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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २२०

तो वहा लता भी अपने आपको सही करते नीचे जानेकी तैयारीया कर रही थी.. जैसे ही सृती आइ वो उनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी.. फीर दोनो हाथ पकडकर धीरेसे दबे पांव नीचेकी ओर जाने लगी.. तबतक लखन रमाके रुममे चला गया था.. जबसे रमा लखनके साथ प्यार करके आइ थी तबसे उनको कही चेइन ही नही मीलता था.. आज रमा दुल्हनकी तराह सजधजके लखनका ही इन्तजार कर रही थी.... अब आगे

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जैसे ही लखन आया रमा बेडसे उतरके नीचे खडी होगइ.. ओर अपना शींगार दीखाते सरमाने लगी.. जैसे ही लखनने अपनी दोनो बाहे फैलाइ रमा जटसे दोडकर लखनकी बाहोमे समा गइ.. तो लखनने भी रमाको कसके अपनी बाहोमे भीच लीया.. रमा लखनके सीनेमे सर छुपाकर खडी रही.. तब लखनने उनकी टुंडी पकडकर चहेरा उपरकी ओर कीया.. ओर अपना चहेरा रमाके चहेरेकी ओर लेजाते उनके होठो पे होंठ रखदीया..

दोनोके होठ मील गये.. ओर अ‍ेक दुसरेके होठोका रसपान करने लगे.. तभी अचानक लखनका चहेरा थामकर रमा उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. तो लखन भी रमाके बुब्सको थामते उनके गलेमे मुह डालते रमाको उतेजीत करने लगा.. रमा अ‍ेक दम पागल जैसी होने लगी.. वो खाना खा रहे थे तबसे ही बहुत उतेजीत थी.. वो जल्दसे जल्द लखनके साथ मीलन करते उनमे समा जाना चाहती थी..

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अ‍ेक तो वो कइ दिनोसे भानुसे चुदी नही थी.. ओर उपरसे लखनके लंडको देखनेकी कबसे उनकी उत्सुकता बढी हुइ थी.. तो वो जल्दसे जल्द लखनके साथ चुदाइ करना चाहती थी.. ओर उपरसे लखनने आज उनको होस्टेलपे लेजाकर पुरी तराह छेड दिया था.. तो लखनके होठोको चुमते ही उसने हाथ नीचे लेजाकर जटसे लखनका लंड पेन्टके उपरसे ही पकडलीया.. तो उसे बहुत बडा लगा..
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रमा लखनके लंडको कपडेके उपरसे ही मसलने लगी.. साथमे दोनो अ‍ेक दुसरेके मुहमे मुह डालकर जीभसे पेच लडाते चुमते रहे.. ओर अ‍ेक दुसरेके रसको पीते रहे.. आज डाइनींग पे रमाको छेडा तबसे वो लखनसे चुदवानेके लीये बेताब हो रही थी.. आज वो सारी सरम त्यागकर कीसी भी हद जानेको तैयार थी.. रमाको जल्दसे जल्द अपनी चुतमे अ‍ेक लंड चाहीये था.. तभी रमा जटसे नीचे बैठ गइ..
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ओर लखनकी ओर वासना भरी कातील नजरोसे देखते लखनकी पेन्ट खोलने लगी.. तो लखन रमाकी ओर देखते मुस्कुराता रहा.. रमा बहुत उतेजीत हो गइ थी.. ओर उसने जटसे लखनके पेन्टको खोलकर थोडासा नीचे कर लीया.. ओर वो लखनके नीकरको खीचने लगी.. जैसे ही नीकर नीचे होगया लखनका फन फनाता लंड कीसी नागकी तराह जटकेसे बहार नीकलते हवामे उपरकी ओर लहेराने लगा.. तो रमा उसे देखते ही चोंक गइ.. ओर थोडा डरकर लखनकी ओर देखने लगी.. तभी..
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लखन : (धीरेसे मुस्कुराते) भाभी.. क्या हुआ..? अब तो देख लीयानां..? हेना सानदार..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे सामने देखते) ओ बापरे.. इतना बडा..? लखनजी.. ये तो बहुत बडा ओर मोटा हे.. इतना बडा मैने कभी नही देखा.. मतलब.. आपके भाइका भी नही..

लखन : (मुस्कुराते) हां भाभी.. तो फीर आज ध्यानसे देखलो.. यही लंडसे आपकी ननंद मजे लेती हे.. ओर आज आप भी लोगी.. हें..हें..हें.. इसे छुकर भी देख लीजीये.. अब तो यही हथीयार आपके नसीबमे हे.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाकर अपनी मुठीमे थामते) लखनजी प्लीज.. आज हम उपर उपरसे प्यार करे..? हंम..? आपका तो बहुत बडा हे.. मेरी तो फाडके रख देगा.. मुजे अपनी हालत खराब नही करवानी.. कल सुबह कीसीको पता चल गया तो..?

लखन : (कंधेसे पकडकर खडा करते) अरे डरीये मत.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. ओर इनसे कुछ नही होगा.. मे बहुत प्यारसे करुगा.. क्या आपकी ननंदको कुछ हुआ..? इसे तो रजीया भी अपनी चुतमे ले चुकी हे.. क्या इनकी फट गइ..? नहीनां..? तो फीर आप क्यु डर रही हे..? मैने तो सुना हे ओरते ओर लडकीया बडे लंडकी दिवानी होती हे..

रमा : (सरमाते नजरे चुराते) हां ये सही हे.. लेकीन इतना बडा..? लखनजी.. इनके सामने तो आपके भाइकी नुनी लगती हे.. अगर हमने करलीया तो मेरी तो चौडी होजायेगी.. अगर आपके भाइको मुजपे सक हुआ तो..? मेरा तो घर ही बरबाद होजायेगा..

लखन : (जोरोसे बाहोमे भीचते धीरेसे) भाभी.. आपको भानुभाइ से डरनेकी जरुरत नही हे.. इनको पता भी नही चलेगा.. फीर भी मेरे पास इलाज हे.. वो आपको कुछ नही कहेगे.. अगर आपको कुछ कहे तो मुजे बता दीजीयेगा.. अब चलीये मुजसे रहा नही जाता.. हमे कीतने दिनोके बाद मीलन करनेका मौका मीला हे.. आज तो पुरी रात आपके पास हु..

कहेते लखनने अपनी पेन्ट वही नीकालकर रमाको अपनी गोदमे उठालीया.. तो रमा बहुत ही सरमाइ.. ओर लखनके गलेमे बाहे डालकर सीनेमे सर छुपालीया.. तो लखन उसे बेडकी ओर लेगया.. ओर रमाको धीरेसे बेडपे लीटा दीया.. तो रमा सरमाकर थोडासा खीसक गइ.. ओर लखनके लीये जगा देदी तो लखन भी उनकी बगलमे लेट गया.. तो रमा नइ नवेली दुल्हनकी तराह सरमाने लगी..

तभी लखनने लेटतेही रमाको जोरोसे अपनी बाहोमे भरलीया.. ओर रमाके होठोको चुमने लगा.. तो रमा भी लखनकी कमरमे हाथ डालकर उनका चुमनेमे साथ देने लगी.. वो बहुत मदहोस हो चुकी थी.. रमा आधी आंख चडाते लखनके होठोका रस पी रही थी.. रमाकी सारी भी नीकलकर उनकी कमरपे अटकी हुइ थी.. उतेजनाकी वजहसे रमाके दोनो बुब्स कठोर हो चुके थे..

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जीनकी वजहसे रमाका ब्लाउस बहुत ही तंग हो गये थे..तभी लखनने अ‍ेक हाथसे रमाके बुब्सको थामलीया ओर धीरेसे मसलते रमाके मुहमे अपनी जीभ घुसाने लगा.. तो रमानेभी थोडासा मुह खोल दीया.. ओर लखनकी जीभसे जीभ मीलाकर पेच लडाने लगी.. लखन रमाको चुमते ब्लाउसके बटनको खोलने लगा.. अब वो भी काफी उतेजीत हो चुका था.. ओर उनका लंड नइ चुतमे घुसनेके लीये जटके मार रहा था..
 

dilavar

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तो बहारकी ओर सृती ओर लता दोनो ही धीरेसे मेइन डोर खोलकर बंगलेसे बहारकी ओर चली गइ.. जहा बहार रमाके रुमकी खीडकीया आंगनमे लगी हुइ थी.. बहार बहुत अंधेरा था.. तो दोनो खीडकीके पास जाकर देखने लगी.. जो लताने पहेलेसे ही थोडी खोलकर रखी थी.. तो दोनो खीडकीसे थोडासा पदडा हटाकर जांकने लगी.. ओर कान लगाकर अंदरकी बाते सुननेकी कोसीस करने लगी.. तो अंदरसे बहुत धीमी आवाज आ रही थी..

तबतक अंदर रमा ओर लखन कामातुर हो चुके थे.. ओर अ‍ेक दुसरेमे समा जानेके लीये बेकरार थे.. लखनने रमाके ब्लाउसको खोल दिया था.. तो रमाकी ब्रा अबभी बाधा बनी हुइ थी.. ओर लखनने ब्राको अ‍ेक ही जटकेमे पटीया तोडके नीकाल दीया.. तो रमाके दोनो भरावदार बुब्स उछलकर बहार आगये.. तो लखन रमाके होठोको छोडकर बुब्सको मुहमे लेकर नीपलको दांतोसे खीचने लगा.. तो रमा दर्दके मारे सीसकारीया करने लगी..

रमा : (थोडा दर्दसे) लखनजी.. प्लीज.. अ‍ैसे खीचये मत.. दर्द होता हे.. धीरेसे चुसीयेनां.. मे कहा भागी जा रही हु..

लखन : (चुसते) भाभी.. क्या मस्त दुधु हे आपके.. मुजसे रहा नही जाता..

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रमा : (सरमाकर मुस्कुराते) दुधु तो मेरी ननंदका भी मस्त हे.. लगता हे आपने उनपे बहुत महेनत की हे..
लखन : हां.. लेकीन आपके दुधुकी तो बात ही ओर हे.. अब तो मुजसे रा भी नही जाता..

कहेते लखनने रमाके ब्लाउसको नीकाल दीया.. ओर ब्राको भी नीकालकर साइडमे फेक दीया.. अब रमा उपरसे पुरी नंगी थी.. तभी लखन रमाके दोनो बुब्स बारी बारी चुसने लगा.. तो रमा लखनके सरको पकडकर अपने बुब्समे दबाने लगी.. तो लखनने उसे अपने मुह मे लेलीया.. ओर चुसने लगा.. तो रमा भी आधी आंख चडाते मदहोसीमे सीसकारीया करते लखनके बालोको सहेलाने लगी..

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लखन कभी रमाके मुमे चुसने लगता.. तो कभी रमाके होठोको चुमने लगता.. वो रमाके गलेमे मुह डालकर गलेको चुमने लगा.. तो रमा बहुत उतेजीत होते पागल जैसी होगइ.. ओर उनकी चुतसे लगातार पानी बहेने लगा.. आज रमाको लखनने पुरी तराह पागल करदीया था.. ओर ये तो अभी सुरुआत थी.. तभी लखन रमाके उपरसे उतर गया.. ओर रमाकी साडीको खीचकर नीकालने लगा तो रमा बहुत सर्मसार होने लगी..

तब लखनने रमाके पेटीकोटका नाडा भी खीचलीया ओर पेटीकोट नीकालने लगा.. तो रमाने अपनी कमर थोडी उची करते लखनको पेटीकोट नीकालनेमे मदद की.. अब रमा सीर्फ पेन्टीमे रेह गइ.. तभी लखनने उनकी पेन्टीमे उंगलीया फसाकर खीचली.. तो रमा लखनसे नजरे चुराते सर्मसार होते मुस्कुराने लगी.. ओर पेन्टीके नीकलते ही उसने जटसे अपने दोनो हाथ अपनी चुतपे रख दीया.. ओर बहुत ही सरमाकर मुस्कुराने लगी..

लखन : (रमाके हाथ हटाते मुस्कुराते) भाभी.. अब मुजे आपकी जनतके दर्शन करादो.. इसके लीये मे बहुत तडपा हु..

रमा : (र्सासार होते मुस्कुराते नसीली आंखोसे) अपनी मनमानी करके देख तो रहे हो.. लखनजी.. प्लीज.. अब अपनी भाभीको ओर मत तडपाओ.. आजाओ मेरे उपर.. आपकी भाभी बहुत प्यासी हे.. आज मुजेमे समा जाइअ‍े.. ओर मुजे भी आपके अंदर समा लीजीये.. अब मुजसे रहा नही जाता..

लखन : (दोनो पैर पसारते रमाके उपर लेटते) भाभी.. अभी तो हमारी सुरुआत हे.. देखना आज मे आपको जनतकी सेर कराउगा.. आज आप हमेसा हमेसाके लीये मेरी होजायेगी.. यही समजलो आज हम दोनोकी सुहागरात हे..

रमा : (सरमाकर लखनको बाहोमे भीचते) हां लखनजी.. ये भाभी तो मनसे आपकी कबकी होचुकी हे.. ओर आज तनसे भी होजायेगी.. जबसे आपका प्यार कबुल कीया.. तबसे मेने आपके भाइको इस तनको हाथ भी नही लगाने दीया.. अब ये तन सीर्फ अपका हे.. अब आपके अलावा इस तनको कोइ छुअ‍ेगा भी नही.. आपका ये देखकर लगता हे.. आज सचमे मेरी सुहागरात हे.. ये तो मेरी फाडके रखदेगा.. देखना सुबह आप सबकुछ सम्हाल लेना..

लखन : (बुब्सको चुमते) भाभी.. आपको कुछ नही होगा.. मे हुनां.. मे पेइन कीलरकी ओर आइ पीलकी टेबलेट लेकर आया हु.. वैसे भी हमारे धरमे दुसरी ओरतके साथ सेक्स करनेकी छुट हे.. तभी तो मेरी ओर भाइकी इतनी बीवीया हे.. आपको लतासे भी डरनेकी जरुरत नही हे.. वो आपको कुछ नही कहेगी.. फीरभी सुबह सबको केह देना मेरी तबीयत ठीक नही हे..

रमा : (सरमाकर सरको सहेलाते) लखनजी.. इनकी कोइ जरुरत नही हे.. गोलीया तो मे भी लेकर आइ हु.. मुजे पता था आप मुजे छोडने वाले नही हो.. ओर मे भी तो आपसे मीलन करनेके लीये तरस रही थी.. आइअ‍े अब वक्त जाहीर मत कीजीये.. समा लीजीये मुजे आपके अंदर..

कहा तो लखन उनके बुब्सको चुमते हुअ‍े धीरे धीरे नीचेकी ओर सरकने लगा.. जैसेही रमाकी नाभीमे जीभ घुसाइ.. रमाके तनमे बीजलीसा करंट दोड गया.. वो कांपते सीसकारीया करने लगी.. ओर लखनके बालोको पकडलीया.. तभी लखन सरकते ओर नीचे चला गया.. तो रमाने अपने दोनो पैर फैला दीये.. ओर लखन रमाके पैरोके बीच आगया.. फीर चुतपे नजर डालकर सर उठाके अ‍ेक बार रमाकी ओर देखने लगा..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. आपकी चुत तो बहुत मस्त हे.. देखो अ‍ेकदम रेडी हे.. पुरी गीली होगइ हे..

रमा : (सर्मसार होते नजरे चुराते) लखनजी.. ये सब आपके जादुका कमाल हे.. आपने मुजे सामको छेडके रखा हे.. खानेपे भी नही छोडा.. वहा भी मुजे बीना कुछ कीये ही जडा दीया.. आप सचमे जादुगर हो.. आपकी भाभी तो आपकी दिवानी होगइ.. देखना अब मुजे छोडीयेगा नही..

लखन : (सामने देखते) नही भाभी.. नही छोडुगा.. क्या भानुभाइ आपके साथ अ‍ैसा नही करते..?

रमा : (सर्मसार होते) नही.. इनको तो इन सब चीजोमे कोइ इन्ट्रेस नही.. बस.. अंदर डाला ओर सीधा ही चोदने लगते हे.. ओर कुछ ही देरमे ढेर होकर सो जाते हे.. ये भी नही देखते बीवीका क्या हुआ.. सादीके बाद वो अ‍ैसेही करते हे.. पहेले वो अ‍ैसे नही थे.. हम बहुत लंबे वक्त तक प्यार करते थे.. पता नही इनको सादीके बाद क्या होगया हे..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी कोइ बात नही.. अब मे हुनां.. आपको पुरा मजा दुगां.. चलीये आज जनतकी सेर करनेके लीये रेडी होजाइअ‍े.. आज मे आपको पुरी रात प्यार करुगा..

कहेते लखन रमाकी चुतमे मुह लगा देता हे.. ओर चुतको चाटने लगता हे.. थो रमाके बदनमे सुर सुराहट होने लगती हे.. वो हल्कासा कांपने लगी.. लखन इनकी चुत चाटते जीभको चुतमे घुसा देता हे.. ओर चुतके दानेको टटोलने लगता हे.. रमा बहुत कामुक हो गइ.. तो अपनी कमर उछालते पागल जैसी होने लगी.. ओर कुछ ही देरमे उनकी चुतने जवाब देदीया.. ओर लखनके मुहपे फवारा छोड दीया..

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तब वो सांत होते जोरोसे सांस ले रही थी.. तभी लखन बाथरुममे चला गया ओर अपना मुह साफ करके वापस आया तब रमा लखनसे नजरे चुराते मुस्कुरा रही थी.. तभी लखनने उसे बेडसे खडा करदीया.. ओर खुद बेडके कीनारे बैठ गया.. फीर उसने रमाको अपने पेरोके बीच बैठनेको कहा तो रमा सरमाती लखनके पैरोके बीच घुटनोके बीच बैठ गइ.. ओर लखनकी ओर सरमाके देखने लगी..

रमा : (सरमाते धीरेसे) लखनजी.. कहीयेनां क्या करना हे.. मुजे इस बारेमे कुछ मालुम नही हे.. क्युकी मैने कभी नही कीया.. आप बताते जाओ..

लखन : भाभीजी.. बस.. कुछ नही इसे अपने मुहमे लेकर लोलीपोपकी तराह चुसना हे.. इसे ब्लु जोब कहेते हे.. अपकी ननंदको ये बहुत पसंद हे.. उनको मेरा पानी पीना बहुत अच्छा लगता हे..

रमा : (सर्मसार होते मुस्कुराते) छी.. क्या इसे मुहमे लेना हे..? इसका पानी पीया भी जाता हे..? लेकीन ये गंदा नही हे..?

लखन : (मुस्कुराते) नही भाभी.. फीकर मत कीजीये.. मे इसे अंदर धोकर ही आया हु.. चलीये सुरु होजाइअ‍े.. आज मे आपको अपना अमृतका रस पीलाता हु..

रमा : (लंडको मुठीमे थामते) क्या..? अपके रसको पीना भी हे..? ये तो बहुत चीपचीपासा होता हे.. मुजे कुछ होगातो नही..? देखना बाबा मैने अ‍ैसा कभी नही कीया.. आप सीखा देना.. मेरा ये सब पहेली बार हे..

लखन : (मुस्कुराते गाल सहेलाते) भाभी.. लडकीया ओर ओरतको मर्दका पानी पीना बहुत अच्छी लगता हे.. आपकी ननंद तो पुरा पीजाती हे.. ओर इस चाटकर साफ भी करदेती हे..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनजी.. मेरी ननंद भी पागल हे.. ओर आप भी पागल हो.. ना जाने आज तो आप मुजसे क्या क्या करवाओगे..

सृती : (लताकी ओर देखते धीरेसे) लता.. मे ये क्या सुन रही हु.. तुम भी मेरे देवरका अमृत पीती हे..?

लता : (सर्मसार होते पीठमे मुका मारते) भाभी.. आपभीनां.. तो क्या आप बडे भैयाका नही पीती..? बाते बादमे करलेना पहेले अंदर देखोतो सही दोनो क्या कर रहे हे..

तब रमाने दोनो हाथोकी मुठीमे लंडको पकड लीया था.. ओर हल्कासा उपर नीचे करते सहेलाने लगी.. फीर लखनकी ओर मुस्कुराते धीरेसे अपनी जीभको नीकालती हे.. ओर लखनके लंडको टच कराती हे.. ओर उनको थोडा अजीब लगा.. ओर वो लखनकी ओर देखते हसने लगी.. तो लखन भी मुस्कुराते रमाके सरको पीछेसे पकड लेता हे.. ओर रमाके मुहको आगे करते इसारोसे अपने लंडको मुहमे लेनेको कहेता हे..

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तो रमा सरमाकर अपना मुह खोलती हे.. ओर धीरेसे इखनके लंडके टोपेको मुहमे लेकर चाटने लगती हे.. ओर उसे थोडा अच्छा लगा.. ओर धीरेसे पुरे लंडको मुहमे नीगलने लगी.. तो लखन आंख बंध करते रमाके सर ओर गालको सहेलाने लगा.. ओर रमा धीरे धीरे करते लंडको मुहमे अंदर बहार करने लगी.. लखनका पुरा लंड मुहमे नही आ रहाथा.. तो लखन रमाके सरको पकडकर अपनी कमर आगे पीछे करने लगा..
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ओर रमाके मुहको चोदने लगा.. लखनका लंड रमाकी हलकसे टकराने लगा.. तो कुछ ही देरमे रमा खांसने लगी.. ओर उनकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. तो रमाने लंडको मुहसे बहार नीकाल दीया.. तब बहार खीडकीसे सृती ओर लता अंदर जाकते उतेनीत होने लगी.. आज रुममे हल्की रोसनी थी.. फीर भी बहारसे काफी अंधेरा लग रहा था.. तो जैसे ही रमाने मुहसे लंड नीकाला..
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सृतीको अंधेरेमे लखनके लंडकी परछाइआ नजर आइ.. तो वो चोंक गइ.. क्युकी अंधेरेकी वजहसे वो ठीकसे देख नही पाइ.. इसके बावजुद उसे लखनका लंड बहुत बडा लगा.. ओर उनकी चुतमे हलचल तेज होने लगी.. उनका हाथ अनायास ही उनकी चुतपे चला गया.. ओर नाइट ड्रेसके उपरसे ही अपनी चुतको सहेलाने लगी.. ओर यही हाल लताकी भी थी.. ओर वो लताके कानमे धीरेसे कहेने लगी..

सृती : (धीरेसे कानमे) लता.. मेरे देवरका तो बहुत बडा लग रहा हे.. आज तो रमा भाभी गइ कामसे..

लता : (सरारतसे हसते धीरेसे) भाभी.. इसे अच्छी तराह देखलो.. अब तो हमारे नसीबमे यही लंड लीखा हे.. देखना अ‍ेक दिन आप भी भाभीकी तराह इनका स्वाद चखोगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते अ‍ेक मुका मारते) कमीनी क्या बोल रही हे..? कुछ तो सरम कर.. वो देवर हे मेरा.. पहेले इन मां बेटीको तो नीपटने दे.. हम हमारी बादमे सोचेगे..

लता : (उतेजनामे पीछेसे सृतीको बाहोमे भरते धीरेसे कानमे) भाभी.. अब सोचने समजनेका वक्त बीत गया.. अब तो हमे सीर्फ मजे ही करने हे.. ओर अपनी लाइफ खुलकर जीनी हे.. क्या बडे भैयाका भी इतना बडा हे..?

सृती : (सरमाते धीरेसे कानमे) हां.. तु जब उनको मीलेगीनां तब देखलेनां.. बहुत जल्द तेरा भी सपना पुरा होजायेगा..

इधर दोनो धीमी आवाजमे अ‍ेक दुसरेके कानमे बाते कर रही थी.. तब अंदरकी ओर रमा भाभीने फीरसे लखनके लंडको अपने मुहमे लेलीया था.. ओर जोरोसे मुह हीलाते लंडको अंदर बहार कर रही थी.. तब लखन रमा भाभीके दोनो गाल सहेलाते धीरे धीरे अपनी कमर हीला रहा था.. अ‍ैसा काफी देर चला.. तब जाके लखन अकडने लगा.. ओर वो जोरोसे कमर हीलाते रमा भाभीके मुहमे पीचकारीया छोडने लगा..

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तो पीचकारीया सीधा ही रमा भाभीके गलेमे उतर गइ.. तब रमा भाभी ना चाहते हुअ‍े भी लखनका पानी पी गइ.. ओर उसने फौरन लखनके लंडको मुहसे नीकाल दीया.. तब रमा भाभीका पुरा मुह लखनके पानीसे भर गया.. तो वो खांसते हुअ‍े जटसे खडी होगइ.. ओर बाथरुममे भाग गइ.. वहा जटसे लखनके पानीको मुहसे नीकारते उल्टीया करने लगी..

फीर कुछ देरके बाद अपने अपना मुह साफ करके अपने आपको सही करके वापस बहार आगइ.. ओर बहार आते ही थोडे जुठे गुस्सेसे लखनकी पीठमे मुके मारने लगी.. जीसे देखकर लखन हसने लगा.. तो बहारकी ओर लता ओर सृती भी अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते हसने लगी.. तभी रमाने लखनके लंडकी ओर देखा.. तो वो खब भी अ‍ैसे ही तनके खडा था.. जीसे देखकर रमाको भी आस्चर्य हुआ..
 

dilavar

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रमा : (लखनके पास आकर बैठते लंडको थामते) लखनजी.. आपका पानी तो नीकल गया.. ये तो अब भी अ‍ैसे ही सख्त होके खडा हे.. आपने कुछ गोली बोली खाइ हे क्या..?

लखन : (रमाके बुब्स मसलते होठोको चुमते) नही भाभी.. मैने कोइ गोली नही खाइ.. ओर मुजे गोलीओकी जरुरत भी नही हे.. ये सब मुजे दि गइ जडी बुटीका कमाल हे.. अब मे कीतनी बार चोदकर पानी नीकालु.. मे थकता ही नही.. ओर ये भी अब अ‍ैसे ही खडा रहेगा.. भाभी.. ये तो मेरा शेर हे.. देखना आपकी गुभामे जाकर कैसे धहाड मारता हे.. अब आइअ‍े आपको असली मजा देता हु..

रमा : (सर्मकार होते बेठपे आकर लेटते) क्या आप थकते भी नही..? ओ बापरे.. लगता हे आज तो पुरी रात मेरी खैर नही.. लखनजी.. प्लीज.. धीरे धीरे करना.. मुजे बहुत डर लग रहा हे..

लखन : (पासमे लेटते) अरे भाभी मे प्यारसे डालुगा.. आपको कुछ नही होगा.. यही समजलो आज हम दोनोकी सुहागरात हे.. हम दोनो पुरी रात जागेगे.. बस.. आपको पहेली बार करवाते दर्द हुआ था.. अ‍ैसा मामुली दर्द होगा ओर कुछ नही..

रमा : (सरमाते धीरेसे) पहेली बार कहा दर्द हुआ था.. मेरा पती तो साला नामर्द था.. आपके भाइने ही मेरी सील तोडी हे.. तब थोडासा दर्द हुआ था.. जब हम दोनो पहेली बार मीले थे..

लखन : (मुस्कुराते) हां तो बस अ‍ैसा ही दर्द होगा.. आप गभराइअ‍े नही..

कहेते लखन रमा भाभीके उपर चडकर लेट गया.. ओर उनके बुब्सको थामते उनके होठोको चुमने लगा.. तो रमा भाभी लखनकी गरदनमे अ‍ेक हाथ डालकर उनको अपनी बाहोमे भरते लखनको अपने तनसे चीपका लेती हे.. ओर इखनके होठोको चुमते लखनका साथ देने लगती हे.. तब लखनका लंड रमाभाभीकी चुतमे ठोकरे मारते जटके देने लगा.. जो रमाभाभी अपनी चुतमे साफ महेसुस कर सकती थी..

वो फीरसे उतेजीत होते बहुत जोसमे आगइ.. ओर लखनको जोरोसे अपने तनसे चीपकाने लगी.. जैसे लखनके अंदर समा जाना चाहती हो.. रमा भाभीकी चुत लगातार पानी बहा रही थी.. तो उसने धीरेसे अ‍ेक हाथ नीचे लेजाकर लखनके लंडको अपनी मुठीमे पकडलीया.. ओर धीरेसे मसलते अपनी चुतपे घीसते लंडको गीला करने लगी.. जीसे लखन बहुत ही तावमे आ गया.. ओर जोरोसे बुब्सको चुमते काटने लगा..

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रमा : (उतेजनाके नशेमे) उइ..मां.. लखनजी.. प्लीज.. काटीये मत.. प्यारसे चुसीयेनां.. बहुत मजा आ रहा हे.. अब धीरेसे डालना सुरु कीजीये.. मुजसे रहा नही जाता..

लखन : (बुब्स चुसते) अरे भाभी.. अ‍ैसे कैसे अभी थोडा मजा तो लेने दीजीये.. हम आरामसे करते हेनां..

रमा : (र्सासार होते सरको सहेलाते) लखनजी.. प्लीज डालीयेनां.. हमारे पास पुरी रात पडी हे.. फीर आपको जीतना प्यार करना हो करते रहीयेगा.. अभी मुजसे बरदास्त नही हो रहा.. प्लीज.. डालीयेनां.. क्यु अपनी भाभीको तडपा रहे हो..

इधर दोनो अ‍ेक दुसरेमे समाजानेकी जल्दीमे थे.. तो बहारकी ओर सृती ओर लता भी दोनोकी बाते सुनकर बहुत गरम होगइ थी.. तब लताने सृतीको पीछेसे अपनी बाहोमे पकडे रखाथा.. ओर अपना सर सृतीके कंधेपे रखते दोनो अंदरका नजारा देखते.. कामुक बातोको सुन रही थी.. तब लताने धीरेसे सृतीके दोनो बुब्सको अपने हाथोमे थाम लीया ओर धीरेसे मसलते दबाने लगी.. तो सृती भी तावमे आगइ..

सृती : (धीरेसे कामुक आवाजमे) कमीनी क्या कर रही हे..? छोड मुजे.. वरना हम दोनोको अभी अंदर भागना पडेगा.. अभी तो इस कमीनीकी चीखे सुननी हे..

लता : (पीछेसे गालको चुमते कानमे) भाभी.. मे हुनां.. फीकर मत करो.. कहोतो कल लखनको आपके पास भेजदु..? हंम.. फीर देखो.. वो कैसे आपकी भी चीखे नीकलवाते हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमसे पानी पानी होते धीरेसे) लता प्लीज.. अभी मजाक नही.. अंदर देखने देनां.. देख दोनोने पोजीसन लेली हे.. अब कुछ ही देरमे रमाभाभीका काम तमाम.. देख वो कैसे चीलाती हे..

रमाने लखनके लंडको अपनी चुतपे धीसते जैसेही लंड गीला हो गया.. उसने धीरेसे अपनी चुतके लव होलमे थोडासा फसालीया.. ओर लखनके लंडको अपनी चुतका रास्ता दीखा दीया.. तो लखनने रमाके दोनो हाथ पंजोसे पकडकर पोजीसन लेली.. ओर रमाके होठोको चुमते उसने लीपलोक करलीया.. ताकी रमाकी चीख उनके कुहमे ही दब जाये.. रमा अब होने वाले हमलेसे पुरी तराह सतर्क थी..

वो लखनकी आंखोमे आंखे बडी करते देखती रही.. लखनको रमाकी आंखोमे वासना साफ दीखाइ दे रही थी.. उसने लीपलोक करते रमाकी ओर देखा.. तो रमाने हां मे गरदन हीलाइ.. ओर लखनने अपनी कमरको पुस करते अ‍ेक जटका मारा.. लखनका आधा लंड रमाकी चुतको चीरता हुआ अंदर खुस गया.. ओर रमाकी आंख बडी होगइ.. वो लखनसे अपने दोनो हाथ ओर मुह छुडानेके लीये छटपटाने लगी..

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जैसे तैसे करते उसने लखनसे मुह छुडालीया.. ओर जोरोसे चीखते अपने दोनो पैर बेडपे पटकने लगी.. उनकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. रमाकी चुतसे हल्कासा खुन भी नीकल गया.. वो इतना जोरसे चीलाइ.. की बाजुके रुममे उनकी बेटी नीलम सोइ हुइ थी.. जो रमाकी चीख उनको भी सुनाइ दी.. तो वोभी अपने बेडपे बैठ गइ.. ओर आजु बाजु देखने लगी.. की क्या हुआ..? वो अभी कुछ सोच रही थी.. तभी उसे फीरसे रमाकी चीख सुनाइ दी..

क्युकी लखनने देर ना करते अ‍ेक जटका ओर मारा था.. तो लखनका पुरा लंड रमाकी चुतको फाडके अंदर घुस गया.. तो रमा फीरसे चीखकर बेहोस होगइ.. तब लखनने देर ना करते हाथके बल उचा होगया.. ओर रमाको जोरोसे कमर हीलाते चोदने लगा.. लखनको अपने लंडपे बहुत ही गरमाहट महेसुस हो रही थी.. लेकीन उसने उनपे ध्यान नही दिया ओर रमाकी ताबडतोब चुदाइ करने लगा..

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रमा बेहोसीमे भी मुह बीगाडते अ‍ैसे ही आंसु बहाते लेटी रही.. लखनके हर धके के साथ उनके दोनो बुब्स तालमेलमे उछल रहे थे.. रमाकी चीखे सुनकर लता ओर सृती बहुत खुस हुइ.. फीर दोनो लखन रमाकी चुदाइ देखते लगी.. ओर अ‍ैसा कामुक द्नष्य देखते सृती ओर लता भी उतेजीत होकर बहुत ही गरम होगइ.. सृती फौरन लताकी ओर घुम गइ.. ओर लताकी कमरमे हाथ डालते उसने लतासे अपने होठोको सटालीये..
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दोनो ही अ‍ेक दुसरेके होठोका रसपान करने लगी.. तब अंदरकी ओर रमाकी दुसरी चीख सुनकर नीलम भी गभराते बहार नीकल गइ.. ओर अपने मम्मीके कमरेके पास जाकर दरवाजेको हल्केसे धका मारने लगी.. लेकीन रमाके रुमका दरवाजा अंदरसे लोक था.. तो उसे अपनी मम्मीपे कुछ आसंकाये होने लगी.. क्युकी वो कइ बार रमा ओर लखनके बीच चल रही आंख मीचोली देख चुकी थी..
 

dilavar

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जब दरवाजा नही खुला तो नीलम जुकते की होलसे देखने लगी.. तब उनको सीधाही रमाका बेड दीखाइ दीया.. जहा लखन हाथके बल जोरोसे कमर हीलाते रमाकी चुदाइ कर रहा था.. जीसे देखते अ‍ेक पलतो नीलम भी चोंक गइ.. ओर उनका मुह खुला ही रेह गया.. फीर वो की होलसे फीरसे देखने लगी.. तब रमा अ‍ैसेही लेटी हुइ थी.. ओर लखन रमाकी जबरदस्त चुदाइ कर रहा था..
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जीसे देखते ही नीलम भी गरम होते उतेजीत होने लगी.. ओर उनका हाथ अनायास ही अपनी चुतपे चला गया.. ओर नाइट ड्रेसके उपरसे ही अपनी चुतको सहेलाने लगी.. तो बहारकी ओर लता ओर सृती भी अ‍ेक दुसरेके बुब्सको मसलते अ‍ेक दुसरेके होठोको चुम रही थी.. कुछ ही देरकी चुदाइके बाद लखनका लंड बडे आरामसे रमाकी चुतमे अंदर बहार होने लगा.. तभी अचानक रमाको होंस आने लगा..

वो अपना मुह बीगाडते आंसु बहाने लगी.. तो लखनने फौरन अपनी चुदाइ रोकली.. ओर रमाके उपर लेटते उनके होठोको ओर उनके बुब्सको बारी बारी चुमने लगा.. तब रमाने धीरेसे अपनी आंखे खोली.. ओर वो लखनसे नजरे चुराते दुसरी ओर मुह करते आंसु बहाती रही.. तब लखन रमाके दोनो बुब्स बारी बारी चुम रहा था.. ओर उसने चुमना छोडके रमाकी ओर देखा तो रमा रो रही थी.. तो..

लखन : (मुस्कुराते गाल चुमते) भाभी.. बस.. हो गया.. आप मेरा पुरा लंड अपनी चुतमे ले चुकी हो..

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे रोते) उइइइ.. मां... लखनजी.. प्लीज नीकाल दीजीये मुजे नही चुदवाना.. आपने क्या घुसा दीया..? हाइ दइया... नीचे बहुत जलन हो रही हे.. प्लीज.. नीकाल दीजीये..

लखन : (थोडा गुस्सेसे धीरेसे) अरे..? पागल होगइ हो क्या..? हम दोनो कीतने दिनोसे मीलनेके लीये तो तडप रहे थे.. अब आपको कोइ दर्द नही होगा.. जो होना था होगया.. अभी वहा ध्यान मत दीजीये.. अभी दर्द कम होजायेगा आप चुप होजाइअ‍े.. कीतनी जोरसे चीलाइ..

रमा : (थोडी कमर हीलाते छटपटाते) लखनजी.. नीचे बहुत जलन हो रही हे.. इतना दर्द तो मे पहेली बार चुदी तब भी नही हुआ था.. देखीयेना कही मेरी फट तो नही गइ..?

लखन : (होठोको चुमते प्यारसे) अरे भाभी.. क्यु इतना गभरा रही हो..? आजतक कीसीकी चुदवाते फटी हे क्या..? बस.. कुछ मामुली खुन नीकला होगा.. भाभी.. मत भुलो आज हमारी सुहागरात हे.. यही समजलो मेने आज फीरसे आपका कौमार्य भंग कीया हे.. आप उसपे ध्यान मत दो.. बस.. मुजे कीस करती रहो..

कहातो रमा लखनको कीस करनेमे साथ देने लगी.. नीलम दोनोकी बाते नही सुन पा रही थी.. लेकीन लता ओर सृती दोनो लखन रमाकी बाते साफ सुन रही थी.. आज लतासे ज्यादा सृती बहुत खुस हो रही थी.. क्युकी अ‍ेक तो वो भी लखनकी ओर काफी ढल चुकी थी.. ओर उपरसे आज उसने लखनको रमाको चोदते हुअ‍े लाइव देख भी लीया.. ओर ये बाते कल सुबह वो पुनमको सुनाने वाली थी..

तो दुसरी ओर कुछ देरके बाद रमाका दर्द कम होने लगा.. वो लखनका लंड अपनी चुतमे साफ महेसुस कर रही थी.. ओर धीरे धीरे फीरसे उतेजीत होने लगी.. वो लखनकी ओर सरमाते वासना भरी नजरोसे देखने लगी.. ओर उनके गलेमे बाहोका हार पहेनाते लखनको अपने तनसे चीपका लीया.. ओर धीरे धीरे अपनी कमर हीलाने लगी.. तो लखन रमाके बुब्सको चुमते रुक गया.. ओर रमाके सामने देखने लगा तब..

रमा : (सरमसे पानीपानी होते धीरेसे) लखनजी.. अब दर्द कम होगया हे.. आप धीरे धीरे सुरु कीजीये..

कहा तो लखन रमाके होठो ओर उनके बुब्सको चुमते हुअ‍े धीरे धीरे कमर हीलाते रमाको चोदने लगा तो रमा भी सीसकारीया करते फीरसे उतेजीत होने लगी.. अब लखनका लंड बडेही आरामसे रमाकी चुतमे अंदर बहार हो रहा था.. तो आज रमाको अ‍ेक अलग ही अहेसास होने लगा.. वो लखनकी पीठ सहेलाते लखनके होठोको चुम रही थी.. फीर दोनो ही अ‍ेक दुसरेके मुह खोलते आपसमे जीभके पेच लडाने लगे..

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धीरे धीरे करते लखनने अपनी चोदनेकी स्पीड बढाइ.. रमा बहुत ही उतेजीत होते कामुक सीसकारीया करते लखनको ओर जोरोसे चोदनेके लीये उक्साने लगी.. तो लखन थोडा हाथके बल उचा हो गया ओर रमाको जोरोसे कमर हीलाते चोदने लगा.. तो रमाने छटपटाते बेडकी चदरको पकडलीया ओर आधी नसीली आंखोसे चुदाइका आनंद लेने लगी.. अब वो लखनके लंडकी दिवानी हो चुकी थी..
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रमा : (नसेही हालतमे) ल..ख..न.. प्ली..ज.. जोरोसे चोदो.. मे आने वाली हु..

कहेते रमाने लखनको जोरोसे बाहोमे भीचलीया ओर लखनसे लोपलोक करते अपनी कमरको जटके देने लगी.. ओर जडने लगी.. तब लखनको भी अपने लंडपे गरमाहट महेसुस हुइ.. ओर वो जोरोसे रमाको चोदने लगा.. तो रमा जड चुकी थी.. तो हल्कासा चीखने लगी.. ओर लखनको रोकनेकी कोसीस करने लगी.. लेकीन आज लखन पुरी तराह रमाकी चुतको फाडनेकी फीराकमे था.. क्युकी वो रमाको चोदनेके लीये नही.. पुनमके कहेनेपे रमाकी चुत फाडनेके लीये ही आया था..

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तो कुछ ही देरमे रमा फीरसे उतेजीत होने लगी.. इस बार लखनने उसे बहुत ही बरेहमीसे चोदलीया.. ओर रमाको दुसरी बार जडा दीया.. आज रजीयाके बाद रमा दुसरी ओरत थी जीसे लखनने दो दो बार जडा दीया फीर भी वो जडा नही था.. जब रमा फीरसे उतेजीत हो गइ.. तब लखन अकडने लगा.. उसे अहेसास होने लगा की हजारो चीटीया रेंदते उनके लंडकी ओर जा रही हे.. लखन कांपने लगा..
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तब वो रमासे चीपकते उनको जोरोसे लीपलोक करलेता हे.. तो रमाभी लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. ओर लखन अपनी कमरको जटके मारते अपने गाढे पानीकी लंबी लंबी पीचकारीया छोडते रमाकी चुतको भरने लगता हे.. जीसे रमा अपने गर्भासयपे लखनका गरम विर्य साफ महेसुस कर रही थी.. जीसे वो भी उतेजीत होते कांपने लगी.. ओर लखनके साथ जडने लगी..
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अब वासनाका तुफान तांडव मचाकर सांत हो चुका था.. लखन रमाके सीनेपे ढेर होकर पडा था.. ओर रमा अपनी सांस दुरस्त करते उनकी पीठ सहेला रही थी.. दोनो पुरी तराह पसीनेसे भीग चुके थे.. तब बहारकी ओर नीलम अपनी चुतमे उगली डालकर अपने आपको सांत कर चुकी थी.. तो बहार आंगनमे सृती ओर लता होठोको चुमते अ‍ेक दुसरेकेबुब्स ओर चुतको सहेलाते सांत हो चुकी थी.. फीर दोनो अंदरका नजारा देखने लगी.. तब....

कन्टीन्यु
 
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