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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Bhut bhut shubhkamnaye jethani ko naye business kiप्रोग्राम पक्का
" तो फिर पक्का न , किस दिन ,.. " चम्पा बाई ने जेठानी से हामी भरवाई।
जेठानी ने तारीख बता दी। आज से ११ दिन बाद की। और साफ़ साफ़ कारण भी बता दिया ,
" हमारी सास ८-१० दिन के लिए जा रही है बाहर और इनकी भी हफ्ते भर की ट्रेनिंग है दिल्ली में , तो ये भी इसलिए ,... "
मेरी निगाह उस तारीख पर कैलेण्डर में घूम रही थी , शुक्रवार का दिन था।
और उसी दिन मेरी मम्मी मेरी सास को लेकर मेरे घर आने वाली थीं ,उन्हें सुबह ही निकलना था ,दोपहर तक वो हमारे घर पहुँच जाती।
" तो पक्का न शुक्रवार को रंजीत को मैं भेज दूंगी। शाम को चार बजे। उस का नंबर भी तुझे मेसेज कर दूंगी " चम्पा बाई ने बात पक्की की।
" ठीक है ,उस समय तो मैं एकदम अकेली ही रहूंगी। " जेठानी ने साफ़ साफ़ प्रोग्राम पक्का कर दिया।
" बस उस रात को , ... और तू तो अकेली ही रात रहेगी हफ्ते भर तो ,... तीन चार दिन के कपडे ,... तीन चार पांच दिन कोठे पर रहेगी , दिन रात तो कोठे के सब रंग ढंग सीख जाएगी। और घबड़ाना मत मैं तो रहूंगी न वहां एकदम तेरी माँ की तरह ,कोई बात हो तो ,... तुझे तो पहले दिन से ही ,.. आजा सारी रात घोड़े दौड़वाउंगी तेरे ऊपर , सब एक से एक तगड़े। .. आज से ही रंजीत को लगा देती हूँ तेरी बुकिंग ढूंढना शरू कर देगा तो पक्का शुक्रवार को ,... "
" जी " कुछ घबड़ाते कुछ शरमाते जेठानी बोलीं।
" यही साडी पहन के आना ,लाल रंग तेरे ऊपर बहुत फबता है। चल अब साडी ठीक कर ले। शुक्रवार को चढ़ जा मेरे कोठे पर। मैं वेट करुँगी ,हाँ पर एक बात समझ लो एक बार हाँ कहने के बाद कोई लौंडिया चंपा बाई को मना नहीं कर सकती ,जबरदस्ती उठवा लेती हूँ और फिर उसे चवन्नी छाप रंडी बना के,... शाम से दरवाजे पर खड़ी हो के ग्राहक पटाती है और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए उसका भोग लगाते हैं। कच्ची चूत का हफ्ते भर में भोंसड़ा बना के बेच देती हूँ , ... "
जेठानी के चेहरे पर घबड़ाहट नजर आ रही थी , वो जल्दी जल्दी बोली ,..
" नहीं नहीं मैं शुक्रवार को ,.. शाम के पहले ही आप रंजीत को भेज दीजियेगा मैं आ जाउंगी चार पांच दिन के लिए। वैसे भी घर में तो कोई रहेगा नहीं। "
" अरे तेरे लिए थोड़े ही कह रही हूँ पगली , तू तो बेकार में ,.. तू तो मेरी बेटी की तरह है , तू आज से मुझे अपनी माँ समझना। तू तो मेरे कोठे की शान बन के रहेगी। तूने कहा था न मजा और पैसा दोनों तो दोनों ही मिलेगा। खूब लम्बे और मोटे मोटे , सरदार ,पठान ,...
और फिर चम्पा बाई ने मुस्कराते हुए एक बालिश्त दिखा के जेठानी को साइज का साफ़ साफ़ अंदाज कराया।
और पैसे की तो कमी ही नहीं रहेगी ,तेरा एक नया अकाउंट कोठे पर पहुंचते ही खुलवा दूंगी , सारा तेरा पैसा उसी में ,.. हाँ साड़ी ठीक कर ले। "
और चम्पा देवी अंतरध्यान।
लेकिन साडी ठीक करने में जेठानी ने एक बात नहीं सुनी , दिया भी स्काइप स्विच आफ करने में लगी थी ,
पर मैंने सुन ली। जो बात बहुत धीमे से मुस्कराकर चंपा बाई जाते जाते बोल गयीं।
"चम्पा बाई के कोठे पर सिर्फ चढने वाली सीढी है उतरने वाली नहीं। बस एक बार तू मेरे कोठे पर आ जा , पक्की रंडी ,... बनेगी तू।"
और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।
और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।
शुक्रवार को ,
मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।
मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,.. वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।
bahoot bahoot dhnayvaad, asal men is business ko to oldest profession kahte hain aur Jethani ye Daan pahle bhi karti thi lekin apne assets monetize nahi karti thin, Diya ne unhe sikha diya,Bhut bhut shubhkamnaye jethani ko naye business ki
जेठानी जी की हाल चाल आगे भी मिलती रहेगी,दिया है न। कभी व्हाट्सऐप तो कभी वीडियो काल औररिकार्डिंग तो पल पल की होगी इसलिए अब दूसरे भाग में 'सात यार 'वाले किस्से का हो सकता है नंबर कभी फ़्लैश बैक में आ जाए,सबसे पहले आप माफ कर दे आप के इस बेहतरीन लेखन कला का मैं हाल फिलहाल में इस पर तारीफ के कुछ शब्द नही कह पाया।इसलिए हम सेक्षमाप्रार्थी है।
एक लेखक के लिए उसकी हौसला अफजाई बहुत ही आवश्यक होता है।उसको इससे लेखन का हौसला होता है।एक बार फिर से क्षमाप्रार्थी है।
आप एक उम्दा और बेहतरीन लेखिका है ये बात आप।की हर पोस्ट में साबित हो जाता है, हम सोचते हैं कि आगे इससे बेहतर क्या होगा लेकिन हर बार बेहतर से बेहतरीन होता है।सही ही कहा गया है "जहाँ पहुंचे न रवि वहां पहुंचे कवि" ।आप के कलम की जादूगरी को हम पाठकगण हर पोस्ट में महसूस करते हैं।हर पोस्ट पढ़ने समय सामने जैसे चलचित्र चल रहा हो यही महसूस होता है।सबसे बड़ी बात आप।देवनागरी लिपि में लिखती हैं ये सबसे उत्तम है।आप को पुनः साधुवाद।
आप के लेखनी का जादू सदा सर्वदा बनी रहे।
ये पहला पार्ट खत्म होने की कगार पर है, लेकिन आप से एक गुज़ारिश है जेठानी जी एक रगड़ाई को आप जरा सा विस्तार में बताए इण्टर वाला एक दिन मे 7 ये वाला किस्सा।
और अभी दिया के भाई और उनके दोस्त भी बाकी है ।
बाकी आप खुद ही समझदार हैं।
आप को शत शत नमन
Incest vaali story ka next part post ho gaya hai, vahan aapke comments ka bhi wait rahega, Dr sahiba ne comments kar diya hai i am ever thankful to her.777 stars...![]()
ekdam sahi kaha aapneonline interview भी चंपा बाई पक्के तरीके से ठोक बजा के ले रही है...
आखिर कोठे की इज्जत का सवाल है....
और जेठानी जी की चूत में चींटे कुलबुला रहे होंगे....
एकदम, उनका एच आर मोहकमा वो खुद सम्हालती है, कस्टमर रिलेशनशिप भी।आखिर पूत के पांव पालने में नजर आते है...
जेठानी जी को एक नजर में ताड़ गई चंपा बाई....
बात आपकी भी सही है, क्योंकि पिछली बार कहानी फोरम के बंद होने पर रह गयी थी , और मिसेज मोइत्रा और उनके रसगुल्ले और इस प्रकार की बहुत सी बातें रह गयीं थीं। फायनेंसियल थ्रिलर वाला पार्ट भी जल्दी में ही , तो हो सकता है वो हिस्सा अबकी और लम्बा चले,...आपने तो हमें डरा दिया 'अंतिम चरण' बोल के....
लेकिन बाद में आपके कथन ने सांत्वना दी....
लेकिन पहले के jkg के अनुसार तो लगता है 50% हीं हुआ है....
अभी बहुत सारी घटनाओं का विस्तृत खुलासा बाकी है....
इसलिए पुनर्विचार आवश्यक है....
चलिए आपने कहा है तो छुटकी ननदिया पे उनके भाई के चढ़ने की तैयारी के प्रसंग की झलक, एक आभास सा , एक दो पोस्ट के बाद पोस्ट कर दूंगी, कुछ अंदाज लग जाएगा।लेकिन इस मन का क्या करें....
ये तो बहुत सारी कल्पनाएँ किए बैठा है....
लेकिन हम इंतजार करेंगे..... भरतपुर के स्टेशन पर छुक-छुक होने का....