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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २१२

कहा तो धिरेन चुपचाप चाइ नास्ता करने लगा.. तब दया कीचनसे दोनोकी नोक जोक सुनकर हस रही थी.. उसे पता था इस नोक जोकसे पुनम धिरे धिरे करते धिरेनसे दुरीया बना रही थी.. धिरेन फटाफट चाइ नास्ता करके जटसे बेन्कपे चला गया.. तब पुनम ओर दया चाइ नास्ता करने बैठ गइ.. तो दोनो अ‍ेक दुसरेकी ओर देखकर जोरोसे हसने लगी.. ओर चाइ नास्ता करने लगी.. तभी....अब आगे

पुनम : (मुस्कुराते) देखा दया बहेन.. यही छमक छलो थीनां..? जो कल हमारे घरपे आइ थी.. यही कमीनी हे.. जो इतने दिनोसे धिरेनसे चुदवा रही हे.. ओर अ‍ेक तेरे जीजु हे.. अपनी बीवीको तो खुस नही कर पाते.. जो उपर चडते ही ढेर हो जाते हे.. पता नही ये इनके पीछे दिवानी क्यु बनी हुइ हे..

दया : (जोरोसे हसते) दीदी.. ये साली आग बहुत बुरी चीज हे.. देखा नही.. उस रात चंपा भाभी लखन भैयाको देखकर कैसे बहेक गइ थी.. उनको पता था.. की लखन भैया रजीयाको मीलने आये हे.. फीर भी अंधेरेका फायदा उठाकर उन्होने लखन भैयाको अपने उपर चडा दीया.. ओर अपनी हालत खराब करवाली.. हें..हें..हें.. ठीकसे चलनेमे दो दिन लगे.. तब जाके सहीसे चल पाइ.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) दया बहेन.. हमने लखन भैयाको जडी बुटी देदी हे.. ओर लताका पीरीयड चल रहा हे.. तो वो थोडा बेकाबु हो गये थे.. अब उसे कीसी भी हालमे सेक्स करना चाहीये ही चाहीये..

दया : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. क्या वाकइ लखन भैयाका इतना बडा होगया हे..? रजीया केह रही थी.. अब मंजु भाभीने उसे हमेसाके लीये लखन भैयाके साथ सोनेके लीये कहा हे.. तो लखन भैयासे मीलते ही वो बेहोस होगइ थी.. इसीलीये आपको पुछ रही हु.. क्युकी आपको ओर भाभीको तो सब पता चल जाता हेनां..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) हां दया बहेन.. आपकी बात सच हे.. उनका बडे भैया जीतना लंबा.. ओर उनसे भी थोडा मोटा होगया हे.. लता मुजे भी बता रही थी.. जब मैने उनको सब बताया.. दया बहेन.. मे आज आपको भी सब बता देना चाहती हु.. की भाइ.. ओर भाभीने मीलकर क्या फैसला लीया हे.. आज मे हमारे घरके बारेमे आपको सबकुछ बता दुगी.. ओर आपके बारेमे भी.. जो आप नही जानती..

दया : (मुस्कुराते) जी दीदी.. आप कल भी कुछ बतानेको केह रही थी.. अब तो जीजु भी बेन्कपे चले गये हे.. तो बताइअ‍ेना..

पुनम : (मुस्कुराते) दया बहेन.. पहेले चाइ नास्ता तो करलो.. फीर आरामसे बैठकर बाते करेगे..

फीर दोनो चाइ नास्ता खतम करके होलमे आकर बैठ गइ.. तो पुनम धीरे धीरे करते दयाको सभी बाते बताने लगी.. देवायत ओर लखनकी कीतनी बीवीया हे.. जीनके साथ सादी ओर गांधर्व विवाह कर लीया हे.. ओर आगे कीतनी बीवीया होगी.. से लेकर उनका कीसके साथ अवैध रीलेशन हे.. फीर विजय ओर आने वाले वक्तमे उनके बेटे यानीके उन राजाके बारेमे भी बता दीया..

फीर देवायतकी इतनी बीवीया होनेकी वजहसे मंजुको कीन हालातमे फैसला लेना पडा.. जीनमे फैसलेमे दोनो भाइ मीलकर घरकी सभी ओरतोको सम्हाल लेगे.. ओर लखनको कीन हालातमे जडी बुटी देनी पडी.. ओर हवेली के खीलाफ रमा नीलमकी वो साजीसके बारेमे भी बात करली.. ओर लखनकी उनके बारेमे क्या फीलींग्स थी.. ओर अभी कीस बातसे नाराज हे वो भी बता दीया.. तो दया गौरसे सुनते हसती रही..

दया : (मुस्कुराते) दीदी.. क्या वो दोनो कमीनी पैसोके लीये इतना नीचे तक गीर सकती हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. तभी तो हमने लखन भैयाको वो जडी बुटी दी हे.. ओर भी बाते हे.. जो आप नही जानती.. तो वो बाते भी सुनो..

फीर पुनम दयाको अपने बारेमे भी सबकुछ बताने लगी.. की वो जब लखनके साथ स्कुलमे थी तब लखन उनसे प्यार करने लगे थे.. लेकीन अपना प्यार जता नही पाये.. से लेकर ओर अपने बडे भाइके साथ रीलेशनसे उनके साथ सादी तककी बाते कहेदी.. फीर आने वाले वक्तके बारेमे भी बता दीया.. ओर आखीरमे ये भी बतादीया की मंजुभाभी सृती लता सब आपसमे बहेने हे.. ओर जब पुनमने उनको ये बताया की वो भी उनकी सौतेली बहेन हे.. तब दया चौक गइ.. ओर उनकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. तभी..

दया : (आंसु बहाते) दीदी.. इसीलीये मंजुदीदी ओर आप मुजे इतना प्यार करते थेनां..?

पुनम : (दयाको हग करते) हां दया बहेन.. इसके बारेमे पहेले सीर्फ मंजुदीदीको ही पता था.. फीर मुजे सब शक्तिया देदी.. तब मुजे पता चला.. वरना इस बारेमे हमे कभी पता नही चलता.. दया बहेन.. रामुकाका बापुके अच्छे दोस्त थे.. लेकीन वो भी बच्चा देनेमे सक्षम नही थे.. इसीलीये आपकी मम्मीने खुद बच्चेके लीये सामनेसे बापुके साथ रीलेशन रखा था.. ओर आपका जन्म हुआ..

दया : (आंसु पोछते) दीदी.. मे मेरे बापुको बहुत प्यार करती हु.. वो आज भी मेरे पीता हे.. ओर मे उसे ही अपना पीता मानुगी.. दीदी.. मैने भी बडे भैयाको प्यार कीया हे.. मैने उनको अपना सबकुछ सौंप दीया हे.. तब मुजे नही पता था.. की ये मेरे बडे भैया हे.. दीदी.. मैने भी अपने भाइके साथ रीलेशन रखलीया हे..

पुनम : (मुस्कुराते ) हां दया बहेन.. ये तो रखना ही था.. सीर्फ आप ही नही.. हम सभी बहेनोने भाइके साथ रीलेशन रखा हे.. ओर हम सभी बहेने आज उनकी पत्नीया हे.. वो बहुत जल्द आपके साथ ओर लता दीदीके साथ भी सादी कर लेगे.. ओर सीर्फ भाइ ही नही.. हमारे पीता ओर हमारे दादाजीने भी इनकी बहेनोके साथ सादीया करली थी.. रामुकाका सीर्फ आपके पीता नही हे.. हम भी उनको अपना पीता मानते हे..

दया : (आंसु पोछते मुस्कुराते) दीदी.. आज तो आपने बहुत बडा राज खोल दीया.. अब मे बडे भैयाके साथ कैसे नजरे मीलाउगी..? क्या उनको पता हे की मे भी उनकी बहेन हु..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. उनको मंजुभाभीने पहेले ही सब बता दीया था.. तो आपको उनके सामने सर्मीन्दा होनेकी जरुरत नही हे.. इसीलीये तो वो आपके साथ सादी करना चाहते हे.. दीदी.. अब आप भी भाइसे सादी करनेकी तैयारीया सुरु करदो.. वो बहुत जल्द आपसे भी सादी करलेगे.. फीर हम सभी बहेनोको मतलब.. हमारे घरकी सभी ओरतोको दोनो भाइ मीलकर सम्हाल लेगे.. तो अब लखन भैयासे मीलनेके लीये भी आप तैयार रहेना.. हें..हें..हें..

दया : (सरमाकर मुस्कुराते) ओह गोड.. दीदी.. मतलब मुजे दोनो भाइके साथ सुहागरात मनानी हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. आप भी तो उनकी बहेन हो.. तो क्या वो आपके साथ भी..?

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) हां दया बहेन.. मे भी.. क्युकी वो तो मुजे सुरुसे ही प्यार करते थे.. लेकीन मेने आपको बतायाना.. तो इस वजहसे आजकल वो मुजसे रुठे हुअ‍े हे.. पता नही सृती दीदी उनको कैसे मनायेगी.. अभी तक उनका फोन भी नही आया.. सायद अपनी क्लीनीकपे जाकर बात करेगी..

दया : (मुस्कुराते) दीदी.. अब इस महारानीका क्या करना हे..? जो अभी आइ थी..

पुनम : (रहस्य मुस्कानसे) दया बहेन.. मेने इनके बारेमे भी जाना हे.. वो इतनी भी बुरी नही हे.. बस.. उनका पती भी इनको बच्चा देनेमे सक्षम नही हे.. इसीलीये उसने धिरेनके साथ सबंध बनाया हे.. इसी सीलसीलेमे मुजे लखन भैयासे बात करनी हे.. हमे इसीको जरीया बनाकर वापस हमारे घरपे जाना हे.. अब देखते हे.. लखन भैया कब मुजे माफ करते हे.. बस.. अ‍ेक बार वो मुजसे बात करले.. तो इनके ओर धिरेनके बारेमे उनको सब कुछ बता दुगी.. फीर लखन भैया ही इनको सम्हाल लेगे..

दया : (मुस्कुराते) दीदी.. अगर आप कहोतो मे रजीयासे बात करलु..? क्युकी वो उनकी बहुत मानते हे..

पुनम : (मुस्कुराते) अरे दया बहेन.. तबतो आपके मुहमे घी सकर.. बस.. अ‍ेक बार मेरा लखन मुजसे बात करले.. फीर तो मे ही उनको मना लुगी..

दया : (मुस्कुराते) दीदी.. कोइ मस्तीया करते इतने रुठ जाते हे क्या..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) हां दया बहेन.. बस.. वो ही भाभी देवर वाली मस्ती.. आपको तो पता हे..? वो अब मुजे अपनी बहेन नही.. भाभी मानते हे.. बस.. दो दिन पहेले वो मेरी ओर सृतीदीदीकी मस्तीया करते थोडा बहेक गये थे.. ओर मेने उसे चाटा मार दीया.. तबसे वो मुजसे नाराज हे.. हें..हें..हें..

दया : (आस्चर्यसे हसते) क्या..? आपने उसे चाटा मारा..? हें..हें..हें.. दीदी.. उनको भी पता चल गया की आप बडे भैयाकी बीवी हो..?

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) हां दया बहेन.. लेकीन गलती मेरी ही थी.. मैने ही उनको मेरे बारेमे ओर भैयाके बारेमे सब कुछ बता दीया था.. खैर.. अब चलीये फीर हम दोनोको जाना भी हे.. वो सामत भाइके घरपे.. बस.. अब आप इस पायल भाभीपे नजर रखना.. ओर अगर कुछ अ‍ैसा दीखनेको मीले.. तो उनकी विडीयो क्लीप बना लेना.. ताकी जल्दसे जल्द हम दोनोका यहासे छुटकारा होजाये..

दया : (हसते) दीदी.. हमे यहा आये रुमा जुमा सीर्फ दो दिन ही तो हुअ‍े हे.. क्या इतनी जल्दी हमे वापस जाना हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. अब मे इस कमीनेके साथ रहेना नही चाहती.. बस.. अ‍ेक बार मेरा लखन मुजसे बात करले.. फीर देखो.. कैसे हमारी जींदगीमे बहार आयेगी..

दया : (खडी होते मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. आप फीकर मत करो.. मे सब देख लुगी.. लगता हे आप भी लखन भैयासे प्यार करने लगी हो.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां दया बहेन.. अब आपसे क्या छीपाना.. आप भी हमारी बहेन हो.. दया बहेन.. मे लखनसे प्यार करने लगी हु.. बस.. अ‍ेक बार मील जाये.. मे उनकी सारी नाराजगी दुर करदुगी..

कहेते दोनो बाते करते खडी होगइ.. ओर घरका सभी काम मीलकर नीपटाने लगी.. फीर घरका सारा काम नीपटाकर पुनम अपना फोन लेकर होलमे सोफेपे बैठ गइ.. ओर दया घरका दुसरा काम देखने लगी.. पुनमने सृतीको फोन लगा दीया.. फोन लगते ही पहेले उसने लखनके बारेमे पुछ लीया.. तब सृतीने लखनके साथ हुइ सारी बाते पुनमको बतादी.. जीसे सुनकर पुनम थोडी नीरास होगइ..
 
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dilavar

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फीर पुनमने सृतीको धिरेनकी करतुतके बारेमे बता दीया.. की धिरेन इतने दिन हवेलीपे खाना खाने क्यु नही आ रहे थे.. ओर घर जाते ही उनकी धिरेनके साथ बहेस भी हुइ थी.. ओर वोभी बता दीया.. की रुमकी सफाइ करते उसे घरमे कीतने सारे कोन्डम ओर आइ पीलकी गोलीया मीली.. फीर उनके बीच ओर धिरेनके बीचकी अपनी सेक्स लाइफके बारेमे भी चर्चा हुइ.. जीसे सुनकर सृतीको भी आस्चर्य हुआ..

सृती : (आस्चर्यसे) दीदी.. क्या बात कर रही हो..? उनका दुसरी ओरतके साथ भी चकर हे..? वो आपको तो ठीकसे संतुस्ट नही कर पाता.. तो दुसरी ओरतको कैसे संतुसट कर पाता हे..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) भाभी.. वोही तो.. ओर मे दुसरी ओरतोसे थोडी अलग हु.. वो दुसरी ओरतको संतुस्ट करपाये या ना करपाये वो मुजे नही पता.. लेकीन मुजे हमारे घरके मर्दोके अलावा कोइ ओर संतुस्ट नही कर सकता.. बस.. मुजे सीर्फ इतना पता हे.. ये तो बाबाके कहेनेपे इनसे सादी करनी पडी.. वरना मे लखन भैयासे सादी करना पसंद करती.. भाभी.. क्या लखन भैया मुजसे बात तो करेगेनां..?

सृती : (मुस्कुराते धीरेसे) अरे हां दीदी.. क्यु नही करेगे..? वो अब मुजसे नाराज नही हे.. वो मुजसे खुलकर बात करने लगे हे.. देखना बहुत ही जल्द वो आपसे भी बात करेगे.. मे पुरी कोसीस कर रही हु.. की वो आपसे बात करे..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) भाभी.. थेन्क्स.. तब तो बहुत ही अच्छा हे.. देखना अब उनको कभी कोइ सीकायतका मौका नही दुगी.. भाभी.. अभी कीसीको कहीयेगा नही.. अब मेने भी लखन भैयाके साथ आगे बढनेका फैसला करलीया हे.. बस.. अ‍ेक बार वो मुजसे बात करले.. फीर मे सबकुछ सम्हाल लुगी..

सृती : (मुस्कुराते खुस होते) दीदी.. अ‍ैसा अचानक क्या हो गया..? जो आपने इतनी जल्दीसे फैसला लेलीया.. कुछ ओर हुआ हे क्या..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) नही दीदी.. इनकी दो वजह हे.. अ‍ेक तो अब बडे भैया सबको बहुत ही कम समय देपायेगे.. ओर दुसरा मेरी धिरेनके साथ सेक्स लाइफ अच्छी नही हे.. ओर वो खुद नीलमसे सादी करनेके लीये मुजसे छुटना चाहते हे.. तो मे कहा जाउगी..? ओर तीसरी बात.. भाभी.. हमे भी पता हे.. की आगे क्या होने वाला हे.. हमे अ‍ेकना अ‍ेक दिन तो लखन भैयाको अपनाना ही पडेगा..

सृती : (सरमाते हसते) दीदी.. कीतना अजीब हेनां..? हमारे पतीके होते हुअ‍े भी हमे हमारे देवरको पतीके रुपमे स्वीकार करना पडेगा..

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. अब हमारी जींदगीमे हमारे घरके मर्दोके अलावा कोइ नही हे.. जो हमे संतुस्ट कर सके.. बडे भैयाके पास हमारे लीये टाइम नही हे.. इसीलीये मेने लखन भैयाके साथ आगे बढनेका फैसला करलीया हे.. अब तो जबतक विजय बडा नही होजाता तबतक हमे लखन भैयाका ही सहारा हे..

सृती : दीदी.. ये अपने बहुत अच्छा नीर्णय लीया हे.. फीकर मत करो.. मे भी आपके साथ हु.. अब मैने भी यही फैसला करलीया हे.. अब तो हमे जींदगी खुलकर जीनी हे.. अब जीतना हो सके मे इतना टाइम हमारे देवरके साथ स्पेन्ड कर रही हु.. लेकीन अ‍ेक डरसा लग रहा हे..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी डरो मत.. आपने सही डीसीजन लीया हे.. पता नही ये बात मे कैसे समज नही पाइ.. अच्छा हुआ मंजुदीदीने सबको अच्छी तराहसे समजा दीया.. चलो अब मे फोन रखती हु.. मुजे ओर दया बहेनको सामत भाइके घरपे जाना हे.. सामको हम दोनो वापस आजायेगी.. अगर लखन भैयासे कुछ बात होजाये तो मुजे फोन करके बता देना.. बाय..

सृती : (मुस्कुराते) बाय दीदी.. टेक केर.. हें..हें..हें..

फीर पुनम ओर दया.. घरको ताला लगाकर बसमे अपने गांव चली गइ.. ओर सीधी हवेलीपे आगइ.. तो वहा सीर्फ भावना ओर मंजुला ही थी.. तो दया आकर चंपाभाभीको गले मीली.. ओर मंजुके पैर छु लीये.. तो पुनम भी आते ही मंजु ओर भावनाके गले लग गइ.. तब भावना थोडा लंगडाते चल रही थी.. तो पुनम उनको देखकर सब कुछ समज गइ.. ओर हसने लगी.. फीर तीनो होलमे जाकर सोफेपे बैठ गये.. ओर दया कीचनमे चली गइ.. तब..

पुनम : (खुस होते धीरेसे) दीदी.. क्या आपका काम होगया..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां पुनो.. अब भावु भी हमारी सौतन होगइ हे.. मेने इनकी भी सादी देवुसे करवादी हे.. बस.. अब तुम्हारे वापस आनेकी देरी हे.. फीर मे दयाकी सादी भी जल्दी करवा दुगी.. फीर तुम चारो इस हवेलीको सम्हाल लेना..

पुनम : (बैठे ही हग करते) नही दीदी.. आप अ‍ैसी बाते मत करो.. हमे डर लग रहा हे.. अ‍ैसा लगता हे.. आप हमे कही छोडकर जा रही हो..

मंजुला : (सरको चुमते) अरे मेरी बच्ची.. मे कहा जा रही हु..? मुजे जाकर वापस भी तो आना हे.. मेरी भावुकी कोखसे.. बस.. तुम हमारे घरके लोगोको सम्हाल लेना.. ओर सुन..? क्या धिरेनसे कुछ अन बन हुइ हेनां..?

पुनम : (सर जुकाते धीरेसे) दीदी.. वो.. वो.. अब आपसे कैसे कहु..? आपको तो सब पता हे.. वो यहा इतने दिन क्यु नही आये थे.. दीदी.. वहा उनका भाइके दोस्तकी बीवीके साथ चकर हे.. ओर मेरी भी सेक्स लाइफ अच्छी नही हे.. जातेही उनसे थोडी बहेस होगइ थी..

मंजुला : (मुस्कुराते) पुनो.. जानती हु मे.. तुजे सम्हालना धिरेनका काम नही हे.. इसीलीये तुजे लखनके साथ अच्छे संबध रखनेको केह रही थी.. बस.. कुछ ही दिनोकी तो बात हे.. फीर यहा तो तुम सबके मजे ही मजे हे.. ओर तुम उन ओरतकी फीकर मत कर.. हमने लखनको अ‍ैसे ही वो जडी बुटी नही दीहे.. अब वो ही उनको ओर आप सबको सम्हाल लेगे..

भावना : (आस्चर्यसे देखते) दीदी.. पुनोदीदी क्या केह रही हे..? हमारा धिरेन कीसी ओरतके चकरमे पडा हे..? कमीना.. अपनी बीवीको तो ठीकसे संतुस्ट नही करपाता ओर दुसरी ओरतके चकरमे हे.. अभी नीलु भी उनके साथ लगी हुइ हे.. जब उनको पता चलेगा तो नीलुका क्या होगा..? कमीना कहीका..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) नही भावु.. धिरेन अ‍ेक नोर्मल इन्सान ही हे.. वो दुसरी ओरत ओर नुलुको तो संतुस्ट करपाता हे.. लेकीन हमारी पुनोको संतुस्ट करना धिरेनके बसकी बात नही हे.. क्युकी मुजे पुनोको ओर हमारी लताको संतुस्ट करना हर कीसीका काम नही हे.. हम तीनो ओरते सबसे अलग हे.. हमारे अंदर बहुत आग हे.. हमे तो हमारे घरके मर्दही संतुस्ट करपायेगे..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. हमने वो सामत भाइके बारेमे सुना.. तो मुजे ओर दया बहेनको वही जाना हे.. क्या आप साथमे आ सकती हे..? फीर हमे धिरेनके आनेसे पहेले घरपे जाना भी होगा..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. चल मे साथ चलती हु.. भावु भले ही यहा आराम करती.. हमारे पती कबीलेपे गये हे.. वो वहाकी रानीका उधार करने.. हें..हें..हें.. सायद वापस भी आगये होगे.. पुनो.. तुम कभी उसे मीलना.. वो बहुत अच्छी लडकी हे.. क्या लखनसे तेरी बाते होगइ..?

पुनम : (आंख गीली करते) नही दीदी.. अभी तो नही.. वोतो मुजसे बात करनेके लीये राजी ही नही हे.. कल रातमे ही सृती दीदीसे बात हुइ.. वो सृती दीदीकी माफी मांग रहे थे.. ओर मुजसे भी मीलकर मेरी माफी मागने वाले हे.. ओर अभी यहा आइ तब वापस सृतीदीदीसे बात हुइ तो पता चला.. वो आज सुबहसे सृती दीदीसे बात करने लगे हे.. वो बहुत जल्द लखन भैयाको मेरे लीये मना लेगी..

मंजुला : पुनो.. तुम फीकर मत कर.. वो बहुत जल्द तुमसे भी बात करने लगेगा.. क्युकी वो ज्यादा दिन तुमसे दुर नही रेह सकता.. आखीर जन्मो जनमका प्यारहे तुम दोनोका.. इसीलीये तो पहेलेसे ही प्यार करता हे तुजे..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. क्या हम जानती हे.. वो ही सबकुछ होगा..? मुजे अ‍ैसा लगता हे मे बडे भैयाको धोखा दे रही हु.. इसी डरसे तो मेरा हाथ उठ गया..

मंजुला : (प्यारसे अ‍ेक नजरसे देखते धीरेसे) मेरी बच्ची.. तु अपने भाइको कोइ धोखा नही दे रही.. तु जानती हे तो वहा हमारे उस लोकमे क्या परंपरा हे.. तो तुम क्यु इतना डर रही हे..? क्या तुजे पता नही की तुम कौन हो..? तुजे भी पता हे तेरा तेरे बडे भाइके साथ रीलेशन सीर्फ तेरी बच्ची तक ही सीमीत था.. फीर भी वो तुजे प्यार करनेको कहा मना कर रहे हे..? तुम जब भी देवुको मीलना चाहो मील सकती हो.. इनमे लखन भी मना नही करेगा..

पुनम : (आंसु छलक गये) दीदी.. मैने लखन भैयाके साथ बहुत बुरा कीया हे.. पता नही मे कब उसे मनाउगी..

मंजुला : (मुस्कुराते सर सहेलाते) बहुत जल्द.. मेरी बच्ची दिल छोटा मत कर.. वैसे भी पती पत्नीके बीच अ‍ैसे छोटे मोटे जगडे होते ही रहेते हे.. बस.. मे इतना जानती हु.. की आने वाले दिनोमे तेरी ओर सृतीकी जींदगीमे खुसीओकी बहार आयेगी..

पुनम : (सर्मसार होते नजर जुकाते) दीदी.. पती..? लेकीन लखन भैया मेरे पती नही हे.. मे तो सीर्फ बडे भैया ओर धिरेनकी अमानत हु.. तो आप हमे पती पत्नी क्यु केह रही हे..?

मंजुला : (अ‍ेक नजरसे देखते) क्या सबकुछ मेरे मुहसे उगलवायेगी..? क्या तुजे नही पता तुम ओर लखन कौन हो..? हंम..? पुनो.. लोगोकी नजरोमे तुम भले ही कुछ भी हो.. असलमे अब तुम मेरे लखनकी सुहागन हो.. बीटु.. तुजे तो पता हे वो पहेले भी तेरा पती था.. ओर यहा भी तुजे उनकी पत्नी बनकर जींदगी गुजारनी हे.. तेरा असली पती लखन ही होगा.. जो तुजे बेइम्तहा महोबत करता हे.. वो तुजे अब समयके साथ सबकुछ पता चल जायेगा.. चल.. हम सामत भाइके घरपे जाते हे..

फीर मंजु पुनो ओर दयाको लेकर सामत भाइके घरपे सोक जताने चली गइ.. तो वहा उनको ब्रिन्दाके साथ बसंती भी मील गइ.. तब सांती ओर बरखा पुनम मंजुको देखकर बुहत ही सरमा रही थी.. फीर वहा आधे घंटे बैठकर तीनो वापस हवेलीपे आगइ.. तब मंजुने पुनम ओर दयाको खानेके लीये रोकना चाहा.. लेकीन पुनमको धिरेनके आनेसे पहेले वापस अपने घरपे पहोंचना था.. तो दया पुनम बसमे बैठकर अपने घरकी ओर नीकल गइ..
 
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dilavar

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जब पुनम मंजु ओर दया सामत भाइके घरपे थी तब देवायत हरीया ओर मालती रेणुको लेकर अपने खेतोपे आ चुका था.. फीर कुछ देर अपना काम देखकर रामुकाकाके पास जाकर बैठ गया.. तब उसने हरीयाको आवाज लगाते दो कप चाइ बनानेको कहा.. तो रामुकाका खुस होते देवायतके सामने हसने लगे.. फीर देवायतने कुछ देर खेतोकी जानकारीया लेकर रामुकाकाको भानुके बारेमे पुछा.. तबतक मालती दोनोको चाइ देकर चली गइ..

देवायत : (मुस्कुराते चाइ पीते) कहो काका.. सब कैसा चल रहा हे..? कही भानु दिखाइ नही देता..?

रामुकाका : (चाइ पीते मुसकुराते) हां वो भी आता हे.. अब तो फसल कटाइका वक्त हे.. तो मजदुरोसे काम करवाता हे.. लेकीन लगता हे आजकर वो कुछ परेसान दीख रहा हे.. यहाका काम जल्दीसे खतम करके वो अपने घरपे चला जाता हे.. बेटा.. क्या उनके घरपे तो सब सही हेनां..?

देवायत : (मुस्कुराते) हां काका सब सही हे.. अब अकेला आदमी परेसान नही होगा तो क्या करेगा.. क्युकी कुछ दिनोसे भाभी नीलु ओर काकी हमारे घरपे ही हे.. रमाभाभी ओर नीलुको पढाइके लीये सहेर छोडने ओर लखनके घरका कुछ सामान सेट करने गइ हे.. ओर काकी मेरी सास ओर चंदाके साथ अंकलके अस्थी विसर्जन करने हरीद्वार गइ हे.. तो भानुको खाने पीनेमे तकलीफ तो होगीनां..

रामुकाका : (मुस्कुराते) हां सही कहा तुने.. बीवीके बीना तकलीफ तो होती ही हे.. कीसको पतीके बीना तो कीसीको पत्नीके बीना.. बेटा.. कैसी हे मेरी दया..? आज कल दिखाइ नही देती..

देवायत : (मुस्कुराते) काका.. आप दयाकी फीकर करना तो छोडही दो.. आवकल वो पुनोके साथ उनके घरपे हे.. दोनो पकी सहेलीया जो हो गइ हे.. दोनोकी खुब जमती हे.. हें..हें..हें..

रामुकाका : (खुस होते) अच्छा अच्छा.. वो पुनो बीटीयाके साथ हे.. कोइ बात नही.. बस.. वो खुस रहे..

देवायत : (सरमाते धीरेसे) काका मुजे आपसे अ‍ेक जरुरी बात करनी हे..

रामुकाका : (मुस्कुराते) हां कहो बेटा.. क्या बात करनी हे..?

देवायत : (सरमाते धीरेसे) काका.. आपको जानते हे हमारे आनदानमे कीतनी सादीया होती हे..

रामुकाका : (हसते) हां सब पता हे मुजे.. ना जाने तेरे बापु ओर दादाने भी कीतनी सादीया की होगी.. ओर सबसे मजेकी बाते सभीने अपनी बहेनसे सादी करली थी.. तो गांवमे बहुत बडा हंगामा हो गया था.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) काका.. तो फीर अगर आप बुरा ना माने ओर आपकी रजामंदी होतो मे हमारी दयासे सादी करना चाहता हु.. बस.. आप हमे आशीर्वाद दीजीये..

रामुकाका : (सोक्ट होते आस्चर्यसे देवायतकी ओर देखते) बेटा.. ये तुम क्या केह रहे हो..? अ‍ेक नोकरानीके साथ..? वो विधवा हे.. बेटा हम बहुत गरीब लोग हे.. हमारा मजाक मत उडाओ..

देवायत : (पैरोके पास घुटनोके बल बैठते) काका.. मे मजाक नही कर रहा.. क्या कभी मेने आपके साथ मजाक कीया हे..? ओर कीसने कहा आप गरीब हो.. दुनीयामे सबसे धनी हो आप.. दया जैसी लक्ष्मी हे आपके घर.. गरीब तो हम हे.. जो आपकी बेटीका हाथ मांग रहे हे.. काका नीरास मत कीजीये हमे.. दे दीजीये दया हमे.. ओर ये सब आपकी बडी बहुने कहा हे..

कहा तो रामुकाका अपना चहेरा अपने हाथोसे ढकते फुट फुटके रोने लगे.. तो अ‍ेक पलतो दुर खडे हरीया मालतीको भी अजीब लगा.. वो दोनो दुर अपने रुमके पास खडे होकर अ‍ेक नजरसे रामुकाका ओर उनके पैरोमे बैठे देवायतको देखते रहे.. देवायतने रामुकाकाको थोडी देर रोने दिया ओर हरीयाकी ओर देखते उसे पानी लानेका इसारा कीया.. तो हरीया दोडकर पानी लेकर आगया.. ओर देवायतको दीया..

देवायत : (पानी देते) बस कीजीये काका.. लीजीये पानी पीजीये.. अगर मेने कुछ गलत केहदीया होतो मुजे माफ कीजीये.. लीजीये..

रामुकाका : (पानी लेते दुसरा हाथ देवायतके सरपे रखते) अरे नही नही बेटा.. ये तुम क्या बोल रहे हो..? आपसे कोइ गलती नही हुइ.. ये तो मेरे खुसीके आंसु थे.. जो इस अभागेको आपने काबील समजा.. तुम बीलकुल तेरे बापकी तराह हो.. अ‍ेकदम दयालु.. बेटा मुजे खुसी होगी जो आप मेरी दयाको इस हवेलीकी रानी बना रहे हो.. मे दुनीयाका सबसे बडा खुसनसीब बाप हु.. जो आप मेरी विधवा दयासे सादी कर रहे हो..

खेवायत : (मुस्कुराते) काका.. ये सब आपकी बडी बहुका हुकम हे.. हम सबने कभी दया ओर रजीयाको अपनी नोकरानी समजा ही नही.. हमारी रजीयाने भी हमारे लखनसे सादी करली हे.. बस.. अब आपका आशीर्वाद चाहीये.. मे हमारी दयाको विधवा नही सुहागन देखना चाहता हु..

रामुकाका : (देवायतके सरपे हाथ रखते) बेटा मेरा आशीर्वाद तो हमेसा तेरे साथ हे ही.. रजीया भी मेरी बेटी जैसी हे.. अच्छा हुआ लखन बेटाने उनसे सादी करली.. बेचारीका हमारे सीवा इस दुनीयामे उनका कोइ हे भी नही.. भगवान आप सबको लंबी उमर दे.. खुस रहो बेटा..

देवायत : (मुस्कुराते खडा होते) काका.. मे आज ही आपकी बडी बहुसे बात करलेता हु.. देखते हे वो कब सादीका केहती हे.. काका हम चाहते हे सादी आपकी मौजुदगीमे हो.. हमारे आश्रमपे..

रामुकाका : (खुसीसे हाथ जोडते) बेटा.. तबतो मेरा अहोभाग्य.. जो बाबाकी हाजरीमे मेरी दयाकी सादी हो रही हे.. मे जरुर आउगा..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे काका तो फीर मे चलता हु.. दो दिनसे घरपे गया ही नही.. आपकी बहुसे बात करके आपको बताता हु..

रामुकाका : (हसते) अच्छा अच्छा तो फीर जल्दीसे जाओ.. वरना मेरी बहु की डांट खानी पडेगी.. हें..हें..हें..

कहातो देवायत भी हसने लगा ओर अपनी हवेलीकी ओर नीकल गया.. जबतक देवायत घर पहोंचता तबतक घरसे पुनम ओर दया भी वापस अपने घरकी ओर नीकल चुकी थी.. तो देवायतको देखतेही मंजु खुसीके मारे दोडकर उनको गले लग गइ.. तो भावना भी बहुत सरमाते हसने लगी.. तो देवायतने उनकी ओर भी अपनी बाहे फैलादी.. तो भावना भी सरमाकर देवायतके गले लग गइ.. तभी..

देवायत : (मुस्कुराते) भावु.. तुम क्यु इतना सरमा रही हो..? मत भुलो तुम अब भानुकी नही मेरी बीवी हो..

मंजुला : (भावनाकी ओर हसते) बेचारी सरमायेगी नही तो क्या करेगी..दो दिन आराम करते बडी मुस्कीलसे अपने बीस्तरसे उठ पाइ हे.. आपने उनकी हालत जो खराब करदी थी.. हें..हें..हें..

भावना : (सरमसे पानी पानी होते) दीदी.. चुप रहीये.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. जीजु.. कैसा रहा आपका सफर..?

मंजुला : (हसते) कमीनी अब तो इसे जीजु कहेना बंध करदे.. अब हमारे पती हे ये.. हें..हें..हें..

भावना : (सरमाकर मुस्कुराते) नही दीदी.. मे इसे जीजुही कहुगी.. क्युकी मेने जीजुको प्यार कीया था.. ओर वैसे भी जबतक भानु हे मुजे जीजु सालीका रीलेशन बरकरार रखना पडेगा..

देवायत : (बाहोमे भीचते) मंजु.. भावु सही केह रही हे.. कबीले पे भी सब मस्त रहा.. वहा जमीलाको मेरी रानी बनाकर उसे सब जीम्वेवारी देकर आगया.. ओर सुन.. मेने हमारी दयाके बारेमे भी अभी रामुकाकासे बात करली हे.. अब सब तुजे देखना हे.. की दयाके साथ कब सादी करनी हे.. मेने उसे हमारे आश्रमका कहा हे..

मंजुला : (खुस होते मुस्कुराते) ये आपने अच्छा कीया.. जो रामुकाकासे बात करली.. देवु.. तो फीर हमे कीसीका वेइट नही करना.. हम दो तीन दिनमे ही आश्रमपे जाकर सब नीपटा लेते हे.. अभी आपके आनेसे पहेले ही पुनो ओर दया यहासे गइ.. दोनो सामत भाइके लीये सोक मनाने आइ थी..

देवायत : (मुस्कुराते) क्या वो दोनो आइ थी..? तो मुजे फोन करना चाहीयेना... मे उन दोनोको छेडकर आजाता..

मंजुला : (हसते) जी नही.. अब तो दयाको सादीके दिनही मीलोगे.. वरना पता चला आपने आज ही उनके साथ सुहागरात मनाली.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) वेरी फनी.. मंजु.. हमारी पुनो कीतनी व्यावारीक ओर समजदार होगइ हे.. मुजे अफसोस हे.. की आज कल मे उनको समय नही दे रहा..

मंजुला : (थोडी सीरीयस होते) देवु.. भुल जाइअ‍े पुनोको.. अब इसकी कोइ आवस्यक्ता नही हे.. ओर पुनोकी फीकर करनेकी जरुरत नही हे.. पहेले आप फ्रेस होजाइअ‍े.. फीर हम आरामसे बात करते हे.. आज आपको पुनोके बारेमे भी बात करनी हे.. तबतक खाना भी बन जायेगा.. आप सफरसे थके भी होगे.. जाइअ‍े..

कहातो देवायत मंजु ओर भावनाके होठोपे बारी बारी कीस करते अपने रुममे चला गया.. ओर फ्रेस होकर बहार आगया.. तब भावना ओर मंजु होलमे सोफेपे देवायतके इन्तजारमे बैठी आपसमे पुनम ओर लखनके बारेमे बाते कर रही थी.. जैसे ही देवायत उनके पास आकर बैठ गया तो मंजुने पुनम ओर धिरेनके बीच सुरुसे यहा आने तक हुआ सारा वाक्या सुना दीया.. जीसे सुनकर थोडी देरतो देवायत भी सोक्ट हो गया.. ओर उसे पुनमकी चीन्ता होने लगी.. तभी....

कन्टीन्यु
 
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Premkumar65

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २२

इतना कहेतेही चंदाने देवायतके गाल चुम लीये ओर उनके कंधेपे सर रख दीया.. आज उनके दीलमे देवायतके लीये इजत ओर बढ गइ ओर उसने जल्द से जल्द देवायतके पास आनेका फैसला करलीया.. फीर दोनोही वापस हवेलीकी ओर आने लगे तबतक चंदा देवायतके सामने देखते हसती रही.. आज उसे बडाही सुकुन मील रहा था.. क्युकी उसे डर थाकी जब देवायतको सब सचाइ बतादेगी तो वो देवायतको केसे सम्हाल पायेगी.. ओर उसने सब बातेभी करली ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके ओर करीबभी आगये....अब आगे

दोनोही हवेली पहोंच गये तब देवायत ओर चंदा अंदर आगये तो मंजु दोनोको देखके बहुतही खुस हो रहीथी.. देवायतको अभी बच्चोके सामने मंजुसे बात करनेका उचीत नही लगा तब वो मंजुकी ओर प्यार भरी नजरोसे देखता रहा.. उनको लगाकी आंख गीली होने लगी हे तो जटसे मुडके बहार चला गया ओर कार लेके गांवमे रमेशके यहा चला गया.. तो रमेश उसे देखतेही खुस होगया..

क्युकी उनके सरपंच बननेका देवायत अ‍ेकही जरीया था वो उनका हाथ पकडके उसे घरके अंदर लेगया ओर अपनी बीवी चारुको चाइके लीये बोला.. तो चारुभी बहार आतेही देवायतको देखतेही खुस होगइ ओर चाइ बनाने कीचनमे चली गइ.. ओर देवायतके बारेमे सोचते चुत गीली करने लगी.. अब वोभी जल्दसे जल्द अ‍ेक बार फीर देवायतसे चुदना चाहती थी.. क्युकी उसे देवायतसे चुदवाया उसे काफी टाइम होगया था..

तब वोभी फटाफट चाइ बनाके दोनोके देते वही बेठ गइ ओर देवायतके सामने देखते हसती रही तब देवायतने चाइ पीते सबको सगाइमे आनेका न्योता दीया तो चारु सुनके खुस होगइ तभी उनकी लडकी वंदना ट्युशन पढाके घर आगइ तो देवायतको देखतेही सरमा गइ ओर नमस्ते करके अंदर चली गइ.. फीर देवायतने चाइ पीलीतो कप लेनेके बाहाने चारुने देवायतके हाथ छुलीया तब उसके सरीरमे अ‍ेक बीजलीसी लहेर दोड गइ जब देवायत जानेके लीये खडा होगया तो रमेश आगे नीकल गया तब चारुने पीछेसे देवायतका हाथ पकडलीया ओर दबाके छोड दीया ओर उनके सामने देखके हसने लगी..
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फीर देवायत बहार नीकलने लगा तबभी वो उसे बहार दरवाजे तब छोडने उनके पतीके साथ आगइ ओर बहार नीकलतेभी देवायतको वापस छुलीया ओर देवायतकी ओर नैन नााते कुछ इसारा कीया.. तब देवायत सब कुछ समज गया ओर चारुकी ओर कामुक स्माइल करते कुछ हाथका इसारा करते नीकल गया तो चारुभी इनके इसारोको समज गइ ओर खुस होगइ..

फीर देवायत सरपंच राघवके धर चला गया तो रश्मी उनको देखके खुस होगइ लेकीन इस वक्त उनके कुछ रीस्तेदार राघवकी खबर पुछने आयेथे तो देवायत उसे खडे खडे ही सगाइका नीमंत्रण देके नीकल गया तब रश्मी खुब नीरास होगइ.. फीर देवायत तीन चार ओर जगह नीमंत्रण देके सीधेही चंपाके घर चला गया तो चंपा अंदर टीवी देख रहीथी जेसेही देवायतको देखा तो पहेले उठके दरवाजा बंध करलीया ओर आके टीवी बंध करलीया ओर देवायतसे लीपटके उनके पुरे चहेरेको चुमने लगी ओर हाथ पकडके रुममे लेगइ..

देवायत : (हसते) अरे पहेले सुनोतो सही.. मे सगाइका नीमंत्रण देने आया हु.. हें..हें..हें..

चंपा : (हसते) पता हे मुजे.. मे सुबह ही हवेली गइथी मालकीनने मुजे देदीया.. अभी कुछ नही पहेले मुजे ठंडी करो.. जबसे आप बडे लंडका चस्का लगाके गयेहे तबसे कही चेइनही नही मीलता.. आजाओ..

कहेते वो सब कपडे नीकालके लेट गइ ओर पैर मोडके अपना नीकर नीकालके पैर फैलाके लेट गइ तब देवायतभी समज गयाकी सालीको बहुत आग लगी हुइ हे तो वोभी पेन्ट सरकाके चडी नीचे कर लेता हे तो देवायतका लंड चंपाकी चुतको देखतेही फडफडाने लगा ओर खडा होके जटके मारने लगा तब देवायत चंपाके पेरके बीच बेठ गया ओर लंड पकडके चंपाकी चुतपे दो तीन बार घीसके सेट करलीया.. ओर जुक गया..
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तो चंपाने ही अ‍ेक हाथ नीचे लेजाते देवायतका लंड पकडके अपनी चुतका रास्ता दीखा दीया फीर देवायतकी गरदनमे दोनो हाथ डालके उसे अपने आपसे चीपका लीया तभी देवायतने कमर उची करते अ‍ेक जटका दीया तो देवायतका लंड सीधेही चंपाकी चुतके बीलमे घुस गया जेसे कोइ सांप अपने बीलमे चला जाता हे तब चंपाकी अ‍ेक हल्कीसी चीख नीकल गइ ओर वो मदहोस होते आधी आंख चडाली..
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तभी देवायत चंपाको उचा होते चंपाकी चुतपे लंबे लंबे सोट मारते चंपाको चोदने लगा तब चंपाकी भी हर सोटपे आहे नीकलती रही ओर देवायतकी पीठमे हाथ रखके देवायतको अपनी चुतपे दबाव बनाते चुदवानेमे मदद करती रही २० मीनीटकी धकापेनी चुदाइके बाद चंपा अकडने लगी.. ओर उसने देवायतको जोरोसे बाहोमे भीचके अपने आपसे चीपका लीया तब देवायतनेभी अपने लंडको चंपाकी चुतमे जड तक घुसा दीया ओर अपना लावा छोडते चंपाकी चुतको हरी भरी करता रहा तब चंपाभी साथमे जडने लगी..

दोनोही सांत होगये तब देवायत चंपाके उभारोपे सर रखके ढेर होगया.. ओर चंपा उनकी पीठ ओर सरको सहेलाती रही.. वो आज अ‍ेकही बारमे ढेर होचुकीथी.. फीर कुछ देरके बाद दोनोही साथमे नहाने चले गये तो वहाभी दोनोने साथमे नहाते मस्तीया करने लगे ओर देवायतने अ‍ेक बार फीर चंपाको खडे खडे चोद लीया फीर दोनो नहाके बहार आगये ओर कपडे पहेनके तैयार होगये..
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चंपा : ठाकुरसाब आजतो आपने मुजे पुरी नीचोड ली.. अ‍ैसा मजा कभी नही आया.. आते रहीयेगा..

देवायत : (हसते) चंपा अबतो तुजे अ‍ैसा मजा आयेदीन मीलता रहेगा.. बस अबतो मुजे ही तेरा खयाल रखना हे.. चल नीकलता हु.. कल टाइमपे आजाना..(कहेते देवायत वहासे नीकल गया)

जब देवायत हवेलीसे गया तो मंजु उसे देखतीही रही.. उसे अंदाजा होगया थाकी मौसीने उनकी सारी सचाइ बतादी हे.. तो वो चंदाकी ओर देखने लगी तो चंदा उनके पास चली गइ ओर उसे लेकर बहारकी ओर चली गइ तब पुनम ओर धिरेन दोनोही टीवी देखते मस्तीया कर रहेथे.. लखन खेतोकी ओर घुमने गया था.. तब चंदा ओर मंजु दोनोही टहेलते बाते करने लगी तब चंदाने उसे सब घटनाक्रम सुना दीया..
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तबतक दोपहर खानेका समय होगया था तो देवायत सीधेही हवेलीपे पहोंच गया.. तब तक चंदा ओर मंजु दोनोही अंदर जा चुकीथी जेसेही देवायत अंदर आगया तब दोनोही खडी होगइ ओर अ‍ेक नजरसे देवायतको देखती रही तभी देवायत भारी मनसे अपने रुममे चला गया तो मंजु आनेवाले वक्तके बारेमे सोचते गभराने लगी की देवायतका सामना केसे करेगी.. ओर वोभी धीरे धीरे देवायतके पास जाने लगी..

अंदर जाते देखातो देवायत अपने बेडपे सर जुकाके बेठा हुआ था तब मंजु रुमका दरवाजा बंध करके देवायतकी ओर जाने लगी.. अब उनके सब्रका बांध टुट रहा था तभी देवायतने उनकी ओर देखा ओर जटसे खडा होगया.. फीर मंजुकी ओर देखते स्मालइ करने लगातो मंजुने देखा देवायत आंसुओकी धारा बहाते उनकी ओर जबरदस्ती हस रहाथा तब मंजु दोडके देवायतकी बाहोमे समा गइ ओर उनकी पीठमे हाथ रखते सरको देवायतके कंधेपे रख दीया ओर जोरोसे फुट फुटके रोने लगी..
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मंजुला : (रोते हुअ‍े) प्लीज.. जानु मुजे माफ करदो.., आइ अ‍ेम सोरी.. जानु.. हमारा.. बच्चा..

देवायत : (जोरोसे रोते) क्यु कीया.. मं..जु.., नही चाहीयेथा मुजे बच्चा.., हे भगवान.., क्यु अपनी जींदगी दावपे लगा दी.. मंजु.. अब मे कैसे.. जी पाउंगा.. कभी सोचा हे..? अ‍ैसा क्यु कीया..?

मंजुला : (देवायतके आंसु पोछते खुद रोते) सोरी.. जानु.. मे.. आपको अपनी कोखसे.. वारीस देना चाहती थी.. मुजे माफ करदो.. आइ प्रोमीस.. अगले जन्ममे हम फीर मीलेगे.. जानु.. मे आपको अकेला छोडके नही जाउगी.. मुजे.. माफ करदो.. प्लीज..प्लीज..

देवायत : (रोते मंजुके आंसु पोछते) बस.. बेबी.. ओर मत रो.. हमारे बच्चा दुखी होगा.. अब मे इस बच्चेको पालुगा.. अपनी जानसेभी ज्यादा.. तु फीकर मत करना.. बस.. सांत होजा तुजे मेरी कसम..

कहतो मंजुने फटाफट अपने आंसु पोछ दीये ओर अपनी सारीके पलुसे देवायतके आंसुभी पोछने लगी.. फीर देवायतका चहेरा अपनी दोनो हथेलीसे पकड लीया ओर उनकी आंखोमे प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. तब देवायतभी उसे देखते अ‍ेक बार फीरसे मंजुको अपनी बाहोमे भरलेता हे.. ओर उनके सरको चुम लेता हे.. तब मंजु देवायतकी आगोसमे समा जातीहे ओर उनसे चीपकके खडी रहेती हे दोनोही अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे काफी देर खडे रहे..
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जब दोनोही सांत होगये तब मंजु देवायतके होंठ चुमते अलग होगइ ओर देवायतको लेके बाथरुममे चली गइ ओर देवायतका मुह साफ करके खुदकाभी मुह साफ करलीया फीर देवायतको लेकर बहार आगइ ओर बेडपे बेठ गइ उनके दोनो हाथ अपने हाथमे लेके उनकी आंखोमे देखती रही फीर नजर जुकाके कहा..

मंजुला : जानु आप मौसीको अपनालो.. यही समजलो ये मेरी आखरी ख्वाहीस हे.. क्युकी मे चाहती हुं.. मेरे जानुको सम्हालने वाली मेरी मौजुदगीमे ही आजाये.. क्या मेरी इतनी बात नही मानोगे..

देवायत : नही जानु.. अबतो मे तेरी हर बात मानुगा मे तुजे दुनीयाकी सारी खुसीया देना चाहता हु..

मंजुला : (खुसीसे बेठेही हग करते) ओह.. थेन्कयु जानु.., मे चाहती हु हमारी पुनम धिरेनकी सादी होनेके बाद मौसी इस घरमे आजाये.. मे चाहतीहु हमारा बच्चा अभीसे उनको अपनी मां मानके प्यार करे..

देवायत : ठीक हे मंजु जैसा तुम चाहती हो अ‍ैसाही करेगे.. बस..? अबतो खुस..?

मंजुला : (सरमाके हसते) हां.. अब खुस.. चलो अब भुख नही लगी क्या..? बहार सब हमारा वेइट करते होगे.., मुजेतो जोरोसे भुख लगी हे.., हें..हें..हें..

कहेते हसती हुइ देवायतका हाथ पकडके उसे बहार लेजाती हे.. जब दोनोही बहार आते हे तब चंदा उनकी ओर देखती ही रहेती हे तो मंजुने उनकी ओर खुसीसे स्माइल करदीया ओर चंदाकी ओर अ‍ेक आंख मारदी.. तो चंदाभी सरमाके हसने लगी.., वो सब समज गइकी मंजुने देवुको सब अच्छी तराह समजा दीया हे.. तभी पुनम इन दोनोकी हरकत देख लेती हे तो उसे बडाही आस्चर्य हुआ तभी चंदाभी खडी होते पुनम धिरेनको खानेके लीये बुलाती हे तबतक लखनभी आजाता हे..

फीर सब साथमे खाना खाने लगते हे तो आज पहेली बार बीच बीचमे मंजु देवायतको खीला रहीथी जीसे देखके चंदातो सरमा गइ लेकीन पुनमको बडा आस्चर्य हुआ.. ओर वो दोनोकी ओर देखती रही.. लेकीन धिरेन सब कुछ जानता था तो वो खुस हो रहाथा.. ओर पुनमकी मनोदसा देखते हसते हसते खाना खाने लगा तो पुनम उनकी ओर देखने लगी.. फीर सबने खाना खालीया.. ओर सब होलमे बेठ गये..

मंजुला : पुनम तुजे वंदनाके पास जाना हे मेने उनसे बात करली हे.. जा वो तुजे मेकअपके लीये वेक्सीन बेक्सीन जोभी करवाना हो करवाले.. वो बहुत अच्छा करती हे..

पुनम : (हसते) भाभी मुजे सब पता हे.. मेरीतो सहेली हे.. मेनेही उनसे कहा था.., वो आपकोभी इधर आके करदेगी.. मम्मीजी आपभी सब करवा लेना..

चंदा : (सरमाते हसते) मे..? अब मे क्या करुगी..? मुजे नही करना कुछ..

मंजुला : (हसते) मौसी करवालो.. आपके अ‍ेकलोते बेटीकी सगाइ हे.. इतनातो चलता ही हे..

चंदा : (हसते) मंजु.. तुमभी नां.. अब ये सब करुगी.. लोग क्या कहेगे..?

मंजुला : (गुसा होते) भाडमे जाये लोग.. हम ये सब नही मानते क्यु देवु..?

देवायत : (हसते) हां.. मौसी मंजु ठीक केह रही हे अपने बेटेकी सगाइ हे फुल अ‍ेन्जोय कीजीये.. हमे लोगोसे क्या लेना देना.. अब आपभी ये सब पुराने खयालातोसे बहार आजाइअ‍े.. क्या कहेतेहो धिरेन..

धिरेन : हां मोम.. जीजु ठीक केह रहे हे.. ये पुराने खयालोने ही आपकी जींदगी बरबाद करदी.. अबतो अच्छा मौका हे अपनी लाइफ फुल अ‍ेन्जोय कीजीये.. हें..हें..हें..

कहतो चंदा चोंकते धिरेनको देखती रही.. तब जाके धिरेनको रीयेलाइज हुआकी वो क्या बोल गया.. तो सरमाते सर जुकाके बेठ गया तभी लखनने धिरेनको कहा..
लखन : चल धिरेन थोडा गांवकी ओर जाते हे.. की तुजे आराम करना हे..?

लखन : नही यार कोइ आराम नही करना चलो.. घुमके आते हे..

मंजुला : (हसते) लखनभैया अबतो धिरेन आपके जीजु हो गयेहे अबतो इनको अ‍ेसे ना बुलाओ..

लखन : (हसते) भाभी जीजुतो कलसे होगा तबतकतो दोस्तीका मजा लेने दो.., हें..हें..हें.., चल लखन..

तभी लखन चला जाता हेतो पुनमभी अपने रुममे जाके सोनेकी कोसी करने लगती हे लेकीन उनकी आंखसे आज नींद कोसो दुरथी क्युकी आज उनके भाइ भाभीका व्यवहार देखके उनको कुछ अजीब लगा क्युकी इस हवेलीपे अ‍ेसा करते उसे कभी दीखनेको नही मीलाथा तो दुसरी ओर मंजु ओर चंदाके इसारोने भी उसे परेसान करके रखाथा.. की दोनो मौसी भांजीके बीच क्या खीचडी पक रही हे.. वो यही सब सोचती रही..

तब दुसरी ओर चंदाभी अपने रुममे चली गइतो देवायत मंजुभी अपने रुममे आगये ओर दोनोही आके बेडपे सोने लगे तब मंजु देवायतकी ओर पीठ करते बाहोमे आते चीपक गइ ओर देवायतका हाथ पकडके अपने सीनेपे रखके सोने लगी.. तो देवायतनेभी उसे कसके अपने साथ चीपका लीया..
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मंजुला : (पीछे देवायतकी ओर देखते) जानु तुम ज्यादा मत सोचो मुजे कुछ नही होने वाला.. बस अ‍ेक बार हमारा बच्चा आनेदो फीर मे मेरे जानुको खुब प्यार करुगी.. चलो सोजाओ..

देवायत : (हसते) हं.. चल ठीक हे.. आजा..

कहेते देवायत उनको बाहोमे भरके सोने लगता हे तो मंजुभी सोने लगती हे.. दोनोही नींदकी आगोस मे चले गये.. तब उनकी खीडकीसे दो आंखे उन दोनोके प्यारको देखती रही.. जब दोनो सो गयेतो वापस अपने रुममे जाके सोने लगी.. वोथी पुनम.. जो पीछली बार आइथी तो कइ बार अपने भाइ भाभीकी चुदाइ देख चुकीथी.. वो देवायतकी बोडी ओर उनके लंडको कइ बार देख चुकीथी तभीभो उनकी ओर ढल चुकी थी..

चंदाभी देवायतके बारेमे सोचते सोगइ.. सभी लोग साम ४ बजे तब आराम करते रहे.. सभी उठके फ्रेस होगये ओर सबने चाइनास्ता करलीया तभी देवायत खेतोकी ओर नीकलही रहाथा की उसे पुनमने रोक लीया ओर वंदनाके घर यानी रमेशके घर छोडनेको कहा तो देवायतने उसे फटाफट आनेको कहा तो पुनम खुस होगइ.. ओर मंजुको कहेके देवायतके साथ चली गइ.. तब मोका देखके पुनमने देवायतसे कहा..

पुनम : भाइ क्या कुछ प्रोबलेम हे..? मे देख रही हुं.. जबसे आप लताको छोडके आयेहो आपका मुड ठीक नही हे.. ओर आतेही सीधे अंदर चले गयेथे ओर बहार नीकले तब देखा. दोनोही रो के आये थे..

देवायत : (हसते) अरे छुटकी अ‍ैसा कुछभी नही हे जो तु सोच रही हे.. तु टेन्शन मत ले..
पुनम : भाइ.. बुरा मत मानना.. मेने आपको अपने दीलमे खास जगाह दी हे.. आपकी कोइ बात मुजसे छुप नही सकती.. मुजे आपका पुरा खयाल रखना हे.. ओर हमेसा रखती रहुगी..

देवायत : (सीरीयस होते) छुटकी क्यु अ‍ैसा कर रही हे..? तु जो सोच रही हे अ‍ैसा नही हो सकता..

पुनम : भाइ.. अभीभी कुछ नही बीगडा.. अगर आप नही चाहते तो मे सारी जींदगी कुआरी रहुगी.. मे सादी सीर्फ आपके लीये कर रही हु.. ताकी हमारा रीलेशन हमेसा बना रहे.. आप अ‍ेक बार फीर सोचलो.. मे आपको फोर्स नही करुगी.. अगर आप मुजे नही चाहते तो मुजे ये सगाइ करनेकी कोइ जरुरत नही.. मे हमेसाके लीये आपसे दुर चली जाउगी.. ओर सीर्फ यही नही.. सादीके पहेलेभी आपको मेरा अ‍ेक काम भी करना हे..

देवायत : छुटकी येतो ब्लेक मेइल हे.. क्यु अ‍ैसा कर रही हे.. तु मेरी बहेन हे.. मत करवा अ‍ेसा काम..

पुनम : ठीक हे भाइ.. आप मुजे घर छोडदो.. मुजे कुछ नही करवाना.. सायद मेरी कीस्मतमे यही लीखा हे..

देवायत : पागल हे क्या..? (मनमे - लगता हे बाबाने कहाहे अ‍ेसा होकरही रहेगा) चल ठीक हे.. तु जो कहेगी वोही करुगा अबतो खुस..? ओर मुजसे सादीसे पहेले क्या काम करना हे..?

पुनम : (हसते) भाइ.. वो बादमे बता दुगी.. बस यही समजलो आपकी ओरसे मुजे बेस्ट गीफ्ट हे.. यही समजना मुजे राखीके बदले आप यही तोहफा दे रहे हो..

देवायत : हां.. लेकीन बता तो सही.. मुजे क्या काम करना हे.. तुजे क्या चाहीये..

पुनम : (सरमाके हसते) नही भाइ अभी नही.. जो चाहीये सादीसे पहेले मांग लुगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) लगता हे मुने तेरी सादी जल्द करवा देनी पडेगी.. तेरी डीमान्ड बढतीही जा रही हे..

पुनम : (हसते) भाइ फीकर मत करो.. सादीके बादभी आपको छोडने वाली नही हु.. हें..हें..हें..

तभी रमेशका घर आजाता हे तो रमेशतो नही था लेकीन चारु बहार खडीथी जेसेही देवायत ओर पुनमको देखा उनके चहेरेपे स्माइल आगइ ओर दोनोको अंदर बुलाने लगी तो देवायतको जाना था.. तो मना करदीया तब चारु कुछ नीरास होगइ लेकीन पुनमकी हाजरीसे अपने चहेरेपे जाहीर नही होने दीया..
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पुनम : भाइ अब आप जाओ मेरा होजायेगा तब मे लखनभैया यातो धिरेनको बुला लुगी मुजे लेजायेगा..

देवायत : चल ठीक हे.. चलो भाभी चलता हु कल सब टाइमपे आजायेगा..

चारु : (कातील स्माइल करते) ठीक हे तो आप नही रुकोगे.. वरना आपको मस्त चाइ पीलाती..

पुनम : (सरारतसे हसते) रहेने दीजीये भाभी.. भाइको चाइ नही दुध पसंद हे, हें..हें..हें..

चारु : (सरमाते हसते अ‍ेक मुका पुनमको मारते) चल बदमास.. सरमभी नही आती.. जा अंदर वंदना वेइट कर रही हे..

कहतो पुनम हसते हुअ‍े अंदर चली गइ तब देवायतभी हसते हुअ‍े चला गया.. जब पुनम अंदर गइतो वंदना अपने रुममे पेटके बल लेटे कुछ पढ रहीथी.. जेसेही दरवाजेपे पुनम आके खडी रही तो वंदना जटसे बेडसे उतर गइ ओर खुसीके मारे हसती हुइ दोडके पुनमके गले लग गइ.. तब चारुभी दोनोको देखके हसने लगी तो वंदनाने पुनमका हाथ पकडके उसे अंदर खीचलीया ओर दरवाजा बंध करलीया..

तब अ‍ेक बार फीर दोनो गले लग गइ.. दोनोही पकी सहेलीथी जब पुनम सहेर चली गइ तब वंदना खुब रोइथी.. वो कीसीसे ज्यादा बात नही करतीथी.. ओर नाही उनकी ओर कोइ सहेली थी, दोनोही बचपनसे साथ खेलते साथही बडी हुइथी बस पुनम ओर वंदनाकी उमरमे कोइ ज्यादा फर्क नही था वंदना पुनमसे महज तीन चार सालही बडी थी फीरभी दोनो खास सहेलीथी.. तब वंदना पुनमको बेडपे बीठाती हे..

पुनम : (हसते) क्युरी कुती.. मे दो दीनसे आइ हु.. मीलने नही आ सकती..

वंदना : (हसते) तो कमीनी तुजे मीलना आना चाहीयेनां मेतो यही हु.. मुजे कहा पताथा की तुम आगइ हो.. येतो कल तेरे भाइ इधर तेरी सगाइका न्योता देने आये तब पता चला.. की तु आगइ हे.. वो सब छोड पहेले ये बता क्या पीयेगी.. चाइ पीनी हेकी कुछ ठंडा..

पुनम : (हसते) यार चाइही पीलादे.. कीतने दीनोके बाद तेरे घरकी चाइ पीउगी..

वंदना : (हसते धीरेसे) कमीनी तुतो कहेतीथी जबतक मेरा यार हां नही कहेता तबतक सगाइ फगाइ नही करनी.. तो क्या उसने हां केह दीया.. कोन हे वो..? (जोरोसे आवाज देते) मम्मी दो कप चाइ बना देना प्लीज..

पुनम : (सरमाते) हां यार बडी मुस्कीलसे बात करपाइ अभीतो सीर्फ कन्वीसही करपाइ.. तभीतो सगाइकी हां कहेदी.. मेरी छोड ये बता अभीतक तुने कोइ फसायाकी नही.. मेरा मतलब कीसीसे टाकाबाका भीडाकी नही?

वंदना : (नीरास होते फीकी स्माइलसे) नही यार.. अब मे कीसीसे सादी नही कर रही.. जीनको चाहतीथी.. उनकी सादी होगइ.. अब नही करनी मुजे सादी.. बस उनकी यादमे जींदगी गुजार दुगी..

पुनम : (धीरेसे) क्या यार.. तुभी.. कभी सोचाहे अकेले जींदगी केसे गुजारेगी.. वंदना कुछ समय तो तु अकेली रेह लेगी.. जब सरीरकी नीड बढेगी तब तु क्या करेगी..? तुमतो पढी लीखी लडकी हो जब तेरा सरीर ओर दिमाग तेरा साथ नही देगा तब तुम क्या करोगी..?

वंदना : (हाथकी बीच वाली उंगली दीखाते जोरोसे हसते) क्यु.. ये मेरा साथ नीभायेगीनां.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) कमीनी.. तु नही सुधरेगी.. ये सब छोड अबतो बता तेरा यार कोन था, जो कही ओर सादी करली.. कमीनी तुने कभी बयाताभी तो नही.. वरना मे कुछ हेल्प करदेती..

वंदना : (नीरास होते) छोड यार.. अब बताके क्या फायदा.. मेरीही हीमत नही हुइ.. जब तुने कहाथा तबही मुजे अपने प्यारका इजहार करदेना चाहीयेथा.. गलती मेरी ही हे.. जो मे उसे बात नही करपाइ..

पुनम : हं.. लेकीन अबतो बतादे तेरे दीलमे कोन था..? मे कीसीसे नही कहुगी..

वंदना : (सरमाते धीरेसे) यार देखना.. कीसीको मत बताना.. अब उनकी सादी होगइ हे उनको अच्छी बीवी मील गइ हे.. दोनोही प्यार करतेथे.. बस मेही लेइट होगइ.. वो.. वो.. तेरा भाइ देवायत ही हे..

पुनम : (चोंकते धीरेसे) क्या..? भाइ..? आयु सीरीयस..? तुम उनको प्यार करतीथी..?

वंदना : हां यार.. तु कीसीको कहेना मत..

तब पुनम सोचमे डुब जाती हे.. वो वंदनाको अपने यारके बारेमे बताने वालीथी लेकीन अब वो बताना नही चाहतीथी.. की उनका यारभी उनकाही भाइ हे.. तब वंदनाको सुनके बहोत दुख होता.. उसी वक्त उसने फैसला करलीया की अब मे अपने यारके बारेमे कीसीसे बात नही करुगी जोभी करना हे सबसे छुपके करना हे.. अब मुजे वंदनाको जुठ बोलना पडेगा तब उसने कुछ सोचलीया ओर चहेरेपे स्माइल आगइ.. तभी..

वंदना : (धीरेसे) कीमीनी मेरी सब बात उगलवाली.. अब तुतो बता तेरा यार कोन हे..?

पुनम : (सरमाते) वोही जीनके साथ मेरी सगाइ हो रही हे.. भाभीका भाइ हे.. उनकी मौसीका लडका धिरेन नाम हे उनका.. कलतो तुभी आ रही हे.. वही देखलेना..

वंदना : (खुस होते) वाव..पुनो.. तु बडी नसीब वाली हे.. तु जीसे चाहतीथी उसे ही पालीया.. खैर छोड ये सब बाते.. ये बता क्या क्या करना हे.. सीर्फ वेक्सीन बेक्सीनकी कुछ ओरभी.. मतलब सब सफाइ..

पुनम : (सरमाते हसते) कमीनी सगाइ हो रही हे सादी नही.. जो नीचे सफाइ करवाउगी.. क्या क्या पुछती हे.. चल सुरु होजा.. फीर जाना भी हे..

वंदना : यार यही रुकजाना तुजे सुबह तैयार करदुगी.. फीर हम दोनो चली जायेगी..

पुनम : (सरमाते) नही यार.. वो धिरेन.. घरपेही रुका हे.. नाराज होगा.. सुबह आउगीनां..

वंदना : (हसते) क्या.. घरपे हे..? तो फीर कुछ कीया बीयाकी नही.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते) कीतनी कमीनी हो.. नही यार कुछ नही कीया.. सब घरपे होते हे.. ओर वेसेभी जोभी करना हे सादीके बाद.. अभी कुछभी नही..

वंदना : (धीरेसे) यार पुनो.. अ‍ेक बात बता.. क्या अ‍ेक बार प्यारका इजहार होजाये.. तो क्या लडके हमसे बीना मीले रेह सकते हे..? कुछतो.. मतलब कीस वीस.. या.. बुब्स टच..

पुनम : (सरमाते) हां यार.. कीस बीस तक ठीक हे लेकीन आगे नही.. सब सादीके बाद.., क्या तुने कभी कीसीका लीया हे.. मतलब तुम वर्जीन हो..?

वंदना : (सरमातते) हां यार.. अब कोइ लडकेमे इन्ट्रेसही नही हे.. बस जरुरत होती हे तब उंगलीसे काम चला लेती हु.. ओर सुन.. तेरे भाइने मेरी सरकारी नोकरी पकी करदी हे.. अब मे यही स्कुलमे पढाउगी..

पुनम : (खुस होते) चल.. ये ठीक हुआ.. अब तुजे कीसी ओरपे डीपेन्ड नही रहेना पडेगा.. यार मेरी मान तु कीसी अच्छे लडकेसे सादी करले.. केसे पुरी जींदगी काटेगी..

चारु : (चाइ लाते) हां पुनम.. तेरी सहेलीको कुछ समजा.. जब देखो मना ही करती रहेती हे..

वंदना : (चाइ लेते) मोम.. आप फीरसे सुरु होगइ.. कीतनी बार कहा नही करनी मुजे सादी.. धेट्स ओल..

पुनम : (हसते) आंटी रहेनेदो.. आपकोतो पता हे कीतनी जीदी हे.. हें..हें..हें..

चारु : (हसते) ओर तुम..? तुभी कुछ कम नही हो.. तुमभी इतनीही जीदी हो.. मंजुभाभी केह रहीथी..

दोनो ही सहेली बाते करते अपना काम कर रहीथी.. तभी हवेलीसे सब चले गयेतो मंजु ओर चंदाही रेह गये तब दोनोही होलमे बेठे धीरेसे दोपहरकी बाते करने लगी.. तब मंजुने चंदाको सबकुछ बता दीया..
चंदा : (हसते धीरेसे) तो क्या देवायत सादीके लीये माान गया..?

मंजुला : (हसते) हां दीदी.. मेने कहाकी ये मेरी आखरी ख्वाहीस समजके मान जाओ तो फोरन हां कहेदी.., दीदी मे चाहती हु हमारा बच्चा अभीसे आपकोही मां मानके प्यार करे..

चंदा : (सरमाते हसते) चल ठीक हे हम सादीके बाद सोचेगे.. अबतो खुस..? लेकीन तुम धिरेनको क्या कहोगी.. अभीतक वो पुनमकोभी नही पता..

मंजुला : दीदी वो सब मुजपे छोड दीजीये.. मे सबको हेन्डल करलुगी.. बस आप दोनोने हां कहेदी.., ओर हां दीदी आप दोनो चाहोतो अपनाभी बच्चा पैदा करलेना..

चंदा : (सरमाते) मजु.. कीतना कुछ सोचती हे.. अरे बाबा पहेले हमारी सादीतो होजानेदो.. ओर हां मेने कुछ डीसाइड कीया हे.. जबतक तेरा बच्चा बडा नही होजाता ओर पढ लीखके काबील नही होजाता तबतक कुछभी नही.. हमे नही चाहीये बच्चे.. ओर अगर देवु कहेगातो तब सोचेगे..

मंजुला : लेकीन दीदी तबतक तो आपकी उमरभी नीकल जायेगी.. क्या तब मुमकीन होगा..?

चंदा : छोड ये सब.. तबकी तब सोचेगे.. ये बता कुछ सादीका डीसाइड कीया हे..? बाबा केह रहेथे दोनोकी जल्द सादी करवा देना.., ओर तेरी डीलेवरीका भी टाइम होगया हे..

मंजुला : दीदी डीलेवरीके बाद तुरंतही कर देगे.. बस अ‍ेक महीना.. बादमे कर देगे.. क्या कहेती हो..?

चंदा : चलो ठीक हे कल वो सरलाजी से ओर भानुजीसे भीतो पुछना पडेगा.. कल देखते हे..

दोनो अ‍ेसीही बात कर रहीथी तो इधर देवायतभी अपने खेतोपे आगया तब उसने कल रामुकाकाको भी आनेको कहा.. ओर हरीया मालती.. ओर जमीलाकोभी सगाइमे आनेका न्योता दीया तब खेतोमे कोइ ओर मजदुर नही थे.. तो वो उन मजदुरके घर चला गया जीनकी टांग सरपंचने तोडीथी वो अपने रुममे खटीयापे बेठाथा ओर उनका लडका उनके पास खेल रहा था उनकी बीवी कुछ खानेके लीये बना रहीथी तो देवायतको देखतेही सरमा गइ ओर खडी होके उसे पानी देने लगी तब देवायतने पानी पीया ओर मजदुरका हालचाल पुछा.. फीर कुछ पैसे भी दीये....

कन्टीन्यु
Good going. The story ids going strong.
 

Premkumar65

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३

दोनो अ‍ेसीही बात कर रहीथी तो इधर देवायतभी अपने खेतोपे आगया तब उसने कल रामुकाका कोभी आनेको कहा.. ओर हरीया मालती.. ओर जमीलाकोभी सगाइमे आनेका न्योता दीया तब खेतोमे कोइ ओर मजदुर नही थे.. तो वो उन मजदुरके घर चला गया जीनकी टांग सरपंचने तोडीथी वो अपने रुममे खटीयापे बेठाथा ओर उनका लडका उनके पास खेल रहा था उनकी बीवी कुछ खानेके लीये बना रहीथी तो देवायतको देखतेही सरमा गइ ओर खडी होके उसे पानी देने लगी तब देवायतने पानी पीया ओर मजदुरका हालचाल पुछा.. फीर कुछ पैसे भी दीये....अब आगे

फीर वो गोडाउनमे अपनी ओफीसमे आके बेठ गया ओर आने वाले वक्तके बारेमे सोचने लगा.. आज पुनमकी बातोसे उसे यकीन हो गया की इस रीस्तेको कीतनाभी रोकनेकी कोसीस करले ये सब होकेही रहेगा.. उसे बाबाकी अ‍ेक अ‍ेक बात सच होती नजर आ रहीथी.. ओर मानसीक तोरपे वाले वक्तके बारेमे सोचते अपने मनको मजबुत करने लगा, उनके लीये जोभी करना पडे करनेके लीये मनको तैयार करने लगा..

देवायत सोचता रहा की चाहे अपनी बहेनको कीतनीभी रोकनेकी कोसीस करे वो मानने वाली नही थी.. क्युकी देवायत उनकी सब जीदको भलीभांती जानता था.. अब उसे पुनमको अ‍ेक बहेनकी नजरसे नही अ‍ेक ओरतकी नजरसे देखना पडेगा तबही वो पुनमके प्यारको समज पायेगा.. अब उसे पुनम अच्छी लगने लगी.. उनको इस बातकी चीन्ता होने लगीकी पुनम सादीसे पहेले मुजसे क्या चाहतीहे..? यहा तककी उसने राखीका तोहफा पहेलेही मांग लीया.. वो तोहफे मे क्या मांगेगी इस बातकी चीन्ता होने लगी..

यही सब सोच रहाथा तब उसे पताही नही चलाकी उनके पेन्टमे लंड खडा होने लगा जीनकी वजहसे पेन्टमे तंबु बन गया हे.. तब वो पेन्टमे हाथ डालके लंडको अ‍ेडजेस्ट करने लगा तभी जमीला आगइ जो देवायतकी इस हरकतको देखते सरमा गइ ओर सरमाते मंद मंद मुस्कराने लगी.. जब देवायतने उनकी ओर देखातो कातील नजरसे देखते देवायतके सामने अंगडाइ लेते अपने बालोको सही करते खडी होगइ..

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जमीला कबीलेमे रहेतीथी वो हरीयासे पहेले सरदारकी लडकीथी जो उनको देवायतने दुसरे कबीलेवालो से बचाया था तबसेही जमीलाको देवायत बहुतही अच्छा लगता था ओर उनको प्यार करने लगीथी तब देवायतभी इनको प्यार करने लगा अबतक दोनो कीतनी बार चुदाइ कर चुकेथे..

जमीला अब देवायतकोही अपना पती मानतीथी ओर उनसे बच्चा चाहतीथी ताकी वो अपने बच्चेके साथ देवायतकी पत्नी बनके रेह सके लेकीन देवायत इनकी बातको हर बार टाल देताथा इसीलीये जमीला मन बनाके इनके खेतोपे काम करने आगइ ताकी वो देवायतसे रोज मील सके ओर देवायत उनको प्रगनेन्ट करदे..

जमीला : ठाकुरसाब.. लगता हे आपको मुजसे ज्यादा मालती अच्छी लगती हे.. जबसे यहा आइहु आपने मुजे अ‍ेकबारभी नही बुलाया.. ओर मे यहा सीर्फ आपके लीयेही आइ हु.. क्या अब मे आपको अच्छी नही लगती?

देवायत : अरे जमीला अ‍ैसा क्यु सोच रही हे.. चल आजा.. मेने सीर्फ अपने नजदीक वाले लोगोकोही सगाइमे बुलाया हे.. तभीतो तुजे नीमंत्रण दीया हे.. क्युकी मे तुजे अपनी बीवीही मानता हु.. मुजे पता हे तुमने सीर्फ मेरे लीये ही सादी नही कीहे.. तो तेरा खयालतो रखनाही पडेगा.. बस कुछ काममे उलजा हुआ हु.. अब मे तेरा काम करदुगा.. क्युकी मुजे कबीलेमे भी मेरी रानी चाहीये..

जमीला : (देवायतके पास आते घुटनो बल बैठते) तबतो अच्छा हे बाबा मेनेतो सोचा क्या मेरा बाबु मुजे भुल गया..? लगता हे आपका मुड कुछ ठीक नही हे.. चलो मे ठीक कर देती हु..

कहेते वो देवायतकी खुरसीके पास घुटनोके बल बेठ गइ ओर देवायतके पेन्टकी क्लीप खोलके उनके लंडको बहार नीकाल दीया ओर अपने हाथकी मुठीमे भरलीया तब देवायतका लंडभी जटके मारने लगा.. तभी जमीलाने खडी होके अपने सब कपडे नीकलदीये ओर वापस बेठ गइ ओर लंड पकडके अपनी जीभ नीकालके चाटने लगी.. जीससे देवायतने अपनी आंख बंध करली ओर वो मदहोसीमे छाने लगा..
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तभी देवायत खडा होगया ओर जमीलाका सर पकडके अपना लंड उनके मुहमे ठुस दीया ओर उसे कमर हीलाके चोदने लगा तो लंड सीधेही जमीलाके हलकमे चला गया था तब जमीलाकी हालत पतली होगइ ओर वो छटपटाते लंडको मुहसे बहार नीकालनेकी नाकाम कोसीस करती रही लेकीन देवायतने उनका सर सख्तीसे पकड रखाथा ओर वो कमरको जटके मारते जमीलाके मुहमे चोदेही जा रहागा तभी जमीलाके आंखमे आंसु आगये तो देवायत उसे गोदमे उठाके वही सोफेपे पटक दीया..
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ओर जमीलाके पैरके बीच आके अपने लंडको जमीलाकी चुतपे सेट कीया.. ओर उनपे जुकके अ‍ेकही जटकेमे पुरा लंड जमीलाकी चुतमे उतार दीया तब जमीलाकी हल्की चीख नीकल गइ.. उसने अपने दोनो पैर घुटनसे मोडके फैलादीये तब देवायत उनसे चीपकके जोरोसे कमर हीलाते जमीलाको चोदने लगा तब जमीलाकी देवायतके हर धकेके साथ आहे नीकलने लगी, वो कीतने दीनोके बाद देवायतसे चुद रहीथी..

ओर देवायत उसे जबभी चोदता उनकी चीखे नीकलवा देता.. वो देवायतको अ‍ेक बारसे ज्यादा बरदास्त नही कर पातीथी.., लेकीन आज देवायत कुछ अलगही मुडमे था उसे बार बार अपनी बहेन पुनमका खयाल आ रहाथा आज उसे जमीलामेभी अपनी बहेन पुनमका चहेरा नजर आ रहाथा.. ओर जमीलाको पुनम मानते बडेही जोसमे चोदे जा रहाथा.. आज जमीलाभी जोसमे चुदते कुछ ज्यादाही चीख रहीथी उसे समयका पताही नही चलाकी वो जमीलाको कबसे चोदेही जा रहा हे..
1722202
अबतक जमीला दो बार जड चुकीथी फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहाथा.. क्युकी इनका रीजन अ‍ेकही था.. पुनमकी बातोने उसे बहुत गरम कर दीयाथा ओर वो जमीलामे पुनमको इमेजींग करतेही चोद रहाथा ओर उनके आस्चर्यकी सीमा नही रही क्युकी जमीलाको दो बार जडाके अभीभी वो जमीलाको चोदे ही जारहा था.. देवायतके दीमागमे सीर्फ अ‍ेकही बात घुम रहीथी की वो अपनी बहेन पुनमको चोद रहा हे.. तब उनका जोस कइ गुना बढ गयाथा ओर वो उछल उछलके बडेही जोसमे जमीलाको चोदेही जा रहाथा..
21997
तभी अचानक देवायतने जमीलाकी चुतमे लंडको जड तक घुसा दीया.. ओर जमीलाकी गरदनमे मुह डालके उनसे चीपक गया तो जमीलाने भी उसे कसके बाहोमे भीच लीया.. तभी जमीलाको अपने बच्चेदानी पे पहेली बार कुछ गरम महेसुस हुआ ओर वो बहुतही उतेजीत होगइ ओर देवायतके साथही जडने लगी.. वो देवायतसे कीतनी बार चुद चुकीथी लेकीन आज उसे देवायतसे चुदनेमे अ‍ेक अलग ही अहेसास हुआ ओर वो देवायतके नीतंबपे दोनो हाथ रखके अभीभी देवायतको अपनी चुतसे चीपकानेकी कोसीस करती रही..

तब देवायतभी चुतमें लंड डालते अ‍ेसेही जमीलाके सीनेपे ढेर होगया था.. ओर जमीलाने लंडको अभीभी चुतके अंदरही दबाके देवायतकी पीठ सहेला रहीथी.. दोनोही थकके चकनाचुर हो चुकेथे ओर पसीनेसे भीग गयेथे.. आज जमीलाका पुरा सरीर चुद चुद के दर्द कर रहाथा उनके सरीरकी अ‍ेक अ‍ेक नब्स ढीली हो चुकीथी.. उसने देवायतको कइ बार प्रेगनेन्ट करनेको कहाथा.. लेकीन देवायत उसे हर बार मनाही करता रहेता था..

लेकीन आज उसे पता नहीथा की देवायतका बीज उनके गर्भकी ओर उनके बीजका मीलन करनेके लीये दोड रहथा ओर थोडीही देरमे दोनोके बीजका मीलन होगया.. ओर देवायतका अंस जमीलाके गर्भमे स्थापीत होगया.. इस बातसे देवायत ओर जमीला दोनोही अनजान थे.. काफी देर अ‍ेसेही पडे रहे काफी देर बाद देवायत जमीलाके उपरसे उतर गया तब लंड जमीलाकी चुतसे फच.. अवाजके साथ बहार आगया..

तबभी जमीला बेसुध जेसी हालतमे पडी रही.. उनको अभीभी अपने पेटके अंदर कुछ अलगही गरम महेसुस होरहा था.. देवायत बाथरुममे चला गया ओर सब साफ करके मुह हाथ धोके फ्रेस होगया ओर बहार आगया तब जमीला धीरेसे सोफेसे उतर रहीथी ओर खडी होगइ ओर बाथरुमकी ओर जाने लगी तब वो अ‍ेकदम थकी हुइ लडखडाते चल रहीथी आज वाकइ देवायतने उनकी हालत खराब करके रखदी थी..

फीर जमीलाभी अच्छेसे रगडके नहाने लगी.. ओर अपनी चुतपे खुब पानी डाला तब जाके उसे कुछ राहत महेसुस हुइ फीर बहार आके अपने कपडे पहेनने लगी तबतक देवायतभी कंपलीट हो चुकाथा.. जब जमीलाने कपडे पहेन लीये तब देवायत उनके पीछे चला गया ओर उनको पीछेसे अपनी बाहोमे भरलया तब जमीला प्यारसे अ‍ेक बार फीर मदहोस होगइ ओर देवायतके गालसे अपना गाल रगटते खडी रही फीर पलटके देवायतकी बाहोमे समा गइ ओर दोनोके होंठ मील गये तब देवायतने उसे रुम तक छोडनेकी बात कहीतो सरमाके मना कर दीया..
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फीर जमीला धीरे धीरे चलते गेइट खोलके चलने लगी तब उनकी चुतमे बहुतही जलन हो रहीथी ओर वो अपने रुमकी ओर चली गइ.. तभी देवायतने घडीकी ओर देखातो चोंक गया.. तब उसे अहेसास हुआकी वो जमीलाके साथ दो घंटे तक रहा.. तो वोभी फटाफट हवेलीकी ओर नीकल गया तो सबलोग होलमे बेठते कलकी सगाइकी चर्चा कर रहेथे.. तो देवायतभी सबके साथ जाके बेठ गया..

मंजुला : देवु.. कल सुबह जल्दी उठजाना.. वो भानुभाइ मांजी सब सुबह ही जल्दी आजायेगे..

चंदा : (हसते) चलो सुबह जल्दी उठनाहे तो फीर सब जल्दी सो जाओ.. कल तैयारीया भी करनी हे..

कहेतेही सब उठने लगे.. तब लखन ओर धिरेन उपर सोनेके लीये जाने लगे तब धिरेनने सबसे छुपके पुनमको कुछ इसारा कीया तो पुनम सरमा गइ ओर गरदनको नां मे हीलाते अपने रुममे चली गइ तो चंदाभी अपने रुममे जाने लगी तब देवायत ओर मंजुभी अपने रुममे आगये ओर दोनोने चेन्ज करलीया तो मंजु देवायतकी बाहोमे आके समा गइ ओर दोनो खडे रहे..

देवायत : (हसते) क्या बात हे बेबी.. आज सबको जल्दी सुला दीया..? इरादातो नेक हेनां..? हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाके हसते) क्या आपभी.., आपकोभी पता हे मे इस हालतमे कुछ नही कर सकती.. बस येतो युही.. आपकी बाहोमे बडा सुकुन मीलता हे.. चलीये सोना नही हे क्या..?

देवायत : (मंजुको गोदमे उठाते बेडपे लीटाते) अरे मेरी अच्छी बीबी.. आजा..
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फीर दोनोही अ‍ेक दुसरेकी ओगोसमे चीपकके सोने लगते हे.. तभी उपर लखनके फोनपे लताका फोन आता हे तो वो फोन लेके बहार टेरेसपे चला जाता हे तभी धिरेनभी पुनमको फोन करता हे.. तब दोनोही कपल प्यार भरी बाते करते रहेते हे.. सब अ‍ेक दुसरेको मीलना चाहतेथे लेकीन अ‍ेक दुसरेकी हाजरीसे सबकी हीमत नही होपा रहीथी ओर वेसेभी पुनम सादीसे पहेले धिरेनको अकेलेमे कमही मीलना चाहती थी.. उधर..

लखन : (हसते) लता आखीर कल हम मीलही जायेगे.. अभी क्या कर रही हो..?

लता : (फोनपे सरमाते) क्या करुगी.. भावेशको सुलाके सोनेही वालीथी.. सोचा अ‍ेक बार आपसे बात करलु

लखन : (लंड दबाते) बस अ‍ेक बार सादी होजाये.., फीर सारा दीन तुजे बाहोमे भरके पडा रहु ओर तुजे..

लता : (सरमसे हसते) बस.. इनके आगे कुछ मत बोलीयेगा.. हें..हें..हें.., हालत तो मेरीभी कुछ आपके जेसी ही हे.. पता नही कब हमारा मीलन होगा.. लखन क्या हम सादीसे पहेले नही मील सकते..? कुछ जुगाड करोना बाबा.. अब नही रहा जाता.. मुजसे.., मे जल्द आपके पास आना चाहती हु..

लखन : (हसते) अरे कहातोथा.. भावनाभाभीको डीलेवरीके लीये जानेदे.. तब मीलेगे..

लता : (सरमाते चुत सहेलाते ) सुनो.. तब वो.. वो.. पेइनकीलर ओर आइपील लेते आना.., सुना हे बहुत दर्द होता हे..

लखन : (लंड हीलाते) अरे फीकर मत कर बहोत मामुली दर्द होता हे.. वोभी सीर्फ अ‍ेक बार.. फीरतो मजेही मजे हे.. , बताना क्या कर रही हे.. वो उंगली डाली हुइ हे..? तो जोरोसे हीलानां..

लता : (सरमसे पानीपानी होते) धत्.. हां.. पता नही क्या जादु कर देते हो.. आजाओना.. सीइइ गइ..इइइ

लखन : (जोरोसे लंड हीलाते) अरे..कल.. मीलतेतेते.. हेहेहे.. आइइइइइ..ओह..ओह..सीइइइइ बेबीइइइ..

लता : (सरमाते) क्या..नीकल गया..? मेराभी.., चलो अब सोजाओ.. कलतो मीलही रहे हे..हो सकेतो कल कुछ जुगाड करना.. चलो बाय..मुं..हां.. लव यु जानु..

लखन : बुच..बुच..मु..हा.., हां कुछ करता हु.. लव यु टु बेबी..

दोनो अ‍ेसी बाते करते सोने लगे तो इधर पुनम ओर धिरेनने सीर्फ कीस तकही कीया.. क्युकी पुनमने कुछ ओरही सोच लीयाथा.. उनको धिरेनसे ज्यादा अपने भाइ देवायतमे ज्यादा इन्ट्रेस था वो धिरेनसे इसलीये सादी कर रहीथी ताकी समाजके आगे धिरेनको ढाल बनाके रख सके बाकी सब तराह वो देवायतको हमेसाके लीये पुरी समर्पीत होना चाहती थी.. वो धिरेनसे बात करतेभी देवायतको इमेजींग करके बात करती थी..

पुनम अब देवायतकी ओर काफी ढल चुकीथी क्युकी, वो देवायतसे जल्द से जल्द मीलन करना चाहती थी अब उनको देवायतके बगैर रहेना मुस्कील लग रहाथा वो जबभी देवायतको देखती तब इनकी चुत फडफडाते पानी छोडने लगती थी अब उसे कीसीभी हालमे अपनी चुतमे अपने भाइका लंड चाहीये था.. वो दीन भर दीन कामातुर होती जा रहीथी, इनका रीजन सीर्फ वोही जानतीथी ओर अ‍ेक जानतेथे बाबा..

जो पुनम स्कुलमे थी तब सबसे छुपके बाबाको हप्तेमे अ‍ेक बार लखनके साथ मीलने जातीथी जो बाबाने उसे सारी सचाइ बतादी थी.., बाबाने उसे कीसीको ना कहेनेकी बातभी कीथी आने वाले वक्तमे उसे धिरेनकी विधवा होते हुअ‍े भी देवायतकी सुहागन बनके हर रात देवायतका बीस्तर गरम करनाथा उसे पता चल गयाथा की अब उसे दोहरी जींदगी जीनी पडेगी.. इनके लीये वो तैयारथी..
20201219-091147
सबलोग सोगये तब केवल चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी.. आज देवायतको मीलना मुमकीन नही था तो वो करवटे बदलती रही.. ओर अ‍ेसेही सुबह होगइ.. सबलोग जल्दी उठ गये तो मंजुनेभी देवायतको सुबह जल्दी उठा दीया.. ओर सब तैयार होगये ओर चाइनास्ता करने बेठ गये.. तभी कार आके रुकीतो सरला भावना लता ओर भानुके साथ उनकी मामी रमा ओर उनकी बेटी नीलमभी आगये लताने भावेसको अपने पास रखा था..

जेसेही अंदर आये देवायतने सबको जबरदसती चाइ नास्तेके लीये बीठा दीया तो सरला भानुने सीर्फ चाइ पीली ओर लता भावनाने नास्ताभी कीया.. लता बार बार लखनकी ओर देखते नजरे चुराते सरमा रही थी.. जब सबने चाइ नास्ता करलीया तो रमेश चारु ओर वंदनाभी आगये.. तब देवायत चारुको देखताही रेह गया ओर उसे चारुके साथ बीताये वो रंगीन पल याद आने लगे तो चारु देवायतकी मनोदसा समज गइ ओर सबसे छुपके अपने होंठ दांतोसे दबाके देवायतको रमेश ओर वंदनाकी ओर नजर करते कुछ इसाराभी करदीया..
shriya-saran-shriya
तो देवायत सबकुज समजगया ओर मुस्कराने लगा.. तभी पुनम अपने रुममे चली गइ ओर देवायतको इसारोसे बुलाया.. तो देवायत सबकी नजर बचाते इधर उधर बाते करते घुमते पुनमके पास चला गया तो पुनम तीन अंडरगार्मेन्टके सेट लेके बेडपे बेठीथी तब देवायत उसे देखते सोक्ट होगया ओर धीरेसे कहा..

देवायत : (धीरेसे) छुटकी जट बोल क्या काम हे..? बहार सब लोग आगये हे..

पुनम : (सरमाते हसते) भाइ सीर्फ इतना बतादो मे कोनसा सेट पहेनु..

देवायत : (थोडा गुसेसे) पागल होगइ हे क्या..? येभी कोइ पुछनेकी बात हे.. जो मरजी आये पहेनले.. तुजे सब अच्छे लगेगे..

पुनम : (सीरीयस होते) भाइ आपने मुजे कुछ वादा कीया था.. ओर मे आपके चोइसकेही कपडे पहेनुगी.. जल्दी बतादो वरना कोइभी आजायेगा..

देवायत : पुनो.. क्यु जीद कर रही हे.. कोइभी पहेनले.. इनको कोन देखेगा.. सीर्फ तुजेही दीखेगा.. बताके क्या फायदा..

पुनम : (सरमाते) ठीक हे मे सगाइके बाद आपको अकेलेमे मीलना चाहती हु.. मुजे आपसे कुछ बात करनी हे.. फीर आप जानो ओर धिरेन.. आप जाइअ‍े.. ओर इनको में कीसे दीखाउगी..? आपही तोहो जो मे आपको सब दीखाना चाहती थी.. भाइ आप जाओ मेरा मुड ठीक नही हे.. हम फीर बात करेगे..

देवायत : (हार मानते) ठीक हे.. ये वाइट वाला पहेनले.. इनमे तु मस्त सेकसी दीखेगी.. अब खुस..? अब चलु.. की ओर कुछ पुछना हे..?

पुनम : (सरमाते हसते) हां.. अब खुस.. जाइअ‍े..

देवायत : (जाते फीरसे पीछे मुडते) ओर हां.. मुजे तेरा सब सेट देखना हे.. वोभी पहेना हुआ.., हें..हें..हें..

पुनम : (अ‍ेकदम खुस होते) हां..भाइ.. जरुर दीखाउगी.. आजाना.. जब हम अकेलेहो.. तब..

कहेते पुनम सरमसे पानीपानी होगइ आज उसने देवायतको अपने साथ प्यार करनेके लीये बजबुर करलीया था जब देवायत बहार चला गया तब पुनमभी बहार आगइ फीर लता ओर वंदनाको अपने रुममे लेगइ ओर दरवाजा बंध करलीया तो वंदना दोनोको तैयार करने लगी.. तभी इधर महेमान आना सुरु होगये तभी रश्मी ओर चंपाभी आगये ओर आतेही सीधे कीचनमे चली गइ ओर दया रजीयाकी हेल्प करने लगी..

तो मंजुला ओर चंदा सब महेमानोके आवभगतमे वही खडी रही.. तभी गांवसे कुछ ओर महेमान ओर अपने खतोसेभी रामुकाका हरीया मालती जमीला सब आगये ओर अ‍ेसेही अ‍ेक घंटा बीत गया तब नीलम मंजु ओर चंदाको भी तैयार होनेके लीये बुलाने आगइ तो वंदनाने मंजु चंदा भावना रमा ओर नीलमकोभी तैयार करदीया.. ओर बहारभी सगाइकी तैयारीया सुरु होगइ..

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आज पुनम ओर लता अ‍ैसी तैयार हुइथी जैसे आसमानसे कोइ परीया उतरके आइहो.. सभी लोग पुनम ओर लताको देखतेही रेह गये तब लता लखनसे नजर चुराते सरमा रहीथी तब पुनम धिरेनसे ज्यादा देवायतपे नजर गडाये सरमा रहीथी.. ओर बीच बीचमे धिरेनकोभी देखती रहेती थी.. फीर होलमे चार खुर्शीया रखदी गइ दो दो करके बीचमे थोडी जगाह रखदी फीर रमा ओर चंदा दोनोही वहा आगइ.. मंजु ओर भावनाको वही दो खुरशी रखके बीठा दीया ताकी सगाइकी सब वीधीपे बरोबर ध्यान रख सके

तब पुम ओर लताकी बीठाया तो रमा ओर चंदाने सब वीधीया सुरु करदी फीर लखन ओर धिरेनकोभी बुलाया ओर लखनको लताके पास तो धिरेनको पुनमके पास बसठा दीया तब लता ओर पुनम खुब सरमाइ फीर चारोके हाथमे जल ओर श्रीफल दीया ओर सगाइकी वीधी सुरु होगइ सबने चारोको आशीर्वाद दीया फीर चारोकी अंगुठी पहेनानेकी वीधी हुइ ओर दोनोने केक भी काटा ओर अ‍ेक दुसरेको खीलाया..

तभी पुनमने देवायतको इसारोसे बुलाया ओर अ‍ेक दुसरेको केक खीलाया फीर बाकी सबने केक खीलाइ अ‍ेसेही सगाइकी सब वीधी संपन हुइ इसी बीच वंदनाभी बार बार देवायतको देखती रही.. ओर अ‍ेक दो बारतो अपनी आंखभी गीली करली ये बात पुनमनेभी नोटीस करली.. तब दुसरी ओर चंपा चारु ओर रश्मीभी देवायतके उपर बरोबर नजर गडाये बेठीथी.. सब चाहतीथी देवायत अ‍ेक बार उनके सामने देखले..

लेकीन देवायत सब जेन्टके साथ बातोमे मसगुल था आज भानु रमेश ओर गांवके दुसरे लोगभी बेठे गांवकी बाते कर रहेथे तब देवायतने मौका देखतेही सरपंचकी बात छेडदी ओर रमेशको सरपंच ओर रश्मीको मुनीमकी जगाहपे रखनेकी बात कहेदी तो सब गांव वालोने खुस होते अपनी सहमती जतादी.. तब रमेश बहुतही खुस होगया.. फीर सबका फोटो सेसन हुआ ओर आखीर सब भोजन करने बेठ गये..

तो मालती जमीला दया रजीया चंपा चारु ओर रश्मीने सबको भोजन परोसा.. ओर सब खाने लगे.. तबतक दोनो नये कपल अ‍ेक रुममे घुस गये ओर आपसमे बाते करने लगे तब वहा नीलम ओर वंदनाभी आके बेठ गइ तबतक सब जेन्टने भोजन करलीया फीर सब लेडीस बेठ गइ ओर उसनेभी भोजन करलीया ओर लास्टमे नीलम वंदना ओर दोनो कपल बेठ गये.. सबने भोजन करलीया तो सब गांव वाले जाने लगे..

तब चंपा रश्मीभी जाते समय देवायतको घर आनेका इसारा करती गइ तो चारुनेभी अ‍ेक दो बार मोका देखते देवायतको छुलीया ओर अ‍ेक बार हाथभी पकडलीया तभी देवायत समज गयाकी चारुकी ठरक काफी बढ गइ हे तो वंदनाभी देवायतके सामने सरमाते मुस्कराते देखती रही ओर सभी लोग चले गये तब सीर्फ भानुके धर वालेथे तो सब होलमे बेठ गये ओर आगे सादीकी तारीखकी बात करने लगे..

सरला : बेटा अब आपने सादीके बारेमे क्या सोचा हे.., मे चाहतीहु ये सादी जल्द हो जाये..

चंदा : मौसी लेकीन मंजु ओर भावुकी डीलेवरीकाभी देखना हे.. इतने छोटे बच्चे होगे.. केसे मेनेज करेगे..?

भावना : मौसी हमेतो सादीमे कोइ खास तामजाम नही करनी.. हमारे रीस्तेदार ही कोन हे..? बस ये मामी लोग ही हे.. बाकीतो दोनोके ससुर अ‍ेकही हे ओर अपभीतो होगी..

मंजुला : देवु मे चाहतीहु जीस तराह ये सगाइ हुइ इसी तराह हम सादीभी रखदे..? सब अ‍ेकही जगाह रहेगे.. ओर इतनी सारी लेडीस होगी तो हम दोनोके बच्चेभी सम्हल जायेगे.. फीर यहा चंपाभाभी रश्मीभाभी ओर चारुभाभी भीतो आती जाती रहेगी.. क्या कहेते हो..

चंदा : हां ये सही हे.. मेभी हमारे गांवमे सादी रखना नही चाहती.. सब यहा नीपट जायेतो बहेतर हे..

देवायत : (हसते) हां ठीक हे तो सब तैय रहा हम सबकी सादी यही करते हे..

भानु : भाइ वो सबतो ठीक हे लेकीन कोइ डेट तो फीक्स करो.. वेसेभी १५ दीनके बाद राखी हे.. तो उनके बाद ही करदेते हे..

मंजुला : भानुभाइ फीरभी अ‍ेक देढ महीनातो लगही जायेगा.. तबतक हम दोनोकाभी नीपट जायेगा.. क्यु भावु.. क्या कहेती हो..?

भावना : दीदी इतना वक्ततो अ‍ेसेभी लग जायेगा.. सादीकी खरीदीभी तो करनी हे..

सरला : चलो तो यही ठीक रहेगा.. देवु बेटा तु फुरसतमे अ‍ेक महीनेके बादकी तारीख पंडीतजीसे नीकलवाले वो जो तारीख देगे उनमेही कर देगे..

देवायत : (हसते) अरे तारीख क्या नीकलवाना.. हम बाबासेही पुछ लेगे.. वोजो कहेगे फाइनल करदेगे..

भानु : (खुस होते) हां भाइ ये सही हे.. आप बाबाको ही पुछ लेना..

सरला : चलो तो सब तैय होगया.. तो भानु बेटा हम चले..? फीर तुजे तेरी मामीको भी छोडने जाना हे..

भावना : (हसते) नीलम अब तु यही रुकजा जबतक लताकी सादी नही होजाती.. ओर कहेतो तेरीभी सादी करवादे..? हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाके हसते) क्या भाभी आपभी.. अभी बहुत देर हे.. नही करनी सादी मुजे.. ओर इतने दीन नही रुक सकती.. हां सादीसे अ‍ेक हप्ते पहेले आजाउगी.. देखती हु अब..

सरला : (हसते) अरे रुकजा वेसेभी तेराभीतो वेकेशन लग गया हे..

देवायत : नीलम अब तु अपना बीस्तरा बोरीया बांधले.. तु अब सहेरमे होस्टेलमे रहेके पढेगी..

रमा : (सरमाते हसते) नही.. अब नही करवानी कोलेज.. पढके क्या करेगी..

भानु : अरे पढने दीजीये लडकी पढ लीखके काबील बनेगी तभीतो अपने पैरपे खडी रहेगी.. क्यु नीलम..?

नीलम : (खुस होते) हां भैया मुजे कोलेज करनी हे.. लेकीन इनमे खर्चा भीतो..

देवायत : वो सब तु चीन्ता मत कर सब होजायेगा.. तेरे दोनो भाइ हे.. बस तु पढाइमे ध्यान दे..

नीलम : (खुस होते) थेन्कयु भैया..

कहातो सब हसने लगे तब रमा तीरछी नजरसे भानुकी ओर देखते हसती रही.. तब खुसीसे हसते उनकी आंखमे गीलापन आगया.. सब साम तक अ‍ेसेही बाते करते रहे तभी चाइ नास्ताभी करलीया तब भानु सबको लेके जाने लगा.. तो सब गले मीलने लगे ओर लखनको अपने ससुराल आनेका न्योता देने लगे तब लखन खुब सरमाया तो लताभी लखनकी ओर तीरछी नजरसे हसती रही.. ओर सब चले गये.. अब हवेलीपे सब घरके लोग ही बचेथे तो चंदाने मौका देखते केह दीया..

चंदा : मंजु.. सब अच्छेसे नीपट गया तो अब मेभी चलु.. कीतने दीन होगये घरही नही गये..

मंजुला : (नीरास होते) मौसी रुकीयेना.. सब चले जाओगे..तो घरतो खाली होजायेगा.. ओर पता नही मुजेभी कब जाना पडे.. तो आपकोभीतो आना हे..

पुनम : (सरमाते) हां मम्मी रुक जाइअ‍ेनां..

चंदा : (हसते) हां अबतो तु रुकनेका बोलेगी ही.., हें..हें..हें.., लेकीन बेटी घरमे सब अ‍ेसेही पडा हे.. कीतने दीन होगये.. कुछ सफाइ बफाइ कर लेगे तबतक मंजुका टाइम होजायेगा तब आउगीनां.. तब रुकुगी..

देवायत : (हसते) मौसी रुक जाइअ‍ेना.. आपकी बहु इतने प्यारसे केह रही हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते देवुको मुका मारते) भैया.., आपभीनां..

कहेते अ‍ेक बार फीर देवायतके पीठमे मुका मारते अपने रुममे सरमाती हसती हुइ चली गइतो सब हसने लगे तब धिरेनभी हसते उनको जाते देखता रहा.. तभी मंजुने नोटीस करलीया ओर कहा..

मंजुला : (हसते) देख भाइ हम सब पुराने खयालके नही हे.. आजही सगाइ हुइ हे अबतो तुजे लाइसन्स मील गया हे.. हें..हें..हें.., तो जा पुनमको लेके कही बहार घुमके आ.. यहा पीछे ही गार्डन जेसा हे दोनो चले जाओ.. हमे कोइ अ‍ेतराज नही क्यु देवु..?

देवायत : (हसते) हां साले साब अबतो आपभी मेरे जीजा हो गयेहे जाइअ‍े.. हें..हें..हें..

धिरेन : (सरमाते) जीजु.. हमारा रीस्ता कुछभी होजाये.. मे रीस्ता नही चेन्ज करुगा.. आपही मेरे जीजा रहोगे..

कहातो अ‍ेक बार फीर चंदा जेंप गइ ओर वो अ‍ेक नजरसे धिरेनकी ओर देखती रही.. फीर सरमा गइ ओर अपनी नजर नीचे करली.. तब मंजु पुनमको आवाज देके बुलाती हे ओर धिरेनके साथ उसे बहार घुमने भेज देती हे.. तो दोनोही सरमसे पानीपानी होगये तब मंजुने दोनोको जबरदस्ती बहार भेज दीया ओर दोनोही सरमाके हसते बहार चले गये.. फीर बहार जाके दोनोही गार्डनकी ओर बाते करते चलने लगे..

धिरेन : पुनो.. आखीर तुम मुजे मीलही गइ.. देखना मे तेरा साथ जींदगीभर नीभाउगा..

पुनम : (सरमाते हसते) मे भी.. वेसे आपकी जोब कब लग रही हे..?

धिरेन : बस अ‍ेपलीकेशन दीयातो हे.. देखतेहे कोल लेटर कब आता हे.. वरना कुछ बीजनेस करुगा..

पुनम : धिरेन ये नोकरी मीजायेती वोही करना.. मेने सुना हे बेंककी नोकरी बहुतही अच्छी होती हे..

धिरेन : हां लेकीन मुजे सहेरसे अप डाउन भीतो करना पडेगा.. अगर हम दोनो सहेरमे रहेने गयेतो मम्मी इधर अकेली होजायेगी.. पता नही उनका टाइम केसे नीकलता हे..

पुनम : धिरेन.. अ‍ेक बात कहु.. बुरा मत माना.. ये मेरे अपने विचार हे.. सीर्फ आपको बता रही हु..

धिरेन : (हसते) पुनो अब तु मेरी होने वाली बीवी हे.. तेरा क्या बुरा मानना.. बता क्या बात हे..

पुनम : धिरेन मेरे खयालसे मम्मीको तबही सादी करलेनी चाहीये थी.. तुजे नही पता अकेली ओरतकी जींदगी कैसी होती हे.., मुजेतो पता नहीथा की मेरी सगाइ तुमसे होने वाली हे वरना मे तुजे रोज फोन करती.. तो मम्मी अकेली केसे रेह पाती हे.., ओर वेसे देखा जायेती अभीभी बहुत छोटी लग रही हे..

धिरेन : (दोनोही गार्डनमे जाते) पुनो अब तु मेरी अर्धांगीनी होने जा रही हे.. पता नही तुमसे बात करनी चाहीयेकी नही.. लेकीन दीदीने मुजे कसम दीहे तो मे नही बता सकता..

पुनम : (सीरीयस होते दोनो अ‍ेक बेचपे बेठते) धिरेन क्या मुजे पराया समजते हो.. तो मत बता.. क्या बात हे जो तुम इतना हीचकीचाते हो.. मे फोर्स नही करुगी तुम्हारी मरजी हे..

धिरेन : नही पुनो तुजे पराइ नही मानता.. अबतो तु मेरी अपनी हे.. तुजे नही बताउगा तो कीससे बताउगा.. लेकीन मुजे प्रोमीस कर की ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी.. कीसीको नही बतानी.. मम्मीकोभी नही ओर दीदीकोभी नही की मेने तुजे बताया हे..

पुनम : धिरेन आइ प्रोमीस मे वादा करतीहु कीसीको नही बताउगी.. बोलो क्या बात हे..

धिरेन : पुनो.. दीदी यानी तुम्हारी भाभी अब अ‍ेक दो सालकी ही महेमान हे.. उसने जीजुके वारीसके लीये अपना बलीदान देदीया.. दोनो अ‍ेक दुसरेको इतना चाहतेहे की दीदीने अपनी जानकीभी परवाह नहीकी..

पुनम : (चोंकते आंखमे आंसुके साथ) क्या केह रहे हो आप..? ये नही होसकता.. भाभी कीतनी प्यारी हे..

फीर धिरेन पुनमको सब कुछ बता देता हे जो उसे मंजुलाने बताया था यहा तक उनकी मम्मीकी सादीके बारेमेभी बात बतादी जीसे सुनके पुनमको जोरोका जटका लगा.. क्युकी वो देवायतको बहोत चाहती थी.. ओर उनकी सास उनकी भाभी ओर सौतन बनने वालीथी तो पुनमको ज्वेलेसी फील होने लगी.. फीर उसने काफी कुछ सोचा ओर अ‍ेक नीर्णय लीयाकी वो अब अपने ससुराल वाले घरमेही रहेगी.. ओर धिरेन जोबपे चला जायेगा तब वो घरपे अकेली होगी.. ओर देवायतको बडी आसानीसे मील सकेगी यही सब सोचके उसनेभी चंदा ओर देवायतकी सादीकी सहमती देदी....

कन्टीन्यु
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Premkumar65

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४

फीर धिरेन पुनमको सब कुछ बता देता हे जो उसे मंजुलाने बताया था यहा तक उनकी मम्मीकी सादीके बारेमेभी बात बतादी जीसे सुनके पुनमको जोरोका जटका लगा.. क्युकी वो देवायतको बहोत चाहती थी.. ओर उनकी सास उनकी भाभी ओर सौतन बनने वालीथी तो पुनमको ज्वेलेसी फील होने लगी.. फीर उसने काफी कुछ सोचा ओर अ‍ेक नीर्णय लीयाकी वो अब अपने ससुराल वाले घरमेही रहेगी.. ओर धिरेन जोबपे चला जायेगा तब वो घरपे अकेली होगी.. ओर देवायतको बडी आसानीसे मील सकेगी यही सब सोचके उसनेभी चंदा ओर देवायतकी सादीकी सहमती देदी....अब आगे

धिरेन : पुनो.. सायद हमारी सादीके बाद मम्मी ओर जीजुकी सादी होजाये.. लेकीन दोनोही अभी नही मानते..

पुनम : धिरेन येतो बहुतही अच्छा हे.. मम्मीकी जींदगीभी सवर जायेगी.. हम उसे मनायेगे..

धिरेन : पागल हो क्या..? पुनो हम उसे केसे बात करेगे.. की आप जीजुसे सादी करलो.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) धिरेन आप जुदाइकी तडपको नही जानते.. मेरे खयालसे मम्मी ओर भाइको अभी साथमे रहेनेका मौका दो.. जब दोनोकी अच्छेसे जमने लगे तब दोनोको जुदा करदो तब मम्मी ओर भाइ दोनोही अ‍ेक दुसरेको मीलनेके लीये तडपेगे.. तब हम उनको सादीके लीये कहेगे.. क्या कहेते हो..?

धिरेन : (हसते) इन बातमे ओरतोका दीमाग बहुत चलता हे.. बस हम पुरुषोको तो सीर्फ प्यार करना ही आता हे.. क्या दीमाग हे तेरा..

पुनम : (खुस होते जुकके) सुक्रिया.. जनाब.. हें..हें..हें.., लेकीन धिरेन भाभीने इतनी बडी बात केसे छुपाइ..

धिरेन : पुनो.. सायद इसेही सच्चा प्यार कहेते होगे.. दोनोका प्यार बहुतही गहेरा हे.. पता नही जीजुपे क्या गुजरेगी.. मुजे लगता हे जीजुको पता चल गया लगता हे तभीतो दो दीनसे उनका मुड ठीक नही हे.. ओर देखती नही दो दीनसे दीदीका कीतना खयाल रखते हे.. भगवान उसे दुख सहेन करनेकी सक्ती दे..


पुनम : (मनमे सोचते) धिरेन मे मेरे देवुको सम्हालुगी.. उसे वो हर सुख दुगी जो भाभी देतीहे.. बल्की उनसेभी ज्यादा प्यार करुगी.. मे तुमसे सादी सीर्फ दीखावेकी कर रही हु ताकी मुजे दुनीयाके सामने सर्मींदा ना होना पडे.. धिरेन मेने कसम खाइहे.. मेरा कौमार्य सीर्फ भाइकोही सोपुगी.. फीर तुम मुजे छु सकोगे..

धिरेन : (पुनका हाथ पकडते) पुनो.. पुनो.. क्या सोचमे पड गइ.. क्या यहा सीर्फ हम बाते करने आये हे..

पुनम : (सरमाते नजर चुराते) तो फीर.. ओर क्या करना हे..

धिरेन : पुनो बस अ‍ेक कीस बीस..

पुनम : (सरमाते हसते) मुजे नही पता.. इधर कोइभी आ सकता हे..

धिरेन : (उनकी गरदनमे हाथ डालते) अरे अजाना कोइ नही देखेगा.. तु नखरा बहुत करती हे.. पता नही लखन भैया ओर लताभाभीने तो क्या क्या करलीया.. चलना..

पुनम : (सरमते धीरेसे) बस सीर्फ कीस ही.. ओर कुछ नही.. बाकी सादीके बाद..

धिरेन : (अपने मुहकी ओर खीचते) अरे अ‍ैसा थोडी चलता हे.. ठीक हे कीस ही सही..

कहेते धीरेसे धिरेनने अपने होंठ पुनमके होंठोपे रख दीये ओर दोजोही मदहोसीमे छाने लगे तब स्मुच करते धिरेनने अ‍ेक हाथ पुनमके बुब्सपे रख दीया तो पुनमके सरीरमे अ‍ेक बीजलीसी करंट दोड गइ ओर वो सरसे पांव तक कांप गइ वो अ‍ेसे कीसी लडकेके साथ पहेली बार कर रहीथी.. ओर धिरेनके मुहमे अपनी जीभ डालने लगी ओर दोनोकी जीभ अ‍ेक दुसरेके मुहमे जानेके लीये पेच लडाने लगी..
kiss-couple
धिरेन : (होंठ चुमते) ओह..पुनो.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच..( हाथ चुतपे रखता हे)

पुनम : (सरमाते धीरेसे) आइ लव यु टु.. बस.. बस.. वहा नही.. प्लीज..प्लीज..धिरेन.. नही नही..नही..

कहेते पुनम जटसे खडी हो जाती हे ओर धिरेनको वापस जानेके लीये कहेती हे.. तब धिरेन भारी मनसे खडा होगया.. तब उनके पेन्टमे तंबु हो गयाथा.. तो पुनमने देखलीया ओर नजर घुमाते सरमा गइ ओर मुस्करातने लगी.. तब धिरेन पेन्टमे हाथ डालके लंडको अ‍ेडजेस्ट करने लगा.. ओर पुनमसे कहा...

धिरेन : सीर्फ उपरसे ही छुआथा.. देख लेना उसका बदला जरुर लुगा.. सब हमारी सुहागरातमे वसुल कर लुगा.. तुने मुजे बहोत तडपाया हे..

पुनम : (सरमाते) तब देखते हे.. आपमे कीतना दम हे.. लेकीन अभी चलो.. हें..हें..हे..

धिरेन : (दोनो साथ चलते) हसले बच्चु.. देखना फीर केसे चीलाती हे.. मे चीख नीकलवा दुगा..

पुनम : (सरमाते हसते) हां तबकी तब देखेगे..कोन चीलाता हे.. अब चलोभी मजनुजी.. हें..हें..हें..


तब पुनम मनमे सोचती हेकी तु क्या चीख नीकलवायेगा कभी मेरे भाइका लंड देखा हे..? कीतना बडा ओर मोडा हे तेरी दीदीकी चीख मेने कइ बार सुनीहे ओर तेरी दीदीको चोदवाते हुअ‍े कइ बार देख चुकी हु.. बस अब मेरी चीखतो मेरे भाइही नीकलवायेगे.. देखना.. फीर तेरी गैर मौजुदगीमे मे भाइसे कैसे चुदवाती हु..

धिरेन : यार तु हर बार क्या सोचमे डुब जाती हे..?

पुनम : (बातको घुमाते) धिरेन मे भाभीके बारेमे सोचती हु.. फीर भाइका क्या होगा..? क्या मम्मी मान जायेगी..? वरना हम दोनो कोसीस करेगे..

धिरेन : अरे तु इनकी चीन्ता मत कर.. सायद दीदीने मम्मीसेभी बात करली हे.. मुजे लगता हे पहेले हमारी सादी होजायेगी.. फीर कुछ करेगे.. मे दीदीसे पुछ लुगा..

पुनम : धिरेन इनमे मेरी कुछ हेल्प चाहीये तो कहेना.. ओर हां अगर बाय चान्स दोनो सादी करभी ले तोभी हम हमारे धरमे ही रहेगे..

धिरेन : हां पुनो.. मेनेभी यही डीसाइड कीया हे वरना मम्मी हमारी हाजरीमे खुलके नही जी सकेगी.. ओर सरर्मीन्दा होती रहेगी.. तो हम हमारे घरमेही रहेगे.. कभी मीलनेका मन करेतो आजायेगे..

पुनम : (खुस होते) हां ये सही हे..

कहेते दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडते चलने लगे.. इधर जब पुनम ओर धिरेन बहार नीकल गये तब केवल चंदा मंजु ओर देवायतही थे.. तब मंजुने मौका देखके बात छेड दी..

मंजुला : (हसते) मौसी अब आप दोनोभी कुछ डीसाइड करलो.. धिरेनतो मानही गया हे..

चंदा : (अ‍ेकदम सरमाते) मंजु.. क्या ये अभी सही हे.. पुनमकोभी नही पता.. ओर वो धिरेनसे भी बात करनी हे.. तभीतो घर जा रही हु.. क्युकी यहा बात करना उचीत नही हे..

मंजुला : मौसी मेने धिरेनसे कहा हे वो पुनोसे बात करलेगा.. आपभी धिरेनसे बात करलो.. वो मना नही करेगा.. बस मे चाहती हु आप जल्द से जल्द इस घरमे आजाये.., देवु आपतो कुछ बोलो..

देवायत : मंजु अब मुजे क्या बोलना हे.. बस आप दोनोही सब डीसाइड करलो.. आप जो कहेगे मंजुर हे..

चंदा : (सरमाते) मंजु.. हम कल घर जा रहेहे.. इस बारेमे फीर बात करेगे.. पहेले तेरी डीलीवरीतो हो जानेदे.. हमारे पास काफी टाइम हे.. तो धिरेन पुनमकी सादीके बाद डीसाइड करते हे..

मंजुला : (हसते) ठीक हे मौसी.. देवु आप दोनोको कल सुबह घर छोड देगा.. जब डीलीवरीका टाइम आये तो आपको बुलवा लुगी..

तब चंदा नजर चुराते बार बार देवायतकी ओर देख रही हे.. दीलतो उनकाभी कहेताहे की वो जटसे इस घरमे आजाये.. क्युकी अब उसेभी देवायतके बीना अच्छा नही लगताथा फीरभी वो अ‍ेक बार धिरेनसे बात करना चाहतीथी तभी धिरेन ओर पुनमभी आजाते हे.. तो आतेही पुनम अपनी भाभी मंजुकी ओर देखती हे तो उनकी आंखसे आंसु नीकलने लगते हे.. तब वो अपने आंसु छुपाते अपने रुममे दोडके भाग जाती हे..

चंदा : (पुनमको देखते) अरे बेटा इसे क्या हुआ..? तुम दोनोके बीचतो कुछ अनबनतो नही हुइ..?

धिरेन : नही मोम.. बस.. वो दीदीको देखते.. थोडा इमोस्नल होगइ..दीदीको लेकर हमारी बात हुइथी..

मंजुला : (गभराते) क्या..? धिरेन तुमभीनां.. मे आरामसे उसे बात करतीनां..? चल मुजे जाना पडेगा वरना रोती ही रहेगी..

कहेते वो जटसे उठ गइ ओर पुनमके रुमकी ओर जाने लगी तब देवायतकी आंखभी गीली होगइ तो वोभी जटसे बहार चला गया.. ओर अपनी कार लेके खेतोपे आगया.. उधर मंजु पुनमके पास चली गइ.. तो पुनम उल्टी पेटके बल लेटते तकीयेमे मुह छुपाके रो रहीथी तब मंजु उनके सरके पास बेठ गइ ओर उनके सरपे हाथ रखते धीरे धीरे सहेलाती रही तब पुनमने सर उचा करके मंजुको देखातो फोरन मंजुकी गोदमे सर रख दीया.. ओर वापस फुटफुटके रोने लगी..

पुनम : (रोते हुअ‍े) भाभी क्या हुआ हे आपको..? क्या मुजेभी बताना जरुरस नही समजा..?

मंजुला : (सर सहेलाते) नही पुनो.. मेने कीसीको नही बताया था.. वो धिरेनसे भी तीन दीन पहेले बात हुइ..

पुनम : भाभी क्या हम पराये हे.. कमसे कम मुजेतो कहेती.. भाइकोभी नही बताया.. ओर आप जानती थी.. फीरभी क्यु बच्चा कीया..? येभी नही सोचा भाइका क्या होगा.. कोन सम्हालेगा.. उसे..?

मंजुला : (हसते) सुन.. मे चाहती थी इस हवेलीके वारीसको मे अपनी कोखसे जन्म दु.. बस.. ओर कुछ नही.. ओर मेरे देवुको सम्हालनेके लीये.. मेने इन्तजाम करलीया हे.. क्या धिरेनने तुजे नही बताया? मेने उसे कहा था.. तुजे बतानेको.., जो बहार बेठी हे तेरी सास वोही तेरी भाभी होजायेगी.. ओर वेसेभी तुमतो हो.. तेरा भाइ तुमको बहोत मानता हे.. तुम सास बहु सम्हाल लेना मेरे देवुको.. हें..हें..हें..

पुनम : (रोते हुअ‍े हसती हे मुका मारते) भाभी आप बहुत गंदी हो.. वो मेरा भाइ हे..

मंजुला : अरे पगली भाइ हेतो क्या हुआ.. बीवीका प्यारतो वो तेरी सास देगी.. बस तुम उसे कभी अकेला मत छोडना.. देखना मेरा देवु कभी नीरास ना हो..

पुनम : (मंजुको हग करते) भाभी आप भाइको कीतना चाहती हो..? मेभी आपसे वादा करतीहु.. भाइको कभी नीरास नही होने दुगी.. उनकी हर जरुरतका खयाल रखुगी.. आप फीकर मत करना.. मे हुनां..

मंजुला : (पुनमका सर चुमते) चल ठीक हे.. जा हुलीया साफ करले.. ओर सुन.. तुम दोनोकी सादी होतेही तेरी सासको हम यही बुला लेगे.. सब तैय हो गया हे.. बस उनको सीर्फ धिरेनसे बात करनी हे..

पुनम : (हसते) भाभी आप धिरेनकी चीन्ता मत करना.. हम दोनो चाहते हे मम्मीजीकी सादी भाइसे होजाये.. उनकीभी जींदगी सवर जायेगी.. लेकीन हम दोनोने डीसाइड कीया हे.. सादीके बाद हम दोनो हमारे घरही रहेगे यहा नही.. वरना मम्मीजी खुलके नही रेह पायेगी ओर सर्मीन्दा होती रहेगी..

मंजुला : (हसते) अरे वाह.. मेरी ननंद नेतो काफी कुछ सोच लीया हे.. चलो ठीक हे.. जेसे आपकी मरजी..

फीर पुनम मुह धोके फ्रेस होजातीहे फीर दोनोही हसती बहार आके बेठ जातीहे तब चंदाके मुहपे स्माइल आजाती हे तब पुनम चंदासे चीपकके बेठ जातीहे ओर उसे बेठेही हग करते हसने लगती हे.. तब चंदा काफी कुछ समज जाती हे.. ओर पुनमके सरको चुम लेती हे ओर सब आपसमे बाते करने लगती हे उघर देवायतभी खेतोपे चला गयातो वहा कोइ नही दीखा तो वो अपनी ओफीसमे आके बेठ गया..

तभी वहा जमीला आगइ ओर आतेही दरवाजा बंध करलीया ओर देवायतको लेके उनके रुममे चली गइ, आजभी जमीलाको देवायतने जबरदस्त तरीकेसे चोद लीया, जमीलाको दो बार जडाके भी दोनोके बीच धमासान चुदाइ जारी रही.. ओर आखीर जमीलाकी चुतमे जडतक लंड घुसाके दोनही जडने लगे ओर देवायतने अ‍ेक बार फीर जमीलाकी चुतको अपने पानीसे भरके हरी भरी करदी..
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दोनोही साथमे नहाये बहार आके तैयार होगये तब जमीला लडखडाती चालसे अपने रुमकी ओर चली गइ.. ओर अपने बेडपे जातेही गीर गइ ओर गहेरी नींदमे चली गइ.. वो दो दीनसे जान बुजके देवायतसे जुदवानेके लीये आती थी.. क्युकी उनको बच्चेकी तडप बहुत बढ गइ थी.. वो चाहतीथी की उनकी कोखमे अपने यारका बच्चा आजाये वो बस इसी मक्सदसे ही यहा खेतोपे काम कर रही थी..

फीर अंधेरा होतेही देवायत हवेलीपे आगया फीर सब खानेके लीये बेठ गये तब चंदा बहुतही सरमाती रही ओर देवायतको नजर चुराते देखती रही.. जबभी दोनोकी नजरे मीलती चंदा सरमाके मुस्करा देती ओर नजर घुमा लेती.. तब पुनम सीर्फ चंदाकोही तीरछी नजरसे देखती रही ओर उनकी हर हरकतोपे नजर रख रही थी तभी देवायतको अपने पैरपे कीसीका पैर महेसुस हुआ जो उनका पैर सहेला रहाथा..

तभी देवायतने थोडा पीछे हटते नजरको नीचेकी ओर करते देखा तो ये पैर पुनमका था जो अनजान बनके अपने भाइके पैरको सहेला रही थी.. तो देवायतनेभी धीरेसे अपने पैर पीछे करलीये.. तब पुनमने उनकी ओर थोडी नाराजगीसे देखा.. ओर खाने लगी.. सबने डीनर करलीया ओर सब होलमे सोफेपे आके बेठ गये.. फीर सबने थोडी देर बस अ‍ेसेही बाते की ओर ओर अपने अपने रुममे सोने चले गये..

उस रात लखन ओर लताने हमेसाकी तराह फोन सेक्स कीया तो धिरेनभी पुनमसे सब कपडे नीकलवा के अपने आप लंड हीलाके सांत होजाता हे ओर सोजाता हे.. तो दुसरी ओर चंदाभी करवटे बदलती रही.. वो अ‍ेक दो बार बहार आके देखभी गइ की देवायत पानी पीनेही आजाये.. तब दुसरी ओर मंजु ओर देवायत दोनोही अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे प्यारभरी बाते करते रहे ओर बीच बीचमे होंठ चुमते रहे.. देवायतभी जमीलाकी जमकर चुदाइ करके आयाथा तो वोभी ज्यादा कुछ नही करना चाहता था..
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अ‍ेसेही सब सो गये.. तभी उधर भानुके गांवमेभी सब खाना खाते बेठे थे तभी भानु ओर उनकी मामी रमाने दोनोही इसारोमे बात करने लगे तब भावनाकी नजर उनकी ओर चली गइ ओर वो सर नीचा करते तीरजी नजरसे देखते खाना खाती रही उनको कुछ अजीब लगा.. ओर वो भानु ओर रमापे सक करने लगी.. तो भानु ओर रमानेभी इसारोसे देर रात कीचनमे मीलनेका तैय कीया फीर सभी सोने लगे..

भानुभी सुबह अपनी मामी ओर उनकी बेटीको अपने घर छोडने जाने वालाथा तो आज रमाभी अपने माने हुअ‍े पतीसे जीभरके चुदवा लेना चाहती थी.. कइ दीन हो गयेथे जो मामी ओर भांजेका मीलन नही हुआ था.. तो वोभी भानुको अकेलेमे मीलनेके लीये तडप रहीथी.. ओर सोनेका नाटक करने लगी तब दुसरी ओर भावु ओर भानुभी अपने बेडपे आके लेट गये तब भावुभी सोनेका नाटक करने लगी..

तब दुसरी ओर सरलाभी आज देवायतको देखते उतेजीत हो गइथी उसने सुबहसे ही अपने आपको बडीही मु्सकीलसे कंट्रोल करके रखाथा.. तब अपने रुममे जातेही वो नंगी होगइ ओर अपने अ‍ेक हाथसे अपना बुब्स मसलते दुसरे हाथकी उंगली अपनी चुतमे घुसादी ओर आंख बंध करते देवायतको इमेजींग करने लगी ओर अपनी चुतमे उंगलीको तेजीसे अंदर बहार करने लगी फीर थोडीही देरमे उनकी चुतसे पानी नीकल गया ओर वो सांत होगइ फीर अपनी चुतको साफ करके कपडे पहेनके सो गइ..
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जब सभी सोगये तब भानु धीरेसे उठके बहार आगया फीर वो लताकी खीडकीसे देखने लगा तो लताभी हमेसाकी तराह नंगी होके सो गइथी तो लताके रुमका दरवाजा बहारसे बंध करदीया तब वो धीरेसे कीचनमे चला गया तो वहा पहेलेसे ही रमा खडी थी.. तब वो धीरेसे उनके पीछे चला गया ओर पीछेसे ही रमाको बाहोमे भरलीया ओर उनकी गरदनको चुमने लगा..
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तभी रमा पलट गइ ओर भानुको अपनी बाहोमे भीच लीया ओर उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी तो भानुभी उनके बुब्स पकडते मसलने लगा ओर रमाके चहेरेको पकडके उनके होंठ चुमने लगा.. दोनोही कामाग्नीमे जलने लगे.. रमाकी चुत लगातार पानी छोडने लगी.. वो भानुके सर्टके बटन खोलने लगी तब भानुभी उनकी सारीका पलु गीराके रमाके ब्लाउसका हुक खोलने लगा तो थोडीही देरमे दोनोने अ‍ेक दुसरेको बीलकुल नंगा करदीया.. तभी भानु रमाको वही नीचे फर्सपे लीटा देता हे ओर खुद उनके उपर जुकके रमाकी गरदनको चुमने लगता हे तो रमा अ‍ेकदम उतेजीत होगइ ओर भानुके सरको सहेलाते अपनेही होंठ आपसमे दबाने लगी..
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तभी भानु अपनी अ‍ेक टांग रमाके उपर डालते उनके उपर चड जाता हे तब रमा नीचे हाथ लेजाते भानुका लंड पकड लेतीहे.. फीर चार पांच बार हीलाके अपनी चुतके लव होलमे सेट कर देती हे.. ओर भानुको अपनी बाहोमे भर लेतीहे तभी भानु अ‍ेक जटका मारता हे तो रमाके मुहसे आह.. नीकल गइ ओर वो पुरी तराह मदहोस होगइ तभी भानु रमाकी गरदनको चुमते धीरे धीरे कमर हीलाके रमाको चोदने लगता हे..
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तो रमाभी धीरे धीरे कमर हीलाते भानुका साथ देने लगी भानुके हर धकेके साथ वो सातवे आसमानमे जाने लगी आधी नसीली आंखसे वो चुदाइका पुरा आनंद ले रहीथी.. जो इनके पतीसे नही मील रहाथा.. तभीतो भानुसे सबंध बनाके उनको ही पती मानलीया था अब वो हर दीन भानुके नामका सींदुर अपनी मांगमे भर रही थी यहा तक अपने गलेमे पेंडलमेभी उनकी ओर भानुकी तस्वीर लगाइ थी..
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तभी थोडीही देरमे भानुने अपनी स्पीड बढाइ तब रमाकी सीसकारीया जोरोसे नीकलने लगी तब दो आंखे भानु ओर रमाकी चुदाइकी रास लीला देख रहीथी जब भानुको अपनी जगाह नही देखातो उनको ढुढते हुअ‍े वो धीरेसे बहार आगइ.. ओर उसे कीचनमे जोरोकी कीसीकी सीसकारीया सुनाइ देने लगी तब वो धीरेसे कीचनकी ओर आगइ ओर छुपकेसे भानु ओर रमाकी चुदाइ देखने लगी.. वोथी भावना.. भानुकी बीवी..

इनको आज भानुकी करतुत देखते भानुसे सादीका बहुत पछतावा होने लगा.. अब क्या हो सकताथा.. अभी भानुका दुसरा बच्चाभी आजायेगा.. लेकीन आज भावनाको अपने पुराने प्यारको पानेका रास्ता मील गया.. अब उसे भानुकी कोइ परवा नही थी.. वो भलेही भानुके साथ रहेगी लेकीन अब हमेसाके लीये भानुसे सबंध नही रखनेकी कसम खाली.. ओर वो चुपचाप वापस अपने रुममे चली गइ ओर सोगइ..

इधर भानु ओर रमा दोनोके बीच धमासान चुदाइ होने लगीथी तभी भानु अ‍ेकदमसे रमासे चीपक गया तो रमानेभी अपने दोनो पैर उपर करते भानुको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर दोनोके होंठ आपसमे जुड गये तभी रमाको अपनी चुतमे भानुका वीर्य महेसुस हुआ ओर वोभी उतेजीत होके साथमे जडने लगी ओर थोडीही देरमे दोनोही सांत होगये तब भानु रमाके सीनेपे सर रखके ढेर होगया ओर रमा उनकी पीठ सहेलाती रही.. जब दोनोही सांत हुअ‍े तबभी भानु रमाकी चुतमे लंड डालके पडाथा जो चुतमे मुरजा गया था..

रमा : (धीरेसे) भानु.. अबतो आप आतेही नही.., ओर क्या जरुरतथी नीलमपे इतना खर्चा करनेकी..

भानु : (होंठ चुमते) अरे डार्लींग ये खर्भा देवु दे रहा हे.. तुम फीकर मत कर..

रमा : (आस्चर्यस देखते) लेकीन वो इनका खर्या क्यु दे रहेहे..? कही आपनेतो उनको नही कहा..?

भानु : नही डार्लींग.. वो मेरा बचपनका यार हे.. हमने आज तक अ‍ेक दुसरेकी बात नही छुपाइ.. जब उनको पता चलाकी अब तु मेरी बीवीहे ओर नीलम हमारी बेटी हे तो उसने फोरन पढनेको केह दीया.. लताकोभी तो उन्होनेही पढाया हे..

रमा : (थोडा गभराते) लेकीन उनको बताया कीसने..? कही आपनेतो नही..

भानु : (बीचमेही) हां.. मेनेही बताया हे.. ओर तु फीकर मत कर ये बात सीर्फ उनके तक ही सीमीत रहेगी.. वोतो सुनके बहोत खुस होगया की चलो.. अ‍ेक दुखी ओरतको तुने सहारा दीया.. वो बहुत अच्छा हे..

रमा : भानु प्लीज उनको कहेना ये बात कीसीको ना कहे.. वरना हम दोनोकी जींदगी खराब होजायेगी.. ओर वेसेभी जबतक नीलमके पापा हे तबतकतो मुजे वही रहेना पडेगा.. अब बहोत पीने लगे हे..

भानु : रमा तु फीकर मत कर.. वो अब ज्यादा जीन्दा नही रहेगे.. तब मे तुजे यही लेकर आउगा ओर अपने साथ रखुगा.. मेरी दुसरी बीवी बनाके..

रमा : पागलहो क्या..? भावना क्या कहेगी..? ओर बुआका भी सोचा हे..?

भानु : बुआकोतो पता हे.. उनका भाइ कैसा हे.. ओर भावनाको मे मना लुगा.. वो मान जायेगी..

रमा : (सरमाते धीरेसे) ध्यान रखना.. कही गडबड ना होजाये.. वेसे नीलमको मे समजा दुगी.. अब उतरो.. मेरी पुरी चुत भरदी.. अच्छा हे ओपरेशन करवा लीया हे.. वरना तुमतो पका मुजे पेटसे कर देते..

भानु : (हसते) तो अच्छा हेना.. नीलमका भाइ या बहेन आजाते.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाते अ‍ेक मुका मारते) हसो मत.. कोइ सुनलेगा.. ओर बच्चा चाहीये.. सरम करो.. बस मुजे इसी तराह खुस करो यही मेरे लीये बहोत हे.. चलो हटो.. वरना कोइ इधर आजायेगी..

तब भानु उपरसे हट जाता हेतो रमाकी चुतसे दोनोका कामरस उनकी चुतसे उनके पैरमे उतरने लगता हे तब रमा जटसे अपनी पीन्टीसे चुतको साफ करने लगती हे.. फीर भानुके लंडकोभी साफ करदीया ओर वो खडी होके अपने कपडे पहेनने लगी.. तब भानुभी अपने कपडे पहेनने लगा जब कपडे पहेनलीये तब रमाने अपने खुले बालका जुडा बनालीया तब भानुने अ‍ेक बार फीरसे रमाको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर होंठ चुमलीया तब रमानेभी उनका साथ दीया.. ओर वो भानुको धका मारते अपने रुमकी ओर जाने लगी..

तब भानुभी हसते हुअ‍े अपने रुममे चला गया ओर भावनासे चीपकके सो गया.. तब तो भावनाने सीफततासे भानुका हाथ अपने उपरसे हटा दीया.. वो जाग रहीथी.. लेकीन अभी इस बारेमे वो भानुसे बात करना नही चाहतीथी.. वरना उनका घर बीखर जाता यही सोचते वो चुपचाप पडी रही.. ओर अ‍ेसेही सब सो गये..

सुबह सब आरमसे उठे आज कीसीको कोइ जल्दी नही थी.. बस दीनथा तो सीर्फ बीछडनेका भाजुसे रमा बीछड रहीथी तो देवायतसे चंदा.. ओर धिरेनसे पुनम.. सबके दीलके अ‍ेक कोनेमे बीछडनेका गम था.. हवेलीपे सब नहा धोके बहार आगये.. ओर सब चाइ नास्ता करने बेठ गये तब कोइ कुछ नही बोल रहाथा.. मंजु नही चाहतीथी की चंदा इस घरसे जाये.. ओर नाही चंदा इस घरको छोडना चाहती थी..

बस सभीको कुछ समयकी राह देखनी थी.. उधर भानुके घरभी आज सनाटा छाया लगता था.. आज भावना बहुतही नीरास दीख रहीथी.. मानो उनकी पुरी दुनीया उजड गइहो.. तब दुसरी ओर रमाकोभी भानुसे बीछडेका गम था.. नीलम ओर लता दोनोही चुपचाप चाइनास्ता कर रहीथी.. तभी सरलाने बात छेडदी..

सरला : रमा.. अब तेरे पतीको केह कुछ काम धंधा करले अभी लडकी जवान होजायेगी.. सादीमेभी खर्चा होगा कहासे नीकालेगा.. सारा दीन दारु पीके पडा रहेता हे..

रमा : (भानुकी ओर देखती रही) दीदी.. अबतो पहेलेसेभी ज्यादा पीने लगे हे.. सोचतीहु अब मेही कही कामपे लग जाउ.. हमारातो जीना हराम करके रखा हे.. कुछ बोलोतो मारनेके लीये दोडता हे.. अबतो नीलमपे भी हाथ उठाता हे.. येभी नहीकी लडकी अब जवान होती जा रही हे.. क्या करु में..

भानु : (गुसेसे) क्या.. नीलमपे हाथ उठाता हे..? तो आप कुछ कहेती नही..? साला..

सरला : लगता हे अब नही सुधरेगा.. तु अ‍ेक काम कर.. अब तुम दोनो मां बेटी यही रहेने आजाओ.. वो भलेही वहा सडता रहे.. कमसे कम यहा काम करके दो रोटीतो चेइनसे खा सकोगी..

भानु : (खुस होते) हां मामी.. बा ठीक केह रही हे.. आप इधर आजाओ..

कहातो भावना भानुकी ओर घुरते देखने लगी.. हालाकी ये बात कीसीने नोटीस नही की.. लेकीन अब उसे भानुसेभी कोइ वास्ता नही था.. वो अपना मन बना चुकीथी.. वो अपनी जींदगी अब अपने तरीकेसे जीना चाहती थी.. ओर भानुसे सबसे छुपके बदला लेना चाहती थी.. उसने रातमे जागते काफी कुछ सोचके रखाथा.. अब उसे कीसीभी हालमे अपने प्यारको पानाथा जो प्यार उसे नही मील पाया..

जब नास्ता करलीया तब भानु अपनी कारमे रमा ओर नीलमको छोडने चला गया तब नीलम साथमेथी तो दोनो ज्यादा बातचीतभी नही करपाये.. नीलम आगे बेठीथी तब भानु सेन्ट्रल मीररसे पीछे बेठी रमाको देखता रहा.. ओर दोनोही मीररसे आंखोके इसारेसे बात करते रहे तभी भानुने नीलमकी ओर इसारा कीया तब रमाने उसे आंखोसे ही मीलनेका आस्वासन दीया तब भानुके चहेरेपे स्माइल आगइ..

उधर हवेलीपेभी सबने चाइनास्ता करलीया तब धिरेन उपरसे अपना सामन नीचे लेकर आगया.. तो चंदानेभी अपने सब कपडे पेक कर लीयेथे जब जानेका टाइम आया तब चंदा मंजुके गले लग गइ तब दोनोही फुटफुटके रोने लगी बडाही गमगीन वातावरण होगया तब पुनमकी आंखमेभी आंसु छलकने लगे.. वोभी चंदासे लीपटके रोने लगी.. तब चंदाने दोनोके आंसु पोछे ओर पुनमका सर चुमलीया.. तब..

पुनम : मम्मीजी.. बस जल्दी आजाइअ‍े..

चंदा : (दोनो गाल सहेलाते) हां मेरी बच्ची.. बस कुछ दीनकीतो बात हे..

तभी धिरेन मंजुके गले लग गया तो धिरेनभी जोरोसे रोने लगा.. मानो वो अपनी चहीती दीदीसे हमेसाके लीये बीछड रहा हो.. तभी मंजुनेभी धिरेनका सर चुमलीया ओर उसे यहा आते रहेनेको कहा.. फीर धिरेन ओर लखनभी गले मीले.. तो दया ओर रजीयाभी चंदाको गले मीली.. फीर देवायत कारमे बेठ गया तो धिरेनभी अपना सब सामान रखके आगे बेठ गया तब चंदाभी भारी मनसे पीछे बेठ गइ, मंजु पुनम दया रजीया सब चंदाको कार तक छोडने आये ओर देवायतने कारको बहारकी ओर जानेदी..

पुरे रास्ते चंदा सीर्फ देवायतको देखती रही तब धिरेन बीच बीचमे देवायतसे हस हसके बात कर रहाथा ओर तीनो अपनी मंजील यानी चंदाके धर पहोंच गये.. तो देवायत बहारसे ही दोनोको उतारके नीकल रहाथा तो धिरेनने उसे जबरदस्ती अंदर आनेको कहा.. तो देवायतभी हसते हुअ‍े कारसे उतर गया तब चंदा घरके दरवाजेका ताला खोल रहीथी.. जेसेही दरवाजा खोलके अंदर गये....

कन्टीन्यु
Wonderful update. Nice story.
 

Akash18

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Acha update hai bhai
 
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