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छल्ला पार
![](https://i.ibb.co/v1b6sgH/Girl-2e96a58ed625da930e2c525cbd3715c8.jpg)
लेकिन भौजी की लगातार बह रही गाली गंगा में मुश्किल था कुछ कहना। हाँ पल भर के लिए मैं गाण्ड में अंड़से मोटे सुपाड़े को भूल गई और मैंने भी टाँगें लता की तरह भैया की कमर में कस के लपेट ली थी। मेरी बाहें भी उनकी पीठ से चिपकी थीं। और मैं अपने मस्त उभार भैय्या के चौड़े सीने पे जोर-जोर से रगड़ रही थी, मेरे गुलाबी रसीले होंठ उनके होंठों को चूम, चूस रहे थे। और कान भाभी की मस्त गालियों का मजा ले रहे थे।
भाभी- “हरामन की जनी, भंड़ुओं की रखैल, रंडी की औलाद, तू तो पैदायशी खानदानी छिनार है। तेरा सारा खानदान गान्डू है, क्यों इतना नखड़ा दिखा रही है गाण्ड मरवाने में, भाईचोद?”
अचानक बहुत तेज दर्द हुआ। जैसे किसी ने तेजी से छूरा, बल्की तेज तलवार पूरी की पूरी एक बार में घुसा दी हो। हुआ ये की जब मस्ती में मैं डुबी थी, भैया को भाभी ने इशारा किया और भैय्या ने पूरी ताकत और तेजी से, कमर उचका के, उन्होंने दोनों हाथों से चूचियों को कस के दबोच रखा था और नीचे से अपना मोटा खूंटा पूरी ताकत से पुश किया।
![](https://i.ibb.co/ZK6rgGz/anal-sitting-19247467.gif)
भाभी ने भी साथ में कंधे को जोर से दबाया, और, अंदर तक, अंड़स गया, अटक गया, फाड़ दिया रे अंदर तक दरेरते रगड़ते छीलते घिसटते गाण्ड का छल्ला पार हो गया था।
मैं बड़ी जोर से चीखी, और किसी ने भी मेरी चीख रोकने की कोशिश नहीं की। भैय्या ने भी नहीं।
भाभी तो बोलीं- “अरे चीखने दो साल्ली को, बिना चीख पुकार के गाण्ड मरौवल का मजा क्या? रोने दो, चोदो हचक-हचक के। आखिर तेरी बहन भी तो इसका भाई बिना नागा रोज चोदता होगा। चोदो गाण्ड इस छिनार की हचक के, फाड़ दो साली की, मोची से सिलवा लेगी…”
![](https://i.ibb.co/74hrvhQ/Teej-362d3c83038a3206380fb5298ecc8a2b.jpg)
भैय्या पे वही असर हुआ जो भौजी चाहती थीं। वो पूरे जोश में आ गये, हचक-हचक के पूरी ताकत से, दरेरते, रगड़ते, फाड़ते घुसा रहे था।
दर्द के मारे जान निकल रही थी, मैं गाण्ड पटक रही थी, चीख रही थी, आंसू मेरे गाल पे गिर रहे थे।
लेकिन भौजी की गालियां-
“काहें छिनरो मजा आ रहा है मोटा लौंडा घोंटने में? अबहिन तो बहुत मोट-मोट लौंड़ा घोंटोगी, मेरी रंडी की जनी। घोंटो घोंटो बहुत चुदवासी हो न… तेरी गाण्ड का भोसड़ा बनवा के भेजूंगी, कुत्ता चोदी…” अनवरत, नान स्टाप।
तबतक उन्होंने कुछ किया जिससे मेरी बस जान नहीं निकली, आधे से ज्यादा खूंटा मैं घोंट चुकी थी। भइया बजाय धक्का मारने के बस ठूंसे जा रहे थे, गजब की ताकत थी उनमें।
![](https://i.ibb.co/QCbvFNF/anal-ruff-gg.gif)
लेकिन भौजी ने मुझे पकड़ के ऊपर खींचा जोर से, और भैया ने भी नीचे, आलमोस्ट लण्ड बाहर हो गया सुपाड़ा भी काफी कुछ बाहर, लेकिन तभी… दोनों ने एक साथ, भौजी ने ऊपर से दबाया और भइया ने नीचे से पेलना शुरू किया और एक बार फिर, मेरी गाण्ड के छल्ले को चीरता फाड़ता वो मोटा सुपाड़ा,
और भौजी ने जोर से मेरे निपल की घुन्डियां मरोड़ दीं, और मुझसे बोलने को कहा-
“बोल छिनार बोल, वरना चाहे जितना चीखेगी छोडूंगी नहीं, बोल की मैं छिनार हूँ, भाईचोदी हूँ, चुदवासी हूँ…”
लेकिन बोलने से भी नहीं जान बची।
भाभी-
“जोर से बोल, और जोर से बोल… अरे पूरी ताकत से बोल, दस-दस बार, वरना गाण्ड में तेरे कुछ भी दर्द नहीं हो रहा है, छिनार की जनी, जिस भोसड़े से शहर भर के भड़ुओं के चोदने के बाद से निकली है न, उसी में इस गाँव के सारे मर्दों के घोड़े दौड़ा दूंगी उसमें…”
![](https://i.ibb.co/LnDkt5c/MIL-gehana-vasisth-hot-gallery-2110141132-001.jpg)
मैं- “मैं रंडी की जनी हूँ, मैं गाँव में चुदवाने, गाण्ड मरवाने आई हूँ, पूरे गाँव की रखैल हूँ, मैं पूरे गाँव से गाण्ड मरवाऊँगी। मैं नंबरी छिनार हूँ, और भी…” पांच दस मिनट तक, पूरे जोर से।
भौजी की धमकी-
“अगर एक बार भी धीमे बोली न तो पांच बार और… बोल भड़ुए की औलाद…”
और साथ में धमकी-
“तेरी गाण्ड में तो कुछ भी दर्द नहीं हो रहा है ननद रानी। अगर एक बार भी बोलने में हिचकी न, तो ये अपना हाथ कोहनी तक तेरी बुर में पेल दूंगी, कुँवारी आई थी गाँव में भोसड़ी वाली होकर जायेगी…”
और मुझे उनके बात पे पूरा विश्वास था।
उस दिन रात में मैं चम्पा भाभी के दरवाजे के बाहर से सुन चुकी थी, चम्पा भाभी मेरी भाभी से कह रही थीं की वो और कामिनी भाभी दोनों मिल के मुट्ठी करेंगी, एक गाण्ड में और दूसरी भाभी की बुर में। भाभी की माँ भी तो एक बार अपनी होली का किस्सा सुना रही थी, चम्पा भाभी और मेरी भाभी के सामने। कैसे अपनी शादी के चार पांच साल बाद, होली में मेरी भाभी की बुआ की (यानी अपनी ननद की) इसी आँगन, इसी आँगन में पहले नंगा करके रंग लगाया, रगड़ा और पूरी की पूरी मुट्ठी उनकी बुर में।
![](https://i.ibb.co/7j5fPL7/anal-fisting-20281128.gif)
इसलिए कामिनी भाभी कर भी सकती थीं, और मैं उनकी बात मान के जोर-जोर से बोल रही थी-
“मैं रंडी की जनी हूँ, मैं गाँव में चुदवाने, गाण्ड मरवाने आई हूँ, पूरे गाँव की रखैल हूँ, मैं पूरे गाँव से गाण्ड मरवाऊँगी। मैं नंबरी छिनार हूँ…”
लेकिन जब पांच दस मिनट बोल के रुकी तो मैंने देखा, भैय्या मुश्कुरा रहे थे और उससे भी ज्यादा, भाभी।
“नीचे देख जरा छिनरो…” भौजी बोलीं।
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भाभी- “हरामन की जनी, भंड़ुओं की रखैल, रंडी की औलाद, तू तो पैदायशी खानदानी छिनार है। तेरा सारा खानदान गान्डू है, क्यों इतना नखड़ा दिखा रही है गाण्ड मरवाने में, भाईचोद?”
अचानक बहुत तेज दर्द हुआ। जैसे किसी ने तेजी से छूरा, बल्की तेज तलवार पूरी की पूरी एक बार में घुसा दी हो। हुआ ये की जब मस्ती में मैं डुबी थी, भैया को भाभी ने इशारा किया और भैय्या ने पूरी ताकत और तेजी से, कमर उचका के, उन्होंने दोनों हाथों से चूचियों को कस के दबोच रखा था और नीचे से अपना मोटा खूंटा पूरी ताकत से पुश किया।
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भाभी ने भी साथ में कंधे को जोर से दबाया, और, अंदर तक, अंड़स गया, अटक गया, फाड़ दिया रे अंदर तक दरेरते रगड़ते छीलते घिसटते गाण्ड का छल्ला पार हो गया था।
मैं बड़ी जोर से चीखी, और किसी ने भी मेरी चीख रोकने की कोशिश नहीं की। भैय्या ने भी नहीं।
भाभी तो बोलीं- “अरे चीखने दो साल्ली को, बिना चीख पुकार के गाण्ड मरौवल का मजा क्या? रोने दो, चोदो हचक-हचक के। आखिर तेरी बहन भी तो इसका भाई बिना नागा रोज चोदता होगा। चोदो गाण्ड इस छिनार की हचक के, फाड़ दो साली की, मोची से सिलवा लेगी…”
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दर्द के मारे जान निकल रही थी, मैं गाण्ड पटक रही थी, चीख रही थी, आंसू मेरे गाल पे गिर रहे थे।
लेकिन भौजी की गालियां-
“काहें छिनरो मजा आ रहा है मोटा लौंडा घोंटने में? अबहिन तो बहुत मोट-मोट लौंड़ा घोंटोगी, मेरी रंडी की जनी। घोंटो घोंटो बहुत चुदवासी हो न… तेरी गाण्ड का भोसड़ा बनवा के भेजूंगी, कुत्ता चोदी…” अनवरत, नान स्टाप।
तबतक उन्होंने कुछ किया जिससे मेरी बस जान नहीं निकली, आधे से ज्यादा खूंटा मैं घोंट चुकी थी। भइया बजाय धक्का मारने के बस ठूंसे जा रहे थे, गजब की ताकत थी उनमें।
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और भौजी ने जोर से मेरे निपल की घुन्डियां मरोड़ दीं, और मुझसे बोलने को कहा-
“बोल छिनार बोल, वरना चाहे जितना चीखेगी छोडूंगी नहीं, बोल की मैं छिनार हूँ, भाईचोदी हूँ, चुदवासी हूँ…”
लेकिन बोलने से भी नहीं जान बची।
भाभी-
“जोर से बोल, और जोर से बोल… अरे पूरी ताकत से बोल, दस-दस बार, वरना गाण्ड में तेरे कुछ भी दर्द नहीं हो रहा है, छिनार की जनी, जिस भोसड़े से शहर भर के भड़ुओं के चोदने के बाद से निकली है न, उसी में इस गाँव के सारे मर्दों के घोड़े दौड़ा दूंगी उसमें…”
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भौजी की धमकी-
“अगर एक बार भी धीमे बोली न तो पांच बार और… बोल भड़ुए की औलाद…”
और साथ में धमकी-
“तेरी गाण्ड में तो कुछ भी दर्द नहीं हो रहा है ननद रानी। अगर एक बार भी बोलने में हिचकी न, तो ये अपना हाथ कोहनी तक तेरी बुर में पेल दूंगी, कुँवारी आई थी गाँव में भोसड़ी वाली होकर जायेगी…”
और मुझे उनके बात पे पूरा विश्वास था।
उस दिन रात में मैं चम्पा भाभी के दरवाजे के बाहर से सुन चुकी थी, चम्पा भाभी मेरी भाभी से कह रही थीं की वो और कामिनी भाभी दोनों मिल के मुट्ठी करेंगी, एक गाण्ड में और दूसरी भाभी की बुर में। भाभी की माँ भी तो एक बार अपनी होली का किस्सा सुना रही थी, चम्पा भाभी और मेरी भाभी के सामने। कैसे अपनी शादी के चार पांच साल बाद, होली में मेरी भाभी की बुआ की (यानी अपनी ननद की) इसी आँगन, इसी आँगन में पहले नंगा करके रंग लगाया, रगड़ा और पूरी की पूरी मुट्ठी उनकी बुर में।
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“मैं रंडी की जनी हूँ, मैं गाँव में चुदवाने, गाण्ड मरवाने आई हूँ, पूरे गाँव की रखैल हूँ, मैं पूरे गाँव से गाण्ड मरवाऊँगी। मैं नंबरी छिनार हूँ…”
लेकिन जब पांच दस मिनट बोल के रुकी तो मैंने देखा, भैय्या मुश्कुरा रहे थे और उससे भी ज्यादा, भाभी।
“नीचे देख जरा छिनरो…” भौजी बोलीं।