रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३
दोनो अेसीही बात कर रहीथी तो इधर देवायतभी अपने खेतोपे आगया तब उसने कल रामुकाका कोभी आनेको कहा.. ओर हरीया मालती.. ओर जमीलाकोभी सगाइमे आनेका न्योता दीया तब खेतोमे कोइ ओर मजदुर नही थे.. तो वो उन मजदुरके घर चला गया जीनकी टांग सरपंचने तोडीथी वो अपने रुममे खटीयापे बेठाथा ओर उनका लडका उनके पास खेल रहा था उनकी बीवी कुछ खानेके लीये बना रहीथी तो देवायतको देखतेही सरमा गइ ओर खडी होके उसे पानी देने लगी तब देवायतने पानी पीया ओर मजदुरका हालचाल पुछा.. फीर कुछ पैसे भी दीये....अब आगे
फीर वो गोडाउनमे अपनी ओफीसमे आके बेठ गया ओर आने वाले वक्तके बारेमे सोचने लगा.. आज पुनमकी बातोसे उसे यकीन हो गया की इस रीस्तेको कीतनाभी रोकनेकी कोसीस करले ये सब होकेही रहेगा.. उसे बाबाकी अेक अेक बात सच होती नजर आ रहीथी.. ओर मानसीक तोरपे वाले वक्तके बारेमे सोचते अपने मनको मजबुत करने लगा, उनके लीये जोभी करना पडे करनेके लीये मनको तैयार करने लगा..
देवायत सोचता रहा की चाहे अपनी बहेनको कीतनीभी रोकनेकी कोसीस करे वो मानने वाली नही थी.. क्युकी देवायत उनकी सब जीदको भलीभांती जानता था.. अब उसे पुनमको अेक बहेनकी नजरसे नही अेक ओरतकी नजरसे देखना पडेगा तबही वो पुनमके प्यारको समज पायेगा.. अब उसे पुनम अच्छी लगने लगी.. उनको इस बातकी चीन्ता होने लगीकी पुनम सादीसे पहेले मुजसे क्या चाहतीहे..? यहा तककी उसने राखीका तोहफा पहेलेही मांग लीया.. वो तोहफे मे क्या मांगेगी इस बातकी चीन्ता होने लगी..
यही सब सोच रहाथा तब उसे पताही नही चलाकी उनके पेन्टमे लंड खडा होने लगा जीनकी वजहसे पेन्टमे तंबु बन गया हे.. तब वो पेन्टमे हाथ डालके लंडको अेडजेस्ट करने लगा तभी जमीला आगइ जो देवायतकी इस हरकतको देखते सरमा गइ ओर सरमाते मंद मंद मुस्कराने लगी.. जब देवायतने उनकी ओर देखातो कातील नजरसे देखते देवायतके सामने अंगडाइ लेते अपने बालोको सही करते खडी होगइ..
जमीला कबीलेमे रहेतीथी वो हरीयासे पहेले सरदारकी लडकीथी जो उनको देवायतने दुसरे कबीलेवालो से बचाया था तबसेही जमीलाको देवायत बहुतही अच्छा लगता था ओर उनको प्यार करने लगीथी तब देवायतभी इनको प्यार करने लगा अबतक दोनो कीतनी बार चुदाइ कर चुकेथे..
जमीला अब देवायतकोही अपना पती मानतीथी ओर उनसे बच्चा चाहतीथी ताकी वो अपने बच्चेके साथ देवायतकी पत्नी बनके रेह सके लेकीन देवायत इनकी बातको हर बार टाल देताथा इसीलीये जमीला मन बनाके इनके खेतोपे काम करने आगइ ताकी वो देवायतसे रोज मील सके ओर देवायत उनको प्रगनेन्ट करदे..
जमीला : ठाकुरसाब.. लगता हे आपको मुजसे ज्यादा मालती अच्छी लगती हे.. जबसे यहा आइहु आपने मुजे अेकबारभी नही बुलाया.. ओर मे यहा सीर्फ आपके लीयेही आइ हु.. क्या अब मे आपको अच्छी नही लगती?
देवायत : अरे जमीला अैसा क्यु सोच रही हे.. चल आजा.. मेने सीर्फ अपने नजदीक वाले लोगोकोही सगाइमे बुलाया हे.. तभीतो तुजे नीमंत्रण दीया हे.. क्युकी मे तुजे अपनी बीवीही मानता हु.. मुजे पता हे तुमने सीर्फ मेरे लीये ही सादी नही कीहे.. तो तेरा खयालतो रखनाही पडेगा.. बस कुछ काममे उलजा हुआ हु.. अब मे तेरा काम करदुगा.. क्युकी मुजे कबीलेमे भी मेरी रानी चाहीये..
जमीला : (देवायतके पास आते घुटनो बल बैठते) तबतो अच्छा हे बाबा मेनेतो सोचा क्या मेरा बाबु मुजे भुल गया..? लगता हे आपका मुड कुछ ठीक नही हे.. चलो मे ठीक कर देती हु..
कहेते वो देवायतकी खुरसीके पास घुटनोके बल बेठ गइ ओर देवायतके पेन्टकी क्लीप खोलके उनके लंडको बहार नीकाल दीया ओर अपने हाथकी मुठीमे भरलीया तब देवायतका लंडभी जटके मारने लगा.. तभी जमीलाने खडी होके अपने सब कपडे नीकलदीये ओर वापस बेठ गइ ओर लंड पकडके अपनी जीभ नीकालके चाटने लगी.. जीससे देवायतने अपनी आंख बंध करली ओर वो मदहोसीमे छाने लगा..
तभी देवायत खडा होगया ओर जमीलाका सर पकडके अपना लंड उनके मुहमे ठुस दीया ओर उसे कमर हीलाके चोदने लगा तो लंड सीधेही जमीलाके हलकमे चला गया था तब जमीलाकी हालत पतली होगइ ओर वो छटपटाते लंडको मुहसे बहार नीकालनेकी नाकाम कोसीस करती रही लेकीन देवायतने उनका सर सख्तीसे पकड रखाथा ओर वो कमरको जटके मारते जमीलाके मुहमे चोदेही जा रहागा तभी जमीलाके आंखमे आंसु आगये तो देवायत उसे गोदमे उठाके वही सोफेपे पटक दीया..
ओर जमीलाके पैरके बीच आके अपने लंडको जमीलाकी चुतपे सेट कीया.. ओर उनपे जुकके अेकही जटकेमे पुरा लंड जमीलाकी चुतमे उतार दीया तब जमीलाकी हल्की चीख नीकल गइ.. उसने अपने दोनो पैर घुटनसे मोडके फैलादीये तब देवायत उनसे चीपकके जोरोसे कमर हीलाते जमीलाको चोदने लगा तब जमीलाकी देवायतके हर धकेके साथ आहे नीकलने लगी, वो कीतने दीनोके बाद देवायतसे चुद रहीथी..
ओर देवायत उसे जबभी चोदता उनकी चीखे नीकलवा देता.. वो देवायतको अेक बारसे ज्यादा बरदास्त नही कर पातीथी.., लेकीन आज देवायत कुछ अलगही मुडमे था उसे बार बार अपनी बहेन पुनमका खयाल आ रहाथा आज उसे जमीलामेभी अपनी बहेन पुनमका चहेरा नजर आ रहाथा.. ओर जमीलाको पुनम मानते बडेही जोसमे चोदे जा रहाथा.. आज जमीलाभी जोसमे चुदते कुछ ज्यादाही चीख रहीथी उसे समयका पताही नही चलाकी वो जमीलाको कबसे चोदेही जा रहा हे..
अबतक जमीला दो बार जड चुकीथी फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहाथा.. क्युकी इनका रीजन अेकही था.. पुनमकी बातोने उसे बहुत गरम कर दीयाथा ओर वो जमीलामे पुनमको इमेजींग करतेही चोद रहाथा ओर उनके आस्चर्यकी सीमा नही रही क्युकी जमीलाको दो बार जडाके अभीभी वो जमीलाको चोदे ही जारहा था.. देवायतके दीमागमे सीर्फ अेकही बात घुम रहीथी की वो अपनी बहेन पुनमको चोद रहा हे.. तब उनका जोस कइ गुना बढ गयाथा ओर वो उछल उछलके बडेही जोसमे जमीलाको चोदेही जा रहाथा..
तभी अचानक देवायतने जमीलाकी चुतमे लंडको जड तक घुसा दीया.. ओर जमीलाकी गरदनमे मुह डालके उनसे चीपक गया तो जमीलाने भी उसे कसके बाहोमे भीच लीया.. तभी जमीलाको अपने बच्चेदानी पे पहेली बार कुछ गरम महेसुस हुआ ओर वो बहुतही उतेजीत होगइ ओर देवायतके साथही जडने लगी.. वो देवायतसे कीतनी बार चुद चुकीथी लेकीन आज उसे देवायतसे चुदनेमे अेक अलग ही अहेसास हुआ ओर वो देवायतके नीतंबपे दोनो हाथ रखके अभीभी देवायतको अपनी चुतसे चीपकानेकी कोसीस करती रही..
तब देवायतभी चुतमें लंड डालते अेसेही जमीलाके सीनेपे ढेर होगया था.. ओर जमीलाने लंडको अभीभी चुतके अंदरही दबाके देवायतकी पीठ सहेला रहीथी.. दोनोही थकके चकनाचुर हो चुकेथे ओर पसीनेसे भीग गयेथे.. आज जमीलाका पुरा सरीर चुद चुद के दर्द कर रहाथा उनके सरीरकी अेक अेक नब्स ढीली हो चुकीथी.. उसने देवायतको कइ बार प्रेगनेन्ट करनेको कहाथा.. लेकीन देवायत उसे हर बार मनाही करता रहेता था..
लेकीन आज उसे पता नहीथा की देवायतका बीज उनके गर्भकी ओर उनके बीजका मीलन करनेके लीये दोड रहथा ओर थोडीही देरमे दोनोके बीजका मीलन होगया.. ओर देवायतका अंस जमीलाके गर्भमे स्थापीत होगया.. इस बातसे देवायत ओर जमीला दोनोही अनजान थे.. काफी देर अेसेही पडे रहे काफी देर बाद देवायत जमीलाके उपरसे उतर गया तब लंड जमीलाकी चुतसे फच.. अवाजके साथ बहार आगया..
तबभी जमीला बेसुध जेसी हालतमे पडी रही.. उनको अभीभी अपने पेटके अंदर कुछ अलगही गरम महेसुस होरहा था.. देवायत बाथरुममे चला गया ओर सब साफ करके मुह हाथ धोके फ्रेस होगया ओर बहार आगया तब जमीला धीरेसे सोफेसे उतर रहीथी ओर खडी होगइ ओर बाथरुमकी ओर जाने लगी तब वो अेकदम थकी हुइ लडखडाते चल रहीथी आज वाकइ देवायतने उनकी हालत खराब करके रखदी थी..
फीर जमीलाभी अच्छेसे रगडके नहाने लगी.. ओर अपनी चुतपे खुब पानी डाला तब जाके उसे कुछ राहत महेसुस हुइ फीर बहार आके अपने कपडे पहेनने लगी तबतक देवायतभी कंपलीट हो चुकाथा.. जब जमीलाने कपडे पहेन लीये तब देवायत उनके पीछे चला गया ओर उनको पीछेसे अपनी बाहोमे भरलया तब जमीला प्यारसे अेक बार फीर मदहोस होगइ ओर देवायतके गालसे अपना गाल रगटते खडी रही फीर पलटके देवायतकी बाहोमे समा गइ ओर दोनोके होंठ मील गये तब देवायतने उसे रुम तक छोडनेकी बात कहीतो सरमाके मना कर दीया..
फीर जमीला धीरे धीरे चलते गेइट खोलके चलने लगी तब उनकी चुतमे बहुतही जलन हो रहीथी ओर वो अपने रुमकी ओर चली गइ.. तभी देवायतने घडीकी ओर देखातो चोंक गया.. तब उसे अहेसास हुआकी वो जमीलाके साथ दो घंटे तक रहा.. तो वोभी फटाफट हवेलीकी ओर नीकल गया तो सबलोग होलमे बेठते कलकी सगाइकी चर्चा कर रहेथे.. तो देवायतभी सबके साथ जाके बेठ गया..
मंजुला : देवु.. कल सुबह जल्दी उठजाना.. वो भानुभाइ मांजी सब सुबह ही जल्दी आजायेगे..
चंदा : (हसते) चलो सुबह जल्दी उठनाहे तो फीर सब जल्दी सो जाओ.. कल तैयारीया भी करनी हे..
कहेतेही सब उठने लगे.. तब लखन ओर धिरेन उपर सोनेके लीये जाने लगे तब धिरेनने सबसे छुपके पुनमको कुछ इसारा कीया तो पुनम सरमा गइ ओर गरदनको नां मे हीलाते अपने रुममे चली गइ तो चंदाभी अपने रुममे जाने लगी तब देवायत ओर मंजुभी अपने रुममे आगये ओर दोनोने चेन्ज करलीया तो मंजु देवायतकी बाहोमे आके समा गइ ओर दोनो खडे रहे..
देवायत : (हसते) क्या बात हे बेबी.. आज सबको जल्दी सुला दीया..? इरादातो नेक हेनां..? हें..हें..हें..
मंजुला : (सरमाके हसते) क्या आपभी.., आपकोभी पता हे मे इस हालतमे कुछ नही कर सकती.. बस येतो युही.. आपकी बाहोमे बडा सुकुन मीलता हे.. चलीये सोना नही हे क्या..?
देवायत : (मंजुको गोदमे उठाते बेडपे लीटाते) अरे मेरी अच्छी बीबी.. आजा..
फीर दोनोही अेक दुसरेकी ओगोसमे चीपकके सोने लगते हे.. तभी उपर लखनके फोनपे लताका फोन आता हे तो वो फोन लेके बहार टेरेसपे चला जाता हे तभी धिरेनभी पुनमको फोन करता हे.. तब दोनोही कपल प्यार भरी बाते करते रहेते हे.. सब अेक दुसरेको मीलना चाहतेथे लेकीन अेक दुसरेकी हाजरीसे सबकी हीमत नही होपा रहीथी ओर वेसेभी पुनम सादीसे पहेले धिरेनको अकेलेमे कमही मीलना चाहती थी.. उधर..
लखन : (हसते) लता आखीर कल हम मीलही जायेगे.. अभी क्या कर रही हो..?
लता : (फोनपे सरमाते) क्या करुगी.. भावेशको सुलाके सोनेही वालीथी.. सोचा अेक बार आपसे बात करलु
लखन : (लंड दबाते) बस अेक बार सादी होजाये.., फीर सारा दीन तुजे बाहोमे भरके पडा रहु ओर तुजे..
लता : (सरमसे हसते) बस.. इनके आगे कुछ मत बोलीयेगा.. हें..हें..हें.., हालत तो मेरीभी कुछ आपके जेसी ही हे.. पता नही कब हमारा मीलन होगा.. लखन क्या हम सादीसे पहेले नही मील सकते..? कुछ जुगाड करोना बाबा.. अब नही रहा जाता.. मुजसे.., मे जल्द आपके पास आना चाहती हु..
लखन : (हसते) अरे कहातोथा.. भावनाभाभीको डीलेवरीके लीये जानेदे.. तब मीलेगे..
लता : (सरमाते चुत सहेलाते ) सुनो.. तब वो.. वो.. पेइनकीलर ओर आइपील लेते आना.., सुना हे बहुत दर्द होता हे..
लखन : (लंड हीलाते) अरे फीकर मत कर बहोत मामुली दर्द होता हे.. वोभी सीर्फ अेक बार.. फीरतो मजेही मजे हे.. , बताना क्या कर रही हे.. वो उंगली डाली हुइ हे..? तो जोरोसे हीलानां..
लता : (सरमसे पानीपानी होते) धत्.. हां.. पता नही क्या जादु कर देते हो.. आजाओना.. सीइइ गइ..इइइ
लखन : (जोरोसे लंड हीलाते) अरे..कल.. मीलतेतेते.. हेहेहे.. आइइइइइ..ओह..ओह..सीइइइइ बेबीइइइ..
लता : (सरमाते) क्या..नीकल गया..? मेराभी.., चलो अब सोजाओ.. कलतो मीलही रहे हे..हो सकेतो कल कुछ जुगाड करना.. चलो बाय..मुं..हां.. लव यु जानु..
लखन : बुच..बुच..मु..हा.., हां कुछ करता हु.. लव यु टु बेबी..
दोनो अेसी बाते करते सोने लगे तो इधर पुनम ओर धिरेनने सीर्फ कीस तकही कीया.. क्युकी पुनमने कुछ ओरही सोच लीयाथा.. उनको धिरेनसे ज्यादा अपने भाइ देवायतमे ज्यादा इन्ट्रेस था वो धिरेनसे इसलीये सादी कर रहीथी ताकी समाजके आगे धिरेनको ढाल बनाके रख सके बाकी सब तराह वो देवायतको हमेसाके लीये पुरी समर्पीत होना चाहती थी.. वो धिरेनसे बात करतेभी देवायतको इमेजींग करके बात करती थी..
पुनम अब देवायतकी ओर काफी ढल चुकीथी क्युकी, वो देवायतसे जल्द से जल्द मीलन करना चाहती थी अब उनको देवायतके बगैर रहेना मुस्कील लग रहाथा वो जबभी देवायतको देखती तब इनकी चुत फडफडाते पानी छोडने लगती थी अब उसे कीसीभी हालमे अपनी चुतमे अपने भाइका लंड चाहीये था.. वो दीन भर दीन कामातुर होती जा रहीथी, इनका रीजन सीर्फ वोही जानतीथी ओर अेक जानतेथे बाबा..
जो पुनम स्कुलमे थी तब सबसे छुपके बाबाको हप्तेमे अेक बार लखनके साथ मीलने जातीथी जो बाबाने उसे सारी सचाइ बतादी थी.., बाबाने उसे कीसीको ना कहेनेकी बातभी कीथी आने वाले वक्तमे उसे धिरेनकी विधवा होते हुअे भी देवायतकी सुहागन बनके हर रात देवायतका बीस्तर गरम करनाथा उसे पता चल गयाथा की अब उसे दोहरी जींदगी जीनी पडेगी.. इनके लीये वो तैयारथी..
सबलोग सोगये तब केवल चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी.. आज देवायतको मीलना मुमकीन नही था तो वो करवटे बदलती रही.. ओर अेसेही सुबह होगइ.. सबलोग जल्दी उठ गये तो मंजुनेभी देवायतको सुबह जल्दी उठा दीया.. ओर सब तैयार होगये ओर चाइनास्ता करने बेठ गये.. तभी कार आके रुकीतो सरला भावना लता ओर भानुके साथ उनकी मामी रमा ओर उनकी बेटी नीलमभी आगये लताने भावेसको अपने पास रखा था..
जेसेही अंदर आये देवायतने सबको जबरदसती चाइ नास्तेके लीये बीठा दीया तो सरला भानुने सीर्फ चाइ पीली ओर लता भावनाने नास्ताभी कीया.. लता बार बार लखनकी ओर देखते नजरे चुराते सरमा रही थी.. जब सबने चाइ नास्ता करलीया तो रमेश चारु ओर वंदनाभी आगये.. तब देवायत चारुको देखताही रेह गया ओर उसे चारुके साथ बीताये वो रंगीन पल याद आने लगे तो चारु देवायतकी मनोदसा समज गइ ओर सबसे छुपके अपने होंठ दांतोसे दबाके देवायतको रमेश ओर वंदनाकी ओर नजर करते कुछ इसाराभी करदीया..
तो देवायत सबकुज समजगया ओर मुस्कराने लगा.. तभी पुनम अपने रुममे चली गइ ओर देवायतको इसारोसे बुलाया.. तो देवायत सबकी नजर बचाते इधर उधर बाते करते घुमते पुनमके पास चला गया तो पुनम तीन अंडरगार्मेन्टके सेट लेके बेडपे बेठीथी तब देवायत उसे देखते सोक्ट होगया ओर धीरेसे कहा..
देवायत : (धीरेसे) छुटकी जट बोल क्या काम हे..? बहार सब लोग आगये हे..
पुनम : (सरमाते हसते) भाइ सीर्फ इतना बतादो मे कोनसा सेट पहेनु..
देवायत : (थोडा गुसेसे) पागल होगइ हे क्या..? येभी कोइ पुछनेकी बात हे.. जो मरजी आये पहेनले.. तुजे सब अच्छे लगेगे..
पुनम : (सीरीयस होते) भाइ आपने मुजे कुछ वादा कीया था.. ओर मे आपके चोइसकेही कपडे पहेनुगी.. जल्दी बतादो वरना कोइभी आजायेगा..
देवायत : पुनो.. क्यु जीद कर रही हे.. कोइभी पहेनले.. इनको कोन देखेगा.. सीर्फ तुजेही दीखेगा.. बताके क्या फायदा..
पुनम : (सरमाते) ठीक हे मे सगाइके बाद आपको अकेलेमे मीलना चाहती हु.. मुजे आपसे कुछ बात करनी हे.. फीर आप जानो ओर धिरेन.. आप जाइअे.. ओर इनको में कीसे दीखाउगी..? आपही तोहो जो मे आपको सब दीखाना चाहती थी.. भाइ आप जाओ मेरा मुड ठीक नही हे.. हम फीर बात करेगे..
देवायत : (हार मानते) ठीक हे.. ये वाइट वाला पहेनले.. इनमे तु मस्त सेकसी दीखेगी.. अब खुस..? अब चलु.. की ओर कुछ पुछना हे..?
पुनम : (सरमाते हसते) हां.. अब खुस.. जाइअे..
देवायत : (जाते फीरसे पीछे मुडते) ओर हां.. मुजे तेरा सब सेट देखना हे.. वोभी पहेना हुआ.., हें..हें..हें..
पुनम : (अेकदम खुस होते) हां..भाइ.. जरुर दीखाउगी.. आजाना.. जब हम अकेलेहो.. तब..
कहेते पुनम सरमसे पानीपानी होगइ आज उसने देवायतको अपने साथ प्यार करनेके लीये बजबुर करलीया था जब देवायत बहार चला गया तब पुनमभी बहार आगइ फीर लता ओर वंदनाको अपने रुममे लेगइ ओर दरवाजा बंध करलीया तो वंदना दोनोको तैयार करने लगी.. तभी इधर महेमान आना सुरु होगये तभी रश्मी ओर चंपाभी आगये ओर आतेही सीधे कीचनमे चली गइ ओर दया रजीयाकी हेल्प करने लगी..
तो मंजुला ओर चंदा सब महेमानोके आवभगतमे वही खडी रही.. तभी गांवसे कुछ ओर महेमान ओर अपने खतोसेभी रामुकाका हरीया मालती जमीला सब आगये ओर अेसेही अेक घंटा बीत गया तब नीलम मंजु ओर चंदाको भी तैयार होनेके लीये बुलाने आगइ तो वंदनाने मंजु चंदा भावना रमा ओर नीलमकोभी तैयार करदीया.. ओर बहारभी सगाइकी तैयारीया सुरु होगइ..
आज पुनम ओर लता अैसी तैयार हुइथी जैसे आसमानसे कोइ परीया उतरके आइहो.. सभी लोग पुनम ओर लताको देखतेही रेह गये तब लता लखनसे नजर चुराते सरमा रहीथी तब पुनम धिरेनसे ज्यादा देवायतपे नजर गडाये सरमा रहीथी.. ओर बीच बीचमे धिरेनकोभी देखती रहेती थी.. फीर होलमे चार खुर्शीया रखदी गइ दो दो करके बीचमे थोडी जगाह रखदी फीर रमा ओर चंदा दोनोही वहा आगइ.. मंजु ओर भावनाको वही दो खुरशी रखके बीठा दीया ताकी सगाइकी सब वीधीपे बरोबर ध्यान रख सके
तब पुम ओर लताकी बीठाया तो रमा ओर चंदाने सब वीधीया सुरु करदी फीर लखन ओर धिरेनकोभी बुलाया ओर लखनको लताके पास तो धिरेनको पुनमके पास बसठा दीया तब लता ओर पुनम खुब सरमाइ फीर चारोके हाथमे जल ओर श्रीफल दीया ओर सगाइकी वीधी सुरु होगइ सबने चारोको आशीर्वाद दीया फीर चारोकी अंगुठी पहेनानेकी वीधी हुइ ओर दोनोने केक भी काटा ओर अेक दुसरेको खीलाया..
तभी पुनमने देवायतको इसारोसे बुलाया ओर अेक दुसरेको केक खीलाया फीर बाकी सबने केक खीलाइ अेसेही सगाइकी सब वीधी संपन हुइ इसी बीच वंदनाभी बार बार देवायतको देखती रही.. ओर अेक दो बारतो अपनी आंखभी गीली करली ये बात पुनमनेभी नोटीस करली.. तब दुसरी ओर चंपा चारु ओर रश्मीभी देवायतके उपर बरोबर नजर गडाये बेठीथी.. सब चाहतीथी देवायत अेक बार उनके सामने देखले..
लेकीन देवायत सब जेन्टके साथ बातोमे मसगुल था आज भानु रमेश ओर गांवके दुसरे लोगभी बेठे गांवकी बाते कर रहेथे तब देवायतने मौका देखतेही सरपंचकी बात छेडदी ओर रमेशको सरपंच ओर रश्मीको मुनीमकी जगाहपे रखनेकी बात कहेदी तो सब गांव वालोने खुस होते अपनी सहमती जतादी.. तब रमेश बहुतही खुस होगया.. फीर सबका फोटो सेसन हुआ ओर आखीर सब भोजन करने बेठ गये..
तो मालती जमीला दया रजीया चंपा चारु ओर रश्मीने सबको भोजन परोसा.. ओर सब खाने लगे.. तबतक दोनो नये कपल अेक रुममे घुस गये ओर आपसमे बाते करने लगे तब वहा नीलम ओर वंदनाभी आके बेठ गइ तबतक सब जेन्टने भोजन करलीया फीर सब लेडीस बेठ गइ ओर उसनेभी भोजन करलीया ओर लास्टमे नीलम वंदना ओर दोनो कपल बेठ गये.. सबने भोजन करलीया तो सब गांव वाले जाने लगे..
तब चंपा रश्मीभी जाते समय देवायतको घर आनेका इसारा करती गइ तो चारुनेभी अेक दो बार मोका देखते देवायतको छुलीया ओर अेक बार हाथभी पकडलीया तभी देवायत समज गयाकी चारुकी ठरक काफी बढ गइ हे तो वंदनाभी देवायतके सामने सरमाते मुस्कराते देखती रही ओर सभी लोग चले गये तब सीर्फ भानुके धर वालेथे तो सब होलमे बेठ गये ओर आगे सादीकी तारीखकी बात करने लगे..
सरला : बेटा अब आपने सादीके बारेमे क्या सोचा हे.., मे चाहतीहु ये सादी जल्द हो जाये..
चंदा : मौसी लेकीन मंजु ओर भावुकी डीलेवरीकाभी देखना हे.. इतने छोटे बच्चे होगे.. केसे मेनेज करेगे..?
भावना : मौसी हमेतो सादीमे कोइ खास तामजाम नही करनी.. हमारे रीस्तेदार ही कोन हे..? बस ये मामी लोग ही हे.. बाकीतो दोनोके ससुर अेकही हे ओर अपभीतो होगी..
मंजुला : देवु मे चाहतीहु जीस तराह ये सगाइ हुइ इसी तराह हम सादीभी रखदे..? सब अेकही जगाह रहेगे.. ओर इतनी सारी लेडीस होगी तो हम दोनोके बच्चेभी सम्हल जायेगे.. फीर यहा चंपाभाभी रश्मीभाभी ओर चारुभाभी भीतो आती जाती रहेगी.. क्या कहेते हो..
चंदा : हां ये सही हे.. मेभी हमारे गांवमे सादी रखना नही चाहती.. सब यहा नीपट जायेतो बहेतर हे..
देवायत : (हसते) हां ठीक हे तो सब तैय रहा हम सबकी सादी यही करते हे..
भानु : भाइ वो सबतो ठीक हे लेकीन कोइ डेट तो फीक्स करो.. वेसेभी १५ दीनके बाद राखी हे.. तो उनके बाद ही करदेते हे..
मंजुला : भानुभाइ फीरभी अेक देढ महीनातो लगही जायेगा.. तबतक हम दोनोकाभी नीपट जायेगा.. क्यु भावु.. क्या कहेती हो..?
भावना : दीदी इतना वक्ततो अेसेभी लग जायेगा.. सादीकी खरीदीभी तो करनी हे..
सरला : चलो तो यही ठीक रहेगा.. देवु बेटा तु फुरसतमे अेक महीनेके बादकी तारीख पंडीतजीसे नीकलवाले वो जो तारीख देगे उनमेही कर देगे..
देवायत : (हसते) अरे तारीख क्या नीकलवाना.. हम बाबासेही पुछ लेगे.. वोजो कहेगे फाइनल करदेगे..
भानु : (खुस होते) हां भाइ ये सही हे.. आप बाबाको ही पुछ लेना..
सरला : चलो तो सब तैय होगया.. तो भानु बेटा हम चले..? फीर तुजे तेरी मामीको भी छोडने जाना हे..
भावना : (हसते) नीलम अब तु यही रुकजा जबतक लताकी सादी नही होजाती.. ओर कहेतो तेरीभी सादी करवादे..? हें..हें..हें..
नीलम : (सरमाके हसते) क्या भाभी आपभी.. अभी बहुत देर हे.. नही करनी सादी मुजे.. ओर इतने दीन नही रुक सकती.. हां सादीसे अेक हप्ते पहेले आजाउगी.. देखती हु अब..
सरला : (हसते) अरे रुकजा वेसेभी तेराभीतो वेकेशन लग गया हे..
देवायत : नीलम अब तु अपना बीस्तरा बोरीया बांधले.. तु अब सहेरमे होस्टेलमे रहेके पढेगी..
रमा : (सरमाते हसते) नही.. अब नही करवानी कोलेज.. पढके क्या करेगी..
भानु : अरे पढने दीजीये लडकी पढ लीखके काबील बनेगी तभीतो अपने पैरपे खडी रहेगी.. क्यु नीलम..?
नीलम : (खुस होते) हां भैया मुजे कोलेज करनी हे.. लेकीन इनमे खर्चा भीतो..
देवायत : वो सब तु चीन्ता मत कर सब होजायेगा.. तेरे दोनो भाइ हे.. बस तु पढाइमे ध्यान दे..
नीलम : (खुस होते) थेन्कयु भैया..
कहातो सब हसने लगे तब रमा तीरछी नजरसे भानुकी ओर देखते हसती रही.. तब खुसीसे हसते उनकी आंखमे गीलापन आगया.. सब साम तक अेसेही बाते करते रहे तभी चाइ नास्ताभी करलीया तब भानु सबको लेके जाने लगा.. तो सब गले मीलने लगे ओर लखनको अपने ससुराल आनेका न्योता देने लगे तब लखन खुब सरमाया तो लताभी लखनकी ओर तीरछी नजरसे हसती रही.. ओर सब चले गये.. अब हवेलीपे सब घरके लोग ही बचेथे तो चंदाने मौका देखते केह दीया..
चंदा : मंजु.. सब अच्छेसे नीपट गया तो अब मेभी चलु.. कीतने दीन होगये घरही नही गये..
मंजुला : (नीरास होते) मौसी रुकीयेना.. सब चले जाओगे..तो घरतो खाली होजायेगा.. ओर पता नही मुजेभी कब जाना पडे.. तो आपकोभीतो आना हे..
पुनम : (सरमाते) हां मम्मी रुक जाइअेनां..
चंदा : (हसते) हां अबतो तु रुकनेका बोलेगी ही.., हें..हें..हें.., लेकीन बेटी घरमे सब अेसेही पडा हे.. कीतने दीन होगये.. कुछ सफाइ बफाइ कर लेगे तबतक मंजुका टाइम होजायेगा तब आउगीनां.. तब रुकुगी..
देवायत : (हसते) मौसी रुक जाइअेना.. आपकी बहु इतने प्यारसे केह रही हे.. हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते हसते देवुको मुका मारते) भैया.., आपभीनां..
कहेते अेक बार फीर देवायतके पीठमे मुका मारते अपने रुममे सरमाती हसती हुइ चली गइतो सब हसने लगे तब धिरेनभी हसते उनको जाते देखता रहा.. तभी मंजुने नोटीस करलीया ओर कहा..
मंजुला : (हसते) देख भाइ हम सब पुराने खयालके नही हे.. आजही सगाइ हुइ हे अबतो तुजे लाइसन्स मील गया हे.. हें..हें..हें.., तो जा पुनमको लेके कही बहार घुमके आ.. यहा पीछे ही गार्डन जेसा हे दोनो चले जाओ.. हमे कोइ अेतराज नही क्यु देवु..?
देवायत : (हसते) हां साले साब अबतो आपभी मेरे जीजा हो गयेहे जाइअे.. हें..हें..हें..
धिरेन : (सरमाते) जीजु.. हमारा रीस्ता कुछभी होजाये.. मे रीस्ता नही चेन्ज करुगा.. आपही मेरे जीजा रहोगे..
कहातो अेक बार फीर चंदा जेंप गइ ओर वो अेक नजरसे धिरेनकी ओर देखती रही.. फीर सरमा गइ ओर अपनी नजर नीचे करली.. तब मंजु पुनमको आवाज देके बुलाती हे ओर धिरेनके साथ उसे बहार घुमने भेज देती हे.. तो दोनोही सरमसे पानीपानी होगये तब मंजुने दोनोको जबरदस्ती बहार भेज दीया ओर दोनोही सरमाके हसते बहार चले गये.. फीर बहार जाके दोनोही गार्डनकी ओर बाते करते चलने लगे..
धिरेन : पुनो.. आखीर तुम मुजे मीलही गइ.. देखना मे तेरा साथ जींदगीभर नीभाउगा..
पुनम : (सरमाते हसते) मे भी.. वेसे आपकी जोब कब लग रही हे..?
धिरेन : बस अेपलीकेशन दीयातो हे.. देखतेहे कोल लेटर कब आता हे.. वरना कुछ बीजनेस करुगा..
पुनम : धिरेन ये नोकरी मीजायेती वोही करना.. मेने सुना हे बेंककी नोकरी बहुतही अच्छी होती हे..
धिरेन : हां लेकीन मुजे सहेरसे अप डाउन भीतो करना पडेगा.. अगर हम दोनो सहेरमे रहेने गयेतो मम्मी इधर अकेली होजायेगी.. पता नही उनका टाइम केसे नीकलता हे..
पुनम : धिरेन.. अेक बात कहु.. बुरा मत माना.. ये मेरे अपने विचार हे.. सीर्फ आपको बता रही हु..
धिरेन : (हसते) पुनो अब तु मेरी होने वाली बीवी हे.. तेरा क्या बुरा मानना.. बता क्या बात हे..
पुनम : धिरेन मेरे खयालसे मम्मीको तबही सादी करलेनी चाहीये थी.. तुजे नही पता अकेली ओरतकी जींदगी कैसी होती हे.., मुजेतो पता नहीथा की मेरी सगाइ तुमसे होने वाली हे वरना मे तुजे रोज फोन करती.. तो मम्मी अकेली केसे रेह पाती हे.., ओर वेसे देखा जायेती अभीभी बहुत छोटी लग रही हे..
धिरेन : (दोनोही गार्डनमे जाते) पुनो अब तु मेरी अर्धांगीनी होने जा रही हे.. पता नही तुमसे बात करनी चाहीयेकी नही.. लेकीन दीदीने मुजे कसम दीहे तो मे नही बता सकता..
पुनम : (सीरीयस होते दोनो अेक बेचपे बेठते) धिरेन क्या मुजे पराया समजते हो.. तो मत बता.. क्या बात हे जो तुम इतना हीचकीचाते हो.. मे फोर्स नही करुगी तुम्हारी मरजी हे..
धिरेन : नही पुनो तुजे पराइ नही मानता.. अबतो तु मेरी अपनी हे.. तुजे नही बताउगा तो कीससे बताउगा.. लेकीन मुजे प्रोमीस कर की ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी.. कीसीको नही बतानी.. मम्मीकोभी नही ओर दीदीकोभी नही की मेने तुजे बताया हे..
पुनम : धिरेन आइ प्रोमीस मे वादा करतीहु कीसीको नही बताउगी.. बोलो क्या बात हे..
धिरेन : पुनो.. दीदी यानी तुम्हारी भाभी अब अेक दो सालकी ही महेमान हे.. उसने जीजुके वारीसके लीये अपना बलीदान देदीया.. दोनो अेक दुसरेको इतना चाहतेहे की दीदीने अपनी जानकीभी परवाह नहीकी..
पुनम : (चोंकते आंखमे आंसुके साथ) क्या केह रहे हो आप..? ये नही होसकता.. भाभी कीतनी प्यारी हे..
फीर धिरेन पुनमको सब कुछ बता देता हे जो उसे मंजुलाने बताया था यहा तक उनकी मम्मीकी सादीके बारेमेभी बात बतादी जीसे सुनके पुनमको जोरोका जटका लगा.. क्युकी वो देवायतको बहोत चाहती थी.. ओर उनकी सास उनकी भाभी ओर सौतन बनने वालीथी तो पुनमको ज्वेलेसी फील होने लगी.. फीर उसने काफी कुछ सोचा ओर अेक नीर्णय लीयाकी वो अब अपने ससुराल वाले घरमेही रहेगी.. ओर धिरेन जोबपे चला जायेगा तब वो घरपे अकेली होगी.. ओर देवायतको बडी आसानीसे मील सकेगी यही सब सोचके उसनेभी चंदा ओर देवायतकी सादीकी सहमती देदी....
कन्टीन्यु