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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






Teej-Anveshi-Jain-1619783350-anveshi-jain-2.jpg





तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

komaalrani

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One of my LONGEST UPDATES posted

more than 5,800 words, 9 parts

कबड्डी ननद भौजाई की -राउंड ३

भाग ६१


please do read, enjoy, like and comment. your comments inspire me to write more.
 

komaalrani

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Awesome thriller update,
jo sirf Komal jesi diggaz gr8 writer hi likh sakti hai,
adult story mein thriller update add karna
kisi ordinary writer ke bas ka nahi hai.


200-2
didi vistarit comments baad mein dungi pointwise
Thanks so much for enjoying the thrills of the thriller, ... taken from Phagun ke din chaar with a difference. Characters who had a cameo role there and appeaerd in story for a few times,... I picked them and made a connecting narrative. Thanks sooooooooooooooooo much.
Thanks Thank You GIF by 大姚Dayao
 

komaalrani

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कोमल जी

कहानी का ये भाग कई बार पढ़ा है और हर बार आपकी शानदार डिटेलिंग को दाद देने का मन करता है। क्या लिखती हैं आप !!!

इतनी बारीकी, सब कुछ जैसे हमारे आस - पास हो रहा हो।

सादर
इस कहानी में कुछ करेक्टर्स के कैमियो ऐसे रोल थे, और वो पूरी कहानी में अलग अलग जगहों पर आये थे, शीला भाभी के बारे में लिखने के बाद मुझे लगा की कुछ प्रसंग इस लम्बी कहानी के जोड़ कर फिर से प्रस्तुत करने पर शायद उन घटनाओ की याद ताजा हो जाए।

कालिया इस कहानी में तीन बार आया

लेकिन कुछ अन्य प्रसंग इसलिए मैंने जोड़े की जिन्होंने फागुन के दिन चार न पढ़ी हो या विस्मृत हो गयी हो, उन्हें भी कहानी के लिंक जोड़ने में समझने में दुविधा न हो,...


आभार आपका इसलिए भी की शीला भाभी की ओर आपने ध्यान दिलाया।
 

komaalrani

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कालिया, बड़ोदा,और सर कटी लाश


मीनल बहुत जोर से चिल्लाई, दर्द से नहीं डर से, भयानक डर से। वो इतनी जोर से उछली की रीत आलमोस्ट पलंग से नीचे आ गई। मीनल के सिर के पास ही, करन का मोबाइल रखा था। वो उसी को दिखा दिखाकर चिल्ला रही थी।

और जब रीत और करन ने उसे देखा तो उनकी भी हालत खराब हो गई, एक कटा हुआ सर, एक कटे हुए सिर का फोटो। जब करन ने उसे खोला तो देखा ये पुलिस कमिश्नर का मेसेज था, ये सिर माही नदी के किनारे से मिला था थोड़ी देर पहले और कुछ ही दूर पे उसका धड़ भी था।

यह फोटो उन्होंने रीत और मीनल को पहचानने के लिए दिया था की क्या ये वोही आदमी है, जो “वाई” की हेल्प के लिए कोशिश कर रहा था, और जिसके स्नैप मीनल ने खींचकर पुलिस के पास भेजे थे?



जिस तरह मीनल चिल्ला रही थी, उसमें कोई शक नहीं था, वो बस बोल रही थी, वही है, वही है।

तब तक एक और पिक्चर सन्देश आया। इसमें शेष शरीर का चित्र था। जहां से गला कटा था, वहाँ ज्यादा खून नहीं था। गले के नीचे एक जगह पर चाकू का हल्का सा निशान था और दो-चार बूंदें खून की थी। रीत बहुत ध्यान से उसे देखती रही, उसके चेहरे पे परेशानी के निशान थे।

रीत ने जो कुछ देखा था और जो उसका अंदाज था वो बता दिया।

वो करन की ओर मुड़ी और बोली- “कालिया, सेंट परसेंट कालिया…”

करन भी फोटो बहुत ध्यान से देख रहा था। उसने भी हामी में सिर हिलाया, फिर रीत से पूछा- “ये तुम कैसे श्योर हो?”

मीनल का डर अब निकल गया था और वो उन दोनों की बात सुन रही थी।

“देखो, बनारस में जेड का मर्डर भी उसी ने किया था। जब जेड की प्लानिग फेल हो गई और ये लगा की या तो उसे पकड़ लिया जायेगा, या उसका पीछा करके पुलिस सोर्स तक पहुँचेगी, तो गोदौलिया पे भरी भीड़ में, चारों ओर पुलिस के लोग थे आई॰बी॰ के लोग थे, उसने उसे पार लगा दिया। उसकी चाकू की एक खास स्टाइल है और ये गारंटी है की पुलिस उसका पता नहीं लगा सकती। वो उनका फेल सेफ अरेंजमेंट है। अगर स्लीपर उनका फेल हो जाय तो उसका पत्ता साफ करने के लिए। आज एम्बुलेंस से तुम वाई को पकड़ ले गए और अब वो उनके कब्जे से बाहर हो गया, ।

लेकिन ये जो छुटभैया, वाई की हेल्प के लिए उन्होंने रख छोड़ा था, उसने उसी का पत्ता साफ कर दिया। उसको इंस्ट्रक्शन रहा होगा, और फिर उसे ये भी शक हो गया होगा की कहीं मैंने और मीनल ने उसे देखा न हो, और पुलिस उसको ट्रेस करके कुछ उगलवा ना ले, इसलिये कालिया ने उसे ऊपर पहुँचा दिया…”

मीनल को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने रीत से पूछा- “ये कालिया कौन है?”

“मैं बताता हूँ…” करन बोला- “ये दुनियां का हाइएस्ट पेड़ असैसिन है। इसके पीछे दर्जन भर देशों की पुलिस, इंटरपोल सब लगे हैं, लेकिन एक ढंग का फोटो भी नहीं है। वो एक खास चाकू से वार करता है, जिसकी नोक और धार एक खास किस्म की है, और उसके विक्टिम को देखकर ये अंदाजा लग जाता है, की ये कालिया का शिकार है। उसका नाम नेशनलिटी भी कोई नहीं जानता। हाँ कुछ जगहों पे शुरू में उसके चाकू मिले थे जिसमें, माइक्रोस्कोपिक ‘के‘ खुदा हुआ है, हाथी दांत के हैंडल पे…”
 
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komaalrani

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वाई











बड़ौदा में जो स्लीपर सेल हेड कर रहा था उसे रीत ने कोड नेम ' वाई ' दिया था,... और वहां प्लान था इंडियन आयल की रिफायनरी और आस पास के पावर हाउसेज को ध्वस्त करने का रेलवे के वैगनों की सहायता से,... वैगनों में वो कुछ डिवाइस लगाते और जब वो रेल टैंकर पेट्रोलियम की लोडिंग के लिए रिफायनरी में जाते तो आधे से ज्यादा लोडिंग पूरा होने के बाद वो डिवाइसेज एक्टिवेट हो जातीं,... एक साथ तीन चार टैंकर रेक की लोडिंग वहां होती थी और उन के साथ साथ विस्फोट से न सिर्फ रिफायनरी बल्कि आस पास के इलाके में, उसी तरह से कोयले से लदे वैगन आस पास के पावर हाउसेज में तो वहां भी उसी तरह,... जब वह कोयला ब्व्यालर में जाता तो,...


रीत को मैंने मीनल का रिफरेंस दिया था, बड़ौदा में एम् एस युनिवरसिटी में फाइन आर्ट्स में पढ़ती थी और वहां के गली कूचे का उसे उसी तरह पता था जैसे रीत को बनारस की गलियों का,


और रीत ने तय कर लिया था की अबकी वाई को जिन्दा ही पकड़ना है, कुछ भी हो उसे किसी तरह कालिया के हाथ नहीं लगने देना है , जेड से तो न तो कुछ पूछताछ हो पायी न उस के तार कहाँ से जुड़े हैं ये पता चल पाया तो ये वाई के साथ न हो ,



उसे पहचाना भी रीत ने जिन्दा पकड़वाया भी,...



रीत ने जंग का मैदान तलाश लिया था। किसी भी लड़ाई में पहला कदम यही है की मैदान आपके अनुकूल हो और उसके चारों ओर की जानकारी आपको अच्छी तरह हो। इस जगह पे रिपयेर वाले स्टाफ कहीं से दिख नहीं रहे थे। दूसरे रिफायनरी की ओर से आने वाली सड़क का गेट बहुत पास था और सड़क वहाँ तक आ आ रही थी।



उसने फ्रेंडशिप ऐसे अपने कलाई पे बंधे बैंड का पीला बटन दबा दिया। उससे अब करन का डायरेक्ट कांटेक्ट स्टैब्लिश हो गया। उस बैंड का स्पेशल ऐप मोबाइल में था, उसके जी॰पी॰एस॰ पे अब साफ था जहाँ करन था, वहाँ से यहाँ क्या है और पहुँचने का समय चार मिनट दिखा रहा था।



रीत अब तैयार थी- अटैक।



मीनल अब तक उसे बातों में उलझाए थी, जब की वाई चाहता था की जल्द से जल्द उसे फुटाए। मीनल ने उससे बोला की बस वो उसे उससे दो-चार बातें लेना चाहती है, सिर्फ इस बात को हाइलाइट करने के लिए की जब लोग होली की छुट्टी मना रहे हैं तब भी आप लोग लगन से काम कर रहे हैं। बस वो जो मेरी असिस्टेंट खड़ी है न दो मिनट लगेगा वहीं।



वो घबड़ाया- “नहीं कोई फोटो वोटो नहीं, हमारे यहाँ परमिटेड नहीं है…”



मीनल ने उसे समझाया- “नहीं हम कोई इलेक्ट्रानिक मिडिया वाले नहीं है बस वो अभी सीख रही है न, तो मैं सवाल करूंगी, वो जवाब नोट करेगी…” और मीनल चलती हुई रीत के पास आ गई और पीछे-पीछे वो। मीनल और रीत इस तरह खड़ी थी की यार्ड में से कोई भी देखता, वही दोनों दिखती और वो उन दोनों के बीच, छिपा, ढंका।


सवाल मीनल ने शुरू किया और रीत वाई के पीछे खड़ी थी। मीनल ने कहा- “आप छुट्टी के दिन भी इतनी मेहनत से काम कर रहे हैं…”

वाई ने बोला- “जी…” लेकिन उसकी निगाहें इधर-उधर घूम रही थी, और हाथ में वो रेग्जीन वाला बैग बहुत कसकर पकड़े था। वही जिसमें से वो डिवाइसेज निकालकर लोगों को दे रहा था लगाने के लिए।

मीनल ने अगला सवाल किया- “लेकिन आप किस देश के लिए काम कर रहे हैं?”

अब वो चौंका, गुस्से में बोला- “मतलब?”

“मतलब, ये आप वैगन में बम क्यों लगा रहे हैं?” मीनल ने बोला।

जवाब उसके चाकू ने दिया, जिस फुर्ती से उसने चाकू से मीनल पे हमला किया।

रीत मान गई उसे।

लेकिन उतनी ही फुर्ती से मीनल का पेपर स्प्रे चला, वो सबसे ज्यादा पावरफुल स्प्रे था जिसमें आसाम की मशहूर भूत जोलकिया चिली का इश्तेमाल किया गया था।

साथ ही रीत के दोनों चले उसके घुटनों के जोड़ पे। नतीजा वही हुआ जो होना था, वो जमीन पे और चाकू ने सिर्फ मीनल के टाप को हाथ के पास से चीर दिया था और उसे हल्की खरोंच लगी थी। रीत ने साथ में ही अपने कलाई में बंधे बैंड पे रेड बैंड दबा दिया और उसी के साथ अपनी टेजर गन से गिरे हुए वाई के बाडी से सटाकर दो शाट मार दिए।

अब वो आधे एक घंटे के लिए बेकार था।


मीनल ने जमीन पे गिरा वाई का मोबाईल उठाकर अपने पर्स के हवाले किया और रीत ने अपने झोलेनुमा लेडीज पर्स में उसका वो रेग्जीन का बैग, जिसमें वो डिवाइसेज थी। इस सब में उन दोनों को एक मिनट से ज्यादा नहीं लगा। उसको उकसाना इसलिए जरूरी था जिससे कन्फर्म हो जाए की वो दुश्मन का एजेंट है, और दूसरे गुस्से में वो अपना कंट्रोल खो देगा और उसे न्यूट्रलाइज करना ज्यादा आसान होगा।

और वही हुआ।

तभी रीत ने अपनी पेरीफेरल विजन से देखा उसे कोई देख रहा है। और सतर्क हो गई। उसने मीनल को भी इशारा किया।

रीत ने झुक कर ‘वाई’ के गले के पास की एक नस दबा दी, सिर्फ दस सेकंड के लिए, और उसका असर ये हुआ की अब वो किसी तरह एक घंटे के पहले होश में नहीं आने वाला था। उससे भी ज्यादा ये हुआ की अब उसके सारे सिम्पटम हार्ट अटैक के थे, नब्ज़ स्लो हो गई थी, खून दबाव कम हो गया था। कोई डाक्टर भी बिना ई॰सी॰जी॰ किये ये नहीं कह सकता था कि, इसे हार्ट अटैक नहीं हुआ।

तब तक वही हुआ जिसका रीत को डर था। ढेर सारे काम करने वाले इकट्ठे हो गए, मारो मारो करते, और पीछे वही आदमी था जिसे रीत ने पेरीफेरल विजन से देखा था, वो सामने नहीं आ रहा था, लेकिन लोगों को उकसा रहा था- “यही दोनों हैं, क्या किया तुम दोनों ने मारा है इन्हें?”

मोर्चा मीनल ने फिर सम्हाला- “तुम लोग समझते क्यूँ नहीं, इन्हें हार्ट अटैक हुआ है, तुरंत हास्पिटल ले जाना जरूरी है…” वो बोली।

“हास्पिटल ले चलना है तो रेलवे हास्पिटल ले चलना है, प्रतापनगर…” एक बोला।

रीत अभी भी झुकी उसकी नब्ज़ देख रही थी। उसने कनखियों से देखा, वही आदमी अभी भी भीड़ को उकसा रहा था।

वो उठकर खड़ी हुई और बोली- “मैंने रिफायनरी की एम्बुलेंस को फोन कर दिया है वो अभी आ रही होगी…” उसने उस बैंड के सहारे जब रेड अलर्ट किया था तभी करन को बोल दिया था की वो रिफायनरी के एम्बुलेंस से आये।

“अरे रिफायनरी वाले कभी एम्बुलेंस नहीं भेजंगे, पहले इनको उठाओ आफिस में ले चलो…” एक कोई और चिल्लाया।

यही रीत नहीं चाहती थी। एक बार अगर वाई को वो उठा ले आते तो क्या होता पता नहीं। उसे वाई जिन्दा चाहिए था। वो जेड का हश्र बनारस में देख चुकी थी। आई॰बी॰ और पुलिस वाले देखते रह गए और भारी भीड़ में उसे गोदौलिया में खतम कर दिया। रीत ने फिर करन को फोन लगाया। करन ने बोला वो एम्बुलेंस में निकल गया है बस दो-तीन मिनट में पहुँच रहा है।



लेकिन दो-तीन मिनट भी मुश्किल पड़ रहे थे।
 

malikarman

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वाई











बड़ौदा में जो स्लीपर सेल हेड कर रहा था उसे रीत ने कोड नेम ' वाई ' दिया था,... और वहां प्लान था इंडियन आयल की रिफायनरी और आस पास के पावर हाउसेज को ध्वस्त करने का रेलवे के वैगनों की सहायता से,... वैगनों में वो कुछ डिवाइस लगाते और जब वो रेल टैंकर पेट्रोलियम की लोडिंग के लिए रिफायनरी में जाते तो आधे से ज्यादा लोडिंग पूरा होने के बाद वो डिवाइसेज एक्टिवेट हो जातीं,... एक साथ तीन चार टैंकर रेक की लोडिंग वहां होती थी और उन के साथ साथ विस्फोट से न सिर्फ रिफायनरी बल्कि आस पास के इलाके में, उसी तरह से कोयले से लदे वैगन आस पास के पावर हाउसेज में तो वहां भी उसी तरह,... जब वह कोयला ब्व्यालर में जाता तो,...


रीत को मैंने मीनल का रिफरेंस दिया था, बड़ौदा में एम् एस युनिवरसिटी में फाइन आर्ट्स में पढ़ती थी और वहां के गली कूचे का उसे उसी तरह पता था जैसे रीत को बनारस की गलियों का,


और रीत ने तय कर लिया था की अबकी वाई को जिन्दा ही पकड़ना है, कुछ भी हो उसे किसी तरह कालिया के हाथ नहीं लगने देना है , जेड से तो न तो कुछ पूछताछ हो पायी न उस के तार कहाँ से जुड़े हैं ये पता चल पाया तो ये वाई के साथ न हो ,



उसे पहचाना भी रीत ने जिन्दा पकड़वाया भी,...



रीत ने जंग का मैदान तलाश लिया था। किसी भी लड़ाई में पहला कदम यही है की मैदान आपके अनुकूल हो और उसके चारों ओर की जानकारी आपको अच्छी तरह हो। इस जगह पे रिपयेर वाले स्टाफ कहीं से दिख नहीं रहे थे। दूसरे रिफायनरी की ओर से आने वाली सड़क का गेट बहुत पास था और सड़क वहाँ तक आ आ रही थी।



उसने फ्रेंडशिप ऐसे अपने कलाई पे बंधे बैंड का पीला बटन दबा दिया। उससे अब करन का डायरेक्ट कांटेक्ट स्टैब्लिश हो गया। उस बैंड का स्पेशल ऐप मोबाइल में था, उसके जी॰पी॰एस॰ पे अब साफ था जहाँ करन था, वहाँ से यहाँ क्या है और पहुँचने का समय चार मिनट दिखा रहा था।



रीत अब तैयार थी- अटैक।



मीनल अब तक उसे बातों में उलझाए थी, जब की वाई चाहता था की जल्द से जल्द उसे फुटाए। मीनल ने उससे बोला की बस वो उसे उससे दो-चार बातें लेना चाहती है, सिर्फ इस बात को हाइलाइट करने के लिए की जब लोग होली की छुट्टी मना रहे हैं तब भी आप लोग लगन से काम कर रहे हैं। बस वो जो मेरी असिस्टेंट खड़ी है न दो मिनट लगेगा वहीं।



वो घबड़ाया- “नहीं कोई फोटो वोटो नहीं, हमारे यहाँ परमिटेड नहीं है…”



मीनल ने उसे समझाया- “नहीं हम कोई इलेक्ट्रानिक मिडिया वाले नहीं है बस वो अभी सीख रही है न, तो मैं सवाल करूंगी, वो जवाब नोट करेगी…” और मीनल चलती हुई रीत के पास आ गई और पीछे-पीछे वो। मीनल और रीत इस तरह खड़ी थी की यार्ड में से कोई भी देखता, वही दोनों दिखती और वो उन दोनों के बीच, छिपा, ढंका।


सवाल मीनल ने शुरू किया और रीत वाई के पीछे खड़ी थी। मीनल ने कहा- “आप छुट्टी के दिन भी इतनी मेहनत से काम कर रहे हैं…”

वाई ने बोला- “जी…” लेकिन उसकी निगाहें इधर-उधर घूम रही थी, और हाथ में वो रेग्जीन वाला बैग बहुत कसकर पकड़े था। वही जिसमें से वो डिवाइसेज निकालकर लोगों को दे रहा था लगाने के लिए।

मीनल ने अगला सवाल किया- “लेकिन आप किस देश के लिए काम कर रहे हैं?”

अब वो चौंका, गुस्से में बोला- “मतलब?”

“मतलब, ये आप वैगन में बम क्यों लगा रहे हैं?” मीनल ने बोला।

जवाब उसके चाकू ने दिया, जिस फुर्ती से उसने चाकू से मीनल पे हमला किया।

रीत मान गई उसे।

लेकिन उतनी ही फुर्ती से मीनल का पेपर स्प्रे चला, वो सबसे ज्यादा पावरफुल स्प्रे था जिसमें आसाम की मशहूर भूत जोलकिया चिली का इश्तेमाल किया गया था।

साथ ही रीत के दोनों चले उसके घुटनों के जोड़ पे। नतीजा वही हुआ जो होना था, वो जमीन पे और चाकू ने सिर्फ मीनल के टाप को हाथ के पास से चीर दिया था और उसे हल्की खरोंच लगी थी। रीत ने साथ में ही अपने कलाई में बंधे बैंड पे रेड बैंड दबा दिया और उसी के साथ अपनी टेजर गन से गिरे हुए वाई के बाडी से सटाकर दो शाट मार दिए।

अब वो आधे एक घंटे के लिए बेकार था।


मीनल ने जमीन पे गिरा वाई का मोबाईल उठाकर अपने पर्स के हवाले किया और रीत ने अपने झोलेनुमा लेडीज पर्स में उसका वो रेग्जीन का बैग, जिसमें वो डिवाइसेज थी। इस सब में उन दोनों को एक मिनट से ज्यादा नहीं लगा। उसको उकसाना इसलिए जरूरी था जिससे कन्फर्म हो जाए की वो दुश्मन का एजेंट है, और दूसरे गुस्से में वो अपना कंट्रोल खो देगा और उसे न्यूट्रलाइज करना ज्यादा आसान होगा।

और वही हुआ।

तभी रीत ने अपनी पेरीफेरल विजन से देखा उसे कोई देख रहा है। और सतर्क हो गई। उसने मीनल को भी इशारा किया।

रीत ने झुक कर ‘वाई’ के गले के पास की एक नस दबा दी, सिर्फ दस सेकंड के लिए, और उसका असर ये हुआ की अब वो किसी तरह एक घंटे के पहले होश में नहीं आने वाला था। उससे भी ज्यादा ये हुआ की अब उसके सारे सिम्पटम हार्ट अटैक के थे, नब्ज़ स्लो हो गई थी, खून दबाव कम हो गया था। कोई डाक्टर भी बिना ई॰सी॰जी॰ किये ये नहीं कह सकता था कि, इसे हार्ट अटैक नहीं हुआ।

तब तक वही हुआ जिसका रीत को डर था। ढेर सारे काम करने वाले इकट्ठे हो गए, मारो मारो करते, और पीछे वही आदमी था जिसे रीत ने पेरीफेरल विजन से देखा था, वो सामने नहीं आ रहा था, लेकिन लोगों को उकसा रहा था- “यही दोनों हैं, क्या किया तुम दोनों ने मारा है इन्हें?”

मोर्चा मीनल ने फिर सम्हाला- “तुम लोग समझते क्यूँ नहीं, इन्हें हार्ट अटैक हुआ है, तुरंत हास्पिटल ले जाना जरूरी है…” वो बोली।

“हास्पिटल ले चलना है तो रेलवे हास्पिटल ले चलना है, प्रतापनगर…” एक बोला।

रीत अभी भी झुकी उसकी नब्ज़ देख रही थी। उसने कनखियों से देखा, वही आदमी अभी भी भीड़ को उकसा रहा था।

वो उठकर खड़ी हुई और बोली- “मैंने रिफायनरी की एम्बुलेंस को फोन कर दिया है वो अभी आ रही होगी…” उसने उस बैंड के सहारे जब रेड अलर्ट किया था तभी करन को बोल दिया था की वो रिफायनरी के एम्बुलेंस से आये।

“अरे रिफायनरी वाले कभी एम्बुलेंस नहीं भेजंगे, पहले इनको उठाओ आफिस में ले चलो…” एक कोई और चिल्लाया।

यही रीत नहीं चाहती थी। एक बार अगर वाई को वो उठा ले आते तो क्या होता पता नहीं। उसे वाई जिन्दा चाहिए था। वो जेड का हश्र बनारस में देख चुकी थी। आई॰बी॰ और पुलिस वाले देखते रह गए और भारी भीड़ में उसे गोदौलिया में खतम कर दिया। रीत ने फिर करन को फोन लगाया। करन ने बोला वो एम्बुलेंस में निकल गया है बस दो-तीन मिनट में पहुँच रहा है।



लेकिन दो-तीन मिनट भी मुश्किल पड़ रहे थे।
Nice update
Par isme ab sex kyu nahi ho raha???
 

komaalrani

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Nice update
Par isme ab sex kyu nahi ho raha???
they are the pure thriller parts.
 

Sutradhar

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इस कहानी में कुछ करेक्टर्स के कैमियो ऐसे रोल थे, और वो पूरी कहानी में अलग अलग जगहों पर आये थे, शीला भाभी के बारे में लिखने के बाद मुझे लगा की कुछ प्रसंग इस लम्बी कहानी के जोड़ कर फिर से प्रस्तुत करने पर शायद उन घटनाओ की याद ताजा हो जाए।

कालिया इस कहानी में तीन बार आया

लेकिन कुछ अन्य प्रसंग इसलिए मैंने जोड़े की जिन्होंने फागुन के दिन चार न पढ़ी हो या विस्मृत हो गयी हो, उन्हें भी कहानी के लिंक जोड़ने में समझने में दुविधा न हो,...


आभार आपका इसलिए भी की शीला भाभी की ओर आपने ध्यान दिलाया।
धन्यवाद, कोमल जी

सादर
 

komaalrani

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धन्यवाद, कोमल जी

सादर
धन्यवाद तो मुझे आपको देना चाहिए बस एक दो दिन में यह प्रसंग भी आगे बढ़ेगा
 
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