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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २१८

फीर कुछही देरमे जडकर सांत हो गइ.. तो लखनका पुरा हाथ भीगो दीया.. फीर लखनने उंगली नीकालली.. ओर वही हाथ पोछते रमाके होठोपे कीस करने लगा.. तो रमाके चहेरेपे भी संतुस्टीके भाव थे.. ओर वो लखनको कीस करते मुस्कुराने लगी.. फीर उसने लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर उनके होठोको चुमने लगी.. फीर दोनो खडे होगये ओर अपने अपने कपडे पहेनने लगे.. तभी.... अब आगे

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रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनजी.. थेन्क्स.. मुजे तो लगा में आज गइ कामसे.. आज आप पका चोद लोगे मुजे.. लेकीन आपने तो मुजे बीना चोदे ही जनतकी सेर करवादी.. क्या आप मेरी ननंदके साथ भी अ‍ैसा करते हो..?

लखन : (सर्ट पहेनते) अरे भाभी.. आपकी ननंदतो ये सब चीजोकी बहुत सौकीन हे.. वो तो मुजे ब्लुजोब भी देती हे.. मेरी सांसने मेरे लीये क्या मस्त माल नीकाला हे.. वो मुजे कभी मना ही नही करती..

रमा : (समाकर मुस्कुराते) क्या वो माल हे..? हें..हें..हें.. आप बहुत गंदे हो.. वैसे आपकी सांस भी कुछ कम नही हे.. ओर ये ब्लुजोब क्या होता हे..? मुजे बता सकते हो..?

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. अभी तो टाइम नही हे.. मे रातमे आपको सब कुछ सीखा दुगा.. आप तैयार रहीयो.. आज हम दोनोका मीलन हो ही जायेगा.. आपने बहुत इन्तजार करवाया हे मुजे..

रमा : (कातील नजरोसे मुस्कुराते) अच्छा..? क्या मैने इन्तजार करवाया हे..? जनाबके पास हमसे मीलनेका टाइम ही नही हे.. मे तो कबसे आपके इन्तजारमे बैठी हुइ हु.. इसीलीये तो इतने दिन आपके यहा रुकी हुइ हु.. ओर यहा भी सीर्फ आपके लीये ही आइ हु.. समजे..? बात करते हे..

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लखन : (बाहोमे भरते होठ चुमते) भाभी.. सोरी.. क्या हेनां.. वहा कोइना कोइ होता था.. फीर बंसीकी सादी ओर अंकलका क्रिया कर्म.. तो मे आपसे अकेलेमे कैसे मीलता..? लेकीन अब फीकर मत कीजीये.. आज आपकी सारी कसर पुरी करदुगा.. ओर आपके पतीका सारा प्यार अब मेही आपको दुगा.. आजसे यही समजलो आपका पती मे ही हु..

रमा : (सीनेमे सर छुपाते धीरेसे) लखनजी.. वो तो मैने आपका प्यार कबुल कीया तबसे ही आपको मेने अपना पती मानलीया हे.. मेरा यकीन कीजीये.. तबसे मैने आपके भाइको इस तनको छुने भी नही दीया.. अब चलीये.. देर हो रही हे हमे..

लखन : (सरमाते लंडकी ओर इसारा करते) भाभी.. क्या इसे देखना नही हे क्या..?

रमा : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनजी.. देखना हे.. लेकीन अभी नही.. आप रातमे तो मेरे पास आही रहे हो.. तो मे रातमे आरामसे देख लुगी.. लगता हे बहुत ही बडा हे.. मेरी तो हालत खराब कर देगा.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) अरे भाभी.. डरीये मत.. अ‍ैसा कुछ भी नही जैसा आप सोच रही हो.. चलीये..

फीर दोनो ही ओफीसमे लोक करके वहासे नीकलने लगे.. तो सब लडकीया खाना खाकर उपर अपने रुमकी ओर जा रही थी.. तो वहा लखनको दिया मील गइ.. तो लखनको देखते ही कातील मुस्कान करते लखनके पेन्टके उभारको देखने लगी.. तो लखनने उनकी नजरको पकडलीया.. ओर दियाकी ओर नैन नचाने लगा.. तब दिया बहुत ही सरमाइ.. तभी लखनने उनकी ओर देखकर छुपकेसे आंख मारदी..

तो दिया सरमाकर मुहको दुसरी ओर करते मुस्कुराने लगी.. ओर जटसे लखनकी ओर कातील नजरोसे देखते उपरकी मंजीलपे अपने रुममे चली गइ.. तो दुसरी ओर घरपे लखन ओर रमाके घरसे जाते ही लता ओर सृती दोनो रजीयाको बताकर अपने कमरेमे चली गइ थी.. तब सृतीने धिरेसे रुमका दरवाजा बंध करलीया.. तो लता समज गइकी बात थोडी सीरीयस हे.. तब सृती लताके पास सटकर बैठ गइ.. तो लता उनके सामने प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखने लगी.. ओर पुछ लीया..

लता : हां भाभी.. कहीये.. दोनो भाइ बहेनके बीच क्या प्रोबलेम हे..? कोइ सीरीयस मेटरतो नही..?

सृती : (धीरेसे) अरे नही नही.. लता.. बात इतनी भी सीरीयस नही हे.. तुजे तो पता हे.. लखन पुनोदीदी पढते थे.. तब ही हमारे लखन भैया उनको प्यार करते थे.. ओर उपरसे मंजुने दोनो भाइके साथ रीलेशन रखनेका सब नीर्णय लीया.. तब इस नीर्णयके बारेमे सीर्फ मुजे ओर पुनोदीदी को ही पता था.. ओर उपरसे लखन भी पुनोदीदीको भाभी भाभी कहेकर छेड रहा था.. ओर हम दोनोकी मस्तीया करते हमारे साथ फ्लर्ट भी करने लगे थे..

लता : (हसते) भाभी.. इस मामलेमे वो बहुत ही कमीने हे.. हें..हें..हें.. फीर क्या हुआ..?

तो सृती लताको पुरा वाक्या सुनाने लगी.. तो लता बीच बीचमे हसती रही.. सृतीने लताको ये भी बता दियाकी मस्तीया करते लखन बहेक गया था.. तो हम दोनो भी बहेक गइ थी.. हम दोनो लखनकी मस्तीका पुरा मजा ले रही थी.. ओर ये भी बताया.. की मस्तीया करते लखनने उन दोनोके होठोको चुम लीया ओर दोनोके बुब्सको भी दबाया.. इसीलीये पुनम दीदीने गुस्सेमे आकर लखनको चाटा मार दीया..

लता : (चोंकते धीरेसे) भाभी.. ये आप क्या बोल रही हे..? क्या वाकइ पुनो दीदीने लखनको चाटा मारा..? लेकीन उसने अ‍ैसा क्यो कीया..? उनकोतो सब पता था.. की आगे क्या होने वाला हे.. अब तो हम सभीको इन दोनो भाइके साथ रीलेशन रखना पडेगा..

सृती : (सरमाते धीरेसे) हां लता.. सीर्फ उनको नही.. मुजे भी सब पता था.. इसीलीये तो मेने दोनो भाइके साथ रीलेशनको स्वीकार भी करलीया था.. फीर भी पुनम दीदी अपने आपपे कंट्रोल नही करपाइ.. सायद उनको देवुको खोनेका डर था.. क्युकी वो भी जानती थी.. की लखन भैया उनको अभी भी प्यार करते हे..
 

dilavar

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लता : (मुस्कुराते) भाभी.. आपको नही लगता.. की पुनोदीदीने थोडी जल्दबाजीमे गलत कदम उठालीया..

सृती : हां लता.. सही कहा तुमने.. लेकीन पुनो दीदीने देवुके साथ सादी करली हे.. फीर भी उनको फौरन अपनी गलतीका अहेसास होगया था.. तबतक बहुत देर हो चुकी थी.. लखन भैया नाराज होकर वहासे चले गये.. ओर तबसे हम दोनोके साथ नही बोल रहे थे.. आज हम दोनोके बीच बात हुइ.. वो मुजसे तो नाराज नही थे.. लेकीन पुनो दीदीसे बहुत नाराज हे.. आज मेने उनको बडी मुस्कीलसे पुनो दीदीसे बात करनेके लीये मना लीया हे..

लता : भाभी.. पुनो दीदी मेरी सहेली भी हे.. वो उनकी हर बात मेरे साथ सेर करती हे.. मेरी सादीसे पहेले जब मंजु भाभी ओर भावना भाभी डीलीवरीके लीये आपकी होस्पीटलमे थी.. ओर मे हमारे घरपे अकेली थी.. तब मेरे ओर लखनके बीच पहेला मीलनमे पुनोदीदी ने हमारी मदद की थी.. उसी टाइम पुरे दो दिन ओर अ‍ेक रात लखन वही हमारे घरपे थे.. उसी दिन लखनने मेरा कौमार्य भंग कीया.. अगर आप कहोतो मे लखनसे बात करु..? हंम..? सायद मेरी बात मानले..

सृती : (मुस्कुराते) हां लता.. मेने तो बात करली हे.. तो तुम भी कोसीस करलो.. बस.. भगवान करे दोनो भाइ बहेनके बीच सुलह होजाये.. पुनोदीदी कीसी भी तराह अ‍ेक बार उनसे बात करना चाहती हे..

लता : (मुस्कुराते) भाभी.. लेकीन मे इनको जानती हु.. वो बहुत जीदी हे.. आपकी बात इतनी आसानीसे मान गये वो ही बहुत हे.. भाभी.. अब तो मंजुदीदीने भी सब लखनको बता दीया हे.. तो वो पुनोदीदीसे कोइ डीमांन्ड तो नही करेगेंनां..?

सृती : (सरमाकर हसते धीरेसे) लता.. अब डीमांन्ड करे भी तो क्या फर्क पडता हे..? अब तो पुनम दीदीने भी सबकुछ स्वीकार करलीया हे.. वो भी लखन भैयासे मीलनेके लीये तडप रही हे.. हम सबको सभी तराहकी छुट मील गइ हे.. तो क्यु गभराना.. ओर मे तो चाहती हु.. की पुनोदीदी लखन भैयाका प्यार कबुल करले.. ओर दोनो आपसमे मील जाये.. क्या कहेती हो..? हें..हें..हें..

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लता : (सरमाकर मुह खुला रखते) भाभी.. क्या केह रही हो..? पुनम दीदी लखनको मीलनेके लीये मान गइ हे..? जहा तम मे उनको जानती हु पुनम दीदी इतनी आसानीसे लखनके साथ रीलेशन नही रखेगी.. हां मुजे लगता हे.. इसके लीये आप अभी तैयार हो.. हें..हें..हें.. भाभी.. देखना.. इनको जेलना इतना आसान नही हे.. अ‍ेक बार सोचलो.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमते अ‍ेक मुका मारते हसते) कमीनी.. क्यु मुजे डरा रही हो..? हम उनको इतनी आसानीसे थोडीना मीलेगी..? देखना.. इसमे पहेल तो मेरे देवरको ही करनी पडेगी.. मे सामनेसे आगे थोडीना बढुगी.. इसके लीये मे उनका मन जानुगी.. फीर इनको खुब तडपाउगी.. फीर इनके बारेमे सोचुगी.. की अब क्या करना हे.. बस.. अभी तो हमे इन दोनो भाइ बहेनका मीलन करवाना हे.. तु इसके बारेमे कुछ सोचके रख.. ओर कमीनी तुम भी तो देवुसे मीलन करोगी.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर हसते) हां भाभी.. इस बातके लीये तो मे भी बहुत अ‍ेक्साइटेड हु.. देखते हे कब हम दोनोका मीलन होता हे.. भाभी.. अ‍ेक बात कहु..? अब लखनसे पहेले मे भाइको मीलना चाहती हु.. क्युकी मैने दोनोका देखा हे.. बडै भैयाका इतना बडा नही हे.. तो बादमे लखनको जेलनेमे मुजे आसानी रहेगी..

सृती : (आस्चर्यसे हसते) क्या..? तुमने देवुका भी देखा हे..? मगर कैसे..? कब..?

लता : (सरमाकर मुस्कुरते) भाभी.. अब आपसे क्या छुपाना.. आज मेरे घरका राज भी बता देती हु.. भाभी.. तब मेरी सादी भी नही हुइ थी.. जीस तराह हमारे ससुरका मेरी मांके साथ रीलेशन था.. उसी तराह बडे भैयाका भी मेरी मां के साथ रीलेशन हे.. कमीनी बहुत ही कामुक ओर चुदकड ओरत हे.. मे कइ बार दोनोको मीलते हुअ‍े देख चुकी हु.. इसीलीये मुजे पता हे.. की बडे भैयाका कीतना बडा हे..

सृती : (आस्चर्यसे) लता क्या केह रही हो तुम..? देवुका सरला चाचीके साथ भी रीलेशन हे..? अगर मामाका रीलेशन सरला चाचीके साथ था.. तो वोतो देवुकी मां के बराबर हे.. फीर भी उसने देवुके साथ भी रीलेशन बनालीया..? कोइ ओरत इतनी कामुक कैसे हो सकती हे..?

लता : (फीकी मुस्कानसे) भाभी.. क्यु नही हो सकती..? वो मांके बराबर हे.. मां तो नही.. मेरी घरकी सब ओरते बहुत ही कामुक हे.. वैसे भी हमारे खानदानकी तराह मेरे घरपे भी रीस्तोके कुछ मायने नही हे.. मेरी मां तो इतनी कामुक ओरत हे.. मेने सुना हे उनकी सादीसे पहेले उनका अपने भाइके साथ भी रीलेशन था.. ओर उसीसे प्रेगनेन्ट भी होगइ थी.. इसीलीये मेरी नानीने उनका बच्चा गीराकर उनकी सादी मेरे बापुसे करवादी..

सृती : (आस्चर्यसे हसते) लता क्या केह रही हो तुम..? सरला चाची..?

लता : (मुस्कुराते) हां भाभी.. सुनोतो सही.. सीर्फ इतना ही नही.. जब मेरे बापु इनको सुख देनेमे सक्षम नही थे.. तो उसने हमारे ससुरके साथ ही रीलेशन रखलीया.. मे ओर भानुभाइ हमारे ससुरकी ही संतान हे.. अब वो भी चले गये.. तो मेरी मांने बडे भैयाको ही फसा लीया.. भाभी.. मेरी मांका बस चलता तो वो भानु भाइके साथ भी रीलेशन रख लेती.. लेकीन उनको बडेभाइका हथीयार बहुत पसंद आगया.. ओर वो अभी भी उसीसे अपनी प्यास बुजाती हे..

सृती : (आंखोमे चमकके साथ) क्या..? इस उमरमे भी..? लता.. सरला चाचीतो बहुत ही रंगीन मीजाजकी नीकली.. हमारे ससुर भीनां.. उन्होने कीसीको नही छोडा.. नीर्मला आंटी.. सरला चाची.. यहा तक की उनकी बहेनको भी नही छोडा.. ओर उनके साथ तो सादी भी करली.. पता नही इस खानदानमे सब बहेनोके पीछे ही क्यु पागल हे..? यहा तक की हमारे देवुने भी पुनो दीदीसे सादी करली हे.. ओर लखन भैया भी इनको प्यार करते हे..

लता : (सरमाकर मुस्कुराते) भाभी.. ये बात आप नही समजेगी.. ये साली आग बहुत बुरी चीज हे.. की वो कोइ रीस्ते नाते नही देखती.. सीर्फ अ‍ेक ही रीस्ता देखती हे.. वो हे अ‍ेक मर्द ओर अ‍ेक ओरतका.. फीर चाहे वो बहेन हो या भाभी मामी.. कोइ भी हो.. यहा तक मांको भी नही छोडते.. ओर ज्यादातर सबको अपनी बहेन ही अच्छी लगती हे.. ओर हमारे इस खानदान मेतो सभी मर्द बहेनको प्यार करनेके माहीर हे.. यहा तक की बहेनभी भाइके पीछे पागल हे.. ओर उनको बडी उमरकी ओरते भी पसंद हे..

सृती : (सरमाते हसते) लता.. अगर तुम हमारे ससुरकी सुतान हो तो तुमभी तो इनकी बहेन हुइ.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर मुस्कुराते) हां भाभी.. मेने भी बडे भैयाको प्यार कीया हे.. ओर अभी छोटे भाइके साथ सादी करके इनका बीस्तर गरम कर रही हु.. भाभी.. भाइ बहेनके बीच ये जो रीस्ता हेनां.. वो आप कभी भी नही समज पाओगी.. जब हम दोनो फीजीकल होते ये सोचते हेनां.. की ये मेरा भाइ हे.. तब प्यार करनेका जोस कइ गुना बढ जाता हे.. मे आज भी बडे भैया ओर लखनके पीछे पागल हु..
 

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सृती : (सरमाकर हसते) लता.. तुमने तो प्यारके मायने ही बदल दीये.. मे भी अ‍ैसे रीस्तोके बारेमे सुनती हुना.. तो बहुत गरम होजाती हु.. यहा तक की मे अपने आपपे कंट्रोल भी नही कर सकती.. कास.. मेरा भी कोइ भाइ होता..

लता : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. मामाका लडका भी भाइ ही होता हे.. हें..हें..हें..

लताकी बात सुनकर सृतीका दिमाग तेज चलने लगा.. क्युकी उनकी नजरमे भुमीका भी कीशनकी बहेन थी.. ओर अभी लताने कहा.. की हमारे ससुरने उनकी बहेनको भी नही छोडा.. तब सृतीके मनमे विचारोका धमासान युध्ध होने लगा.. क्युकी वो भी अपने ससुरको पहेले मामा मामा कहेती थी.. उनके मनमे आसंकाये होने लगी.. की क्या उनकी मम्मीका भी उनके किशन मामाके साथ रीलेशन होगा..?

सृती : (मनमे सोचते) हे भगवान.. मेरी मम्मी भी तो मेरे मेरे ससुरको भाइ मानती थी.. ओर मे भी इनको मामा ही कहेती थी.. तो क्या मेरी मम्मीका भी मेरे ससुरके साथ रीलेशन होगा..? कही मे भी तो मेरे ससुरकी संतान नही हुनां..? नही नही.. मे ये क्या सोच रही हु.. अ‍ैसा कभी नही हो सकता.. मे ये कभी स्वीकार नही करुगी.. लेकीन मंजुतो केह रही थी.. की देवुने उनकी सभी बहेनोके साथ सादी करली हे.. तो सादी तो मेने भी देवुसे की हे.. तो क्या मे भी देवुकी बहेन हु..? हे भगवान.. ये तुमने मुजे कैसी उलजनमे डाल दीया..?

लता : (कंधेसे पकडकर हीलाते) भाभी.. कहां सोच मे डुब गइ..? कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

सृती : (तंद्नासे बहार आते) अरे नही नही.. लता.. तुम क्या केह रही थी..? (बात बदलते) लता.. आज अच्छा मौका हे.. तुजे भी पीरीयडका प्रोबलेम हे.. ओर अभी अभी रजीयाको भी होगया.. तो आज मेरा देवर बीलकुल फ्रि हे.. भेजदे उनको रमा भाभीके पास.. अब देखते हे मेरा देवर रमा भाभीका क्या हसर करते हे.. कमीनी कहीकी.. मे तो इन मां बेटीकी चीखे सुनना चाहती हु.. हें..हें..हें..

लता : (हसते धीरेसे) भाभी.. बात तो आपकी सही हे.. मे भी यही सोच रही हु.. जबसे दोनो यहा आइ हे.. दोनो मां बेटी लखनकी ओर कुछ अजीब नीगाहोसे देख रही हे.. लगता हे भाभी ओर लखनका कुछ तो चकर हे.. जो भाभी खुद लखनसे चुदवाना चाहती हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हाथ पकडकर हसते धीरेसे) लता.. तो मेरे देवरको कहेदे.. आज इनकी फाडके रखदे.. हम दोनो नीचे जाकर उनकी चीखे सुनेगी.. अब तो तुमने खीडकी भी खोलदी हे.. हम इनका लाइव सो भी देखेगी.. हो सकेतो रेकोर्ड भी करलेगे.. ओर पुनो दीदीको भेज देगे.. क्या कहेती हो..? हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर हसते) ठीक हे भाभी.. मे लखनसे बात करती हु.. अब चलीये नीचे चलते हे.. खाना तो बन गया हे.. अभी वो दोनो भी आते होगे.. देखा नही.. कमीनी कैसे जटसे उनके साथ पटाका बनकर चली गइ.. भाभी.. लगता हे दोनोके बीच जरुर कुछ तो चकर हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते धीरेसे) लता.. रमा भाभीका तो ठीक हे.. लेकीन हमे नीलुका खयाल रखना पडेगा.. देखना वो कीसी भी हालमे लखनसे प्रेगनेन्ट नही होनी चाहीये.. वरना हम सब फस जायेगे.. हमे सीर्फ धिरेन नीलुके लीये इनको सीर्फ सबक सीखानी हे.. कमीनी धिरेनसे सादी करना चाहती हे..

लता : (मुस्कुराते) भाभी.. आप इनकी फीकर मत करो.. मे इनका पुरा खयाल रखुगी.. रमा भाभी चली जायेगी.. तब हम इनका भी इलाज करवा लेगे.. आपका देवर बहुत रंगीन मीजाजके हे.. नीलु उनकी साली हे तो वो कबसे नीलुके उपर डोरे जमाये हुअ‍े हे.. हें..हें..हें.. बस.. अ‍ेक बार उनके नीचे आजाये तो वो धिरेनको भी भुल जायेगी..

सृती : (खडी होते धीरेसे हसते) लता.. लखन तो पहेलेसे ही रंगीन मीजाजके हे.. सीर्फ वो ही नही.. इनके सभी दोस्तो रंगीन मीजाजके हे.. इसीलीये तो कमीने सभी दोस्तोने वो जडी बुटीका कोर्ष कीया हे.. ओर आज सभी दोस्तो अपनी बहेनसे सादी करके उनको ठोकते हे.. इसीलीये तो लखन भी अपनी बहेनके पीछे पडा हे.. तुम भी तो इनकी बहेन हो.. लगता हे अब तो पुनो दीदी भी इनकी चपेटमे आजायेगी.. हें..हें..हें..

लता : (खडी होकर बहारकी ओर जाते) भाभी.. जो भी हो.. मुजे सीर्फ इतना पता हे.. आने वाली जींदगी हम सबके लीये बहुत ही रंगीन होगी.. अ‍ैसा पुनम दीदी केह रही थी.. लगता हे वो भी इस बातके लीये तैयार हे.. चलीये.. मे रजीया दीदीका खाना यही लेकर आती हु.. बीचारी सारा दिन काममे ही लगी रहेती हे.. मेरे सामने तो कुछ बोलती ही नही..

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) लता.. वो बहुत ही अच्छी हे.. अब तुजे नही लगता.. की रजीया दीदीको अ‍ेक बच्चा होना चाहीये.. हंम..? मेरी मान तुम भी अ‍ेक बच्चा करले.. हें..हें..हें..

लता : (मुस्कुराते) हां भाभी.. उनको बच्चेकी बहुत आस हे.. मे लखनको कहुगी.. इनको बच्चा देदे.. ओर जहा तक मेरी बात हे.. वो तो सब आप भी जानती हे.. मुजे लखनसे बच्चा कभी नही होगा.. इसके लीये आपके पती हेनां.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते अ‍ेक मुका मारते) तु बहुत ही कमीनी हो.. मेरे पतीपे डोरे डाल रही हो.. हें..हें..हें..

दोनो ही कामुक बाते करते नीचे आगइ.. तब दोनोने अपनी चुतको गीली करली थी.. तो सृतीको अभी चुदवानेकी बहुत इच्छा होने लगी थी.. अबतो वो देवायतसे ज्यादा लखनके बारेमे सोचने लगी थी.. तभी सृतीको वापस उल्टी जैसा होने लगा.. तो वो मुहपे हाथ रखकर जटसे कोमन बाथरुममे चली गइ.. तो लता भी जटसे उनके पीछे चली गइ.. देखा तो सृती उल्टीया कर रही थी.. तो लता उनकी पीठ सहेलाने लगी..

लता : (मनमे खुस होते) भाभी.. अचानक क्या हुआ..? हंम..? क्या होस्पीटल चालना हे..? तो मे लखनको बुला लेती हु..

सृती : (सरको नामे हीलाते मुह साफ करते) अरे नही लता.. रुकजा.. आज दुसरी बार उल्टीया हुइ हे.. जब हम स्कुटर लेने गये तब भी हुइ थी.. लता.. मुजे लगता हे.. मे प्रेगनेन्ट होगइ हु.. मेरे पास टेस्ट कीट भी खतम होगइ हे.. कल मे मेरी फ्रेन्डके पास जाकर टेस्ट करवा लुगी.. तु चीन्ता मत कर..

लता : (खुस होते मुस्कुराते) भाभी.. क्या केह रही हे..? मेरे पास अभी दो कीट पडी हे.. क्या मे आपको देदु..? हंम..? आप सुबह टेस्ट करवा लेना.. अगर पोजीटीव आया तो मेभी आपके साथ चलुगी..

सृती : (मुह पोछते मुस्कुराते) लता.. इसकी कोइ जरुरत नही हे.. मे वहीसे सीधी क्लीनीकपे चली जाउगी.. अभी उल्टीकी टेबलेट ले लेती हु.. सब ठीक होजायेगा.. तु चीन्ता मत कर.. ओर सुन.. जबतक कंन्फर्म नही होजाता तु इसके बारेमे कीसीको बताना नही..कल रीपोर्ट आनेके बाद मे खुद देवु ओर मंजुको सरप्राइज देना चाहती हु..

लता : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. मंजु दीदीको सरप्राइज दोगी..? आपको तो पता हेना उनको ओर पुनोदीदीको सब पता चल जाता हे.. तो उनको तो सब पता होगा.. आप पुनो दीदीसे क्यु नही पुछ लेती..? पता नही मेरे नसीबमे अ‍ैसा मौका कब आयेगा..
 

dilavar

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सृती : (बहार नीकते) अरे हां लता.. मे तो भुल ही गइ थी.. मे पुनो दीदीसे बात करलुगी.. लेकीन तुम भी नीरास मत हो.. क्या तुजे पुनोदीदीने कुछ बताया नही..? हंम..? सुन.. तुजे सीर्फ हमारा देवु ही प्रेगनेन्ट कर सकता हे.. सीर्फ तुजे ही नही.. इनमे मंजु ओर पुनमदीदी भी बाकात नही हे.. तुम तीनोको या तो देवु.. या फीर स्वयं हमारे जो स्वमी आयेगे वो.. लता.. तुम तीनो हमारे स्वामीके लीये स्पेसीयल हो.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर मुस्कुराते बहार आते) हां भाभी.. इस बारेमे पुनम दीदी ओर मंजुदीदीसे भी बात हुइ.. भाभी.. क्या वाकइ हम सब परीया ओर अप्सराये हे..? आजके जमानेमे तो मुजे यकीन ही नही होता.. क्या आप इस बातको मानती हो..? क्युकी आप तो अ‍ेक डोक्टर भी हो..

सृती : (मुस्कुराते सोफेपे बैठते) लता.. हां लता.. सही कहा तुमने.. मे अ‍ेक डोक्टर हु.. पहेलेतो मुजे भी इन सब बातोपे यकीन नही होता था.. लेकीन अब यकीन होने लगा हे.. फीर भी दिमाग इन बातोको माननेके लीये तैयार नही हे.. सुन.. इसीलीये तो हमारे यहा कोइ रीस्ते नातेको नही मानते.. समजी..

लता : (बैठते) हां भाभी.. इस बारेमे भी बाते हुइ.. अब ये दोनो आजाये तो हम खानेपे बैठ जाये.. चलो..

दोनो बाते कर रही थी.. तभी लखन ओर रमाभी घरपे आगये.. तब रमाके बाल थोडे बीखरे हुअ‍े लग रहे थे.. ओर वो बहुत ही सरमा रही थी.. आते ही सीधी अपने रुममे चली गइ.. तो इसे देखकर लता ओर सृती बहुत कुछ समज गइ.. ओर अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते कातील मुस्कान करने लगी.. तब लखन सीधा ही उपर अपने रुममे फ्रेस होने चला गया.. तो लता ओर सृती दोनो कीचनमे जाकर खानेकी तैयारीया करने लगी..

तभी लखन अपने रुममे गया तो वहा रजीया आराम करते जाग रही थी.. तो लखनको देखते ही बेडसे खडी होगइ.. ओर लखनकी ओर देखकर सरमाते मुस्कुराने लगी.. तो लखनने आते ही रजीयाको अपनी बाहोमे भरलीया ओर उनके होठोको चुमने लगा.. तो रजीया उनका साथ देने लगी.. फीर अचानक हसते लखनसे दुर होगइ.. ओर लखनको बाथरुमकी ओर धकेलने लगी.. तब..

giphy35
रजीया : (सरमाते हसते) लखन.. अभी कोइ सरारत नही.. अब आपकी पांच दिनकी छुटी.. हे.. हें..हें.. नीचे जाइअ‍े सब लोग आपके आनेका इन्तजार कर रहे थे.. खाना नही खाना क्या..?

लखन : (मुस्कुराते अपना सर पकडते) ओह.. गोड.. रजु तुम भी..? अब मे इसका क्या करुगा.. देख कैसे खडा हे.. बैठनेका नाम ही नही ले रहा..

रजीया : (सरमाकर मुस्कुराते) क्यु..? घरमे दो दो तीतलीया तो आइ हुइ हे.. उन मां बेटी मेसे अ‍ेकको पकड लीजीये.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते धीरेसे) रजीया.. क्या बोल रही हे..? क्यु तुजे भी सब..?

रजीया : (मुस्कुराते धीरेसे) हां.. याद हे आपको..? आपकी सादीसे पहेले आप लता दीदीको रातमे होलमे मीलेथे.. तब नीलु आपका लाइव सो देख रही थी.. ओर मुजे लता दीदीने भी सबकुछ बता दीया हे.. जाइअ‍े.. आज अच्छा मौका हे.. क्युकी मे ओर लता दीदीतो आपको छुने नही देगी.. आज कर दीजीये पुनम दीदीका काम.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते बाथरुममे जाते) तुम सबकी सब कमीनी हो.. मुजे कैसी बीवीया मीली हे..? सामनेसे दुसरी ओरतके पास भेजती हे.. चल तुजे खाना नही खाना क्या..?

लता : (खाना लेकर आते) नही.. आज रजुदीदी इधर ही खा लेगी.. इसे आराम करने दीजीये.. चलीये आप भी फ्रेस होजाइअ‍े.. नीचे सब आपका इन्तजार कर रही हे.. ओर सुनीये.. अब रजु दीदीको पांच दिन हाथ मत लगाना.. समजे..?

लखन : (हसते बाथरुममे घुसते) अरे हां बाबा हां.. अभी रजुने सब बताया.. हें..हें..हें..

कहा तो लता रजीयाकी देखते हसने लगी.. ओर उनका खाना वही बेडपे रख दीया.. तब रजीयाने लताको सारी बात बतादी.. की अभी लखनसे क्या बात हुइ.. जीसे सुनकर लताभी हसने लगी.. तभी लखन भी फ्रेस होकर बहार आगया.. ओर लताको अब भी वही देखकर अपनी बाहोमे भर लीया.. ओर उनके होठोको चुमने लगा.. तब कुछ देरतो लताभी मदहोस होकर लखनका साथ देने लगी.. फीर अचानक उनसे अलग होकर इनका हाथ पकडकर नीचे जाने लगी..

लता : (हसते धीरेसे) लखन.. पहेले आप नीचे चलीये.. ओर हां.. अभी जो रजुदीदीने कहा.. वो सही हे.. आप देर रात भाभीके पास चले जाना.. आज कल उनको बहुत खुजली हो रही हे.. आज उनकी सारी खुजली मीटा दीजीये.. कैसे पटाका बनकर आपके साथ दोडी चली गइ.. ओर सुनो.. कमीनी दो दिन बीस्तरसे उठनी नही चाहीये.. समजे..? वरना मुजसे बुरी कोइ नही होगी.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) जी रानी साहीबा.. जो हुकुम.. ओर कुछ..?

लता : (सरमाकर साथ चलते धीरेसे) हां.. वो रमा भाभी चली जाये.. तो इस नीलुको भी लाइनमे ले लेना.. बाकी सब बाते बादमे हमारे रुममे करेगे.. मुजे आपसे ओर भी जरुरी बाते करनी हे.. चलीये..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे) लता.. मुजे भी तुमसे नीलुके बारेमे कुछ बात करनी हे.. हम हमारे रुममे ही बात करेगे..

बाते करते दोनो नीचे आगये.. ओर सब लोग डाइनींगपे डीनर करने बैठ गये.. तो आज लखनके साथ लता ओर सृती बैठी थी.. तो लखनके सामने रमा ओर नीलम बैठ गइ.. लताने सबको खाना सर्व कीया.. ओर खुदभी खाना लेके लखनके पास बैठ गइ.. तब रमा लखनकी ओर बार बार देखते बहुत ही सरमा रही थी.. जीसे देखकर सृती ओर लता भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी..

सबलोग खाना खा रहे थे.. तब खाना खाते लखनको थोडी सरारत सुजी.. ओर वो नीलमके पैरको पैरसे सहेलाने लगा.. तो नीलम बहुत ही सर्मसार होने लगी.. ओर मंद मंद मुस्कुराते टेडी नजरोसे लखनको देखने लगी.. ओर आंखोसे इनकी मम्मीकी ओर इसारा करते वो लखनको अ‍ैसा ना करनेकी मनत करने लगी.. तो लखनने पैर हटालीये.. ओर रमाके पैरोकी ओर लेगया.. ओर उनके पैरको सहेलाने लगा..

तो रमा बहुत ही सरमाने लगी.. ओर सर नीचे करते खाना खाते मुस्कुराने लगी.. उनको पता था ये सब लखनकी करतुत हे.. ओर अभी अभी वो लखनसे प्यार करके आइ थी.. तो रमाको इस खेलमे मजा आने लगा.. ओर वो भी लखनके पैरोको पैरसे सहेलाने लगी.. तो लखनने थोडा पैर उठाते उनकी जांगो मे ही फसा लीया.. ओर पैरके अनुठेसे रमाकी चुतको खरोदने लगा.. तब रमाकी हालत पतली होने लगी..

अ‍ेक बार फीर उतेजीत होते उनकी चुत पनीयाने लगी.. रमा खाना खाते थोडी आगेकी ओर सरक गइ.. ओर कीसीको पता ना चले अ‍ैसे धीरेसे नीचेसे अपनी कमरको आगे पीछे करने लगी.. ताकी लखनका पैर उनकी चुतको सहेला सके.. रमा बहुत ही उतेजीत हो चुकी थी.. आज उसने लखनसे चुदवानेका पुरा मन बना लीया था.. वो कीसी भी हालमे आज नीलुके पास जाने वाली नही थी.. ओर वो अपनी कमर हीलाते अभीसे नीलमसे दुर रहेनेकी प्लानींग करने लगी..
 

dilavar

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रमा : (सरमाकर धीरेसे) लता दीदी.. आज बहुत सर ओर कमर दर्द कर रही हे.. मे तो खाना खाकर ही सोजाउगी..

लता : (मुस्कुराते) भाभी.. मे आपको मुव लगा दुगी.. दो दिनसे हम दोनो यही काम कर रही हे.. तो कमर दर्द तो होगा ही.. वैसे भी अब ओल मोस्ट सेट हो गया हे.. बाकी बचा.. वो तो मे फुरसतमे करती रहुगी.. आप फीकर मत करना.. सो जाना.. आज आप अच्छेसे आराम करलो.. वरना आपकी तबीयत ओर बीगड जायेगी..

रमा : (मनमे) हां तबीयत तो आज पकी बीगड जायेगी.. ओर वो भी आपके पतीसे.. चडीमे ही कीतना बडा लग रहा था.. लगताहे मुजे सुबह चलने लायक भी नही रखेगे..

लखन : (रमाकी चुतको खरोदते) लता.. आज तो नीलु भी पढाइ करके थक गइ होगी.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते हसते) क्या जीजु आपभीनां.. क्या कोइ पढाइ करते थकता हे क्या..?

सृती : (हसते) क्यु..? मे तो बहुत थक जाती थी.. हें..हें..हें.. बाबा कीतना पढना होता था..

लखन : (रमाकी चुतको जोरोसे सहेलाते) भाभी.. पढाइसे याद आया.. वो हमारे साहीलके चाचाकी लडकी.. सबाना.. क्या वो आपसे मीलने आइ थी की नही..? वो कब जा रही हे बेंगलोर..?

सृती : (मुस्कुराते) हां.. हम यहा आये उसी दिन वो क्लीनीकपे आइ थी.. ओर दो बार फोनपे बात भी हुइ.. अभी उनकी अ‍ेक्जाम चल रही हे.. जब रीजल्ट आजायेगा.. ओर जो परसंट चाहीये वो आगये तो अगले महीने वो बेंगलोर चली जायेगी.. मे वहा बात कर लुगी..

लखन : (हसते) भाभी.. उनको कीसीभी हालमे बेगलोर भेज दीजीये.. ताकी साहीलके चाचा चाची हमारे गांजमे आजाये..

सृती : (मुस्कुराते) अरे वोतो पढाइमे बहुत ही शोसीयार हे.. तो मुजे यकीन हे.. परसेंट तो आजायेगा..

लखन सृतीसे बाते भी कर रहा था.. ओर सबसे छुपकर रमाकी चुतको भी खरोद रहा था.. तब रमासे बरदास्त करना मुस्कील हो गया.. ओर वो धिरेसे दुसरा हाथ नीचे लेगइ.. ओर लखनके पैरको पकडकर अपनी चुतमे दबाव बनाते कमर हीलाने लगी.. तब कुछ ही देरमे रमाकी चुतने जवाब देदीया.. ओर वो पानी छोडते स्खलीत होगइ.. ओर उसने लखनके पैरको धका मारते हटा दीया.. तभी..

सृती : (मुस्कुराते) नीलु.. तुमने तुम्हारे बारेमे क्या सोचा हे..? पढाइके बाद कुछ प्लानींग बानींग की हेकी नही..?

नीलम : (सरमाकर हसते) हां दीदी.. मे सरकारी जोब करना चाहती हु.. मुजे बेन्ककी नोकरी बहुत अच्छी लगती हे.. तो सोच रही हु.. मे बेन्कमे ही जोब करुगी.. मुजे यहा सहेरमे बहहुत अच्छा लगता हे..

सृती : (हसते) अरे वाह.. चलो ये भी अच्छा हे.. आज कल उनमे भी बहुत सेलेरी मीलती हे..

रमा : (आस्चर्यसे नीलमकी ओर देखते) क्या..? दीदी.. बेन्कमे नोकरी करनेके लीये तो सहेरमे रहेना पडता हेनां..? ओर इनकी सादीका भी सोचना हे.. तो इनके ससुराल वाले इनको नोकरी करने देगे क्या..? ना बाबा ना.. हमे कोइ नोकरी बोकरी नही करवानी..

सृती : (सामने देखते) भाभी.. आप कीस जमानेमे जी रही हे..? ओर अ‍ैसा क्यु सोचती हो आप..? क्यु नही करने देगे..? आजकल तो बहुत सारी लडकीया नोकरी करती हे.. ओर कमाउ बहु कीसको अच्छी नही लगती..? आज जमाना बदल गया हे.. ओर बात सहेरमे रहेनेकी तो वहा इनके दो दो घरतो हे.. जबतक नीलुकी सादी नही होजाती तबतक वो यहा.. या फीर मेरे घरपे भी रेह सकती हे.. तो फीर क्या दीकत हे..?

रमा : (मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. तबतो मुजे कोइ दिकत नही हे.. बस.. इनकी अ‍ेक ही चीन्ता हे.. आपकी ओर लता दीदीकी तराह इनकी अच्छे खानदानमे सादी होजाये..

सृती : (थोडी नाराज होते) भाभी.. क्यु इनकी सादीकी चीन्ता करती हो..? ये भी कोइ उमर हे सादी करनेकी.. अभी इसे पढने तो दो.. सादीके लायक होजायेगी.. तब सोचेगे..

रमा : (सरमाकर हसते) दीदी.. ये आपको छोटी लगती हे..? अरे अठारवा खतम करके उनीसवा चल रहा हे.. ओर अ‍े महीनेके बाद बीसवा बैठेगा.. देखो.. कैसे गदराया सरीर हो गया हे.. जैसे कोइ सादी सुधा लडकी हो.. इस उमरमे सादी नही करेगी तो कीस उमरमे करेगी..

लता : (मुस्कुराते) हां भाभी.. इनकी सादीकी चीन्ता मत करो.. मे ओर आपके ननंदोय तो हे.. हम इनकी सादी कोइ अच्छे खानदानमे ही करवा देगे.. क्यु लखन..?

लखन : (सही बैठते) हां भाभी.. आप नीलुकी सादीकी चीन्ता छोडदो.. भाइसे कहुगा कोइ अच्छा खानदान ढुंढ लेगे.. बस.. लडका अच्छा होना चाहीये.. ओर नोकरी फीर धंधा.. सबकुछ देखना पडता हे..

रमा : (मुस्कुराते) दीदी.. जो भी हो.. अब इनका सब आपही को करना हे.. मेने तो नीलुको आप दोनोको सौंपदी हे.. वरना आपके भाइको तो कुछ फीकर ही नही हे.. ये भी नही की अब लडकी जवान हो चुकी हे.. तो इनके लीये रीस्ता ढुंढे.. इनका कही पैर फीसल गया.. या फीर कही उच नीच होगइ तो हमे लेनेके देने पड जायेगे..

सृती : (मुस्कुराते) भाभी.. हमारी नीलु अ‍ैसी नही हे.. वो बहुत ही समजादार हे.. वो जो भी करेगी.. बहुत सोच समजके करेगी.. आपको इनकी सादीकी इतनी जल्दी क्यु हे..? अभी तो पढ रही हे.. कुछ ही दिनमे इनके अ‍ेक्जाम सुरु होजायेगे.. फीर तीन साल कोलेज.. ओर इनको मास्टर भी करवाना हे.. तभी तो इनको बेन्कमे जोब मीलेगी..

सब लोग बाते करते खाना खा रहेथे.. तब रमाको नीचे बहुत गीला लगने लगा.. तो बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर वो पानी पीकर फटाफट अपने कमरेमे चली गइ.. तब लखन सृतीकी ओर देखकर सरमाके हसने लगा.. तो सृती सब कुछ समज गइ.. ओर वो लखनकी जांगपे चपत लगाते सरमाकर हसने लगी.. फीर खानेके बाद लता ओर सृतीने घरका सब काम नीपटा लीया.. ओर कुछ देर टीवी देखकर सबलोग अपने अपने कमरेमे सोने जाने लगे....

कन्टीन्यु
 
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