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भाई चोद पूरे गाँव को मालूम हो गया है की हमार ननद रात भर अपने भैया से खूब हचक हचक के मजे ले ले के गाँड़ मरवाई हो हमार त कुल ननद भाई चोद हैं, ... "सेंचुरी,...पिछवाड़े
मैं कुछ नहीं बोली देखती रही, ... और गुलबिया ने फिर कस के मेरे गालों पे चिकोटी काटते बोला,
" अपने सामने, एक साथ एक दो नहीं कम से कम तीन चार मरद, जैसे जहाँ एक गाँड़ मारके निकरे तो दूसरका तैयार, जउन गाँड़ से निकारे तउन मुंह में और जेकर चूसब चाटत रहबू उ गाँड़ में , हचक के गाँड़ मारी जायेगी तोहार उहौ दिन दहाड़े,, एकदम खुले में ,...
गुलबिया ने अपना इरादा बताया, और मैं समझ गयी थी की वो मज़ाक नहीं कर रही थी, और सुबह सुबह भैया से मरवाके इतना मजा आया था की सच बोलूं तो मेरे मन में भी,... कल तक के लिए तो अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों सील था, लेकिन अब जितना मेरे अगवाड़े खुजली मच रही थी उससे कहीं ज्यादा पिछवाड़े मच रही थी,
तबतक गुलबिया और कामिनी भाभी ने मिल के मुझे झुका दिया था और मौका मुआयना कर रहे थे,
और गुलबिया मेरा पिछवाड़ा सहला रही थी,
गाँव में जितनी भौजाइयां थीं सब एक से एक और सब मैं छोटी ननद थीं तो मेरे पीछे , लेकिन गुलबिया सबसे रसीली थी और सबसे एक हाथ नहीं कम से कम कम दस हाथ आगे,
उसका हाथ लगते ही इत्ती जोर की चीटियां काट रही थी की मन कर रहा था अभी कोई स्साला पिछवाड़े ठेल दे, भले दरद के मारे जान निकल जाय, ...
एक ऊँगली मेरी दरार पर , और मुझसे बोली,
" अइसन मस्त गाँड़ तबै तो, ननद रानी अब तो ई गुलबिया का वादा , रोज पांच छह,... "
मैं खड़ी हो गयी थी जोर से चीखी और गुलबिया के गले लिपट गयी ,
" नहीं भौजी नहीं, रोज पांच छह बार एक दो बार तो ,... लेकिन पांच छह बार मेरी तो जान निकल जायेगी "
और गुलबिया और कामिनी भाभी दोनों जोर जोर से हंसने लगी देर तक हंसती रहीं , फिर बड़ी मुश्किल से पहले कामिनी भाभी की हंसी रुकी और मुझे गले लगा लिया और कस के मेरे पिछवाड़े को मुट्ठी में दबाते बोलीं,
" अरे ननद रानी तुम तो बहुत भोरी हो, पांच छह बार नहीं , पांच छ मरद गाँड़ मारेंगे तोहार "
और बाकी बात गुलबिया ने पूरी की.
" और यह गाँव क कउनो मर्द एक बार में अइसन मस्त मुलायम गाँड़ मार के छोड़ने वाले नहीं दो तीन बार तो कम से कम , तो अब जोड़ लो दस दिन में , .... उ का कहते हैं, ... "
और अबकी बात कामिनी भाभी ने पूरी की, ... " सेंचुरी '
" हाँ वही, सौ बार से ऊपर पिछवाड़े में मूसल चली गाँव से वापस जाने के पहले "
गुलबिया ने हिसाब जोड़ दिया।
मैं डर के मारे सिहर रही थी लेकिन सोच रही थी गुलबिया की बात गलत नहीं थी, कल रात से आज सुबह तक भैया ने तीन बार,...
गुलबिया अभी भी मेरा पिछवाड़ा सहला रही थी बहुत हलके हलके , आग लगा रही थी , और अबकी कामिनी भाभी से बोली,
" हम बहुत ननदन क पिछवाड़ा देखे , एहू से कम उमर वालिन क, लेकिन अइसन मस्त आज तक नहीं देखे, मरदन क हालात तो सच में ख़राब होय जात होई "
" एकदम सही कह रही हो , एकरे भैया एकर गाँड़ मार के अइसन लहालोट हो गए थे , आज बहुत जरूरी था शहर जाना लेकिन उनका मन ही नहीं कर रहा था , ... बहुत मुश्किल से समझा बुझा के भेजा। ई तोहार बहिन कौन भागी जारही हैं अबहीं तो आठ दस दिन रहेंगी , कल सांझ के लौट आओगे तो दुबारा,... "
कामिनी भाभी ने गुलबिया की बात पूरी की.
और बात कामिनी भाभी की एकदम सही थी, भैया का जाने का एकदम मन नहीं था, मैं बाथरूम से सुन रही थी।
गुलबिया की ऊँगली बार बार मेरे पिछवाड़े की दरार पर, कस दबाती वो बोली,
" जब तक लौटोगी न तो तोहरे शहर क जउन चवन्नी छाप रंडी हईन न उनके भोसड़े से भी चौड़ा तोहार ई पिछवाड़ा होय जाई। "
कामिनी भाभी को देखते हुए मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबायी, और कामिनी भाभी ने भी कोशिश कर के मुस्कान रोकी पर मुझे आँख के इशारे से बरजा की मैं चुप रहूं,...
मैं चुप रही।
कामिनी भाभी ने मुझे बोला था और मुझे उनकी बात पर पूरा विश्वास था,
" स्साली गदहा घोडा से भी मरवाय के आओगी न, अगली बार भी तोहें इतना दर्द होगा जितना पहली बार, मारे दर्द के जान निकल जायेगी,... और मारने वाले को भी उतनी मेहनत करनी पड़ेगी जैसे पहली बार किसी की कुवारी बिन फटी मार रहा हो, ... अरे जब तक दरद न हो , खूब मेहनत न हो तब तक न गाँड़ मारने वाले को मजा न गाँड़ मरवाने वाली को "
और तरीका भी बहुत सिम्पल था , भौजी ने एक जड़ी बूटी वाले मलहम की शीशी दी थी , निकलने के पहले याद से आगे पीछे दोनों ओर ऊँगली जड़ तक डाल के अच्छे से और फिर खूब कस के भींच के दस मिनट,... और फिर रात में सोने के पहले भी वही ट्रिक, ... कामिनी भाभी की गारंटी, गाँव में जब आयी थी उस समय जैसी टाइट थी आगे पीछे दोनों ओर वैसे ही टाइट, ... कोई मारने वाला बता नहीं सकता की पहले भी कोई खूंटा घोंटा है ,...
और उसके साथ गुलबिया ने पूरा मौका मुआयना भी किया, सिर्फ आँखों से नहीं, उंगलियों से भी, पहले ऊपर की मंजिल का, मेरी चूचियों पे जो भैया के दांतों के निशान थे, भौजी के नाखूनों की खरोचें थी, सब एक-एक, और उसके बाद नीचे की मंजिल भी, आगे भी, पीछे भी, और खूब खुश होकर गुलबिया ने पहले मुझे देखा और फिर अचानक झप्प से अंकवार में भरते, दबोचते बोलीं।
“अब हो गई हो मस्त माल, हमार असली ननद, अब तो तोहरे ऊपर चार-चार मर्द एक साथ चढ़ने चाहिए, आगे-पीछे एक साथ, रात भर, दो चोदे, दो मुठियावत खड़ा रहें, एक निकारे दूसरा डारे, एको पल खाली न रहे…” ___
क्या मस्त चूम चूस रही थी गुलबिया भौजी, सच में गाँव की सारी लड़कियां जो जो उस ननद लगती थीं सब कहतीं थी , गुलबिया तो नंदों को चूम चूस के ही एक पानी झाड़ देती है, किसी भी मरद से ज्यादा गरम कर देती थी,
मेरी सच में हालत खराब हो रही थी , छोटे छोटे जोबना पथरा रहे थे , चुनमुनिया चुनचुना रही थी ,
वो अपनी जीभ से कभी मेरे गोरे गोरे गाल चाटने लगती तो कभी जीभ मुंह में पेल कर, क्या कोई लौंडा मुंह में लंड पेलेगा, ...
कामिनी भाभी बगल में खड़ी मुस्करा रही थीं मेरी खराब होती हालत देख रही थीं , उनकी और गुलबिया की जोड़ी के आगे तो चार चार बच्चों की माँ ननदें भी पानी मांग लेती थीं , और मैं तो एकदम नयी बछेड़ी थी, हफ्ते भर पहले तक एकदम कोरी कुँवारी,
एक हाथ से गुलबिया अभी भी मेरा सर पकडे थी और मुस्कराते हुए मेरी आँखों में आँखे डाल के चिढ़ाते हुए पूछा,
" सच बोल ननद रानी, गाँड़ मरवाने में खूब मज़ा आया न "
गुलबिया के सामने चुप रहने का रास्ता नहीं था , मैं मुस्कराती रही , फिर हलके से सर हिला के आँखे झुका के बोली,
" हाँ भौजी "
वो जोर से खिलखिलाने लगी , और हंस के बोली, ...
" अरे नन्दो , भाई चोद पूरे गाँव को मालूम हो गया है की हमार ननद रात भर अपने भैया से खूब हचक हचक के मजे ले ले के गाँड़ मरवाई हो हमार त कुल ननद भाई चोद हैं, ... "
कुछ देर तक उन्होंने मुझे छोड़ दिया और बस मुझे देखती रही मुस्कराती रहीं, फिर एक जबरदस्त चुम्मी लेकर, मेरी आँखों में झाँक के धीरे से बोलीं,
" अच्छा ननदो, ई बतावा, एकदम सच्च , हमार कसम,... ओकरे बाद जो तोहरे भैया चटाये थे ओहमें मजा आया था, ... "
भाई चोद पूरे गाँव को मालूम हो गया है की हमार ननद रात भर अपने भैया से खूब हचक हचक के मजे ले ले के गाँड़ मरवाई हो हमार त कुल ननद भाई चोद हैं, ... "
कुछ देर तक उन्होंने मुझे छोड़ दिया और बस मुझे देखती रही मुस्कराती रहीं, फिर एक जबरदस्त चुम्मी लेकर, मेरी आँखों में झाँक के धीरे से बोलीं,
" अच्छा ननदो, ई बतावा, एकदम सच्च , हमार कसम,... ओकरे बाद जो तोहरे भैया चटाये थे ओहमें मजा आया
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Komal ji kamasl ka update hai.Aap jo GIF add karti hai vo to kamaal ki hoti hi hai update bhi jabardast hita hai.Superb writing skill.
कामिनी भाभी
नाश्ते के बाद मैं कामिनी भाभी के पीछे, रसोई में। वहां काम में मैं उनका हाथ बंटा रही थी और वो ज्ञान बाँट रही थी, सेक्सोलोजी के बारे में।
शुरुआत उन्होंने मसालों से की, पहले टेस्ट में तो मुझे 10 में 10 मिल गए, मसालों को पहचानने में, और इनाम में दो चुम्मी भी मिल गई, एक गाल पे और दूसरा जोबन पे। लेकिन दूसरे टेस्ट में ज्ञान मेरा शून्य था, लेकिन उसका पर्पज ही मेरा ज्ञान बढ़ाना था।
जायफल मैं पहचान गई थी, लेकिन कामिनी भाभी ने बताया उसका असली फायदा, खड़ा करने में। जिसका मुश्किल से खड़ा होता है न उसका भी इसे खिला देगी तो खड़ा हो जायेगा।
मैं- “और भाभी जिसका पहले ही खड़ा हो जाता हो?” हँसते हुए मेरे दिमाग में मेरे कजिन रवींद्र का चेहरा घूम रहा था, और मेरी सहेली चन्दा ने जो उसके बारे में कहा था की, उसके इतना मोटा और कड़ा इस गाँव में भी किसी का नहीं है।
भाभी- “वो तेरी फाड़ के रख देगा, बिना झड़े रात भर चोदेगा…”
बस मैंने नोट कर लिया अपने दिमाग में। खीर में खिलाऊँगी उसे, फिर देखती हूँ कैसे बचता है, क्योंकी जो दूसरी बात भौजी ने बताई वो मेरे काम लायक थी।
“जायफल का एक और असर होता है, आदमी का मन भी बार-बार करने को करता है। जो बहुत सीधा साधा बनने की कोशिश करे न, उसके लिए अचूक है ये। इलायची भी थकान कम करने में मदद करती है और ताजगी लाती है। और साथ में ब्लड फ्लो भी बढ़ाता है…” भाभी ने समझाया और ये भी की- “आखिर जब मर्द का खड़ा होता है तो वहां पे सारा खून पहुँच जाता है। और जब तक खून वहां पे रहता है तब तक वो…”
उनकी बात काट के मैं हँसते हुए बोली-
“भाभी इसीलिए जब मर्दों का खड़ा होता है तो बस उनकी बुद्धि काम करना बंद कर देती है, दिमाग का खून सीधे वहीं पहुँच जाता है…”
भाभी खिलखिला के हँसी और बोलीं- “अब मेरी ननद पक्की समझदार हो गई है, शहर में लौट के, ये समझदारी दिखाना लौंडों को पटाने में…”
“सौंफ भी…” उन्होंने समझाया-
“जोश बढ़ाने में मदद करती है लेकिन अदरक और लहसून दोनों में वीर्यवर्धक ताकत होती है। लहसुन की एक-एक फांक अलग करके, गाय के घी में हल्का पकाओ और फिर शहद में डुबा दो। बस, मर्द की ताकत दूनी…”
अनार के दाने, गाजर, ये सब बहुत असर करते हैं। और उसके बाद उन्होंने लड़कियों के लिए भी क्या खाने से उभार और मस्त होते हैं, सब बताया।
साथ-साथ हम दोनों काम भी कर रहे थे। दाल बन गई थी, चावल उन्होंने चढ़ा दिया था, फिर वो मुझसे पूछने लगी- बोल सब्जी कौन सी बनाऊँ?
और बिना मेरे जवाब का इन्तजार किये टोकरी से एक लम्बा मोटा बैंगन दिखा के मुझे छेड़ते हुए बोलने लगीं-
तुझे तो बैगन बहुत पसंद है न, मोटा और लम्बा?”
मैं घबड़ा गई कहीं भाभी सीधे मेरी चूत में। मेरी भाभी भी मुझे अक्सर दिखा के चिढ़ाती थीं। लेकिन कामिनी भाभी तो, और ऊपर से रात को उनके सैयां ने इतना हचक-हचक के चोदा है की बुर की अब तक बुरी हालत है।
भाभी ने शायद मेरे चेहरे का डर भांप लिया था, मुश्कुराते हुए वो बोलीं-
“घबड़ाओ मत अभी तोहरी बुरिया में नहीं डालूंगी, लेकिन चल तुझे दिखाती हूँ बुर में बैगन डालते कैसे हैं?” फिर बैठ के टाँगें फैला के, एक हाथ से अपनी बुर फैलाई और दूसरी से उसकी टिप, मुझे पास में बैठा के दिखाया, समझाया।
मैं अचरज से देखती रही, और सीखती रही
बाद में कामिनी भाभी खड़ी हो गई और उसका असली खेल मुझे समझाया,-
“देख असली चीज, घुसाना नहीं है, उसे दबोच के अंदर रखना है…”
सच में भाभी किचेन का सारा काम घूम टहल के कर रही थीं और वो टस से मस नहीं हो रहा था।
“और इसका एक खास फायदा, यार को पटाने का। बस कोई भी चीज, बैगन, गाजर जो तू अपने यार को खिलाना चाहे उसे अपनी चूत में घुसेड़ ले, कम से कम तीस चालीस मिनट, लेकिन जितना देर डालेगी न उतना असर ज्यादा होगा। बार-बार अपनी चूत को सिकोड़ उस पे, सोच तेरे यार का लण्ड तेरी चूत में है। जितना चूत का रस निकलेगा, चूत का रस वो सोखेगा न तो उसका असर और ज्यादा होगा। हाँ और एक बात… अगर लौंडे को उस चीज के नाम से भी नफरत होगी न, तो अगर तेरी चूत के रस से डूबा है तो तुरंत खाने को मुँह खोल देगा…”
मेरे सामने बार-बार रवींद्र का चेहरा घूम रहा था। अब देखना बच्चू, कैसे बचता है मेरे चंगुल से? उसे आम एकदम पसंद नहीं है। बस, दशहरी आम की खूब लम्बी-लम्बी मोटी फांकें अंदर डाल के, सब खिला डालूंगी।
और तबतक कामिनी भाभी ने एक मंत्र भी मेरे कान में फूंका-
“ॐ नमो गुरू का आदेश, पीर में नाथ, प्रीत में माथ, जिसे खिलाऊँ मोहित करूँ…”
“बस जब तक बुर में भींचे रहूं ये मन्त्र थोड़ी-थोड़ी देर में पढ़ती रहूं मन में, जिसे पटाना हो उसका नाम सोच के, और खिलाते समय भी ये मन्त्र बोलना होगा, हाँ साथ में कच्ची सुपाड़ी की एक बहुत छोटी सी डली…”
और उन्होंने ये भी बोला की उनके पास कामरूप की कच्ची सुपारी रखी है, वो मुझे दे देंगी।
उसके साथ ही और बहुत सी ट्रिक्स, कल उन्होंने पिछवाड़े के बारे में बताया था आज अगवाड़े के बारे में। आधे घंटे में उन्होंने बैगन बाहर निकाला, एकदम रस से भीगा और फिर उसका भुर्ता मुझसे बनवाया।
खाना बन गया था, मैंने बोला- भाभी मैं नहा लेती हूँ।
तो वो बोलीं- “एकदम… लेकिन मैं भी चलती हूँ साथ में, तुझे अच्छी तरह से नहला दूंगी…”
उन्तालीसवीं फुहार
नहाना धोना, कामिनी भाभी
भाभी की उंगलियां एकदम जादू, और कैसे-कैसे नहलाया उन्होंने, सिर्फ मुल्तानी मिट्टी, काली मिट्टी, न साबुन, न शैम्पू, हाँ गुलाब की सूखी पंखुड़ियां और भी कुछ मिट्टी में ही उन्होंने मिला रखा था। पहले पूरी देह में, फिर बालों में, और जब पानी डाल के साफ किया उन्होंने,
मैं बता नहीं सकती कितनी हल्की लग रही थी मैं। जैसे हवा में उड़ रही हूँ।
ये तो नहीं कि बदमाशी नहीं की हो उन्होंने, लेकिन सिर्फ ऊपर की मंजिल पे, और जितनी उन्होंने की उससे ज्यादा मैंने की।
भाभी के जोबन थे भी एकदम गजब के
और ऊपर से उनके सैयां और भैय्या ने तो रात भर जोबन का मजा लूटा था, तो भाभी के उभार दबाने का रगड़ने का मसलने काम तो ननद के ही जिम्मे आयेगा न। जैसे उन्होंने मुझे नहलाया, फिर उसी तरह मैंने भी उन्हें।
हाँ कुछ खेल तमाशा भी हुआ, कामिनी भाभी हों उनकी छुटकी ननदिया हो और खेल तमाशे न हो, लेकिन वो ट्रेनिंग भी थी साथ-साथ में।
उन्होंने मुझसे कहा उनकी बुर में उंगली करने के लिए, और वो जाँघे फैलाके बैठ गई। मैंने गचाक से अपनी मंझली उंगली पेल दी, सटाक से अंदर। इतना चुदवाने के बाद भी भाभी की बुर काफी कसी थी। थोड़ी देर तक गचागच मैं पेलती रही, सटासट वो लीलती रहीं।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और जड़ तक मंझली उंगली ठेल के मैं रुक गई।
भाभी मुझे देखकर मुश्कुरा रही थीं, फिर अचानक मुझे लगा जैसे किसी अजगर ने अपनी कठिन कुंडलिका में मुझे लपेट लिया है और जोर-जोर से, जैसे कड़क कर टूट जायेगी। उन्होंने आँख से इशारा किया की मैं अपनी उंगली बाहर निकाल लूँ। मैंने लाख कोशिश की, लेकिन उंगली टस से मस नहीं हुई और ऊपर से ये लग रहा था, की बस अब उंगली की हड्डियां चरमरा के टूट जाएंगी।
भाभी जोर से मुश्कुराने लगीं, हँस के बोली- “चल गुड्डी निकाल ले…” और अपनी पकड़ ढीली कर दी।
मैंने निकालने की कोशिश की तो सूत भर भी नहीं निकली होगी की फिर वही पकड़, और अबकी भाभी की बुर की अंदर की मसल्स, जैसे लग रहा था सड़क पर जो गन्ने निचोड़ने वाली जो मशीन होती है, मैंने उसमें अंगुली डाल दी है।
ऐसी जबरदस्त रगड़ाई हो रही थी, और बिना उंगली पर पकड़ ढीली किये भौजी ने उसके फायदे समझाए-
“देख इससे चूत, कितना भी चुदवाना, कित्ते भी मोटे लण्ड से, चाहे मैं कभी मुट्ठी ही डाल दूँ, लेकिन ऐसे ही कसी रहेगी। हफ्ते भर पहले जब तू, छुई मूई बनी कच्ची कोरी इस गाँव में आई थी, जब ढंग से उंगली भी तेरी सोन चिरैया ने नहीं लीला था, वैसे ही रहेगी। लेकिन असली फायदा दूसरा है।
मैं कान फाड़े सुन रही थी।
“देख कभी मर्द थका हो, लेकिन तेरा और उसका मन कर रहा हो, या दो बार वो जबरदस्त चोद चुका हो और तीसरी बार तुम ऊपर चढ़ के… बस उसे कुछ करने की जरूरत नहीं है, न धक्के लगाने की न ठेलने की, न पेलने की। बस तुम सिर्फ चूत सिकोड़-सिकोड़ के, तुम्हें भी ज्यादा थकान नहीं लगेगी और चुदाई का पूरा मजा…”
मैं चीख पड़ी- “भौजी मुझे सीखना है…”
भाभी- “नहीं, ये मैंने आज तक किसी को नहीं सिखाया, मेरा ट्रेड सीक्रेट है और दूसरी बात रोज-रोज प्रैक्टिस करनी पड़ेगी बिना नागा…”
“मैं कर लूंगी, प्लीज भौजी… मेरी अच्छी भौजी सिखाओ न…”
“लेकिन… अच्छा चलो, पर ये ट्रेनिंग फ्री नहीं मिलेगी, बड़ी कड़ी फीस लूंगी मैं इसकी…” कामिनी भौजी आँख नचाते हुए बोलीं।
“मंजूर, मैं आपकी गुलाम बन जाऊँगी, आपकी सब बात मानूंगी। भौजी प्लीज…” मैं बस उनके पाँव नहीं पड़ी और भौजी पसीज गईं।
उन्होंने एक-एक चीज बताई किस मसल्स की कैसे एक्सरसाइज की जाती है, और रोज, फिर मेरी चूत में उंगली डाली उन्होंने।
पहले दो बार तो मैं कुछ नहीं कर पाई, लेकिन तीसरी बार से कुछ मसल्स पर, चार पांच मिनट में इतना सीख गई की भौजी की उंगली भींचने लगी।
भाभी- “चल बहुत अच्छी है तू, मान गई मैं, अभी सात आठ दिन है न तू गाँव में? आधे घंटे रोज मेरे साथ प्रैक्टिस करना होगा, जाने तक काफी सीख लेगी… उसके बाद बस शहर पहुँच के रोज दो बार, नहाते समय और सोते समय, एक उंगली अंदर डाल के, और किसी लड़के के लण्ड के बारे में सोच-सोच के, और उसके अलावा जब क्लास में रहो, टीवी देखती रहो, कभी भी हर घंटे पे, कम से कम पांच मिनट, चूत को धीरे-धीरे खूब सिकोड़ो और वैसे ही 100 की गिनती तक पूरी ताकत से भींचे रहो, फिर धीमे-धीमे छोड़ो, चार पांच बार, और उस समय भी लण्ड का ध्यान जरूर करो।
तब तक भौजी को एक बात याद आ गई- “तुझे कल रात पिछवाड़े वाली एक एक्सरसाइज बताई थी, नहाते समय करने की, चल करके दिखा…”
याद तो मुझे अच्छी तरह थी, पर उनके सामने, लेकिन भौजी के आगे मेरी कुछ चलती क्या? और अपने छोटे चूतड़ उचका के, एक उंगली मुँह में डाल के थूक से गीली करके, पिछवाड़े के छेद पे हल्के से दबा के,
“हाँ ऐसे ही, कलाई के जोर से और ताकत लगाकर दबा…” कामिनी भाभी की निगाह वहीं पे थी।
“गचाक…” थोड़ी सी उंगली घुसी।
“अभी और ठेलो, जायेगी जायेगी…” भौजी ने हिम्मत बढ़ाई।
एक पोर से थोड़ा सा ज्यादा घुसा, तो कामिनी भाभी बोलीं- “अब बस, खाली गोल-गोल घुमाओ, हाँ ऐसे ही…”
कुछ देर मैं गोल-गोल घुमाती रही, तो वो बोलीं- “अरे दूसरी उंगली भी ठेलो अंदर और खुद तरजनी में कड़ुआ तेल लगाकर उसे चिकना कर दिया। और खुद ही उसे गाण्ड के छेद पे सटा दिया।
“ठेलो, इसे भी ठेलो…”
मुश्किल से दूसरी उंगली घुसी वो भी एक पोर।
“चलो पहली बार के लिए इतना काफी है, कल से दोनों के दो पोर…” कहकर भाभी ने थोड़ी छूट दे दी। पर ये जोड़ दिया- “गिन के पचास बार गोल-गोल घुमाओ, खूब धीरे-धीरे…”
थोड़ी देर में ही मुझे अहसास हो गया कि अंगुली अब थोड़ी आसानी से घूम रही है।
और जब मैंने उंगली बाहर निकाली तो, बस सम्हालते-सम्हालते भाभी ने उंगली की टिप को हल्के से अपने होंठों से… मैं घबड़ा गई बोली- अरे भौजी ये क्या?
आँख नचा के चिढ़ाते वो मुश्कुरा के बोलीं- “अरी छिनरो बुरचोदी, तेरे सारे खानदान क भोसड़ा मारूं, सबेरे-सबेरे भूल गई, हमार उंगली से जम के मजा ले ले के…”
मैं जोर से शर्मा गई, सुबह की बात याद करके। भौजी भी न, पहले तो जबरदस्ती, दो उंगली मेरे पिछवाड़े हचक के पेल दीं, चार पांच मिनट गोल-गोल घुमाती रहीं फिर मेरे मुँह में जबरन डाल के मंजन कराया, खूब रगड़-रगड़ के, और मुँह भी नहीं धोने दिया और अब ऊपर से कह रही हैं की, मैंने…
भौजी ने तबतक मुझे कस के अंकवार में भर लिया। और तौलिए से मेरी देह रगड़ते पोंछते बोलीं- “बोल तुझे ये तेरा जोबन कैसा लगता है, है न लौंडों को ललचाने के लायक? सारा गाँव मरता है इस पे, बोल है न दिखाने के लायक?”
मेरे गाल शर्म से गुलाल हो रहे थे, फिर भी मैंने हामी में सर हिलाया।
“अब बोलो ये वाला जोबना दिखाओगी की दुपट्टे में छिपा के रखोगी?” कामिनी भाभी ने फिर पूछा।
कल ही तो उन्होंने सिखाया था। मैं चट से बोली- “अरे भौजी अब दुपट्टा अगर डालूंगी भी तो एकदम गले से चिपका के, आखिर ये जोबन दिखाने ललचाने की तो ही उम्र है…”
एकदम सही, और बोल तुझे मैं कैसी लगती हूँ?
“बहुत प्यारी मस्त माल…” चिढ़ाते हुए मैंने उन्हें भींच के चूम लिया।