीया ओर नीलमसे नजदीकीया बढ रहीथी.. तभी धिरेनको नीलमके साथ चलते बातोसे पता चलाकी वो सहेरमे पढनेके लीये पुनमथी वोही होस्टेलमे आरही जहा पुनम ओर लखन थे.. तो ये बात सुनकर धिरेन बहुतही अ‍ेक्साइटेड होने लगा.. क्युकी वोभी सहेरमेही जोब करता था तो नीलमको मीलनेमे बडी आसानी रहेगी.. यही सोचते वो पुनमके साथ साथ नीलमकोभी महेंगी महेंगी गीफ्ट दीलवाके सेट करनेमे लगा हुआथा..

क्युकी वो जान चुकाथाकी नीलम सहेरमे अकेली पढने आ रही हे वो नीलमको बडी आसानीसे सेट कर सकताथा यही सब सोचते वो नीलमपे कुछ ज्याादाही ध्यान देने लगा.. हांलाकी नीलम अभी टीनअ‍ेजर थी.. ओर अभी अभी जवानीकी ओर कदम रख रही थी.. धिरेन पुनम ओर लखन लताको देखकर प्यारकी परीभासा समजने लगीथी.. धिरेनका नीलमकी ओर ढलनेका सीर्फ अ‍ेकही रीजन था..

पुनमने उसे अभी तक सेक्स करने नही दीया.. जो उनसे बहुत उमीद लेकर बैठाथा.. तो दुसरी ओर नीलमकोभी धिरेनका साथ अच्छा लगने लगा.. ओर वो पुनमके साथ रहेके धिरेनसे ज्यादासे ज्यादा नजदीक रहेके उनसे बाते करती रही.. तब बीच बीचमे धिरेन पुनमकी नजर बचाते हल्का मजाक करते नीलमको छुने लगता.. बातो बातोमे कभी नीलमको पीठमे मुका मार देता या उनकी कमरमे चीटकी काट लेता तो कभी नीलमकी गरदन दबोच लेता.. तो नीलमकोभी इस खेलमे बहुत मजा आ रहाथा..

नीलमकोभी धिरेनकी अ‍ैसी मस्तीया अच्छी लगने लगी ओर वो सरमाते मुस्करा देती.. भलेही धिरेनने उनसे प्यारका इजहार करलीयाथा ओर नीलमने कुछ जवाब नही दिया लेकीन नीलम मनही मन धिरेनके प्यारको अ‍ेक्सेप्ट कर चुकीथी.. तभी धिरेनने अ‍ेक कागजकी परचीमे कुछ लीखर सबकी नजर बचाते वो परची नीलमको देदी ओर कानमे धीरेसे घर जाके देखलेना कहेकर हसने लगा..

तो नीलमनेभी गभराते सबकी ओर देखते वो परची जटसे अपने हाथोमे छुपाली.. ओर धेरसे अपनी जेबमे रखली.. ये सब हरकतसे वो बहुतही रोमांचीत होने लगी.. जीनकी वजहसे आज उनकी चुतभी फडफडाते गीली होने लगी.. उनकोतो पताही नही थाकी सब क्यु हो रहा हे.. उनपेभी नइ नइ जवानी चडी हुइथी.. तब उनको धिरेनकी नीयतका पता नही था.. लेकीन इस बातको पुनम बरोबर नोटीस कर रहीथी..

उनकी तेज नजर धिरेनकी सब हरकते नोटीस कर रहीथी.. ओर इस बातका उसे कोइ अ‍ेतराजभी नही था.. उनकोतो सीर्फ अपने भाइ देवायतसे मतलब था.. लेकीन फीरभी धिरेन उनका होने वाला पतीथा.. ओर नीलम अभी इन सब चीजोके लीये छोटी थी.. ओर पुनमने धीरेसे इस बातको लेकर लताको आगाह कर दीया.. पुनमकी बात सुनतेही लताभी चोंक गइ..

लेकीन लखनका साथ होनेकी वजहसे लताने कुछ खास ध्यान नही दीया.. वो नीलमको अकेली मीलकर इस बारेमे उनसे बात करनेकी ठानली.. ओर वोभी कभी नीलम ओर धिरेनकी हरकतोपे नजर रखते ध्यान रखने लगी.. तब धिरेन ओर नीलम अपनीही मस्तीओमे खोये हुअ‍े थे.. तो दुसरी ओर इधर घरपे सृती खाना बना रहीथी तब मंजु ओर भुमीका आंटी सोफेपे बेठकर आपसमे धीरे धीरे बाते कर रहीथी..

भुमीका : (धीरेसे) मंजु बेटा बाय चान्स.. अरे बाय चान्स क्या मानलोना सृतीकी देवुसे सादी होगइ.. तो फीर सृती रहेगी कहा..? मेतो यहा अकेली होजाउगी.. क्या इस बारेमे तुमने कुछ सोचा हे..?

मंजुला : (हसते) बुआ.. आप इसकी चीन्ता तो छोडही दो.. सृती इधरही आपके पासही रहेगी.. बस देवु इधर आता जाता रहेगा.. क्युकी वहाभी उनकी रानीया ओर उनका कारोबार हे.. ओर मे येभी जानती हु सृती अ‍ेक डोक्टर हे ओर उनकी क्लीनीक यहा हे.. तो उनकाभी यहा रहेना जरुरी हे.. तो आप इस बातकी बीलकुल फीकर मत करना.. सृती इधरही आपके पासही रहेगी.. ओर वेसे देवुकी अ‍ेक रानी इधरभी तो होनी चाहीये.. हें..हें..हें..

भुमीका : (खुस होते हसते) बेटी.. तबतो ठीक हे.. वो मुजे मीलनेभी तो नही आता.. अब इनकी बीवीसे मीलनेके बहाने यहा आता जाता रहेगा.. लेकीन वो इतना कहा बीजी रहेता हे..? सृतीसे कीतनी बार कहेलवाया वो आयाही नही.. आज कल बहुत बीजी हो गया हे..

मंजुला : (हसते) बुआ.. बस ये चारोकी सादी होजाये.. फीर हम सब फ्रि होजायेगे.. ओर उपरसे मेरे पीता बीमार हे.. ओर वो भानुभाइके मामाभी गुजर गये.. ओर अभी गांवमेभी कोइ सरपंच नही था.. तो गांवकाभी देखना होता हे.. अभी अभी उनके अ‍ेक दोस्तको सरपंच बनाया हे.. अब वो वहासे फ्रि होगये हे.. लेकीन आपको उनसे कुछ कामथा क्या..? मुजे केह देयी.. आप कहीयेना मे देवुसे बात करलुगी..

भुमीका : (हसते) अरे कुछ खास काम नही था.. बस कीतने दिन होगेये उनकी सकल नही देखी थी.. ओर उनको सृतीकी क्लीनीकका भी पुछना था.. वो आदमी पीछले कइ महीनोसे कीराया लेने ही नही आया..

मंजुला : (हसते) बुआ.. उन कीरायेकी फीकर छोडदो वो देवु सब स्महाल लेगा.. बस आपतो मजेही करो..

भुमीका : (हसते) वोतो ठीक हे बेटी.. लेकीन पुरा बिल्डींग बनाकर हमेही कीरायेपे देदीया.. ओर अभी तक इनके मालीकको भी नही देखा.. बस उनका आदमी कीराया लेकर चला जाता हे.. ओर देखो.. बील्डींगका नामभी मेराही रखा हे.. भुमी.. तभी मे इनके मालीकको मीलना चाहती हु.. क्यु उनके घरमेभी कोइ भुमी नामका हे.. जो ये नाम रखा हे..

मंजुला : बुआ.. हो सकता हे ये सीर्फ संजोगही हो.. कोइ भुमी नामका होगा उनके घरमे हमे क्या लेना देना..

भुमीका : चल ठीक हे.. ये बता तुमने पुनमकी सादी कब रखी हे..? क्या वहा नीमुभी आरही हेनां..? तो मे ओर सृतीभी आजायेगे.. वही नीमुसे ओर राजीवकोभी मीलकर हाल चाल पुछ लुंगी.. कीतने साल होगये.. मेनेतो राजीवको देखाही नही.. ओर तेरी मम्मीभीतो कीतने सालोके बाद मीली..

मंजुला : बुआ.. वो सादीका मुहुर्त बाबाने नीकाला हे.. बस अब सादीमे सीर्फ अ‍ेक हप्ता रेह गया हे.. तो आप ओर सृती पहेलेही आजाना.. कीतने दिन होगये होगे.. सृतीनेभी कोइ छुटी नही रखी होगी.. तो सब साथ मीलके खुब अ‍ेन्जोय करेगे.. आप सृतीको केह देना वरना वोतो मेरी बात मानेगी ही नही.. आपको कमसे कम वहा तीन दिनतो रहेनाही पडेगा.. मे अभीसे केह देती हु.. हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) अरे तु फीकर मत कर.. उनकोतो मे कान खीचकर लेआउगी.. ओर आयेगी क्यु नही..? अब वोभीतो उनका ससुराल हे.. तो देखभी लेगी.. बस मेभी कोलेजमे थी तब सबके साथ दो तीन बार गइ हु.. क्या अबभी हवेली अ‍ैसीही हेकी कुछ चेन्ज होगया हे..?

मंजुला : अरे बुआ.. अबतो बहुत कुछ बदल गया हे.. बहारसे सबकुछ अ‍ैसाही हे बस अंदरसे अ‍ेक बडे बंगलोकी तराह करदीया हे.. ओर सब सुवीधाये हे.. आप अ‍ेक बार आकर देखीयेतो सही.. आपतो जानती हे मेरे ससुने यहा अ‍ेक बंगलो खरीदके रखा हे ओर अबतो देवुभी यहा सहेरमे दुसरा अ‍ेक बडा बंगला खरीदनेको केह रहाथा.. सायद लखनभैया ओर लताको वो यहा रहेने भेजदे.. देखते हे अब..

भुमीका : बेटी.. तु कहेती हे वहा देवुका इतना बडा कारोबार हे तो क्या वो अकेला स्महाल पाता हे..? क्या लखन वहा नही जाता..? तो फीर वो यहा कैसे आयेगा..?

मंजुला : (तभी सृतीभी काम नीपटाके आकर दोनोके साथ बैठ जाती हे) बुआ.. वहा उनके साथ भानुभाइ ओर लखनभी हे.. अब देखते हे आगे क्या होता हे.. वो अ‍ेक बार केह रहेथेकी लखनको सहेरमे भेज देना हे.. (सृतीकी ओर) सृती खाना बन गया..?

सृती : हां सीर्फ रोटीया ही तो बनानी थी.. बाकीकातो सब होगया हे ओर सब्जी पक रही हे.. तु थोडी देर बैठ मम्मीसे बात कर.. तबतक मे पासकी मीठाइकी दुकानसे कुछ लाती हु..

मंजुला : (हसते) अरे नही.. तु रहेने दे.. हम यही सादा खाना खा लेगे.. कुछ नही लाना.. बैठ इधर..

भुमीका : (हसते) अरे अ‍ैसे कैसे नही लाना..? अबतो देवु मेरा जमाइ होने वाला हे.. जा सृती कुछ लेकर आ.. कीतने दिनोके बाद सबलोग साथ आये हे.. मुजेतो अ‍ैसाही लगताहे आप सबलोग मेरी सृतीका रीस्ता लेकर आये हो.. हें..हें..हें.. जा जा.. कुछ बडीयासी मीठाइ लेकरआ.. हें..हें..हें..

कहातो सृती सर्मसार होते हसती हुइ खडी होगइ.. ओर कीचनमे चली गइ.. फीर अ‍ेक डीबा लेकर अपने स्कुटरपे चली गइ.. तबतक भुमीका ओर सुती बाते करते रहे तब थोडी देरके बाद सृतीभी बासुंदी लेकर वापस आगइ.. तो पीछे भी सभी लोग खरीदी करके वापस आगये.. ओर सब अ‍ेक अ‍ेक करते फ्रेस होकर होलमे आने लगे.. ओर सोफेपे बेठने लगे.. तब चंदा ओर पुनम सृतीकी हेल्प करने कीचनमे चली गइ..

चंदा अभीभी अ‍ेक दुल्हने लीबासमे चज रही थी.. उनके हाथोकी कलाइमे चुडीयोकी खनखनाहट ओर पैरमे जांजरकी जनकार सुनकर सबको अपनी ओर ध्यान खीच रहीथी.. ओर देवायततो उनकी आवाज सुनकर आज चंदाके पीछे पागलही हो गयाथा पुरी रास्ते उसने चंदाका हाथ नही छोडा.. ओर चंदाभी सादीके बाद देवायतसे बाते करनेमे काफी खुल गइथी.. जो पहेले सीर्फ देवायतसे अकेली होतीथी, लेकीन अब सबके सामने बीन्दास देवायतके साथ अ‍ेक पत्नी जैसा व्यवहार कर रहीथी.. जीसे देखकर कभी कभी धिरेन ओर पुनमभी सरमा जाते थे..

तब लता लखन धिरेन नीलम अभीभी आपसमे मस्ती मजाक करते सोफेमे बेठे थे.. तभी देवायतभी कार पार्क करके भुमीकाके पास आकर बेठ गया.. तो अब भुमीकाका नजरीया देवुको देखते ही बदल गया.. ओर वो प्यारभरी नजरोसे देवायतको अ‍ेक दामादके रुपमे देखने लगी.. ओर प्यारसे उनके सरमे हाथ घुमाते उसे अजीब नीगाहोसे देखते प्यार देने लगी.. तब देवायतको भी थोडा अजीब लगा..

आज सबके सामने भुमीका उसे प्यार दे रही हे.. ओर वो उनके सामने प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखकर मुस्कराने लगा.. तभी अचानक भुमीकाने देवायतको आंखोके इसारेसे कुछ बात करली.. तब देवायत सब कुछ समज गया.. दोनोने आंखोके इसारोसे क्या बाते करली कीसीको कुछ नही पता चला.. फीरभी उनकोतो पताही नहीथा की उनके जातेही पीछेसे उनके ओर सृतीके बारेमे क्या बाते हुइ हे.. सीर्फ देवायतही नही.. बाकीके सभी लोग इस बातसे अन्जानथे की उनका ओर सृतीका रीस्ता आपसमे तैय होगया हे..

देवायत : कहो आंटी.. बातो बातोमे हम सब चले गयेतो पुछना ही भुल गयाथा.. क्या काम था मुजसे..?

भुमीका : (हसते) तो क्या काम होगा तभी तु आयेगा..? अ‍ैसेही अपनी आंटीको मीलने नही आ सकता..? ओर आंटीके बच्चे ये आंटी आंटी क्या लगा रखा हे.. मे बुआ हु तेरी.. किशन मेरा भाइ था.. समजे..? (धीरेसे) की तुजे दुसरे तरीकेसे समजाना पडेगा..

देवायत : (हसते) सोरी बुआ.. समज गया.. मे आता जाता तो रहेता हु.. लेकीन आपतो जानती हे मे अभी कुछ काममे फसा हुआथा.. अब आजाउगा.. ओर वेसेभी अबतो मेरी बुआका घर हे मे कभीभी बिन्दास्त आजा सकता हु.. हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) हां ये हुइना बात.. देवु बेटा.. वो तेरा बील्डर दोस्तका आदमी पीछले कइ महीनोसे कीराया लेने ही नही आया.. जो मेने उनका कीराया सम्हालके रखा हे.. अब तु आज आयाहे तो लेकर जाना.. ओर वो मीलेतो उसे दे देना.. हमे इतनी बडी बील्डींग बनाकर देदी.. तो हमाराभी फर्ज बनता हे की हम उसे टाइमपे कीराया देदे..

देवायत : (हसते) छोडीये बुआ उसे.. जब उनको जरुरत पडेगी तब वो लेजायेगा.. तबतक आप रखीये.. हें..हें..हें..

तभी चंदा सब सारीया कपडे ओर ज्वेलेरी लेकर आगइ.. फीर मंजु ओर भुमीकाको दीखाने लगी.. तो दुसरी ओर पुनम लता नीलम सब खाना कीचनसे बहार लाने लगी.. तभी दो महेंगी सारीया नीकालके चंदाने भुमीका ओर सृतीके लीये देदी जो चंदा उनके लीये लाइ थी.. तो भुमीका मना करने लगी.. तब मंजुने जबरदस्तीसे उसे देदीया.. फीर सभी अ‍ेक साथ भारतीय बेठकमे खाना खाने बेठ गये..

सभी बाते करते ओर अ‍ेक दुसरोकी मस्तीया करते खाना खाते रहे.. तब सृती बार बार सरमाती हुइ देवायतको चोर नजरोसे देखती रही.. ओर मंजुके सामने देखते हसती रही.. तो लखन लताभी साथमे बैठकर खाना खाते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया कर रहेथे.. तो दुसरी ओर धिरेनभी पुनमके साथ बेठकर खाना खा रहाथा तब नीलमभी धिरेनके साथ दुसरी साइड बैठ गइथी.. ओर धिरेनकी ओर देखकर सरमाते मुस्कराती रही..

तभी सबकी नजर बचाते धिरेन नीलमकी जांघोपे हाथ रखकर उनको छु लेता हे.. तब नीलम बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर गभराते सबकी ओर देखने लगी.. जब कीसीका ध्यान उनकी ओर नही था.. तब वो सरमाकर मुस्कराने लगती.. ओर धिरनका हाथ हटानेकी कोसीस करने लगी.. उनको धिरेनका अ‍ैसे छुपकेसे छुना बहुतही अच्छा लगने लगा.. फीरतो वोभी सामनेसे धिरेनको छुनेका पुरा मौका देने लगी..

ओर सबने बाते करते भोजन फीनीस कीया.. फीर सब सोफेपे बेठ गये तब सृती लता चंदा पुनम सबने मीलकर सब काम नीपटा लीया.. ओर सबके साथ आकर बेठ गइ.. तब मंजुने सभी सारीओमेसे अ‍ेक महंगी सारी नीकालकर सृतीके हातोमे देदी तो सृती सरमाते सारी लेनेको मना करने लगी.. तो भुमीकाने हसते हुअ‍े उनको सारी लेनेको हां केहदीया तब मंजुने उसे धीरेसे कानमे सगुनकी सारी हे.. कहा तो सृतीने सरमाते हसते हुअ‍े सारीको लेलीया.. तब चंदा पुनम लता सब आस्चर्यसे दोनोही ओर देखते रहे..

फीर थोडी देर सब साथमे बैठकर बाते करके रहे.. इसी बीच धिरेन ओर नीलम अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करते रहे..र तब चार आंखे उन दोनोकी सभी हरकतोपे नजर जमाये देख रहीथी.. वो थी पुनम ओर लता.. फीर सब नीकलने लगे.. तो सृती नीरास होने लगी.. तब मंजु सब समज गइ ओर उसने सृतीको हग करलीया.. ओर जल्द अपने घर आनेको केह दीया.. तब सृतीके चहेरेपे स्माइल आगइ.. ओर सब भुमीकाके पैर छुकर नीकलने लगे..

देवायतभी भुमीकाके पैर छुनेके लीये जुका तब भुमीकाने फौरन उसे कंधेसे पकडकर खडा करदीया ओर कातील स्माइल करते देवायतको गले लगा लीया.. तब देवायतने सरारतसे भुमीकाको जरा जोरोसे बाहोमे भीज लीया तो भुमीका धीरेसे आउच.. करते मुस्कराने लगी.. ओर देवायतसे अलग होकर हसते हुअ‍े उनके कंधेपे मुका जडदीया तब उसे देखकर सृतीभी सरमाते हसने लगी..

फीर उसनेभी सरमाते हसते हुअ‍े देवायतको हाथ हीलाकर बाय कहा.. आज देवायतको वो अपना जीजाजी नही अपना होनेवाला पतीके रुपमे देख रहीथी.. आज पहेली बार देवायतके जानेसे वो नीरास लग रहीथी.. ओर ये बात भुमीकाभी नोटीस कर रहीथी.. ओर सभी कारमे बेठकर अपने गांवकी ओर नीकल पडे.. तब आज मंजुने चंदाको आगे देवायतके साथ बीठा दीया.. तो चंदा खुब सरमाइ..

तब बीच रास्तेमे सब मस्तीया करते जा रहेथे.. आज चंदा देवायतकी बगल वाली सीटमे बैठी हुइथी.. ओर बार बार देवायतकी ओर देखते सरमाते हस रहीथी.. तो देवायतभी उनकी ओर देखते कुछ कामुक इसारा कर देताथा.. तब चंदा खुुब सर्मसार होकर हसने लगती थी.. तो लखन ओर लता अ‍ैक साथ बेठे थे तो सामनेकी सीटमे आज धिरेन ओर नीलम अ‍ेक साथ लखन लताके सामने बेठे थे..

ओर रास्तेमे अंधेरेका फायदा उठाते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करने लगे.. अंधेरीकी वजहसे कीसीको कुछभी दीखाइ नही देताथा.. ओर आज धिरेन उसी बातका पुरा फायदा उठाना चाहता था.. तब पुमन ओर मंजु विजयको लेकर बीचकी सीटमे बेठीथी.. ओर कार अंधेरेमे सडकपे दोड रहीथी.. तब मौका देखतेही लखन ओर लता अ‍ेक दुसरेके साथ छेडखानी करने लगे.. ओर लखनने अ‍ेक हाथ लताके गलेमे डाल दीया..

ओर लताको अपनी ओर खीचकर पासमे सटालीया.. तब लता खुब सरमाइ ओर हसती रही.. तभी उनको अपने बुब्सपे लखनका दुसरा हाथ महेसुस हुआ ओर वो सरसे पांव तक हील गइ.. ओर मुह घुमाते लखनके कंधेपे सर रख दीया.. उनकी चुत हरकतमे आगइ उनके दोनो होठ फडफडाने लगे.. पीछे कीसी कारकी रोसनी पडतेही नीलमकी नजर उन दोनोकी हरकतोपे चली गइ.. जीसे देखकर नीलम सममाते हसती रही..

तभी नीलमको अपने पेरपे कीसीका पैर महेसुस हुआ जो उनके पैरको सहेला रहाथा.. तब वो देखते समज गइ की ये धिरेन जीजुकी सरारत हे.. ओर वो सर्मसार होते अपने पैर दुर करने लगी.. ओर सबकी नजर बचाते वो इसारोसे धिरेनको हसते हुअ‍े मना करने लगी.. जब नीलमने हसते हुअ‍े सबकी नजर बचाते धिरेनका हाथ दबाकर इसारोसे मना कीया तो धिरेन समज गयाकी अब आगे बढनेका रास्ता क्लीयर हे..

ओर उसने धीरेसे नीलमकी जांगोपे अपना हाथ रख दीया.. ओर धीरे धीरे सहेलाने लगा.. तब नीलम अ‍ेकदम सर्मसार होने लगी.. उनको कुछ समजमे नही आ रहाथा की वो क्या करे.. उनकी जींदगीमे आज पहेली बारथा जो कीसी अंधेरेमे कोइ लडका उनको इस तराह छेड रहाथा.. धिरेनकी ये हरकत उनको बहुतही रोमांचीत करने लगी.. ओर वो सबसे छुपकेसे धिरेनका हाथ पकड लेती हे.. ओर सरमाते मुस्कराते हुअ‍े अपनी जागसे धिरेनका हाथ हटानेकी नाकाम कोसीस करने लगी..

नीलम : (धीरेसे हसते) जीजु प्लीज.. रहेने दीजीयेनां यहा नही.. कोइ देख लेगा.. आप बहुत सरारती हे..

धिरेन : (जांग सहेलाते धीरेसे उनके कानमे) कोइ नही देखेगा.. यहा बहुत अंधेरा हे.. नीलु तुम मुजे बहुत अच्छी लगती हो.. तुम वाकइ बहुतही सुंदर हो.. आइ लव यु.. मेने तुजे चीठीमे मेरा फोन नंबर दीया हे मुजे कल अकेलेमे फोन करना..

नीलम : (हसते धीरेसे कानमे) जीजु सरम करो.. अगर पुनमदीदीको पता चल गयातो आपको मार डालेगी.. हें..हें..हें.. में आपकी साली हु.. अपनी सालीपे ही लाइन मार रहे हो.. कीसीको पता चल गया तो..?

धिरेन : (धीरेसे कानमें) अरे कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. नीलु.. अभी यहा नही तु मुजे कल फोन करना मे घरपे अकेला ही हु.. तुजे सबकुछ बताउगा.. ओर वैसे सालीभी तो आधी घरवाली होती हे.. हें..हें..हें..

नीलम : (हसते धीरेसे कानमें) भुल जाओ जीजु मे कोइ फोन बोन करने वाली नही हु.. मुजे मार नही खानी.. हें..हें..हें.. मे आपकी साली हु घरवाली नही.. पुनमदीदीको कहेना वो आपकी घरवाली हे.. वो आपको फोन करेगी.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) प्लीज नीलु.. बस अ‍ेब बार मुजे फोन करना.. फीर मे तुजे कुछ बताउगा.. अगर तुमने मुजे फोन नही कीयातो तुजे मेरी कसम.. बस तुम अ‍ेक बार मेरी बात सुनलेना.. फीर खुद डीसाइड करना में तुजेही पुरी घरवाली बनाना चाहता हुं..

नीलम : (जुठा गुसा करते धीरेसे) जीजु.. मुजे नही बनना पुरी घरवाली.. कुछतो सरम करो.. अभी आपकी सादीभी नही हुइ ओर आप अ‍ैसी बाते कर रहे हो.. ओर आपने कसम क्यु दी..? मे कोइ फोन बोन नही करुगी.. पुनमदीदीको देखा हे..? वो क्या सोचेगी..? आप अपनी हरकतोसे बाज आओ.. वरना आपको में खुब पीटुगी.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) ठीक हे.. अगर तु मुजे चाहती होगी तो मुजे जरुर फोन करोगी.. वरना मे समज जाउगा.. तु भी.. सबकी तराह.. जा मुजे तुमसे बात नही करनी.. मुजे बत बुलाना.. तुम सब लडकीया अ‍ेक जैसीही हो..

नीलम : (हसते धीरेसे कानमें) अरे आपतो नाराज होगये.. हें..हें..हें.. कोइ बात नही मे फोन करुगी.. लेकीन मेरे पास फोन नही हे.. मे लतादीदी या मेरी मम्मीके फोनसे फोन करुगी.. बस..? अब खुस..?

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धिरेन : (उनके गलेमे हाथ डालकर उसे अपनी ओर खीचते साथमे सटाकर) हां अब खुस.. ये हुइना बात.. नीलु.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच.. क्या तुम मुजे आइ लव यु नही कहेगी..?

नीलम : (धीरेसे कानमे) जीजु.. प्लीज.. छोडीये मुजे.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. यहा नही.. सब बैठे हे.. हम अकेलेमे फोनपे बात करेगेनां.. अगर लतादीदीने देखलीया तो मेरी खैर नही छोडीये प्लीज..

दोनो अपनी मस्तीमे बीजी थे तब उनको पताही नही थाकी सामने बेठे लखन ओर लता अंधेरेका फायदा उठाते क्या क्या कर रहेथे.. दोनोही सबको भुलके अ‍ेक दुसरेके होंठ चुमते अ‍ेक दुसरेके गुप्त पार्टके साथ खेल रहेथे.. ओर खेलते खेलते गरम हो गयेथे.. तब लखन लताकी चुतमे उंगली डालके हीला रहाथा तो लताभी देवायतके पेन्टके उभारको बार बार देखते कबसे कामातुर होगइ थी..

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ओर वो लखनके पेन्टके अंदर हाथ डालकर लखनका लंड अपनी मुठीमे पकड लेती हे.. ओर होले होले सहेलाने लगी.. दोनोही वासनाकी आगमे जलने लगे.. अगर दोनो अभी अकेले होतेतो लता पका इस वक्त लखनका लंड अपनी चुतमे लेकर उनसे चुदवाने लगती.. वो लखनका लंड कइ बार अपनी चुतमे ले चुकीथी.. ओर इसीलीये आज वो बीन्दास अ‍ेब बीवीकी हेसीयतसे लखनके साथ प्यार कर रही थी..

वो देवायतका लंड कइ बार उनकी मां सरलाकी चुदाइ करते वक्त देख चुकीथी.. ओर अपने रुमसे अक्सर अपने भाइको अपनी भाभी भावनाको चोदते हुअ‍े दखती रहेती थी.. जो लखनके ओर भानुके लंडको देवायतके लंडसे कंपैर करते उसे देवायतका लंड काफी बडा लग रहाथा.. लेकीन उसने बडी मुस्कीलसे अपने आपको कंट्रोल कीया था.. जबसे उनकी लखनके साथ सगाइ हुइ.. तबसे वो सीर्फ लखनके ही सपने देख रही थी..

ओर वो देवायतके लंडको इमेजींग करते लखनके लंडको अपनी मुठीमे पकडकर हीला रहीथी.. तो लखनभी लताकी चुतमे उंगली डालकर उसे अंदर बहार कर रहाथा.. ओर अ‍ेक हाथसे लताके बुब्सके साथ खेल रहाथा.. दोनोही कामातुर होते सबकुछ भुलकर अ‍ेक दुसरेके साथ प्यारका खेल खेल रहेथे.. तभी धिरेनकी नजर लखन ओर लताकी ओर चली गइ तब रातके अंधेरेमे हल्की रासनीमे लखन ओर लताकी हरकत देखकर वोभी गरम होने लगा.. ओर उसने तबही कुछ सोच लीया..

ओर वो नीलमको कानमे उसे लखन लताकी हरकतको देखनेके लीये कहेता हे.. तब नीलमका ध्यानभी लता लखनकी ओर गया.. ओर वो दोनोकी हरकत देखकर समरसे पानी पानी होगइ.. फीरा धिरेनसे दुसरी ओर मुह घुमाते मुस्कराने लगी.. नीलम लखन लताकी हरकत देखकर उतेजीत होने लगी.. तभी उनके छोटे संतरे जैसे बुब्सपे धिरेनका हाथ महेसुस हुआ जो उनको दबाते मसल रहाथा.. तब नीलमको बडा जटका लगा.. ओर वो सरसे पांवतक कांपने लगी..

वो जटसे आजु बाजु नजर घुकाते देखते गभरा गइ.. फीर नीलम अ‍ेकदम सर्मसार होगइ ओर वो समज गइकी ये धिरेनकी करतुत हे.. ओर वो गभराकर धिरेनके हाथको पकडते उसे हटाने लगी.. ओर धिरेनकी ओर गुसेसे देखकर बडी आंख करते उसे इसारोसे मना करने लगी.. तब अचानक धिरेनने उनके गलेमे हाथ डालकर नीलमके चहेरेको अपने मुहकी ओर खीचलीया ओर अपने चहेरेकी ओर जुका लीया..

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नीलम कुछ समज पाती इनसे पहेलेही अचानकही धिरेन नीलमके होठोपे होठ रखते चुमने लगता हे.. ओर दुसरे हाथोसे नीलमके बुब्स दबाते उसे मसलने लगता हे.. तो नीलमभी अपना सब होंस खोबेठी ओर धिरेनका साथ देने लगी.. तभी उनको अचानक याद आयाकी सामने लखन लताभी बैठे हे.. ओर वो डर गइ.. निलम धिरेनकी ओरसे हुअ‍े अचानक इस हमलेसे गभरा गइ.. अ‍ेकदम सर्मसार होकर जटसे धिरेनसे दुर हट गइ.. उनको कुछ समजमे नही आयाकी वो क्या करे..

लेकीन धिरेन उनको अपनी ओर खीचकर बार बार छेडता रहा.. तब नीलमभी आज पहेली बार काफी गरम होगइ.. धिरेन कभी उनके होंठ चुमलेता तो कभी नीलमके गलेको चुम लेता.. तो कभी उनके छोटे संतरे जैसे बुब्सको दबाकर सहेलाने लगता तो कभी उननकी जांगोको सहेलाता.. ओर हदतो तब होगइ धिरेनने अ‍ेक दो बार निलमका हाथ पकडके उनके पेन्टके उपरसेही लंडपे रख देताथा.. तब नीलम गभराते अपना हाथ वापस खीचलेती थी.. ओर लखनने इस छेडखानीके बीच दो बार नीलमकी चुतको भी दबोच लीया..

तब नीलम सरसे पांव तक हील गइ.. वो धिरेनकी इस हरकतकी वजहसे बहुतही सरमाइ.. फीर वोभी कामातुर होगइ.. ओर धिरेनकी इस हरकतका विरोध करना सेस मात्र रेह गया.. अब इस खेलमे नीलमको धीरे धीरे मजा आने लगा.. ओर वो गरम होने लगी.. आज पहेली बार उनकी चुतमे हलचल तेज होगइ.. ओर वो कामातुर होने लगी.. उनकी चुतसे आज पानीका रीसाव होने लगा ओर चुत गीली होगइ.. आज पहेली बार कोइ लडका उनको इस तरीकेसे छेड रहाथा..

तब इधर सामनेकी सीटमे लखन ओर लताभी सबकुछ भुलकर कामातुर होकर अ‍ेक दुसरेके साथ प्यार कर रहेथे.. तभी कुछ ही क्षणमे लता ओर लखन दोनोने अपना अपना पानी छोड दीया.. दोनोही जड गये तब लताका हाथ लखके वीर्यसे भीग गया.. तब वो खुब सरमाइ.. तभी लखनने अपना रुमाल नीकालके उसे दीया.. तब वो अपना हाथ पोछते खुब सरमाइ ओर मुस्कराते रुमाल अपनी चुतपे रखकर पेन्टीको सही करते अपने कपडे सही करने लगी..

कपडे सही करते उनको होस आयाकी यहा सभी लोग साथमे हे ओर सामने धिरेन ओर नीलम बैठे हे.. ओर वो थोडा गभराते अंधेरेमे नीलमकी ओर देखनेकी कोसीस करने लगी की कही नीलमनेतो उसे देखतो नही लीया.. तब वो चोंक गइ.. क्युकी अंधेरेमेभी हल्की रोसनीमे धिरेन नीलमके गलेमे हाथ डालके उसे अपने साथ सटाकर उनके साथ छेडखानी कर रहाथा.. छेडखानी करते धिरेन नीलमके होंठ चुमलेता फीर उनका मुह नीलमके कानके पास लेजाता ओर उनको कानमे कुछ हसते हुअ‍े केह रहाथा.. तब नीलम हसते हुअ‍े बुरी तराह सरमा जाती..

फीर नीलम हसते हुअ‍े उसे मना करते उनसे छुटनेकी कोसीस कर रहीथी.. वो नीलम ओर धिरेनकी सब हरकते देखने लगी.. अभीभी धिरेन कभी नीलमके बुब्स सहेलाता तो कभी नीलमके होंठ चुमलेता तब नीलमभी हस हसके धिरेनका साथ दे रहीथी.. तो लताको नीलमकी ओर धिरेनकी हरकते देखकर धिरेनपे ओर नीलमपे बहुत गुसा आने लगा.. क्युकी नीलम अभी इन सब चीजोके लीये बहुतही छोटी थी.. उसने लखनको कहा..

लता : (धीरेसे कानमे) लखन सामने देखो.. मुजे धिरेनकी नीयत कुछ अच्छी नही लगती.. नीलु अभी छोटी बच्ची हे.. धिरेन कीतना कमीना हे.. ठरकी कहीका.. इस छोटी बच्चीकोही फसालीया.. उनकी हरकत देखो.. मुजे उनसे बात करनी पडेगी..

लखन : (धिरेन नीलमकी ओर देअते धीरेसे कानमे) अरे हां.. येतो बडा कमीना लगता हे.. तुम नीलुको समजा देना उनसे दुर रहे.. अब इसेभी तो हम कुछ केह नही सकते.. पता नही भाइने इनके साथ क्या सोचकर पुनोकी सगाइ करदी.. कमीना.. बडाही ठरकी लगता हे..

लखनको आज धिरेनपे गुसा आने लगा.. लेकीन उनकी वजह ये नहीथीकी धिरेन उनकी साली नीलमको सेट करके उनसे प्यार कर रहाथा.. उनको बस इस बातपे धिरेनपे गुसा आरहाथा की उनसे पहेले धिरेनने उनकी सालीपे हाथ मार लीयाथा.. ओर इस बारेमे नीलमको खुद बात करते उसे ब्लेकमेइल करते कैसे उनके नीचे लीटाये इस बारेमे सोचने लगा.. ओर आज वो पहेली बार नीलमको वासनाभरी नजरोसे देखने लगा.. ओर उनका लंड फीरसे जटके मारने लगा.. तभी..

लता : (धीरेसे कानमे) लखन.. तुम अभी इस बारेमे कीसीको कुछ मत कहेना.. मे नीलुको समजा दुगी..

लखन : (धीरेसे) ठीक हे.. लता तुम आजही नीलुसे इस बारेमे बात करलेना.. ओर सबके सोनेके बाद मेरे रुममे उपर आजाना.. हम दोनो खुब मजे करेगे..

लता : (धीरेसे) पागल होगये हो क्या..? अभी अभीतो कीया हे.. आज नीलु भी मेरे साथ होगी.. अब अ‍ेक हप्तेकीतो बात हे.. अ‍ेक हप्ते तक सबर नही कर सकते..? ना बाबा ना.. मे नही आउगी.. कीसीको पता चल गया तो..? हमारी बहुत फजीहत होजायेगी.. बाबु थोडा सबर करलो.. फीरतो मे तुम्हारी ही हु.. जब चाहो जैसे चाहो मुजसे प्यार करलेना..

लखन : (हसते) अरे कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. आजतो भाइकी सुहागरात होगी.. तो दोनो भाभीयातो वही होगी.. ओर पुनोदीदीभी अपने कमरेमे सोयेगी.. सायद आज मंजु भाभीभी उनके साथ सोयेगी.. तो तुजे ओर नीलमकोभी ये लोग नीचे ही सुलायेगे.. जब नीलम सोजाये तब उपर मेरे कमरेमे आजाना.. वरना मे वहा आजाउगा..

लता : (धीरेसे कानमे) लखन पागल मत बनो.. प्लीज.. अभी तो कीया हे.., क्या तुम अ‍ेक हप्ता इन्तजार नही कर सकते..? बाबा कोइ देख लेगातो मेरी फजीहत होजायेगी.. मुजेतो बहुत डर लग रहा हे.. नीलुभीतो साथ होगी.. कमीनी इनको साथ ना लाइ होती तो अच्छा था.. कमसे कम इस कमीनेसेतो बच जाती.. मुजे नीलुको उनसे दुर करना होगा.. वरना हमारी इजत मीटीमे मीला देगी ये लडकी..

लखन : (हसते धीरेसे) चल पहेले देखते हे.. कोन कहा सोता हे.. हम बादमे देखते हे.. लेकीन तुम आजही नीलुको समजा देना.. वरना मुजसे कहेना हम दोनो नीलुको समजायेगे..

लता : (हसते गाल चुमते धीरेसे) अरे मेरा बाबु.. मान गया.. हें..हें..हें.. जानु मे भी आपकी तराह तडप रही हु.. लेकीन सादी तक इन्तजार करलो.. इन्तजारके बाद मीलनका कुछ ओर ही मजा हे.. हें..हें..हें.. जानु आप धिरेनके साथ बैठो मे नीलमको इधर बुला लेती हु वरना वो कमीना उसे खराब करदेगा.. ओर पहेले मेही नीलुसे बात करलुगी.. वरना दखती हु.. हम दोनो उसे समजायेगे.. अभी ठहेरो.. ओर तभी..

लता : नीलु जरा इधर आना.. मुजे तुमसे कुछ बात करनी हे..

नीलम : (अ‍ेकदम गभराते) जी.. जी दीदी अभी आइ..

तब नीलम गभराकर जटसे धिरेनसे दुर होगइ.. फीर धीरेसे अपने कपडे सही करते लताके पास जाकर बैठने लगी तो लखनभी खडा होते धिरेनके साथ बैठ गया.. तब धिरेन अपने आपको सही करते काफी नीरास होगया.. ओर वो फीकी मुस्कानके साथ लखनकी ओर देखते हसने लगा.. तो लखन भी धिरेनकी ओर देखते कातील स्माइल करने लगा....

कन्टीन्यु
 
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