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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

komaalrani

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कालिया, ज़ेड बनारस और रीत
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और अगर मैं गुड्डी से कहता की, " अगर तुम न होती तो शायद,... "

उस घायल हालात में भी वो पहले तो मेरा मुंह बंद करती और दस बात सुनाती,...

" क्यों न होती मैं,... और कौन होता मेरी जगह, ज़रा बोल तो, मुंह नोच लूंगी उसका, तेरी जितनी मां बहने हैं सब के अगवाड़े पिछवाड़े चढ़ो उतरो कबड्डी खेलो,... जितनी मर्जी उतना लेकिन मैं तो मैं हूँ ,... और सात जनम का तो लिखवा के आयी हूँ ऊपर से, आठवें तुझे अपनी सजनी बना के रगडूंगी और बताउंगी की कैसे जबरदस्ती, जब चाहो तब बिन पूछे रगड़ना चाहिए,... उसके बाद की देखी जाएगी।


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कहानी कालिया की शुरू हुयी थी , बल्कि इस कहानी में वो आया था बनारस से, जेड के चक्कर,... कौन जेड , चलिए बस थोड़े से पन्ने पलटिये

लेकिन बस दस पंद्रह मिनट में ग्लाक की उस ट्रेनिंग ने, ... हम सब को बचा लिया,... कालिया का वार आज तक खाली नहीं गया, लेकिन कंधे में घुसी गुड्डी के ग्लाक से चली गोली और मिल गया वो मौका,... कालिया जिससे कोई नहीं जीत पाया था, गुड्डी की गोली,

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सब को अंदाज था की हर जगह अलग अलग स्लीपर सेल होंगे, और उसके हेड को भी सेल से ज्यादा शायद ही मालूम हो, लेकिन उसके भी पकडे जाने से कुछ तार तो जुड़ते, आगे का पता चलता,... लेकिन कालिया के हाथ कानून के हाथ से भी लम्बे थे, पकडे जाने के ठीक पहले, पत्ता साफ़

बनारस के आपरेशन के सेंटर में था जेड, और बड़ी मुश्किल से रीत ने कुछ कार्लोस कुछ अपनी ठरकी सेना कुछ इधर उधर,... पर जेड के पकडे जाने के पहले ही

बात शुरू हुयी थी आर डी एक्स से, बनारस में बम बम तो होता ही रहता है, छुटभैये इधर उधर दिवाली के पटाखे की तरह और पहले तो लगा चुम्मन भी उसी तरह,... कोई पटाखा नुमा,... लेकिन रीत की जिद,... और एक एक कर के सब तार जुड़ते चले गए

चुम्मन को लेकर स्निफर डाग्स के साथ वो लोग काशी करवट की उस जगह पे भी गए।

स्निफर डाग्स ने उस जगह आर॰डी॰एक्स॰ को भी स्निफ किया और डिटोनेटर्स को भी। ये साफ लग रहा था की बाम्ब वहीं असेम्बल हुए हैं और ये हुजी के उस आपरेटिव के अलावा किसी के बस की बात नहीं। डाग्स ने उसको ट्रेस करने की भी कोशिश की। लेकिन सारी सेंट गंगा के पास जाकर खतम हो गई थी। इसका मतलब था की नदी के रास्ते ट्रांसपोर्ट किया गया है। ये भी अंदाज लग रहा है की वो बाम्ब मेकर कम से कम 36 घंटे वहां था।

चुम्मन ने उसके पास एक काठमांडू जाने का एयर टिकट भी देखा था।

दूसरी इम्पार्टेंट बात जो पता चली की अब ये अंदाजा लग गया है की आर॰डी॰एक्स॰ कैसे आया। कई बार स्मगलर्स जानबूझ के कुछ सामान कस्टम्स को पकड़वा देते हैं जिससे कुछ दिन तक हीट कम हो जाय। लेकिन ये हाल बहुत बड़ा नहीं होता।



अभी लेकिन कुछ दिन पहले कस्टम्स को एक अब्नार्मल हाल का अंदाज लगा और उन्होंने काफी पुलिस की भी सहायता लेकर सुनौली बार्डर पे हिरोइन की एक रिकार्ड खेप पकड़ी। शुक्ला ने गोरखपुर के एक गैंग, से बात करके पता किया की वो शायद कैमफ्लाज था।

सारी की सारी पुलिस 15-20 किलोमीटर में लग गई थी और वहां से 40 किलोमीटर दूर एक नाले के रास्ते से दो-चार बोरे कोई सामान स्मगल हुआ। जो एक भरी हुई गारबेज ट्रक में रखकर बनारस आया। गार्बेज ट्रक के दो एडवांटेज थे। एक तो उसे कोई अन्दर तक चेक नहीं करता और दूसरे उसकी बदबू में आर॰डी॰एक्स॰ की महक दब जाती है। वो ट्रक 15 दिन पहले आजमगढ़ म्युनिस्पिलीटी से चोरी हुआ था। टोल के सी॰सी॰टीवी से उसका डिटेल मिल गया, पर ट्रक नहीं मिला, ...


लेकिन रीत को अंदाज था की जेड ( ये नाम भी रीत ने रखा था ) ने नाव का इस्तेमाल किया होगा आने जाने के लिए इसलिए स्नीफर डॉग्स को कुछ पता नहीं चल रहा है, जेड का भी पता रीत ने लगाया, वो सोनारपुरा में रहता था और साड़ियों का कारोबार ये भी रीत ने पता किया कपड़ो की गाँठ उसने बनारस से बड़ौदा भेजा है


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लेकिन जब एकदम पुलिस उसे पकड़ने वाली थी तो कालिया,...

मेरे दिमाग में सब बातें पिक्चर के रील की तरह घूम रही थीं
 
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ज़ेड और कालिया,



लेकिन जब एकदम पुलिस उसे पकड़ने वाली थी तो कालिया,...

मेरे दिमाग में सब बातें पिक्चर के रील की तरह घूम रही थीं

रीत ने एक बड़े टेरर प्लाट का शक जाहिर किया और फिर सेटलाईट फोन को ट्रेस करके। कार्लोस और रीत ने उस नाव का पता लगाया जिसमें जेड एक दालमंडी की गानेवाली (जो बनारस की पुरानी देह बाजार है ) सोनल के साथ जाता था।

सोनल सिर्फ एक बहाना थी।


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वो उस नाव से सिर्फ सेटेलाइट फोन पे अपने आकाओं से सम्पर्क कायम करता था, रेकी करता था और फोटुए सीमा पार भेजता था। रीत ने ही फिर कार्लोस के साथ एक हाई क्लास काल-गर्ल बनकर नाव वाले से मिलकर उसके फोन, सिम सब ढूँढे। और आपरेशन का पता लगाया। उसने सोनल को भी दालमंडी में ढूँढ़ निकाला। जिसने जेड की तस्वीर पुलिस आर्टिस्ट से बनवाई। और फिर जेड का पता चला। वो एक महत्वपूर्ण धुरी था। काशी साड़ी भण्डार का करता धरता। जो आर॰डी॰एक्स॰ बनारस से मुम्बई और बड़ौदा भेजा गया था वो काशी साड़ी भण्डार के पैकेट में ही गया था।


आज सुबह जो बाम्ब और आर्म्स का जखीरा पकड़ा गया था वो भी उसी के वेयरहाउस में था और फिर रीत के बिना वो भी टेढा काम था। जिन डिटोनेटर्स को पकड़ने के लिए हिन्दुस्तान की सारी डिटेक्टिव एजेंसिज परेशान थी। वो भी जेड ने ही डिलीवर किया था।
और जब डी बी उर्फ़ धुरंधर भाटवड़ेकर बनारस के बड़े कप्तान, मेरे हॉस्टल के सीनियर और जिनके अंडर में मेरी फील्ड ट्रेनिंग होने वाली थी उन्होंने खबर दी जेड के मर्डर की, फोन पर

“कैसे, कब?” बस मैं यही बोल पाया।वो बोले और मैं बस यही सोच रहा था की रीत ने कितनी मुश्किल से पता लगाया और अगर वो जिन्दा पकड़ा जाता तो कितने तार और हाथ लगते।

“अभी शाम को। आधे घंटे पहले। गोदौलिया के पास…उसका घर हम लोगों ने घेर रखा था।" उधर से फोन पर डी बी बोले और पूरी बात बताई

हमारे आदमी थे, आई॰बी॰ के थे। हमने ये चेक कर लिया था की उसने काठमांडू जाने वाली दो फ्लाइट्स में बुकिंग करा रखी थी एक सवा छ की थी, एक साढ़े सात की। एक में उसने अपने नाम से बुकिंग करा रखी थी और एक में फर्जी नाम से…”


मैंने सोचा बनारस में बाम्ब ब्लास्ट का समय होलिका जलने का था। यानी 8:20 का। उस समय तक वो हिन्दुस्तान की सीमा के बाहर होता। एकदम मुम्बई ब्लास्ट की तरह और नेपाल जाने के लिए कोई पासपोर्ट भी नहीं चाहिए।

डी॰बी॰ ने कुछ रुक कर बात आगे बढ़ाई।

“तो वो अपने घर से कार से निकला। आगे-पीछे। हमारी अन मार्क्ड कारें थी। लेकिन गोदौलिया के कुछ दूर पहले। बहुत जाम था। और वो उसमें फँस गया। थोड़ी देर बाद वो निकल कर भीड़ में पैदल चलने लगा। प्लेन क्लोथ्स वाले उसके चारों ओर थे…”

“वो शायद रिक्शा पकड़कर लहुराबीर तक पहुँच जाता…” मैंने दिमाग लड़ाया।


लेकिन शायद डी॰बी॰ को पसंद नहीं आया- “हाँ वही बात रही होगी लेकिन तुम बीच में मत बोलो…” वो बोले और फिर चालू हो गए।

“वो बहुत देर तक पैदल चलता रहा और जहां से घाट के लिए पतली सी गली मुड़ती है। वहीं, शाम के समय तुम्हें तो मालूम है की वहां कितनी भीड़ होती है। उसे चाकू लगा गले के पास ठीक मेन आर्टरी पे और वो वहीं ढेर हो गया। गनीमत है फेलू दा वहीं थे। उन्होंने उसे गिरने से रोक लिया और आस पास के लोगों से कहा की इसे मिर्गी का तेज दौरा पड़ा है, उस चाकू के ऊपर रुमाल रखा और उसे हमारे लोगों को सौंप दिया। वो तब तक मर चुका था…”

डी॰बी॰ एक मिनट ले लिए रुके और मुझे बोलने का मौका मिल गया- “मारा किसने किसी ने देखा क्या? आसपास तो इत्ते पुलिस के लोग रहे होंगे सादी वर्दी में…”

“वही तो, किसी ने नहीं देखा। यहाँ तक की चाकू लगते भी किसी ने नहीं देखा। और उसके बाद भी सिर्फ फेलू दा ने ही नोटिस किया। खून भी बस दो-चार बूँद ही गिरा होगा। चाकू भी कुछ अलग किस्म का था। सूजे ऐसा। लम्बा बहुत पतला और प्वाइण्टेड। फेलू दा के हिसाब से वो कालिया था। उन्होंने पीछा किया था उसका। गली में तेजी से मुड़ते उन्होंने उसे देखा लेकिन जब तक वो उस तक पहुँच पाते। उन्होंने देखा की वो एक मोटर बोट में बैठकर जा रहा था…”

“कुछ पता चला…” मुझसे नहीं रहा गया।

“नहीं आधे घंटे बाद वो बोट तुलसी घाट पे मिली। फोरेंसिक वाले छान रहे हैं उसे। एक फिंगर प्रिंट तक नहीं मिला और उसी घाट से एक मोटर बाइक भी चोरी हो गई है। फेलू दा का कहना है कोई फायदा नहीं अगर वो कालिया है। वो किसी ट्रेन के जनरल डिब्बे में बैठ गया होगा और मुगलसराय से पटना और फिर नेपाल। या। किसी ट्रेन से गोरखपुर फिर वहां से नेपाल। उसकी शकल तो किसी ने देखी नहीं तो पकड़ेंगे किसको।

मैंने बाद में कई सीनियर से बात की। कुछ कहते हैं की वो एक मिथ है। और कुछ मानते हैं की वर्ड का हाइयेस्ट पेड हत्यारा है, 7-8 केसेज में इंटरपोल को उसकी तलाश है। बस उसकी पहचान वही स्पेशल चाकू है। और जब उसकी हैंडल हम लोगों ने चेक की। जो जानकारी इंटरपोल से मिली थी हैंडल हाथी दांत की है और उसपर एक माइकोस्कोपिक “की” कार्ड है। उसके किये चार असेसिनेशन में ऐसे ही चाकू मिले थे…”



डी॰बी॰ एक पल के लिए रुके और मुझे बोलने का मौका मिल गया- “लेकिन जेड को आज दिन में क्योंक्यों नहीं पकड़ लिया गया। एक बार जब सुबह सारे बाम्ब, डिटोनेटर पकड़ लिए गए थे। तो उसके बाद तो मैं सोच रहा था की उसे भी पकड़ लिया गया होगा। मदनपूरा में भी तो आपने कर्फ्यू लगा ही रखा था…”
 
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गहराता प्लाट


डी॰बी॰ एक पल के लिए रुके और मुझे बोलने का मौका मिल गया- “लेकिन जेड को आज दिन में क्योंक्यों नहीं पकड़ लिया गया। एक बार जब सुबह सारे बाम्ब, डिटोनेटर पकड़ लिए गए थे। तो उसके बाद तो मैं सोच रहा था की उसे भी पकड़ लिया गया होगा। मदनपूरा में भी तो आपने कर्फ्यू लगा ही रखा था…”


अब उनकी बात काटने की बारी थी- “सोच तो मैं भी यही रहा था लेकिन सब कुछ हमारे तुम्हारे सोचने से ही नहीं होता भैया। और भी लोग हैं। मैं तुमसे शेयर तो नहीं कर सकता था। लेकिन अब वो नहीं रहा तो। तुमने और रीत ने जिसे पकड़ा था। वो जहरीला सांप ही नहीं था। हजार सिर वाला महानाग था। स्लीपर होने के साथ। उसके पासपोर्ट के डिटेल जब रा ने चेक किये तो पता चला की जब वो विदेश गया था तो वहां एक बड़े टेररिस्ट ग्रुप की मीटिंग थी और ऐसा तीन-चार बार हुआ। खैर आई॰बी॰ की प्लानिंग ये थी की ये अगर नेपाल जाता है तो उसे ट्रेस कर हम नेपाल के टेरर हब के बारे में पता कर सकते हैं। तुम्हें तो मालूम है इस आपरेशन के लिए आर॰डी॰एक्स॰ नेपाल से आया…”


मैंने सोचा मुझसे ज्यादा कौन जानता होगा। और क्या प्लानिंग थी।

नेपाल बार्डर पर एक ड्रग हाल की लीक हुई और सारे कस्टम वाले पुलिस वाले वहीं लग गए थे। और ड्रग्स पकड़ी भी गईं एक बहुत बड़ा हाल था। लेकिन ठीक उसी समय एक खेत से आर॰डी॰एक्स॰ का बहुत बड़ा कन्साइन्मेंट। और वहां से कचरे के ट्रक में रख कर। जिससे कोई भी स्निफिंग उसे पकड़ ना पाए और वही बनारस, मुम्बई और बड़ौदा…”


डी॰बी॰ ने अपनी बात आगे बढ़ाई।


डी॰बी॰ ने अपनी बात आगे बढ़ाई-

“पिछले तीन महीनों में नेपाल से फर्जी नोटों का भी बहुत बड़ा जखीरा भारत आया है। समझौता एक्सप्रेस की चेकिंग के बाद अब उधर से आना बंद हो गया तो इधर से। और ये पूरी इकोनामी को सैबोटेज कर रहा है। रा और आई॰बी॰ ने ये कनफर्म किया है की वो सेंटर नेपाल में पश्चिमी इलाके में कहीं है लेकिन सही पता नहीं चला पा रहा है। पिछले साल सत्रह करोड़ फेक करेंसी नोट्स सीज हुए थे। इस साल आल रेडी बाइस करोड़ से ऊपर सीज हो चुका है। नार्मली सीजर कुल पम्प किये रूपय्यों का 10% से ज्यादा नहीं होता तो ये मान सकते हो की करीब दो सौ करोड़ से ऊपर की फेक मनी इकोनामी में घुस गई है। ये इकोनामिक टेररिज्म, बम वाले टेरऱ से कम खतरनाक नहीं हैं। इस पैसे का करीब सत्तर से अस्सी फीसदी नेपाल से ही होकर आता है। एक अलग से एफ आइ सी एन (फेक इन्डियन करेंसी नोट्स) विंग बनाई गई है और नेपाल सरकार से हम लोग हमेशा सपोर्ट के लिए बोलते हैं। लेकिन वहां जो पोलिटिकल चेंजेस हुए हैं वो सरकार अब उतनी इन्डियन फ्रेंडली नहीं है…”

डी॰बी॰ की बात सही थी।

पहले तो साइकिल से रिक्शा से, सुनौली बार्डर से जो चाहे वो। कितने तो कुरियर थे और अब जब से कंटेनर का धंधा चालू हुआ है, कस्टम वाले सारे कंटेनर तो खोल नहीं सकते और अगर उनमें से कुछ मिले हों। कितने फेक नोट एक साथ आ जायेंगे मैंने सोचा।

डी॰बी॰ ने गाड़ी इतिहास की ओर मोड़ दी थी।

“कंधार की याद है फ्लाईट 814 की…” उन्होंने पूछा।

“कौन भूल सकता है, काठमांडू से ही हाइजैक वाले चढ़े थे…” मैंने बोला।



“लेकिन सिर्फ दो-तीन लोग ऐसे प्लेन नहीं हाइजेक कर सकते उनके पीछे पूरा सपोर्ट सिस्टम रहता है…” वो बोले। फिर बात आगे बढ़ाई- “हम लोगों की बात पे तो कोई यकीन करता नहीं है, ये सबूत दो वो सबूत दो। लेकिन अमेरिकन एम्बसी ने आठ जुलाई 1997 को एक केबल भेजा था जिसे खुद उस समय के राजदूत, फ्रांक विस्नर ने साइन किया था।

साफ-साफ लिखा था की उस हाइजेकिंग के पहले आई एस आई ने नेपाल में एक टेरर हब खोला था। उससे कई आर्गनाइजेशन चलते थे। उसमें से एक आर्गनाइजेशन था जे के आई अफ (जम्मू कश्मीर इस्लामिक फ्रंट)। उस केबल में ये साफ-साफ लिखा था की जे के आई एफ का जो किंग पिन था जावेद करवाह। उसका काठमांडू में कारपेट का बड़ा बिजनेस था। आक्युपाइएड कश्मीर में बिलाल बेग उनका एजेंट था जो मुजफ्फराबाद में कैम्प चलाता था। हाइजैक के अलावा, उस केबल में ये भी जिक्र था की काठमांडू बेस्ड इस ग्रुप का इश्तेमाल लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में बाम्ब ब्लास्ट के लिए भी किया गया।

उस केबल के अनुसार आई एस आई के एक कर्नल फारुक ने ये काम बिलाल बेग और टाइगर मेमन को सौंपा था, जिन्होंने काठमांडू बेस्ड लतीफ और जावेद कार्वाह को इस काम के लिए निर्देशित किया। इस मामले में इश्तेमाल किया आर॰डी॰एक्स॰ भी काठमांडू से ही आया था।

इसी तरह दौसा (राजस्थान) के पास बस में किये गए बम ब्लास्ट में भी यही ग्रुप सक्रिय था। इतनी बात तो उस अमेरिकन केबल ने कबूली है, असलियत इससे कम से कम बीस गुना ज्यादा है…” डी॰बी॰ बोले।

लेकिन ये बात थोड़ी पहले की नहीं हो गई। मैंने शंका जतायी।

“हाँ, और नहीं…” वो बोले। फिर उन्होंने सिचुएशन साफ की।

थ्रेट परसेप्शन इस समय पहले से सात गुना ज्यादा है उस दिशा से खतरे का और ये सिर्फ हमारी नहीं कई विदेशी सिक्योरिटी एजेंसीज का निष्कर्ष है। लेकिन ज्यादा बड़ा डर है भविष्य का। अफगानिस्तान, ईराक में हालत सुधरने के बाद ये लग रहा है की कहीं साउथ एशीया टार्गेट ना हो। इसलिए जब तीन शहरों पर एक साथ हमले की खबर पता चली तो सेंटर ने इसे कुछ फारेन एजेंसीज से भी शेयर किया। और क्योंकि सारा आर॰डी॰एक्स॰ नेपाल से आया था और फेक करेंसी में भी अचानक इतनी बढ़त हो गई। तो नेपाल के उस टेरर हब को ट्रेस करना फर्स्ट टार्गेट हो गया।

 
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थ्रेट परसेप्शन, ख़तरा


लेकिन ये बात थोड़ी पहले की नहीं हो गई। मैंने शंका जतायी।

“हाँ, और नहीं…” वो बोले। फिर उन्होंने सिचुएशन साफ की।

थ्रेट परसेप्शन इस समय पहले से सात गुना ज्यादा है उस दिशा से खतरे का और ये सिर्फ हमारी नहीं कई विदेशी सिक्योरिटी एजेंसीज का निष्कर्ष है। लेकिन ज्यादा बड़ा डर है भविष्य का। अफगानिस्तान, ईराक में हालत सुधरने के बाद ये लग रहा है की कहीं साउथ एशीया टार्गेट ना हो। इसलिए जब तीन शहरों पर एक साथ हमले की खबर पता चली तो सेंटर ने इसे कुछ फारेन एजेंसीज से भी शेयर किया। और क्योंकि सारा आर॰डी॰एक्स॰ नेपाल से आया था और फेक करेंसी में भी अचानक इतनी बढ़त हो गई। तो नेपाल के उस टेरर हब को ट्रेस करना फर्स्ट टार्गेट हो गया।

आई॰बी॰ का भी में इंटरेस्ट वही था। टेरर की जड़ तक पहुँचने का। बनारस उन्होंने मेरे भरोसे छोड़ा था। हालांकि अपनी ओर से उन्होंने हेल्प भी की थी। और बनारस सच पूछो तो मुझसे ज्यादा बनारस वालियों और बनारस वालों के भरोसे था। रीत, रेहान, कार्लोस सिद्दीकी। खैर, तो इसलिए ये डिसिजन लिया गया था की, वि शुड गिव अ लान्ग रोप टू जेड। और उसको फालो करके नेपाल के अन्दर पहुँचे। अब वो कहानी ही खतम हो गई। उन्होंने सांस ली।



मैंने भी सांस ली। ये पहलू मेरे दिमाग में आया ही नहीं था।



तब तक फोन पर फोन की घंटी की आवाज आई। मैं होल्ड किये हुए था। लैंड लाइन पे कोई डी॰बी॰ के लिए फोन था। उनकी आवाज सुनाई पड़ रही थी- “हाँ। ओके। नो। माय डैम बैड…” और उन्होंने वो फोन रखा की दो-तीन फोन एक साथ बजे और वो बारी-बारी से सबसे बात कर रहे थे।

“आर यू श्योर। एल॰आई॰यू॰। इन्फारमर से पता। सेम थिंग। चलो। अब तो खैर…”

फिर वो वापस मेरे फोन पर आये- “मार्चुरी से रिपोर्ट थी। जेड के ठीक सामने के दो दांत नकली और खोखले थे और उनमें सायनाइड था। इसका मतलब उसको ज़िंदा पकड़ना लगभग असंभव था। जीभ के एक पुश से वो सायनाइड रिलीज कर सकता था। और सेकेंडो में उसकी डेथ हो जाती। अगर हमारी कस्टडी में उसकी डेथ होती। तो अभी जो एल॰आई॰यू॰ (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की रिपोर्ट है। उसके हिसाब से बवाल होने की पूरी तैयारी थी। कई इलाकों के खबरी ने भी यही जानकारी दिया है। यानी सांप छछुंदर वाली हालत…”

फिर उन्होंने बोला- “असल में तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी, तुम्हारे बारे में थी इन सब चीजों के बारे में नही। लेकिन मैं एकदम भूल गया। दो प्लेट समोसे ले आओ गरम हाँ उसी दुकान से। (मुझसे नहीं, अपने चपरासी से बोला होगा)। हाँ तो।

मैंने बात काटकर पूछा- “कोई और बैठा है क्या आपके पास?” मैंने जासूसी बुद्धि लगाई।

“क्यों?” वो बोले।

“वो दो प्लेट समोसे…” मैंने अपने निष्कर्ष का आधार बताया।



“तो क्या मैं अकेले दो प्लेट समोसे नहीं खा सकता। वाह। अच्छा अब तुम दस पन्द्र्ह मिनट बाद फोन करना तब तक मुझे याद आ जायेगा की तुम्हारी क्या बात थी…” और ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।



फिर मैंने सोचा की तब तक कालिया के बारे में कुछ पता लगाया जाय। सबसे पहले मैंने फेलू दा से बात की। वो वहां थे जब जेड का मर्डर हुआ और ये महज संयोग नहीं था, उन्हें कुछ जरूर आशंका रही होगी।



और पुलिस को भी उन्होंने ही कालिया का नाम बताया। उनसे बात करके फिर मैंने कार्लोस से पता किया। इंटरनेशल टेरर के बारे उनकी जानकारी सबसे ज्यादा थी। अपने हैकर मित्रों को भी मैंने इस नई घटना की जानकारी दी और उन्होंने भी बोला की वो चेक करके बतायेंगे। पता ये चला की किसी को कुछ ज्यादा पता नहीं है लेकिन जो भी था डराने वाला था।



और मैंने कालिया के बारे में सोचना शुरू किया।
 

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कालिया,... ब्लैक निंजा




मैंने सोचा की तब तक कालिया के बारे में कुछ पता लगाया जाय। सबसे पहले मैंने फेलू दा से बात की। वो वहां थे जब जेड का मर्डर हुआ और ये महज संयोग नहीं था, उन्हें कुछ जरूर आशंका रही होगी।

और पुलिस को भी उन्होंने ही कालिया का नाम बताया। उनसे बात करके फिर मैंने कार्लोस से पता किया। इंटरनेशल टेरर के बारे उनकी जानकारी सबसे ज्यादा थी। अपने हैकर मित्रों को भी मैंने इस नई घटना की जानकारी दी और उन्होंने भी बोला की वो चेक करके बतायेंगे। पता ये चला की किसी को कुछ ज्यादा पता नहीं है लेकिन जो भी था डराने वाला था।

और मैंने कालिया के बारे में सोचना शुरू किया।



मर्डर इनकार्पोरेटेड, यही तो नाम था उस साईट का। साईट पे जाकर भी मैंने सर्च किया। एक बड़ा सा चाकू बना था। खून टपकता। और एक बंद दरवाजा था। जिसपर लिखा था ओपन एट योर ओन रिस्क। मैंने क्लिक किया तो एक अट्टहास हुआ।

चर चर खुलता हुआ दरवाजा खुला और ढेर सारे चमगादड़ उड़े। फिर पूरे स्क्रीन पे जैसे खून की बारिश। फिर आया उसने मेरा कान्टैक्ट डिटेल मांगे। मैंने साईट बंद कर दी। तो बड़े जोर के अट्टहास की आवाज हुई और मेरा आई पी नम्बर और शहर का नाम लिख कर आ गया।

कुछ लोगों का कहना है की जो लोग कालिया से किसी मर्डर के लिए कान्टैक्ट करना चाहते हैं इसी साईट का इश्तेमाल करते हैं।



तो कुछ का कहना था की ये मात्र एक जोक है, एक प्रैंक। और कुछ का कहना था दोनों। वो उसे स्क्रीन की तरह इश्तेमाल करता है। लेकिन एक बात जो साफ हुई की। वो है। अब तक उसने यूरोप एशिया और दक्षिण अमेरिका में 7-8 मर्डर किये हैं, पिछले चार सालों में। लेकिन वो गन्स का इश्तेमाल नहीं करता ना ही एक्सप्लोसिव्स का। अपने पहले मर्डर में उसने क्रास बो का इश्तेमाल किया था, रशियन माफिया के एक बड़े बास को स्विस आल्प्स पे मारा था। उसके बाद कोलम्बियन ड्रग लार्ड को रियो में जब पहली बार उसने वो स्पेशल चाकू का इश्तेमाल किया।

तीसरी किलिंग अमेरिका के एक बड़े खरबपति, जिनके पास काफी डिफेंस कांट्रेक्ट थे। ये अकेला मर्डर था जब वो विक्टिम के पास आया था और उसने कोई फेंक कर मारने वाला अस्त्र इश्तेमाल नहीं किया। अस्त्र तो नहीं मिला लेकिन चोट से पता चला की उसने कटाना (एक जापानी तलवार) इश्तेमाल की थी और यही अकेला मौका था जब कुछ लोगों ने उसका पीछा किया था। और उन पर भी उसने हिरा शुरिकें का इश्तेमाल किया था। तभी से कुछ लोग उसे निन्जा मानने लगे थे। लेकिन ये चीज पता थी की वो मंगोलायड नहीं है। (सी॰सी॰टीवी कैमरों से) और उसकी चाल ढाल साऊथ एशियन है। इसलिए कुछ लोग उसे ब्लैक निन्जा भी कहते हैं।

आज तक किसी भी प्लेस से ना तो उसका फिंगर प्रिंट मिला ना डी॰एन॰ए॰।

उसके पेमेंट का सिस्टम भी अलग है। 70% पैसा वो कैश में लेता है जो केमैन आईलेंड ऐसे बैंक अकाउंट्स के जरिये प्रासेस होता है और आधे घंटे में अन ट्रेसेबल हो जाता है। बाकी पैसा वो स्टाक के रूप में लेता है। जो उसी दिन ट्रेडिंग में चला जाता है।

दो तिहाई पैसा काम होने के पहले और बाकी बाद में।

उसका इश्तेमाल माफिया, ड्रग लार्ड्स और यहाँ तक की कुछ कंट्रीज ने भी किया है। उसकी फीस कितनी है इसके बारे में अलग-अलग राय है। लेकिन वह बहुत कुछ काम के ऊपर है। उसके फेंके गए हथियारों पर माइक्रोस्कोपिक “के…” कारव रहता है और वो (जब सी॰सी॰टीवी में उसकी पिक्चर कैद हुई थी) काले कपड़े पहने रहता है, साउथ एशियन होने के कारण किसी ने उसे ब्लैक निन्जा तो किसी ने कालिया नाम दे दिया है। कार्लोस ने बोला था की ऐसी हालत में हमें आज हुए बड़े ट्रांजैक्शन ट्रैक करने चाहिये। शायद फाइनेन्सियल इन्टेलिजेन्स यूनिट इसे ट्रैक कर भी रही है।



मुझे लगा की इसपर और ज्यादा दिमाग खपाने का मतलब नहीं। मैं उठने ही वाला था की मुझे याद आया 10 मिनट बाद डी॰बी॰ को फोन करना था। उन्हें मेरे बारे में कुछ बताना था। क्या हो सकती है ये बात। तभी डी॰बी॰ का खुद फोन आ गया।
 

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मकड़ जाल










मैं उठने ही वाला था की मुझे याद आया 10 मिनट बाद डी॰बी॰ को फोन करना था। उन्हें मेरे बारे में कुछ बताना था। क्या हो सकती है ये बात। तभी डी॰बी॰ का खुद फोन आ गया।

वो हँसे, टिपिकल धुरंधर भाटवडेकर। हँसी और बोले- “ये जासूसी किताब नहीं है की आखिरी में सब कुछ एकदम साफ। और ये एक मकड़ जाल है और हम लोग किनारे पे टहल रहे हैं। और। आखीरकार, कोई तो होगा जो इन सबको जोड़ता होगा। और वो कहीं सीमा पार नहीं है हमारे बीच में है। सिर्फ पैसे और पावर के लालच में वो खेल रहा है।

ये तो तुम लोगों ने ही बताया था की सेटेलाइट फोन से सिर्फ जेड ही बात कर रहा था। मैं एक सवाल पूछता हूँ तुम दिमाग लगाओ…”



मेरे दिमाग में ताकत बची नहीं थी। लेकिन उन्होंने पूछ लिया-


“जेड के मारने के बारे में सोचो। तीन सिचुएशन थी। एक उन लोगों का आपरेशन सफल हो जाता और जेड काठमांडू निकल जाता। दूसरी हम लोग जेड को पकड़ लेते। वो अपने सायनाइड वाले दांत से सुसाइड कर लेता और पुलिस कस्टडी में डेथ के नाम पे कुछ लोग दंगा भड़काते। और तीसरा उनका आपरेशन फेल होने के बाद भी हम जेड को जाने देते। तो अगला ये समझता की हम जेड को ट्रैक कर रहे हैं और जेड को मारने का फैसला। मारने वाला भी बाहर से आया। यानी वो तीनों सिचुएशन के लिए तैयार थे। और कोई यही था, कोई जरूरी नहीं बनारस में हो लेकिन वो यूपी या आसपास ही होगा। जिसने ये फैसला लिया। तो अब मुझे उसे पकड़ना है। मकड़े को…” वो बोले।

हम दोनों ने साथ-साथ ठंडी सांस ली।

“नौकरी आसान नहीं है ये…” मैंने खुद से बोला।




“खैर तुम ये सब चिंता मत करो। मैं दो-चार दिन में समेट लूँगा।
डी बी बोले और उन्होंने फोन रख दिया।
 
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Rajizexy

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कालिया, ज़ेड बनारस और रीत
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और अगर मैं गुड्डी से कहता की, " अगर तुम न होती तो शायद,... "

उस घायल हालात में भी वो पहले तो मेरा मुंह बंद करती और दस बात सुनाती,...

" क्यों न होती मैं,... और कौन होता मेरी जगह, ज़रा बोल तो, मुंह नोच लूंगी उसका, तेरी जितनी मां बहने हैं सब के अगवाड़े पिछवाड़े चढ़ो उतरो कबड्डी खेलो,... जितनी मर्जी उतना लेकिन मैं तो मैं हूँ ,... और सात जनम का तो लिखवा के आयी हूँ ऊपर से, आठवें तुझे अपनी सजनी बना के रगडूंगी और बताउंगी की कैसे जबरदस्ती, जब चाहो तब बिन पूछे रगड़ना चाहिए,... उसके बाद की देखी जाएगी।


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कहानी कालिया की शुरू हुयी थी , बल्कि इस कहानी में वो आया था बनारस से, जेड के चक्कर,... कौन जेड , चलिए बस थोड़े से पन्ने पलटिये

लेकिन बस दस पंद्रह मिनट में ग्लाक की उस ट्रेनिंग ने, ... हम सब को बचा लिया,... कालिया का वार आज तक खाली नहीं गया, लेकिन कंधे में घुसी गुड्डी के ग्लाक से चली गोली और मिल गया वो मौका,... कालिया जिससे कोई नहीं जीत पाया था, गुड्डी की गोली,

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सब को अंदाज था की हर जगह अलग अलग स्लीपर सेल होंगे, और उसके हेड को भी सेल से ज्यादा शायद ही मालूम हो, लेकिन उसके भी पकडे जाने से कुछ तार तो जुड़ते, आगे का पता चलता,... लेकिन कालिया के हाथ कानून के हाथ से भी लम्बे थे, पकडे जाने के ठीक पहले, पत्ता साफ़

बनारस के आपरेशन के सेंटर में था जेड, और बड़ी मुश्किल से रीत ने कुछ कार्लोस कुछ अपनी ठरकी सेना कुछ इधर उधर,... पर जेड के पकडे जाने के पहले ही

बात शुरू हुयी थी आर डी एक्स से, बनारस में बम बम तो होता ही रहता है, छुटभैये इधर उधर दिवाली के पटाखे की तरह और पहले तो लगा चुम्मन भी उसी तरह,... कोई पटाखा नुमा,... लेकिन रीत की जिद,... और एक एक कर के सब तार जुड़ते चले गए

चुम्मन को लेकर स्निफर डाग्स के साथ वो लोग काशी करवट की उस जगह पे भी गए।

स्निफर डाग्स ने उस जगह आर॰डी॰एक्स॰ को भी स्निफ किया और डिटोनेटर्स को भी। ये साफ लग रहा था की बाम्ब वहीं असेम्बल हुए हैं और ये हुजी के उस आपरेटिव के अलावा किसी के बस की बात नहीं। डाग्स ने उसको ट्रेस करने की भी कोशिश की। लेकिन सारी सेंट गंगा के पास जाकर खतम हो गई थी। इसका मतलब था की नदी के रास्ते ट्रांसपोर्ट किया गया है। ये भी अंदाज लग रहा है की वो बाम्ब मेकर कम से कम 36 घंटे वहां था।

चुम्मन ने उसके पास एक काठमांडू जाने का एयर टिकट भी देखा था।

दूसरी इम्पार्टेंट बात जो पता चली की अब ये अंदाजा लग गया है की आर॰डी॰एक्स॰ कैसे आया। कई बार स्मगलर्स जानबूझ के कुछ सामान कस्टम्स को पकड़वा देते हैं जिससे कुछ दिन तक हीट कम हो जाय। लेकिन ये हाल बहुत बड़ा नहीं होता।



अभी लेकिन कुछ दिन पहले कस्टम्स को एक अब्नार्मल हाल का अंदाज लगा और उन्होंने काफी पुलिस की भी सहायता लेकर सुनौली बार्डर पे हिरोइन की एक रिकार्ड खेप पकड़ी। शुक्ला ने गोरखपुर के एक गैंग, से बात करके पता किया की वो शायद कैमफ्लाज था।

सारी की सारी पुलिस 15-20 किलोमीटर में लग गई थी और वहां से 40 किलोमीटर दूर एक नाले के रास्ते से दो-चार बोरे कोई सामान स्मगल हुआ। जो एक भरी हुई गारबेज ट्रक में रखकर बनारस आया। गार्बेज ट्रक के दो एडवांटेज थे। एक तो उसे कोई अन्दर तक चेक नहीं करता और दूसरे उसकी बदबू में आर॰डी॰एक्स॰ की महक दब जाती है। वो ट्रक 15 दिन पहले आजमगढ़ म्युनिस्पिलीटी से चोरी हुआ था। टोल के सी॰सी॰टीवी से उसका डिटेल मिल गया, पर ट्रक नहीं मिला, ...


लेकिन रीत को अंदाज था की जेड ( ये नाम भी रीत ने रखा था ) ने नाव का इस्तेमाल किया होगा आने जाने के लिए इसलिए स्नीफर डॉग्स को कुछ पता नहीं चल रहा है, जेड का भी पता रीत ने लगाया, वो सोनारपुरा में रहता था और साड़ियों का कारोबार ये भी रीत ने पता किया कपड़ो की गाँठ उसने बनारस से बड़ौदा भेजा है


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लेकिन जब एकदम पुलिस उसे पकड़ने वाली थी तो कालिया,...

मेरे दिमाग में सब बातें पिक्चर के रील की तरह घूम रही थीं
Awesome thriller update,
jo sirf Komal jesi diggaz gr8 writer hi likh sakti hai,
adult story mein thriller update add karna
kisi ordinary writer ke bas ka nahi hai.


200-2
didi vistarit comments baad mein dungi pointwise
 

komaalrani

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Awesome thriller update,
jo sirf Komal jesi diggaz gr8 writer hi likh sakti hai,
adult story mein thriller update add karna
kisi ordinary writer ke bas ka nahi hai.


200-2
didi vistarit comments baad mein dungi pointwise
Thanks sooooooooooooo much, is thriller ne aapkp thril kiya and first comment jab aap ka ho to phir is se acchi shuraat kya hogi
और मैंने जोरू का गुलाम में भी अपडेट दे दिया है

जोरू का गुलाम भाग १९६

भीगी रात, भीगा तन, भीगा मन

https://exforum.live/threads/जोरू-का-गुलाम-उर्फ़-जे-के-जी.12614/page-842

 

komaalrani

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Update posted

जोरू का गुलाम भाग १९६

भीगी रात, भीगा तन, भीगा मन
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Please do read, like, enjoy and post your comments.
 

Sutradhar

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मकड़ जाल










मैं उठने ही वाला था की मुझे याद आया 10 मिनट बाद डी॰बी॰ को फोन करना था। उन्हें मेरे बारे में कुछ बताना था। क्या हो सकती है ये बात। तभी डी॰बी॰ का खुद फोन आ गया।

वो हँसे, टिपिकल धुरंधर भाटवडेकर। हँसी और बोले- “ये जासूसी किताब नहीं है की आखिरी में सब कुछ एकदम साफ। और ये एक मकड़ जाल है और हम लोग किनारे पे टहल रहे हैं। और। आखीरकार, कोई तो होगा जो इन सबको जोड़ता होगा। और वो कहीं सीमा पार नहीं है हमारे बीच में है। सिर्फ पैसे और पावर के लालच में वो खेल रहा है।

ये तो तुम लोगों ने ही बताया था की सेटेलाइट फोन से सिर्फ जेड ही बात कर रहा था। मैं एक सवाल पूछता हूँ तुम दिमाग लगाओ…”



मेरे दिमाग में ताकत बची नहीं थी। लेकिन उन्होंने पूछ लिया-


“जेड के मारने के बारे में सोचो। तीन सिचुएशन थी। एक उन लोगों का आपरेशन सफल हो जाता और जेड काठमांडू निकल जाता। दूसरी हम लोग जेड को पकड़ लेते। वो अपने सायनाइड वाले दांत से सुसाइड कर लेता और पुलिस कस्टडी में डेथ के नाम पे कुछ लोग दंगा भड़काते। और तीसरा उनका आपरेशन फेल होने के बाद भी हम जेड को जाने देते। तो अगला ये समझता की हम जेड को ट्रैक कर रहे हैं और जेड को मारने का फैसला। मारने वाला भी बाहर से आया। यानी वो तीनों सिचुएशन के लिए तैयार थे। और कोई यही था, कोई जरूरी नहीं बनारस में हो लेकिन वो यूपी या आसपास ही होगा। जिसने ये फैसला लिया। तो अब मुझे उसे पकड़ना है। मकड़े को…” वो बोले।

हम दोनों ने साथ-साथ ठंडी सांस ली।

“नौकरी आसान नहीं है ये…” मैंने खुद से बोला।




“खैर तुम ये सब चिंता मत करो। मैं दो-चार दिन में समेट लूँगा।
डी बी बोले और उन्होंने फोन रख दिया।
कोमल जी

कहानी का ये भाग कई बार पढ़ा है और हर बार आपकी शानदार डिटेलिंग को दाद देने का मन करता है। क्या लिखती हैं आप !!!

इतनी बारीकी, सब कुछ जैसे हमारे आस - पास हो रहा हो।

सादर
 
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