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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २१५

ओर वो भी पायलके साथ जडने लगा.. दोनो ही अपने चरम सुख पे पहोंच गये.. पायलने अपने दोनो पैरसे धिरेनकी कमरपे आंटी लगाली.. ओर भारी सांसोसे धिरेनकी पीठको सहेलाती अ‍ैसे ही पडी रही.. तो धिरेन भी पायलके बुब्सपे सर रखते ढेर हो गया था.. इसी दौरान दयाने पुरी फील्म सुट करली थी.. तो पुनम भी दोनोकी चुदाइ देखकर काफी उतेजीत हो चुकी थी.. ओर दयाके पीछे खडी रहेकर अपनी चुतको सहेला रही थी.. तभी.... अब आगे

दया : (सरमाकर मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. दोनोका सुटींग हो गया..

पुनम : (धीरेसे कानमे) दया बहेन चलो अंदर.. आज दोनोको रंगे हाथ पकडनेका अच्छा मौका हे.. अ‍ैसा मौका बार बार नही मीलता.. आप इस क्लीपको मेरे फोनपे सेन्ड करदो.. चलो..

दया : (हाथ पकडकर थोडी दुर लेजाते धीरेसे) नही दीदी.. अभी पकडेगे तो बडा हंगामा होजायेगा.. हमे दिमागसे काम लेना हे.. अगर जगडा बढ गया तो हमे रातको ही वापस जाना होगा.. ओर बडे भैया ओर लखन भैया भी नही हे.. तो रातको अकेले जाना ठीक नही हे.. हम जैसे भी करते आजकी रात नीकालते हे.. आप जीजुको सुबह ये क्लीप दीखाकर बात कर लेना.. तबतक हो सकता हे सुबह तक लखन भैयासे भी बात होजाये..

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. बात तो आपकी सही हे.. ये लखन भैयासे बात करनेका अच्छा मौका हे.. हम अ‍ैसा ही करेगे.. तो फीर अभी तो हमे इस कुतीयाको जाना देना पडेगा.. हम धिरेनको सुबह ही नीपट लेगे.. दया बहेन.. आज रात आप हमारा बोरीया बीस्तरा बांधलो.. हो सकता हे हमे सुबह ये घरको छोडना पडेगा..

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दया : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. आपकोतो सबकुछ पता चल जाता हे.. क्या सचमे सुबह आप जीजुसे अलग होजायेगी..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दया बहेन.. मेरी मंजील यहा धिरेन नही हे.. लेकीन हम इतनी जल्दी अलग हो जायेगे इतनी उमीद नही थी..

दया :(मुस्कुराते) दीदी.. तो फीर हमे थोडी देर यहा वेइट करना पडेगा..

कहातो पुनम वापस धीरेसे दबे पाव खीडकीके पास चली गइ.. ओर अंदर छुपकेसे जांकने लगी.. तो पायल खडी रहेकर अपना पेटीकोट पहेनकर ब्लाउस पहेन रही थी.. तब धिरेन अपने कपडे पहेनते उनके पीछे चला गया.. ओर पीछेसे ही पायलको अपनी बाहोमे भरलीया ओर उनके गलेको चुमने लगा.. तो पायल मदहोस होते सरमाकर मुस्कुराने लगी.. ओर ब्लाउसके बटन बंध करके धिरेनकी ओर पलटकर उनकी बाहोमे समा गइ..

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पायल : (होंठ चुमते) जानु.. मत छेडोना.. फीर मुजसे रहा नही जायेगा.. ओर अभी आपकी बीवी भी आजायेगी..

धिरेन : नही डार्लींग.. अब आजाये तो भी उनसे डरनेकी जरुरत नही हे.. क्युकी मे उनको डिवोर्स दे रहा हु..

पायल : (चोंकते) अरे..? पागल होगये हो क्या..? कीतनी खुबसुरत बीवी मीली हे आपको..? कही ये सब आप मेरे लीये तो नही कर रहे..? देखना बाबा अगर आपके भाइको पता चला तो वो तो मुजे जानसे मार देगे..

धिरेन : (मुस्कुराते गाल चुमते) अरे नही नही भाभी.. आप गलत समज रही हे.. मे ये सब आपके लीये नही कर रहा.. बीवी अगर खुबसुरत होती हे तो भी कुछ नही होता.. अ‍ैसा प्यार भीतो मीलना चाहीये जो मुजे आपसे मीलता हे.. (थोडा जुठ बोलते) मुजे पता हे.. आप भीमा भाइको नही छोड सकती.. वरना मे आपसे ही सादी कर लेता.. हें..हें..हें..

पायल : (सरमाते धीरेसे) हटो पागल.. अगर पहेले मीले होते तो मे जरुर आपसे सादी करलेती.. देवरजी.. देवरानी कीतनी खुबसुरत ओर अच्छी हे.. कीसी अप्सरासे कम नही लगती.. तो फीर आप उसे क्यु छोडना चाहते हो..? मुजे नही लखता वो आपको प्यार नही देती होगी.. दोनोके बीच जमती नही हे क्या..? की उनका कही ओर चकर हे..?

धिरेन : (मुस्कुराते) हां भाभी.. यही समजलो.. क्युकी वो मुजे ज्यादा सेक्स नही करने देती.. मुजे लगता हे वो कीसी ओरको प्यार करती हे.. ओर उसने मुजसे कीसी मजबुरीमे सादी की हे.. मुजे तो सक हे अभी जो उनके पेटमे बच्चा पल रहा हे.. सायद वो भी मेरा नही हे..

पायल : (सोक्ट होते) देवरजी.. ये आप क्या अनाप सनाप बोल रहे हे..? मेरी देवरानी अ‍ैसी दिखती तो नही हे..? सायद आपको कुछ गलत फेहमी हे.. ओर अगर वो प्रेगनेन्ट हे.. तो फीर वो आपको डिवोर्स क्यु देगी..?
 
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dilavar

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धिरेन : (कातील मुस्कानसे) भाभी.. देखना वो जरुर देगी.. मेरे पास पुरा प्लान हे.. ओर मेने तो मेरे डिवोर्स पेपर भी रेडी रखे हे.. बस.. मौका मीलते ही उनसे साइन करवा लुगा..

पायल : (साडी पहेनते) देवरजी.. बडे कमीने हो आप.. कीतनी अच्छी बीवी मीली हे आपको.. मुजे लगता हे.. उनको छोडनेका कारण कुछ ओर ही हे.. आपकी मम्मीकी ननंद हेनां.. आपके भाइ केह रहे थे उनके दोस्त तो वहाके राजा हे.. वो बहुत रहीस हे.. ये उसीकी बहेन हेनां..? तो फीर क्यु छोड रहे हो..?

धिरेन : (थोडा गुसेसे) भाभी.. आपको पता नही उन कमीनोने हमारे साथ क्या कीया.. उसने मेरी मम्मीको अपने जुठे प्यारमे फसाकर फायदा उठाया.. मेरी गैर हाजरी मे रोज आकर मेरी मम्मीको ठोकते थे.. तभी मैने ठान लीया था.. की मे भी इनकी बहेनको ठोकुगा.. ओर उसे प्रेगनेन्ट करके छोड दुगा.. ताकी कमीनेको पता चले.. की कीसीकी मांको फसाकर ठोकनेमे क्या होता हे.. लेकीन कमीनीने हमारी सादीसे पहेले ही मुजे सेक्स करनेको मना करदीया.. ओर मुजे मजबुरन उनसे सादी करनी पडी..

पायल : (कपडे पहेनकर पलटते) हंम.. तो ये बात हे.. देवरजी.. बुरा मत मानीयेगा.. मे तो आपको अ‍ेक अच्छा इन्सान समजती थी.. लेकीन आपकी सोच इतनी घटीया होगी मुजे नही पता था.. पता हे मैने आपसे क्यु रीलेशन रखा..? क्युकी हम ओरतोकी अ‍ेक जरुरत होती हे.. जो मुजे मेरे पतीसे नही मीलती.. ओर मुजे तो अ‍ेक बच्चेकी चाहत हे.. सोचा मे आपसे रीलेशन रखते अपनी चाहत पुरी करुगी.. लेकीन आपतो..

धिरेन : (कपडे पहेनकर पास आते) नही भाभी.. आप मुजे गलत समज रही हे.. मे आपसे सचमें प्यार करता हु..

पायल : (थोडी दुर जाते) देवरजी.. बुरा मत मानीयेगा.. क्या आप प्यारका मतलब भी जानते हे..? प्यार तो वो होता हे.. जो अ‍ेक दुसरेके प्रती समर्पीत होते हे.. ओर अ‍ेक दुसरेके लीये त्याग भावना रखते हे.. ना ही आपकी तराह दुस्मनी नीकाले.. आप मुजसे प्यार करते हेनां..? चलो मे आपके भाइको छोड दुगी.. वैसे भी आप अपनी बीवीको डीवोर्सतो देही रहे हो.. करलो मुजसे सादी.. मे वादा करती हु जींदगी भर आपका साथ नही छोडुगी.. कहीये.. हम कब कर रहे हे सादी..?

धिरेन : (थोडा सकपकाते) अरे भाभी.. ये क्या बात हुइ..? इतनी जल्दी कैसे..? मुजे थोडा सोचनेका वक्ततो दीजीये.. ओर मे भीमाभाइको कैसे धोखा दे सकता हु..?

पायल : (अ‍ेक नजरसे देखते) क्यु.. ? अभी तो आपने कहानां..? की मे आपसे सचा प्यार करता हु..? अपने भीमा भाइकी बीवीको ठोक तो रहे हो.. तो ये धोखा नही हे..? लेकीन उनसे सादी नही कर सकते.. उनकी बीवीके साथ बीस्तर गरम करके भीमा भाइको धोखा तो दे रहे हे.. हंम..? तुम मर्द जातको मे अच्छी तराह जानती हु.. आप लोगोको सीर्फ मजे करने हे.. आप लोग ओरतोको सीर्फ मजे करनेका साधन समजते हे.. देवरजी.. आपको मेरी कसम.. सच बताओ आप देवरानीको कीसके लीये छोड रहे हे..?

धिरेन : (कंधेपे हाथ रखते) भाभी.. कसम मत दो.. मे.. मे.. मेरे दुसरे जीजुकी लडकीसे प्यार करता हु.. नीलम नाम हे उनका.. हम दोनो अ‍ेक दुसरेसे बहुत प्यार करते हे.. ओर हम दोनो आपसमे सादी करना चाहते हे..

पायल : (सामने देखते) हंम..? अब समजी.. की आप देवरानीको क्यु छोडना चाहते हो.. कीतने घटीया इन्सान हो आप.. अ‍ेक लडकीके लीये बेचारी अ‍ेक मासुम बीवीपे जुठा इल्जाम लगाते आपको सरम नही आइ..? कल अगर आपने उस लडकीसे सादी करली.. ओर उसे हम दोनोके रीस्तोके बारेमे पता चल गया.. जीनकी वजहसे वो आपको छोडके चली गइतो..? तो फीर आप क्या करोगे..?

धिरेन : (बाहोमे भरते) नही भाभी.. इनको हमारे रीस्तेके बारेमे कभी पता नही चलेगा.. क्युकी उनको मे सहेरमे मेरे दुसरे घरपे ही रखुगा.. ओर यहा तो आप हे ही.. हें..हें..हें..

पायल : (दुर हटते) हंम.. दुर रहो मुजसे.. मतलब यहा आप मुजे अपनी रखेलकी तराह रखना चाहते हे.. की जब चाहा आप यहा आकर मुजे ठोक सके.. देवरजी.. मे कोइ रंडी नही हु.. जीसे जब चाहा यहा आकर भोग लीया.. मेरा आपके साथ रीलेशन रखनेका कुछ ओर ही कारण था.. ताकी मुजे लोगोके बांजके ताने सुनना ना पडे लेकीन आजसे हम दोनोका रीस्ता खतम.. आजके बाद मुजे फोन भी मत करना..

धिरेन : (बाहोमे भरते) भाभी.. मत कीजीये अ‍ैसी बाते.. मे सचमे आपसे प्यार करता हु.. अगर आप कहोगी तो हमारा बच्चा भी होगा.. मे आपको कभी नही छोडुगा.. आइ प्रोमीस..

पायल : (धका मारते दुर जाते) मत छुओ मुजे.. मुजे अफसोस हेकी मेने आपके साथ रीलेशन रखा.. अरे वो मेरी देवरानी तो बेचारी कुछ जानती भी नही हे.. वो कीतना प्यार करती हे आपसे.. ओर आपकोतो पता हेनां आपकी मम्मी अ‍ेक विधवा थी.. जो इतने बरसो तक अपनी इच्छाओको दबाये रखी थी..

अगर इनको कीसी मर्दसे थोडासा प्यार मील भी गया तो क्या बुराइ हे..? क्या उसने आपकी मम्मीको रंडीकी तराह इस्तमाल कीया..? नहीनां..? अरे उन दोनोका प्यार तो सचा था.. जो उसने आपकी मम्मीसे सादी भी करली.. ओर आज वो अ‍ेक सुहागनकी जींदगी गुजार रही हे.. कभी वहा जाकर देखना वो कीतनी खुस हे..

धिरेन : (पास आते) भाभी.. प्लीज..

पायल : (थोडा गुस्सेसे) मत छुओ मुजे.. मुजसे दुर रहो.. मे कोइ रंडी नही हु.. जो आप समज रहे हे.. आजके बाद हम दोनोका रीलेशन खतम.. मुजे कभी कोल भी मत करना.. मुजे तो आपकी बीवीपे तरस आ रही हे.. जीनका तुम जैसे घटीया इन्सानसे पाला पडा हे.. जा रही हु में..

कहेते पायल गुस्सा करते बहार जाने लगी.. तो पुनम दोनोकी बाते सुनकर सोक्ट होगइ.. ओर वो दोडकर आगेकी ओर आते दरवाजा खटखटाने जा ही रही थी तभी पायलने दरवाजा खोल दीया.. तो सामने पुनमको देखकर चोंक गइ.. ओर थोडा गभराने लगी.. तभी पुनम उनका हाथ पकडकर वापस अंदर ले गइ.. ओर पीछे दया भी अंदर आगइ.. तब पायल सीर्फ डरते पुनमकी ओर ही देख रही थी.. तभी..
 
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पुनम : (प्यारसे गले लगाते) भाभी.. थेन्क्स.. मुजे माफ कर दीजीये.. मैने आपको कीतना गलत समजा था.. मेने सोचा थाकी आप अ‍ेक हवसखोर ओरत हे.. जो मेरे पतीको फसाया हे.. लेकीन मे गलत थी.. मेने आप दोनोकी सभी बाते सुनली.. हवसखोर आप नही मेरा पती हे..

पायल : (आंख गीली करते) नही देवरानीजी.. मे हवसखोर नही हु.. ये सब मेने अ‍ेक बच्चेके लीये कीया था.. जो इस धोखे बाज नामर्दका काम नही हे.. आज मेने देखली इनकी मर्दानगी.. जो अ‍ेक ओरतको सीर्फ मजा करनेका साधन समजता हे.. इनकी सोच कीतनी घटीया हे..

पुनम : (गले लगते) बस.. बस भाभी.. अब कुछ मत बोलीये.. मेरे पती हे वो.. मेने आप दोनोकी पुरी बात सुनली हे.. अब जो भी हुआ सब भुल जायेइये.. मुजे आपसे कोइ गीला सीकवा नही हे.. आपको बच्चा चाहीनां..? मे वादा करती हु.. अब आप बांज नही रहेगी.. मे आपको अ‍ेक बच्चा दिलवाउगी..

पायल : (जटसे अलग होते) नही देवरानीजी.. ये आप क्या बोल रही हे..? नही चाहीये मुजे बच्चा.. ओर कमसे कम इस कमीनेसे तो बीलकुल नही..

पुनम : (अलग होते) भाभी.. अब आप आरामसे घर जाइये.. मे कल सुबह अपने घर जानेसे पहेले आपको मीलकर जाउगी.. तब आपको सब कुछ बता दुगी.. जाइअ‍े..

पायल : (आस्चर्यसे देखते) देवरानीजी..

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. अब देवरानीजी नही.. दीदी कहीये.. क्युकी कलसे मे इस आदमीकी बीवी नही रहुगी.. वो जहा कहेगे साइन करदुगी.. ओर गभराइअ‍े मत.. इस रीस्तेके बारेमे कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. विस्वास कीजीये मुजपे..

पायल : (जटसे बहार नीकलते) दीदी.. थेन्क्स..

कहेते पायाल बीना मुडके धिरेनकी ओर देखे बगैर बहार नीकल गइ.. ओर अपने घर चली गइ.. तबतक धिरेन रुमके दरवाजेके पास खडे रहेकर सोक्ट होते सबकुछ देखता रहा.. उसे पता ही नही चला की बातो ही बातोमे इतना कुछ हो गया.. धिरेनको पता चल गयाकी उनकी सारी करतुत पुनमको पता चल गइ हे.. अब धिरेनके पास सचाइका सामना करनेके अलावा कोइ चारा नही था..

तो वो भी पीछे हटनेके मुडमे नही था.. ओर पुनमसे जगडा करके उसे नीलमकी सारी बाते बता देना चाहता था.. लेकीन ये तो पुनम थी.. उसे सबकुछ पता थाकी आगे क्या होने वाला हे.. वो धिरेनको कंट्रोल करना अच्छी तराह जानती थी.. धिरेनको भी लगाकी अभी पुनम इनके साथ जगडा करने लगेगी.. लेकीन पुनम कुछ नही बोली.. ओर वो धिरेनकी ओर देखे बीना चुपचाप उपर अपने कमरेमे चली गइ..

तो धिरेन भी पुनो.. पुनो.. पुकारता उपर पुनमके पीछे चला गया.. तो रजीया अपने करमेमे जाकर फ्रेस होकर बहार आगइ.. ओर कीचनमे जाकर रातका डीनर बनानेकी तैयारीया करने लगी.. तो धिरेन थोडा गभराते पुनमके पीछे पीछे अपने रुममे चला गया.. तो पुनम बाथरुममे फ्रेस होने चली गइ.. फीर कुछ देरके बाद पुनम चेन्ज करके नीकली.. ओर धिरेनको बीना कुछ कहे नीचेकी ओर चली गइ..

तो धिरेन पुनमके इस बरतावको देखकर सन्न रेहते उनको मुह फाडते देखता ही रेह गया.. ओर वो भी पुनमसे बात करनेके लीये पुनमके पीछे नीचे चला गया.. देखा तो पुनम ओर रजीया कीचनमे खाना बनानेकी तैयारीया कर रही थी.. वो कीचनके पास पुनमसे बात करनेके लीये खडा रहा.. लेकीन पुनमने उनके सामने तक नही देखा.. तो धिरेन तीलमीलाने लगा.. पुनम कुछ लेने दयाके रुममे गइ..

तो धिरेन वहा भी चला गया ओर दरवाजेके बीच खडा रहा.. तो पुनम उनके सामने आकर आंख बडी करते देखने लगी.. तो धिरेन थोडा डरते साइड हो गया.. तो पुनक बहारकी ओर जाने लगी.. तभी..

धिरेन : (थोडा जोरोसे) पुनो.. क्या हो गया हे तुजे.. मुजसे बात करो..

पुनम : (अचानक पीछे मुडते गुस्सेसे) क्या बात करु..? (जोरोसे चीलाते) मे तुमसे क्या बात करु..? हंम..? देखो धिरेन.. मुजे जो जानना देखना था देख लीया.. अभी तुमसे बात करनेका मेरा मुड नही हे.. कीतने कमीने हो तुम.. जाओ मुजसे तुमसे कोइ बात नही करनी..

धिरेन : (थोडा गुस्से) देखो पुनो.. तुम मुजसे इस तराह बात नही कर सकती.. मे पती हु तेरा..

पुनम : (अदब लगाते गुस्सेसे) अच्छा..? तुम पती हो मेरे..? थु.. तुमको पती कहेनेमे भी सरम आती हे.. देखो अभी मुजसे बात मत करो.. मेरा जगडा करनेका कोइ मुड नही हे.. अब जो भी बात होगी सुबह होगी.. समजे..? अभी खाना बन जायेगा.. चुपचाप खालेना ओर सो जाना.. मे यहा दया बहेनके पास सोजाउगी..

कहेते पुनम धिरेनकी ओर घुरते वापस कीचनमे चली गइ.. तो धिरेन मुह फाडते पुनमको देखता ही रहा..? क्युकी वो भी जानता थाकी अब बाजी बीगड चुकी हे.. जो पुनम उनके साथ इस तराहसे बाते कर रही हे.. जब खाना बन गया तो पुनमके कहेनेपे दयाने आज भी धिरेनकी सब्जीमे दो नींदकी गोली डालदी.. ताकी धिरेन चुइनकी नींद सोजाये.. ओर रातमे कोइ हंगामा ना करे..

तो दुसरी ओर नीर्मला भुमीका चंदा ओर सरलाकाकी भी हरीद्वार पहोंच चुके थे.. जहा सबने राजीवकी अस्थीयाका विसर्जन कीया.. फीर वहा आजु बाजुके सभी तीर्थ स्थानोके दर्शन करने चले गये.. फीर साम होते ही चारो वापस अपनी होटलकी ओर आ रहे थे.. तब चंदाको रास्तेमे ही उल्टीया होने लगी.. तो नीर्मला गभरा गइ.. ओर तीनो चंदाको लेकर वहा पासकी कोइ लेडीसकी होस्पीटलपे चले गये..

तो वहा लेडी डोक्टरने चंदाको चेक कीया.. ओर उनको प्रेगनेन्ट होनेकी बात कही.. तो नीर्मला भुमीका ओर सरलाकाकी तीनो ही खुस होगये.. तब चंदाने अपने पास रखी कुछ दवाइआ नीकालकर दीखाइ तो वहाकी डोक्टरने उसी दवाइमेसे गोली खीलाइ.. ओर चंदाको कुछ सुचनाये देदी.. फीर चारो होटेलमे आगइ.. तो आते ही नीर्मलाने फोन लगाकर मंजुसे बात करली.. ओर चंदाके प्रेगनेन्ट होनेकी खुस खबरी सुनाइ..

तो दुसरी ओर मुम्बइमे भी सुधीरकी तबीयतमे काफी सुधार हो रहा था.. सुधीर पहेलेसे बीलकुल अलग दीख रहा था.. तो चारु ओर नीशा दोनो ही इनकी देख भाल करते उनकी टांग खीचाइ करते मस्तीया कर रही थी.. जीसे सुधीर बहुत ही सरमा जाता.. ओर दोनोके उपर जुठा गुसा करने लगता.. सुधीरके सरीरमे काफी बदलाव हो रहा था.. धीरे धीरे करते उनके स्तन बढ रहे थे.. ओर वो अ‍ेक पुर्ण ओरत होने लगा था..

तो वहा भी अ‍ेक अ‍ेक दिनके अंतरालमे नीशा ओर चारुको उल्टीया हुइ.. तब दोनोने वही होस्पीटलमे चेक करवाया तो पता चला दोनो ही इस वक्त प्रेगनेन्ट होचुकी हे.. तब दोनोही बहुत सरमाइ ओर उसने ये बात सुधीरको कही.. तो सुधीर उन दोनोको देवायतको लेकर छेडने लगा.. तो चारु ओर नीशा दोनोही सर्मसार होते सुधीरको बाजुमे मुका मारने लगी.. वहा अ‍ैसेही हसी मजाक चलता रहा..

तो दो दिनसे रश्मी ओर वंदना भी सहेरमे टीनाके घरपे थी.. टीना खुद अपनी कार लेकर दोनोको अपने घरपे लेगइ थी.. फीर टीनाने दोनोको अपनी बुटीक दीखाइ.. ओर वहा अलग अलग जगाहपे खुब घुमाया.. अब तीनो ही अ‍ेक सहेलीकी तराह अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करते धमाल करने लगी थी.. तो रश्मीके साथ वंदना भी टीनाके साथ काफी धुल मील गइथी.. ओर वो टीनाको दीदी दीदी कहेकर बुलाने लगी थी..
 
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dilavar

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तो इधर सहेरमे भी सृती कबसे ६ बजनेका इन्तजार कर रही थी.. आज वो लखनके साथ स्कुटर लेने जाने वाली थी.. तो वो बहुत ही अ‍ेक्साइटेड हो रही थी.. तब उनको भी थोडा अजीब लग रहा था.. की वो लखनके साथ जानेके लीये इतनी बेताब क्यु हो रही हे..? कही उसे भी तो लखनसे प्यार नही होगया..? यही सब सोचते ६ बज गये.. तो सृती फटाफट अपनी रीसेपनीस्टको सुचना देकर अपनी कार लेकर नीकल गइ..

ओर घरपे आगइ.. देखा तो लखन होलमे बेठकर कीसीसे फोनपे बीजनेसकी बाते कर रहा था.. तो सृती उनकी ओर देखकर स्माइल करती फटाफट उपर अपने कमरेमे चली गइ.. ओर चेन्ज करके बाथरुममे घुसकर फ्रेस होने लगी.. फीर नहा धोकर अच्छेसे बाल बनाते तैयार होने लगी.. जैसे अपने बोय फ्रेन्टके साथ डेटपे जा रही हो.. उन्होने आज जीन्स ओर सोर्ट ज्ञीसर्ट पहेनली..

ओर अपने होठोपे अच्छेसे लीपस्टीक लगाकर गालोपे लाली लगाते अपने आपको आयेनेमे देखते सजाने लगी.. इस ड्रेसमे आज सृती बहुत ही कयामत के साथ साथ वो अ‍ेक छोटी लडकीकी तराह लग रही थी.. ओर वो ढेर सारा मेकअप करके नीचे आगइ.. तो लता तो उनको देखते ही खुस होगइ.. ओर उनके गले लग गइ.. तो रमाको सृतीको देखकर थोडीसी जलन होने लगी.. क्युकी वो लखनके साथ जा रही थी.. तब इस वक्त लता ओर रमा घरका सामान सेट कर रही थी.. तभी..

रमा : (हसते) वाह देवरानीजी.. क्या कयामत लग रही हे.. कही आज हमारे नंनदोयपे बीजली गीरानेका इरादातो नही.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते धीरेसे) क्या भाभी आपभीनां.. वो मेरे देवर हे.. हमारे लीये आपके बडे देवर ही ठीक हे.. क्या तो हम बाजारमे अ‍ैसे ही जायेगे.. मत भुलो.. हम स्कुटर लेने बडे शो रुम मे जा रहे हे.. हें..हें..हें..

लता : (मुस्कुराते) दीदी.. आप भाभीकी बातोका बुरा मत मानीयेगा.. वोतो आपसे मजाक कर रही थी.. लेकीन आज आप सचमे बहुत खुबसुरत लग रही हे.. बीलकुल परीकी तराह.. अ‍ेकदम छोटी.. हें..हें..हें..

सृती : (मुस्कुराते) लता.. थेन्क्स.. तुम फीकर मत करो.. मुजे भी पता हे वो मजाक कर रही हे.. चलो हम चलते हे.. कहा हे हमारे देवर..

लखन : (फोन रखकर खडा होते सृतीको देखताही रेह गया) भाभी.. मे यही हु.. आ रहा हु.. चलीये..

सृती : (मुस्कुराते) अरे लता.. तुजे कोनसा कलर पसंद हे..? बता.. हम तेरी मसंदका ही कलर ले लेगे..

लता : (मुस्कुराते) दीदी.. वो सब मुजे कहा पता चलता हे.. आपको जो पसंद हो वोही ले लेना..

लखन : (मुस्कुराते चलते) भाभी चलीये.. उनको कौनसा कलर पसंद हे वो मुजे पता हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते साथ चलते) अरे हां.. मेतो भुल ही गइकी आपको सबकी चोइसका पता हे.. चलीये.. देवरजी.. मेरी ही कारमे चले जाते हे.. लीजीये चाबी.. आप ही चला लीजीये.. फीर वापसीमे आप स्कुटर ले लेना..

लखन : (मुस्कुराते चाबी लेते) जी भाभी.. हमे कोनसा स्कुटर लेना हे..? आइ मीन कोनसी कंपनीका..?

लता : (सरमाकर मुस्कुराते) दीदी.. वो.. आज कल अ‍ेक्टीवा बहुत चलता हे.. मुजे तो वही पसंद हे.. हें..हें..हें..

सृती :(हसते) अरे वाह.. वोतो मुजे भी बहुत पसंद हे.. देवरजी.. फीर भी आपको जो भी पसंदहो लेलेना.. तो फीर हम चले..?

लखन : (कारकी ओर जाते) नही भाभी.. हम आपका ओर लताकी पसंदका ही स्कुटर लेगे.. वैसे आज इस डे्रसमे आप बहुत सुंदर लग रही हे.. कहासे लीया ये ड्रेस..? बहुत अच्छा हे.. हें..हें..हें..

सृती : (जुठा गुसा करते बाजुमे अ‍ेक मुका मारते) देवरजी.. आप बहुत ही कमीने हो.. भुलकड कहीके.. अरे ये वोही ड्रेस तो हे.. जो आपने दिलवाया था.. आपही ने तो सीलेक्ट कीया था.. याद हे आपको..?

लखन : (कारमे बैठते मुस्कुराते) ओह.. सोरी सोरी भाभी.. क्या हेना.. आपने इसे कभी पहेना नही हेना.. तो मे भुल गया था.. सोरी.. हें..हें..हें..

सृती : (लखनकी बाजुमे बैठते कातील नजरोसे मुस्कुराते) वैसे तारीफके लीये थेन्क्स.. देवरजी.. क्या मे सचमे अच्छी लग रही हु..? कही मेरा दिल रखनेके लीयेतो तारीफ नही कर रहे..?

लखन : (कार स्टार्ट करते) अरे नही नही भाभी.. आज आप सचमे बहुत खुबसुरत लग रही हो.. आपको मेरे साथ देखकर कोइ नही कहेगा की आप मेरी भाभी हो.. वो लोग तो हमे साथमे.. सोरी भाभी.. हें..हें..हें..

सृती : (कातील नजरोसे हसते) अरे हां हां.. बोलोनां.. सोरी क्यु बोलते हो.. बोलो.. क्या केह रहेथे.. मे कुछ नही कहुगी.. हें..हें..हें..

लखन : (सरमाते हसते) नही भाभी.. जाने दीजीयेनां.. कहीये हम कोनसे शोरुममे जाये..?

सृती : (मुस्कुराते) अरे.. बातको मत काटो.. अच्छा मे ही कहेती हु.. वहीनां की हम दोनो मीया बीवी.. या फीर लवर्स लगते हे.. यहीनां..? ठीक हे.. यही समजलो.. की आज आपके साथ आपकी गर्लफ्रेन्ड आइ हे.. हें..हें..हें.. वो भी डेटपे.. तो क्या हम पहेले थोडी देरके लीये कीसी कोफी शोपपे बैठ सकते हे..? मुजे आपसे कुछ जरुरी बाते भी करनी हे.. क्युकी यहा रमा भाभी ओर नीलम हर वक्त साथ ही होती हे..

लखन : (कार चलाते सामने देखकर) जी भाभी.. हम पहेले वही जाते हे.. क्या कोइ सीरीयस मेटरतो नही..?

सृती : (सामने देखते) सायद.. क्युकी मेरी बात सुनकर फीर आपही डीसाइड करना.. की बात सीरीयस हे की नही..

कहा तो लखनने कारको अ‍ेक कोफी शोपपे लेली.. सृती आज बहुत ही खुबसुरत ओर अ‍ेक छोटी लडकीकी तराह लग रही थी.. तो लखनको छेडते उनके साथ रोमेन्टीक बात करना सृतीको बहुत अच्छा लग रहा था.. दोनो कार पार्क करके साथ चलने लगे.. सृती जटसे चलकर लखनके साथ होगइ..

ओर उनके हाथमे हाथ डालकर लखनके साथ चलने लगी.. आज वो बहुत ही खुस नजर आ रही थी.. तो लखनभी सृतीके व्यवहारसे खुल हो गया.. ओर दोनो कोफी शोपमे अ‍ेक कोनेपे जाकर बैठ गये.. तो लखनने सृतीको पुछकर दो कोल्ड्रीन्क्स.. ओर्डर करदीये.. ओर सृतीकी ओर देखने लगा.. तभी....

कन्टीन्यु
 
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