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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २०१

तो पुनमने हाथ खीचकर राहतकी सांस ली.. ओर थोडा गुस्सेसे लखनकी ओर देखने लगी.. तब लखन मुस्कुराते सर जुकाते खाने लगा.. तो पुनम मनमे बडबडाते लखनको गालीया देने लगी.. तब उनके पास बैठी सृतीको भी पता चल गया..की लखनने जरुर कुछना कुछ पुनमके साथ सरारत कीहे.. तो वो पुनमसे पुछने लगी.. तो पुनमने सृतीको सब बता दीया.. जीसे सुनकर सृती लखनकी ओर कातील नजरोसे देखते हसने लगी.... अब आगे

आज उनके मनमे भी लखनको लेकर अ‍ेक अलग ही भावना पैदा होने लगी.. उनको मन ही मन पुनमसे ज्वेलेसी फील होने लगी.. वो सोचने लगी.. की कास मे पुनम दीदीकी जगहपे बैठी होती.. तो आज लखन भैया पुनमकी जगह मुजे छेडते.. लखन भैया कीतना मासुम ओर क्युट लग रहे हे.. दोनो भाइ कीसी कामदेवसे कम नही लग रहे.. दोनोका हे भी कीतना बडा.. बस.. अ‍ेक भाइको तो अजमा लीया..

कास.. मंजुने जो नीर्णय लीया हे.. ओर पुनम दीदीकी ने जो कहा हे वो बाते सच होजाये.. तो हमारे देवरसे रीलेशन रखनेमे मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. यही सब सोचते सृती लखन ओर पुनमकी ओर देखते मुस्कुराती रही.. तब पुनम सृतीकी ओर देखते बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर मुस्कुराने लगी.. क्युकी उनको सब पता चल गया था.. की इस वक्त सृती क्या सोच रही हे.. तो पुनमने सृतीके पास मुह लेजाकर उनके कानमे धीरेसे कहा..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. चीन्ता मत कीजीये.. बहुत जल्द आपकी ये तम्मना भी पुरी होजायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते जांगपे मुका मारते) दीदी.. आप ओर मंजु दोनो बहुत डेन्जर हो.. हम तो आपकी हाजरीमे कुछ सोच भी नही सकते.. आप दोनोको फौरन पता चल जाता हे.. आप बहुत डेन्जर हो.. दीदी अ‍ैसा कुछ भी नही हे जो आप सोच रही हो.. मे तो बस अ‍ैसे ही सोच रही थी..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. आप चीन्ता मत करो.. जो होना हे उसे कोइ टाल नही सकता.. ना आप ओर नाही मे.. जो होना हे वो होकर ही रहेगा.. ओर आप फीकर मत करो.. इनमे मेभी बाकात नही रहुगी..

कहा तो सृती आस्चर्य भरी नजरोसे पुनमकी ओर देखते मुस्कुराने लगी.. जब सबने खाना खालीया तब रमा जटसे उपर अपने रुममे चली गइ.. ओर जातेही सीधी बाथरुममे धुस गइ.. फीर सारी उची करके अपनी चडी नीकालकर कमोडपे बैठ गइ.. क्युकी लखनकी हरकतोकी वजहसे उनकी पुरी चडी जडकर गीली हो गइ थी.. फीर वो राहतकी सांस लेते अपनी चुतको पानीसे साफ करते सहेलाने लगी..

रमा : (मनमे) बडे जालीम हो लखनजी.. आज तो मेरी मुनीयाको ही छेडदी.. ओर मुजे अ‍ैसे ही जडा दीया.. अच्छा हुआ कीसीको पता नही चला.. अगर जालीम मेरी चुदाइ करेगा तो ना जाने क्या क्या करेगा.. ओर मुजे कीतनी बार जडा देगा.. हे भ---न जल्द हम दोनोका मीलन करवादे.. अब इनसे चुदाइके बीना नही रहा जाता.. बस.. अ‍ेक बार वो मेरी चुदाइ करले.. फीरतो मे इनको अपना दिवाना बना दुगी..

रमा यही सब सोच रही थी तभी नीलम भी उतेजीत होकर रुममे आ चुकी थी.. ओर वोभी रमाकी तराह अपने आपको सांत करना चाहती थी.. तभी बाथरुसे रमाकी बडबडानेकी धीमी आवाज बहार सुनाइ दी.. तब नीलम सबकुछ समज गइ की उनकी मां बाथरुममे क्या करने गइ हे.. तो वो भी बाथरुमके दरवाजेपे कान लगाकर अपनी मांकी आवाज सुननेकी कोसीस करने लगी..

तो अंदर रमा लखनके बारेमे सोचते अ‍ेक बार फीर लखनकी हरकतके याद करते फीरसे उतेजीत होगइ.. रमाकी चुत लखनके बारेमे सोचते अ‍ेक बार फीर बारीसकी तराह बरसने लगी.. ओर रमा आंख बंध करते लखनको इमेजींग करते अपनी दो उंगली चुतमे धुसा देती हे.. ओर लखनका नाम लेते उंगलीया अंदर बहार करने लगी.. ओर नसेकी हालतमे आधी आंख चडाते थोडा जोरसे बडबडाने लगी..

रमा : (नसेकी हालतमे धीरेसे बडबडाते) लखन.. आज चोदलो अपनी भाभीको.. कीतना तडपाओगे..? आपसे चुदवानेके लीये कबसे तरस रही हु.. आपसे चुदवानेका बहुत मन कर रहा हे.. ओर जोरोसे चोदो.. आज फाडदो मेरी चुतको.. जोरसे चोदो.. लखनजी.. मे वादा करती हु.. हम मां बेटी दोनो आपसे चुदवाती रहेगी.. अब उस हिजडेसे (भानुसे) मेरा कोइ लेना देना नही..

कहेते लखनको जोरोसे चोदनेके लीये बडबडाती हे.. तब कुछही देरमे रमाकी चुतसे फीरसे फवारा नीकल गया.. ओर अ‍ेक बार फीर जड गइ.. तो बहार नीलम अपनी मोमकी आवाज सुनकर थोडी सोक्ट होते बहुत ही सरमाइ.. क्युकी आज उसे भी पता चल गयाकी उनकी मोमके मनमे क्या हे.. आज नीलमके मनमे स्पस्ट हो गया.. की उनकी मोम भी लखनसे चुदवाना चाहती हे.. तब नीलम सोचमे डुब गइ..

नीलम : (सोचते) हे भ---न.. ये सब क्या हो रहा हे..? मेरी मोम तो मुजसे भी कमीनी ओरत नीकली.. मेरी सादी लखन जीजुसे करवाकर वो खुद अपने दामादके साथ रीलेशन रखना चाहती हे.. अब मे क्या करु..? वो मेरे साथ साथ पापाको भी धोखा देकर लखन जीजुसे भी चुदवाना चाहती हे.. नही नही.. मे अ‍ैसा नही करुगी.. मेरे लीये तो धिरेन ही ठीक हे.. कमसे कम मे अ‍ैसो आरामकी जींदगी तो जी सकती हु..

नीलमका मन : कमीनी.. तु भले ही धिरेनसे सादी करले.. लेकीन तेरे लखन जीजुभी तो तुजे चोदना चाहते हे.. उनका क्या..? क्या तु सादीके बाद दो दो मर्दोसे चुदवायेगी..? मत भुलो.. तेरे जीजुके पास तेरी ओर धिरेनकी चुदाइकी विडीयो क्लीप हे.. ओर वो तुजे चोदना चाहते हे.. वो भी तेरी सादीके बाद भी..

नीलम : (सोचते) अरे हां.. कहा फस गइ मे.. लेकीन लखन जीजुका हे भी तो बडा.. हम लडकीयोको चाहीये भी क्या..? यही तो जवानी लुटनेका असली मजा हे.. अगर लखन जीजु मुजे चोदले तो भी क्या फर्क पडता हे.. जबतक धिरेनसे सादी नही होजाती तो धिरेनकी जगाह लखन जीजुसे चुदवाती रहुगी..

सीर्फ मुजे चुदाइका मजा ही तो लेना हे.. अगर धिरेन मुजे प्यासी रखेगा तो लखन जीजु तो हे ही.. इनके आगे तो धिरेनकी नुनी लगती हे.. ओर वैसे भी जीजु खुद मेरी सादी धिरेनसे करवाना चाहते हे.. अ‍ैसा धिरेन केह रहा था.. ओर मां भी तो यही सब कर रही हे.. तो फीर मे क्यु पीछे हटु..?


नीलमका मन : बेटा सही जा रही हे तु.. बस.. यही करना.. लुटले जींदगीका मजा.. तेरी मां तुजे जरीया बनाकर ये सब मजे लुटना चाहती हे.. यहा तक अ‍ेक मां होकर तुजे भी अपने ननंदोयसे चुदवाना चाहती हे.. तो इसका मतलब इन सब चीजोमे सीर्फ तु ही काबील हे.. वो तो अब बुढी होने लगी हे.. तो फीर क्युना तुही ये सब मजे करके अ‍ैसी आराकी जींदगी जीये.. क्या कहेती हो..?

नीलम : (मुस्कुराते सोचते) हां.. बात तो तेरी सही हे.. मे यही करुगी.. फीर चाहे मुजे धिरेनसे सादीके बाद भी लखन जीजुसे रीलेशन क्यु ना रखना पडे.. मे इसके लीये रेडी हु.. लखन जीजुको धिरेन खुद अपना अच्छा दोस्त मानते हे.. तो हम दोनोको मीलनेमे भी आसानी रहेगी.. धिरेनको कभी पता नही चलेगा.. की इनकी बीवीका रीलेशन उनके सालेके साथ हे..

नीलम यही सब सोच रही थी.. तब अंदर रमा जडकर सांत होगइ.. तब नीलम चोकंनी होकर वहासे हट गइ.. तो बाथरुममे भी रमा जडते ही बहुतही सरमाइ ओर अपनी चुतको अ‍ेक बार फीरसे साफ करके सही होगइ.. ओर बहार नीकल गइ.. तब बहारकी ओर नीलम उनके बहार नीकलनेका इन्तजार करते बैठी थी जैसेही रमा बाथरुमसे नीकली.. तब नीलम भी उनकी ओर सरमाते हसती हुइ बाथरुममे घुस गइ..

आज लखनने उनको भी उतेजीत करदीया था.. तब कुछ ही देरमे वोभी अपने आपको सांत करके बहार नीकल गइ.. तो रमा उनका इन्तजार करते बेडपे ही बैठी थी.. जैसे ही नीलम नीकली तो दोनो अ‍ेक दुसरेकी ओर देखकर सरमाकर मुस्कुराने लगी.. दोनोने अ‍ेक दुसरेके साथ सभी बाते सेर करनेका वादा कीया था.. लेकीन रमाका राज पता चलते ही ना नीलम रमाको कुछ बताना चाहती थी.. ओर नाही रमा.. की बहार खाना खाते उनके साथ लखनने क्या सरारत की..
 
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dilavar

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तो दुसरी ओर खाना खाते ही पुनम सृतीको लेकर अपने रुममे चली गइ.. ओर दरवाजा बंध करलीया.. फीर दोनो बेडपे जाकर बैठ गइ.. तब पुनम बहुत दुवीधामे पड गइ.. की लखनकी दुसरी हरकतके बारेमे वो सृतीको बताये की ना बताये.. क्युकी आज लखनने हिंमत करते पुनमके साथ वो हरकते कीथी.. जीसे सृतीको भी पता नही था.. जो बात सृतीको बतानेमे पुनम सर्मीनदगी महेसुस कर रही थी..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. कहीयेनां.. क्या सोच रही हे..? क्या हमारे देवरने कोइ ओर सरारत कीथी..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) हां भाभी.. अब आपसे क्या छुपाना.. अब हमारे देवर हमारी कुछ ज्यादा ही मस्तीया करने लगे हे.. भाभी.. मुजे तो बतानेमे भी सर्म आ रही हे..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. देवर हे हमारा.. तो मस्तीयातो करेगे ही.. इसमे सरमानेकी क्या बात हे.. उन्होने आपका सीर्फ हाथ ही तो पकडा था.. ओर रही बात रमाभाभी ओर नीलुकी.. तो यही तो हम चाहते थे.. की हमारे देवर इस मामलेमे जल्दसे जल्द आगे बढे.. तो आज वो आगे बढे हे.. तो क्या दिकत हे..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) नही भाभी.. बात सीर्फ हाथ पकडनेकी नही हे.. ओर नाही वो मां बेटीके साथ आगे बढनेकी.. जब वो उन मां बेटीके साथ सरारत कर रहे थे.. तब मेने उनको जांगपे चींटी काटते रोकलीया.. तो पता हे इसके बाद उन्होने मेरे साथ क्या कीया..?

सृती : (मुस्कुराते) क्या..? कुछ ओर भी कीया क्या..?

पुनम : (सर्मसार होते) हां भाभी.. मेने उसे रोका तो.. वो.. वो.. (सरमाते नजरे चुराते) नीचेसे.. मेरी.. मेरी.. जांगोको सहेलाने लगे.. तो मैने फौरन उनका हाथ पकडलीया.. तो मेरी हाथोकी उंगलीओमे उंगलीया फसाकर मेरा हाथ पकडलीया.. ओर अपनी जांगपे रखकर सहेलवाने लगे.. तो मे हाथ खीचने लगी.. तो उसने मेरे हाथको कसके पकडलीया.. ओर छोड भी नही रहेथे.. तो मुजे बहुत सरम आ रही थी.. ओर उपरसे उनपे गुस्सा भी आया.. ओर मैने उनकी ओर गुसेसे देखा तभी मेरा हाथ छोडा..

सृती : (हसते) दीदी.. लगता हे हमारे देवर आजकल कुछ ज्यादाही रोमांटीक हो गये हे.. ओर उपरसे आपको प्यारभी तो करते हे.. तो लगता हे इस बारेमे वो कुछ आगे बढना चाहते हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाकर गंभीर होते) नही भाभी.. मे जानती हु वो मुजसे बहुत प्यार करते हे.. सायद बडे भाइसे भी ज्यादा.. लेकीन मेरे खयालसे वो जडी बुटीकी वजहसे बेकाबु होने लगे हे.. क्युकी कइ दिनोसे वो सेक्ससे दुर रहे हे.. अब इनको जल्द सेक्स करनेको नही मीला तो वो पागल जैसे होने लगेगे.. फीर भी हमे इनको कुछ तो कहेना पडेगा.. क्युकी आज वो अपनी हदसे कुछ ज्यादा ही आगे बढे हे..

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) दीदी.. तो फीर अब हम क्या करे..? देवर हे हमारा.. उसे डांटनेसे ज्यादा तो हम कुछ कर नही सकते..

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) भाभी.. क्यु नही कर सकते..? आज मेरी जांग तक पहोंचे हे.. अगर मैने उसे नही रोका होता तो हो सकता हे उनकी हिंमत ओर बढ जाये.. ओर रमा भाभीकी तराह कल वो हमारी चु.. आइ मीन वो सारी हदे पार करले..

सृती : (सरमाते थोडा जोरोसे हसते) दीदी.. अब तो खुलकर बोल ही दो.. वैसे भी वो कमीनी मंजुदीने सब छुट तो देदी हे.. ओर आप भी तो केहती हो.. अ‍ेक दिन ये सब होने ही वाला हे.. तो क्या फर्क पडता हे.. वो आज हो या कल.. वैसे भी हमारा देवर ही तो हे.. ओर आपको भी सबकुछ पता हे..

पुनम : (सर्मसार होकर मुस्कुराते) भाभी.. तो क्या ये सब इतनी जल्दी.. नही नही.. अभी इसके लीये हम मानसीक तौरपे तैयार नही हे.. भाभी.. ये सब रीलेशन इतनी जल्दीसे अ‍ेक्सेप्ट करना कमसे कम मेरे बसकी बात तो नही हे.. इसे अ‍ेक बार तो पाठ पढाना ही पडेगा..

सृती : (हसते) दीदी.. तो क्या हम अभी इनको पाठ पढादे..? हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) हां भाभी.. इनको सबक सीखाना ही पडेगा.. वरना दुसरी बार अ‍ैसी सरारत करनेकी उनमे हिंमत आजायेगी.. फीर पता नही अगली बार हमारे साथ क्या सरारत करे..

यहा पुनमने सृतीको लखनकी सभी हरकतोके बारेमे बता दीया.. तो सृती सुनकर मजा लेने लगी.. क्युकी कमसे कम उन्होने तो ये सब रीस्तेको स्वीकार कर ही लीया था.. ओर मनसे वो खुद लखनके साथ आगे बढना चाहती थी.. ओर ये बात पुनम ओर मंजु भी अच्छी तराह जानती थी.. की सृती इस मामलेमे बहुत ही फोरवर्ड ओर अपनी मम्मी भुमीकाकी तराह बहुत ही कामुक ओरत हे..

फीर पुनमने उनके साथ हुइ सरारतके बारेमे बताया तो दोनोने लखनको पाठ पढानेका फैसला कर लीया.. दोनोने कुछ बाते करते लखनको पाठ पढानेकी योजना बनाली.. तो सृती जाकर दरवाजेके पीछे छुप गइ.. ओर पुनमने बहार नीकलकर बहुत ही कातील नजरोसे धीरेसे आंखोके इसारेसे लखनको रुममे आनेके लीये कहा.. तो लखन पुनमकी नजरको पहेचान गया.. ओर उनका लंड जटके मारने लगा..

सबलोग होलमे बैठी बाते कर रही थी.. तब लखनको लगाकी पुनो जरुर उनसे कोइ बात करना चाहती हे.. तो वो धीरेसे टहेलते पुनमके रुममे चला गया तो पुनम बेडपे बैठी थी.. लखनके आते ही आंखोकी सरारतसे लखनको उनके पास आनेको कहा.. तो लखन उनके पास जाकर बैठ गया तो सृतीने धीरेसे दरवाजा बंध करके लोक करदीया.. ओर दोडकर हसते हुअ‍े लखनके पास आगइ..

तो पुनम भी हसते हुअ‍े बेडसे खडी होगइ.. लखन उनकी ओर देखते कुछ समजता इनसे पहेले ही पुनम ओर सृती घुसे ओर लाते मारते लखनपे टुट पडी.. तो लखन भी जोरोसे हसते हुअ‍े दोनोसे बचनेकी कोसीस करते बेडपे गीर गया.. तब पुनम ओर सृती लखनको घुसे मारते गालीया देने लगी.. तब लखन समज गयाकी उसने पुनमकी जांग सहेलाकर उनका हाथ पकडलीया था.. इसीलीये उनको मार पड रही हे.. तो वो छलांग लगाकर बेडसे दुसरी साइडसे उतर गया..

लखन : (जोरोसे हसते बचनेकी कोसीस करते) देखो भाभी.. मुजसे पंगा लेना भारी पडेगा आपको.. मे केह देता हु आप दोनोको.. ओर मे तो अपका काम कर रहा था.. तो मुजे रोका क्यु..?

पुनम : (सरमाते हसते) अच्छा हमारा काम कर रहे थे..? सबके सामने..? सरम नही आइ आपको..? बेचारीकी क्या हालत करदी आपने.. ओर.. फीर मेरे साथ क्या कर रहे थे..? आपको सरम भी नही आइ.. मत भुलो.. मे आपकी भाभीके साथ बहेन भी हु.. कोइ बहेनके साथ अ‍ैसा करते हे..?

सृती : (हसते) कीतने कमीने हो आप..? दीदी.. इनको तो आज मार मारके सुधारना पडेगा.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) अच्छा.. अब आप भी मुजे मारोगी..? वैसे भी आज कल आपके भी बहुत हाथ पांव चलने लगे हे.. जब देखो मुजे मारती रहेती हो.. लगता हे आज आपको भी सबक सीखाना पडेगा.. आओ.. दोनो हाथ लगाकर दीखाओ मुजे.. फीर देखता हु.. दोनो क्या करती हो.. हें..हें..हें..

सृती अक्षर लखनको अ‍ैसे मजाकमे मारती थी.. तो कभी कभी उनके साथ पुनम मंजु भी सामील हो जाती थी.. तो आज लखनके पास उनको जवाब देनेका अच्छा मौका था.. तो प्रतीकार करते दोनोको मारनेके लीये लखन वापस बेडपे चढ गया तो दोनो समज गइ.. की अब लखन हम दोनोको छोडेगा नही.. तो लखनसे बचनेके लीये जोरोसे हसते हुअ‍े इधर उधर भागने लगी..

तो लखनभी मुस्कुराते अपने दोनो हाथ फैलाकर दोनोको पकडनेकी कोसीस करते इधर उधर भागते दोनोका पीछा करने लगा.. तब भागते भागते दोनो ही बेडके दुसरी साइड रुमके अ‍ेक कोनेपे चली गइ.. ओर फस गइ.. क्युकी अब दोनोके पास कही ओर भागनेका रास्ता नही था.. तब लखन जोरोसे हसते अपने दोनो हाथ फैलाकर बेडपे चड गया.. तब सृती ओर पुनमको कही ओर भागनेकी जगाह नही मीली..
 
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तो दोनो समज गइकी अब लखन उनको पकडलेगा.. तो दोनो चीपककर दीवालकी ओर मुह करते घुम गइ.. ओर अपने चहेरा अपनेही हाथोमे छुपाते जोरोसे हसते रुमके कोनेमे मुह छुपाकर खडी रेह गइ.. सृती बहुत ही अ‍ेक्साइटेड होने लगी.. उनको लगता था की अब लखन उनको पकडकर जरुर कोइ सरारत करेगा.. तो वो कोइ अ‍ेतराज नही करेगी.. ओर लखनके साथ पुरा मजा लेगी.. यही सब सोच ही रही थी..

तभी लखन जोरोसे हसते धीरेसे बेडसे उतर गया.. ओर दोनोको अ‍ेक अ‍ेक हाथसे गरदन पकडकर दबोच लीया.. तो सृती ओर पुनम जोरोसे हसते लखनको गालीया देते छोडनेकी मनते करने लगी.. लेकीन येतो लखन था.. आज बडी मुस्कीलसे उनको बदला लेनेका मौका मीला था.. लखन दोनोको गरदसे पकडकर बहार खुलेमे लेकर आगया.. ओर दोनोको गलेमे अ‍ेक अ‍ेक हाथ डालकर कोनी मोडकर बगलमे जकड लीया.. तब..

सृती : (जोरोसे हसते) कमीने.. छोडदो हम आपकी भाभीया हे.. क्या कर रहेथे उन दोनोके साथ.. हें..हें..हें..

लखन : (कोनी मोडकर दबोचते) हंम.. अब आइहो हाथमे.. मुजे अब भी गालीया दे रही हो..? देखता हु आज तुम दोनोको मुजसे कौन बचाने आता हे.. उन दोनोके साथ तो मे अपना काम कर रहा था.. लेकीन अब देखो तुम दोनोके साथ मे क्या करता हु.. दोनोने बहुत हाथ पांव चलालीये.. अब मेरी बारी हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (जोरोसे हसते) लखन भैया मुजेतो छोडदो.. मे तो आपकी बहेन हु.. ये तो सृती भाभीने कहा था इसीलीये.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) अच्छा..? सृतीभाभीने कहा था..? जब मुजे अंदर बुलानेका इसारा कीया.. तब तो आपकी अदा अ‍ेक बहेन जैसी नही थी..? ओर मत भुलो अब आप भी मेरी भाभी हो.. आप भी कुछ कम नही हो.. मुजे वहा चीटकी काट रही थी.. अब देखता हु आपको भी यहा कौन बचाने आता हे.. बोलो मे आपकी भाभी हु.. ओर हमेसा भाभी ही रहुगी.. बोलो..

सृती : (जोरोसे हसते) कमीने छोडदो हमे.. हां पुनोदी आपकी भाभी हे.. बस..? अब तो छोडदो.. हें..हें..हें..

लखन : (गरदनपे जोरोसे दबाव बनाते) चुप.. आपको बीचमे बोलनेके लीये कीसने कहाथा..? आप इनकी वकील हो..? जीनको बोलनेको कहा हे वोही बोलेगी.. (पुनमकी ओर देखते) अब तो आप मेरी भाभी होगइ हे.. तो आपको भी छोडने वाला नही हु.. जबतक अपने मुहसे नही बोलोगी तबतक नही छोडुगा.. आजतो मे कहु अ‍ैसा बोलना पडेगा..

पुनम : (सर्मसार होते हसते) हां.. बोलती हु.. बोलती हु.. मे आपकी भाभी हु.. ओर हमेसा भाभी ही रहुगी.. ओर आप हमारे चहीते प्यारे देवर हो.. बस..? अबतो छोड दीजीये.. हें..हें..हें..

लखन : (सृतीकी ओर देखते) ओ.. डाक्टरनी भाभी.. क्या आपको अलगसे कहेना पडेगा..? आप भी बोलो..

सृती : (जोरोसे हसते) हां.. मे भी आपकी भाभी हु.. ओर हमेसा भाभी ही रहुगी.. बस..? हें..हें..हें..

लखन : (हसते) सीर्फ इतना ही नही.. मे जो कहु बोलती जाओ.. वरना आज तो दोनो गइ कामसे.. बोलो.. आजसे हम दोनो आपकी गुलाम हे.. ओर जैसा आप कहोगे हम दोनो अ‍ैसाही करेगी..

सृती : (जोरोसे हसते) लखनभैया.. अब ये कुछ ज्यादा हे.. आप वाकइ बहुत कमीने हो.. कोइ भाभीओके साथ अ‍ैसा करता हे..? हें..हें..हें..

लखन : (बगलमे ओर दबाव बनाते) हां.. मे करता हु.. दोनो बहुत दिनोसे फुदक रही थी.. आज बडी मुस्कीलसे हाथमे आइ हो.. बोलती होके नही..? वरना मुजे बुलवानेका दुसरा तरीका भी आता हे..

पुनम : (छुटनेकी नाकाम कोसीस करते जोरोसे हसते) लखनभैया.. छोड दीजीये.. हम नही बोलेगी.. क्या करलोगे..? हें..हें..हें..

लखन : (कातील मुस्कानसे) अच्छा..? क्या करलुगा मे..? देखो.. आज मुजे तुम दोनो ही मजबुर कर रही हो.. अब अ‍ैसा करुगा तुम दोनो कीसीको केह भी नही पाओगी.. हें..हें..हें..

आज पुनम ओर सृती.. दोनो कइ दिनोसे लखनकी ओर आकर्सीत हो रही थी.. तो आज दोनोको इस खेलमे बहुत मजा आ रहा था.. खास करके सृतीको.. वो कुछ ज्यादा ही लखनकी ओर ढलने लगी थी.. ओर वो अब भी चाहती थीकी लखन उनकी कीसी भी प्रकारकी मस्तीया करते आगे बढे.. वो लखनको नही रोकेगी.. सृतीकी चुत बहेने लगी थी.. आज सृती कुछ ज्यादा ही अ‍ेक्साइटेड होगइ थी..

वो दिलसे चाहने लगीकी लखन उनके साथ अ‍ैसीही मस्तीया करते उनको मसलदे.. फीर भी वो कोइ ज्यादा प्रतीकार नही करेगी.. लेकीन पुनम आज बहुत ही सरमा रही थी.. आज अ‍ैसा पहेली बार हो रहा था की लखन इनको अ‍ैसे पकडकर छु रहा था.. वो मन ही मन गभरा रही थी.. की दोनोके साथ लखन कुछ अ‍ैसी हरकत ना करदे जीनकी वजहसे दोनोको सरमाना पडे.. पुनम बहुत ही डरी हुइ थी..

क्युकी उनको पता था.. की आगे क्या होने वाला हे.. तभी लखनने दोनोकी गरदनमे हाथ डालकर कोनीसे दबोचते पकडा हुआ था.. लखनके दोनो हाथके पंजे खुले थे.. तब अचानक लखनने सृती ओर पुनमके सीनेपे हाथ रख दीया.. ओर दोनोके बुब्सको पकडकर थाम लीया.. ओर धीरेसे दोनोके बुब्सको दबाकर मसलने लगा.. तब सृती ओर पुनम दोनो सर्मसार होने लगी..

दोनोको इस बातकी उमीद नही थी.. की लखन उनके साथ अ‍ैसी हरकत करेगे.. तब सृती आंख बंध करते मजा लेने लगी.. लेकीन पुनम उछलते छुटनेकी कोसीस करते सरमके मारे पानी पानी होगइ.. ओर अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते सर्मीन्दा होने लगी.. ओर अपनी अपनी नजरे जुकाने लगी.. आज दोनो ही बुरी तराह लखनके चंगुलमे फस चुकी थी.. अब उनको लखनकी बात माननेके आलावा कोइ रास्ता नही सुज रहा था.. तब पुनम.. जटसे..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) लखन.. छोड दिजीये हमे.. ये आप क्या कर रहे हे..? ये गलत हे.. मे आपकी बहेन हु.. भाभी.. रोको इनको..

सृती : (ना चाहते हुअ‍े भी) हां हां.. देवरजी छोड दीजीये हमे.. ये गलत हे.. पुनोदीदी आपकी बहेन हे..

लखन : (कातील नजरसे देखते) नही भाभीं.. मत भुलो अब ये भी मेरी भाभी भी हो गइ हे.. अब मे आप दोनोके साथ कोइ भी मस्ती कर सकता हु..

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) लेकीन ये गलत हे.. ठीक हे.. कहीये हमे क्या करना हे.. पहेले आप हाथ हटाइअ‍े..

लखन : (फौरन बुब्ससे हाथ हटाते) हंम.. अब आया उंट पहाडके नीचे.. हें..हें..हें.. सुनो.. दोनो बोलो आजसे हम दोनो आपकी गुलाम हे.. ओर जैसा आप कहोगे अ‍ैसा हम करेगी..

सृती पुनम : (साथमे धीरेसे) हां.. आजसे हम दोनो आपकी गुलाम हे.. ओर जैसा आप कहोगे अ‍ैसा हम करेगी.. बस..?

लखन : (हसते) दोनो कहीये.. अब दुबारा आपसे पंगा नही लेगी.. ओर हमेसा मेरा साथ देगी..

सृती पुनम : (हसते) अब आपसे हम दोनो कभी पंगा नही लेगी.. ओर हमेसा आपका साथ देगी..

लखन : (हसते) हंम.. अब ठीक हे.. जाओ.. आज तो छोड देता हु.. अगर अगली बार कुछ कीयानां.. तो फीर.. हें..हें..हें..

कहेते लखनने दोनोको दबोचा हुआ था.. तो लखनने सृतीका मुह गरदनसे पकडते अपने मुहकी ओर करते सृतीके होठोको चुम लीया.. तो सृती बडी आंख करते सक्तेमे आगइ.. ओर बहुत ही सर्मसार होगइ.. वो कुछ समज पाती इनसे पहेले लखनने उनके होठोको छोडकर पुनमका मुह अपने मुहकी ओर करलीया.. ओर पुनमके होठोपे अपना होेठ रखते चुम लीया.. तो पुनम भी सरमके मारे पानी पानी होगइ..
 
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dilavar

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ओर लखनने दोनोको अचानक छोड दीया.. तब पुनम ओर सृती आस्चर्यसे अ‍ेक दुसरेकी ओर मुह फाडकर देखती ही रही.. दोनोको उमीद नही थी.. की लखन उनके साथ अ‍ैसी हरकत करेगा.. तब सृती सर्मसार होते पुनमकी ओर देखते मुस्कुराने लगी.. लेकीन पुनम कुछ नही बोल पाइ.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. तब वो जटसे लखनके पास आइ.. तभी लखनके गालपे स..टा..क.. करते अ‍ेक तमाचा जड दीया..

अचानक अपने गालपे तमाचा खाते लखन अपने गालपे हाथ रखते सक्तेमे आगया.. ओर अपने गालको सहेलाते पुनमकी ओर देखने लगा.. तब पुनमकी आंखोमे आंसुओकी धारा बेह रही थी.. ओर वो गुस्सेसे लखनकी ओर देख रही थी.. लखनको अ‍ैसी उमीद नही थी.. की उनकी अ‍ैसी हरकतसे पुनम उनको गालपे तमाचा मारेगी.. लखन अपना गाल सहेलाता रहा.. ओर उनकी आंखोसे भी आंसु बहेने लगे.. तभी..

पुनम : (रोते हुअ‍े) कीतने कमीने हो आप.. माना की हम दोनो आपकी भाभीया हे.. आपकी बीवीया नही समजे..? ये भी नही सोचा मे आपकी भाभीके साथ बहेन भी हु.. आपको अ‍ैसी हरकत करके सरम भी नही आइ..?

सृती : (सरमाते मुस्कुराते) पुनोदीदी.. प्लीज.. सांत होजाये.. जाने दीजीयेनां..

पुनम : (रोते लखनकी ओर देखते) नही भाभी.. आज इस आदमीने सारी हदे पार करदी.. ये माफीके लायक नही हे..

कहा तो लखन अ‍ेक नजरसे पुनमकी ओर देखता रहा.. तो सृती भी थोडी डरते कभी पुनमकी ओर तो कभी लखनकी ओर देखती रही.. लखन कुछ नही बोल पाया.. ओर वो अब भी पुनमकी ओर आंसु बहाते देख रहा था.. तब वो अचानक अपने आंसु पोछते बहारकी ओर जाने लगा.. ओर दरवाजेके पास खडा रहेते जेबसे रुमाल नीकालते अपने आंसुओको अच्छेसे पोछने लगा..

फीर अचानक रुकते पीछे मुडकर पुनमकी ओर अ‍ेक नजर डालकर दरवाजा खोलकर बहार नीकल गया.. तब पुनम गंभीर होकर बेडपे बैठ गइ.. जैसे कुछ सोचने लगी हो.. तभी उसे अहेसास हुआ की जल्द बाजीमे उसने गलत कदम उठालीया हे.. उनको लखन भैयाको अ‍ैसे मारना नही चाहीये था.. क्युकी आगे क्या होने वाला हे.. वो सबकुछ जानती थी.. ओर वो अपने दोनो हाथोमे चहेरा छुपाते रोने लगी..

उनको पता था की अब लखनसे नजदीक आनेका वक्त हो चुका हे.. इसीलीये वो इस बातसे डर रही थी.. वो ये भी जानती थी.. की नजदीकीया बढाने ओर लखनका प्यार कबुल करनेसे पहेले ओर उनका लखनसे दुर होना जरुरी था.. तभी तो वो लखनके लीये तडपेगी.. पुनम ये भी जानती थी.. की उनके बीच ओर लखनके बीचकी दुरीया ज्यादा दिन नही रहेगी.. वो जल्दसे जल्द लखनको पुरी तराह अपना लेगी..

आज उनको अपनी शक्तिया पानेका बहुत अफसोस हो रहा था.. पुनम यही सब सोचते आंसु बहा रही थी.. तब सृती भी थोडी गंभीर होकर पुनमके पास बगलमे आकर बैठ गइ.. ओर उनके कंधेपे हाथ रख देती हे.. तब पुनम होंसमे आजाती हे ओर सृतीकी ओर देखने लगती हे.. फीर सुतीसे चीपककर रोने लगती हे.. जब लखन भागकर बहार नीकला तो मंजुने देख लीया था.. ओर वो सबकुछ समज गइ..

की अंदर क्या हुआ हे.. तो वो खडी होकर भावनाको लेकर पुनमके रुममे आगइ.. ओर दरवाजा बंध करके आकर पुनमके पास सटकर बैठ गइ.. फीर पुनमके सरपे हाथ घुमाने लगी.. तभी पुनमको अहेसास हुआ.. की कोइ तीसरा इनका सर सहेला रहा हे.. वो सृतीसे दुर होगइ.. ओर गरदन घुमाकर पीछे देखने लगी.. तो बगलमे मंजुको बैठा पाया.. तब पुनम समज गइ की ये सब बाते तो मंजु भी जानती हे..

ओर वो मंजुके कंधेपे सर रखकर रोने लगी.. जैसे आज उनसे कोइ बडी गलती हुइ हो.. तब मंजु उनके सरको सहेलाते मुस्कुराती रही.. ओर उनको थोडी देर रोने दीया.. फीर उनको रोनेसे सांत कीया.. ओर बाथरुममे जाकर अपने आपको सही करनेके लीये बोला.. तो पुनम बाथरुममे जाकर अपना मुह धोकर वापस आगइ ओर मंजुके पास आकर बैठ गइ.. तब..

पुनम : (नजर जुकाते सरमाते धीरेसे) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. वो.. वो.. लखन भैया..

मंजुला : (मुस्कुराते) जानती हु मे.. गलती उनकी नही तेरी भी हे.. क्युकी इस बातके लीये तुजे पहेलेसे ही प्रिपेर रहेना चाहीये था.. ओर इन सबको भी प्रिपेर रहेनेके लीये कहेना चाहीये था.. क्या मेने तुजे नही कहा था..? की जडी बुटीसे वोे बेकाबु भी हो सकते हे.. अगर उनको सही टाइमपे सेक्स करनेको मील जाता तो आज ये सब नही होता.. ये तो अच्छा हुआ वो आगे नही बढे.. देख अब कबतक तुमसे नाराज रहेता हे..

सृती : (सरमाकर धीरेसे) मंजुदी.. इसमे पुनोदीदीकी क्या गलती हे..? आप तो जानती हे लताका भी पीरीयड चल रहा हे.. ओर ये सब अचानक मस्ती मस्तीमे हो गया.. उन्होने कुछ अ‍ैसी हरकत की.. तो पुनो दीदीका हाथ उठ गया..

मंजुला : (मुस्कुराते) जानती हु मे.. वो जब अंदर आया.. तब ही मे आपपे नजर लगाये हुइ थी.. सृती.. जब हम सब हीमाचलमे उन राजाकी बीवीया थी.. तब हमने ही इनको हर जन्मके लीये मांगा था.. तो अभी थोडीसी मस्तीसे ही गभरा गइ..? उनको आनेमे अभी बहुत समय हे.. तबतक तुम सब क्या करोगी..?

सृती : (हसते) मंजु.. इसके लीये हमारे पती तो हे.. ओर ये लखन भैया हमारे वो ही राजा थोडीना हे.. वो तो तेरी कोखसे जन्म लेगा.. तुमने ही तो कहा था..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. मेने ही सब कहा था.. तो फीर आप लोगोने देवुसे सादी क्युकी..? करती हमारे स्वामीका इन्तजार.. ओर जबतक उनका इन्तजार करती तब क्या होता तुजे पता हे..?

सृती : (सामने देखते) क्या..? क्या होता..?

मंजुला : (मुस्कुराते) कमीनीओ तबतक तुम सब बुढी होजाती.. मत भुलो अभी हमारे खानदानमे जो भी मर्द हे सब उन्हीका ही अंस हे.. ओर अंस होनेका मतलब भी जानती हो..? ये दोनो अंस हे तो कुछतो शक्तिया होगी इनमे.. हमारे स्वामीने इन दोनोको जन्म देकर इस खानदानमे अ‍ैसे ही अयासीके लीये यहा नही भेजा.. कुछ तो रीजन होगा..? मैने दोनो भाइओको ओर आप सबको पुरी छुट अ‍ैसेही नही दी..

सृती : मंजु.. देवुको तो हम सब प्यार करती थी.. इसीलीये हमने उनसे सादी की.. लेकीन हमारे देवर..? उनके पीछे क्या रीजन हो सकता हे..? वो तो हमे भी नही पता.. तो अब तुही हमे बतादे.. क्या रीजन हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) क्यु..? तेरी तो पुनोके साथ बहुत पटती हे.. ओर अब तो ये तेरी खास सहेली भी हे.. तो रीजन तो इनको भी पता हे.. तो तुजे कभी तेरी इस सौतनने नही बताया..? पुछले इनको ही.. ये सब बाते तो ये भी जानती हे.. पुछ इनको.. वो इतना क्यु डर रही हे..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी अब आप ही बतादोना.. ये सब बाते तो मे भी नही जानती.. हें..हें..हे..

सृती : (मुस्कुराते) कमीनी कबसे नखरे क्या कर रही हे..? बताना हो तो बता.. वरना हम तो पुनोदीदीसे ही सब पुछ लेगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां पुछले.. अब ये क्या बतायेगी..? कही दिनोसे तो वो खुद उलजनमे फसी हुइ हे.. ओर डरी हुइ हे.. अभी तक खुद तैय नही करपा रही.. की मुजे क्या करना हे.. अभी अभी तो उनको सब समजाया था.. पता नही फीर भी इनको लखनसे क्या डर हे..

पुनम : (सर जुकाते धीरेसे) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मे सब जानती हु.. मुजसे बहुत बडी गलती होगइ..

सृती : मंजुदी.. जो होना था होगया.. अब तो बतादे.. क्या रीजन हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) तो फीर सुन.. जबतक हमारे स्वामी नही आजाते तबतक हमे अ‍ैसेही जवान रहेनेके लीये उनके अंसको ही हमारा स्वामी मानकर उनके साथ संभोग करना पडेगा.. जबतक हम इस खानदानके मर्दके साथ संभोग करती रहेगी.. तबतक हमारी उमर थमी रहेगी..

इसीलीये मैने देवुसे इस घरके सभी मर्दोके साथ संभोग करनेकी अनुमती ली हे.. ताकी हमारे स्वामीके आने तक तुम सब अ‍ैसेही जवान रहो.. वरना मेरा देवु अभी इतना सक्षम हेकी वो आज भी अ‍ेक साथ दस दस ओरतोके साथ संभोग कर सकता हे.. इनको अपनी बीवीके लीये कीसी मर्दकी जरुरत नही हे..
 
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सृती : (सरमाते धीरेसे) मंजुदी.. अगर हमारे पती ही इतना काबील हे.. तो फीर तुमने लखन भैयाके साथ क्यु छुट लेली..? क्या हमे लखन भैयासे भी..? आइ मीन..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. क्युकी हमारे पतीकी इतनी सारी बीवीया होगइ हे.. तो सबको टाइम देना इनके लीये मुस्कील हे.. अगर तुम सबको अ‍ैसे ही जवान रहेना हे तो लखन तो क्या.. मेरे विजयके साथ भी संभोग करना पडेगा.. तब जाके हमारे स्वामी आप सबको नसीब होगा.. अ‍ेक दिन आप सभीको भी ज्ञात होजायेगा की आप सब कौन हे..

सृती : (मुस्कुराते) मंजु.. वो कैसे..? मतलब पुनो दीदीने कुछ बताया तो था.. फीर भी..

मंजुला : (मुस्कुराते) कमीनी कहीकी.. सृती.. जब वो हमारे साथ संभोग करेगानां तब ही हम सबको पीछला सबकुछ ज्ञात होजायेगा.. लेकीन जबतक वो नही आते.. तबतक हमे उनके अंसको ही हमारा स्वामी मानकर इनके साथ संभोग करना पडेगा.. क्युकी हमारे खानदानके सभी पुरुस उन्हीका तो अंस हे..

ओर हम सब उन्हीके लीये तो जन्म लेकर आइ हे.. ताकी उनके वंसोको आगे बढा सके.. इसी लीये हम सबको इस खानदानके मर्दोसे मीलन करना जरुरी हे.. बडा भाइ नही तो छोटा भाइ.. ओर उनके बच्चे पैदा करके उनके हमारे स्वामीके लीये रास्ता बनाना होगा.. यही तो हमारे जन्म लेनेका उदेस्य हे..

पुनम : (सामने देखते) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मुजसे बहोत बडी गलती होगइ.. मे भैयासे माफी मांग लुगी.. अब आपको दुबारा सीकायतका मौका नही मीलेगा.. जो आप कहोगी मे सब करुगी..

मंजुला : (गाल सहेलाते) पुनो बेटा.. मे तुजे डांट नही रही.. सीर्फ आप सबको आगाह कर रही हु.. आप सभी अपने गुस्सेपे कंट्रोल करना सीखो.. आगे तो बहुत कुछ होगा.. तब तुम सब क्या करोगी..? मत भुलो लखन भी हमारा भाइ हे.. अब जबतक मेरा विजय बडा नही होजाता तबतक आप सबको इन्ही दोनो भाइओका तो सहारा हे.. हमारा पती कब तक आपको सारीरीक सुख देता रहेगा..? तो तुम सब कबतक लखनसे दुर भागती रहोगी..? अ‍ेकना अ‍ेक दिन तो तुम सबको सचाइका सामना करना ही पडेगा..

पुनम : (नजरे जुकाते धीरेसे) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मे आपकी सब बाते समज गइ.. सीर्फ अ‍ेक बार माफ करदो.. मे लखन भैयाको कीसी भी तराह मना लुगी.. इसके लीये चाहे मुजे जो भी करना पडे.. मे सबकुछ करनेके लीये तैयार हु..

मंजुला : (प्यारसे सर सहेलाते) बीटु.. तु बार बार सोरी मत बोल.. कल मैने तुजे सबकुछ बता तो दीया था.. ओर इन सबको समजानेकी जीम्वेवारी मेने तुजे अ‍ैसे ही नही दी थी.. अ‍ेक दिन अ‍ैसा भी आयेगा तब हमारा देवु इतना सक्षम नही होगा.. जो तुम सबको सम्हाल सके.. तब तुम सब क्या करोगी..? आज लखन हे.. फीर कल विजय होगा..

आज देवु ओर लखनकी इतनी बहेने हे.. तो उन्होने उनके साथ सादीया करली.. फीर हमे विजय ओर हमारे स्वामीके बारेमे भी सोचना होगा.. इसीलीये आज सबकी इतनी बीवीया हे.. तो मेरे विजयकी बहेने कैसे आयेगी..? जो उनकी बीवीया होगी.. वो सब आप लोगोको ही पैदा करनी होगी.. ओर इसके लीये दोनो भाइसे संभोग करना भी जरुरी हे..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. क्या ये सब नीर्णय उनकी बीवीया के लीये कीया हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां सृती.. क्या तुम नही जानती..? मेरे विजयके लीये भी तो उनकी बहेने चाहीये.. वो सब बहेने कहासे आयेगी..? तभी तो मेरा विजय उनके बेटेके लीये बच्चीया पैदा करेगा.. जो हमारे स्वामीकी बहेने होगी.. ओर वो उनसे सादी कर सके.. आप सबतो जानती हे.. हमारे परी या अप्सरा लोकमे हम बहार वालोसे सादीया नही करती.. पुनो.. क्या तुमने लताको सबकुछ बता दीया हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. मेने कल ही उनको सबकुछ बता दीया हे.. मेने आपको कहा तो था..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. चल अब मे ही कुछ करती हु.. अब तुम टेन्शन मत लेना.. आज ही उनका सब इन्तजाम होजायेगा.. ओर सुनो सब.. लखनकी लताके साथ सादीसे पहेले उन्होने हमारी रजीयाके साथ गांधर्व विवाह करलीया हे.. ओर हाल हीमे उन्होने सहेरमे वो होस्टेलकी मेडमके साथ भी गांधर्व विवाह करलीया हे जहा पुनो रहेती थी.. ओर अब कुछ ही दिनोमे लता भी तुम चारोकी टीममे सामील होजायेगी..

पुनम : (सरमाते सर जुकाते) भाभी.. आपने ओर भाइने जो नीर्णय लीया हे मैने इस तीनोको तो बता दीया हे.. अब सीर्फ हमारी बहार वाली सौतनोको बताना हे.. ओर चंदा भाभीको भी आप बता देना.. क्युकी वो मेरी भाभीके साथ सांस भी हे.. तो मे इनको नही बता पाउगी..

मंजुला : (मुस्कुराते) ठीक हे.. तु उनकी टेन्शन मत ले.. बाकी धीरे धीरे उन सबको भी बता देना.. बाकीके साथ मे बात कर लुगी.. ओर हां.. अब लखनको तुजे खुद मनाना पडेगा.. इसमे हम तेरी मदद नही कर सकते.. अब तुजे देखना हे तुम लखनको कैसे मनाती हो.. बीटु.. तुजे अ‍ेक बात ओर कहु..? हम जीस चीजसे सबसे ज्यादा डरते या उन चीजसे दुर भागते हेना.. तो सबसे पहेले वो ही चीज हमारे सामने आजाती हे.. बाकी तुम समजदार हो.. तुजे ओर समजानेकी जरुरत नही हे..

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) जी भाभी.. मे सबकुछ समज गइ.. आप उनकी फीकर मत करना.. मे उसे कैसे भी करते मना लुगी..

सृती : (मुस्कुराते) मंजुदीदी.. आज बहुत कुछ बाते क्लीलीयर होगइ.. अब आप पुनो दीदीकी चीन्ता मत करना हम सब इनके साथ हे.. येतो मस्ती मस्तीमे कुछ ज्यादा होगया था.. तो आज पता चला की हमारा देवर भी हमारे लीये कीतना इम्पोर्टन्ट हे.. अब हम सब इनका खयाल रखेगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते खडी होकर जाते) कमीनी.. ज्यादा खयाल मत रखना.. सबसे पहेले तुही उनकी चपेटमे आने वाली हे.. जब वो तुजे ठोकेगाना तब तुजे पता चलेगा.. फीर हमारे पतीको भी भुल जायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाकर हसते थोडा जोरोसे बोलते) कमीनी ठहेर अभी तुजे बताती हु.. बात करती हे.. सरम भी नही आती.. तुही चुदवा उनसे.. सारा दीन हमारे पतीका अंदर लेकर घुमती रहेती हे..

सृती मंजुको थोडी जोरोसे गालीया देने लगी.. तब भावना पुनम जोरोसे हसती सृतीके मुहपे हाथ रख देती हे.. तो मंजु भी जोरोसे हसते हुअ‍े जटसे बहार भाग गइ.. तब सृती बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर मुस्कुराने लगी.. आज अ‍ेक बार फीर पुनम लखनके बारेमे सोचनेमे मजबुर होगइ.. उनको लखनके प्याकी अहेमीयत समजमे आने लगी.. ओर मन ही मन अपने आपको देवायतकी तराह लखनको भी समर्पीत होनेकी ठानली..

ओर खुदको लखनसे समर्पीत करनेका मतलब भी जानती थी.. उनको ये भी पता था की लखनको मनानेके लीये उनको क्या क्या पापड बेलने पडेगे.. क्युकी लखन अ‍ैसे ही मानने वालोमेसे नही था.. बस.. लखनको मनानेके लीये अ‍ेक हप्ते तक थोडी बहुत कसरत करनी पडेगी.. ओर यही पुनमकी मजबुरीकी सुरुआत हो चुकी थी.. तभी तो मंजुने उसे इस मामलेमे कोइ मदद नही करनेको कहा था..

आज उनको पता चल गयाकी वो लखनसे कीतना भी दुर भागे.. आखीर उनको लखनके पास जाना ही होगा.. ओर सीर्फ जाना ही नही होगा.. उसे सामनेसे लखनका प्यार कबुल भी करना होगा.. तब जाके वो लखन उनको मीलेगा.. ओर पुनम ये भी जानती थी.. की जब उनका अ‍ेक बार लखनसे मीलन होजायेगा.. तब वो हमेसाके लीये लखनकी होकर रेह जायेगी..

यही सब सोचते अ‍ेक बार फीर पुनमकी चुत फडफडाते पानी छोडने लगी.. क्युकी वो जबभी लखनके बारेमे सोचती उनकी चुत फौरन हरकतमे आजाती थी.. तब पुनम बहुत कुछ समज गइ.. की उनका दिल कीतना भी लखनका बहीस्कार करे.. लेकीन उनके मनने ओर उनके तनने लखनको पुरी तराह स्वीकार करलीया था..

तभी मंजु बहारकी ओर नीकलते ही दयाको आवाज देकर बुलाती हे.. फीर लता ओर रजीयाको अपने रुममे भेजनेके लीये कहेती हे.. ओर अपने रुममे चली जाती हे.. तब कुछही देरमे रजीया ओर लता दोनो मंजुके रुममे आगइ.. तो मंजुने दोनोको मुस्कुराते बैठनेके लीये कहा....

कन्टीन्यु
 
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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

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