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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८५

कहेते दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडकर मंजुकी ओर देखते जोरोसे हसती हुइ बहार चली गइ.. ओर दरवाजा बंध कर लीया.. तब कुछ ही देरमे मंजु ओर देवायत साथमे जड गये.. तो दोनो ही हसते हुअ‍े अ‍ेक साथ बाथरुममे घुस गये..तो वहाभी मंजुने अ‍ेक बार देवायतके साथ खडे खडे चुदवालीया.. ओर दोनो नहाके बहार आगये.. ओर तैयार होने लगे.. मंजु अपनी जींदगीका पुरा मजा बटोर रही थी.. दोनोही रुममे अकेले थे तभी....अब आगे

मंजुला : (मुस्कुराते बाल बनाते) जानु.. अब वक्त जाहीर मत करो.. आप चंदा दीदीको प्रेगनेन्ट करदो.. वो अब बहुतही कामी होचुकी हे.. आपसे मेरी ही तराह मीलना चाहती हे.. लेकीन बहुत ही सरमा रही हे.. वो अब सेक्सके बीना नही रेह सकती देखा नही आपसे चुदवाते क्या क्या बोल रही थी..? उनकी भी अब प्रेगनेन्ट होनेकी इच्छा हे..

देवायत : (सामने देखते) मंजु.. तुम जो केह रही हो इनका भी कुछ रीजन होगा.. क्या मुजे बता सकती हो..?

मंजुला : (आकर देवायतकी बाहोमे समाते) हां जानु.. हमारी चंदा दीदीकी लडकी हमारी भावुका बेटा जो भावेश हे.. उनकी बीवी हे.. अब भावेश भी तीन सालका हो गया हे.. बस.. इनके आगे मे आपको कुछ बता नही सकती..

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देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. मंजु.. इन लोगोके साथ अब लखन लता पुनम सबलोग चले जायेगे.. तो सीर्फ हम दोनो ही घरपे रेह जायेगे.. कुछ दिन तो अच्छा भी नही लगेगा..

मंजुला : (देवायतके चहेरेको देखते धीरेसे) अरे हां देवु.. सुनो.. जब मम्मी आंटी लोग हरद्वार चले जाये.. तब लखन लताके साथ सृती भी चली जायेगी.. ओर पुनो भी अपने घरपे चली जायेगी.. तब अ‍ेक दिन आप भावुसे मीललो.. यही हमारे घरपे.. तब सीर्फ हम दोनो ही यहा होगी.. पुरा दिन ओर रात सीर्फ हम तीनो ही अकेले होगे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. समज गया.. कल मीली थी अकेलेमे.. केह रहीथी जबतक हम दोनो मील नही लेते तबतक मे भानुके घरपे नही जाउगी.. तो अब उसे मीलना जरुरी हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. आपके प्यारमे वो भी पागल हे.. पता नही भानु भाइके साथ कैसे सादी हो गइ.. मुजे पहेले पता होता तो मे ही उनकी सादी आपके साथ करवा देती.. जानु.. आपसे अ‍ेक बात ओर कहेनी थी.. अब हमने लखनको वो जडी बुटी देदी हे.. हो सकेतो अब आप लताको भी अपना लीजीये.. क्युकी अब इस घरमे बहुत कुछ होनेवाला हे.. जो आप सोच भी नही सकते..

देवायत : (सर चुमते) हंम.. वोतो कल रात तुमने मुजे सब कुछ बताकर आगाह कर दीया था.. तब भी मुजे पता चल गया था.. की यहा बहुत कुछ होने वाला हे.. ठीक हे.. लखन भी मेरा ही भाइ हे.. तो उनका काहेका दुख..? अ‍ैसा होना भी कुछ तो रीजन होगा..? तुम मुजे अ‍ैसे ही सब नही कहेती..

मंजुला : (आंख गीली करते) जानु.. बस.. अब आगे जाकर अ‍ैसे ही मेरी तराह आपको हमारी पुनम सम्हाल लेगी.. वोही आपको सब बाते बताती रहेगी.. इसीलीये तो मेने उसे मेरी सभी शक्तिया देदी हे.. वोही इस हवेलीकी महारानी होगी.. ओर इस हवेलीका सभी कारोबार वोही चलायेगी..

देवायत : (नम आंखोसे) मंजु.. मत कर अ‍ैसी बाते.. मुजे डर लग रहा हे.. अ‍ैसा लगता हे तुम हम सबको छोडके जाने वाली हो..

मंजुला : (आंसु पोछते) भाइ.. अ‍ैसे कमजोर ना हो.. मे कहा आपको छोडकर जा रही हु.. मुजे वापस भी तो आना हे.. मेरी भावुकी कोखसे.. आपकी ही बेटी बनकर वापस आउगी.. हंम..? कीतना अजीब हे.. अ‍ेक पतीकी बेटी बनकर आउगी.. ओर अपने ही बेटेकी बीवी होजाउगी.. भाइ.. हमारा विजय ही मेरा पती होगा..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. मतलब अ‍ेक ओर भाइ बहेनकी सादी.. चल ठीक हे.. वैसे भी मेरी चहीती रानीओमे तुम ओर मेरी पुनो.. तुम दोनो ही तो हो.. पुनोके बीना अब अच्छा नही लगेगा..

मंजुला : (मुस्कुराते) भाइ.. फीकर मत करो.. वो बहुत ही जल्द इस हवेलीमे वापस आजायेगी.. सायद आपकी बेटीको जन्म भी यही रहेकर देगी.. भाइ.. वो जो भी कुछ नीर्णय करे उसे करने देना.. उनके काममे देखना कोइ लखल ना डाले..

देवायत : (मुस्कुराते) मंजु.. तेरी सब बाते सकज गया.. फीकर मत कर तुम जो केह रही हो अ‍ैसा ही होगा.. चल अब मुजे सुधीरके घर जाना हे.. कल उनका फोन आया था.. उनको मुजसे कुछ जरुरी काम हे.. ओर कल सायद मुजे धिरेनके मकानके लीये भी जाना होगा.. क्युकी दो तीन दिनके बाद तो तेरी मम्मी लोग भी हरद्वार जाने वाले हे..

मंजुला : (हसते अलग होते) हां भाइ.. उनके मकानका सौदा करके ही आना.. अब वक्त बहुतही जल्द बदल रहा हे.. जाइअ‍े.. जाकर मील लीजीये सुधीर भाइको.. सायद आप सुधीर भाइको आखरी बाल मील रहे हे.. हें..हें..हें.. बाकी सब वोही आपको बतायेगे.. हें..हें..हें..

देवायत : (आस्चर्यसे हसते) आखरी बार मतलब..? मंजु.. बताना.. तुजेतो सब पता होगा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (जोरोसे हसते) अरे.. आपतो मेरे पीछेही पड गये.. मे क्यु बताउ..? वोही आपको मीलेगे तब बतायेगे.. जाइअ‍े.. वहा आपकी वो दोनो बीवीया भी होगी.. उसेभी अच्छी तराह मील लेना.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते बहार चलते) ओर गोड.. क्या मुजे सारा दिन यही काम करना हे..? हें..हें..हें..

मंजुला : (साथ चलते हसते) देखा..? इसीलीये तो हमने लखनको जडीबुटी पीलाइ हे.. ताकी आपका भी कुछ बोज हल्का होजाये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) तुम सबकी सब कमीनी हो.. पता नही मुजसे कीस बातका बदला ले रही हो.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते धीरेसे) क्यु..? भाइसे जलन हो रही हे..? अगर आप उनकी बीवीको ठोक सकते हो.. तो वोभी तो यही करेगा.. हें..हें..हें.. देखलो.. कब तक अपनी बीवीओको बचाते हो.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते धीरेसे) अच्छा.. अब समजा.. इसीलीये तुमने घरकी सभी ओरतोको सेक्स करनेकी आजादी दीलवाइ हे.. ठीक हे मेभी तुम सबको देख लुगा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) भाइ.. कोइ क्षोभ मत करना.. सीर्फ सबकी अयासीके लीये छुट नही ली.. भाइ.. आपतो जानते हे.. हमारे लोकमे सीर्फ आपसी रीस्तोमे ही प्यार ओर सादीया करते हे.. तो फीर हमारे विजय ओर हमारा पोता कहा सादीया करेगा..? उनके लीये भी कोइ रास्ता बनाना होगा.. तभी तो उनकी सभी बहेने इस दुनीयामे आ पायेगी..

देवायत : ((मुस्कुराते) अरे हां.. उनका तो सोला रानीके अलावा भी बहुत कुछ रीलेशन था.. ओर सबने उनको दुसरे जन्ममे मीलनेकी कामना कीहे.. तो सबका वापस आना लाजमी हे.. मंजु.. मे तेरी सारी बात समज गया.. मुजे हमारे खानदानके आपसी रीस्तोसे अब कोइ अ‍ेतराज नही हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां भाइ.. सीर्फ अभी नही.. भुतकालमे भी अ‍ैसा बहुत कुछ हुआ हे.. क्या मेने आपको हमारे बापुकी स्टोरी नही सुनाइ..? आप ओर लखन तो सीर्फ इस घरकी ओरतोको सम्हालोगे.. लेकीन हमारे बापुने तो बहुत कुछ कीया हे.. उनका अपनी मां के साथ भी रीलेशन था.. भाइ.. अगर तुम दोनो भाइ मीलकर प्यार बाटोगे.. तो हम सबके दिन अब सुहाने होगे..

देवायत : (मुस्कुराते सर चुमते) पता हे मुजे सब.. मेतो बस अ‍ैसे ही मजाक कर रहा था.. मंजु.. मेरी बहेन.. तुजे पाकर मे तो धन्य हो गया..

मंजुला : (बाहोमे समाते) भाइ.. क्या बात हे.. आज बहेन की याद आगइ.. हें..हें..हें..

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दोनोही धीरे धीरे हस हसके बाते करते मस्ती मजाक करते बहार आगये.. तबतक लखन भी तैयार होकर नीचे आचुका था.. तब सृती चंदा ओर पुनम लखनकी मस्तीया करते उनकी टांग खीचाइ कर रही थी.. तो लखन भी मुह फुलाके बैठा था.. तो सब लोग इनको देखकर हस रहे थे.. जैसेही मंजु ओर देवायत डाइनींगपे आकर बैठ गये तब लखन खडा होकर देवायतके पास आकर बैठ गया..
 
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dilavar

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लखन : (जुठे गुस्सेसे मुह फुलाते) भैया.. समजा दीजीये अपनी सभी बीवीओको.. खास करके सृती भाभीको कबसे मुजे तंग कर रही हे.. क्या आपकी घरमे बीवीओके सामने चलती नही हे क्या..? बहार तो बडे सेर बनके घुम रहे हो..?

देवायत : (हसते) नही.. इन सबके सामने मेरी अ‍ेक भी नही चलती.. तुम ही सबसे नीपटलो.. हें..हें..हें..

मंजुला : (जोरोसे हसते) लखन भैया.. वहा आपकी दाल गलने वाली नही हे.. कही ओर ट्राइ करो.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे.. अब मेही नीपट लुगा.. अभी इनको क्लीनीकपे जाना हे.. तबतो आप अकेली होगीनां..? देखना मे आपको बीच रास्तेपे छोड देता हु की नही..? फीर पैदल चली जाना..

सृती : (जटसे जोरोसे) अरे नही नही.. आपतो सचमे कमीने हो.. मुजे सचमे रास्तेपे छोड दोगे.. लखन भैया आप बहुत अच्छे हो.. कोन कमीनी आपको तंग करती हे.. बताइअ‍े मुजे.. अभी उनकी खबर लेती हु..

जैसे ही सृतीने कहा तो सबलोग जोरोसे ठहाका मारते हसने लगे.. तो सृती भी सरमाकर हसने लगी.. तो लता ओर पुनम भी सरमाते अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते हसती रही.. तभी पुनम टेडी नजर करते लखनके पेन्टके उभारको देख लेती हे.. जो लखन तंबु बनाके बैठा था.. जैस ही लखनके पेन्टमे तंबुको देख लीया.. तब अ‍ेक बार फीर पुनमकी चुत गीली होने लगी.. तो पुनम बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर खडी होकर बाथरुममे चली गइ..

जबसे लताके साथ बात हुइ तबसे पुनमको लखनके लंडको देखनेकी उत्सुक्ता बढने लगी थी.. ओर वो गील्टी भी फील करने लगी.. की कही वो अनायास ही सही.. लखनकी ओर खीचती चली जा रही हे.. तो वो देवायतको धोखा तो नही दे रही..? यही सोचते पुनमकी आंख गीली होगइ.. ओर वो बाथरुममे फ्रेस होकर वापस सबके साथ आकर बैठ गइ.. लेकीन फीर भी बार बार उनकी नजर लखनके पेन्टके उभारकी ओर चली जाती थी.. तो यही हाल लता ओर सृतीका भी था..

क्युकी सृतीको भी पता था की लखनको जडी बुटी देदी गइ हे.. तो वोभी कइ बार लखनके पेन्टके उभारको देखते अपनी चुतको गीली कर चुकी थी.. अ‍ैसे ही सबने मस्ती मजाक करते चाइ नास्ता करते रहे.. इसी दौरान लखनने नीर्मला.. भुमीका.. सरला.. ओर चंदाके लीये हरद्वारके पेकेजकी बात करली.. ओर सब टीकीट मंजुके हाथोमे देदी.. ओर सबने अस्थी विसर्जनको लेकर बाते करते चाइ नास्ता करलीया..

तब देवायतने भी कल सुबह नीर्मला भुमीका चंदा पुनम सबको तैयार रहेनेको कहा.. क्युकी कल देवायत सबको लेकर धिरेनके मकानका सौदा करलेना चाहता था.. क्युकी बादमे तो उन लोगोको हरद्वार जाना था.. तो मंजुभी अब अ‍ेक दो दीनमे लखनको सहेरमे रहेने जानेकी बात कर लेती हे.. ताकी हर दिन सृतीको यहा आना जाना ना पडे.. जबतक भुमीका हरद्वारसे वापस नही आजाती तबतक सृती लखन लताके साथ ही उनके बंगलेपे रहेगी.. सभी बाते तैय होगइ..

तभी बंसी आकर लखनसे सहेरमे मीलनेकी बात करके उनकी जीप लेकर चला गया.. सृती क्लीनीकपे जानेकी तैयारीया करने लगी.. ओर वो अपने रुममे चली गइ.. तब सृतीसे बात करनेका यही मौका देखकर पुनमभी धीरेसे सबकी नजर बचाकर उनके पीछे चली गइ.. ओर धीरेसे दरवाजा बंध करके सृतीके पास जाकर बैठ गइ.. तो सृती उनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी.. ओर पुनमके पास आकर बैठ गइ..

सृती : (मुस्कुराते) आइअ‍े पुनम दीदी.. बैठीये.. कहीये क्या बात करनी हे..? क्या लखन भैयाके बारेमे पुछनां हेनां..? बापरे.. पेन्टके अंदर ही कीतना बडा दीख रहा हे..

पुनम : (आस्चर्यसे हसते) भाभी.. क्या आपको भी पता चल गया मे क्या पुछने आइ हु..? आज सुबह लताभाभी आइ थी.. बस.. इसी बात पे वो कुछ ज्यादा ही परेसान दीख रही थी ओर बहुत डरी हुइ थी..

सृती : (धीरेसे) दीदी आपको भी सब पता हे ये तो जडी बुटी हे.. इनमे कुछ तकलीफ नही होगी.. आप जाकर केह दीजीये लताको.. मंजुने भी कहा हे अ‍ेक दो दिनमे सब ठीक होजायेगा.. पुनोदीदी आप भी सब जान जाती हो.. तो क्या वाकइ लखन भैयाका वो.. हमारे पतीके जीतना बडा होजायेगा..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) हां भाभी.. इसीलीये तो कल हमने उनको जडीबुटी दीहे.. ओर बडा होजायेगा नही बडा ओर मोटा दोनो होगया हे.. आपने उनके पेन्टके उभारको देखा नही..? पेन्टमे ही कीतना बडा दिखता हे..

सृती : (सरमाकर हसते धीरेसे) हां पुनोदीदी.. मेने भी अभी अ‍ेक दो बार देखा.. लखनभैया अब लताकी तो हालत बीगाड देगे.. वैसे भी वो रात भर चीलाती रहेती हे.. पता नही अब उनका क्या हसर होगा.. हें..हें..हें..

पुनम : सृतीभाभी.. हमने लखन भैयाको वो जडीबुटी खास तो उन मां बेटीके लीये दी हे.. बाकी देखते हे वो कीन कीन ओरतोकी हालत बीगाडते हे.. हें..हें..हे.. भाभी.. जब आप सामको वापस आओ तो अकेली मीलना.. मुजे इसीकी बारेमे आपसे बहुत कुछ कहेना हे.. हम दोनो अकेली हो तब फुरसतमे बात करेगे..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. मुजे भी सबके बारेमे आपसे जाननेकी दिलचस्पी हे.. हम सामको मीलते हे.. चलीये..

दोनोही बाते करते बहारकी ओर आने लगी तबतक साहील ओर उनकी बडी अम्मा भी तैयार होकर आगये थे.. तो मंजुने उनको बडे प्यारसे बीठाया ओर चाइ के लीये बोल दीया.. तब सलमा देवायतकी ओर देखते बहुतही सरमा रही थी.. तो साहीलने वहा सबके पेर छुलीया.. ओर लखनके पास जाकर बैठ गया.. ओर उसने पैसे साथ लेनेकी बात करली.. तबतक सृती भी आगइ.. ओर चारो सबको बाय बोलते सहेरकी ओर नीकल रहे थे.. तभी..

देवायत : (मुस्कुराते) साहील.. तुम सहेर जा रहे हो.. तो तेरे चाचाको कहेना.. बडे भैया केह रहे थे.. की अबतो आपकी जमीन वापीस मील गइ हे.. तो अब तो वापस गांवमे आजाओ..

साहील : (मुस्कुराते) जी बडे भैया.. हम उसी सीलसीलेमे बात करने जा रहे हे.. सायद मेरी बात ना माने तभी तो लखन भैयाको साथ लेजा रहा हु..

लखन : (हसते) बडे भैया आप फीकर मत करो.. मे उनसे सब बाते करलुगा.. ओर यहा आनेके लीये राजी भी करलुगा.. आप मुजपे छोड दीजीये.. चलो सबको बाय..

कहातो सब मुस्कुराने लगे.. ओर बाय कहेने लगे तो लखन सबको लेकर सहेरकी ओर नीकल गया.. तब रास्तेमे सृतीने सलमा ओर साहीलसे सबानाके बारेमे बात करते बहुत कुछ जानकारीया लेली.. तो दुसरी ओर बंसी सांती ओर जागुतीके साथ जयश्री भी तीनोके साथ सहेरमे खरीदारी करने जा रही थी.. जागृतीने उसे कल रातको ही फोनपे बात करके सादीकी खरीदारी करने सहेर जानेकी बात की..

तो ब्रीन्दाने मौकेका फीयदा उठाकर जागृतीसे बात करते जयश्रीको भी उनके साथ लेजानेकी बात की.. जीसे सुनकर जयश्री ओर जागृती दोनो ही खुस हो गइ.. ओर जयश्री जागृतीके साथ जानेके लीये तैयार हो गइ.. तब जयश्रीको नही पता था की ब्रीन्दा उसे सबके साथ सहेर क्यु भेज रही हे.. ताकी वो अपने बेटे ओर नये पतीको मील सके.. तो बंसी भी लखनकी जीपमे तीनो लेडीसको लेकर लखनके साथ ही नीकल गया..
 
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तब घरपे सामतभाइ फोन लेकर सबको सादीका न्योता देने बैठ गये.. तो देवायत भी रश्मी ओर वंदनाको मीलकर सीधाही सुधीरके घरपे चला गया.. तो वहा सुधीरके साथ नीशा ओर चारु भी बैठकर आपसमे बाते कर रही थी.. तब देवायतको देखतेही सुधीर खुसी होते उनके गले लग गया.. फीर हाथ पकडकर देवायतको अपने पास बीठा देता हे.. तब नीशा ओर चारु दोनो ही सरमाते देवायतकी ओर देखकर मुस्कुराने लगती हे.. दोनोही सारीमे सजधरके मांगमे सींदुर लगाकर बैठी थी.. तभी..

सुधीर : (हसते) आइअ‍े जीजाजी.. हें..हें..हें.. कहीये क्या पीयेगे..

देवायत : (हसते सामने देखते) कमीना कहीका.. सुधीर तुमने अ‍ैसा क्यु कीया..?

सुधीर : (हसते) हें..हें..हें.. भाइ गुस्सा मत करना.. आज इसीलीये तो मेने आपको बुलाया हे.. ताकी आपसे मीलकर सारी बाते करके जाउ.. सायद आज आप अपने दोस्तको आखरी बार मील रहे हो.. हें..हें..हें.. अब ये दोस्त आपको कभी नही मीलेगा.. हें..हें..हें..

देवायत : (थोडा सीरीयस होते) सुधीर.. अ‍ैसा क्यु बोल रहा हे..? क्या हुआ हे तुजे..? हंम..? कोइ सीरीयस मेटर तो नही..

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) अरे नही नही भाइ.. कोइ सीरीयस मेटर नही हे.. सोरी भाइ.. मुजे कुछ भी नही हुआ.. आप तो मेरे बारेमे सब जानते हो.. ओर मेरे खास दोस्त भी हो.. तो सीर्फ आपको ही बताकर जा रहा हु.. हम तीनो आज साम ट्रेनसे मुम्बइ जा रहे हे..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) हम तीनो मतलब..? कोन कौन..? ओर कीसलीये जा रहे हो..?

चारु : (सरमाते हसते) देवु.. दरसल सुधीरभाइ.. नीशा.. ओर उनके साथ मे भी जा रही हु.. क्युकी वहा होस्पीटलका मामला हे.. ओर मेने मुम्बइमे सब देखा हे.. ओर वहा नीशाको भी अकेला ना लगे इसीलीये मे भी साथ जा रही हु.. हम सब दश दिनके बाद वापस आजायेगे..

देवायत : (थोडा चोंकते) होस्पीटलमे..? वो भी दश दिन..? लेकीन क्यु..? क्या हुआ हे सुधीरको..?

नीशा : (सरमाते धीरेसे) जानु.. दरसल सुधीर वहा अपना जेन्डर चेन्ज करने जा रहे हे..

देवायत : (चोंकते) जेन्डर चेन्ज करने जा रहे हे..? लेकीन क्यु..? कोइ खास वजह..?

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. गुस्सा मत करना.. बस.. मुजे आपका साथ चाहीये.. दरसल मेरे अंदर अ‍ेक स्त्रीके पुर्ण लक्षण हे.. मे कभी पुरुषमे था ही नही.. बस.. मां की जीदकी वजहसे मुजे नीशाके साथ सादी करनी पडी.. लेकीन अब सब कुछ सही हो गया हे.. तो सोचा मे भी अपनी लाइफ खुलकर जीयु..

चारु : (सरमाते धीरेसे) हां देवु.. सुधीरभाइने सही फैसला लीया हे.. हम सबकी तराह उनको भी खुलकर जीनेका अधीकार हे.. ओर सुनीये.. यहा इस बारेमे अभी कीसीको कुछ भी नही पता.. तो आप भी खयाल रखीयेगा.. हम दस दिनके बाद वापस आजायेगी.. ओर हां.. हमारे बारेमे हमने सुधीरभाइको सबकुछ बता दीया हे.. ओर दुसरी बात.. मे ओर रमेश अलग हो रहे हे.. हम डिवोर्स ले रहे हे..

देवायत : (सामने देखते) लेकीन क्यु..? क्या दोनोका जुदा होना जरुरी हे..? क्या तुम दोनो जल्दबाजी नही कर रहे..? कुछ दिन ठहेर जाओ.. सब ठीक होजायेगा..

सुधीर : भाइ.. मे रमेशके साथ कल बात कर चुका हु.. अब कोइ फायदा नही.. क्युकी बात ही कुछ अ‍ैसी हे.. जो होता हे होने दीजीये.. ओर हां.. अ‍ेक बात ओर.. अब आप यहाके लीये दुसरे सरपंचका इन्तजाम कर लीजीये.. बस.. ओर कुछ नही कहेना.. बाकी हम मेरी क्लीनीकपे बैठकर आरामसे बाते करेगे..

देवायत : (थोडा परेसान होते) लेकीन सुधीर.. वो ओर सामतभाइ मीलकर कीतना अच्छा काम कर रहे थे.. तो फीर अचानक अ‍ैसा फैसला क्यु लीया..? ओर तुजे पता हे..? दोनोने कल ही यहा अ‍ेक बडी होस्पीटलके लीये सरकारसे जमीन भी लेली हे.. इस बारेमे अभी रश्मीके साथ भी बात करके आया हु.. स्कुलके लीये भी सब काम खतम हो चुका हे.. बस अब बील्डींगका काम सुरु होनेकी देरी हे..

सुधीर : (मुस्कुराते) भाइ आपकी सभी बाते सही हे.. लेकीन सीचुअ‍ेशन ही अ‍ैसी हे.. भाइ.. चलो मे भी आपके साथ खेतोपे चलता हु.. हम दोनो वहा आरामसे बात कर सकेगे.. आज क्लीनीकपे नही जाना..

चारु : (सरमाते धीरेसे) देवु.. आज दोपहोरको आपको खानेके लीये इधर आना हे.. मे मंजुभाभीसे बात कर लुगी.. आप ओर सुधीरभाइ इधर आजाना..

सुधीर : (मुस्कुराते) भाइ.. मेरी दोनो बहेनोका हुकुम आगया हे.. अब तो इधर आना ही पडेगा.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते खडा होते) चल यार वहा आरामसे बात करते हे..

दोनोही खेतोपे आजाते हे.. तब भानु ओर रामुकाका बाते कर रहे थे.. ओर देवायत सुधीरको लेकर सीधा ही अपनी ओफीसमे चला गया.. ओर दोनो ही चेरपे बैठ कर बाते करने लगे..
 
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dilavar

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देवायत : हां सुधीर अब बता.. क्या केह रहाथा रमेश..? वो क्यु चारु भाभीको डीवोर्स दे रहा हे..?

सुधीर : भाइ.. रमेश नही.. खुद चारुभाभी इनको डीवोर्स दे रही हे.. पता हे क्यु..? मेरी कल ही रमेशके साथ बात हुइ.. कीसीको ना कहेनेकी सर्त पर उन्होने मुजे बहुत कुछ बता दीया.. भाइ.. सामत भाइके लडकेकी सादीके बाद वो ओर जया भाभी सादी करने वाले हे.. सुना हे सामतभाइ अब कुछही दिनोके महेमान हे.. रमेश केह रहाथा उनको ब्लड केंशर हे..

देवायत : (सामने देखते) हां.. पता हे मुजे.. लेकीन सुधीर ये बातका जीक्र अभी तुम कीसी ओरके सामने मत करना.. क्युकी खुद सामत भाइने मना कीया हे.. ओर रमेशको सामतभाइ जीन्दा हे तबतक थोडा इन्तजार करना चाहीये.. वो क्यु इतनी जल्द बाजी कर रहा हे..? क्या कुछ दिन ठहेर नही सकता..?

सुधीर : (सरमाते धीरेस) भाइ.. जल्द बाजी रमेश नही.. जया भाभी खुद कर रही हे.. वो रमेश के उपर जल्दसे जल्द सादी करनेका दबाव डाल रही हे..

देवायत : (आस्चर्यसे) जयाभाभी खुद..? लेकीन क्यु..? क्या उनको पता चल गया हे.. की सामत भाइ अब कुछ ही दिनके महेमान हे..?

सुधीर : (धीरेसे) नही भाइ.. सामत भाइकी बीमारीके बारेमे उनके घरपे कीसीको नही पता.. भाइ.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? रमेशने जया भाभीको प्रेगनेन्ट करदीया हे.. ओर इस बारेमे सामत भाइकी बहेन सांतीको ओर सायद उनकी बेटी जागृतीको भी पता चल गया हे.. क्युकी पीछले तीन चार दीनसे चारुभाभी नीशाके साथ सो रही हे.. तो तबसे जया भाभी अपने घरकी छतसे होते रमेशके साथ सोने चली जाती हे.. ओर ये बात जया भाभीने खुद रमेशको कही हे.. तो वोभी जल्दसे जल्द रमेशके साथ जाना चाहती हे..

देवायत : (परेसान होते) छोड यार.. रमेश ओर जयाभाभीने तो दिमाग ही खराब कर दीया.. अब ये दो दिनमे ही बंसी ओर सांतीकी सादी हे.. अच्छा हे उनकी सादी आरामसे नीपट जाये.. सुधीर.. ये बता तुमने इतना बडा डीसीजन क्यु लीया..? कोइ खास वजह..?

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. मेने मुंबइ जाकर सब टेस्ट करवालीये हे.. अ‍ेक सेक्सोलोजीस्ट डोक्टर दोस्त मील गया हे.. उसीके पास मे गया था.. तो पता चला मेरे अंदर सब होर्मोन्स स्त्रीके हे.. मेरा पेनीसभी सीर्फ ना के बरारबर हे.. ओर पता हे आपको..? मेरे पेटमे बच्चेदानी भी हे.. तो मे बच्चे भी पैदा कर सकता हु..

ओर भाइ.. आपतो जानते हो.. मुजे कभी लडकीओमे इन्ट्रेस नही रहा.. सब लडकेही अच्छे लगते हे.. तो सोचा क्युना मे भी लडकी बनजाउ.. भाइ.. इसीलीये मेने नीशाको आपके साथ सादीके लीये कहा था.. ताकी उनकी भी जींदगी सवर जाये.. हम दोनोने बैठकर बहुत कुछ डीसाइड करलीया हे..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. मुजे नीशा ओर चारुने सब बाते बताइ.. ठीक हे.. अगर वहा कोइ पैसे बैसेकी जरुरत होतो बताना.. वैसे तो मे कुछ पैसे नीशा ओर चारुको दे रहा हु.. फीर भी ज्यादा चाहीये तो बोल देना..

सुधीर : (आंख गीली करते) थेन्क्स भाइ.. वैसेतो पैसे हे मेरे पास.. फीर भी चहीये तो जरुर आपसे लेलुगा.. भाइ.. आपने चारु भाभीसे भी सादी करके बहुत अच्छा कीया.. वरना उनकी जींदगी बरबाद हो जाती..

देवायत : (मुस्कुराते) हंम.. अब बता.. जब लडकी हो जायेगा तो आगेका क्या प्लान हे..? तु कीसी अच्छे लडके के साथ सादी कर लेना.. ओर अपनी लाइफ अ‍ेन्जोय करना..

सुधीर : (सरमाते) भाइ.. आजकल अच्छे लडके मीलते कहा हे..? मे हमारी स्कुल कोलेजमे था तब ही सभी लडकोका अनुभव कर चुका हु.. कुछ ही लडके आपकी तराह हमदर्द ओर इमानदार मीले हे.. भाइ.. मेने सबकुछ प्लान करलीया हे.. मे आपकी होस्पीटल सम्हालुगा..

ओर सादी नही करनी.. बाकी सब मे ओपरेशन करवाकर आउगा तब डीसाइड करुगा.. की क्या करना हे.. अगर जरुरत महेसुस हुइ तो मे सादी भी करलुगा.. भाइ.. मे जब आउगानां तब अ‍ेक पुर्ण लडकी बनकर आउगा.. आप मुजे पहेचान भी नही सकोगे.. हें..हें..हें..

दोनो ही बाते करते रहे.. तब सुधीरने देवायतको उनके बचपनसे लेकर आज तक सभी बाते बतादी.. जो उसने नीशाको बताइ थी.. जीसे सुनकर देवायतको भी सुधीरके साथ ओर हमदर्दी होने लगी.. इधर दोनो बाते कर रहे थे.. तब बंसी सांती जागृती ओर जयश्री.. सहेरमे पहोचकर लखनसे फोनपे कोन्टेक्टमे रहेनेका बोलकर अलग हो गये.. ओर सादीकी खरीदारी करने लगे.. तब लखन भी सृतीको उनकी क्लीनीकपे ड्रोप कर देता हे..

तब कारसे उतरते सृतीने लखनको दोपहोरको फोन करनेको कहा.. क्युकी सृतीको भी कुछ अपने लीये खरीदारी करनी थी.. सृती अ‍ेक नजर लखनके पेन्टकी ओर डालकर सरमाती क्लीनीकमे चली गइ.. अब इतने दिनो तक वो हवेलीमे रही.. तो लखनको भी अच्छी तराह जानने लगी थी.. ओर उपरसे वो पहेलेसे ही बहुत ही मोर्डन खयालकी थी.. तो लखन पुनमकी तराह उनकी भी मस्तीया करते उनके साथ भी फ्ल्र्ट करने लगा था.. तो सृतीको भी बहुत अच्छा लगने लगा..

आज सुबह पुनमके साथ लखनके बारेमे बातकी तो जीनकी वजहसे अब सृतीकोभी लखनके लंडको देखनेकी उत्सुक्ता बढने लगी.. तब उनको पता नही था की वो भी पुनमकी तराह लखनकी ओर खीचती चली जा रही हे.. तब सृतीने अंदर क्लीनीकमे जाकर देखा तो आज सीर्फ दो तीन पेसन्ट ही थे.. आज कोइ डीलीवरी भी नही थी.. तो वो अपनी ओफीसमे जाकर पेसन्टको देखने लगी..
 
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इधर लखन भी सृतीको ड्रोप करके साहील सलमाको लेकर उनके चाचाके घरकी ओर जाने लगा.. तब सलमा बहुत ही सरमा रही थी.. क्युकी उनके ओर साहीलके बीच चल रहे रीस्तेके बारेमे लखनको भी पता था.. मतलब साहीलके सभी दोस्तोको पता था.. सलमा थी भी बहुत खुबसुरत.. पतली कमर ओर लंबी चोटी.. तीखे नैन नक्सकी वजहसे जो आज भी अ‍ेक लडकी की तराह दीख रही थी.. लेकीन वो भी आज अ‍ेक खास मक्सदसे साहीलके साथ आइ थी.. तभी..

लखन : (मुस्कुराते) साहील अब तुम मुजे घरका रास्ता दीखाना मेने घर नही देखा.. ओर हां.. भाभी.. वहा आप मुजे खानेके लीये मत रोकना मुजे बंसीके साथ खरीदी करने भी जाना हे..

लखनने सलमाको भाभी कहातो सलमा बहुतही सर्मसार होगइ.. क्युकी उनकोभी पता थाकी साहील ओर उनके दोस्तोके बीच सभी तराहकी बाते होती हे.. तब दुसरी ओर साहीलने भी सलमाको लखनके बारेमे बहुत कुछ बता दीया था.. की उनका कीस कीसके साथ रीलेशन हे.. तो सलमाभी लखनके रंगीन मीजाजको अच्छी तराह जानती थी.. ओर लखनका उनको भाभी कहेना बहुत ही अच्छा लगता था..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. चाचा ओर चाची आपको खानेके बगैर नही जाने देगे.. ओर बंसीकी फीकर मत करो.. उनको भी हम वहा खानेके लीये बुला लेगे.. फीर हमे भी तो खरीदी करनी हे..

सलमा : (सरमाते धीरेसे) लखनभैया.. प्लीज.. वहा ध्यान रखना.. क्युकी हमारे रीलेशनके बारेमे यहा कीसीको नही पता..

लखन : (हसते) अरे.. भाभी.. फीकर मत करो.. वैसे भी मे आपको भाभी कहेता हु.. तो वहा कीसीको पता भी नही चलेगा.. बस अ‍ेक बार फीरोजभाइ गांवमे रहेने आजाये.. फीरतो आप दोनोकी बले बले हे.. देखना सबलोग आप दोनोके रीस्तेको कैसे अ‍ेक्सेप्ट करलेते हे.. फीरोजभाइ ही आप दोनोकी सादी करवा देगे.. हें..हें..हें..

सलमा :(सरमाते मुस्कुराते) लखनभैया.. प्लीज.. अभी उनको हमारी सादीके बारेमे कुछ मत कहेना.. क्युकी मेने मेरे साहीलके लीये कुछ ओर ही सोचा हे.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) अच्छा.. भाभी.. बताइअ‍ेना.. आपने साहीलके लीये क्या सोचा हे..?

सलमा : (हसते) नही.. अभी नही.. मे आपको बादमे बताउगी.. अभी तो चलो.. लखनभैया.. क्या फीरोजभाइ ओर जरीना वहा आनेके लीये राजी होजायेगे..? आजाये तबतो अच्छा हे.. मेरे साहीलका भी खेतीसे थोडा बोज हल्का होजायेगा..

तीनोही बाते करते साहीलके चाचाके घर पहोंय गये.. जैसेही सलमा साहील ओर लखन घरमे दाखील हुअ‍े.. तो जरीनाने सलमाको देखा.. देखते ही जरीना तो पागल ही होगइ.. ओर दोडकर सलमाके गले लगकर फुटफुटके रोने लगी.. तो उनके रोनेकी आवाज सुनकर फीरोज ओर सबाना भी जटसे रुमसे बहार आगये.. तब सबाना भी साहीलको देखकर पहेलेतो खुस होगइ फीर सरमाते आकर साहीलको गले लगा लीया..

तो आज पहेली बार साहीलको कुछ अलग ही फील होने लगा.. क्युकी सबाना अब काफी बडी हो चुकी थी.. तो उनके दोनो उरोज साहीलके सीनेपे चुभते रगड खा रहेथे.. तो साहीलका लंड जटके मारते खडा होने लगा.. तभी सबानाको भी अपनी चुतमे कुछ चुभन महेसुस हुइ.. तो वो फौरन समज गइ.. ओर जटसे साहीलसे अलग होगइ.. फीर नीचेकी ओर टेडी नजरोसे देखने लगी.. तो साहीलके पेन्टमे तंबु हो गया था..

साहील : (मुस्कुराते) नही दीदी.. यादतो आपकी बहुत ही आ रही थी.. लेकीन यहा आनेका मोका नही मील रहाथा.. ओर आज सीर्फ आपको ही मीलने आया हु.. वो भी स्पेसीयल.. हें..हें..हें..

सबाना : (सरमाते मुस्कुराते) जाओ जाओ.. जुठ मत बोलो.. कीसी ओर कामसे आये होगे.. अगर इस दीदीसे इतना ही प्यार होता तो कभी फोन करलीया होता..

जरीना : (हसते) साहील बेटा सही मौकेपे आये हो.. आज सबानाका जन्मदीन भी हे.. हें..हें..हें..

सबाना : (जुठा गुस्सा करते) मम्मी.. आपभीनां..? क्यु बतादीया..? मे देखना चाहती थी भाइको याद हेकी नही.. हें..हें..हें..

साहील : (अ‍ेक बार फीर हग करते हसते) हेपी बर्थडे दीदी.. सच कहु..? तुमसे जुठ नही बोलुगा.. मुजे सचमे याद नही था.. सोरी..

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सबाना : (हसते) हां देखानां..? मुजे पता था आपको याद नही होगा.. इनकी तो मे तगडी गीफ्ट लुगी.. हें..हें..हें..

जरीना : (हसते) अबतो इसे छोड.. हमे भी हमारे बेटेसे मीलने दे.. हें..हें..हें..

कहातो सबाना सरमाकर साहीलसे अलग हो गइ.. ओर अ‍ेक बार फीर साहीलके पेन्टकी ओर देखने सर्मसार होने लगी.. सभी परीवार अ‍ेक दुसरेको गले मीलकर मीलने लगे.. तब लखन दरवाजेपे खडा रहेते सबका मीलन देखकर मुस्कुराता रहा.. तभी अचानक फीरोजका ध्यान लखनकी ओर गया.. तो वो खुसीके मारे जोरोसे छोटे ठाकुर.. कहेते लखनकी ओर चला गया ओर लखनको जोरोसे गले लगा लीया..

फीर हाथ पकडकर उसे सोफेकी ओर ले गया.. ओर उसे आदरसे सोफेपे बीठाया.. तब जरीना ओर सबाना दोनोही सोक्ट होते हसते हुअ‍े लखनको देखती रही.. क्युकी सबाना ओर जरीना भी लखनको अच्छी तराह पहेचानती थी.. लखनको यहा अचानक देखकर उनको कभी उमीद नही थी की गांवके राजा ओर ठाकुरके खानदानसे भी उनके घरपे कोइ आ सकता हे.. तब जरीना बडे ही अहोभावसे लखनकी ओर हाथ जोडते मुस्कुराती रही..

तो सबाना भी लखनकी ओर देखते मुस्कुराते सरमा गइ.. ओर लखनको नमस्ते कहेने लगी.. सबाना कइ बार गांवमे आचुकी थी.. साहीलकी वजहसे उनके सभी दोस्तोको अच्छी तराह जानती थी.. लखन साहील बंसी मुना श्रीधर जयश्री ओर जागृती भी सबानाको अच्छी तराह जानते थे.. ओर बंसी श्रीधरने तो कइ बार साहीलको सबानाको पटानेकी बात भी कही थी..

लेकीन साहील था की वो सबानाको चाहता तो था.. लेकीन इस मामलेमे अपने दिलकी बात कहेने मे बहुत ही सरमा रहा था.. ओर सबानाको पटानेकी हींमत नही कर पाया.. तो दुसरी ओर सबानाको भी साहील अच्छा लगता था.. ओर साहीलके साथ बहुत ही पटती थी.. लेकीन वो उनका भाइ था.. तो सबानाने भी पढाइकी वजहसे कुछ खास ध्यान नही दीया.. फीर सबलोग सोफेपे बैठ गये तब सबानाने सबको पानी पीलाया.. ओर कीचनमे चाइ बनाने चली गइ.. तब..

फीरोज : (हाथ जोडते) लखनभैया.. हम जींदगीभर आपका अहेसानमंद रहेगे.. हम आपका अहेसान कभी भुलेगे.. आपने हमारी जमीन वापस दीलवाकर हमपे बहुत बडी महेरबानी की हे..

लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. हमने कुछ भी नही कीया.. जो आपका था वोही आपको वापस दीया हे..

फीरोज : (मुस्कुराते) नही लखनभैया.. हमतो कर्जमे पुरी तराह डुब चुके थे.. वो सरपंचने हमारी सब जमीने हमसे लीखवाली थी.. हमे कभी उमीद ही नही थीकी वो जमीन हमे कभी वापस मीलेगी.. भलाहो बडे ठाकुर ओर उस सरपंचकी बीवीका.. जो हमे हमारी जमीन वापस देदी..

फीरोन ओर लखन बाते करने लगे.. ओर बातो ही बातोमे फीरोजने कादीर ओर उनकी बहेन सायराके बारेमे बात की.. तब बाते करते करते लखनने गांवमे हुअ‍े बदलावके बारेमे बहुत कुछ फीरोजको बतादीया.. तब जरीना सलमा ओर कीचनमे चाइ बनाते सबानाके साथ सभी लखनकी बाते बडे ही अहोभावसे सुनते रहे.. फीर सबानाने सबको चाइ नास्ता दीया.. ओर खुद भी सलमाके पास आकर बैठ गइ..

जब लखनने चाइ नास्ता करते गांवमे रीस्तोमे बदलावकी बातेकी.. तब सबानाको लखनकी बातोपे दिलचस्पी होने लगी.. ओर वो लखन ओर साहीलको बार बार चोर नजरसे देखने लगी.. तभी अचानक सबानाका ध्यान लखनके पेन्टकी ओर गया.. तब वो आस्चर्यसे लखनकी ओर देखने लगी.. क्युकी पेन्टके अंदर ही लखनका लंड बहुत बडा दीख रहा था.. सबाना बार बार कभी लखनके पेन्टकी ओर तो कभी उनके सामने देखती रही.. तभी....

कन्टीन्यु
 
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