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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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रंग -प्रसंग -

इस रंग पर्व पर मेरे इस होली के सूत्र पर जरूर पधारें ,

यह सूत्र हम सबका है , होली की बधाई, गाने, चित्र सब कुछ शेयर करने वाला थ्रेड

पढ़ें, मजे लें और गुलाल की जगह लाइक का निशान लगाएं

लिंक दिया है बस दबाना है

https://exforum.live/threads/रंग-प्रसंग-कोमल-के-संग.103246/
 
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komaalrani

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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Aapki lekhani ka koi jawab nahi komal jee...Shabd bayan nahi kar sakte 
Romantic writer bhalu the romeo💕
"Unse kehna I'm sorry :D"
 
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komaalrani

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अपडेट पोस्टेड

जोरू का गुलाम भाग १७८

डाक्टर गिल

जरूर पढ़ें

 

Shetan

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भाभी के कुंवारेपन के किस्से







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" तो तो क्या भाभी उस दिन चढ़ कर के घोंट ली " हिम्मत कर के मैंने पूछ लिया।

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वो जोर से हंसी, बोली नहीं उनकी किस्मत अच्छी थी. गांड मरौव्वल तो खूब हुयी लेकिन जो बड़ी मस्टराइन, का कहते हैं उसको ,"


" प्रिंसिपल " मैंने बात पूरी की,...



" हाँ हाँ उहै , उसके यहाँ कुछ पूजा पाठ , या कोई मेहमान या कुछ था तो कुल मास्टराइन क अपने घर पर वो डुयटी लगा दी, तो वो स्साली नहीं थी,... हाँ मस्टरवा था तो उसको निहुरा के लेने में ज्यादा मजा आता था, तो चार बार, कभी पलंग पे निहुरा के , कुतिया बना के , तो कभी मेज के सहारे , तो कभी सोफा पे , और एक दो बार तो खड़ा कर के,... लेकिन दो तीन दिन बाद जब उ मास्टराइन घरे पर थी तो अपने सामने चढ़वाया उनको अपने मरद के लंड पे,


और उस दिन तो तीन चार बार बस वैसे ,



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लेकिन तबतक क्या हुआ रोज सबेरे शाम मैं तोहरी भाभी को लेटा के वही ताजा निकला मक्खन का गोला धीरे धीरे गाँड़ में, ... हफ्ते भर बाद वो मस्टरवा गया लेकिन तोहरी भाभी क ये फायदा हुआ की पिछवाड़े क कुल ढंग सीख गयीं। "

थोड़ी देर मैं और बसंती खिलखिलाते रहे।

खाना बन गया था , एक ही थाली में मैंने खाना निकाला और हम दोनों फिर आँगन में,...

बसंती भी न , आंगन में निकलते ही मुझे कोहनी मार के, रॉकी की ओर देख के, मुझसे बोली,

"तुंहु न, अरे हमारे नन्दोई को भुला दी, पहले इसको तो खिलाओ पिलाओ, कि खाली मोटा मोटा घोंटबे करबू,... "

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और ये रॉकी भी, न एकदम बेसरम, निलज्ज , आँगन में, कोठरी में जिधर जिधर मैं जाती बस उसी ओर टुकुर टुकुर देखता, की जैसे मैं मिल जाऊं न तो पता नहीं का,... और जब से चंपा भाभी ने उस की सब जिम्मेदारी हमरे ऊपर कर दी न, खाना खिलाना , बाहर टहलाना , सिकड़ी बांधना खोलना,... उस दिन से और,लालची,...



वो ललचता था और मुझे ललचाने में मजा आता था, उसका तसला उठाके मैं उसके खाने के लिए लेने जा रही थी, पर उसके पहले मैंने झुक के उसके माथे पर एक छोटी सी चुम्मी ले ली और उसको दिखाते ललचाते जोर जोर से चूतड़ मटकाते,...



कोई आगया था, वही महरीन शायद,

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बंसती दरवाजा खोल के उससे कुछ हंसी ठिठोली कर रही थी, जब तक मैं तसला ले के आयी, ढेर सारा उसका खाना और आज दूध रोज से ज्यादा ही मैंने डाल दिया था और थोड़ी सी मलाई भी,...

और जब तक मैंने तसला उसके सामने रखा, बसंती ने दरवाजा बंद कर दिया था और रसोई समेटने अंदर चली गयी थी.


ये रोज की बात थी,जब तक वो खाता था मैं उसे सहलाती थी, पुचकारती थी, बतियाती थी और कभी कभी गरियाती भी थी, ... आज भी वही लेकिन पीठ सहलाते सहलाते,...



मेरी निगाह धक्क से रह गयी, उसका वो, अपनी खोल से निकल रहा था, ... खूब मोटा लाल लाल , भाभी की लिप्टसीक की तरह नोक वाला, ...

देख के मेरी भी गीली होने लगी, सब भाभियाँ , सब से बढ़कर मेरी भाभी इस को लेकर इतना चिढ़ाती थी, कभी भी गारी होती तो बिना रॉकी को मेरे ऊपर चढ़ाये पूरी नहीं होती थी, ... मेरी गुलाबो कस कस के सपर सपर सिकुड़ रही थी , जैसे अंदर यही मोटा, घुसा लसर लसर,...

और तसले में खाते खाते, मुड़ मुड़ के मुझे देखता था,...


पीठ सहलाते सहलाते मेरा हाथ करीब करीब 'एकदम वहीँ '... मेरी निगाह एकबार फिर वहीँ,... कितना मोटा, और अब आलमोस्ट पूरा ही बाहर निकल आया था,


बसंती निकल आयी बाहर और पहले तो खिलखिलाती रही, फिर बोली,

" कइसन छिनार ननद है, नन्दोई के हमरे तड़पा रही है,... " फिर हड़काते हुए बोली,

" अरे ठीक से पकड़ के मुठियावा हमरे ननदोई के हे ननद रानी , जल्दी,... नाहीं त घरे में और कोई है नहीं, दरवाजा में सांकल भी लग गयी है , यहीं एकरे सामने पहले तो आपने दुनो मुट्ठी एक बुरिया में एक गंडिया में पेल देब कोहनी तक, ... अरे कुल गाँव भर क लौंडन क पकड़ पकड़ के मुठियावत हो और हमरे असली नन्दोई से सरम लग रही है ,.. "

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कित्ता मस्त लग रहा था खूब गरम और कड़ा कितना जैसे स्टील का रॉड, दीवाल में छेद कर दे वो ताकत लग रही थी ,

बसंती भी न एकदम बदमाश मुस्कराते हुए कहने लगी,

" अरे तानी थोड़ी देर मुठिया दा, जल्दी जल्दी, अरे इ घंटा भर वाला खिलाडी हो,... "



दो चार दस मिनट, उसका तसला कब खाली हो गया, ... मैं जब तसला उठाने लगी , तो बसंती ने जबरदस्ती मुझे पकड़ के उसके सामने , और उठा के,

घर में चड्ढी तो मैं पहनती नहीं थी, और वो रॉकी से बोली,

" तानी ये मिठाइयों ता चख ला,... " और रॉकी की जीभ

मैं पिघल रही थी ,



लेकिन ,....बसंती ने मुझे हटा दिया और आँगन में नीम के पेड़ के सहारे बिठा के , खाने की थाली से खिलाने लगी,...+

सच में जितना प्यार दुलार बसंती मुझे करती थी, सिर्फ भाभी के गाँव में ही नहीं, पहले भी, उत्ता किसी ने नहीं किया, छेड़ती भी बहुत थी, लेकिन उसमें भी प्यार दुलार,....

अपने हाथ से मुझे कौर बना के,...

" अरे भौजी तुंहु खा न ,... "


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मैंने अपने हाथ से जब बसंती को खिलाना शुरू किया तो वो भी न, मुझे अँकवार में भर लिया, और फिर तो एक हाथ से मेरे सर को पकड़ लिया, और अच्छी तरह कूच कूच के,... भौजी के मुंह से मेरे मुंह में,...



और बसंती के दोनों हाथों को तो मजे हो गए दोनों हाथों में छोटे छोटे लड्डू, मीठे मीठे रसीले, मेरे उसकी ननद के,



कभी दबाती मसलती , कभी रगड़ती कस कस के, ...



बसंती के मुंह में कूचे गए उसके मुख रस में लिथड़े गीले कौर सटासट मैं गटक रही गयी, जहाँ एक रोटी में मैं नखड़ा करती थी , यहाँ दो रोटी देखते देखते,...



और उसके मुंह से सिर्फ कौर नहीं जा रहा था, उसी बहाने वो भी चूम रही थी, मैं भी , कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में कभी मेरी जीभ उसके मुंह में और क्या कस के जीभ वो चूसती थी , क्या कोई लड़की लंड चूसेगी,...



' मजा आ रहा है, कुचा कुचाया खाने में,"... हँस कर बसंती ने पूछा,



मैं भी भोली, मेरे मुंह से से निकल गया, हाँ पहले कुचा कुचाया, ... फिर पचा पचाया



वो जोर से खिलखिलाई, फिर बोली,

" एकदम बिन पचा पचाया खियाये, तोहैं थोड़े छोड़बै, सीधे से ना तो जोर जबरदस्ती, ... अरे गुलबिया तो कबसे चक्कर में है ,... लागत है तोहरे मन कर रहा है पचा पचाया खाने का "

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मैंने आँख लजा के झुका ली, ...कस के उसने मेरे निप्स पे जोर से चिकोटी काटी और मरोड़ते होये छेड़ा,



" अरे ननद रानी , अब लजाये क दिन गए, अब तो और इतना प्यार से कुचा कुचाया खा रही हो न वैसे ही प्यार से खिलाऊंगी इसी आंगन में पचा पचाया , घबड़ा जिन , कुल स्वाद मिली। "



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मेरे पास बात बदलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था , मैंने एक बार फिर भाभी की बात छेड़ दी, और आज दिनेश और सुनील ने मेरे डबल चढ़ाई जो की थी , अभी तक पिछवाड़े चिलख उठ रही थी,... तो मैंने बसंती से वही बात पूछ ली,...


मेरे मुंह का कौर ख़तम हुआ तो मैंने बसंती से पूछ लिया,

" भौजी, भाभी पे कबौ डबल चढ़ाई, अगवाड़ा , पिछवाड़ा एक साथ,... "


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कस के मेरे जोबन दबा के उन्होंने एक खूब मीठी वाली मेरी चुम्मी ली और कचकचा के के मेरा कचौड़ी अस गाल काट लिया, और मैं जोर से चीखी, लेकिन बसंती को उकसाते बोली,

' भाभी की अगवाड़े वाली सबसे पहले श्यामू ग्वाले ने लिया, और पिछवाड़ा मास्टरनी के मरद ने फाड़ के चौड़ा कर दिया,... लेकिन डबल धमाका,... "



बसंती खिलखिलाने लगी,


" अरे बहुत मजा आया, और मैं और गुलबिया हमी दोनों,... ननद की बिल पर सबसे पहले किसका हक़ है, ननद की भाभी के भाई क न तो बस उहै, त तोहरे चंपा भाभी के दोनों भाई, बेचारे दोनों बहुत सीधे, सगे तो कोई हैं नहीं उनके, एक ममेरा एक चचेरा,... अरे एक दिन के लिए आये थे तीज ले के अरे यही भादों वाली तीज, ... अगले दिन तिझरिया को चले जाते, और घर में और कोई था भी नहीं, न भैया, अरे चंपा भाभी के मरद अपनी माँ के साथ कहीं रिश्तेदारी में गए थे चार पांच दिन के लिए "


मैं ध्यान से पूरी बात सुन रही थी।


और बसंती खूब मजे से रस ले लेकर बता रही थी, मेरी भाभी के कुंवारेपन के किस्से।
Vese ek bat he. Duniya ki har bhabhi pahele thi to chhinar mandiya.

Or aaj ki chhinar nandiya ki sikhai bhabhi apni bhabhi se chhinar nandiya bankar hi sikhi he.

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Shetan

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चुन्नू,



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“साले, तेरे माँ का भोसड़ा मारूं…” अपने आप मेरे मुँह से निकला। मैं पहचान गई, सुनील ही था।


और उसने मुझे अपनी ओर मोड़ लिया, और हम दोनों ने मुश्किल से अपनी खिलखिलाहट रोकी।

फुसफुसाते हुए उसने राज खोला, ऐसे मौसम में कई बार लड़के लड़की पटा के इधर लाते हैं, और अगर दरवाजा अंदर से बंद हो तो वो खुलवाने की कोशिश करते हैं। अगर चौकीदार अंदर हो तो उसे कुछ ले दे के, और कई बार चौकीदार उस लड़की की ही ले के मान जाता है। इसलिए सुनील ने बाहर से ताला लगा दिया था और फिर पीछे से एक छोटी सी खिड़की से अंदर आ गया था।


एक बार फिर से उसने मुंझे बाहों में भर लिया और मैंने उसे। मेरे छलकते उभार उसके सीने में बरछी की तरह छेद कर रहे थे और मैं भी जानबूझ के अपने जोबन उसके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी।


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नतीजा तुरंत सामने आया, उसका खूंटा भी खड़कने लगा।

लेकिन किसी तरह अपने को रोकते हुए सुनील ने मुझसे बोला-

“चल तुझे उससे मिलवाता हूँ। आज पहले उसका भोग लगाना, लेकिन मैं भी तुझे छोडूंगा नहीं समझ ले और खास तौर से ये जो चूतड़ मटका के पूरे गाँव में आग लगा रही हो न उसे। वैसे भी बाहर से ताला लगा है।"

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अब मुझे समझ में आया, असली मकसद ताले का।


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लेकिन मुझे ही कौन सी जल्दी थी, आज घर पर न चम्पा भाभी थी न मेरी भाभी। और सिर्फ माँ थी तो उन्हें कोई फरक नहीं पड़ने वाला था, वो तो खुद चाहती थी की मैं, खुल के…

बाहर से वो कुठरिया छोटी लगती थी लेकिन थी नहीं। उसके अंदर एक और छोटा कमरा भी था, और सुनील मेरा हाथ पकड़ के अंदर ले गया, जहां वैसे तो पूरा अँधेरा था पर एक लालटेन जल रही थी। सुनील ने उसकी लौ तेज की तो मैंने देखा, लालटेन की झिलमिलाती रोशनी में बस हल्का आभास हो रहा था।


वो एक हाफ शर्ट और नेकर में था, कमरे के एक कोने में पुआल के ढेर सारे ढेर रखे थे, उसी पर बैठा। खूब गोरा चिकना, कमसिन, हम लड़कियां जैसे चिकने लड़कों को देखकर आपस में ‘कच्चा केला’ कहती थीं, बस एकदम वैसा, लग रहा था अभी-अभी दूध के दांत टूटे हैं।


सोच तो मैं पहले से रही थी, पर उसको देखकर मेरा इरादा पक्का हो गया, भले ही ‘रेप’ करना पड़े, लेकिन इस की नथ आज उतार के रहूंगी। और मैं धप्प से उसके बगल में पुआल पे बैठ गई, एकदम उससे सटकर।


और वो बिचारा सहम कर थोड़ा और सरक गया।

मैं और सरक गई, फिर उसके सरकने की जगह ही नहीं बची। आगे दीवाल थी। हम लोगों की देह अब एकदम चिपकी थी, उसके हिलने की जगह भी नहीं थी। अब मैंने उसे ध्यान से देखा, और मैं चीख उठी।

वो भी चौंक गया।

“चुन्नू, तुम?” मैं चीखी।

“आप, आप, आप दीदी की ननद हैं…” वो हकलाते बोला।


सुनील जो अब मेरे बगल में सट के बैठ चुका था, वो भी चौंक के बोला- तुम दोनों जानते हो एक दूसरे को?

“अच्छी तरह से, लेकिन आज पता चला ये साला, मेरे भइया का साला है, इसलिए अब तो मेरा भी साला हुआ, क्यों साले?” और जोर से मैंने उसके गोरे गुलाबी गालों को पिंच कर दिया।

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किसी लौंडिया की तरह बिचारा गुलाल हो गया। वो मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ता था, मेरे स्कूल से सटे हुए ब्वायज स्कूल में। उसकी एक जुड़वां बहन थी, वो भी मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ती थी, चुन्नी। इसी की तरह एकदम कोरी, कच्ची भोली।
Ohhh to aa gaya chunnu ka bhi number. Bechara vo kyo pyasa rahe. Bhabhi ki turning.
 

Shetan

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चुन्नू चिकना


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लेकिन एकदम से उसने बहाना बनाया- “पहले सुनील…”

मेरा मन हुआ एक मोटी सी गाली दूँ- “साले क्या वो तेरा बहनोंई लगता है, जो पहले सुनील, पहले सुनील लगा रखा है…” लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किया, और कहा-



“आओ न चलो आ जाओ न सीधे से, अभी मुँह में तो कित्ते जोर-जोर से धक्के पर धक्का मार रहे थे…”

बड़ी मुश्किल से वो तैयार हुआ लेकिन जैसे ही वो मेरी जांघों के बीच आया, बस थोड़ी देर में उसने हार मान ली। नहीं औजार का इशू नहीं था वो वैसे ही खड़ा, सख्त, लेकिन बस नौसिखियापन, झिझक और डर।


परेशानी मैंने भी कम नहीं खड़ी की थी, वो कामिनी भाभी की क्रीम का असर फिर उनका मन्तर, कितना भी चुदूँ, चूत एकदम कच्ची कली से भी कसी रहेगी। ऊपर से चुन्नू ने अपने सुपाड़े में कोई तेल क्रीम कुछ तो लगाया नहीं, न मेरी बुर में कुछ। तो बस एक दो बार तो वो छेद ही नहीं ढूँढ़ पाया उसके बाद घुसाने में दिक्कत, बस वही पुरानी कहावत, अनाड़ी चुदवैया बुर की बर्बादी।

लेकिन मुझे भी तो अनाड़ी से खिलाड़ी बनाया था, बसंती, गुलबिया, कामिनी भाभी ने।

तो आज मेरी बारी थी, मैंने तय कर लिया क्या करना है? बिन चोदे उसको छोड़ूंगी नहीं, भले ही चुन्नू साले को रेप करना पड़े।

वो लगा बहाने बनाने, आज नहीं कल। नहीं पहले सुनील, मन उसका पूरा कर रहा था, लण्ड जबरदस्त खड़ा था लेकिन बस वही डर, झिझक और हिचक की कहीं न घुसेड़ पाया तो?

मैंने सुनील को आँख मार के इशारा किया और अगले पल वो ‘कच्चा केला’ पीठ के बल पुआल पर लेटा था।

धक्का मार के मैंने उसे गिरा दिया और सुनील ने उसके दोनों हाथ कस के पकड़ लिए, बस जैसे गन्ने के खेत में दो गाँव के लौंडे, किसी शिकार को, नई-नई जवान हुई कच्ची कली को दबोच लेते हैं, बस उसी तरह से हम दोनों ने दबोच लिया था, वो हिल-डुल भी नहीं सकता था।

मुश्कुरा के मैंने आँख नचा के उसे देखा, मैं उसके ऊपर बैठ गई थी। झुक के मैंने जीभ से हल्के-हल्के लण्ड को बेस से ऊपर-नीचे तक चाटना, चूसना शुरू कर दिया। वो तड़प रहा था, कुलबुला रहा था, छटपटा रहा था, लेकिन सुनील ने जिस जोर से उसके हाथ को पकड़ रखा था, वो इंच भर भी नहीं हिल सकता था।

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तड़पा तड़पा के शिकार करने का मजा ही अलग है।

और बस रसगुल्ले की तरह मैंने ‘शिकार’ की एक बाल (जिसे बसंती और गुलबिया पेल्हड कहती थीं) ‘गड़प’ कर ली और लगी चूसने।

बिचारा चुन्नू

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और थोड़ी देर में मैं ऊपर थी, कामिनी भाभी से ‘विपरीत रति’ के जितने गुर मैंने सीखे थे सब आजमा लिए, और उसके साथ गुलबिया और बसंती ने जो गालियां सिखाईं थी, वो भी खाली कर दीं-

“साल्ले, जिस दिन से तेरी बहन को यहां से ले गई हूँ न, कोई दिन नागा नहीं गया है, जब मेरे भैय्या ने हचक के उन्हें चोदा न हो। तो तू क्या सोच रहा था बिना चुदे बच जाएगा। अरे तू क्या, तेरी माँ बहन सबको चोद के रख दूंगी, अगर कोई नखड़ा चोदा। चुदा चुपचाप…”

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उसके ऊपर चढ़ के सुपाड़ा मैंने अपनी कसी गुलाबी चूत में सेट कर लिया था, और शुरू में हल्के से फिर जोर-जोर से धक्के मैं मार रही थी। जैसे कोई नए माल के कच्चे टिकोरों का मजा लेता है, बस उसी तरह मैं कभी चुन्नू के निपल अपने लम्बे नाखूनों से स्क्रैच कर देती थी तो कभी झुक के कचकचा के काट लेती थी।


बिचारा वो चीख उठता था।

उसका मुँह बंद करने के लिए अपनी कच्ची अमिया मैं उसके होंठों पर रगड़ देती थी। और साथ में गालियां-


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“साले औजार तो इतना जबरदस्त है, तेरी माँ बहन ने क्या चोदना नहीं सिखाया? चल चूतड़ उठा-उठा के नीचे से धक्का मार जैसे तेरी बहन मारती हैं जब मेरे भैया उसे चोदते हैं…”

कुछ देर में उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया, सिर्फ धक्के ही नहीं, सुनील ने उसका छोड़ दिया था और अब वो मेरे जोबन का रस दोनों हाथों से लूट रहा था।
कुछ देर में मैंने धक्के मारने बंद कर दिए पर चुदाई जारी थी। उसकी झिझक, डर और लाज खत्म हो गई थी, वो पूरी ताकत से धक्के मार रहा था,

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और मैं सटासट गपागप लील रही थी। उसको कस के पकड़ के कुछ देर में मैंने पलटा खाया, और अब नाव नीचे गाडी ऊपर,

वो चोद रहा था, मैं चुद रही, हचक-हचक के। साथ में मेरी गदराई नई आई चूचियों की ऐसी की तैसी हो रही थी।

वो जम के रगड़ मसल रहा था। जब उसका मोटा मूसल रगड़ते दरेरते मेरी कच्ची चूत में घुसता तो मेरी ऐसी की तैसी हो जाती। हर धक्का वो पूरी ताकत से मार रहा था। 8-10 मिनट हो गए थे मैं झड़ने के कगार पे थी और इस रफ़्तार से तो उसको भी पार होने में देर नहीं लगने वाली थी।


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और उस बिचारे कुंवारे की पहली चुदाई मैं इतनी जल्दी खत्म नहीं होने देना चाहती थी।
Muje laga chunnu ke kache raste par shunil se to nahi dwar khulva dogi. Par chunnu vale seen me jyada maza aaya. Bhabhi ka ladki chhap bhaiya
 

Shetan

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चुन्नू -चुन्नी की रैगिंग -थोड़ा फ़्लैश बैक


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बहुत अच्छा मौसम लग रहा था और उसमें ये चिकना गोरा लौंडिया छाप, सच में इत्ता मस्त,... जैसे किसी कच्ची उमर की लौंडिया की कोई लौंडा कुछ फंसा के कुछ जबरदस्ती अरहरिया में ले ले , और उसका चेहरा जैसे लगे, कुछ घबड़ाया, कुछ शरमाया,...

और मैं याद कर रही थी जब इस स्साले की बहन की मैंने जबरदस्त रैगिंग की थी, तो बस मैंने सोचा की थोड़ा बहुत उसकी भाई की भी इस चुन्नू की क्लास लूँ,...

" हे स्साले , तुझसे मैं पांच सवाल करुँगी, अगर एक भी जवाब गलत हुआ न तो, ये जो तेरी कोरी चिकनी गाँड़ है न अभी, नहीं नहीं मारूंगी नहीं, ... बस फाड़ दूंगी,... " मैंने अपनी बंद मुट्ठी दिखा के उसे अपना इरादा साफ़ साफ़ कर दिया,...

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सुनील भी मुस्कराते हुए टुकुर टुकुर मुझे देख रहा था, ये साफ़ था की वो इस स्साले चुन्नू को बचाने वाला नहीं है,

' चल पहला सवाल,... वो जो तेरा मस्त माल है तेरी बहना चुन्नी,... उसकी एक जांघ पर तिल है,,... बोल स्साले दायीं जांघ पर या बायीं जांघ पर , जल्द जवाब देना, मैं पांच तक गिनने वाली नहीं हूँ,... बोल जल्दी। "



मैंने सवाल दागने शुरू कर दिए,...

एक पल के लिए वो घबड़ाया, इधर उधर देखा, फिर समझ गया कोई रास्ता नहीं है, तो उसने मुंह खोल दिया,...

" वो, वो,... दायीं जांघ पर है,... "

एकदम सही जवाब था लेकिन मैं बोली नहीं, तिल दायीं जांघ के एकदम ऊपर था, उसकी बहन के गुलाबो से बस दो अंगुल दूर, ...

" चल दूसरा सवाल , बहुत आसान है, तेरी बहना की ब्रा का साइज,... "

अबकी बिना रुके उसने बोल दिया,... ३० लेकिन मैंने हड़का लिया, स्साले उसकी कप साइज कौन बताएगा,..

जल्दी जल्दी उसने मुंह खोला और पूरा जवाब दे दिया,... ३० सी.

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चल तीसरा सवाल , उसके दोनों बूब्स में से एक बड़ा है, हल्का सा, कौन सा,...

अबकी उसने थोड़ा टाइम लगाया तो मैं गरजी,

" तुझसे नहीं होगा,... स्साले निहुर बहन की चूँची का भी हाल चाल नहीं मालूम है , निहुर तेरी गाँड़ ही मार लेती हूँ , पक्का गांडू बना के भेजूंगी स्साले,... "

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" बायाँ वाला, हल्का सा,... " अबकी जवाब उसने उगल दिया।

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"अच्छा चल, चुन्नी की एक चूँची पर बर्थ मार्क है ये नहीं पूछ रही हूँ,... कौन सी पर, कहाँ पर है, जल्दी बता,... " मैंने कुछ सोचा, मेरे सामने उसकी बहिनिया की पिक्चर आ रही थी , और मैंने ये टेढ़ा सवाल पूछ लिया,

अबकी उसे सोचना नहीं पड़ा, झट से उसने बोल दिया, ...

"बायीं चूँची पर ही, बहुत छोटा सा, निपल के ठीक ऊपर, निपल खड़ा होने पर ही दिखता है।:

ये जवाब सुन के सुनील के भी कान खड़े हो गए और अब ध्यान से वो ये जवाबी दंगल सुनने लगा,

अच्छा चल दो छोटे छोटे सवाल, एक साथ पहला झांटे वो साफ़ रखती है या बढ़ा के और अगर साफ़ करती है तो कैसे,...



" एकदम साफ़ रखती है , पूरी चिकनी,... हर संडे को विट से, फिर एक क्रीम भी लगाती है,... "

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अब थोड़ी उसकी शरम कम हो गयी थी,...



और सारे जवाब उसके सही थे पर आप पूछेंगे की मुझे कैसे मालूम तो चलिए बता देती हूँ ( लेकिन मैंने न उस चिकने चुन्नू को बताया न सुनील को )
Nanand ka ye roop to leed kar gaya.

" हे स्साले , तुझसे मैं पांच सवाल करुँगी, अगर एक भी जवाब गलत हुआ न तो, ये जो तेरी कोरी चिकनी गाँड़ है न अभी, नहीं नहीं मारूंगी नहीं, ... बस फाड़ दूंगी,... " मैंने अपनी बंद मुट्ठी दिखा के उसे अपना इरादा साफ़ साफ़ कर दिया,...
 

Shetan

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टास्क चुन्नू के लिए - चुन्नी संग

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तो इसलिए उसकी बहना की देह के एक एक इंच का हालचाल मुझे मालूम था, लेकिन इसे भी मतलब,...


" स्साले, तुझे अपनी बहन की चूँची की साइज मालूम है , चूत के बगल का तिल मालूम है तो साले बोल पूरा किस्सा ,... "


मैंने हड़काया


और जो उसने कबूला वो सार संक्षेप में ये था की, स्कूल से आने के बाद दोनों , ... नेकर, स्कर्ट साथ साथ उतरती थी, वो पहले इसका पकड़ के मुठियाती थी


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और ये उसकी गुलाबो की चुम्मा चाटी,...


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लेकिन ये झड़ते दोनों नहीं थे , उसके पहले रुक जाते थे, और चुन्नी तैयार थी करवाने को लेकिन इसकी फटती थी,...


" स्साले,... इत्ता मस्त माल , सगी बहन, चोदा क्यों नहीं उसको , फिर मुझे तेरी नथ तो न उतारनी पड़ती "मैंने प्यार से उसके गाल पे चुम्मी लेते पूछा।
एक बार तो राखी बांधते समय दोनों अकेले थे,


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इसने जिद्द की चुन्नी से मिठाई पहले खाने के लिए, तो चुन्नी ने उसका हाथ पकड़ के अपनी हवा मिठाई पे रख दिया, बेचारे चुन्नू की हालत खराब, तम्बू में बम्बू खड़ा हो गया, जींस एकदम टाइट, और ऊपर से चुन्नी उसे मसल के कहने लगी

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आज तो मुझे राखी की गिफ्ट यही चाहिए, भैया, चाहे जो हो जाय,

लेकिन चुन्नू ही झिझक गया,

चुन्नी तैयार थी यही हिचकता था और कारण भी , सुन के कोई भी हंसेगा, चुन्नू को डर लगता था की पता नहीं उससे हो भी पायेगा की नहीं, बस इसलिये।


" स्साले, गांडू, अब देख हो गया न तेरा चुद गया न तू , तो उसको भी चोद लेगा, अच्छा चल सुन, बस आठ दस दिन में राखी है , मैं भी राखी में घर पर ही रहूंगी ,... तो बस राखी के दिन चोद देना अपनी सगी बहिनिया को , पक्का सोच ले. राखी के अगले दिन जब मैं स्कूल गयी न तो पहला काम ये करुँगी की चुन्नी की चूत में दो ऊँगली बिना थूक लगाए डाल के चेक करुँगी, अगर फटी नहीं हुयी तो तेरे स्कूल के ही दर्जन भर लौंडो को बुलवा के अपने सामने फड़वाउंगी और तेरी गाँड़ के लिए तो मेरी मुट्ठी काफी है। तो बोल ,"

उसकी आँखों में आँखे डाल के मैंने आगे का प्रोग्राम भी बता दिया, और हड़का भी लिया,...

" हाँ ठीक है, करूंगा, राखी को,... " थूक गटकते हुए बड़ी मुश्किल से वो बोला,...



" स्साले लगाउंगी दो हाथ कस के , इत्ता सिखाया फिर भी,... बोल साफ़, .... " अबकी मैं सच में गुस्से में थी,...


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" चुन्नी को , अपनी बहिनिया को राखी के दिन,... हाँ लूंगा उसकी, चोदुंगा उसकी राखी को पक्का , प्रॉमिस "

अबकी प्यार से मैंने उसके गाल चूमे और बोली ,

"एकदम यार मेरा कई सगा भाई होता न तो कब का सील तुड़वा चुकी होती और वो साला अगर तेरी तरह शर्माने वाला होता तो उसके ऊपर चढ़ के खुद रेप कर देती, ... इत्ता मस्त माल घर में और स्साला तू अबतक कुंवारा, तेरी नथ मुझे उतारनी पड़ी। "
Wow maza aa gaya. Ye ward me to dono storys ki shararat he.MRD or JKG.

तेरे स्कूल के ही दर्जन भर लौंडो को बुलवा के अपने सामने फड़वाउंगी और तेरी गाँड़ के लिए तो मेरी मुट्ठी काफी है। तो बोल ,"
 

Shetan

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पिछवाड़े पर हमला








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कहीं दूर तेजी से बिजली कड़की, बादल जोर से गरजने लगे।

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बारिश तेज हो गई और बौछार अंदर तक आने लगी। हवा भी एकदम तूफानी हो गई। ढिबरी की लौ लग रहा था अब गई, तब गई, और गरजते बादलों, कड़कती बिजली की आवाज के बीच मेरी चीख दब कर रह गई।

सुनील ने मेरा मुँह भींचने की भी कोशिश नहीं की। बस दोनों हाथों से उसने कस के मेरे गोरे नितम्बों को दबोच के अपना मोटा लौड़ा ठेल दिया।

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गनीमत थी की मैंने अबकी घर से निकलने के पहले ही अच्छी तरह से कड़ुवा तेल अपने पिछवाड़े चुपड़ लिया था, फिर भी, दरेरता रगड़ता फाड़ता जिस तरह से सुनील का मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुसा, बस मेरी जान नहीं निकली। और मैं जानती थी सुनील के लण्ड का गुस्सा अभी कम नहीं हुआ, इतने देर से मैं उसे तड़पा रही थी। और फिर दूसरा धक्का, तीसरा धक्का, चौथा, और अबकी मेरी गाण्ड का छल्ला भी पार हो गया। मैं चीख रही थी, चिल्ला रही, चूतड़ पटक रही थी पर मैं अब तक सीख गई थी की एक बार सुपाड़ा अंदर घुस जाए बस, बिना गाण्ड मारे सुनील छोड़ने वाला नहीं।

कुछ ही देर में हचक-हचक के मेरी कसी किशोर गाण्ड मारी जा रही। साथ ही सुनील का एक हाथ मेरे उभारों पर पहुँच गया था, जिहे कभी वो दबाता, कभी रगड़ता, मसलता और उस बेरहम का दूसरा हाथ भी बीच-बीच में मेरी बुरिया को, और कभी क्लिट को,



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मेरी हालत खराब थी। दर्द से और उससे ज्यादा मजे से। अब मैं गपागप-गपागप लण्ड घोंट रही थी, मजे से। मजे ले लेकर गाण्ड मरवा रही थी। हर धक्के के जवाब में खुद धक्का मारती तो कभी गाण्ड सिकोड़ के लण्ड अंदर भींच लेती। दो तिहाई से ज्यादा लण्ड अंदर था, मैं कुतिया बनी, निहुरी, चुपचाप गाण्ड मरवा रही थी, कभी चीखती तो कभी सिसकती।



चुन्नु सरक कर हम दोनों के पास बैठ गया था, उसकी आँखें मेरी गाण्ड में सटासट घुसते सुनील के गाण्ड फाड़ू लण्ड पर लगी थीं। बस टुकुर देख रहा था, मुँह खोले। औजार उसका एक बार फिर से टनटनाने लगा था।



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सुनील ने चिढ़ाया- “क्यों बे, गाण्ड मारने का मन कर रहा है क्या? मस्त गाण्ड है साली की। मैंने ही सील खोली थी अभी बस दो तीन दिन पहले…”

मैंने ‘कच्चा केला’ एक झटके में पकड़ लिया, और पूरी ताकत लगाकर चमड़ा खींच दिया तो लाल भभूका सुपाड़ा निकल आया।



सुनील की धुन में धुन मिलाते मैंने छेड़ा-

“अरे ये साल्ला क्या गाण्ड मारेगा। इतना चिकना है, पहले अपनी गाण्ड तो बचा ले। सारे कालेज के लौंडेबाज बल्की पूरे शहर के इसकी सील तोड़ने के पीछे पड़े हैं…”


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बिचारा शर्म से लाल हो गया। बात लेकिन सोलहो आना सही थी और इसलिए इतनी जोर से वो झेंपा भी।

लेकिन मैं उसे और रगड़ रही थी-

“अरे शर्मा काहें रहे हो, ठीक से देख लो लण्ड कैसे लीला जाता है। कितना मजा आता है लण्ड गाण्ड में घोंटने में। सीख ले सीख ले, मेरे भैय्या के साले, गाण्ड मरवाने में बहुत काम आएगा। गाण्ड तो तेरी मारी ही जायेगी…”


सुनील ने चुन्नू को इशारा किया और बोला-

“अरे जो लौंडिया बहुत बोलती है उसको चुप कराने का बस एक ही तरीका है, ठेल दे उसके मुँह में…”

मुँह में तो मेरे भी पानी आ रहा था चुन्नू के तन्नाए कच्चे केले के लिये, और बस वो मेरे मुँह में, और मैं फिर एक साथ दो लड़कों के साथ मजा ले रही थी। जिसने दो लड़कों के साथ मजा लिया है वही इसे समझ सकता है, एक मोटा लण्ड गाण्ड फाड़ रहा था और दूसरा मैं कस-कस के चूस रही थी।



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सुनील ने धक्कों की रफ़्तार दूनी कर दी, अब उसे मेरे चीखने का भी डर जो नहीं था। हर बार वो सुपाड़े तक लण्ड निकाल के पूरी ताकत से गाण्ड में ऐसे ठेलता की लण्ड का बेस सीधे गाण्ड से टकराता। 5-6 मिनट ऐसे धुआंधार चोदने के बाद आधा लण्ड निकाल के अपने हाथ से पकड़ वो गाण्ड लण्ड में गोल-गोल घुमाने लगा।

20 मिनट तक धकापेल मेरी गाण्ड मराई चलती रही और चुन्नू का लण्ड मैं मुँह में लेकर कभी हल्के-हल्के तो कभी जोर से चूसती।


लेकिन सुनील ने फिर पोज बदल दिया और चुन्नू का औजार अब मेरे मुँह से बाहर निकल गया। लण्ड जब पूरे अंदर तक गाण्ड में घुसा था और मैं कुतिया की तरह झुकी थी, उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अब वो बैठा था। कुछ देर तक तो वो नीचे से धक्के मारता रहा लेकिन मुझे पता भी नहीं चला कब उसने धक्के मारना बंद कर दिया।


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मैं खुद सुनील के लण्ड पर सरक-सरक कर, ऊपर-नीचे होकर गाण्ड मरवा रही थी।



सुनील सिर्फ मेरी दोनों चूचियों का मजा ले रहा था। ऊपर से चुन्नू से बोला- “देख इसे कहते हैं असली गाण्ड मरवाने वाली, कैसे खुद लण्ड पे उछल-उछलकर लील रही है…”

थोड़ी देर में एक बार मैं फिर कुतिया बनी हुई थी, और सुनील जोर-जोर से गाण्ड मारने लगा, झड़ने के करीब वो भी था और मैं भी। दोनों साथ ही झड़े, और अबकी मैं पुआल पे ऐसी गिरी की बहुत देर तक उसी हालत में पड़ी रही।


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बाहर बारिश तेज हो गई थी। रात भी घिर आई थी, झींगुर, मेंढक की आवाजें बूँदों की आवाजों के साथ आ रही थी।

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काफी देर तक हम तीनों ऐसे ही पड़े रहे, तब सुनील ने बाहर निकाला।
Masti ki madakta or shararat me ye kissa sabse upar he
 
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