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Romance फ़िर से

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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अपडेट सूची :

दोस्तों - इस अपडेट सूची को स्टिकी पोस्ट बना रहा हूँ!
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि केवल पहनी पढ़ कर निकल लें। यह केवल आपकी सुविधा के लिए है। चर्चा बंद नहीं होनी चाहिए :)


अपडेट 1; अपडेट 2; अपडेट 3; अपडेट 4; अपडेट 5; अपडेट 6; अपडेट 7; अपडेट 8; अपडेट 9; अपडेट 10; अपडेट 11; अपडेट 12; अपडेट 13; अपडेट 14; अपडेट 15; अपडेट 16; अपडेट 17; अपडेट 18; अपडेट 19; अपडेट 20; अपडेट 21; अपडेट 22; अपडेट 23; अपडेट 24; अपडेट 25; अपडेट 26; अपडेट 27; अपडेट 28; अपडेट 29; अपडेट 30; ...
 
Last edited:

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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अपडेट 24


ऊपर :


कमल ने पाया कि उसके होंठों पर माया के कोमल होंठों का गर्म एहसास बहुत ही अद्भुत था! एक अबूझ सा अपनापन! एक नादान सी घबराहट! एक अभूतपूर्व सी उत्तेजना! माया का अनुभव भी कमल के अनुभव से इतर नहीं था। अपने प्रेमी के आग्रहपूर्ण चुम्बन के ताप से वो अंदर तक पिघल गई थी।

अब तक बारिश ने दोनों को समुचित रूप से भिगो दिया था।

माया ने जो कुर्ता पहना हुआ था, उसके पीछे एक ज़िपर लगी हुई थी। वैसी ही जैसी पुरानी हिंदी फिल्मों में हिरोइनें पहनती थीं। कमल का हाथ उसके ज़िपर की फ्लाई पर उलझा और उसको नीचे करने लगा।

“क्या कर रहे हैं आप...” माया की घबराहट भरी आवाज़ निकली।

“हमने आपसे कहा है न, आज हम अपनी करेंगे!” कमल ने याद दिलाया।

“लेकिन...”

“आपको पता है न, कि हम आपकी बहुत इज़्ज़त करते हैं?”

माया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“तो फिर?”

“हमको शर्म आएगी...”

“अँधेरा है... इतनी जल्दी लाइट नहीं आने वाली।” अब तक ज़िपर माया की कमर के नीचे अपने आख़िरी सिरे तक आ गया था।

“लेकिन आप हमको नंगा क्यों करना चाहते हैं?” माया ने फुसफुसाते हुए पूछा।

“हमारी पहली बारिश है न... मन हो रहा है कि एक बार फिर से आपको यूँ पकड़ लूँ और हमारे बीच में इस बारिश के सिवा कुछ न हो!”

कमल ने कुर्ते को माया के कन्धों से अलग सरका दिया।

“आप बहुत बदमाश होते जा रहे हैं,” माया की आवाज़ उत्तेजना की घबराहट से अस्थिर हो रही थी।

आज से पहले वो ऐसी स्थितियों में कमल को नियंत्रण में रख लेती थी। लेकिन आज वो कमल को रोक नहीं पा रही थी। इस रिश्ते में वो बड़ी थी, वो समझदार थी, और वो ही ज़िम्मेदार भी थी। लेकिन आज कमल ने जिस तरह से उससे अपनी बात कही थी, उसके कारण वो उसकी अनुचरी बन गई थी। एक बार कमल को भी अपने मन की करने का होना चाहिए न! वो कमल पर विश्वास करती है। उससे प्रेम करती है। वो उसकी ही है। तो फिर चिंता किस बात की है?

“कोई बदमाशी नहीं... हम बस आपको देखना चाहते हैं और आपको अपनी बाहों में भर लेना चाहते हैं!” कमल उसके कुर्ते को नीचे करते हुए बोला, “लेकिन, बिना इन कपड़ों के!”

आज से पहले इस हालत में वो केवल अपने घर के लोगों के सामने आई थी। इसलिए घबराहट होना स्वाभाविक ही था।

माया ने चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी। भीगने के कारण वो अजीब तरीके से उसके शरीर से चिपक गई थी। वैसे भी चूड़ीदार पजामी पहनने वाले की नाप से कोई डेढ़ गुणा लम्बी होती है, जिससे चूड़ियाँ ठीक से बन सकें। इसलिए भीगी हुई पजामी उतारना आसान काम नहीं है।

कमल माया की पजामी का नाड़ा ढीला कर के उसको और उसके कुर्ते दोनों को नीचे उतारने लगा। कपड़े आसानी से उतर नहीं थे, इसलिए थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ा। इस ज़ोराज़ोरी में माया एक बार फिसल कर गिरने को हो गई,

“मैं बैठ जाती हूँ,” उसने सुझाया।

कमल ने सहमति में सर हिलाया।

माया बारिश के पानी से पूरी तरह से भीग चुकी छत की फ़र्श पर बैठ गई। और कुछ ही समय में वो केवल अपनी ब्रा और चड्ढी में उसके सम्मुख थी। वो समझ रही थी अपनी सासू माँ और ससुर जी के सामने आज उसकी बहुत बुरी भद पिटने वाली है। उसका कुर्ता और पजामी आपस में बुरी तरह उलझ गए थे। वो स्वयं पूरी तरह से भीग गई थी। ऐसे में उनके सामने कोई बहाना बना कर बच निकलना संभव नहीं था। ख़ैर, वो जब होगा, तब होगा।

फिलहाल तो उसके होने वाली पतिदेव उसके साथ अपनी मनमर्ज़ी पूरी करने को आतुर थे।

कमल ने हाथ बढ़ा कर उसकी चड्ढी भी उतार दी। माया ने अपने नितम्ब उठा कर उसका सहयोग ही किया। अँधेरे में कुछ सूझ नहीं रहा था - बस यही गनीमत थी। नहीं तो बारिश के पानी के साथ साथ वो शर्म से भी भीग जाती!

कमल उठ गया और उसने हाथ बढ़ा कर माया के हाथों को पकड़ कर उसको भी उठा दिया। वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा। यह एक आसान काम था। उसने टीशर्ट और नेकर पहनी हुई थी। दस सेकंड के अंदर अंदर वो माया के सामने पूरी तरह से नग्न खड़ा था। माया को कुछ सूझ नहीं था, लेकिन वो जान रही थी कि कमल उसके सामने निर्वस्त्र हो रहा था। इस बोध से भी वो शर्मसार हुई जा रही थी। यह एहसास उसको कभी नहीं हुआ था। तब भी नहीं जब वो अजय को नहलाने के लिए उसके कपड़े उतार देती है। किसी की बड़ी बहन होने में और किसी की पत्नी होने में यह बड़ा अंतर है!

कमल ने इस बार उसको झपट कर अपने आलिंगन में भर लिया - कुछ ऐसे कि वो चौंक गई। लेकिन कमल की अधीरता - उसके जोश को देख कर उसकी एक छोटी सी हँसी भी छूट गई। फिर उसने ‘उसको’ महसूस किया।

कमल का लिंग पूरी तरह से कठोर और ऊर्ध्व हो कर माया के पेट से चिपक गया। उसकी कठोरता और उसकी गर्मी को अपने ठन्डे भीगे शरीर पर महसूस कर के माया को झुरझुरी हो आई।

एक बार फिर से दोनों के होंठ आपस में एक चुम्बन में उलझ गए।

जब तक चुम्बन समाप्त हुआ, तब तक माया की ब्रा भी उसके शरीर से उतर चुकी थी।

माया और कमल दोनों ही, कमल की इच्छानुसार पूरी तरह से नग्न हो कर अपनी पहली बारिश में भीगने का आनंद ले रहे थे।



नीचे :

“सुनिए जी?” सरिता जी की आवाज़ अस्थिर थी।

“हम्म” किशोर जी अपनी पत्नी के चूचक को पीते हुए बोले।

“ब... बच्चे अभी... आह... अभी तक नीचे नहीं... आह... आए...” किशोर जी के लिंग के हर धक्के से उनकी आँहें निकल रही थीं।

“आप चाहती हैं कि वो अभी नीचे आ जाएँ?”

“नहीं... आह...” सरिता जी ने जैसे तैसे कहा।

“भाग्यवान?”

“जी?”

“यार...” किशोर जी ने उनसे जैसे अपने मन की बात बताते हुए कहा, “एक और बच्चा हो जाता...”

वो मुस्कुराईं, “जानते हैं आप... आह... अरे धीरे धीरे कीजिए न!”

“हाँ बताओ?”

“अपनी बहू बहुत लकी है! ... जब अशोक भाई साहब उसको लाए थे न, तब प्रियंका दीदी और किरण दीदी दोनों प्रेग्नेंट हुई थीं।”

“हाँ... वो तो है...”

“सोच रही हूँ कि सगाई वगाई नहीं, सीधे दोनों की शादी ही करवा देते हैं!”

“हा हा हा हा!”

“और क्या! क्या फालतू का झंझट है ये सब! शुभ साईत है! सीधे शादी करवाते हैं न जी, उन दोनों की! ... फिर हम सास बहू दोनों एक साथ प्रेग्नेंट होंगीं...”

“क्या मस्त आईडिया है मेरी जान!” कह कर किशोर जी ने ज़ोर का धक्का लगाया।

“आह्ह्ह... आराम से...” सरिता जी ने शिकायत करी।

“बहू छोटी है अभी! इसलिए उसका जब हो तब हो, लेकिन तुम हो जाओ न प्रेग्नेंट!”

“आप न,” सरिता जी ने बड़े ही मीठेपन से कहा, “इतना काम न किया करिए! ईश्वर ने सब कुछ दिया है। अब तो इतनी प्यारी सी बहू भी आ रही है! परिवार का आनंद उठाते हैं साथ में!”

फिर थोड़ा शरमाते हुए, “थोड़ा हम पर भी मेहनत कीजिए... हो जाएँगे हम प्रेग्नेंट!”

“हाँ भाग्यवान, हाँ!”



ऊपर :

“सुनिए?”

“हम्म्म?”

“कब तक आप मुझे यूँ पकड़े रहेंगे?”

“जब तक...”

“हम्म?”

“बताया तो,” कमल ने धीमी आवाज़ में कहा, “जब तक...”

“नीचे माँ जी और पापा जी सोच रहे होंगे कि हम यहाँ क्या कर रहे हैं!”

“अब तो वो भी समझ गए होंगे कि हम दोनों यहाँ रोमांटिक हो रहे हैं...”

“अब बस! बाकी का रोमांटिक बाद में हो लीजिएगा!” माया बोली, “नीचे चलते हैं न!”

“एक बार इनको भी किस कर लूँ?”

कमल ने कुछ कहा नहीं, लेकिन फिर भी माया समझ गई कि ‘किनको’ चूमने की बात कर रहा है कमल।

उसने ‘न’ में सर हिलाया।

अँधेरे के कारण कमल को कुछ समझा नहीं, “हम्म?”

“मैंने कहा नहीं! ... अभी नहीं... फिर कभी!”

“ओहो! मतलब आगे भी चांस है हमारा!”

“क्यों नहीं होगा?” माया इस पूरे प्रकरण में पहली बार चंचलता से बोली, “आप हमारे पतिदेव बनने वाले हैं! आपका नहीं, तो फिर किसका चांस होगा?”

कमल ने एक बार फिर से माया के होंठों को चूम लिया।

“लेकिन अभी बस,” माया ने कोमलता से समझाया, “अगर अब हम एक और कदम आगे बढ़े, तो बहक जाएँगे! ... आप भी और हम भी! इसलिए अब बस?”

माया ने एक तरह से मनुहार करते हुए उसको समझाया।

“जैसी आपकी आज्ञा!”

“आज्ञा नहीं है...” माया बोली, “अपने हस्बैंड को आज्ञा देने की हिम्मत मैं नहीं कर सकती! आप ही मेरे सब कुछ हैं। ... लेकिन हमको अपनी मर्यादा में रहना चाहिए! माँ जी और पापा जी को अच्छा नहीं लगेगा कि हमने उनके विश्वास को तोड़ दिया...”

कमल को समझ में आ गया। उसने एक गहरी साँस भरी, और समझते हुए मुस्कुराया।

बोला, “आई लव यू, हनी! एंड, थैंक यू!”

“आई लव यू टू, माय हार्ट!”

“... एंड आई लव यू बोथ,”

सरिता जी की आवाज़ सुन कर दोनों चौंके।

“आ जाओ दोनों... इतनी देर से भीग रहे हो, तबियत खराब हो जाएगी।” उन्होंने समझाया, “तौलिए लाई हूँ! शरीर पोंछ लो!”

माया शरमाते सकुचाते सरिता जी के पास आई। हाथ कंगन को आरसी क्या? कोई बहाना चिपक ही नहीं सकता था। सरिता जी ने माया को तौलिया में लपेट दिया। टाइमिंग भी गज़ब की बैठी - उसी समय बिजली भी वापस आ गई।

“शर्माने की कोई ज़रुरत नहीं है बहू,” सरिता जी ने पुनः बड़े वात्सल्य से कहा, “हम भाई साहब से बात करेंगे कि तुमको जल्दी से जल्दी हमें दे दें!”

“जी?”

“अरे मेरी भोली बिटिया, हम चाहते हैं कि तुम दोनों की शादी नवम्बर में ही हो जाए!”


**
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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सूचना :

मित्रों, काम के सिलसिले में मैं देश से बाहर रहूँगा कुछ दिन (कोई दो सप्ताह)!
अगला अपडेट उसके बाद ही मिलेगा।

धैर्य बनाए रखें :)
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत बढ़िया, माया और कमल की आगे की राह तो आसान हो ही गई थी, अब अजय ने अपने भाई की राह भी आसान ही कर दी।

वैसे जब इस जीवन में परिवर्तन कर रहा है अजय तो ये आशा तो नहीं ही रखनी चाहिए कि सब कुछ वैसा ही होगा जैसा पहले हुआ, क्योंकि जैसा मैने पहले कहा, कर्म फल आपके कर्मों और परिस्थितियों के अनुसार ही बदलता है। जैसे, पहले वाले अजय ने माया को कभी अपनाया नहीं था, जब तक वो खुद मुसीबत में नहीं फंसा। पर अब जब उसने माया को अपना लिया है तो स्वाभाविक है कि कुछ घटनाक्रम भी उसी अनुसार बदलेगा।

बाकी अब आपका इंतजार दो सप्ताह तक करेंगे, आशा है आपकी यात्रा सफलता पूर्ण हो।

और उम्मीद है कि तब तक शतरंज की बिसात भी मैं समेट चुका होऊंगा।
 

parkas

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अपडेट 22


सवेरे से जो राणा साहब के यहाँ पहुँचे, अजय और उसके परिवार की वापसी शाम से पहले न हो सकी। जब रिश्तेदारी जम रही हो, तब कोई ऐसे रूखा रूखा जाने नहीं देता। राणा साहब ने भोजन का बढ़िया बंदोबस्त करवाया हुआ था। इस रविवार का दिन किसी पर्व की तरह बीता। खाना पीना कर के सभी वापस आए। रास्ते में अजय माया को कमल का नाम ले ले कर छेड़ता रहा। और समय होता, तो शायद माँ और पापा उसको यूँ करने से मना करते। लेकिन यह रिश्ता संभव हो पाया था अजय के कारण। इसलिए वो भी अजय के साथ ही इस हँसी चुहल में शामिल हो गए थे।

माया ने आज दिन भर बहुत कम बोला था, लेकिन जैसी संतुष्टि उसको आज मिली थी, वो अभूतपूर्व थी।

किसी भी पारम्परिक सोच वाली लड़की के लिए किसी की ब्याहता बनना एक सम्मान की बात होती है। यह उसको अपने जीवन में स्थापित करता है। उसको अपना संसार बसाने की अनुमति देता है। जिस स्थिति में वो कुछ सालों पहले थी, वहाँ से वो अपने लिए ऐसा भविष्य सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन वो सोचा हुआ और न सोचा हुआ - सब कुछ - अब संभव होता प्रतीत हो रहा था। उसका होने वाला ससुराल बहुत अच्छा था। अपनी होने वाली सास, सरिता जी को वो कुछ वर्षों से जानती थी और पसंद भी करती थी। सरिता जी ने आज तक उसको एक बार भी उसके निम्न जाति के होने के तथ्य को ले कर कम नहीं आँका था। वो एक अच्छी, और वात्सल्यपूर्ण महिला थीं। उनकी ममता के तले वो अपने होने वाले पति के साथ अपना भविष्य बना सकती थी।

होने वाले पति... कैसी कमाल की बात है न! वो अपने मन में भी कमल का नाम नहीं ले पा रही थी। उसने तो आज से ही कमल को ‘इनको’, ‘उनको’, ‘वो’ कहना शुरू कर दिया था। इस बात पर भी खिंचाई हुई थी माया की।

घर आ कर अशोक जी और किरण जी अपने सम्बन्धियों और मित्रों को यह ख़ुशख़बरी देने में व्यस्त हो गए।

रात में किरण जी ने प्रशांत को फ़ोन लगाया। किरण जी हमेशा से ही चाहती थीं कि उनके बच्चों में अगर किसी का ब्याह पहले हो, तो वो उनकी बेटी माया का हो। इस सम्भावना से वो बहुत प्रसन्न थीं। प्रशांत ने जब यह खबर सुनी, तो वो बहुत खुश हुआ। माया को वो बहुत स्नेह करता था। वो बाहर से आई है, इस बात से उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो बस इसी बात से खुश था कि अब उसकी एक छोटी बहन भी है। इस मामले में उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने माया को भी बहुत सारी बधाईयाँ दी। यह सब होने के बाद अजय ने फ़ोन ले लिया,

“हेल्लो भैया,”

“हेल्लो मेरे जादूगर! भाई वाह, क्या कमाल का काम किया है तूने मेरे भाई!”

“कोई कमाल वमाल नहीं है भैया,” अजय बोला, “कमल दीदी को बहुत पसंद करता है। उसने जब मुझे ये बात बताई, तो मैंने दीदी को और पापा को यह बात बोल दी। ... और पापा तो ठहरे हमारे बाप! उन्होंने कहा कि वो कमल के पापा से बात करेंगे। आज वहाँ गए, और सब फिक्स हो गया भगवान की दया से!”

“हाँ यार, भगवान की दया तो है! ... माया बहुत अच्छी बच्ची है! उसको खुश देखता हूँ न, तो बहुत अच्छा लगता है मुझे!”

“हाँ भैया, दीदी बहुत अच्छी तो हैं।”

“बहुत अच्छा किया तूने! पुण्य मिलेगा बहुत!”

“हा हा!”

“सच में!”

“अगर ऐसी बात है, तो एक और पुण्य दे दो!”

“मतलब?”

“अब मतलब भी समझाना पड़ेगा आपको?”

प्रशांत दो पल चुप रहा, फिर बोला, “यार... कल बहुत झगड़ा हुआ उससे!”

“क्यों? इग्नोर कर दिया, इसीलिए न?”

“हाँ,”

“बोला था मैंने! वो है ही वैसी! सच कह रहा हूँ भैया, एक बार चूत ले ली का मतलब ये नहीं कि उम्र भर अपनी मरवाओ!”

“हा हा! स्साले, कैसा बोलता है अपने बड़े भाई से!”

“गलत कह रहा हूँ क्या?”

“नहीं, गलत तो नहीं है...”

“भैया, सही साथी का होना ज़िन्दगी को आसान कर देता है। ... कणिका जैसी है, वो आपका जीना दुश्वार कर देगी। सच कह रहा हूँ!”

“आई नो,” प्रशांत ने गहरी सांस ले कर कहा, “उसका एक बड़ा एक्साम्पल मिल गया है मुझे कल ही!”

“आपको पैट्रिशिया अच्छी लगती हैं न? आप उनसे बात करो न?”

“अरे यार! बेवकूफ़ी के चक्कर में मैंने उसको अपने से दूर कर दिया!”

“क्या भैया! बेवकूफ़ी सुधारी भी जा सकती है।”

“कैसे?”

“आप मुझे पैट्रिशिया का नंबर दीजिये। मैं उनसे बात करूँगा...”

“यार ये क्या बात हुई! मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“मैं ऐसा ही हूँ!”

“हा हा हा! कब से?” प्रशांत ने हँसते हुए कहा, “लेकिन एक बात कहूँ अज्जू... तू वाकई चेंज हो गया है। बहुत ही बदल गया है तेरा बिहैवियर...”

“आई नो! मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो गई है!”

“हा हा हा हा! मोक्ष... हा हा हा हा!”
“हाँ... हँस लो!”

“अच्छा, एक बात बता... इन दोनों की शादी कब हो रही है?”

“मैं तो चाहता हूँ कि जल्दी से जल्दी हो जाए!”

“हम्म... लेकिन कमल की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा?”

“क्या भैया! पता नहीं हम हिन्दुस्तानियों को पढ़ाई को ले कर कौन सा रोग लगा हुआ है। कमल को कौन सा आईएएस बनना है? पास होना है न, मैं करवा दूँगा! केवल पास नहीं, फर्स्ट डिवीज़न में, विद डिस्टिंक्शन!”

“हा हा! सही है!”

“और माया दीदी समझदार हैं। वो कमल को बहकने नहीं देंगी!” अजय ने हँसते हुए कहा, “वो उसको एनफ मोटिवेट कर के रखेंगी। नो पढ़ाई, नो सेक्स!”

“हा हा हा हा! तू भी न! ... अरे मैं वो नहीं कह रहा हूँ! लेकिन शादी के बाद ब्रेक चाहिए होता है न!”

“भैया, माँ और पापा ने बताया था कि नवम्बर में ही डेट निकलेगी।”

“हम्म्म,”

“तो या तो उसमें सगाई कर लो, या फिर शादी...”

“हम्म्म,”

“नवम्बर में कर लेंगे, तो हनीमून के लिए विंटर वेकेशंस तो हैं हीं!”

“लेकिन दोनों शादी कर तो सकते हैं? या कि नहीं? वो अभी इक्कीस का हुआ नहीं होगा!”

“नहीं हुआ है, लेकिन दोनों एडल्ट्स हैं। ऐसे में शादी हो सकती है। बाद में कमल अगर कोई ऑब्जेक्शन करता है, तब ही शादी वॉइड की जा सकती है। दोनों के लिए शादी करना पनिशेबल नहीं है।”

“वो क्यों ऑब्जेक्ट करेगा!”

“हाँ! क्यों ही करेगा।” अजय मुस्कुराया, “लेकिन आप बताइए...”

“मैं क्या बताऊँ?”

“पैट्रिशिया भाभी का नंबर! मैं उनसे बात करूँगा... और माँ से कहूँगा कि कणिका के माँ बाप से बात करें, कि वो अपनी बेटी समझाएँ कि आप के ऊपर डोरे डालना बंद कर दे। कुछ नहीं होने वाला।”

“नहीं, मैं ही उसको समझाता हूँ। तू सही कहता है... कणिका मेरे लिए सही लड़की नहीं है और न ही मैं उसके लिए सही लड़का हूँ...”



**



प्रशांत से पैट्रिशिया का नंबर ले कर अजय ने उसको फ़ोन लगाया।

ऐसे अचानक से ही, प्रशांत के भाई का फ़ोन सुन कर उसको घोर आश्चर्य हुआ। वैसे उसका और प्रशांत का ब्रेकअप नहीं हुआ था, लेकिन कणिका के आने के बाद से दोनों में दूरियाँ आ गई थीं।

“हाय, पैट्रिशिया हियर,”

“हाय भाभी,” अजय ने चहकते हुए कहा, “आई ऍम अजय, प्रशांत का छोटा भाई!”

[इस वार्तालाप को हिंदी में अनुवाद कर के ही लिखा जाएगा]

“हेलो,” पैट्रिशिया को समझ नहीं आया कि वो प्रशांत के भाई से कैसे बात करे।

“भाभी, आपको शॉकिंग लग सकता है कि ये कौन यूँ अचानक से आ गया... लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।” उसने बताया, “और मैं आपको ‘भाभी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैं आपको आपके नाम से नहीं बुला सकता। ... हमारे कल्चर में भाभी का ओहदा माँ जैसा होता है। अगर माँ नहीं, तो बड़ी बहन तो होती ही है भाभी...”

“अजय, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपकी बात का क्या जवाब दूँ,”

“अभी आप बस सुन लीजिए... शायद प्रशांत भैया गिल्ट फ़ीलिंग्स के कारण आपसे कुछ कह न सकें, लेकिन मुझे पता है सब कुछ! इसलिए मैं आप से सब कुछ सच सच बता देना चाहता हूँ!”

“ओके...”

“भाभी, भैया आपको बहुत चाहते हैं! लेकिन हमारे मामा मामी बहुत लालची हैं। लड़का विदेश में है और यहाँ उनकी माँ के पास दौलत है, यह सोच कर उन्होंने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी प्रशांत भैया के सर मढ़ दें! वो भी इतनी मैनीपुलेटिव है कि आते ही उसने भैया का शिकार करना शुरू कर दिया... जबरदस्ती उनके सर चढ़ती चली गई। डिसेंसी के चक्कर में वो उसको मना भी न कर सके। ... मैनीपुलेट कर के कणिका ने उनके साथ सेक्स भी कर लिया... अब मारे गिल्ट के वो उसको मना नहीं कर पा रहे हैं। गले की हड्डी बन गई है कणिका - न निगल सकते हैं, और न उगल सकते हैं!”

“आई अंडरस्टैंड अजय,” पैट्रिशिया ने कहा - अजय की बातें सुन कर वो थोड़ी आश्वस्त तो हुई थी, “लेकिन प्रशांत को थोड़ा स्ट्रांग तो होना पड़ेगा न?”

“बिलकुल होना पड़ेगा। लेकिन आप इण्डिया के फैमिलिअल टाइस (पारिवारिक संबंधों) को पूरी तरह नहीं समझ रही हैं।” अजय ने समझाया, “समाज में रिस्पेक्ट पाने के लिए लोग खुद को बेच देतें हैं यहाँ!”

“व्हाट!”

“लेकिन आप उसकी चिंता न करिए! मुझे बस इतना दीजिए कि क्या आप भैया से प्यार करती हैं या नहीं? उनसे शादी करना चाहती हैं, या नहीं?”

“ऑफ़कोर्स आई लव हिम, अजय! एंड आई वांट टू मैरी हिम!” बोलते बोलते उसकी आवाज़ रुंआंसी हो गई, “आई थॉट इट वास वैरी क्लियर बिटवीन अस... लेकिन!”

“बस, इतना बहुत है भाभी! कणिका और उसकी फॅमिली को हमारी फॅमिली देख लेगी! आप बस भैया की लाइफ में वापस आ जाईए!”

“मैं कभी गई ही नहीं थी अजय... मैं अमेरिकन ज़रूर हूँ, लेकिन मेरे वैल्यू सिस्टम खराब नहीं हैं!”

“आई नो भाभी... आप उन बातों की चिंता न करिए! अगर आपके पहले रिलेशनशिप्स थे, तो भैया और कणिका के भी थे। वो कोई दूध के धोये नहीं हैं। डोंट वरी!”

“अजय... आई डोंट नो व्हाट टू से टू यू, बट यू आर आस्सम!”

“आई नो भाभी, आई नो!” अजय मुस्कुराया, “बाय भाभी!”


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Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and lovely update....
 

Utkarsh awasthi

Swagat nhi karoge hamara
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कमल ने पाया कि उसके होंठों पर माया के कोमल होंठों का गर्म एहसास बहुत ही अद्भुत था! एक अबूझ सा अपनापन! एक नादान सी घबराहट! एक अभूतपूर्व सी उत्तेजना! माया का अनुभव भी कमल के अनुभव से इतर नहीं था। अपने प्रेमी के आग्रहपूर्ण चुम्बन के ताप से वो अंदर तक पिघल गई थी।

अब तक बारिश ने दोनों को समुचित रूप से भिगो दिया था।

माया ने जो कुर्ता पहना हुआ था, उसके पीछे एक ज़िपर लगी हुई थी। वैसी ही जैसी पुरानी हिंदी फिल्मों में हिरोइनें पहनती थीं। कमल का हाथ उसके ज़िपर की फ्लाई पर उलझा और उसको नीचे करने लगा।

“क्या कर रहे हैं आप...” माया की घबराहट भरी आवाज़ निकली।

“हमने आपसे कहा है न, आज हम अपनी करेंगे!” कमल ने याद दिलाया।

“लेकिन...”

“आपको पता है न, कि हम आपकी बहुत इज़्ज़त करते हैं?”

माया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“तो फिर?”

“हमको शर्म आएगी...”

“अँधेरा है... इतनी जल्दी लाइट नहीं आने वाली।” अब तक ज़िपर माया की कमर के नीचे अपने आख़िरी सिरे तक आ गया था।

“लेकिन आप हमको नंगा क्यों करना चाहते हैं?” माया ने फुसफुसाते हुए पूछा।

“हमारी पहली बारिश है न... मन हो रहा है कि एक बार फिर से आपको यूँ पकड़ लूँ और हमारे बीच में इस बारिश के सिवा कुछ न हो!”

कमल ने कुर्ते को माया के कन्धों से अलग सरका दिया।

“आप बहुत बदमाश होते जा रहे हैं,” माया की आवाज़ उत्तेजना की घबराहट से अस्थिर हो रही थी।

आज से पहले वो ऐसी स्थितियों में कमल को नियंत्रण में रख लेती थी। लेकिन आज वो कमल को रोक नहीं पा रही थी। इस रिश्ते में वो बड़ी थी, वो समझदार थी, और वो ही ज़िम्मेदार भी थी। लेकिन आज कमल ने जिस तरह से उससे अपनी बात कही थी, उसके कारण वो उसकी अनुचरी बन गई थी। एक बार कमल को भी अपने मन की करने का होना चाहिए न! वो कमल पर विश्वास करती है। उससे प्रेम करती है। वो उसकी ही है। तो फिर चिंता किस बात की है?

“कोई बदमाशी नहीं... हम बस आपको देखना चाहते हैं और आपको अपनी बाहों में भर लेना चाहते हैं!” कमल उसके कुर्ते को नीचे करते हुए बोला, “लेकिन, बिना इन कपड़ों के!”

आज से पहले इस हालत में वो केवल अपने घर के लोगों के सामने आई थी। इसलिए घबराहट होना स्वाभाविक ही था।

माया ने चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी। भीगने के कारण वो अजीब तरीके से उसके शरीर से चिपक गई थी। वैसे भी चूड़ीदार पजामी पहनने वाले की नाप से कोई डेढ़ गुणा लम्बी होती है, जिससे चूड़ियाँ ठीक से बन सकें। इसलिए भीगी हुई पजामी उतारना आसान काम नहीं है।

कमल माया की पजामी का नाड़ा ढीला कर के उसको और उसके कुर्ते दोनों को नीचे उतारने लगा। कपड़े आसानी से उतर नहीं थे, इसलिए थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ा। इस ज़ोराज़ोरी में माया एक बार फिसल कर गिरने को हो गई,

“मैं बैठ जाती हूँ,” उसने सुझाया।

कमल ने सहमति में सर हिलाया।

माया बारिश के पानी से पूरी तरह से भीग चुकी छत की फ़र्श पर बैठ गई। और कुछ ही समय में वो केवल अपनी ब्रा और चड्ढी में उसके सम्मुख थी। वो समझ रही थी अपनी सासू माँ और ससुर जी के सामने आज उसकी बहुत बुरी भद पिटने वाली है। उसका कुर्ता और पजामी आपस में बुरी तरह उलझ गए थे। वो स्वयं पूरी तरह से भीग गई थी। ऐसे में उनके सामने कोई बहाना बना कर बच निकलना संभव नहीं था। ख़ैर, वो जब होगा, तब होगा।

फिलहाल तो उसके होने वाली पतिदेव उसके साथ अपनी मनमर्ज़ी पूरी करने को आतुर थे।

कमल ने हाथ बढ़ा कर उसकी चड्ढी भी उतार दी। माया ने अपने नितम्ब उठा कर उसका सहयोग ही किया। अँधेरे में कुछ सूझ नहीं रहा था - बस यही गनीमत थी। नहीं तो बारिश के पानी के साथ साथ वो शर्म से भी भीग जाती!

कमल उठ गया और उसने हाथ बढ़ा कर माया के हाथों को पकड़ कर उसको भी उठा दिया। वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा। यह एक आसान काम था। उसने टीशर्ट और नेकर पहनी हुई थी। दस सेकंड के अंदर अंदर वो माया के सामने पूरी तरह से नग्न खड़ा था। माया को कुछ सूझ नहीं था, लेकिन वो जान रही थी कि कमल उसके सामने निर्वस्त्र हो रहा था। इस बोध से भी वो शर्मसार हुई जा रही थी। यह एहसास उसको कभी नहीं हुआ था। तब भी नहीं जब वो अजय को नहलाने के लिए उसके कपड़े उतार देती है। किसी की बड़ी बहन होने में और किसी की पत्नी होने में यह बड़ा अंतर है!

कमल ने इस बार उसको झपट कर अपने आलिंगन में भर लिया - कुछ ऐसे कि वो चौंक गई। लेकिन कमल की अधीरता - उसके जोश को देख कर उसकी एक छोटी सी हँसी भी छूट गई। फिर उसने ‘उसको’ महसूस किया।

कमल का लिंग पूरी तरह से कठोर और ऊर्ध्व हो कर माया के पेट से चिपक गया। उसकी कठोरता और उसकी गर्मी को अपने ठन्डे भीगे शरीर पर महसूस कर के माया को झुरझुरी हो आई।

एक बार फिर से दोनों के होंठ आपस में एक चुम्बन में उलझ गए।

जब तक चुम्बन समाप्त हुआ, तब तक माया की ब्रा भी उसके शरीर से उतर चुकी थी।

माया और कमल दोनों ही, कमल की इच्छानुसार पूरी तरह से नग्न हो कर अपनी पहली बारिश में भीगने का आनंद ले रहे थे।



नीचे :

“सुनिए जी?” सरिता जी की आवाज़ अस्थिर थी।

“हम्म” किशोर जी अपनी पत्नी के चूचक को पीते हुए बोले।

“ब... बच्चे अभी... आह... अभी तक नीचे नहीं... आह... आए...” किशोर जी के लिंग के हर धक्के से उनकी आँहें निकल रही थीं।

“आप चाहती हैं कि वो अभी नीचे आ जाएँ?”

“नहीं... आह...” सरिता जी ने जैसे तैसे कहा।

“भाग्यवान?”

“जी?”

“यार...” किशोर जी ने उनसे जैसे अपने मन की बात बताते हुए कहा, “एक और बच्चा हो जाता...”

वो मुस्कुराईं, “जानते हैं आप... आह... अरे धीरे धीरे कीजिए न!”

“हाँ बताओ?”

“अपनी बहू बहुत लकी है! ... जब अशोक भाई साहब उसको लाए थे न, तब प्रियंका दीदी और किरण दीदी दोनों प्रेग्नेंट हुई थीं।”

“हाँ... वो तो है...”

“सोच रही हूँ कि सगाई वगाई नहीं, सीधे दोनों की शादी ही करवा देते हैं!”

“हा हा हा हा!”

“और क्या! क्या फालतू का झंझट है ये सब! शुभ साईत है! सीधे शादी करवाते हैं न जी, उन दोनों की! ... फिर हम सास बहू दोनों एक साथ प्रेग्नेंट होंगीं...”

“क्या मस्त आईडिया है मेरी जान!” कह कर किशोर जी ने ज़ोर का धक्का लगाया।

“आह्ह्ह... आराम से...” सरिता जी ने शिकायत करी।

“बहू छोटी है अभी! इसलिए उसका जब हो तब हो, लेकिन तुम हो जाओ न प्रेग्नेंट!”

“आप न,” सरिता जी ने बड़े ही मीठेपन से कहा, “इतना काम न किया करिए! ईश्वर ने सब कुछ दिया है। अब तो इतनी प्यारी सी बहू भी आ रही है! परिवार का आनंद उठाते हैं साथ में!”

फिर थोड़ा शरमाते हुए, “थोड़ा हम पर भी मेहनत कीजिए... हो जाएँगे हम प्रेग्नेंट!”

“हाँ भाग्यवान, हाँ!”



ऊपर :

“सुनिए?”

“हम्म्म?”

“कब तक आप मुझे यूँ पकड़े रहेंगे?”

“जब तक...”

“हम्म?”

“बताया तो,” कमल ने धीमी आवाज़ में कहा, “जब तक...”

“नीचे माँ जी और पापा जी सोच रहे होंगे कि हम यहाँ क्या कर रहे हैं!”

“अब तो वो भी समझ गए होंगे कि हम दोनों यहाँ रोमांटिक हो रहे हैं...”

“अब बस! बाकी का रोमांटिक बाद में हो लीजिएगा!” माया बोली, “नीचे चलते हैं न!”

“एक बार इनको भी किस कर लूँ?”

कमल ने कुछ कहा नहीं, लेकिन फिर भी माया समझ गई कि ‘किनको’ चूमने की बात कर रहा है कमल।

उसने ‘न’ में सर हिलाया।

अँधेरे के कारण कमल को कुछ समझा नहीं, “हम्म?”

“मैंने कहा नहीं! ... अभी नहीं... फिर कभी!”

“ओहो! मतलब आगे भी चांस है हमारा!”

“क्यों नहीं होगा?” माया इस पूरे प्रकरण में पहली बार चंचलता से बोली, “आप हमारे पतिदेव बनने वाले हैं! आपका नहीं, तो फिर किसका चांस होगा?”

कमल ने एक बार फिर से माया के होंठों को चूम लिया।

“लेकिन अभी बस,” माया ने कोमलता से समझाया, “अगर अब हम एक और कदम आगे बढ़े, तो बहक जाएँगे! ... आप भी और हम भी! इसलिए अब बस?”

माया ने एक तरह से मनुहार करते हुए उसको समझाया।

“जैसी आपकी आज्ञा!”

“आज्ञा नहीं है...” माया बोली, “अपने हस्बैंड को आज्ञा देने की हिम्मत मैं नहीं कर सकती! आप ही मेरे सब कुछ हैं। ... लेकिन हमको अपनी मर्यादा में रहना चाहिए! माँ जी और पापा जी को अच्छा नहीं लगेगा कि हमने उनके विश्वास को तोड़ दिया...”

कमल को समझ में आ गया। उसने एक गहरी साँस भरी, और समझते हुए मुस्कुराया।

बोला, “आई लव यू, हनी! एंड, थैंक यू!”

“आई लव यू टू, माय हार्ट!”

“... एंड आई लव यू बोथ,”

सरिता जी की आवाज़ सुन कर दोनों चौंके।

“आ जाओ दोनों... इतनी देर से भीग रहे हो, तबियत खराब हो जाएगी।” उन्होंने समझाया, “तौलिए लाई हूँ! शरीर पोंछ लो!”

माया शरमाते सकुचाते सरिता जी के पास आई। हाथ कंगन को आरसी क्या? कोई बहाना चिपक ही नहीं सकता था। सरिता जी ने माया को तौलिया में लपेट दिया। टाइमिंग भी गज़ब की बैठी - उसी समय बिजली भी वापस आ गई।

“शर्माने की कोई ज़रुरत नहीं है बहू,” सरिता जी ने पुनः बड़े वात्सल्य से कहा, “हम भाई साहब से बात करेंगे कि तुमको जल्दी से जल्दी हमें दे दें!”

“जी?”

“अरे मेरी भोली बिटिया, हम चाहते हैं कि तुम दोनों की शादी नवम्बर में ही हो जाए!”


**
Nice update bro
Ajay ne apne life ke se ek aur kata nikal diye karnika
Ab age kya hoga maja ayega
 

Kala Nag

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अपडेट 22


सवेरे से जो राणा साहब के यहाँ पहुँचे, अजय और उसके परिवार की वापसी शाम से पहले न हो सकी। जब रिश्तेदारी जम रही हो, तब कोई ऐसे रूखा रूखा जाने नहीं देता। राणा साहब ने भोजन का बढ़िया बंदोबस्त करवाया हुआ था। इस रविवार का दिन किसी पर्व की तरह बीता। खाना पीना कर के सभी वापस आए। रास्ते में अजय माया को कमल का नाम ले ले कर छेड़ता रहा। और समय होता, तो शायद माँ और पापा उसको यूँ करने से मना करते। लेकिन यह रिश्ता संभव हो पाया था अजय के कारण। इसलिए वो भी अजय के साथ ही इस हँसी चुहल में शामिल हो गए थे।

माया ने आज दिन भर बहुत कम बोला था, लेकिन जैसी संतुष्टि उसको आज मिली थी, वो अभूतपूर्व थी।

किसी भी पारम्परिक सोच वाली लड़की के लिए किसी की ब्याहता बनना एक सम्मान की बात होती है। यह उसको अपने जीवन में स्थापित करता है। उसको अपना संसार बसाने की अनुमति देता है। जिस स्थिति में वो कुछ सालों पहले थी, वहाँ से वो अपने लिए ऐसा भविष्य सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन वो सोचा हुआ और न सोचा हुआ - सब कुछ - अब संभव होता प्रतीत हो रहा था। उसका होने वाला ससुराल बहुत अच्छा था। अपनी होने वाली सास, सरिता जी को वो कुछ वर्षों से जानती थी और पसंद भी करती थी। सरिता जी ने आज तक उसको एक बार भी उसके निम्न जाति के होने के तथ्य को ले कर कम नहीं आँका था। वो एक अच्छी, और वात्सल्यपूर्ण महिला थीं। उनकी ममता के तले वो अपने होने वाले पति के साथ अपना भविष्य बना सकती थी।

होने वाले पति... कैसी कमाल की बात है न! वो अपने मन में भी कमल का नाम नहीं ले पा रही थी। उसने तो आज से ही कमल को ‘इनको’, ‘उनको’, ‘वो’ कहना शुरू कर दिया था। इस बात पर भी खिंचाई हुई थी माया की।

घर आ कर अशोक जी और किरण जी अपने सम्बन्धियों और मित्रों को यह ख़ुशख़बरी देने में व्यस्त हो गए।

रात में किरण जी ने प्रशांत को फ़ोन लगाया। किरण जी हमेशा से ही चाहती थीं कि उनके बच्चों में अगर किसी का ब्याह पहले हो, तो वो उनकी बेटी माया का हो। इस सम्भावना से वो बहुत प्रसन्न थीं। प्रशांत ने जब यह खबर सुनी, तो वो बहुत खुश हुआ। माया को वो बहुत स्नेह करता था। वो बाहर से आई है, इस बात से उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो बस इसी बात से खुश था कि अब उसकी एक छोटी बहन भी है। इस मामले में उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने माया को भी बहुत सारी बधाईयाँ दी। यह सब होने के बाद अजय ने फ़ोन ले लिया,

“हेल्लो भैया,”

“हेल्लो मेरे जादूगर! भाई वाह, क्या कमाल का काम किया है तूने मेरे भाई!”

“कोई कमाल वमाल नहीं है भैया,” अजय बोला, “कमल दीदी को बहुत पसंद करता है। उसने जब मुझे ये बात बताई, तो मैंने दीदी को और पापा को यह बात बोल दी। ... और पापा तो ठहरे हमारे बाप! उन्होंने कहा कि वो कमल के पापा से बात करेंगे। आज वहाँ गए, और सब फिक्स हो गया भगवान की दया से!”

“हाँ यार, भगवान की दया तो है! ... माया बहुत अच्छी बच्ची है! उसको खुश देखता हूँ न, तो बहुत अच्छा लगता है मुझे!”

“हाँ भैया, दीदी बहुत अच्छी तो हैं।”

“बहुत अच्छा किया तूने! पुण्य मिलेगा बहुत!”

“हा हा!”

“सच में!”

“अगर ऐसी बात है, तो एक और पुण्य दे दो!”

“मतलब?”

“अब मतलब भी समझाना पड़ेगा आपको?”

प्रशांत दो पल चुप रहा, फिर बोला, “यार... कल बहुत झगड़ा हुआ उससे!”

“क्यों? इग्नोर कर दिया, इसीलिए न?”

“हाँ,”

“बोला था मैंने! वो है ही वैसी! सच कह रहा हूँ भैया, एक बार चूत ले ली का मतलब ये नहीं कि उम्र भर अपनी मरवाओ!”

“हा हा! स्साले, कैसा बोलता है अपने बड़े भाई से!”

“गलत कह रहा हूँ क्या?”

“नहीं, गलत तो नहीं है...”

“भैया, सही साथी का होना ज़िन्दगी को आसान कर देता है। ... कणिका जैसी है, वो आपका जीना दुश्वार कर देगी। सच कह रहा हूँ!”

“आई नो,” प्रशांत ने गहरी सांस ले कर कहा, “उसका एक बड़ा एक्साम्पल मिल गया है मुझे कल ही!”

“आपको पैट्रिशिया अच्छी लगती हैं न? आप उनसे बात करो न?”

“अरे यार! बेवकूफ़ी के चक्कर में मैंने उसको अपने से दूर कर दिया!”

“क्या भैया! बेवकूफ़ी सुधारी भी जा सकती है।”

“कैसे?”

“आप मुझे पैट्रिशिया का नंबर दीजिये। मैं उनसे बात करूँगा...”

“यार ये क्या बात हुई! मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“मैं ऐसा ही हूँ!”

“हा हा हा! कब से?” प्रशांत ने हँसते हुए कहा, “लेकिन एक बात कहूँ अज्जू... तू वाकई चेंज हो गया है। बहुत ही बदल गया है तेरा बिहैवियर...”

“आई नो! मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो गई है!”

“हा हा हा हा! मोक्ष... हा हा हा हा!”
“हाँ... हँस लो!”

“अच्छा, एक बात बता... इन दोनों की शादी कब हो रही है?”

“मैं तो चाहता हूँ कि जल्दी से जल्दी हो जाए!”

“हम्म... लेकिन कमल की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा?”

“क्या भैया! पता नहीं हम हिन्दुस्तानियों को पढ़ाई को ले कर कौन सा रोग लगा हुआ है। कमल को कौन सा आईएएस बनना है? पास होना है न, मैं करवा दूँगा! केवल पास नहीं, फर्स्ट डिवीज़न में, विद डिस्टिंक्शन!”

“हा हा! सही है!”

“और माया दीदी समझदार हैं। वो कमल को बहकने नहीं देंगी!” अजय ने हँसते हुए कहा, “वो उसको एनफ मोटिवेट कर के रखेंगी। नो पढ़ाई, नो सेक्स!”

“हा हा हा हा! तू भी न! ... अरे मैं वो नहीं कह रहा हूँ! लेकिन शादी के बाद ब्रेक चाहिए होता है न!”

“भैया, माँ और पापा ने बताया था कि नवम्बर में ही डेट निकलेगी।”

“हम्म्म,”

“तो या तो उसमें सगाई कर लो, या फिर शादी...”

“हम्म्म,”

“नवम्बर में कर लेंगे, तो हनीमून के लिए विंटर वेकेशंस तो हैं हीं!”

“लेकिन दोनों शादी कर तो सकते हैं? या कि नहीं? वो अभी इक्कीस का हुआ नहीं होगा!”

“नहीं हुआ है, लेकिन दोनों एडल्ट्स हैं। ऐसे में शादी हो सकती है। बाद में कमल अगर कोई ऑब्जेक्शन करता है, तब ही शादी वॉइड की जा सकती है। दोनों के लिए शादी करना पनिशेबल नहीं है।”

“वो क्यों ऑब्जेक्ट करेगा!”

“हाँ! क्यों ही करेगा।” अजय मुस्कुराया, “लेकिन आप बताइए...”

“मैं क्या बताऊँ?”

“पैट्रिशिया भाभी का नंबर! मैं उनसे बात करूँगा... और माँ से कहूँगा कि कणिका के माँ बाप से बात करें, कि वो अपनी बेटी समझाएँ कि आप के ऊपर डोरे डालना बंद कर दे। कुछ नहीं होने वाला।”

“नहीं, मैं ही उसको समझाता हूँ। तू सही कहता है... कणिका मेरे लिए सही लड़की नहीं है और न ही मैं उसके लिए सही लड़का हूँ...”



**



प्रशांत से पैट्रिशिया का नंबर ले कर अजय ने उसको फ़ोन लगाया।

ऐसे अचानक से ही, प्रशांत के भाई का फ़ोन सुन कर उसको घोर आश्चर्य हुआ। वैसे उसका और प्रशांत का ब्रेकअप नहीं हुआ था, लेकिन कणिका के आने के बाद से दोनों में दूरियाँ आ गई थीं।

“हाय, पैट्रिशिया हियर,”

“हाय भाभी,” अजय ने चहकते हुए कहा, “आई ऍम अजय, प्रशांत का छोटा भाई!”

[इस वार्तालाप को हिंदी में अनुवाद कर के ही लिखा जाएगा]

“हेलो,” पैट्रिशिया को समझ नहीं आया कि वो प्रशांत के भाई से कैसे बात करे।

“भाभी, आपको शॉकिंग लग सकता है कि ये कौन यूँ अचानक से आ गया... लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।” उसने बताया, “और मैं आपको ‘भाभी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैं आपको आपके नाम से नहीं बुला सकता। ... हमारे कल्चर में भाभी का ओहदा माँ जैसा होता है। अगर माँ नहीं, तो बड़ी बहन तो होती ही है भाभी...”

“अजय, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपकी बात का क्या जवाब दूँ,”

“अभी आप बस सुन लीजिए... शायद प्रशांत भैया गिल्ट फ़ीलिंग्स के कारण आपसे कुछ कह न सकें, लेकिन मुझे पता है सब कुछ! इसलिए मैं आप से सब कुछ सच सच बता देना चाहता हूँ!”

“ओके...”

“भाभी, भैया आपको बहुत चाहते हैं! लेकिन हमारे मामा मामी बहुत लालची हैं। लड़का विदेश में है और यहाँ उनकी माँ के पास दौलत है, यह सोच कर उन्होंने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी प्रशांत भैया के सर मढ़ दें! वो भी इतनी मैनीपुलेटिव है कि आते ही उसने भैया का शिकार करना शुरू कर दिया... जबरदस्ती उनके सर चढ़ती चली गई। डिसेंसी के चक्कर में वो उसको मना भी न कर सके। ... मैनीपुलेट कर के कणिका ने उनके साथ सेक्स भी कर लिया... अब मारे गिल्ट के वो उसको मना नहीं कर पा रहे हैं। गले की हड्डी बन गई है कणिका - न निगल सकते हैं, और न उगल सकते हैं!”

“आई अंडरस्टैंड अजय,” पैट्रिशिया ने कहा - अजय की बातें सुन कर वो थोड़ी आश्वस्त तो हुई थी, “लेकिन प्रशांत को थोड़ा स्ट्रांग तो होना पड़ेगा न?”

“बिलकुल होना पड़ेगा। लेकिन आप इण्डिया के फैमिलिअल टाइस (पारिवारिक संबंधों) को पूरी तरह नहीं समझ रही हैं।” अजय ने समझाया, “समाज में रिस्पेक्ट पाने के लिए लोग खुद को बेच देतें हैं यहाँ!”

“व्हाट!”

“लेकिन आप उसकी चिंता न करिए! मुझे बस इतना दीजिए कि क्या आप भैया से प्यार करती हैं या नहीं? उनसे शादी करना चाहती हैं, या नहीं?”

“ऑफ़कोर्स आई लव हिम, अजय! एंड आई वांट टू मैरी हिम!” बोलते बोलते उसकी आवाज़ रुंआंसी हो गई, “आई थॉट इट वास वैरी क्लियर बिटवीन अस... लेकिन!”

“बस, इतना बहुत है भाभी! कणिका और उसकी फॅमिली को हमारी फॅमिली देख लेगी! आप बस भैया की लाइफ में वापस आ जाईए!”

“मैं कभी गई ही नहीं थी अजय... मैं अमेरिकन ज़रूर हूँ, लेकिन मेरे वैल्यू सिस्टम खराब नहीं हैं!”

“आई नो भाभी... आप उन बातों की चिंता न करिए! अगर आपके पहले रिलेशनशिप्स थे, तो भैया और कणिका के भी थे। वो कोई दूध के धोये नहीं हैं। डोंट वरी!”

“अजय... आई डोंट नो व्हाट टू से टू यू, बट यू आर आस्सम!”

“आई नो भाभी, आई नो!” अजय मुस्कुराया, “बाय भाभी!”


**
वाव अजय अब गाड़ी का गियर खूब तेजी से बदल रहा है l कारण समझ सकता हूँ l खैर अगर वह सबकी जिंदगी संवार रहा है तो जाहिर है उसकी जिंदगी, अब बहुत खास होने वाली है l
 

kamdev99008

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सूचना :

मित्रों, काम के सिलसिले में मैं देश से बाहर रहूँगा कुछ दिन (कोई दो सप्ताह)!
अगला अपडेट उसके बाद ही मिलेगा।

धैर्य बनाए रखें :)
अपडेट देकर बाद में धमाका कर दिया
कोई बात नहीं, अच्छा है आपने पहले ही सूचित कर दिया
अब मुझे भी सोचने समझने के लिए कुछ समय मिल जायेगा
आपकी यात्रा मंगलमय हो यही प्रार्थना है ईश्वर से
 

Kala Nag

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अपडेट 23


अजय को ‘वापस’ आए हुए कोई एक महीना हो गया था।

उसको यकीन हो गया था कि अब यही उसका जीवन है। जवानी का जोश और ज़िन्दगी के थपेड़ों से मिली हुई सीख - इन दोनों के मेल से उसको अपना और दूसरों का भविष्य सुधारना है। यही उसका मिशन था।

एक बात थी जो उसने नोटिस करी - अब उसके जीवन में जो हो रहा था, वो सब कुछ ‘पिछले’ जीवन में ज़रूरी नहीं था कि हो रहा हो। मतलब हर बात की हूबहू पुनरावृत्ति नहीं हो रही थी। सामान्य तौर पर देखें, तो लोग वही थे, कम्पनियाँ वही थीं, घटनाएँ वही थीं। लेकिन हर बात में थोड़ा बहुत अंतर अवश्य था। एक छोटा सा उदाहरण देता हूँ। अजय को याद था कि जब उसने बारहवीं की पढ़ाई शुरू करी थी, तब उसको पेट में किसी इन्फेक्शन के कारण दो दिन अस्पताल में बिताने पड़े थे। उसके बाद से उसने अपनी दिनचर्या बदल दी थी। उस परिवर्तन के कारण अजय का भूतकाल बदल गया था, लिहाज़ा, उसको इस बार इन्फेक्शन नहीं हुआ। एक और परिवर्तन था - जहाँ शशि मैम को वो अपने पूर्व जीवन में भी जानता था, उसको श्रद्धा मैम की कोई याद नहीं थी। मतलब इस जीवन में आ कर भविष्य बदल तो रहा था।

जो बड़े परिवर्तन थे वो उसके अपनों के जीवन में थे।

कमल और माया का संग तो ख़ैर अब स्थापित हुआ ही हुआ समझना चाहिए। उसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा।

उधर कणिका के घर से भयंकर वितंडावाद हुआ। उसके मम्मी पापा ने दिल्ली आकर खूब झगड़ा, गाली गलौज, और बदतमीज़ियाँ करीं। कुछ कुछ रागिनी जैसी यादें ताज़ा हो आईं। किरण जी को उन्होंने धमकाया भी उन्होंने कि वो प्रशांत पर कणिका का रेप करने का केस कर देंगे। लेकिन फिर अजय ने उनको उल्टा पट्टी पढ़ाई कि यहाँ तो घण्टा कुछ होने वाला है उस केस का। प्रशांत भैया अमेरिकन हो गए थे, इसलिए भारत के कानून उन पर लागू नहीं थे। और कणिका स्वयं शिकागो की पुलिस के पास कोई रिपोर्ट इसलिए नहीं दर्ज़ कर रही थी क्योंकि वहाँ की पुलिस यहाँ के जैसी कामचोर पुलिस नहीं है। वो पूरी तफ़्तीश करते हैं। वैसे भी अनेकों गवाह थे जो बता सकते थे कि कणिका खुद प्रशांत के गले मढ़ी थी और उसका उल्लू काट रही थी। दोनों में सेक्स हुआ था - इस बात से किसी को इंकार नहीं था, लेकिन वो दोनों की रज़ामंदी से हुआ था। जो वारदात शिकागो में हुई है, उसका न्याय या अन्याय यहाँ दिल्ली में नहीं हो सकता था।

यह जान कर कणिका के माँ बाप को मिर्च तो बहुत लगी, लेकिन वो उस मिर्च के निवारण के लिए कुछ कर नहीं सकते थे। अपना सा मुँह ले कर वापस चले गए। हाँ - कुछ सम्बन्धियों से अजय के परिवार के रिश्ते अवश्य बिगड़ गए इस घटना के बाद। प्रशांत भैया उन सम्बन्धियों के यहाँ सर्टिफाइड रेपिस्ट, ठरकी, और बदचलन इत्यादि नामों से जाने जाने लगे। उसके लिए कणिका ‘बेचारी’ और ‘अबला’ थी, जिसका शोषण हुआ था। अशोक जी और अजय पर इस बात का कोई ख़ास प्रभाव नहीं हुआ। किरण जी पर भी प्रभाव हुआ, क्योंकि वो प्रशांत की माँ थीं। ख़ैर, कड़वी दवाई अभी पी लेने का यह लाभ हुआ कि आगे ज़हर नहीं पीना पड़ेगा।

कणिका के बाहर निकलने से प्रशांत के जीवन में पैट्रिशिया के वापस आने का मार्ग प्रशस्त हो गया।


**


दिल्ली में बारिश का मौसम आ गया था और रह रह कर झमाझम बारिश होती रहती थी।

इस एक महीने में अजय के मुताबिक बहुत सी बातें हो गईं थीं। सबसे पहली बात, जो सबसे महत्वपूर्ण थी, वो यह थी कि कमल और माया एक दूसरे को जानने और समझने लगे थे। कमल की माया के लिए जो मोहब्बत थी, वो बड़ी सच्ची और कोमल तरीक़े की थी - जैसा कि अजय को पहले से ही मालूम था। किशोर राणा जी की इच्छानुसार माया रोज़ ही कमल के घर चली जाती, और उनके और सरिता जी के साथ रामायण का पाठ करती। यह पूजा पाठ एक बहाना था, जिससे माया अपने भविष्य के ‘घर’ के बारे में ठीक से जान सके, और समय आने पर उसका उचित तरीके से सञ्चालन कर सके।

ऐसा नहीं है कि माया की उपस्थिति में कमल का दिल मचलता नहीं था। खूब मचलता था, लेकिन माया उसको प्रेमपूर्वक और आदरपूर्वक स्वयं पर नियंत्रण रखने को प्रोत्साहित करती रहती थी।

फिर भी अंतरंगता के कोमल क्षण स्वयं ही उपस्थित हो जाते थे।

एक बार सरिता जी ने अनुरोध कर के माया को घर पर रोक लिया और अजय के वहाँ इत्तला कर दी कि आज ‘बहू’ वहीं रहेगी। अच्छी बात थी। जैसा कि आज से कई वर्षों पूर्व सामान्य बात थी, रात में बिजली गुल हो गई। शायद बारिश के आसार बन रहे थे, इस कारण से बिजली विभाग ने पहले से ही बिजली काट दी। बादल उमड़ घुमड़ रहे थे, इसलिए माया बँगले की दूसरी मंज़िल की छत पर आ कर ठंडी बयार का आनंद लेने लगी। कमल वहाँ पहले से ही उपस्थित था।

कमल ने अँधेरे में भी माया के आकार को पहचान लिया। उसको देख कर उसके होंठों पर मुस्कान आ गई। जब से माया उसके जीवन में आई थी, तब से एक अलग ही तरीक़े का सुकून आ गया था उसके मन में! सभी मित्रों को यह बात पता चल गई थी कि अजय की बहन और कमल की शादी तय हो गई है। कुछ लोग इस बात से उसको चिढ़ाते भी थे, और अनेकों लोग इसी बात से चिढ़ते और उससे ईर्ष्या भी करते थे। लेकिन सच्चा प्रेम करने वालों को इस बात की परवाह नहीं होती कि अन्य लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। कमल इस बात से संतुष्ट था और बहुत प्रसन्न भी था कि एक बहुत ही अच्छी लड़की उसकी जीवनसंगिनी बनेगी!

अँधेरे में अंतरंगता बढ़ जाती है, क्योंकि शायद शर्म और झिझक थोड़ी कम हो जाती है।

उसने अपनी दोनों बाहें फैला कर माया को मूक आमंत्रण दिया।

माया एक पल को झिझकी, लेकिन अपने प्रिय की बाहों में कौन लड़की नहीं समां जाना चाहती? शर्म और झिझक भरे चार पाँच क़दम और वो कमल के आलिंगन में समां गई। पहला आलिंगन! दोनों को एक दूसरे के शरीरों की गर्माहट और कोमलता के एहसास से आनंद आ गया। माया के परफ्यूम की महक कमल के इस एहसास को और भी बढ़ा रही थी और आनंदातिरेक में कमल ने उसको अपनी बाहों में और भी समेट लिया।

ठीक उसी समय बारिश भी शुरू हो गई। रिमझिम रिमझिम! ठंडी! कोमल ठंडी बयार के साथ!

कुछ ही बूँदें गिरी होंगी, कि मिट्टी से सोंधी सोंधी महक आने लगी।

इस महक के पीछे का विज्ञान अगर जानेंगे, तो आपको वो एहसास कत्तई ग़ैररोमांटिक लगने लगेगा। लेकिन प्रेम को समझने के लिए, विज्ञान की समझ होना आवश्यक नहीं।

माया बोली, “भीग जाएँगे... अंदर चलें?”

“नहीं,” कमल ने कहा, “आज हम आपकी नहीं सुनेंगे... आज हम अपनी करेंगे!”

कमल की आवाज़ कोई परिपक्व नहीं थी, लेकिन उसमें एक दृढ़ता थी... और एक कोमलता भी! दृढ़ता - माया के पुरुष की और कोमलता उसके प्रेमी की। उसकी बाहों में वो लरज गई।

“क्या करना चाहते हैं आप?”

“आपको किस...”


**


उसी समय, घर के ग्राउंड फ्लोर पर,



सरिता जी : “बच्चे छत पर हैं! भीग जायेंगे...”

किशोर जी : “अरे भाग्यवान, छोड़ दीजिए उनको कभी कभी! ... पहली बारिश है उनकी साथ में... थोड़ा मज़ा लेने दीजिए उनको भी! या भूल गईं हमारी जवानी की बातें!”

“हाहाहा... आप भी न!” सरिता जी अपने ‘मधुमास’ को याद कर के शर्मा गईं।

जब दोनों का विवाह हुआ था, तब सरिता जी बहुत बड़ी नहीं थीं। वैसे भी, उनके समाज में लड़कियाँ बहुत समय तक अनब्याही नहीं रहती हैं। किशोर जी उनसे दस वर्ष बड़े थे। उस मामले में थोड़ी बेमेल जोड़ी थी यह। लेकिन दोनों के बीच तीव्र आसक्ति और समयानुसार अगाध प्रेम था। विवाह के बाद उनका ‘मधुमास’ कोई चार महीने चला। किशोर जी बड़े थे, लेकिन ऐसी चुलबुली पत्नी पा कर वो भी छोटे हो गए। दोनों के अंतरंग खेल अपने कमरे की सीमा में ही नहीं होते थे, बल्कि जहाँ भी दोनों को अवसर मिलता, वो वहीं शुरू हो जाते थे। कई बार दोनों को इस व्यवहार के कारण किशोर जी के माँ बाप ने घुड़का था। लेकिन दोनों में कोई सुधार या बदलाव नहीं आया था। चार महीने में सरिता जी की कोख में कमल आ गया था और अपने नियत समय में उन्होंने उसको जन्म भी दिया।

वंश का चिराग आने से सभी लोग प्रसन्न थे। लेकिन बाद में सरिता जी घर परिवार में, और किशोर जी व्यवसाय और व्यापार में ऐसे व्यस्त हुए कि ‘वैसे’ खेलने का अवसर ही नहीं मिला। सरिता जी दो बार पुनः गर्भवती हुईं, लेकिन किन्ही अबूझ कारणों से वो पुनः माँ नहीं बन सकीं।

“मैं तो इसलिए कह रही थी कि कहीं बारिश में भीग कर तबियत न खराब हो जाए दोनों की!”

“अरे तो हो जाए ख़राब! डॉक्टर बुलवा लेंगे हम! ... चिंता मत कीजिए…”

कहते हुए किशोर जी ने सरिता जी को अपनी बाहों में समेट लिया और उनको चूमते हुए उनकी ब्लाउज़ के बटन खोलने लगे। सरिता जी बमुश्किल छत्तीस वर्ष की हुई थीं। वो अभी भी आकर्षक थीं और उनका चुलबुलापन कम नहीं हुआ था। लिहाज़ा, जब भी दोनों को अवसर मिलता, सम्भोग अवश्य करते।


**
बढ़िया बहुत बढ़िया
हर तरफ जीवन संवर रही है
कहीं यही परिवर्तन कोई नयी समस्या को जन्म ना दे
खैर विधि ने अजय को मौका दिया है जिसका अजय ने भरपुर उपयोग किया है पर क्या जीवन इतना सरल हो पाएगा l यह प्रश्न मन में उठ रहा है
 

Kala Nag

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अपडेट 24


ऊपर :


कमल ने पाया कि उसके होंठों पर माया के कोमल होंठों का गर्म एहसास बहुत ही अद्भुत था! एक अबूझ सा अपनापन! एक नादान सी घबराहट! एक अभूतपूर्व सी उत्तेजना! माया का अनुभव भी कमल के अनुभव से इतर नहीं था। अपने प्रेमी के आग्रहपूर्ण चुम्बन के ताप से वो अंदर तक पिघल गई थी।

अब तक बारिश ने दोनों को समुचित रूप से भिगो दिया था।

माया ने जो कुर्ता पहना हुआ था, उसके पीछे एक ज़िपर लगी हुई थी। वैसी ही जैसी पुरानी हिंदी फिल्मों में हिरोइनें पहनती थीं। कमल का हाथ उसके ज़िपर की फ्लाई पर उलझा और उसको नीचे करने लगा।

“क्या कर रहे हैं आप...” माया की घबराहट भरी आवाज़ निकली।

“हमने आपसे कहा है न, आज हम अपनी करेंगे!” कमल ने याद दिलाया।

“लेकिन...”

“आपको पता है न, कि हम आपकी बहुत इज़्ज़त करते हैं?”

माया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“तो फिर?”

“हमको शर्म आएगी...”

“अँधेरा है... इतनी जल्दी लाइट नहीं आने वाली।” अब तक ज़िपर माया की कमर के नीचे अपने आख़िरी सिरे तक आ गया था।

“लेकिन आप हमको नंगा क्यों करना चाहते हैं?” माया ने फुसफुसाते हुए पूछा।

“हमारी पहली बारिश है न... मन हो रहा है कि एक बार फिर से आपको यूँ पकड़ लूँ और हमारे बीच में इस बारिश के सिवा कुछ न हो!”

कमल ने कुर्ते को माया के कन्धों से अलग सरका दिया।

“आप बहुत बदमाश होते जा रहे हैं,” माया की आवाज़ उत्तेजना की घबराहट से अस्थिर हो रही थी।

आज से पहले वो ऐसी स्थितियों में कमल को नियंत्रण में रख लेती थी। लेकिन आज वो कमल को रोक नहीं पा रही थी। इस रिश्ते में वो बड़ी थी, वो समझदार थी, और वो ही ज़िम्मेदार भी थी। लेकिन आज कमल ने जिस तरह से उससे अपनी बात कही थी, उसके कारण वो उसकी अनुचरी बन गई थी। एक बार कमल को भी अपने मन की करने का होना चाहिए न! वो कमल पर विश्वास करती है। उससे प्रेम करती है। वो उसकी ही है। तो फिर चिंता किस बात की है?

“कोई बदमाशी नहीं... हम बस आपको देखना चाहते हैं और आपको अपनी बाहों में भर लेना चाहते हैं!” कमल उसके कुर्ते को नीचे करते हुए बोला, “लेकिन, बिना इन कपड़ों के!”

आज से पहले इस हालत में वो केवल अपने घर के लोगों के सामने आई थी। इसलिए घबराहट होना स्वाभाविक ही था।

माया ने चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी। भीगने के कारण वो अजीब तरीके से उसके शरीर से चिपक गई थी। वैसे भी चूड़ीदार पजामी पहनने वाले की नाप से कोई डेढ़ गुणा लम्बी होती है, जिससे चूड़ियाँ ठीक से बन सकें। इसलिए भीगी हुई पजामी उतारना आसान काम नहीं है।

कमल माया की पजामी का नाड़ा ढीला कर के उसको और उसके कुर्ते दोनों को नीचे उतारने लगा। कपड़े आसानी से उतर नहीं थे, इसलिए थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ा। इस ज़ोराज़ोरी में माया एक बार फिसल कर गिरने को हो गई,

“मैं बैठ जाती हूँ,” उसने सुझाया।

कमल ने सहमति में सर हिलाया।

माया बारिश के पानी से पूरी तरह से भीग चुकी छत की फ़र्श पर बैठ गई। और कुछ ही समय में वो केवल अपनी ब्रा और चड्ढी में उसके सम्मुख थी। वो समझ रही थी अपनी सासू माँ और ससुर जी के सामने आज उसकी बहुत बुरी भद पिटने वाली है। उसका कुर्ता और पजामी आपस में बुरी तरह उलझ गए थे। वो स्वयं पूरी तरह से भीग गई थी। ऐसे में उनके सामने कोई बहाना बना कर बच निकलना संभव नहीं था। ख़ैर, वो जब होगा, तब होगा।

फिलहाल तो उसके होने वाली पतिदेव उसके साथ अपनी मनमर्ज़ी पूरी करने को आतुर थे।

कमल ने हाथ बढ़ा कर उसकी चड्ढी भी उतार दी। माया ने अपने नितम्ब उठा कर उसका सहयोग ही किया। अँधेरे में कुछ सूझ नहीं रहा था - बस यही गनीमत थी। नहीं तो बारिश के पानी के साथ साथ वो शर्म से भी भीग जाती!

कमल उठ गया और उसने हाथ बढ़ा कर माया के हाथों को पकड़ कर उसको भी उठा दिया। वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा। यह एक आसान काम था। उसने टीशर्ट और नेकर पहनी हुई थी। दस सेकंड के अंदर अंदर वो माया के सामने पूरी तरह से नग्न खड़ा था। माया को कुछ सूझ नहीं था, लेकिन वो जान रही थी कि कमल उसके सामने निर्वस्त्र हो रहा था। इस बोध से भी वो शर्मसार हुई जा रही थी। यह एहसास उसको कभी नहीं हुआ था। तब भी नहीं जब वो अजय को नहलाने के लिए उसके कपड़े उतार देती है। किसी की बड़ी बहन होने में और किसी की पत्नी होने में यह बड़ा अंतर है!

कमल ने इस बार उसको झपट कर अपने आलिंगन में भर लिया - कुछ ऐसे कि वो चौंक गई। लेकिन कमल की अधीरता - उसके जोश को देख कर उसकी एक छोटी सी हँसी भी छूट गई। फिर उसने ‘उसको’ महसूस किया।

कमल का लिंग पूरी तरह से कठोर और ऊर्ध्व हो कर माया के पेट से चिपक गया। उसकी कठोरता और उसकी गर्मी को अपने ठन्डे भीगे शरीर पर महसूस कर के माया को झुरझुरी हो आई।

एक बार फिर से दोनों के होंठ आपस में एक चुम्बन में उलझ गए।

जब तक चुम्बन समाप्त हुआ, तब तक माया की ब्रा भी उसके शरीर से उतर चुकी थी।

माया और कमल दोनों ही, कमल की इच्छानुसार पूरी तरह से नग्न हो कर अपनी पहली बारिश में भीगने का आनंद ले रहे थे।



नीचे :

“सुनिए जी?” सरिता जी की आवाज़ अस्थिर थी।

“हम्म” किशोर जी अपनी पत्नी के चूचक को पीते हुए बोले।

“ब... बच्चे अभी... आह... अभी तक नीचे नहीं... आह... आए...” किशोर जी के लिंग के हर धक्के से उनकी आँहें निकल रही थीं।

“आप चाहती हैं कि वो अभी नीचे आ जाएँ?”

“नहीं... आह...” सरिता जी ने जैसे तैसे कहा।

“भाग्यवान?”

“जी?”

“यार...” किशोर जी ने उनसे जैसे अपने मन की बात बताते हुए कहा, “एक और बच्चा हो जाता...”

वो मुस्कुराईं, “जानते हैं आप... आह... अरे धीरे धीरे कीजिए न!”

“हाँ बताओ?”

“अपनी बहू बहुत लकी है! ... जब अशोक भाई साहब उसको लाए थे न, तब प्रियंका दीदी और किरण दीदी दोनों प्रेग्नेंट हुई थीं।”

“हाँ... वो तो है...”

“सोच रही हूँ कि सगाई वगाई नहीं, सीधे दोनों की शादी ही करवा देते हैं!”

“हा हा हा हा!”

“और क्या! क्या फालतू का झंझट है ये सब! शुभ साईत है! सीधे शादी करवाते हैं न जी, उन दोनों की! ... फिर हम सास बहू दोनों एक साथ प्रेग्नेंट होंगीं...”

“क्या मस्त आईडिया है मेरी जान!” कह कर किशोर जी ने ज़ोर का धक्का लगाया।

“आह्ह्ह... आराम से...” सरिता जी ने शिकायत करी।

“बहू छोटी है अभी! इसलिए उसका जब हो तब हो, लेकिन तुम हो जाओ न प्रेग्नेंट!”

“आप न,” सरिता जी ने बड़े ही मीठेपन से कहा, “इतना काम न किया करिए! ईश्वर ने सब कुछ दिया है। अब तो इतनी प्यारी सी बहू भी आ रही है! परिवार का आनंद उठाते हैं साथ में!”

फिर थोड़ा शरमाते हुए, “थोड़ा हम पर भी मेहनत कीजिए... हो जाएँगे हम प्रेग्नेंट!”

“हाँ भाग्यवान, हाँ!”



ऊपर :

“सुनिए?”

“हम्म्म?”

“कब तक आप मुझे यूँ पकड़े रहेंगे?”

“जब तक...”

“हम्म?”

“बताया तो,” कमल ने धीमी आवाज़ में कहा, “जब तक...”

“नीचे माँ जी और पापा जी सोच रहे होंगे कि हम यहाँ क्या कर रहे हैं!”

“अब तो वो भी समझ गए होंगे कि हम दोनों यहाँ रोमांटिक हो रहे हैं...”

“अब बस! बाकी का रोमांटिक बाद में हो लीजिएगा!” माया बोली, “नीचे चलते हैं न!”

“एक बार इनको भी किस कर लूँ?”

कमल ने कुछ कहा नहीं, लेकिन फिर भी माया समझ गई कि ‘किनको’ चूमने की बात कर रहा है कमल।

उसने ‘न’ में सर हिलाया।

अँधेरे के कारण कमल को कुछ समझा नहीं, “हम्म?”

“मैंने कहा नहीं! ... अभी नहीं... फिर कभी!”

“ओहो! मतलब आगे भी चांस है हमारा!”

“क्यों नहीं होगा?” माया इस पूरे प्रकरण में पहली बार चंचलता से बोली, “आप हमारे पतिदेव बनने वाले हैं! आपका नहीं, तो फिर किसका चांस होगा?”

कमल ने एक बार फिर से माया के होंठों को चूम लिया।

“लेकिन अभी बस,” माया ने कोमलता से समझाया, “अगर अब हम एक और कदम आगे बढ़े, तो बहक जाएँगे! ... आप भी और हम भी! इसलिए अब बस?”

माया ने एक तरह से मनुहार करते हुए उसको समझाया।

“जैसी आपकी आज्ञा!”

“आज्ञा नहीं है...” माया बोली, “अपने हस्बैंड को आज्ञा देने की हिम्मत मैं नहीं कर सकती! आप ही मेरे सब कुछ हैं। ... लेकिन हमको अपनी मर्यादा में रहना चाहिए! माँ जी और पापा जी को अच्छा नहीं लगेगा कि हमने उनके विश्वास को तोड़ दिया...”

कमल को समझ में आ गया। उसने एक गहरी साँस भरी, और समझते हुए मुस्कुराया।

बोला, “आई लव यू, हनी! एंड, थैंक यू!”

“आई लव यू टू, माय हार्ट!”

“... एंड आई लव यू बोथ,”

सरिता जी की आवाज़ सुन कर दोनों चौंके।

“आ जाओ दोनों... इतनी देर से भीग रहे हो, तबियत खराब हो जाएगी।” उन्होंने समझाया, “तौलिए लाई हूँ! शरीर पोंछ लो!”

माया शरमाते सकुचाते सरिता जी के पास आई। हाथ कंगन को आरसी क्या? कोई बहाना चिपक ही नहीं सकता था। सरिता जी ने माया को तौलिया में लपेट दिया। टाइमिंग भी गज़ब की बैठी - उसी समय बिजली भी वापस आ गई।

“शर्माने की कोई ज़रुरत नहीं है बहू,” सरिता जी ने पुनः बड़े वात्सल्य से कहा, “हम भाई साहब से बात करेंगे कि तुमको जल्दी से जल्दी हमें दे दें!”

“जी?”

“अरे मेरी भोली बिटिया, हम चाहते हैं कि तुम दोनों की शादी नवम्बर में ही हो जाए!”


**
अरे यार यह बहुत अभूत रही
नीचे सास ससुर और ऊपर बेटा बहु
मजा आ गया
माया बहुत ही संयम से काम लिया और कमल को मनवा भी लिया
बहुत ही बढ़िया उपस्थापन था
 

dhparikh

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अपडेट 22


सवेरे से जो राणा साहब के यहाँ पहुँचे, अजय और उसके परिवार की वापसी शाम से पहले न हो सकी। जब रिश्तेदारी जम रही हो, तब कोई ऐसे रूखा रूखा जाने नहीं देता। राणा साहब ने भोजन का बढ़िया बंदोबस्त करवाया हुआ था। इस रविवार का दिन किसी पर्व की तरह बीता। खाना पीना कर के सभी वापस आए। रास्ते में अजय माया को कमल का नाम ले ले कर छेड़ता रहा। और समय होता, तो शायद माँ और पापा उसको यूँ करने से मना करते। लेकिन यह रिश्ता संभव हो पाया था अजय के कारण। इसलिए वो भी अजय के साथ ही इस हँसी चुहल में शामिल हो गए थे।

माया ने आज दिन भर बहुत कम बोला था, लेकिन जैसी संतुष्टि उसको आज मिली थी, वो अभूतपूर्व थी।

किसी भी पारम्परिक सोच वाली लड़की के लिए किसी की ब्याहता बनना एक सम्मान की बात होती है। यह उसको अपने जीवन में स्थापित करता है। उसको अपना संसार बसाने की अनुमति देता है। जिस स्थिति में वो कुछ सालों पहले थी, वहाँ से वो अपने लिए ऐसा भविष्य सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन वो सोचा हुआ और न सोचा हुआ - सब कुछ - अब संभव होता प्रतीत हो रहा था। उसका होने वाला ससुराल बहुत अच्छा था। अपनी होने वाली सास, सरिता जी को वो कुछ वर्षों से जानती थी और पसंद भी करती थी। सरिता जी ने आज तक उसको एक बार भी उसके निम्न जाति के होने के तथ्य को ले कर कम नहीं आँका था। वो एक अच्छी, और वात्सल्यपूर्ण महिला थीं। उनकी ममता के तले वो अपने होने वाले पति के साथ अपना भविष्य बना सकती थी।

होने वाले पति... कैसी कमाल की बात है न! वो अपने मन में भी कमल का नाम नहीं ले पा रही थी। उसने तो आज से ही कमल को ‘इनको’, ‘उनको’, ‘वो’ कहना शुरू कर दिया था। इस बात पर भी खिंचाई हुई थी माया की।

घर आ कर अशोक जी और किरण जी अपने सम्बन्धियों और मित्रों को यह ख़ुशख़बरी देने में व्यस्त हो गए।

रात में किरण जी ने प्रशांत को फ़ोन लगाया। किरण जी हमेशा से ही चाहती थीं कि उनके बच्चों में अगर किसी का ब्याह पहले हो, तो वो उनकी बेटी माया का हो। इस सम्भावना से वो बहुत प्रसन्न थीं। प्रशांत ने जब यह खबर सुनी, तो वो बहुत खुश हुआ। माया को वो बहुत स्नेह करता था। वो बाहर से आई है, इस बात से उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो बस इसी बात से खुश था कि अब उसकी एक छोटी बहन भी है। इस मामले में उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने माया को भी बहुत सारी बधाईयाँ दी। यह सब होने के बाद अजय ने फ़ोन ले लिया,

“हेल्लो भैया,”

“हेल्लो मेरे जादूगर! भाई वाह, क्या कमाल का काम किया है तूने मेरे भाई!”

“कोई कमाल वमाल नहीं है भैया,” अजय बोला, “कमल दीदी को बहुत पसंद करता है। उसने जब मुझे ये बात बताई, तो मैंने दीदी को और पापा को यह बात बोल दी। ... और पापा तो ठहरे हमारे बाप! उन्होंने कहा कि वो कमल के पापा से बात करेंगे। आज वहाँ गए, और सब फिक्स हो गया भगवान की दया से!”

“हाँ यार, भगवान की दया तो है! ... माया बहुत अच्छी बच्ची है! उसको खुश देखता हूँ न, तो बहुत अच्छा लगता है मुझे!”

“हाँ भैया, दीदी बहुत अच्छी तो हैं।”

“बहुत अच्छा किया तूने! पुण्य मिलेगा बहुत!”

“हा हा!”

“सच में!”

“अगर ऐसी बात है, तो एक और पुण्य दे दो!”

“मतलब?”

“अब मतलब भी समझाना पड़ेगा आपको?”

प्रशांत दो पल चुप रहा, फिर बोला, “यार... कल बहुत झगड़ा हुआ उससे!”

“क्यों? इग्नोर कर दिया, इसीलिए न?”

“हाँ,”

“बोला था मैंने! वो है ही वैसी! सच कह रहा हूँ भैया, एक बार चूत ले ली का मतलब ये नहीं कि उम्र भर अपनी मरवाओ!”

“हा हा! स्साले, कैसा बोलता है अपने बड़े भाई से!”

“गलत कह रहा हूँ क्या?”

“नहीं, गलत तो नहीं है...”

“भैया, सही साथी का होना ज़िन्दगी को आसान कर देता है। ... कणिका जैसी है, वो आपका जीना दुश्वार कर देगी। सच कह रहा हूँ!”

“आई नो,” प्रशांत ने गहरी सांस ले कर कहा, “उसका एक बड़ा एक्साम्पल मिल गया है मुझे कल ही!”

“आपको पैट्रिशिया अच्छी लगती हैं न? आप उनसे बात करो न?”

“अरे यार! बेवकूफ़ी के चक्कर में मैंने उसको अपने से दूर कर दिया!”

“क्या भैया! बेवकूफ़ी सुधारी भी जा सकती है।”

“कैसे?”

“आप मुझे पैट्रिशिया का नंबर दीजिये। मैं उनसे बात करूँगा...”

“यार ये क्या बात हुई! मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“मैं ऐसा ही हूँ!”

“हा हा हा! कब से?” प्रशांत ने हँसते हुए कहा, “लेकिन एक बात कहूँ अज्जू... तू वाकई चेंज हो गया है। बहुत ही बदल गया है तेरा बिहैवियर...”

“आई नो! मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो गई है!”

“हा हा हा हा! मोक्ष... हा हा हा हा!”
“हाँ... हँस लो!”

“अच्छा, एक बात बता... इन दोनों की शादी कब हो रही है?”

“मैं तो चाहता हूँ कि जल्दी से जल्दी हो जाए!”

“हम्म... लेकिन कमल की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा?”

“क्या भैया! पता नहीं हम हिन्दुस्तानियों को पढ़ाई को ले कर कौन सा रोग लगा हुआ है। कमल को कौन सा आईएएस बनना है? पास होना है न, मैं करवा दूँगा! केवल पास नहीं, फर्स्ट डिवीज़न में, विद डिस्टिंक्शन!”

“हा हा! सही है!”

“और माया दीदी समझदार हैं। वो कमल को बहकने नहीं देंगी!” अजय ने हँसते हुए कहा, “वो उसको एनफ मोटिवेट कर के रखेंगी। नो पढ़ाई, नो सेक्स!”

“हा हा हा हा! तू भी न! ... अरे मैं वो नहीं कह रहा हूँ! लेकिन शादी के बाद ब्रेक चाहिए होता है न!”

“भैया, माँ और पापा ने बताया था कि नवम्बर में ही डेट निकलेगी।”

“हम्म्म,”

“तो या तो उसमें सगाई कर लो, या फिर शादी...”

“हम्म्म,”

“नवम्बर में कर लेंगे, तो हनीमून के लिए विंटर वेकेशंस तो हैं हीं!”

“लेकिन दोनों शादी कर तो सकते हैं? या कि नहीं? वो अभी इक्कीस का हुआ नहीं होगा!”

“नहीं हुआ है, लेकिन दोनों एडल्ट्स हैं। ऐसे में शादी हो सकती है। बाद में कमल अगर कोई ऑब्जेक्शन करता है, तब ही शादी वॉइड की जा सकती है। दोनों के लिए शादी करना पनिशेबल नहीं है।”

“वो क्यों ऑब्जेक्ट करेगा!”

“हाँ! क्यों ही करेगा।” अजय मुस्कुराया, “लेकिन आप बताइए...”

“मैं क्या बताऊँ?”

“पैट्रिशिया भाभी का नंबर! मैं उनसे बात करूँगा... और माँ से कहूँगा कि कणिका के माँ बाप से बात करें, कि वो अपनी बेटी समझाएँ कि आप के ऊपर डोरे डालना बंद कर दे। कुछ नहीं होने वाला।”

“नहीं, मैं ही उसको समझाता हूँ। तू सही कहता है... कणिका मेरे लिए सही लड़की नहीं है और न ही मैं उसके लिए सही लड़का हूँ...”



**



प्रशांत से पैट्रिशिया का नंबर ले कर अजय ने उसको फ़ोन लगाया।

ऐसे अचानक से ही, प्रशांत के भाई का फ़ोन सुन कर उसको घोर आश्चर्य हुआ। वैसे उसका और प्रशांत का ब्रेकअप नहीं हुआ था, लेकिन कणिका के आने के बाद से दोनों में दूरियाँ आ गई थीं।

“हाय, पैट्रिशिया हियर,”

“हाय भाभी,” अजय ने चहकते हुए कहा, “आई ऍम अजय, प्रशांत का छोटा भाई!”

[इस वार्तालाप को हिंदी में अनुवाद कर के ही लिखा जाएगा]

“हेलो,” पैट्रिशिया को समझ नहीं आया कि वो प्रशांत के भाई से कैसे बात करे।

“भाभी, आपको शॉकिंग लग सकता है कि ये कौन यूँ अचानक से आ गया... लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।” उसने बताया, “और मैं आपको ‘भाभी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैं आपको आपके नाम से नहीं बुला सकता। ... हमारे कल्चर में भाभी का ओहदा माँ जैसा होता है। अगर माँ नहीं, तो बड़ी बहन तो होती ही है भाभी...”

“अजय, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपकी बात का क्या जवाब दूँ,”

“अभी आप बस सुन लीजिए... शायद प्रशांत भैया गिल्ट फ़ीलिंग्स के कारण आपसे कुछ कह न सकें, लेकिन मुझे पता है सब कुछ! इसलिए मैं आप से सब कुछ सच सच बता देना चाहता हूँ!”

“ओके...”

“भाभी, भैया आपको बहुत चाहते हैं! लेकिन हमारे मामा मामी बहुत लालची हैं। लड़का विदेश में है और यहाँ उनकी माँ के पास दौलत है, यह सोच कर उन्होंने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी प्रशांत भैया के सर मढ़ दें! वो भी इतनी मैनीपुलेटिव है कि आते ही उसने भैया का शिकार करना शुरू कर दिया... जबरदस्ती उनके सर चढ़ती चली गई। डिसेंसी के चक्कर में वो उसको मना भी न कर सके। ... मैनीपुलेट कर के कणिका ने उनके साथ सेक्स भी कर लिया... अब मारे गिल्ट के वो उसको मना नहीं कर पा रहे हैं। गले की हड्डी बन गई है कणिका - न निगल सकते हैं, और न उगल सकते हैं!”

“आई अंडरस्टैंड अजय,” पैट्रिशिया ने कहा - अजय की बातें सुन कर वो थोड़ी आश्वस्त तो हुई थी, “लेकिन प्रशांत को थोड़ा स्ट्रांग तो होना पड़ेगा न?”

“बिलकुल होना पड़ेगा। लेकिन आप इण्डिया के फैमिलिअल टाइस (पारिवारिक संबंधों) को पूरी तरह नहीं समझ रही हैं।” अजय ने समझाया, “समाज में रिस्पेक्ट पाने के लिए लोग खुद को बेच देतें हैं यहाँ!”

“व्हाट!”

“लेकिन आप उसकी चिंता न करिए! मुझे बस इतना दीजिए कि क्या आप भैया से प्यार करती हैं या नहीं? उनसे शादी करना चाहती हैं, या नहीं?”

“ऑफ़कोर्स आई लव हिम, अजय! एंड आई वांट टू मैरी हिम!” बोलते बोलते उसकी आवाज़ रुंआंसी हो गई, “आई थॉट इट वास वैरी क्लियर बिटवीन अस... लेकिन!”

“बस, इतना बहुत है भाभी! कणिका और उसकी फॅमिली को हमारी फॅमिली देख लेगी! आप बस भैया की लाइफ में वापस आ जाईए!”

“मैं कभी गई ही नहीं थी अजय... मैं अमेरिकन ज़रूर हूँ, लेकिन मेरे वैल्यू सिस्टम खराब नहीं हैं!”

“आई नो भाभी... आप उन बातों की चिंता न करिए! अगर आपके पहले रिलेशनशिप्स थे, तो भैया और कणिका के भी थे। वो कोई दूध के धोये नहीं हैं। डोंट वरी!”

“अजय... आई डोंट नो व्हाट टू से टू यू, बट यू आर आस्सम!”

“आई नो भाभी, आई नो!” अजय मुस्कुराया, “बाय भाभी!”


**
Nice update....
 
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