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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग १६६

अपडेट पोस्टेड



please do read enjoy and share your comments
 
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Shetan

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ekdam lekin maine aapse request kiya tha naa ki iske baad bhi kuch posts hain meri is thread me jismne is kahani ke sequel , Banars vaali kahani ke ansh hai aur baaki sequels ka bhi to ek baar please un posts ko bhi aap ek writer ki najar se dekh len,...aur suggestion den aaj hi main do stories ke link aapko dungi lekin vo posts bhi ek writer ke naate iportant hain
Komalji ese muje dhudhna bahot mushkil hoga. Please aap hi link de de to. Its request banaras ke vo kiss to mene padhe. Is third ka ek bhi axar mene nahi chhoda. Ab aap jo dogi me padhungi hi. Please kuchh do. Muje padhna he.
 
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komaalrani

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Komalji ese muje dhudhna bahot mushkil hoga. Please aap hi link de de to. Its request banaras ke vo kiss to mene padhe. Is third ka ek bhi axar mene nahi chhoda. Ab aap jo dogi me padhungi hi. Please kuchh do. Muje padhna he.
OK ek to is story ki jo post main chah rahi thi aap pdhe aur comment den jas ki tas yahi post kar de rahi hun, pdh ke comment de dijiyegaa

और अब यह कहानी यहीं ख़तम होती है , पढ़ने वालों , सुनने वालों, और कहने सुनने वालों से बस अब यहीं अलविदा

………………………………………

हो सकता है इस कहानी के अब तक बचे, कुछ गिने चुने पाठकों में से दो चार को अच्छा न लगे, एक दो शायद सोचें भी यहाँ क्यों रुक गयी ये कहानी , तो बस उनके लिए,



पहली बात, इस कहानी का नाम ही है , था, मोहे रंग दे , एक दुसरे के रंग में रंगने की कहानी, साजन के सजनी के और सजनी की साजन के रंग में डूबने सराबोर हो जाने की कहानी, जब बिना कहे बोले , एक की बात दूसरा समझ ले , इशारे की भी जरूरत न पड़े, .. जो अंग्रेजी में कहते हैं , व्हेयर इच इज बोथ,... तो बस ये कहानी वही कहना चाहती थी , और मेरे नेते वो कहानी, कहानी नहीं जो कुछ कहे नहीं। पति पत्नी का रिश्ता, बनने और आगे बढ़ने की कहानी, और शादी के पहले की भी थोड़ी ताकाझांकी जो कहते हैं न लव कम अरेंज्ड तो उसमें भी तो लव पहले आता है,... गाँव जो आलमोस्ट क़स्बा बन चुका है , और शहर जो अपने दिल में अभी भी गाँव है , ... उन के बीच के रिश्तों की कहानी , रिश्तों की गर्माहट और मीठी मीठी छेड़छाड़ की कहानी,... तो बस जब दोनों रंग चुके हैं , तो बस मुझे लगा एक यही मुकाम है , ठहरने का,...



दूसरी बात, ... मैंने पहले ही तय कर लिया था की १,००० पेज ( एम् एस वर्ड्स में ) से ज्यादा नहीं,... जोरू का गुलाम को लम्बा करने की सज़ा मैं अभी तक भुगत रही हूँ, फोरम पहले बंद हो गया , कहानी पूरी हो नहीं पायी, खैर उस बात को अभी यहीं छोड़ती हूँ , तो १,००० पेज जब पूरे हुए तो मेरे एक मित्र ने जिन्होंने मेरी ढेर सारी कहानियों को पी डी ऍफ़ किया,... बताया की उनके हिसाब से तो १००० कभी के पूरे हो गए, और होली आगयी तो मैंने पिछले साल कुछ होली के सीन डाल दिए बस उसके बाद , अब होली में कोई लिमिट तो होती नहीं, अपने यहाँ तो होली का लिमिट और शराफत दोनों से कोई नाता नहीं, ... इसलिए और फिर ननद भाभी वाला मामला , तो थोड़ी फंतासी नुमा,... लेकिन अब इस कहानी के मेरी लैपी पर १,१५४ पन्ने और ३,१८, ७२४ शब्द हो चुके हैं। तो फिर ,...

तीसरी बात, शायद आप में से अभी नहीं लेकिन बाद में कोई कभी, मरा पुराना पाठक भटकता हुआ और रवायतन पूछ बैठे, इसके आखिर में डाटा की और भी ढेर सारी कन्सर्न्स हैं तो क्या इस कहानी का दूसरा भाग भी आएगा , नहीं और हाँ,



और सही बात है की मैं नहीं जानती,



जब पिछला फोरम बंद हुआ था तो मैंने सोचा था, बस और नहीं, फिर कुछ पुरानी कहानियां लेकिन उनमे भी इतनी चीजें जुड़ गयी की वो एकदम नया वर्ज़न ( नमूने के तौर पर सोलहवां सावन, कितने नए हिस्से उसमें जुड़ गए ) और फिर ये कहानी शुरू हुयी तो , बढ़ती गयी, और जब उसमें एक बार रीत घुस गयी, और जिसने पुराने फोरम में रीत से भेंट मुलाकात की होगी, या मेरी कहानी फागुन के दिन चार पढ़ी होगी, वो जानते हैं की अगर रीत कहीं घुस गयी तो उसके बाद जो होता है वो रीत करती है,... लेकिन अगर अगला भाग आया तो , एक तो वो इरोटिक नहीं होगा , शायद बहुत हुआ तो एरोटिक थ्रिलर हो, हो सकता है एक डिस्टोपियन दुनिया का किस्स्सा हो , ... लेकिन कहानी सुनाने के साथ अक्सर हम सुनाने वाले सुनने वाले की पसंद नापसन्द भूल जाते हैं और फिर सर धुनते है, कोई सुनता नहीं , सुनता है तो हुँकारी नहीं भरता,.. और डिस्टोपियन किस्सों के अपने,... और फोरम के भी कानून कायदे, तो आप जिसके मेहमान है , जब आप ने जहाँ बरसों से अड्डा जमा रखा था, और वो नशेमन उजड़ गया, किसी ने अपने यहाँ सर छुपाने की जगह दी , पर उसके यहाँ अगर कायदा है की चप्पल घर के बाहर उतार दें, रात में दस के बाद गाना न बजाएं तो उसे मानना ही होगा,...



तो मैं नहीं जानती और अगर कुछ हुआ भी तो अगले छह महीने साल भर, जिस तरह की बातें मैं सोच रही हूँ , उसके लिए बहुत इंटेंसिटी चाहिए,



चौथी बात , शायद कोई ये भी पूछे अब क्या होगा मेरी छुटकी ननदिया का जो इत्ती सारी प्लानिंग थी मेरी और कम्मो की, और वो अनुज जो बनारस में है,



छुटकी ननदिया के साथ वही होगा है जो होना होना है , लेकिन शुरू से अबतक यह कहानी फर्स्ट परसन में हैं और फिर जिस जगह कहानी सुनाने वाली ही नहीं होगी तो वहां की बातें कैसे होंगी , फिर मैंने पहले भी कहा था न यह कहानी थी मोहे रंग दे , साजन सजनी के एक दूसरे के रंग में रंगने रंगाने की,...
तो यह कहानी तो यही ख़तम हो रही है लेकिन थ्रेड मैं नहीं बंद कर रही,



हाँ पर देवर ननद की बातें कुछ उनके ऊपर कुछ आपकी कल्पनाओं पर छोड़ती हूँ , ... लेकिन कोई यह कहे की ऐसा थोड़े ही होता है,... तो घबड़ाइये मत, , दोनों के मेरी ननद के और देवर के, देवर की बातें देवर की अनुज की जुबान से , और ननद की बातें , कम्मो की ओर से , ... लेकिन अभी नहीं , पर जल्द ही , कुछ बातें ,... कम्मो और अनुज की ओर से,...

https://exforum.live/threads/मोहे-रंग-दे.1601/page-253


post 258


तो इतने दिनों तक धैर्य तक साथ देने के लिए धन्यवाद, और अगर किसी के कमेंट आएंगे तो मैं सर झुका के धन्यवाद देने जरूर आउंगी।
 

komaalrani

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कहानी से जुड़े दो पात्रों की बातें आगे बढ़ेंगी,मेरी ननद गुड्डी रानी और देवर अनुज की और कैसे बढ़ेंगी कहानी में क्या ट्विस्ट होगा, ये सब अभी से बता के कहानी का रस भंग मैं नहीं करना चाहती, लेकिन ट्विस्ट होगा और जबरदस्त होगा, इसलिए मैं यानी फर्स्ट परसन में कहानी का जो रूप था उससे विदा लेती हूँ, पर


मेरी इत्ती प्लानिंग के बाद भी मेरी ननद का पिछवाड़ा कोरा रह जाए,
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तीन तीन पठान तैयार हैं उनकी बातें न हों , और कम्मो फिर उसके सहयोग में तो वो सारी बातें होंगी अब कम्मो कहेगी या थर्ड परसन में होंगीं ये तो तभी पता चलेगा, लेकिन ट्विस्ट जबरदस्त होगा,


और आप में से कुछ हो सकता है मेरी इस ननद के भाई को बिसर गए होंगे जो गुड्डो के पास, गुड्डो और उसकी मम्मी,... तो माँ बेटी साथ साथ

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Kavya-c720909acc391ee0486a6b36d981f658.jpg



सब कुछ होगा,... बस थोड़ा सा इन्तजार होगा, शायद होली तक , फिर दोनों इसी थ्रेड में या जैसे आप सब का आदेश हो अलग नए थ्रेड में ,... तो बस जुड़े रहिये साथ बनाये रखिये इस थ्रेड पर और मेरे बाकी थ्रेड्स पर भी,...


और रिस्पांड जरूर करियेगा, प्लीज प्लीज प्लीज ,


२५० से ऊपर पन्ने

दस लाख से ज्यादा व्यूज ,... पिछला फोरम बंद होने के बाद ये मेरी पहली कहानी थी ,

तो इन्तजार करुँगी , आपके कमेंट्स का सुझावों का।
 

komaalrani

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Thanks as you said, I will post Anuj story in a separate thread, but will provide a link here, mood of that story will be totally different from story here, first a few posts will be taken from this story for continuity and after that story will flow, moving around Anuj, Guddo and her mother and many more characters, story will be based at Banaras. some excerpt from that story i will be sharing here, as curtain raiser,... more than that i had put a lot of restrictions in this part of story, like no kinks, no incest, a pure husband wife romance,... so those barriers will not be there,... wait for curtain raiser , a few excerpts soon,...


किस्सा बनारस का, ( अनुज की जुबानी )

गुड्डो की मम्मी


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" तेरे मम्मी की फुद्दी मारुं"


मैंने हाथ पीछे कर गुड्डो को कस कस के चिकोटी काट के बोला।


बहुत भीड़ थी, एकदम कसमकस, कंधे से कन्धा छिला जा रहा था, गुड्डो मेरे पीछे एकदम सटी चिपकी और भीड़ का फायदा उठा के मुझे खूब छेड़ रही थी, कभी अपने छोटे छोटे बूब्स मेरी पीठ में रगड़ देती तो कभी कस के मेरे पिछवाड़े कस के चिकोटी काट लेती। कान में जीभ डाल के अभी बोल रही थी, मम्मी पास में दूकान में गयी हैं,"

" तो मार लेना न, मैं क्यों मना करुँगी, और उन्होंने ही कौन सा ताला डाल रखा है, बल्कि मेरे सामने ही मारना, अगर हिम्मत है तो. " खिलखिलाती हुयी वो बोली और अबकी कस के कमर में गुदगुदी लगा दी.



अभी अभी एक्जाम खतम हुआ था, जे इ इ का स्क्रीनिंग टेस्ट था , और मैं हॉल से निकला थी. ओएमआर शीट की कॉपी हाथ में लिए, और गेट पर ही कोचिंग वाले मिल गए, कोचिंग के लड़के लड़कियों की शीट चेक कर के बता रहे थे कितना % मार्क्स आने के चांस हैं,... मेरी कोचिंग की ही दो लड़कियां थी मेरे आगे, और उन की शीट वो चेक कर रहे थे, मुझे इशारे से वेट करने के लिए बोल दिया, एक के उन्होंने बताया ६८ % वो तो मारे ख़ुशी से निहाल, अपनी साथ वाली लड़की को उसने कस के गले लगा लिया पर मीठी मीठी निगाह से मुझे देख रही थी, दूसरी वाली का भी ६४. ५ % था। पिछले साल में क्वालिफाइंग ५८ % आया था तो कोचिंग वालों का मानना की ६२ % के बाद इस बार भी क्वालिफाइंग मार्क्स हो जाएंगे और वैसे भी पेपर इस साल बहुत टफ़ थे.



धक्कामुक्की करके मैंने अपनी ओएमआर शीट उनके हवाले की, और मेरी धड़कन रुकी हुयी थी, उसने एक बार चेक किया, फिर मेरी ओर देखा और फिर दुबारा मेरी शीट पर, अबकी एक एक क्वेशन को रुक रुक कर के, और बीच बीच में मुझे देखते,... मेरी हामेरी लत खराब, वो दोनों लड़कियां मुझे देख रही थीं, और जब उन्होंने चेकिंग खतम की, तबतक बाकी लड़के अपनी अपनी शीट लेकर, चेक करने के बाद उन्होंने शीट स्कैन करके व्हाटसएप किया और मुझे परेशान देख के मुस्कराते बोले, अरे तेरा ७७. ५ है, लास्ट इयर का ऑल इण्डिया हाईएस्ट ७९ था, घंटे भर बाद कोचिंग में जे ई ई के ही मॉडल रिजल्ट आ जाएंगे, थोड़ी देर बाद आके एक बार वहां भी चेक करा लेना, ७५ के ऊपर वालों के लिए हम लोगो ने एक सरप्राइज अवार्ड रखा है, आ जाना।"


वो लड़की जिस की ६८ थी, मेरी ओर जबरदस्त मुस्कान के साथ देख के बोली, अनुज यार,... और भी दोस्त वही दोस्तों वाले अंदाज में , तब तक पीठ पर जोर से मेरे एक दोस्त का मुक्का पड़ा,

" स्साले, बहनचोद, भोंसड़ी के तुमने तो पूरा पेल दिया,... "


" अबे , आधा तीहा पेलने में क्या मज़ा, मैं तो पूरा ही पेलता हूँ, ... " उसकी ओर मुड़ते हुए मैं बोला तो नजर मेरी पड़ी, भाभी, गुड्डो की मम्मी पर,

और एक मिनट के लिए, घर में उनके सामने तो अबे तबे , साले भी नहीं,...

लेकिन भाभी जबरदस्त मुस्करा रही थीं, मेरी बात उन्होंने अच्छी तरह सुन ली थी खूब और आज एकदम हॉट हॉट लग रही थी, हॉट तो वैसे ही थीं लेकिन इस समय तो एकदम ही, लाल लाल साडी खूब कसी कसी , नाभि दर्शना आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट, नितम्बों पर बस टिकी हुयी, चोली भी खूब डीप लो कट, गोरे गोरे बड़े बड़े कड़े कड़े तने उभार चोली फाड़ के बाहर आ रहे थे,

मुझसे पूछा उन्होंने पेपर कैसा हुआ,

लेकिन जवाब में मेरे एक कोचिंग के दोस्त ने दिया,

" अरे अच्छा , ... स्साले ने पूरा फाड़ दिया, फाड़ के चौड़ा कर दिया है, ... "
 

komaalrani

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एक्जाम का टेंशन और गुड्डो की मम्मी

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" भाभी, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. सर भन्ना रहा है, लग रहा है सब भूल गया हूँ, इत्ते दिनों की मेहनत,... बहुत परेशानी लग रही है "

" लाला, सो जाओ थोड़ी देर, इत्ते दिन से तो रात रात भर जग के, ... ठीक हो जाएगा " मेरे गाल सहलाते हुए दुलार से वो बोलीं।

" नहीं, भाभी, दो घंटों से कोशिश कर रहा था, नींद भी नहीं आ रही है, बस सर भन्ना रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है " मैंने उनके सीने पर अपने सर को रखे रखे अपनी परेशानी बतायी। मैं बस मुंह उठा के उनकी ओर देख रहा था.

वो भी थोड़ी देर मेरी ओर देखती रहीं, फिर मेरे पास से उठीं, और वहीँ पास में एक चटाई बिछाई फिर गुड्डो को आवाज लायी।

मेरी परेशान चेहरे को देख वो भी समझ गयी कुछ सीरियस है,...

भाभी ने गुड्डो को कुछ समझाया, और थोड़ी देर में गुड्डो तेल की एक बोतल, और एक छोटी सी कटोरी में कोई तेल हल्का गर्म कर के, ...

भाभी ने गुड्डो के जाते ही दरवाजा बंद किया, मेरी बनयाईन खींच कर उतारी, अपनी साड़ी भी उतारी, वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट , ... लेकिन मेरे ऊपर कुछ असर नहीं हो रहा था, उनको ब्लाउज पेटीकोट में देख कर. तबतक मेरी नेकर उन्होंने खींच कर उतार दिया और अपनी साड़ी लुंगी की तरह मेरे चारों ओर लपेट दिया, और मुझे पेट के बल चटाई पर लेटा दिया, और वो कटोरी वाला तेल मेरे पैर के तलुवें में,….



…......and ...after some more ,.....and....



भाभी ने अब ; उसको,.. मुझको लग रहा था शायद वो सुपाड़ा खोलेंगी, लेकिन उन्होंने चमड़े को पकड़ के उसका मुंह एकदम बंद कर दिया और कटोरी का बचा खुचा तेल,जैसे उसे नहला रही हों, तेल से एकदम चपाचप, बहुत अच्छा लग रहा जब तेल धीरे धीरे सरकता, सोखता, बूँद बूँद उस खड़े तने,... पर से एकदम नीचे तक, बस भाभी ने एक हाथ की मुट्ठी में, मुश्किल से उनकी भी मुट्ठी आ पा रहा था, लेकिन उन्होंने मुठीयाना नहीं शुरू किया, बस थोड़ी देर तक मुट्ठी हलके हलके खोलती बंद करती रहीं, फिर दो उँगलियों की टिप से मेरे उसके बेस पर हलके हलके, फिर कस के दबाना शुरू किया,... बहुत अच्छा लग रहा था, पूरी देह ढीली हो रही थी, तेल से इतना चिकना हो गया था की, बस हलके हलके सरकाते हुए अपनी मुट्ठी से उन्होंने मुठियाना शुरू किया, पहले हलके हलके , फिर जोर जोर से , उनके हाथ का टच बहुत अच्छा लग रहा था,



पूरा टेंशन एकदम जैसे घुल के उनके हाथों में जा रहा था , लेकिन वो वैसे का वैसे ही कड़ा, अब भाभी ने स्टाइल बदली,

जैसे कोई जवान ग्वालन दोनों हाथों से मथनी चलाये, दही बिलोडे, बस उसी तरह, दोनों हाथों के बीच उस मोटे मोटे चर्मदण्ड को, चार पांच मिनट तक बिना रुके,...

फिर वो रुक गयीं, उस मथानी को उन्होंने छोड़ दिया , एक हाथ मेरी बॉल्स को हलके हलके टच कर रहा था , कभी मुट्ठी में लेकर उसे वो हलके से दबा देतीं, तो कभी बस सहलाती रहतीं, और उनका दूसरी हथेली, अब मुट्ठी से तो उन्होंने ' उसे' छोड़ दिया था लेकिन उनकी चार उँगलियाँ बस हलके हलके कभी मेरे शिश्न को छू के रगड़ देतीं , कभी बस टैप कर देतीं, जैसे कोई कुशल सितार वादिका सितार के तारों को छेड़ रही हो,


अचानक उन्होंने डबल अटैक शुरू कर दिया, जो हाथ मेरे बॉल्स पकडे था वो अब उसे कस कस के सहला रहा था और उनकी तर्जनी मेरे पिछवाड़े की दरार भी सहला रही थी,... और दूसरे हाथ से वो जोर जोर से मुठियाने लगीं, बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन अभी भी नहीं लग रहा था की मैं किनारे पर पहुंचूंगा।



अब उन्होंने अपने दोनों हाथों से कटोरी में बचे खुचे तेल को निकाल के अपने उभारों पर लगा के, दोनों खूब कड़े कड़े बड़े बड़े उभारों के बीच मेरे चर्म दंड को लेकर , जोर जोर से, और पहले झटके में ही मेरा मोटा सुपाड़ा खुल गया. लेकिन वो अपने दोनों जोबन के बीच मेरे लंड को लेकर मसलती रगड़ती रहीं, फिर साथ साथ अपनी जीभ की टिप से कभी मेरे पी होल, वाले पेशाब के छेद को छू कर हटा लेतीं, तो कभी बार बार उस पेशाब के छेद में अपनी जीभ की टिप को ठेलने की कोशिश करतीं,



मेरी हालत ख़राब हो रही थी, उनकी जीभ, मेरे मोटे सुपाड़े पर बार बार अब सपड़ सपड़ , और गप्प से उन्होंने पूरा सुपाड़ा मुं
ह में भर लिया और लगी पूरी ताकत से चूसने
 

komaalrani

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banaras ki kahani ke kuch ansh ek baar phir se aapki suvidha ke liye re post kar diye hain aapke comments ka intezar rahega
 

komaalrani

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एक्जाम के बाद


आलमोस्ट खुला मैदान, कुछ पुराने पेड़ , और दो मकानों के बीच एक संकरी सी जगह थी , गली भी नहीं, बस हम दोनों का हाथ पकड़ के भाभी करीब करीब खींचते हुए उस दरार सी जगह से ले गयीं, करीब दो तीन सौ मीटर हम लोग ऐसे ही चले, फिर एक एकदम खुले मैदान में हम तीनों, कुछ भी नहीं था, बस कुछ टूटी दीवालें , ढेर सारे पेड़ थोड़े दूर दूर, और एक दो पेड़ों के नीचे कुछ साधू गांजे का दम लगाते, लेकिन एकदम अलग ढंग के, बहुत पुराने बाल जटा जूट से , भभूत लपेटे,... और जब वो चिलम खींचते तो आग की लपट ऊपर तक उठती,


भाभी ने हम दोनों को इशारे से बताया की हम उधर न देखें, और हम दोनों का हाथ पकडे पकडे, एक टूटी बहुत पुरानी दीवाल के सहारे, दीवाल में जगह जगह पेड़ उगे हुए थे, ईंटे गिर रहे थे,



भाभी ने एक बार पीछे मुड़ कर देखा, तो सूरज बस अस्तांचल की ओर , एक पीले आग के गोले की तरह, आसमान एकदम साफ़,



हम दोनों भाभी का हाथ पकडे पकडे,... और जहाँ वो दीवाल ख़तम हो रही थी, कुछ बहुत पुराने खडंहर, बरगद के पाकुड़ के पेड़ , पेड़ों के खोटर , और जैसे ही हम खंडहर में घुसे,... ढेर सारे चमगादड़, ... उड़ गए, गुड्डो डर के मुझसे चिपक गयी.



लेकिन भाभी मेरा हाथ पकड़ के करीब खींचते हुए, गुड्डो मुझसे चिपकी दुबकी, आलमोस्ट अँधेरा और चमगादड़ों के फड़फाड़ने की जोर जोर आवाज, और उसी खंडहर की एक टूटी दीवार, और वो भी एक पेड़ की ओट में, दीवार में जैसे कोई ईंटों के ढहने से दो ढाई फीट का एक छेद सा बन गया था, नीचे दो ढाई फीट ईंटे थे उसके बाद वो टूटा हिस्सा, और उसके पीछे भी कोई बड़ा पेड़,



भाभी ने मुझे इशारा किया और गुड्डो को हाथ में उठा के आलमोस्ट कूद के उस टूटी जगह से मैं और पीछे पीछे भाभी,... गुड्डो मेरी गोद में चढ़ी दुबकी, कस के चिपकी,...



एक बार फिर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और उस पेड़ के पीछे,.... अब जैसे हम किसी पुराने खंडहर के आंगन में पहुँच गए थे, एकदम सन्नाटा, शाम अब गहरा रही थी , और भाभी ने चारो ओर देखा, एक ओर उन्हे पीली सी रौशनी आती दिखी,... रौशनी कहीं दूर से आ रही थी झिलमिल झिलमिल,..



और एक सरसराती हुयी ठंडी हवा पता नहीं किधर से आ रही थी, चारो ओर एक चुप्पी सी छायी थी, बस वही हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी,



गुड्डो का डर अब ख़तम हो चुका था, वो मेरे सामने खड़ी मुझे देख रही थी, मुस्कराते और अचानक उसने मुझे अपनी बांहों में दुबका लिया और उसके होंठ मेरे होंठों पर चिपक गए, मुझे भी एक अलग ढंग का अहसास हो रहा था अच्छा अच्छा , कोमल सा मीठा।



तभी मैंने देखा, भाभी आंगन के दूसरे किनारे से जहाँ से वो झिलमिल झिलमिल रोशनी आ रही थी, वहीं खड़ी इशारे से हम दोनों को बुला रही थीं,...



वह पीली रोशनी एक ताखे में रखे बड़े से कडुवे तेल के दीये से आ रही थी और लग रहा था जैसे जमाने से इसी ताखे में वो दीया जल रहा हो. उसकी कालिख से पूरा ताखा काला हो गया था। और उस ताखे के बगल में एक खूब बड़ा सा पुराना दरवाजा बंद था, उसमें लेकिन कोई सांकल नहीं थी, एक चौड़ी सी चौखट और खूब ऊँची, फीट . डेढ़ फीट ऊँची, दरवाजे के चारो ओर लगता है लकड़ी के चौखटों पर किसी जमाने में चांदी का काम रहा होगा लेकिन अब सब धुंधला गया था। दरवाजे के ऊपर कुछ मिथुन आकृतियां बनी थीं, और दरवाजे के दोनों ओर लगता है चांदी के रहे होंगे या चांदी मढ़े नाग नागिन का जोड़ा, ...
 

komaalrani

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मजा पहली होली का, ससुराल में

उम्मीद है आप को अच्छी लगेगी ,

एक इरोटिक होली की कहानी है ससुराल में पहली होली की,

सजनी की भी

साजन की भी

थोड़ी हॉट हॉट ,


मुझे उम्मीद है आप को पंसद आएगी , प्लीज इस बार की तरह कमेंट जरूर दीजियेगा
 

Shetan

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और अब यह कहानी यहीं ख़तम होती है , पढ़ने वालों , सुनने वालों, और कहने सुनने वालों से बस अब यहीं अलविदा

………………………………………

हो सकता है इस कहानी के अब तक बचे, कुछ गिने चुने पाठकों में से दो चार को अच्छा न लगे, एक दो शायद सोचें भी यहाँ क्यों रुक गयी ये कहानी , तो बस उनके लिए,



पहली बात, इस कहानी का नाम ही है , था, मोहे रंग दे , एक दुसरे के रंग में रंगने की कहानी, साजन के सजनी के और सजनी की साजन के रंग में डूबने सराबोर हो जाने की कहानी, जब बिना कहे बोले , एक की बात दूसरा समझ ले , इशारे की भी जरूरत न पड़े, .. जो अंग्रेजी में कहते हैं , व्हेयर इच इज बोथ,... तो बस ये कहानी वही कहना चाहती थी , और मेरे नेते वो कहानी, कहानी नहीं जो कुछ कहे नहीं। पति पत्नी का रिश्ता, बनने और आगे बढ़ने की कहानी, और शादी के पहले की भी थोड़ी ताकाझांकी जो कहते हैं न लव कम अरेंज्ड तो उसमें भी तो लव पहले आता है,... गाँव जो आलमोस्ट क़स्बा बन चुका है , और शहर जो अपने दिल में अभी भी गाँव है , ... उन के बीच के रिश्तों की कहानी , रिश्तों की गर्माहट और मीठी मीठी छेड़छाड़ की कहानी,... तो बस जब दोनों रंग चुके हैं , तो बस मुझे लगा एक यही मुकाम है , ठहरने का,...



दूसरी बात, ... मैंने पहले ही तय कर लिया था की १,००० पेज ( एम् एस वर्ड्स में ) से ज्यादा नहीं,... जोरू का गुलाम को लम्बा करने की सज़ा मैं अभी तक भुगत रही हूँ, फोरम पहले बंद हो गया , कहानी पूरी हो नहीं पायी, खैर उस बात को अभी यहीं छोड़ती हूँ , तो १,००० पेज जब पूरे हुए तो मेरे एक मित्र ने जिन्होंने मेरी ढेर सारी कहानियों को पी डी ऍफ़ किया,... बताया की उनके हिसाब से तो १००० कभी के पूरे हो गए, और होली आगयी तो मैंने पिछले साल कुछ होली के सीन डाल दिए बस उसके बाद , अब होली में कोई लिमिट तो होती नहीं, अपने यहाँ तो होली का लिमिट और शराफत दोनों से कोई नाता नहीं, ... इसलिए और फिर ननद भाभी वाला मामला , तो थोड़ी फंतासी नुमा,... लेकिन अब इस कहानी के मेरी लैपी पर १,१५४ पन्ने और ३,१८, ७२४ शब्द हो चुके हैं। तो फिर ,...

तीसरी बात, शायद आप में से अभी नहीं लेकिन बाद में कोई कभी, मरा पुराना पाठक भटकता हुआ और रवायतन पूछ बैठे, इसके आखिर में डाटा की और भी ढेर सारी कन्सर्न्स हैं तो क्या इस कहानी का दूसरा भाग भी आएगा , नहीं और हाँ,



और सही बात है की मैं नहीं जानती,



जब पिछला फोरम बंद हुआ था तो मैंने सोचा था, बस और नहीं, फिर कुछ पुरानी कहानियां लेकिन उनमे भी इतनी चीजें जुड़ गयी की वो एकदम नया वर्ज़न ( नमूने के तौर पर सोलहवां सावन, कितने नए हिस्से उसमें जुड़ गए ) और फिर ये कहानी शुरू हुयी तो , बढ़ती गयी, और जब उसमें एक बार रीत घुस गयी, और जिसने पुराने फोरम में रीत से भेंट मुलाकात की होगी, या मेरी कहानी फागुन के दिन चार पढ़ी होगी, वो जानते हैं की अगर रीत कहीं घुस गयी तो उसके बाद जो होता है वो रीत करती है,... लेकिन अगर अगला भाग आया तो , एक तो वो इरोटिक नहीं होगा , शायद बहुत हुआ तो एरोटिक थ्रिलर हो, हो सकता है एक डिस्टोपियन दुनिया का किस्स्सा हो , ... लेकिन कहानी सुनाने के साथ अक्सर हम सुनाने वाले सुनने वाले की पसंद नापसन्द भूल जाते हैं और फिर सर धुनते है, कोई सुनता नहीं , सुनता है तो हुँकारी नहीं भरता,.. और डिस्टोपियन किस्सों के अपने,... और फोरम के भी कानून कायदे, तो आप जिसके मेहमान है , जब आप ने जहाँ बरसों से अड्डा जमा रखा था, और वो नशेमन उजड़ गया, किसी ने अपने यहाँ सर छुपाने की जगह दी , पर उसके यहाँ अगर कायदा है की चप्पल घर के बाहर उतार दें, रात में दस के बाद गाना न बजाएं तो उसे मानना ही होगा,...



तो मैं नहीं जानती और अगर कुछ हुआ भी तो अगले छह महीने साल भर, जिस तरह की बातें मैं सोच रही हूँ , उसके लिए बहुत इंटेंसिटी चाहिए,



चौथी बात , शायद कोई ये भी पूछे अब क्या होगा मेरी छुटकी ननदिया का जो इत्ती सारी प्लानिंग थी मेरी और कम्मो की, और वो अनुज जो बनारस में है,



छुटकी ननदिया के साथ वही होगा है जो होना होना है , लेकिन शुरू से अबतक यह कहानी फर्स्ट परसन में हैं और फिर जिस जगह कहानी सुनाने वाली ही नहीं होगी तो वहां की बातें कैसे होंगी , फिर मैंने पहले भी कहा था न यह कहानी थी मोहे रंग दे , साजन सजनी के एक दूसरे के रंग में रंगने रंगाने की,...




तो यह कहानी तो यही ख़तम हो रही है लेकिन थ्रेड मैं नहीं बंद कर रही,



हाँ पर देवर ननद की बातें कुछ उनके ऊपर कुछ आपकी कल्पनाओं पर छोड़ती हूँ , ... लेकिन कोई यह कहे की ऐसा थोड़े ही होता है,... तो घबड़ाइये मत, , दोनों के मेरी ननद के और देवर के, देवर की बातें देवर की अनुज की जुबान से , और ननद की बातें , कम्मो की ओर से , ... लेकिन अभी नहीं , पर जल्द ही , कुछ बातें ,... कम्मो और अनुज की ओर से,...



तो इतने दिनों तक धैर्य तक साथ देने के लिए धन्यवाद, और अगर किसी के कमेंट आएंगे तो मैं सर झुका के धन्यवाद देने जरूर आउंगी।
Vese kmalji is kahani ki kuchh khasiyat or kuchh galtiya dono hi me batana chahti hu. Matlab achhai or kahani ki burai bhi


Achhai ;
kahani me aap pati patni ke bich shadi se pahele ki ek dusre ko jan ne ki utsukhta. Vo tadap becheni darsane me aap kamyab ho. Kamyabi bhi esi ki padhne vala vo jivan ko mahesus kar sake. Jese jvan me prem aane ki usne kapna ki ho.

Shadi ke nae jode ka prem bhi jatane me aap puri tarike se. Balki 200% kamyabi. Patni ke aate hi dono ke bich ka prem. Vo dur jane par tadap. Wakt lamba lagna. Dono ke bich ka pyar + pyar me duba sex sab kuchh. Mere pas to sabad hi nahi bache tarif ke lie. Par vo feeling khatam hi nahi ho rahi. malab vo kisse padhte wakt ajib si gudgudi mahesus hoti thi.

Shadi ka mahol or ristedaro ke bich mahak masti pyar dular chhed chhad. In sab ko padhne me to bahot maza aaya. Nanand bhabhi ki majak or geeto ki takkar. Shash ka garv ki anubhuti karvana. Sab kuchh. Shadi me hone vale nae affair bhi.

Parivarik prem to adbhut tha. Bahot kam kisse the. Par adbhut tha. Shash ne maa ki jagah li. Or komaliya ne beti bankar vo pyar jataya. Esi jindgi jine ko man kar jae. Jethani ka dill bhi bahot pyara. Jo dewar an I ko apne sajan ke sang prem prasang dene ko sara kam khud samet leti.

Holi ke kisse. Dewar bhabhi ki vo mastiya. Or nanando ko maza chakhana. Sath aap ne koi chinting nahi ki. Ritu bhabhi aap ko bhi KANU kiya kyo ki aap unki nanand bani. Bahot mazedar kisse the. Dill jitne vale or romanchak.

Puri kahani mere tan man me bas gai.

Lekin esa bhi nahi ki me apne fev writer pe ungli na utthau. Kahani me kuchh ese wards bhi he. Jo muje pasand na aae

Kahani me jaha muje sirf sajan sajni ka pyar hi padhna tha. Nanand ki adultry ki matra jyada hone ka dar tha. Uspar 35% ke aas pas jyada kisse dale.

Par ek line jo muje bahot gandi lagi.


Duniya ki har bhabhi apni nanand ki ankho me anshu hi dekhna chahti he.

Chahe vo nanand thi. Par aapne use bahot quite roll diya. Vo pyar jatati rahi or bhabhi ne uska adultry bana diya. Kyo ki uske roll par muje chhutki jitna hi pyar aa raha tha.

Nanando ko gali dena chhedna in sabka maza he. Par vo dushman to nahi he. Ye sirf meri ray he.

 
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