लखन : (जुठे गुस्सेसे मुह फुलाते) भैया.. समजा दीजीये अपनी सभी बीवीओको.. खास करके सृती भाभीको कबसे मुजे तंग कर रही हे.. क्या आपकी घरमे बीवीओके सामने चलती नही हे क्या..? बहार तो बडे सेर बनके घुम रहे हो..?
देवायत : (हसते) नही.. इन सबके सामने मेरी अेक भी नही चलती.. तुम ही सबसे नीपटलो.. हें..हें..हें..
मंजुला : (जोरोसे हसते) लखन भैया.. वहा आपकी दाल गलने वाली नही हे.. कही ओर ट्राइ करो.. हें..हें..हें..
लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे.. अब मेही नीपट लुगा.. अभी इनको क्लीनीकपे जाना हे.. तबतो आप अकेली होगीनां..? देखना मे आपको बीच रास्तेपे छोड देता हु की नही..? फीर पैदल चली जाना..
सृती : (जटसे जोरोसे) अरे नही नही.. आपतो सचमे कमीने हो.. मुजे सचमे रास्तेपे छोड दोगे.. लखन भैया आप बहुत अच्छे हो.. कोन कमीनी आपको तंग करती हे.. बताइअे मुजे.. अभी उनकी खबर लेती हु..
जैसे ही सृतीने कहा तो सबलोग जोरोसे ठहाका मारते हसने लगे.. तो सृती भी सरमाकर हसने लगी.. तो लता ओर पुनम भी सरमाते अेक दुसरेकी ओर देखते हसती रही.. तभी पुनम टेडी नजर करते लखनके पेन्टके उभारको देख लेती हे.. जो लखन तंबु बनाके बैठा था.. जैस ही लखनके पेन्टमे तंबुको देख लीया.. तब अेक बार फीर पुनमकी चुत गीली होने लगी.. तो पुनम बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर खडी होकर बाथरुममे चली गइ..
जबसे लताके साथ बात हुइ तबसे पुनमको लखनके लंडको देखनेकी उत्सुक्ता बढने लगी थी.. ओर वो गील्टी भी फील करने लगी.. की कही वो अनायास ही सही.. लखनकी ओर खीचती चली जा रही हे.. तो वो देवायतको धोखा तो नही दे रही..? यही सोचते पुनमकी आंख गीली होगइ.. ओर वो बाथरुममे फ्रेस होकर वापस सबके साथ आकर बैठ गइ.. लेकीन फीर भी बार बार उनकी नजर लखनके पेन्टके उभारकी ओर चली जाती थी.. तो यही हाल लता ओर सृतीका भी था..
क्युकी सृतीको भी पता था की लखनको जडी बुटी देदी गइ हे.. तो वोभी कइ बार लखनके पेन्टके उभारको देखते अपनी चुतको गीली कर चुकी थी.. अैसे ही सबने मस्ती मजाक करते चाइ नास्ता करते रहे.. इसी दौरान लखनने नीर्मला.. भुमीका.. सरला.. ओर चंदाके लीये हरद्वारके पेकेजकी बात करली.. ओर सब टीकीट मंजुके हाथोमे देदी.. ओर सबने अस्थी विसर्जनको लेकर बाते करते चाइ नास्ता करलीया..
तब देवायतने भी कल सुबह नीर्मला भुमीका चंदा पुनम सबको तैयार रहेनेको कहा.. क्युकी कल देवायत सबको लेकर धिरेनके मकानका सौदा करलेना चाहता था.. क्युकी बादमे तो उन लोगोको हरद्वार जाना था.. तो मंजुभी अब अेक दो दीनमे लखनको सहेरमे रहेने जानेकी बात कर लेती हे.. ताकी हर दिन सृतीको यहा आना जाना ना पडे.. जबतक भुमीका हरद्वारसे वापस नही आजाती तबतक सृती लखन लताके साथ ही उनके बंगलेपे रहेगी.. सभी बाते तैय होगइ..
तभी बंसी आकर लखनसे सहेरमे मीलनेकी बात करके उनकी जीप लेकर चला गया.. सृती क्लीनीकपे जानेकी तैयारीया करने लगी.. ओर वो अपने रुममे चली गइ.. तब सृतीसे बात करनेका यही मौका देखकर पुनमभी धीरेसे सबकी नजर बचाकर उनके पीछे चली गइ.. ओर धीरेसे दरवाजा बंध करके सृतीके पास जाकर बैठ गइ.. तो सृती उनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी.. ओर पुनमके पास आकर बैठ गइ..
सृती : (मुस्कुराते) आइअे पुनम दीदी.. बैठीये.. कहीये क्या बात करनी हे..? क्या लखन भैयाके बारेमे पुछनां हेनां..? बापरे.. पेन्टके अंदर ही कीतना बडा दीख रहा हे..
पुनम : (आस्चर्यसे हसते) भाभी.. क्या आपको भी पता चल गया मे क्या पुछने आइ हु..? आज सुबह लताभाभी आइ थी.. बस.. इसी बात पे वो कुछ ज्यादा ही परेसान दीख रही थी ओर बहुत डरी हुइ थी..
सृती : (धीरेसे) दीदी आपको भी सब पता हे ये तो जडी बुटी हे.. इनमे कुछ तकलीफ नही होगी.. आप जाकर केह दीजीये लताको.. मंजुने भी कहा हे अेक दो दिनमे सब ठीक होजायेगा.. पुनोदीदी आप भी सब जान जाती हो.. तो क्या वाकइ लखन भैयाका वो.. हमारे पतीके जीतना बडा होजायेगा..?
पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) हां भाभी.. इसीलीये तो कल हमने उनको जडीबुटी दीहे.. ओर बडा होजायेगा नही बडा ओर मोटा दोनो होगया हे.. आपने उनके पेन्टके उभारको देखा नही..? पेन्टमे ही कीतना बडा दिखता हे..
सृती : (सरमाकर हसते धीरेसे) हां पुनोदीदी.. मेने भी अभी अेक दो बार देखा.. लखनभैया अब लताकी तो हालत बीगाड देगे.. वैसे भी वो रात भर चीलाती रहेती हे.. पता नही अब उनका क्या हसर होगा.. हें..हें..हें..
पुनम : सृतीभाभी.. हमने लखन भैयाको वो जडीबुटी खास तो उन मां बेटीके लीये दी हे.. बाकी देखते हे वो कीन कीन ओरतोकी हालत बीगाडते हे.. हें..हें..हे.. भाभी.. जब आप सामको वापस आओ तो अकेली मीलना.. मुजे इसीकी बारेमे आपसे बहुत कुछ कहेना हे.. हम दोनो अकेली हो तब फुरसतमे बात करेगे..
सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. मुजे भी सबके बारेमे आपसे जाननेकी दिलचस्पी हे.. हम सामको मीलते हे.. चलीये..
दोनोही बाते करते बहारकी ओर आने लगी तबतक साहील ओर उनकी बडी अम्मा भी तैयार होकर आगये थे.. तो मंजुने उनको बडे प्यारसे बीठाया ओर चाइ के लीये बोल दीया.. तब सलमा देवायतकी ओर देखते बहुतही सरमा रही थी.. तो साहीलने वहा सबके पेर छुलीया.. ओर लखनके पास जाकर बैठ गया.. ओर उसने पैसे साथ लेनेकी बात करली.. तबतक सृती भी आगइ.. ओर चारो सबको बाय बोलते सहेरकी ओर नीकल रहे थे.. तभी..
देवायत : (मुस्कुराते) साहील.. तुम सहेर जा रहे हो.. तो तेरे चाचाको कहेना.. बडे भैया केह रहे थे.. की अबतो आपकी जमीन वापीस मील गइ हे.. तो अब तो वापस गांवमे आजाओ..
साहील : (मुस्कुराते) जी बडे भैया.. हम उसी सीलसीलेमे बात करने जा रहे हे.. सायद मेरी बात ना माने तभी तो लखन भैयाको साथ लेजा रहा हु..
लखन : (हसते) बडे भैया आप फीकर मत करो.. मे उनसे सब बाते करलुगा.. ओर यहा आनेके लीये राजी भी करलुगा.. आप मुजपे छोड दीजीये.. चलो सबको बाय..
कहातो सब मुस्कुराने लगे.. ओर बाय कहेने लगे तो लखन सबको लेकर सहेरकी ओर नीकल गया.. तब रास्तेमे सृतीने सलमा ओर साहीलसे सबानाके बारेमे बात करते बहुत कुछ जानकारीया लेली.. तो दुसरी ओर बंसी सांती ओर जागुतीके साथ जयश्री भी तीनोके साथ सहेरमे खरीदारी करने जा रही थी.. जागृतीने उसे कल रातको ही फोनपे बात करके सादीकी खरीदारी करने सहेर जानेकी बात की..
तो ब्रीन्दाने मौकेका फीयदा उठाकर जागृतीसे बात करते जयश्रीको भी उनके साथ लेजानेकी बात की.. जीसे सुनकर जयश्री ओर जागृती दोनो ही खुस हो गइ.. ओर जयश्री जागृतीके साथ जानेके लीये तैयार हो गइ.. तब जयश्रीको नही पता था की ब्रीन्दा उसे सबके साथ सहेर क्यु भेज रही हे.. ताकी वो अपने बेटे ओर नये पतीको मील सके.. तो बंसी भी लखनकी जीपमे तीनो लेडीसको लेकर लखनके साथ ही नीकल गया..