• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६

कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
भाग १५४

वापसी की तैयारी
 
Last edited:

anvesharonny

Member
232
497
63
I fully agree but i am aware about this issue, anything with INCEST tag in the story is likely to garner million eyeballs just because of the tag,... and erotica is shunned, in the erotica category there are only three stories which have more than 1 million views ( two of them are mine , this one and mohe rang de) but in the incest tag there are dozens and dozens.

I am not aware about any forum where they had published my original version. You need not give the link but may be can share the name if moderators permit and they dont permit they will certainly delete it . So i have a handful of readers but they are my friends and lovers of this genre. I have nothing against incest as a genre but preference of most of the readers as you mentioned is clear. Now, after your suggestion, may be as i am reaching here the place where monologue happened and i too like that, so may be i will share it in this story itself, ( not as a part of story but with a footnote and history and i am sure my readers will appreciate it. ) Thanks again. But meanwhile my story is being threatened by some problem in this forum which i had mentioned before and i use a lappy with a very convoluted way of writing. I type in google internet tools in Hindi save in MS word, check it and then from there after opening this forum transfer it from MS word and if their are some suggestions and i want to incorporate again i make changes. I have created a library of jpg,png and gif ( mostly non-erotic) and from there pic pictures to add.


and i am not very smart in typing on smart phones so please have a look
Search jkg on titbut they have some old stories of exbii.Try using opera browser with vpn,and use xforum instead of exforum.ms word on mobile phone doesn't allow to post in Hindi fonts.
 

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
भाग १५४

वापसी की तैयारी



और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।
और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।

जैसा तय था ,एक दो दिन पहले ही इनकी किशोर बहन ,मेरी ननद गुड्डी रानी मेरे गाँव ,

शुक्रवार को ,

मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।



मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,..




वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।

मैंने आने वाले ११ दिन बाद के शुक्रवार को , लाल रंग से घेर दिया।


दिया ने जेठानी को ब्लाउज दे दिया था , वही जिसकी नाप कल दिया ने मॉल में दिलवाया था और बाद में सिल कर दिया को मिला था।

हाँ ब्रा नहीं दिया ,लेकिन उस ब्लाउज के साथ ब्रा पहनी भी नहीं जा सकती थी। सिर्फ दो ढाई इंच की पट्टी मुश्किल से ,पीछे से एकदम बैकलेस बस एक पतली सी डोरी , आगे से भी बस जेठानी के भारी भारी गदराये उभारों को बस जैसे वो सपोर्ट कर रही थी , निप्स भी आधे दिख रख थे। पूरा क्लीवेज , सब उभार का कड़ापन ,कटाव ,शेप साइज ,सब कुछ।

जेठानी अपना वो ब्लाउज पहन ही रहे थीं की बाहर हंसने खिलखिलाने की आवाज सुनाई पड़ी ,
गुड्डी और उसके भइया ,मेरे सैंया।

तब मुझे याद आया की वो दोनों सामान पैक करने गए थे ,पता नहीं कुछ सामान छोड़ न दिया हो और अब चलने का भी टाइम हो रहा था।

" हे ऊपर खाली चुम्मा चाटी अपने भैय्या के साथ कर रही थी या पैकिंग भी ,.. "

" देखिये ना ,आपका सारा सामान ,.. " गुड्डी हँसते हुए बोली।



सच में मेरा सूटकेस इनके हाथ में था और बैग भी था।

" और तेरे कपडे ,... तू भी तो अपना सामान पैक करके लायी थी न सुबह ,..तेरे कपडे . " मैंने गुड्डी को याद दिलाया।

और जवाब कमरे के अंदर से आया ,दिया और गुड्डी की बड़की भाभी एक साथ हँसते बोलीं ,

" ये क्या करेगी कपडे , ... इसके भैय्या इसको कपडे पहनने देंगे तब न। "

" क्यों इसी लिए कपडे यहीं छोड़ के चल रही थी ,.. " मैं क्यों अपनी ननद को छेड़ने का मौक़ा छोड़ देती।

गुड्डी बिचारी ,... जोर से ब्लश किया उसने ,और उसके ब्लश करते गालों को चूमने का मौका कौन भाभी छोड़ देती।

तो मैंने चूम लिया और ऊपर अपने कमरे में ,लेकिन मेरा मन कही और था।



अगर मेरी इस दुष्ट जेठानी की चाल चल गयी होती ,
तो मुस्कराती खिलखलाती मेरी ननद और मेरे सैयां ,.... दोनों के मुंह लटके होते। सिर्फ इस बार नहीं हमेशा के लिए दोनों के मिलने का चांस ख़तम हो जाता ,जो वो जब से हाईस्कूल में आयी ,तब से उसकी कच्ची अमियों को देख के ललचा रहे थे ,वो सब बस ,

एक बार अगर मेरी जेठानी मेरी सासु को पटा लेती और वो गुड्डी के घर वालों को मना कर देतीं तो फिर हम लाख कोशिश कर लेते , ...गुड्डी यहीं पढ़ती और जेठानी की ताबेदार बन के , .. मेरी कभी हिम्मत नहीं पड़ती न जेठानी से आँखे मिलाने की न गुड्डी से।

और ये बिचारे , मैं कितने दिनों से इन्हे चिढ़ा भी रही थी , चढ़ा भी थी की मैं अपनी ननद के ऊपर इन्हे चढ़ा के ही मानूंगी ,... वो सब ख्याल ख्याल ही रह जाता।

लेकिन सब मेरी जेठानी का प्लान धरा का धरा रह गयामेरे साजन की इतने दिनों की चाहत अब पूरी होनेवाली है ,बेचारी जेठानी।

और ये सब दिया का करा धरा था , उसकी प्लानिंग एकदम पक्की।

मम्मी ने मुझे वार्न भी किया था की अगर मैं गुड्डी को ले कर चली भी जाउंगी तो जब तक मैं जेठानी का कोई पक्का इंतजाम नहीं करुँगी , तो वो बाद में भी ,...


और दिया ने मुझे पूरा भरोसा दिलाया ,... वो तो रहेगी न यहां।





और जिस तरह चम्पा बाई के कोठे वाला उसने प्लान रचा , खुद जेठानी के मोबाईल से और फेसबुक पर भी , अब जेठानी जाल में पूरी तरह फंसी थी।
मैं ऊपर अपने कमरे में पहुँच गयी थी।

सच में गुड्डी और इन्होने पैकिंग पूरी तरह की थी , गुड्डी के सूटकेस के अलावा कुछ भी नहीं था।

लेकिन मेरा दिमाग जेठानी में लगा था , ये जरूरी था की ११ दिन बाद शुक्रवार को वो चंपा बाई के कोठे पर एक बार , ... लेकिन उसके लिए जरूरी था की मेरी सास मम्मी के साथ , ११ दिन बाद शुक्रवार को दोपहर तक हम लोगों के घर पहुँच जाए , तभी तो।



मम्मी भी मेरी,


किस तरह सास को उन्होंने शीशे में उतारा ,...





चिढ़ाती तो वो पहले से थीं इनको मादरचोद कह के और मुझसे उन्होंने बोला था की इसे बहनचोद बनाने की जिम्मेदारी तेरी है,

तो मैं क्यों पीछे रहती मैं ने भी उन्हें चढ़ा दिया


"लेकिन ठीक है मम्मी ,उसके बाद मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी आपकी। "

 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
मेरी सास, इनकी सास




"लेकिन ठीक है मम्मी ,उसके बाद मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी आपकी। "

……

और उसके बाद तो ,मैं भूल नहीं सकती सुबह सुबह ,मम्मी जब निकलने वाली थी और उसके दो दिन बाद हम लोगों को यहां आना था।

मम्मी ने अपनी समधन को पटा तो लिया ही था की जब वो तीरथ से लौटेंगी तो मेरी मम्मी मेरी ससुराल जाएंगी और उन्हें लेकर हम लोगों के पास आएँगी लेकिन उस दिन तो उन्होंने हद कर दी ,मेरी सास से साफ साफ कबुलवा लिया की जब वो आएँगी तो ,..

एक एक बात याद थी मुझे और उस के पहले वाली रात तो सास दामाद की जबरदस्त रात भर कुश्ती भी हुयी थी , पूरे चार राउंड। इसलिए ये भी पूरे मूड में ,


जैसे मैं बिस्तर पर अक्सर गुड्डी बनकर इनसे ,..

उसी तरह उस दिन उनकी सास, सारी रात मेरी सास बन कर इनके साथ ,मिमिक तो वो पक्की थीं, एकदम मेरी सास की आवाज अंदाज में





सुबह सुबह।

और फोन उस दिन मेरी सास का ही आया था , रोज सुबह सुबह ब्रेकफास्ट के समय दोनों समधनों के बीच ऐसे संवाद होते थे की मस्तराम मात। और वो भी स्पीकर फोन ऑन कर के , ... और ये भी अपनी माँ की 'अच्छी अच्छी बाते ' खूब कान पार कर ,रस ले ले कर सुनते।

लेकिन उस दिन तो फोन उनकी माँ ,मेरी सास का ही आया ,पहले

" देर हो गयी आज , लगता है रात भर खूब मूसल चला ओखली में। " उधर से मेरी सास की आवाज आयी ,



( आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था )
बात एकदम सही थी , मेरी सास का सिक्स्थ सेन्स गजब का था।
तीर एकदम निशाने पर लगा ,मैं और वो मॉम की ओर देख के मुस्कराने लगे। पर मॉम कौन सी कम थी ,पलटी मार के उन्होंने उल्टा हमला बोला।
" अरे घबड़ाती क्यों हैं , कुछ दिन की तो बात है , ले आउंगी न आपको यहाँ पे , फिर आपकी ओखल में भी दिन रात वही वाला मोटा मूसल चलेगा यहां पर। " मॉम बोली।
" अरे नेकी और पूछ पूछ , आपके मुंह में घी शक्कर , कब आएगा वो दिन , बहुत दिन से मेरी ओखल उपवास कर रही है। "

मेरी सास की खिलखलाती हुयी आवाज उधर से आयी।


" अरे वो मूसल भी बेताब हो रहा है आपकी ओखल की सेवा करने के लिए , "
खिलखिलाते हुए मॉम बोलीं और उनका आधा सोया आधा जागा मूसल उनके शार्ट से बाहर निकाल के रगड़ने मसलने लगीं।



" बहुत लंबा मोटा है मूसल आपकी आवाज सुन के खड़ा ,कड़ा हो रहा है। " अपने दामाद को छेडते ,चिढाते मम्मी अपनी समधन से बोली।


" अरे रात भर आपने लन्ड घोंटा है आपको मालुम होगा कितना मोटा ,कितना कड़ा ,... और मेरी ओखल लंबे मोटे से नहीं डरती अगर मेरी समधन ने घोंट लिया है तो मैं भी घोंट लुंगी , निचोड़ के रख दूंगी उसको। "

हंसती हुयी मेरी सास की आवाज आयी और उन्होंने संवाद का लेवल एक लेवल और बढ़ाया।



" देखूंगी ताकत आपकी , अपने हाथ से पकड़ के मोटा मूसल आपके भोंसडे में घुंसवाऊँगी , और फिर आप लाख मना करे ,चीखें चिल्लाएं , अपने मोटे मोटे चूतड़ पटकें ,बिना आपको दो बार झाड़े ,झड़ने वाला लन्ड नहीं है ये। " मम्मी ने भी उसी तरह जवाब दिया।

कुछ समधनों की बात चीत का असर , कुछ मम्मी की जादुई उँगलियों का ,उनका लन्ड एकदम मोटा ,पूरा ७ इंच का खड़ा कड़ा ,ताजादम हो गया था।
मम्मी ने एकझटके में खींच के सुपाड़ा भी खोल दिया और खूब मोटा ,गुलाबी भूखा सुपाड़ा बाहर।

" अरे मैं काहें मना करुँगी , मैं तो खुद घोंटने के लिए बेताब हूँ , और अच्छा हुआ आपने पहले चख के ट्राई कर के देख लिया छोटे पतले में मुझे तो पता ही नहीं चलेगा , जिस भोंसड़ी से दो दो बच्चे बाहर निकल चुके हों ,न जाने कितने अंदर बाहर हो चुके हों तो उसको तो लंबा मोटा ही ,... "
लेकिन मेरी सास की बात काटते हुए ,मम्मी ने जोर से उनके लन्ड को मुठियाते अपनी समधन को भरोसा दिलाया ,

" गारंटी मेरी , आपको गौने की रात याद आ जाएगी ,ऐसे हचक हचक के , ... एकदम कड़क है। चलिए आपको इसकी फोटो भेजती हूँ आपके व्हाट्सएप्प पर फिर देख कर बोलियेगा, हाँ पसन्द आये तो जरूर दो चुम्मी लीजियेगा उस मूसल की। "




टेक्नीकल असिस्टेंस तो मैं थी ही ,झट से मॉम के मोबाइल से उनके कड़े लन्ड की मैंने दो तीन फोटुएं खींची ,एक पगलाए बौराये सुपाड़े का क्लोज भी और अपनी सास को व्हाट्सएप्प कर दिया, उन्ही के बेटे के फोन से
३०-४० सेकेण्ड तक उधर से कोई नहीं आयी लगता है सासु जी उनके लन्ड का दर्शन करने में बिजी थीं ,और तभी दो मुआ मुआह ,..चुम्मियों की जबरदस्त आवाज आयी।

" पसन्द आया न " मम्मी ने पूछा।
" बहुत ,बस अब तो मन कर रहा है की कब अंदर घोटूं इसे। " सासु की बेचैन आवाज आयी।



" बस आप तीरथ से लौट आइये , और हाँ वहां पंडों से खूब दबवाइयेगा ,मसलवाइयेगा लेकिन नीचे की कुठरिया पर खबरदार ,... अब तो वहां यहीं ,... आप जिसदिन लौटेंगी अगले दिन मैं आपके पास और उसके अगले दिन हम दोनों यहां बस ,... "

मम्मी ने इनकी माँ के लिए पूरा प्रोग्राम बना दिया।

" एकदम ,.. हँसते हुए मेरी सास बोलीं , और पंडों की बात आपने एकदम सही कही ,तीर्थ का तो वो भी एक मजा है और बिना दबाये मसले , मीजे रगड़े तो वो छोड़ते भी नहीं है , लेकिन आप पक्का ,बल्कि जिस दिन मैं लौटूंगी उसी दिन आप आइये न और अगले दिन आपके साथ चल दूंगी। " मेरी सास हँसते हुए बोली।





मेरी मम्मी भी ,उस दिन तो उन्होंने लिमिट क्रास कर दी , सीधे इनसे बात करवा दी , और ये बिचारे
 

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
मेरे साजन, मेरी सास



मेरी मम्मी भी ,उस दिन तो उन्होंने लिमिट क्रास कर दी , सीधे इनसे बात करवा दी , और ये बिचारे

" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये " मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।

वो शर्मा सकुचा रहे थे लेकिन मेरी सास ने इशारे में ही अपनी बात कह दी ,

" तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "

हंसते हुए मेरी सास बोलीं।



मैं समझ रही थी किस सेवा की बात हो रहे है ,समझ तो ये भी रहे थे लेकिन थोड़े झिझक रहे थे।

इसलिए कमान मैंने अपने हाथ में ले ली , फोन पर पहले मैंने प्रणाम किया फिर चालू हो गयी ,



" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी , ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ," मैं बोली




" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी , मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... " वो हँसते हुए बोलीं।

" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। " मैं भी हँसते हुए बोली।

सास का मन बार बार कह रहा था उनसे बात करने को ,उनसे बात करते बोली

"अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना , वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी। अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "


वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,

" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। " मैंने हँसते खिलखलाते बोला।



मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।

" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , तीरथ से लौटने पर । "




जिस रात मेरी सास निकलने वाली थीं , उस रात तो मम्मी ने सीधे अपने दामाद से ही फोन करवाया , मेरी सास और जेठ के घर से ठीक निकलने के पहले। और वो भी ,उन्होंने मेरी सास से तीन तिरबाचा भरवाया की तीरथ से लौटने के अगले दिन ही वो हमारे घर ,और सास ने हामी भी भर ली।

लेकिन फिर उनकी सास यानी मेरी मम्मी मैदान में और उनके हाथ से फोन लेकर अपनी समधन के साथ चालू हो गयीं


" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "

कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।



लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,

" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,... कर लूंगी। :"

" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , " मम्मी ने गुजारिश की।

" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। " मेरी सास हंस के बोलीं।

" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ," मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।

वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर , और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,

" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है। बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "


सारी बातें फ्लैश बैक की तरह मेरे दिमाग में चल रही थीं।

"तेरी सास से अभी अभी बात हुयी है। इस शुक्रवार को नहीं अगले शुक्रवार को ,इसके एक दिन पहले ही मैं आ जाउंगी ,उस दिन उन्होंने कुछ तीर्थ से लौटने के बाद की पूजा वूजा रखी है , बहुत दिनों से समधियाने गयी भी नहीं हूँ। बस अगले दिन सुबह ही उन्हें लेकर चल दूंगी , तीन घंटे कार से लगता है तेरे यहां पहुँचने पर। दिन का खाना तुम लोगों के साथ ,अपने मूसलचंद से ही बनवाना। "

मम्मी ने मुझे फोन पे बताया।



यही तो मैं चाहती थी ,यही दिन चम्पा बाई के साथ तय हुआ था जेठानी का।
हाँ मम्मी ने ये भी मुझे समझाया की निकलने के पहले मैं भी एक बार अपनी सास से बात कर लूँ , और इनसे भी बात करवा दूँ।



तो अब इनका मादरचोद बनना पक्का।
 

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
गुड्डी के कपडे



तो अब इनका मादरचोद बनना पक्का।





गुड्डी का सूटकेस खोल कर मैं चेक कर रही थी। मैंने उससे बोला था की अपनी हाईस्कूल की यूनिफार्म, दो -चार रख ले। उसने दो नहीं चार ही रखी थी।

दो मतलब था मेरा ,उस ड्रेस में उसके टेनिस बाल साइज बूब्स खूब छलक के बाहर आते और दूसरे जब वो मेरी छुटकी ननदिया की कच्ची अमिया देख के ललचाये थे पहली बार तो वो तो हाईस्कूल में ही तो थी।

लेकिन मेरे मन में एक शरारत सूझी ,गुड्डी के सूटकेस में रखी सारी ब्रा पैंटी मैंने निकाल के बाहर कर दी।



कच्ची जवानी वाली उमर की ननद, बाला जोबन ,

अरे दिखाने उभारने की उम्र है उसकी या छिपाने की।

यही नहीं , हाईस्कूल के टॉप में उन गदराये उभारों को घुसने में अब थोड़ी मुश्किल तो होती ही ,इसलिए मैंने सारे टॉप्स के ऊपर के दो दो बटन तोड़ दिए ,सिर्फ एक बटन के सहारे

थोड़ा दिखाओ , बल्कि ज्यादा दिखाओ

थोड़ा छिपाओ।



और गुड्डी का सूटकेस लेके मैं नीचे। एक बार फिर जेठानी के कमरे में ,बस अब हम लोगों को निकलना था। शाम होने वाली थी।दिया गुड्डी और जेठानी ,जेठानी के कमरे में थीं और ये बाहर। मैंने इनको गुड्डी का भी सूटकेस पकड़ा दिया , और चिढ़ाया भी ,

" हे बहुत जल्दी में हो। बहिनी पर चढ़ने की बहुत जल्दी हो रही है क्या ?"

गाडी में उन्होंने बाकी सामान पहले ही रख दिया था , मुस्कराते झिझकते गुड्डी का सूटकेस लेकर वो जल्दी से बाहर निकल गए।

जेठानी के कमरे में घुसते ही मुझे याद आया , कुछ समान मेरा जेठानी के कमरे में भी था।

अलमारी से दोनों डिलडो ,८ इंच,जिससे मैंने जेठानी की गांड फाड़ी थी और दस इंच वाला जिससे सुबह सुबह जेठानी की गांड हचक हचक के मारी गयी थी ,मैंने निकाले और मुस्करा के जेठानी को दिखाया ,

"क्यों दीदी याद है इनकी , ... "



वो झिझकी और शर्माने लगी।

" हे भाभी ,घोंटते समय तो बहुत मस्ती से चीख चीख कर गांड में ले रही थीं और अब ,... " दिया ने चिढ़ाया और मेरे हाथ से दोनों डिलडो ले लिए।

" हे तू ही रख ले , क्या पता कब जेठानी जी का मन कर जाए " मैंने दिया को डिलडो दे दिया।





" हे तू ही रख ले , क्या पता कब जेठानी जी का मन कर जाए " मैंने दिया को डिलडो दे दिया।" एकदम भाभी , आगे से कोई मर्द चढ़ेगा तो पीछे से उनकी ननद , इस दस इंची वाली से , अरे इत्ती मस्त गांड हो और मारी न जाए ,बिचारी भौजी इतनी मुश्किल से अपने गाँव से अपनी गांड कोरी बचा के ले आयी थीं। "



" और क्या तभी तो इनके देवर ने कल रात हचक हचक के मारी इनकी ,मेरे मोबाइल में पूरा वीडियो है। " गुड्डी छेड़ते बोली।



पर अब जेठानी भी मजाक के मूड में थी ,वो गुड्डी के पीछे पड़ गयीं।

" अरे मेरी वही देवर आज तेरी लेंगे , कल सुबह फोन से पूछूँगी तेरी सोनचिरैया की हाल ,जब चारा खा लेगी तो उसकी फोटो खींच के व्हाट्सएप करना। "





पर गुड्डी भी अब उसकी हिम्मत खुल गयी थी ,मजे से जवाब देते बोली ,

" अरे हमार भौजी, ,चिरैया है तो चारा तो खायेगी ही । बिचारी कब तक उपवास रखेगी " गुड्डी ने जेठानी के गाल पर चिकोटी काटते चिढ़ाया।

तभी मुझे याद आया मम्मी ने दो बार दुहराया था ,चलने से पहले अपनी सास भोंसड़ी वाली से बात कर लेना और याद दिला देना मेरे दामाद का मोटा मूसल उसकी ओखली में धमाधम चलेगा।

और मैंने सासु माँ को फोन लगाया , मुझे भी इंश्योर करना था की वो अगले शुक्रवार को ये घर छोड़ दें , तभी तो इन जेठानी का परमानेंट इंतजाम हो पायेगा।

 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259
प्रोग्राम और ट्रेन






तभी मुझे याद आया मम्मी ने दो बार दुहराया था ,चलने से पहले अपनी सास भोंसड़ी वाली से बात कर लेना और याद दिला देना मेरे दामाद का मोटा मूसल उसकी ओखली में धमाधम,...

आदर से प्रणाम करने के बाद मैंने दुःख भी व्यक्त किया की मैं उनसे नहीं मिल पा रही हूँ , उनके आने के पहले जा रही हूँ ,इनकी नौकरी का चक्कर। पर मम्मी से हुयी बात का असर उन पर अभी भी था ,चहकते हुए बोलीं ,

" चलो कोई बात नहीं तेरी मम्मी से बात हो गयी है , वो आएँगी अपने समधियाने अगले बिफय को , तीरथ के बाद जो पूजा रखी है उसमें बुलाया है मैंने उन्हें। अगले दिन सुबह उन्ही के साथ आउंगी तेरे यहां ,शुक्रवार को। अभी तो गाडी पता नहीं कहाँ खड़ी है ,बियाबान में। आगे कोई एक्सीडेंट हो गया है इसलिए घूम का रही है। पहले तो था की कल सुबह नौ दस बजे तक पहुँच जाएंगी पर अभी तेरे जेठ नीचे से पता कर के आए हैं कल शाम हो जायेगी ,आठ नौ बजेगा रात को। "



html img cover

जेठानी इशारे से पूछ रही थीं मेरी सास और उनके पति कब तक आयंगे मैंने भी इशारे से बताया कल रात आठ नौ बजे के पहले नहीं।

दिया जेठानी के मोबाइल पर चालू हो गयी। उसकी उंगलिया थिरक रही थी , वो कुछ टेक्स्ट कर रही थी।

तब तक ये भी आ गए , और सासु माँ ने भी उनको ऐन मौके पर याद किया ,

बस फोन मैंने इनको पकड़ा दिया।
और फोन पकड़ते ही उन्होंने मेरे मन की बात अपनी माँ से कह दी ,

" शुक्रवार को आप आनेवाली हैं न ,जरूर आइयेगा , ये नहीं की कोई आखिरी मिनट पर कोई बहाना वहाना ,.. "


उनकी बात काटते हुए वो बोलीं ,

"पक्का आउंगी , अरे तेरी सास एक दिन पहले ही आ रही हैं ,उन्ही के साथ। शुक्रवार को दिन में खाना तुम्ही लोगों के साथ खाउंगी। "
वो कुछ बोल पाते उसके पहले उनके दिल की बात मेरी सास ने खुद सुना दी,

" और हाँ मुझे सब पता चल गया है ,तेरी सास ने एक एक बात ,... बड़ी अच्छी हैं तेरी सास। तूने बहुत सेवा की है न अपने सास की ,मुझे सब पता चल गया है। तो बस सोच ले उसकी दूनी सेवा करवाउंगी तुझसे ,जैसे अपनी सास की की थी न , वैसी ही , अबकी मेरी बहू की सास की करनी होगी तुझे। "




html img cover

मैं कान पारे सुन रही थी उनके बस का तो था नहीं जवाब देना ,मैंने ही बोला ,

" एकदम बस आप अगले शुक्रवार को आ जाइये उसके बाद आगे की चिंता अपनी समधन और बहु पर छोड़ दीजिये। करेंगे कैसे नहीं , उनसे भी ज्यादा करेंगे , दिन रात दोनों टाइम। बस शक्रवार को पक्का। "



html img cover

जेठानी और दिया दोनों के चेहरे पर सुकून आ गया की अब जेठानी के प्रोग्राम में कोई चेंज नहीं होने वाला।

पर जेठानी खुद इंश्योर करना चाहती थी तो फोन उन्होंने मांग लिया।

" कब तक आएँगी ,... आप " उन्होंने पूछा।



html img cover

मैंने जेठानी को स्पीकर फोन ऑन करके फोन दिया था।और सासु माँ ने वही बोलजो मैं सुन चुकी थी
और दिया और जेठानी साफ़ साफ़ सुनना चाहती थीं।

" अरे यी रेल वाले ,गाड़ी गिराते ज्यादा हैं चलाते कम हैं। अरे जल्दी से जल्दी पहुंचेगी तो कल ९ बजे के बाद ही रात में पहुंचेगी। "मेरी और जेठानी की सासू माँ ठंडी सांस ले के बोलीं।

दिया ने कुछ लड़को की फोटो अपने मोबाइल से मेरी जेठानी को दिखाई और अंगूठे ऊँगली का गोल घेरा बना के ,उसमे एक ऊँगली अंदर बाहर करते ,चुदाई का इंटरनेशल सिंबल दिखाया ,और जेठानी भी अब पूरे जोश में थीं ,वो क्यों पीछे रहती , कमर के धक्के पर धक्के दिखा के उन्होंने ननद के छेड़ने का जबरदस्त जवाब दिया।


पर अभी असली बात बाकी थी और वो सासु जी ने खुद ही बता दिया।

" और हाँ अगले हफ्ते बृहस्पति को पूजा होगी , तीरथ से लौटने की हमार समधन भी आएँगी। तो अगले दिन हम भिनसारे निकल जाएंगे उनके साथ ,तोहरे देवर के यहाँ। बहुत दिन हुआ उससे और दुल्हिन से मिले। और ई जिन कहना की बड़के को ट्रेनिंग पर जाना है , अरे नौकरी है तो जाइबे करेगा न। तो कुछ अकेले रहना पडेगा तुमको लेकिन,... "



html img cover

जेठानी जी ने तुरंत सास जी बात में हामी भर दी।

" नहीं नहीं कोई बात नहीं है , आप जाइये न मैं रह लुंगी और फिर हफ्ते भर बाद तो ये आ ही जायेंगे। " उन्होंने तुरंत बोल दिया।

और अब उनका चंपा बाई के कोठे पर चढ़ना पक्का हो गया.


" अच्छा अब गाडी चल दी है ,कल रात में नौ दस बजे तक आउंगी ,खाना बना के रखना "

बोल के सासु जी ने पता नहीं फोन काट दिया या ट्रेन चलने से कवरेज एरिया के बाहर पहुँच गयीं।

सासु जी की आवाज तो फोन से आनी बंद हो गयीं ,लेकिन जेठानी जी की दोनों ननदें ,दिया और गुड्डी चालू हो गयीं , वो भी सुर में।

………………………………………..






" हमरी भौजी तो हईं नईहर के छिनार ,चाहि इन्हे दस दस भतार

चार जो मुसहर बातें चार जो गो राजपूत।

मुसहर हउये बड़ मजबूत, हो बड़ मजबूत।




अरे जब ले भौजी कुँवार रहुली नइहर क पक्की छिनार रहुली "
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,506
58,886
259

I am not able to resolve this issue and it takes hours to reach the thread, if i am not able to find a solution, it may be hard for me to post, but i will keep on trying. i have tried all the forums . I use laptop and i dont use vpn, its sad but may be the story is jinxed. How i wish to take this story to its logical conclusion and my first foray into forbidden realm of Incest,...sad:verysad::verysad:

Just now i discovered that this link is a malicious malware,

Syndication.realsrv.com is a malicious site that redirects a browser to an advertisement, the ads are typically for unwanted chrome extensions, surveys, adult sites, online web games, fake software updates, and unwanted programs.



The Syndication.realsrv.com site is being displayed by websites that redirect you to the site or via adware that automatically opens the page without your permission.

These advertisements will be shown often enough that they will become intrusive and potentially harmful to the computer if the wrong program is downloaded

Just google it, i have informed everybody and hope it is resolved soon.
 
Last edited:

Luckyloda

Well-Known Member
2,460
8,084
158
भाग १५२

वापसी की तैयारी



और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।
और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।

जैसा तय था ,एक दो दिन पहले ही इनकी किशोर बहन ,मेरी ननद गुड्डी रानी मेरे गाँव ,

शुक्रवार को ,

मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।



मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,..




वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।

मैंने आने वाले ११ दिन बाद के शुक्रवार को , लाल रंग से घेर दिया।


दिया ने जेठानी को ब्लाउज दे दिया था , वही जिसकी नाप कल दिया ने मॉल में दिलवाया था और बाद में सिल कर दिया को मिला था।

हाँ ब्रा नहीं दिया ,लेकिन उस ब्लाउज के साथ ब्रा पहनी भी नहीं जा सकती थी। सिर्फ दो ढाई इंच की पट्टी मुश्किल से ,पीछे से एकदम बैकलेस बस एक पतली सी डोरी , आगे से भी बस जेठानी के भारी भारी गदराये उभारों को बस जैसे वो सपोर्ट कर रही थी , निप्स भी आधे दिख रख थे। पूरा क्लीवेज , सब उभार का कड़ापन ,कटाव ,शेप साइज ,सब कुछ।

जेठानी अपना वो ब्लाउज पहन ही रहे थीं की बाहर हंसने खिलखिलाने की आवाज सुनाई पड़ी ,
गुड्डी और उसके भइया ,मेरे सैंया।

तब मुझे याद आया की वो दोनों सामान पैक करने गए थे ,पता नहीं कुछ सामान छोड़ न दिया हो और अब चलने का भी टाइम हो रहा था।

" हे ऊपर खाली चुम्मा चाटी अपने भैय्या के साथ कर रही थी या पैकिंग भी ,.. "

" देखिये ना ,आपका सारा सामान ,.. " गुड्डी हँसते हुए बोली।



सच में मेरा सूटकेस इनके हाथ में था और बैग भी था।

" और तेरे कपडे ,... तू भी तो अपना सामान पैक करके लायी थी न सुबह ,..तेरे कपडे . " मैंने गुड्डी को याद दिलाया।

और जवाब कमरे के अंदर से आया ,दिया और गुड्डी की बड़की भाभी एक साथ हँसते बोलीं ,

" ये क्या करेगी कपडे , ... इसके भैय्या इसको कपडे पहनने देंगे तब न। "

" क्यों इसी लिए कपडे यहीं छोड़ के चल रही थी ,.. " मैं क्यों अपनी ननद को छेड़ने का मौक़ा छोड़ देती।

गुड्डी बिचारी ,... जोर से ब्लश किया उसने ,और उसके ब्लश करते गालों को चूमने का मौका कौन भाभी छोड़ देती।

तो मैंने चूम लिया और ऊपर अपने कमरे में ,लेकिन मेरा मन कही और था।



अगर मेरी इस दुष्ट जेठानी की चाल चल गयी होती ,
तो मुस्कराती खिलखलाती मेरी ननद और मेरे सैयां ,.... दोनों के मुंह लटके होते। सिर्फ इस बार नहीं हमेशा के लिए दोनों के मिलने का चांस ख़तम हो जाता ,जो वो जब से हाईस्कूल में आयी ,तब से उसकी कच्ची अमियों को देख के ललचा रहे थे ,वो सब बस ,

एक बार अगर मेरी जेठानी मेरी सासु को पटा लेती और वो गुड्डी के घर वालों को मना कर देतीं तो फिर हम लाख कोशिश कर लेते , ...गुड्डी यहीं पढ़ती और जेठानी की ताबेदार बन के , .. मेरी कभी हिम्मत नहीं पड़ती न जेठानी से आँखे मिलाने की न गुड्डी से।

और ये बिचारे , मैं कितने दिनों से इन्हे चिढ़ा भी रही थी , चढ़ा भी थी की मैं अपनी ननद के ऊपर इन्हे चढ़ा के ही मानूंगी ,... वो सब ख्याल ख्याल ही रह जाता।

लेकिन सब मेरी जेठानी का प्लान धरा का धरा रह गयामेरे साजन की इतने दिनों की चाहत अब पूरी होनेवाली है ,बेचारी जेठानी।

और ये सब दिया का करा धरा था , उसकी प्लानिंग एकदम पक्की।

मम्मी ने मुझे वार्न भी किया था की अगर मैं गुड्डी को ले कर चली भी जाउंगी तो जब तक मैं जेठानी का कोई पक्का इंतजाम नहीं करुँगी , तो वो बाद में भी ,...


और दिया ने मुझे पूरा भरोसा दिलाया ,... वो तो रहेगी न यहां।





और जिस तरह चम्पा बाई के कोठे वाला उसने प्लान रचा , खुद जेठानी के मोबाईल से और फेसबुक पर भी , अब जेठानी जाल में पूरी तरह फंसी थी।
मैं ऊपर अपने कमरे में पहुँच गयी थी।

सच में गुड्डी और इन्होने पैकिंग पूरी तरह की थी , गुड्डी के सूटकेस के अलावा कुछ भी नहीं था।

लेकिन मेरा दिमाग जेठानी में लगा था , ये जरूरी था की ११ दिन बाद शुक्रवार को वो चंपा बाई के कोठे पर एक बार , ... लेकिन उसके लिए जरूरी था की मेरी सास मम्मी के साथ , ११ दिन बाद शुक्रवार को दोपहर तक हम लोगों के घर पहुँच जाए , तभी तो।



मम्मी भी मेरी,


किस तरह सास को उन्होंने शीशे में उतारा ,...





चिढ़ाती तो वो पहले से थीं इनको मादरचोद कह के और मुझसे उन्होंने बोला था की इसे बहनचोद बनाने की जिम्मेदारी तेरी है,

तो मैं क्यों पीछे रहती मैं ने भी उन्हें चढ़ा दिया



"लेकिन ठीक है मम्मी ,उसके बाद मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी आपकी। "

Bhut hi shandaar update bhabhi.....



Kis jimmada4i se dono Maa beti ne apna apna Kaam k hissa bata hai......


1 bahanchod banayegi


Aur dusra madarchod
 
Top