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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २०२

यही सब सोचते अ‍ेक बार फीर पुनमकी चुत फडफडाते पानी छोडने लगी.. क्युकी वो जबभी लखनके बारेमे सोचती उनकी चुत फौरन हरकतमे आजाती थी.. तब पुनम बहुत कुछ समज गइ.. की उनका दिल कीतना भी लखनका बहीस्कार करे.. लेकीन उनके मनने ओर उनके तनने लखनको पुरी तराह स्वीकार करलीया था.. तभी मंजु बहारकी ओर नीकलते ही दयाको आवाज देकर बुलाती हे.. फीर लता ओर रजीयाको अपने रुममे भेजनेके लीये कहेती हे.. ओर अपने रुममे चली जाती हे.. तब कुछही देरमे रजीया ओर लता दोनो मंजुके रुममे आगइ.. तो मंजुने दोनोको मुस्कुराते बैठनेके लीये कहा....अब आगे

मंजुला : बैठो दोनो.. मुजे तुम दोनोसे जरुरी बात करनी हे..

लता रजीया : (बैठते) जी भाभी.. कहीये..

मंजुला : लता.. क्या कल तम्हारी पुनमसे कोइ बात हुइ हे..?

लता : (रजीयाकी ओर सरमाते मुस्कुराते) जी भाभी.. उन्होने मुजे सब कुछ बता दीया हे.. ओर मैने सब कुछ अ‍ेक्सेप्ट भी करलीया हे.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. क्युकी आपको भी सब पता हे मे यहा आपके देवरसे सादी करके क्यु आइ हु..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. हां मुजे सब पता हे.. तो सुन.. आजसे रजीया तुम्हारे ओर लखनके साथ ही रहेगी.. ओर तुम दोनोके साथ ही सोयेगी.. क्युकी ये सब लखनके लीये ओर तुम्हारे लीये भी जरुरी हे.. अब वक्त आगया हे.. की रजीयाके बारेमे सबको बतादु.. जो कल मे सुबह सबको जानकारी दे दुगी.. (रजीयाकी ओर देखते) रजु.. अब तु आजसे इन दोनोके साथ ही रहेगी.. ओर इनके साथ ही सोयेगी..

रजीया : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. वो.. वो.. क्या बडे मालीकको सब पता हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. अब बडे मालीक नही.. तेरे जेठ हे वो.. आजसे तुम भी इस घरकी बहु हे.. अब तुम उनको बडे भाइ ही कहेगी.. बाकी कल सुबह सबको पता चल जायेगा.. ओर सुन.. तुम आजसे ही लता लखनके साथ रहेने ओर सोने चली जाओ.. समजी..?

रजीया : (सर्मसार होते मुस्कुराते) जी. दीदी..

लता : (मुस्कुराते) हां रजीया दीदी.. चलो अपना बोरीया बीस्तरा बांधलो.. ओर देर रात आप हमारे रुममे आजाना.. अब सम्हालीये हमारे पतीको.. वहा सहेरमे तो हम तीनो साथ ही रहेगे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. चलो ठीक हे दोनो जाओ.. ओर लता.. क्या कर रहा हे लखन..? क्या वो उपर हे..?

लता : (मुस्कुराते) हां दीदी.. अभी आकर सो गये.. लगता हे वो बहुत थक गये होगे.. उनका मुड कुछ ठीक नही था.. क्या उनका कुछ काम हे..? तो उनको भेजती हु..

मंजुला : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. उसे सोने दे.. मे बादमे उनसे बात कर लुगी.. अब तुम दोनो जाओ..

आज मंजुने लता रजीयासे बात करके लखनका रास्ता थोडा आसान करदीया.. तब लता रजीयाका हाथ पकडकर उसे बहार लेगइ.. तो मंजु दोनोको देखकर हसने लगी.. फीर बहार जाकर सबके साथ बैठ गइ.. वहा चंदा विजयके साथ खेल रही थी.. तो नीर्मला भुमीका ओर सरला आपसमे बाते कर रही थी.. तब उपरकी मंजीलपे रमा ओर नीलम अब भी अपने रुममे बेठपे लैटी आपसमे धीरेसे बारे कर रही थी..

रमा : (सरमाते मुस्कुराते) नीलु.. तुजे उनके रुममे भेजा तब तुम दोनोके बीच कुछ बाते हुइ..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे जुठ बोलते) मम्मी.. कोइ खास बाते नही हुइ.. वो मेरी स्कुलके बारेमे ओर होस्टेलके बारेमे पुछ रहे थे.. मुजे तो उनसे बात करनेमे बहुत सरम आ रही थी..

रमा : (मुस्कुराते) कमीनी.. अब ज्यादा मत सरमा.. जीजु हे तेरे.. कोइ ओर नही समजी..? अगर अ‍ैसे सरमायेगी तो बात कहासे आगे बढेगी..? दुसरी लडकीया तो अ‍ैसे ही उनके जीजुके साथ मस्तीया करते सब कुछ करलेती हे.. तेरे पास कीतना अच्छा मौका था..? इसीलीये तो मैने तुजे उनके पास भेजा था.. ओर ये क्या कपडे पहेने हे..? क्या तेरे पास कोइ मोर्डन कपडे नही हे..? तु सहेरमे पढती हे.. तो कीसी ओर लडकीके कपडे नही देखती..? सब कैसे कपडे पहेनकर घुमती हे..

नीलम : (सरमाते मुस्कुराते) मम्मी.. तब कहा हमारी ये सब बाते हुइ थी.. ओर आप मुजे अ‍ैसे कपडे पहेनने थोडीना देती.. अगर अ‍ैसा कपडा पहेनती तो पापासे पहेले आप ही मेरी खाल उखाड देती..

रमा : (मुस्कुराते) अरी.. तो अब ले लेना.. स्कुलमे नही.. तुजे ये सब घरमे पहेननेके केह रही हु.. तु जवान हे.. उपरसे खुबसुरत भी हे.. कुछ अपने बदनके जलवे दिखायेगी तभी तो वो तेरी ओर आकर्सीत होगा.. तु ये मर्द जातको जानती नही.. मुजे पका यकीन हे.. वो तेरे पीछे पागल होजायेगे..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) जी.. मम्मी.. हम वहा जाकर अ‍ैसे कपडे ले लेगे.. तब मे जीजुको रीजानेकी पुरी कोसीस करुगी.. बस.. अ‍ेक आपहीका डर था..

रमा : (मुस्कुराते) हंम.. चल ठीक हे.. अब डर मत.. मे ही कुछ जुगाड करती हु.. देखना तेरे लखन जीजु खुद तुजे कपडे लेने लेजायेगे.. तब तुम सब कपडे अ‍ैसे ही लेना.. ओर सुन वो कुछ आगे बढे तो कीसी बातके लीये मना मत करना.. पहेले सीर्फ ना नुकुर करके उनकी बात मान लेना.. फीर देखना वो तुमसे ज्यादा दिन दुर नही रेह पायेगे.. तब तुम कोइ नखरे मत करना.. वो जैसा कहे करने देना.. समजी..?
 
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Iron Man

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dilavar

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नीलम : (सरमाते मुस्कुराते) मोम.. पता हे मुजे.. सब मर्दोको अ‍ेक ही चीजमे इन्ट्रेस होता हे.. आप फीकर मत करो.. बहुत जल्द मे उनको अपने वसमे कर लुगी..

रमा : (सरमाते मुस्कुराते) कमीनी.. वो अ‍ैसे ही तेरे वसमे नही आयेगे.. इसके लीये तुजे इनके नीचे लेटना पडेगा.. ओर सीर्फ उनको वसमे नही करना.. अपना काम भी नीकलवाती रहेना.. तुजे पता हेनां उनके पास कीतना पैसा हे..? हम दोनो आरामसे जींदगी जी सकेगे.. अगर वो तुजे अपने नीचे लेटनेको कहे तो बीना कुछ नखरे कीये बगैर लेट जाना.. यही तो जींदगीका असली मजा हे.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. आप भीनां.. मे उनको कैसे कहु..? की मुजे आप चो.. आइ मीन मुजे पैसे चाहीये.. मुजे तो इन सबके लीये बहुत सरम आयेगी..

रमा : (सर्मसार होकर मुस्कुराते) हां नीलु.. सर्मा मत.. मुजसे खुलकर बात कीया कर.. तु अभी मर्दोको अच्छी तराह जानती नही हे.. वो हमारी कोइ बात हो या हमारी कोइ डिमान्ड वो कभी नही मानते.. बस.. सीर्फ अ‍ेक ही वक्त होता हे.. तब वो हमारी सभी बाते भी मान लेते हे.. ओर हमारी सब डिमान्ड भी मान लेते हे.. तब वो हमे कभी मना नही करते..

नीलम : (आस्चर्यसे देखते मुस्कुराते) मोम.. कोनसा वक्त..? बताइअ‍ेनां.. मुजे इन सब चीजोका कोइ अनुभव नही हे..

रमा : (सर्मसार होते नीलुके पास सरकते धीरेसे) नीलु.. जब हम उनके नीचे लैटी होती हे.. जब वो हमारे साथ सेक्स कर रहे होते.. तब वो हमारी सब डिमान्ड मान लेते हे.. तब वो पुरी तराह हमारे वसमे होते हे.. तु समज गइनां..? इसीलीये तुजे आगे बढनेको केह रही हु.. वहा उनके नीचे लेटनेमे बहुत वक्त जाहीर मत करना.. तेरे पास तीन साल हे.. हम ये तीन सालमे उनके पास बहुत कुछ हासील कर सकती हे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. क्या आप भी पापाके साथ अ‍ैसे करती हे..? बताइअ‍ेनां..

रमा : (अ‍ेकदम सर्मसार होते अ‍ेक पैर नीलमकी कमरपे डालते) कमीनी.. अपनी मां को अ‍ैसा पुछनेमे सरम नही आती..? हें..हें..हें..

नीलम : (हसते धीरेसे रमाकी कमरपे हाथ रखते) मोम.. मे अपनी मम्मीको थोडीना पुछ रही हु.. आप भुल गइ.. अब हम दोनो सहेलीया हे.. हें..हें..हें.. बताइअ‍ेनां.. बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाकर नीलमकी कमरपे हाथ रखते हसते) कमीनी तुजे तो मजा ही आयेगाना.. तु बहुत बीगड गइ हे.. ठीक हे.. सुन.. हां.. मे भी अ‍ैसा ही करती थी.. जब हमारी सादी नही हुइ थी.. तेरे इस पापा मेरी सभी जरुरतोको पुरी करते थे.. लेकीन अब नही.. आज कल तेरे पापा कुछ ज्यादा ही सरीफ होगये हे.. क्युकी अब उनको मे नही.. मेरी सौतन ज्यादा अच्छी लगती हे.. जब वो मेरे उपर होते हे.. तब भी वो मेरी सौतनकी बाते करते रहेते हे.. तो अब मे उनको अपने बदनको छुने नही देती..

नीलम : (सरमाते धीरेसे उतेजनामे रमासे चीपकते बुब्सपे हाथ रखते) मोम.. आपको नही लगता आप कुछ जल्द बाजी कर रही हे..? अगर आप पापाको छुने नही देती.. तो वोतो आपसे अ‍ैसे ही दुर होते जायेगे.. तो ज्यादा दिन अ‍ैसे कैसे रेह पाओगी.. क्युकी मेने भी सुना हे.. जीस तराह मर्द ओरके बीना नही रेह पाता.. उसी तराह अ‍ेक ओरत भी मर्दके बीना ज्यादा दिन नही रेह पाती.. इसी लीये पुछ रही हु..

रमा : (थोडी बाहोमे भीचते नीरास होते) नीलु.. तुजे बडा ज्ञान हे इन सब चीजोका..? तो सुन.. बात तो तेरी सही हे.. लेकीन अब जो सुख हम ओरते चाहती हे.. वो सुख अब तेरे पापासे नही मील रहा.. ओर जब तक तुम मेरे साथ हो मुजे ओर कीसीकी जरुरत भी नही हे.. बाकी आगे जाकर कुछ सोचेगे.. की क्या करना हे.. अभी तो हमारे पास बहुत वक्त हे..

नीलम : (सरमाते धीरेसे) मोम.. अभी आपने कहानां.. की अब आपको पापासे वो सुख नही मील रहा.. तो क्या मुजे बता सकती हे..? आपको पापासे कौनसा सुख चाहीये.. जो वो अब आपको नही दे सकते..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) नीलु.. चरम सुख.. सीर्फ सेक्स करना ही काफी नही होता.. हम ओरत. चाहती हे.. की हमारे पार्टनरके साथ लंबे वक्त तक सेक्स होता रहे.. ओर इसी दौरान वो हमे कल बार चरम सुखका आनंद दे.. लेकीन अब तेरे पापा अ‍ेक बारभी मुजे संतुस्ट नही कर पाते.. बस.. उपर चडे ओर जल्दी जडकर खतम होगये.. फीर सोजाते हे.. ओर मे प्यासी रेह जाती हु.. नीलु.. खाली हाथ मत रख.. थोडा धीरेसे मसकर दबाना.. बहुत मजा आता हे..

नीलम : (सरमाते धीरेसे बुब्स दबाते) हां मोम.. माना की मे आपके साथ हु.. लेकीन मे आपको मर्दका प्यारतो नही दे सकतीनां.. सोरी मोम.. मैने तो देखा हे पापा तो आपको बहुत प्यार करते हे..

रमा : (बहुतही सर्मसार होते धीरेसे) नीलु.. पता हे मुजे.. की तुम मुजे अ‍ेक मर्दका प्यार नही दे सकती.. लेकीन हम अ‍ेक दुसरेको संतुस्त तो कर ही सकती हे.. ओर तुम जबतक अ‍ेक मर्दका प्यार महेसुस कर नही लेती.. तबतक तुजे कैसे पता होगा..? की हम मर्दसे संतुस्ट होती हेकी नही.. नीलु.. पहेले हमारी सादी नही हुइ थी.. तब मे तेरे पापासे अ‍ेक ही बार सेक्स करते दो दो बार संतुस्ट होती थी.. ओर अब तो अ‍ेक बार भी ठीकसे संतुस्ट नही कर पाते.. ओर मुजे बाथरुममे जाकर अपने आपको संतुस्ट करना पडता हे..
 
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dilavar

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नीलम : (सरमाते जुठ बोलते धीरेसे) मोम.. सायद आप ठीक केह रही होगी.. लेकीन इस बातका मुजे कोइ अनुभव नही हे.. तो मे कैसे केह सकती हु..

रमा : (सरमाते धीरेसे) नीलु.. इसीलीये केह रही हु.. की तुम अ‍ेक बार तेरे लखन जीजुसे ये सुख पाले.. फीर तुजे अपने आपही पता चल जायेगा.. की हम औरतोको क्या चाहीये.. नीलु.. बहुत मजा आता हे.. जब हम उनके नीचे होती हे.. ओर इनका हथीयार हमारे अंदर होता हे.. अ‍ैसा लगता हे हमतो स्वर्गमे हे..

नीलम : (रमाके होठोको चुमते) मोम.. लगता हे.. आप पापाको बहुत मीस कर रही हे.. अ‍ेक बार मील लीजीये उनसे..

रमा : (समसर होते धीरेसे) नही नीलु.. तुजे सच कहु.. अब मे तेरे पापाको नही.. अ‍ेक मर्दको मीस कर रही हु.. अ‍ैसा मर्द.. जो मुजे अ‍ेक ओरत होनेका सुख दे सके.. अब तेरे पापामे वो दम नही हे.. जो मुजे ये सुख देसके..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. इसका मतलब.. अब आप क्या दुसरे मर्दसे.. आइ मीन..

रमा : (सरमाकर नजरे चुराते) नही नीलु.. अभी इस बारेमे मैने कुछ नही सोचा.. क्युकी मुजे अभी सेक्सकी इतनी जरुरत महेसुस नही होती.. फीर आगे पता नही क्या होगा.. नीलु.. अगर अ‍ैसा होता हे.. तो क्या तुजे बुरा लगेगा..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे) अरे नही नही मोम.. मुजे क्यु बुरा लगेगा.. सबको अपनी अपनी जरुरते होती हे.. तो हमे अपनी जरुरत पुरा करनेमे अगर दुसरे मर्दके साथ रीलेशन बनाना पडे.. तो क्या फर्क पडता हे.. वैसे मैने सुना हे.. लखन जीजुको कुछ जडीबुटी पीलादी हे.. जो वो कइ ओरतोको सुख दे सकते हे.. क्या ये सच हे..?

रमा : (सामने देखते) हां नीलु.. ये सच हे.. मुजे तेरी लता दीदी केह रही थी.. ये खानदान बहुत अच्छा हे.. यहा सबको अपनी मरजीसे जीनेका अधीकार हे.. तेरे बडे जीजुकी भी इतनी बीवीया हे.. तो मुजे लगता हे तेरे लखन जीजुका भी दुसरी ओरतोसे रीलेशन होगा.. इसीलीये तेरी सादी मे तेरे जीजुसे करवाना चाहती हु.. ताकी कमसे कम तेरी जींदगीतो सवर जाये..

नीलम : (सरमाकरर मुस्कुराते) मोम.. सायद आप ठीक केह रही हो.. मोम.. अ‍ेक बात कहु..? तो फीर लता दीदीसे कहेकर थोडी जडीबुटी पापाको भी दीलवादोनां.. कमसे कम वो आपको खुस तो रख पायेगे..

रमा : (सरमाते धीरेसे) नही नीलु.. वो जडी बुटी लेना तेरी लता दीदीके लीये इतना आसान नही हे.. क्युकी ये जडी बुटी बाबाने सीर्फ इन दोनो भाइके लीये ही दी हुइ थी.. ओर वैसे भी अब मुजे तेरे पापामे कोइ इन्ट्रेस भी नही हे.. क्युकी अब तेरे पापाके लक्षण मुजे ठीक नही लगते.. पता नही इनकी दुसरी कीतनी ओरतोके साथ रीलेशन हे.. देखा नही..? हम जबसे यहा आइ हे उन्होने अ‍ेक फोन भी नही कीया.. जैसे उनको अब हमारी जरुरत नही हे..

नीलम : (सामने देखते सरमाते) मोम.. तो फीर अब आप क्या करोगी..? क्या अ‍ेक मर्दके बीना आप रेह पाओगी..?

रमा : (नीलमके होठोको चुमते) नीलु.. मर्दके बीना रहेना इतना आसान भी नही हे.. अब देखते हे आगे क्या होता हे.. क्युकी अब तुम तो हो मेरे पास.. बाकी आगे सब देखा जायेगा..

कहेते रमा अ‍ेक नजरसे नीलुकी ओर देखती रही.. उनकी आंखोमे नीलमको वासना साफ दिखाइ दे रही थी.. तो नीलमने सरमाके अपनी नजरे जुकाली.. वो भी रमाकी बातोसे उतेजीत होते समज गइ की उनकी मां अभी क्या चाहती हे.. तभी रमाने अपना मुह थोडा नीलमके मुहकी ओर आगे कीया.. ओर नीलमके होठोपे अपने होंठ रखते नीलमको चुमने लगी.. तब नीलम भी उतेजनासे कांपने लगी..

ओर उसने आंख बंध करते रमाको जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर रमाके होठोको चुमते रमाका साथ देने लगी.. तभी रमा नीलमके छोटे संतरे जैसे बुब्सको थामते हल्केसे मर्दन करने लगी.. तो नीलमने भी रमाके बुब्सको अपने हाथोमे थाम लीया.. ओर मुह लगाकर ब्लाउसके उपरसे ही चुमने लगी.. तभी रमाको होंस आया.. ओर उसने होंठ छुडालीये.. फीर नीलमकी ओर सरमाकर हसने लगी..

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) मोम.. बहुत मजा आ रहा हे.. प्लीज.. मुजे अपके दुधु पीने दीजीयेनां..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) नीलु.. इसमे कहा दुध आता हे.. इसके लीये बच्चा पैदा करना पडेगा.. तभी तो दुध आयेगा.. हें..हें..हें..

नीलम : (हसते धीरेसे) मोम.. तो फीर कर लीजीयेना अ‍ेक बच्चा.. मुजे भी भाइ मील जायेगा.. क्युकी आपके दुध बहेत मस्त हे.. पीनेमे बहुत मजा आयेगा.. पीने दीजीयेनां.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाकर हसते) अरे..? पागल कहीकी.. ठीक हे.. लेकीन अभी नही.. यहा कोइ भी आ सकता हे.. हम रात साथ सोयेगे.. तब जीतना मर्जी हो इनको चुस लेना.. अब तो मेरे लीये तुही अ‍ेक सहारा हे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. वो तो ठीक हे.. लेकीन कुछ भी करलो.. मे आपको अ‍ेक मर्दकी तराह तो प्यार नही दे सकती..

रमा : (होठ चुमकर बात छुपाते) नीलु.. मर्दकी तरह नही.. लेकीन अ‍ेक सहेलीकी तराह तो हम मीलही सकते हे.. तुजे पता हे..? आज कल तेरे पापा मुजपे कोइ खास ध्यान नही देते.. उनको तो बस अपनी दुसरी बीवी ही चाहीये.. कमीने सभी मर्दको घरकी मुर्गी अच्छी नही लगती.. सबको बहारकी बीरीयानी खानेमे ही इन्ट्रेस हे.. वरना तेरे पापाकी पहेली बीवी मे ही हु..

नीलम : (मुस्कुराते) मोम.. आपकी तो सादी भी होगइ थी.. फीर भी इस पापासे कैसे सादी की..?
 
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dilavar

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रमा : (सरमाकर हसते) नीलु.. मे मेरे पहेले पतीके होनेके बावजुद भी तेरे इस पापाको प्यार करने लगी थी.. जो रीस्तोमे मेरा भांजा था.. मेरा पहेला पती जब होस्पीटलमे था.. उसी अ‍ेक्सीडन्टमे उनका हथीयार बेकार होगया था.. तब वो मेरे लीये भी बेकार होगये थे.. अ‍ेक दिन मेरी सास रातको होस्पीटलमे रुकी हुइ थी.. ओर मे तेरे इस पापाके साथ घरपे आराम करने चली गइ.. उस रत तेरे पापाने हमारे घरके मंदिरके सामने मेरी मांग भरदी.. ओर मुजे मंगलसुत्र पहेनाया.. ओर हमने गांधर्व विवाह करलीया.. बस.. उसी रात हमारी सुहागरात हुइ.. फीर तो तेरे इस पापाको ही मेने अपना पती मानलीया था..

नीलम : (मुस्कुराते) मोम.. तो फीर मेरा जन्म कैसे हुआ..?

रमा : (सरमाते धीरेसे) नीलु.. वो मेरा पहेला पती तब भी बहुत सराबी था.. वो मुजे सारीरीक सुख देनेमे सक्षम नही था.. इसीलीये तो मे तेरे पापाको प्यार कर बैठी.. ओर हम दोनोके बीच सबकुछ होगया.. फीर तो मे भी तेरे पापाके बीना नही रेह पाती.. तो हम दोनो अक्सर मीलने लगे.. ओर तुम मेरे पेटमे ठहेर गइ.. तेरे असली पापा यही हे.. जो आज तेरे पीता हे.. हम दोनोने मीलकर खुब मजे कीये हे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. तो क्या वो.. वो.. अब कैसे कहु..? मोम.. क्या पापा अब आपको रातमे ठीकसे प्यार नही करते..? आइ मीन.. आपके साथ ठीकसे सेक्स नही करते..?

रमा : (सरमाकर धीरेसे) नही नीलु.. अब कोइ खास नही.. वो अब कमजोर हो गये हे.. ओर सेक्स करते हे तो भी जल्द बाजीमे.. जानवरोकी तराह.. ओर मे प्यासी रेह जाती हु.. अब मे इस दुखको कीसीको केह भी तो नही सकती.. ओर अ‍ेक तेरी दादी हे.. उसे अभी भी अ‍ेक पोता चाहीये.. तो मै उनको कैसे कहु.. की आपका बेटा मुजे ठीकसे संतुस्ट भी नही कर पाता.. तो में कहासे बच्चा नीकालु..?

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? आप बुरा तो नही मानोगी..?

रमा : (मुस्कुराते होंठोको चुमकर) नीलु.. अब तेरी कीसी भी बातका बुरा नही लगता.. मे तुजे सचमे अपनी सहेली मानती हु.. इसीलीये तो मेरी पुरी कहानी तुजे बतादी.. पुछ.. क्या पुछना चाहती हे..?

नीलम : (मुस्कुराते) मोम.. मेने भी कइ बार आपको ओर पापाको सेक्स करते देखा हे.. आप सही केह रही हे.. पापा बीलकुल जानवरकी तराह आपके साथ सेक्स करते हे..

रमा : (सर्मसार होते मुस्कुराते) कमीनी कहीकी.. हें..हें..हें.. लेकीन तुमने हम दोनोको सेक्स करते कब देखा..?

नीलम : (धीरेसे हसते) मोम.. जबसे मे होस्टेलसे आइ हु.. तबसे लगभग हर रात आप दोनोको सेक्स करते देखती हु.. लता दीदीके रुममे वो दोनो रुमके बीच जो दरवाजा हेनां..? उनमे अ‍ेक छेद हे.. तो मे वहीसे देखती थी.. लगता हे.. लता दीदी भी पापा ओर छोटी मम्मीका लाइव सो देखती होगी.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाते धीरेसे) तेरी लता दीदी भी कुछ कम नही हे.. वो भी अपनी सादीसे पहले तेरे लखन जीजुसे कइ बार सेक्स कर चुकी हे.. ओर तेरे पापा भी कुछ कम नही हे.. मुजे तो लगता हे.. लगता हे क्या.. मुजे तो अब यकीन हे.. उनका भी बहारकी कीसी ओरतोके साथ भी रीलेशन होगा.. वो हमेसा मुजे प्यासी रख देते हे..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. तो फीर आप क्या करती हे..?

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) क्या..? क्या करती..? जो तुम कुआरी लडकीया बाथरुममे जाकर करती हो.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाकर हसते) मोम.. हम तो अ‍ैसा कुछ भी नही करती.. हें..हें..हें..

रमा : (हसते) चल जुठी कहीकी.. क्या मुजे नही पता तुम लडकीया क्या करती हो.. हंम..? जवान हो.. तो अ‍ैसे ही थोडीना रहोगी.. कुछ तो करती होगी.. तुमतो पढी लीखी हो.. क्या कहेते हे उनको..? बता..

नीलम : (सरमाकर हसते) मा..स्ट..र..

रमा : (हसते) हां वोही.. मे भी अंदर जाकर वोही करते अपने आपको सांत करती हु.. अब तुही बता मे इस उमरमे बच्चा कैसे पैदा कर सकती हु.. ओर उपरसे तेरे पापा ठीकसे करते भीतो नही..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मोम.. इसमे क्या प्र्रोबलेम हे..? आप अभी भी खुबसुरत हो.. जवान हो.. तो दादीकी इच्छा भी पुरी करदोनां.. मुजे भी अ‍ेक भाइ मील जायेगा.. हें..हें..हें..

रमा : (सर्मसार होते मुका मारते) कमीनी.. क्या बोल रही हे.. तुतो पीछे ही पड गइ.. चल अब चलना नही हे..? हम इसके बारेमे रातमे बात करेगे.. चल.. अभी नीचे चलते हे.. सब नीचे हे.. अगर हम दोनो अकेली यहा होगी तो कीसीको सक होजायेगा..

नीलम : (सरमाकर हसते) मोम.. आइ लव यु.. आपके साथ बाते करते आज बहुत मजा आया.. चलो..

कहेते दोनो फ्रेस होकर नीचे आगइ.. तबतक नीचेकी ओर सबकुछ नीपट चुका था.. फीर साम होते ही सब लोग खानेके लीये बैठ गइ.. कल सबको जाना था.. तो खाना खाते सबलोग उनकी ही चर्चा करते रहे.. तब मंजु लता बार बार रमा ओर नीलमकी तराह देख रही थी.. क्युकी नीलम ओर रमा खाना खाते अ‍ेक दुसरेके कानमे हस हसके बाते कर रही थी.. जैसे वो कोइ मां बेटी नही.. दोनो कोइ पकी सहेलीया हो..

तो भावना ओर सृती भी धीरेसे हस हसके लखनके बारेमे बाते कर रही थी.. लेकीन आज पुनमका मुड कुछ ठीक नही था.. वो बार बार नजरे चुराते लखनकी ओर देख रही थी.. क्युकी लखन उनके सामने देखे तो वो दया भावसे इसारोसे लखनसे माफी मांगना चाहती थी.. लेकीन येतो लखन था.. जो सर नीचे करते चुपचाप खाना खाये जारहा था.. वो ना पुनमकी ओर देखता था ओर ना सृतीकी ओर..
 
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dilavar

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फीर अ‍ैसेही सबने खाना खालीया.. तो लखन फटाफट बहार नीकलते अपने दोस्तोके पास चला गया.. फीर सबलोग होलमे अ‍ैकठा होकर बाते करती रही.. कल सबको जाना था तो आज सबलोग थोडा जल्दी सोना चाहती थी.. तो अ‍ेक दो अ‍ेक दो करते सब सोनेके लीये जाने लगी.. तो आज लताने भी रजीयाको देरसे उपर आनेके लीये कहा.. तब रजीया हां मे सर हीलाते बहुत ही सर्मसार होगइ..

क्युकी आखीर मंजुने उनको अपने पतीके साथ रहेनेका वादा पुरा करदीया था.. तो दुसरी ओर आज रमा ओर नीलम ने अ‍ेक दुसरेको चीपककर कीस करते अ‍ेक दुसरेके बुब्सके साथ खेला था.. तबसे नीलम बहुत ही सरमा रही थी.. उनको उमीद थी की आज रात उनके साथ उनकी मोम.. कुछना कुछ करेगी.. तब दोनो खाना खाते ही सीधे अपने रुममे चली गइ.. तब दोनो ही बहुत ही सरमा रही थी..

फीर दोनोने दरवाजा लाइटे बंध करदी.. ओर नाइटके कपडे पहेन लीये फीर बेडपे आगइ.. तब दोनो ही बहुत सर्मसार होने लगी.. कुछ ही देरके बाद दोनोके सरीरपे अ‍ेक भी कपडे नही थे.. नीलम बडे ही प्यारसे रमाके दुधु चुस रही थी.. जैसे वो कोइ छोटीसी बच्ची हो.. तब नीचेकी ओर होलमे सीर्फ मंजुला नीर्मला ओर भुमीका ही बैठी थी.. ओर तीनो देवायतके आनेका इन्तजार कर रही थी..

तो दुसरी ओर देवायत सामतभाइके घरसे नीकलकर जवेरीलालके घरपे चला गया था.. तो वहा भी जवेरीलाल ओर जीतुलाल.. सादीके आयोजनकी चर्चा करते बैठे थे.. तब उनके साथ वृन्दा ब्रीन्दा ओर जयश्री भी बैठी थी.. ओर श्रीधर अपने दोस्तोके पास चला गया था.. तब देवायतको देखते ही जवेरीलाल खुस होगये.. ओर गर्म जोसीसे उनका स्वागत करके सोफेपे बीठा दीया.. तो वृन्दा ब्रीन्दा ओर जयश्रीने उनको हसके नमस्ते कीया.. फीर ब्रीन्दा ओर जयश्री दोनो कीचनमे चले गये.. तभी..

जवेरीलाल : आइअ‍े आइअ‍े ठाकुर साब.. आज बहुत अच्छा हुआ जो आप आगये..

देवायत : (मुस्कुराते) कहीये जवेरीलालजी.. कैसी चल रही हे सादीकी तैयारीया.. सब ठीक हेनां..?

जवेरीलाल : (हसते) बस.. आपकी दयासे सब ठीक होगया.. कल बाबा आये वोतो बहुत ही अच्छा हुआ.. ओल मोस्ट सारे गांव वालोने आपसी रीस्तोको स्वीकार करलीया हे.. अब हमे बहार सर्मीन्दा होनेकी कोइ जरुरत नही हे.. सब कुछ आपही की महेरबानीसे हुआ..

देवायत : (मुस्कुराते) अरे नही जवेरीलालजी.. इनमे मेरा कोइ रोल नही हे.. ये सब तो तैय ही था.. की अ‍ेक दिन अ‍ैसा होगा.. ओर बंसीकी सादीमे सब सही होगया.. बस.. मेरे लायक ओर कुछ सेवा होतो कहीये..?

जवरेलाल : (हसते हाथ जोडते) बस.. बस.. आपने केह दिया वो ही हमारे लीये काफी हे.. आप सब लोगोको हमारे बच्चोकी सादीमे आना हे.. बस.. आपसे अ‍ेक ही रीक्वेस्ट करनी हे..

देवायत : (मुस्कुराते) अरे कहीये कहीये.. आपतो हमसे बडे हे.. आपको रीक्वेस्ट नही हुकम करना हे.. हकसे कहीये..

जवेरीलाल : (थोडा सर्मीन्दा होते) ठाकुरजी.. अब आपसे क्या छीपाना.. सादी होते ही अब मे ओर आपकी भाभी.. सहेरमे रहेने जा रहे हे.. ओर ये घर मेने श्रीधर ओर ब्रीन्दा बीटीयाके नाम करदीया हे.. वो लोग अब यही गांवमे रहेगे.. तो आप इन लोगोका खयाल रखीयेगा.. क्युकी जीतु भी हमारे साथ आ रहा हे..

देवायत : (आस्चर्यसे) जीतुलाल भी आ रहे हे.. मतलब..? क्या वो यहा नही रहेगे..? बीजनेसकी वजहसे क्या..?

जवेरीलाल : (थोडा मायुस होते धीरेसे) अरे नही नही.. बीजनेसकी वजहसे नही.. अब आपसे क्या छीपाना.. दरसल जीतु.. ओर ब्रीन्दा बीटीया अलग हो रहे हे.. दोनो अ‍ेक दुसरेसे अलग होना चाहते हे..

देवायत : क्या..? अलग हो रहे हे.. मतलब..? क्या दोनो डिवोर्स ले रहे हे..?

जवेरीलाल : (मायुस होते) हां.. इसीलीये तो मेने इस खानदीनी मकानको अब मेरा बेटा कहो या दामाद सब श्रीधरको देदीया हे.. बस.. आप हमारे बच्चोका खयाल रखीयेगा..

देवायत : जवेरीलालजी.. वैसे भी श्रीधर मेरे छोटे भाइ जैसा हे.. ओर उपरसे हमारे लखनका खास दोस्त भी हे.. तो आप इन लोगोकी चीन्ता मत करना.. खुद मे ही सबकी खबर लेता रहुगा.. क्युकी अब कलसे लखन भी सहेर जा रहा हे.. ओर वहाका हमारा सब कारोबार अब वही सम्हालेगा.. तो आप भी वहा लखनकी अबर पुछते रहेना..

जवेरीलाल : (हसते) अरे जरुर.. जरुर.. ये भी कोइ कहेनीकी बात हे..? ठाकुर साब.. आज अ‍ेक बार फीर आपसे माफी मांगता हु.. क्युकी हमारे खानदानने कुछ साल आपको गांवसे अलग करदीया था.. ओर इसमे गलती हमारे बुजुर्गकी ही थी.. उन्होने आपके दादाकी बात नही मानी.. ओर आपके खानदानको बदनाम करदीया.. अब वो ही सब हमारे घरमे हुआ हे.. तो आज आपकी सभी बाते हमारी समजमे आगइ.. हो सके तो हमे माफ कर दजीयेगा..

देवायत : (मुस्कुराते) नही जवेरीलालजी.. आप माफी मत मांगीये.. तब जो भी कुछ हुआ था अ‍ेक ना समजीकी वजहसे हुआ था.. तब कहा कीसीको पता था.. की अ‍ेक दिन गांवमे सचमुच अ‍ैसा बदलाव होगा.. तब आपकी बात भी तो सही थी.. क्युकी हमारे सभी बुजुर्ग अपनी बहेनसे ही सादी करते आये हे..

दोनो बाते कर रहेथे तब जीतुलाल ओर वृंन्दा अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते दोनोकी बाते सुन रहे थे.. ओर मन ही मन खुस हो रहे थे.. तब जयश्रीने सबके लीये कुछ ठंडा बनाया.. ओर सबने पीया.. तब रात भी काफी हो चुकी थी.. तो देवायत वहासे भी सबकी इजाजत लेकर नीकल गया.. तब हवेलीपे सब लोग अपने अपने रुममे चले गये थे.. होलमे सीर्फ मंजुला नीर्मला ओर भुमीका ही बैठे थे ओर आपसमे धीमी आवाजमे बाते कर रहे थे....

कन्टीन्यु
 
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king1969

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Bahut badiya update
 

urc4me

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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

Mahesh007

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